“आपन विद्यार्थी खातिर निस्वार्थ प्रेम आउर कुल समर्पण. मास्टर के रूप में हम इहे सिखनी!”
मेधा तेंगशे आपन बात तनी अहिस्ता, बाकिर पूरा मजबूती से रखत बाड़ी. बिशेष शिक्षक मेधा ‘साधना विलेज’ के नींव रखे वाला में से बाड़ी. एह विलेज में अलग अलग उमिर आउर अलग अलग तरह से बौद्धिक रूप से अशक्त लोग रहेला. इहंवा एह लोग के कुछ कला, संगीत, नृत्य त सिखावले जाला, संगे-संगे जिनगी खातिर जरूरी कुछ हुनर के प्रशिक्षण भी देवल जाला.
देमागी तौर से अशक्त लोग के आवासीय संस्थान, साधना विलेज पुणे के मुलशी ब्लॉक में पड़ेला. इहंवा के विद्यार्थी लोग के ‘विशेष मित्र’ पुकारल जाला. पत्रकारिता के प्रशिक्षण प्राप्त मेधा ताई, इहंवा रहे वाला 10 गो विद्यार्थी के गृह माता के भूमिका के ‘एगो महतारी जे गुरु भी बाड़ी’ के रूप में आपन परिचय देवल पसंद करेली.
पुणे में सुने से अक्षम विद्यार्थी खातिर धायरी स्कूल में नियुक्त बिशेष शिक्षक, सत्यभामा अलहात भी इहे मानेली. “आवासीय विद्यालय में हमनी जइसन मास्टर लोग विद्यार्थी के अभिभावक भी होखेला. हमनी आपन विद्यार्थी लोग के घर के कमी महसूस ना होखे दिहिले,” ऊ पारी के बतइली. एकरा बाद ऊ लइकी लोग के फुगड़ी के खेल सिखावे लगली. फुगड़ी, नाग पंचमी के मौका पर खेले जाए वाला पारंपरिक खेला बा. आज श्रावण महीना के पंचमा दिन एकरा उत्सव जेका मनावल जाला. धायरी प्राथमिक स्कूल बा. इहंवा 40 गो आवासीय छात्र आउर 12 गो रोज आवे वाला छात्र लोग पढ़ेला. रोज आवे वाला लोग महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, पश्चिम बंगाल आउर राजस्थान के अलग-अलग इलाका से स्कूल पहुंचेला.


बावां: साधना विलेज के संस्थापक सदस्य मेधा तेंगशे के कहनाम बा सभे शिक्षक के एक बेरा बिशेष विद्यार्थी खातिर बनल स्कूल आवे आ देखे के चाहीं कि प्रेम भरल बोली का जादू कर सकत बा. दहिना: कंचन येसंकर कहेली, ‘इंहवा रहे वाला सभे 30 मित्र लोग आपस में लड़ेला, बाकिर एक-दोसरा से प्रेम भी करेला’


सत्यभामा अलहात पुणे में सुने से अक्षम विद्यार्थी लोग खातिर बनल धायरी स्कूल में बिशेष शिक्षक नियुक्त बाड़ी. नागपंचमी मनावे घरिया ऊ लइका आउर लइकी लोग संगे फुगड़ी खेलत बाड़ी. ‘आवासीय विद्यालय में हमनी जइसन मास्टर लोग विद्यार्थी के अभिभावक भी होखेला’
सत्यभामा पारी के बतइली कि एह इलाका के माता-पिता आउर अभिभावक लोग आपन बच्चा के इहे स्कूल में भेजल पसंद करेला. काहेकि ऊ लोग इहंवा के पुरान छात्र से स्कूल आउर मास्टर के बहुते बड़ाई सुनले बा. फीस ना लागे आउर रहे के सुविधा चलते एह स्कूल के लोग बहुते पसंद करेला. स्कूल में चार-साढ़े चार बरिस के बच्चा लोग भी बा. दिलचस्प बा कि एह स्कूल में नाम लिखावे खातिर खाली सुने से लाचारे लरिकन के माई-बाबूजी ना आवे. सत्यभामा कहली, “जे सुन सकेला, वइसन लरिका लोग के माई-बाबूजी लोग भी नाम लिखावे खातिर पूछताछ करे आवेला. काहेकि ऊ लोग ई स्कूल के बहुते नाम सुनले बा. हमनी के ओह लोग के लउटावे के पड़ेला.”
इहंवा देह-दिमाग से अशक्त लोग के सिखावे-पढ़ावे वाला लोग ‘बिशेष शिक्षक’ कहाला. ऊ लोग हर छात्र के ओकर खास पहचान, गुण, देह के अशक्तता आउर खास जरूरत के पहिले पहचानेला, आउर ओहि हिसाब से एह तरीका से प्रशिक्षित करेला कि ऊ हर मामला में आत्मनिर्भर हो सके. जादे करके अइसन शिक्षक आउर मार्गदर्शक लोग बिशेष शिक्षा के, कवनो तरह के तकनीक आउर तरीका से कहीं आगू के चीज मानेला. एकर माने शिक्षक आउर छात्र के बीच अटूट भरोसा आउर जुड़ाव बा.
साल 2018-19 में, महाराष्ट्र में पहिला से बाहरवीं कक्षा में बिशेष जरूरत वाला (सीडब्ल्यूएसएन) 3,00,467 लरिका लोग के नाम लिखावल गइल रहे. महाराष्ट्र में अइसन बिशेष जरूरत वाला 1,600 स्कूल बा. साल 2018 के राज्य नीति के मकसद बिशेष लइका लोग के शिक्षा हासिल करे में सहायता खातिर हर स्कूल में कमो ना त, एगो बिशेष शिक्षक के ब्यवस्था करना रहे. बाकिर मेधा ताई के हिसाब से, 96 गांव वाला पूरा मुलशी ब्लॉक में साल 2018 में खाली नौवे गो बिशेष शिक्षक नियुक्त कइल गइल रहे.
शिक्षक देह-दिमाग से अशक्त लोग के अलग-अलग खासियत, कमजोरी आउर खास जरूरत के बीच तालमेल बइठावेला आउर ओह लोग के आत्मनिर्भर बनावेला
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बिशेष शिक्षक में खास तरीका से पढ़ावे आ सिखावे के गुण होखे के चाहीं. काहेकि ई काम आसान नइखे. “आउर तब, जब पढ़े वाला राउर माई-बाऊजी के उमिर के होखे,” राहुल वानखेड़े कहले. वर्धा के 26 बरिस के राहुल सामाजिक कार्यकर्ता बाड़न आउर इहंवा पछिला एक बरिस से काम करत बाड़न. इहंवा उनकरा से पहिले से काम करे वाला 27 बरिस के उनकर सहयोगी कंचन येसंकर भी वर्धे के रहे वाली बाड़ी. ऊ इहंवा के विद्यार्थी लोग के पांच बरिस ले पढ़इले बाड़ी. उनकरा हिसाब से इहंवा के छात्र लोग उनका एगो खुशमिजाज इंसान बने के सिखवलक.
बीस बरिस के कुणाल गुजर बुद्धि से तनी अशक्त बाड़न, आउर उनकर बावां हाथ भी कमजोर बा. सामुदायिक कार्यकर्ता, 34 बरिस के मयूरी गायकवाड़ आउर उनकर सहयोगी लोग उनकर आउर दोसर सात गो बिशेष विद्यार्थी खातिर कक्षा लेवेला. “ऊ हमनी के गीत, पहाड़ा आउर कसरत सिखावेली. हात असे करायाचे, मग असे, मग तसे (आपन हाथ अइसे हिलाव, आउर अइसे कर),” कुणाल बतइले. पुणे के लगे हडशी के कालेकर वाड़ी में देवराई सेंटर पर ऊ आपन शिक्षक के बारे में बतावत बाड़न.
कातकरी आदिवासी लइका लोग संगे काम करे वाली मयूरी के कहनाम बा कि अइसन काम करे खातिर लरिकन लोग संगे स्नेह आउर अपनापन के भाव रखल जरूरी बा. किसान आउर सामुदायिक कार्यकर्ता मयूरी एगो पुस्कालय भी चलावेली. देह-दिमाग से अशक्त लरिकन लोग संगे उनकर लगाव आउर धीरज के भावे उनकरा देवराय केंद्र में एगो शिक्षक बने खातिर प्रेरित कइलक
संगीता कालेलर के लइका सोहम के मिरगी के बेमारी बा. आउर उहे उनकर गुरु भी बाड़ी. ऊ सोहम के बइठे से लेके चले तक ले, हर बात सिखावेली. “ऊ अब आई, आई बोल सकेलन,” ऊ कहली. दस बरिस के सोहम चाभी से खेल रहल बाड़न. चाभी भूइंया पर गिरत बा, त ओकर आवाज ऊ ध्यान से सुनत बाड़न.


साधना विलेज में राहुल वानखेड़े (बावां) विशेष मित्र संगे नृत्य सभा में रमल बाड़न. ऊ कहले, ‘हमनी के ओह लोग के मूड देख के सिखावे के पड़ेला.’ कंचन येसंकर सामाजिक कार्यकर्ता आउर शिक्षिका हई. उनका इहंवा (दहिना) नृत्य सभा में देखल जा सकेला. ऊ बतइली, ‘हम आपन विद्यार्थी लोग के चुस्त-दुरुस्त रखे खातिर नृत्य के मदद लेविला. एह खातिर हम बहुते तरह के डांस थेरेपी के भी इस्तेमाल करिला’


बावां: संगीता कालेकर के दस बरिस के लइका सोहम के मिरगी के गंभीर दौरा पड़ेला, ऊ जादे बोलियो ना सकस. उनकर माई बतइली, ‘बाकिर ऊ अब आई, आई बोल सकेलन.’ दहिना: हडशी में फूलबाई लोयार (एकदम बावां) आपन लइकी, नंदा आउर संगीता कालेकर के माई (लाल में) कुणाल गुजर आउर मयूरी गायकवाड़ (एकदम दहिना) संगे
पुणे में सुने से अशक्त छोट-बड़ लोग खातिर एगो आउर आवासीय विद्यालय, धायरी स्कूल बा. इहंवा के शिक्षक लोग खातिर, जबो कवनो लरिका उनकर क्लास में आवाज निकालेला, बोले ओरी ई एगो कदम होखेला. आवाज आउर हाव-भाव के अलावे देखल जाव त, सत्यभामा अलहात कहेली, “ऊ लोग अपना उमिर के कवनो दोसर सामान्य लरिका से अलग नइखे,” ऊ एह स्कूल में पछिला 24 बरिस से काज कर रहल बाड़ी.
पुणे के संस्था सुह्रद मंडल पछिला 50 बरिस से बिशेष शिक्षक के ट्रेनिंग देवत आइल बा. सुने में असहाय लोग खातिर सुह्रद मंडल ओरी से सुरु कइल गइल 38 गो स्कूल में से इहो एगो बा. इहंवा के शिक्षक लोग या त बीएड (सुने से अशक्त) या डिप्लोमा कोर्स कइले बा. ओह लोग के बहुत सोच-समझ के बिशेष शिक्षक खातिर चुनल गइल हवे.
चौथा कक्षा के ब्लैकबोर्ड पर बहुते सुंदर सुंदर फोटो- भवन, घोड़ा, कुत्ता, तालाब, बनावल बा. मोहन कानेकर एकरे से जुड़ल शब्द आपन छात्र लोग के सिखावत बाड़न. एह काम में उनकरा 21 बरिस के अनुभव बा. उहां के एगो कुशल प्रशिक्षित शिक्षक बानी. मोहन, 54 बरिस, पढ़ावे-सिखावे खातिर टोटल कम्यूनिकेशन के फॉलो करेले. टोटल कम्यूनिकेशन सिखावे के एगो अइसन तरीका ह, जे में बोली, होठ पढ़े, संकेत भाषा, आउर लिखाई सभे कुछ शामिल होखेला, जे सुने से लाचार विद्यार्थी के सिखावे में काम आवेला. उनकर विद्यार्थी लोग हाव-भाव समझ, चाहे होठ पढ़के बात समझेला आउर जवाब देवेला. अलग अलग बात आउर लहजा के ऊ लोग बोलेला आउर दोहरावे के कोसिस करेला. आवाज से कानेकर के चेहरा खिल उठेला. ऊ एक-एक बच्चा के उच्चारण सही करे लागेलन.


सुने में अक्षम लोग खातिर बनल धायरी स्कूल में, अदिति साठे (बावां) पिक्चर कार्ड्स से पढ़ावत बाड़ी. सुनीता जिने (दहिना) होस्टल सुपरिटेंडेंट बाड़ी. ऊ आपन छोट छात्र लोग के रंग के बारे में बतावे आउर मराठी के वर्णमाला सिखावेली


मदन कानेकर (बावां) सुने में अक्षम लोग खातिर बनल धायरी स्कूल के एगो अनुभवी बिशेष शिक्षक बाड़न. ऊ चौथा क्लास के मराठी शब्द सिखावत बाड़न. ऊ कहले, ‘जदि एह बच्चा लोग के सिखावे के बा, त रउवो नीमन ड्राइंग बनावे आवे के चाहीं’
एगो दोसर कक्षा में, खुद बोले से अशक्त अदिति साठे लरिका लोग के पढ़ावत बाड़ी. उनकर आपन दिक्कत ‘स्टेप 3’ कक्षा के सात गो लरिका सभ के सिखावे के रस्ता में कबो रुकावट ना बने. ऊ साल 1999 से स्कूल में सहायक के रूप में काम करत बाड़ी.
ऊ आउर उनकर विद्यार्थी लोग एगो हॉल में पढ़ाई-लिखाई करत बा. उहे हॉल में दोसरा कक्षा चलत बा, जेकरा से होखे वाला हल्ला से ओह लोग के कवनो दिक्कत नइखे आवत. उहंई छोट विद्यार्थी लोग संगे सुनीता जिने भी बाड़ी. एगो 47 बरिस के ई अधीक्षक बच्चा लोग के रंग के बारे में बतावत बाड़न. फेरु लरिका लोग के हॉल में घूम घूम के रंग खोजे के काम देहल जात बा. बुल्लू झोला, लाल साड़ी, करियर बाल, पियर फूल… रंग मिलते बच्चा लोग खुसी से नाचे-हल्ला करे लागत बा, त कवनो विद्यार्थी हाथ से ताली बजावे लागत बा. एगो कुशल शिक्षक, जे आपन हाव-भाव से ही लरिका लोग के आपन बात समझावत बा.
मेधा ताई कहेली, “आज जब समाज आउर स्कूल में हिंसा आउर नफरत बढ़ रहल बा, हमनी के आपन बुद्धि आउर सफलता के धारणा पर सवाल उठावे के जरूरत बा. अनुशासन आउर सजा पर नया तरीका से सोचे के जरूरत बा. ताई सभे शिक्षक लोग से निहोरा करत बाड़ी कि ऊ लोग बिशेष विद्यार्थी खातिर बनल कम से कम एक स्कूल में जाए आउर देखे “प्यार से केतना कुछ हासिल कइल जा सकत बा.”
रिपोर्टर एह स्टोरी के रिपोर्टिंग घरिया सभे तरह के मदद खातिर सुह्रद मंडल के डॉ. अनुराधा फतरफोड के आभार जतावे के चाहत बाड़ी.

साधना विलेज में काम करे वाला स्वंयसेवक आउर बिशेष मित्र के देवाल पर बनावल हाथ के छाप

आपन शिक्षक लोग संगे हंसत-बतियावत बिशेष मित्र लोग

साधना विलेज में रहे वाला बिशेष मित्र के एगो स्टॉल. इहंवा ऊ लोग अपना हाथ से बनावल हैंडबैग आउर पाउच जइसन कइएक तरह के दोसर चीज आउर राखी बेचत बा. सामाजिक कार्यकर्ता आउर शिक्षक, कंचन येसंकर कहली, ‘ऊ लोग के आपन हाथ से कुछ न कुछ बनावल अच्छा लागेला’

सावन के पंचमा दिन नाग पंचमी मनावल जात बा. एह मौका पर एगो बिशेष मित्र आपन हाथ पर रचल मेंहदी देखावत बाड़न

सुनीता जिने एगो कुशल बिशेष मास्टरनी बानी

छात्र लोग मराठी वर्णमाला के चिह्न बनावे के सीख रहल बा

मोहन कानेकर टोटल कम्युनिकेशन- होठ पढ़े, हाव-भाव, बोले आउर लिखे वाला तरीका, के मदद से बच्चा लोग के संकेत भाषा सिखावत बाड़न

आपन शिक्षक मोहन कानेकर से सांकेतिक भाषा सीखे वाली लइकी लोग हर संकेत आउर हाव-भाव के समझ के जवाब देत बा आउर शब्दन के अलग अलग तरीका आउर लहजा में दोहरावे आउर बोले के कोसिस करत बा

सुने से अशक्त लोग के स्कूल धायरी के लरिकन एक-दोसरा संगे बतकही करत बाड़न. स्कूल के बिशेष शिक्षिका सत्यभामा अलहात कहतारी, ‘कबो-कबो लरिका लोग आपन तरीका से हाव-भाव देखावेला’

उस्मानाबाद से आइल एगो लइका ठीक से सुन ना सके. ऊ धायरी स्कूल के होस्टल में रहेलन. अबही पांचो बरिस के नइखन भइल आउर रबर के बनावल तरह तरह के आकृति से खेलत, आउर जनावर सभ के नाम सीख रहल बाड़न

मास्टर लोग ड्राइंग करे आउर शब्द लिखे खातिर ब्लैकबोर्ड काम में लावेला. इहंवा धायरी स्कूल में बोर्ड पर अदिति साठे के चिरई आउर यंत्र के बनावल ड्राइंग

विद्यार्थी लोग आपन शिक्षक से संकेत भाषा आउर एक्शन से कावला (कउआ) शब्द सीख रहल बा

एगो लरिका नंबर लिखे के सिखत बा

सुनीता जिने धायरी स्कूल में छोट बच्चा लोग के रंग के बारे में बतावत बाड़ी

आपन आर्ट टीचर, बैरागी संगे बच्चा लोग

एगो लइका कागज के खरगोश देखावत बाड़न

धायरी स्कूल में कला आउर कलाकृति पाठ्यक्रम के हिस्सा बा

पहिल कक्षा के विद्यार्थी सभ कागज से बनल
खरगोश, नाव आ कलाकारी के दोसर नमूना देखा रहल बा
अनुवाद: स्वर्ण कांता