उज्जर चितकबरा भुरुवा पांख भूंइय्या मं बगरे परे हवंय.

आतुर होके खोजत, राधेश्याम बिश्नोई अंधियार होवत बेरा मं इलाका के चक्कर लगात हवंय. वो ला आस हवय के ये ह गलत निकरे. ये पंख टूटे नई नगत हवय वो ह जोर ले कहिथे. ओकर बाद वो ह फोन करथे, काय तंय आवत हस? मोला पूरा यकीन हवय..., वो ह फोन मं बात करत मइनखे ले कहिथे.

हमर ऊपर अकास मं, 220-किलोवोल्ट हाई टेंशन तार चटकत बजत हवंय, जऊन ह अगम के आरो आय अऊ अब संझा के अंधेला अकास मं करिया लकीर बनके दिखत हवय.

आंकड़ा संकलेइय्या के रूप मं अपन काम ला सुरता करत, 27 बछर के राधेश्याम अपना कैमरा निकारथे अऊ घटना के तीर ले अऊ कतको फोटू एक के बाद एक खींचत चलत जाथे.

दूसर दिन, बिहनिया बिहनिया हमन ये जगा मं लहूंट आयेन- गंगा राम की धानी बस्ती ले एक किलोमीटर, जैसलमेर जिला मं खेतोलाय के तीर.

ये बखत शक के कऊनो गुंजाईश नई रहिस. ये पांख सोन चिरेइय्या (जीआईबी) के आंय, जऊन ला इहाँ के लोगन मन गोडावन के रूप मं जानथें चिनथें.

Left: WII researcher, M.U. Mohibuddin and local naturalist, Radheshyam Bishnoi at the site on March 23, 2023 documenting the death of a Great Indian Bustard (GIB) after it collided with high tension power lines.
PHOTO • Urja
Right: Radheshyam (standing) and local Mangilal watch Dr. S. S. Rathode, WII veterinarian (wearing a cap) examine the feathers
PHOTO • Priti David

डेरी : डब्ल्यूआईआई के शोधकर्ता, एम.यू. मोहिबुद्दीन अऊ  स्थानीय प्रकृतिवादी, राधेश्याम बिश्नोई 23 मार्च, 2023 मं एक ठन सोन चिरेइय्या  (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के हाई टेंशन बिजली तार ले टकराय के बाद होय मऊत के दस्तावेजीकरन करत हवंय. जउनि: राधेश्याम (ठाढ़े) अऊ इहाँ के बासिंदा मांगीलाल, डॉ. एस.एस. राठौड़, डब्ल्यूआईआई के पशुचिकित्सक (टोपी पहिरे) पांख के जाँच करत

23 मार्च, 2023 के बिहनिया वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉ. श्रवण सिंह राठौर घटना के जगा मं हवंय. सबूत के जाँच करत ओकर कहना आय, “मऊत एचटी तार मन ले टकराय ले होय हवय, ये मं कऊनो शक नई ये. अइसने लगथे के ये ह आज ले तीन दिन पहिली 20 मार्च 2023 के होय हवय.”

भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के संग काम करेइय्या डॉ. राठौड़ ह 2020 ले अब तक जीआईबी के चार ठन लाश के जाँच करे हवय. डब्ल्यूआईआई पर्यावरण, वन अऊ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) अऊ राज के वन्यजीव विभाग के तकनीकी शाखा आय. वो ह कहिथे, “सब्बो देह एचटी तार के तरी मं मिलिस अऊ ये मऊत ले ओकर संबंध साफ हवय.”

मरे चिरेइय्या ह भारी ढंग ले नंदावत जावत सोन चिरेइय्या (अर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स) आय.  हाई टेंशन तार ले टकराय के अलहन ले गिर के मरे ये ह पांच महिना मं दूसर आय. जैसलमेर जिला के सांकरा ब्लॉक के लकठा के गांव ढोलिया के एक झिन किसान राधेश्याम कहिथें, “2017 के बाद ले ये ह 9 वां मऊत आय ( जऊन बछर वो ह नजर रखे ला सुरु करे रहिस).” ये आतुर प्रकृतिवादी, ये बड़े चिरेइय्या ऊपर नजर रखथे. वो ह घलो कहिथे, “अधिकतर गोडावन के मऊत एचटी तार के ठीक तरी मं होय हवंय.”

सोन चिरेइय्या (जीआईबी) ला वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के अनुसूची के तहत सूचीबद्ध करे गे हवय. ये ह कभू पाकिस्तान अऊ  भारत के चारागान मं देखे जावत रहिस, आज दुनिया के जंगल मन मं सिरिफ 120-150 चिरेइय्या बांचे हवंय, अऊ ये मन के अबादी पांच राज मं बंटे हवय. कर्नाटक, महाराष्ट्र  अऊ तेलंगाना मं करीबन  8-10 पचिरेइय्या अऊ गुजरात मं चार ठन माई चिरेइय्या देखे गे हवंय.

इहाँ सबले जियादा आबादी जैसलमेर जिला मं हवय. वन्यजीव जीवविज्ञानी डॉ. सुमित डूकिया जऊन ह ये चिरेइय्या मन के ठिहां बूड़ती राजस्थान के चरागान मं नजर रखे हवंय,  कहिथें, “इहाँ दू ठन ठिहा हवंय –एक ठन पोखरन तीर अऊ दूसर डेजर्ट नेशनल पार्क मं,करीबन 33 कोस (100 किमी) दूरिहा.”

Today there are totally only around 120-150 Great Indian Bustards in the world and most live in Jaisalmer district
PHOTO • Radheshyam Bishnoi

आज दुनिया भर मं करीबन 120-150 सोन चिरेइय्या बांचे हवंय अऊ अधिकतर जैसलमेर जिला मं रहिथें

'We have lost GIB in almost all areas. There has not been any significant habitat restoration and conservation initiative by the government,' says Dr. Sumit Dookia
PHOTO • Radheshyam Bishnoi

डॉ. सुमित डूकिया कहिथें, ‘हमन करीबन सब्बो इलाका मं सोन चिरेइय्या ला खोवत हवन. सरकार ह ये मन के ठीहा ला बना के रखे अऊ ये मं ला बचाय के कऊनो महत्तम पहल नई करे हवय

बगेर कऊनो लाग लपेट के वो ह कहिथें, “हमन करीबन सब्बो इलाका मं सोन चिरेइय्या ला खो दे हवन. सरकार ह ये मन के ठीहा ला बना के रखे अऊ ये मं ला बचाय के कऊनो महत्तम पहल नई करे हवय.” डूकिया इकोलॉजी, रूरल डेवलपमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी (ईआरडीएस) फाउंडेशन मं मानद वैज्ञानिक सलाहकार आंय. ये संगठन ह सोन चिरेइय्या ला बंचाय बर समाज के भागीदारी ला बनाय 2015 ले ये क्षेत्र मं काम करत हवय.

“मंय अपन जिनगी मं ये चिरेइय्या मन ला गोहड़ी-गोहड़ी उड़ियावत देखे हवं. अब मंय कभू-कभार एको ठन ला अऊ सायदे कभू उड़त देखथों,” सुमेर सिंह भाटी बताथें. 40 बछर के सुमेर सिंह इहाँ के पर्यावरणविद् आंय अऊ जैसलमेर जिला के पावन जंगल मं सोन चिरेइय्या अऊ ये मन के ठीहा ला बचाय मं लगे हवंय.

वो ह घंटा भर के दूरिहा सम ब्लॉक के सौंता गांव मं रहिथें, फेर गोडावन के मरे के खबर ह वोला अऊ जुरे  दीगर लोगन अऊ वैज्ञानिक मन ला घटना के जगा मं ले आय हवय.

*****

रासला गांव के तीर देगराय माता मंदिर ले करीबन 100 मीटर दूरिहा मं प्लास्टर ऑफ पेरिस ले बने एक ठन  आदमकद गोडावन हवय. अकेल्ला एक ठन बाड़ा के भीतरी मंच ऊपर, जऊन ला सड़क ले देखे जा सकत हवय.

इहाँ के लोगन मन ये ला विरोध के चिन्हारी के रूप मं बनाय हवंय. वो ह हमन ला बताथें, सोन चिरेइय्या के पहिली बरसी जिहां वो ह मरे रहिस. हिंदी मं लिखाय पट्टी के अनुवाद हवय:  '16 सितंबर 2020  मं देगराय माता मन्दिर के तीर, एक ठन माई गोडावन हाईटेंशन लाइन ले टकरा गीस. ओकर सुरता मं ये स्मारक बनाय गे हवय.’

Left: Radheshyam pointing at the high tension wires near Dholiya that caused the death of a GIB in 2019.
PHOTO • Urja
Right: Sumer Singh Bhati in his village Sanwata in Jaisalmer district
PHOTO • Urja

बाएं: राधेश्याम धोलिया के तीर हाई टेंशन तार ला दिखावत, जेकर सेती 2019 मं सोन चिरेइय्या के जान गीस. जउनि : जैसलमेर जिला के अपन गांव सौंता मं सुमेर सिंह भाटी

Left: Posters of the godawan (bustard) are pasted alongwith those of gods in a Bishnoi home.
PHOTO • Urja
Right: The statue of a godawan installed by people of Degray
PHOTO • Urja

डेरी: बिश्नोई के घर मं देवता मन के संग गोडावन (बस्टर्ड) के पोस्टर चिपकाए गे हवंय. जउनि: देगराय के लोगन मन के बनाय गोडावन (सोन चिरेइय्या) के मूर्ति

सुमेर सिंह, राधेश्याम अऊ जैसलमेर के दीगर बासिंदा मन बर, मरत गोडावन अऊ ओकर ठीहा के बिनास चरवाहा समाज मन के अपन आसपास के इलाका मं काबू  के कमी अऊ येकर ले चरवाहा मन के जिनगी अऊ जीविका के  नुकसान एक ठन सफ्फा-सफ्फा प्रतीक आय.

सुमेर सिंह कहिथें, “विकास के नांव मं हमन कतक गंवावत हवन. अऊ ये बिकास ककर सेती आय?” वो ह एक ठन बात कहिथे, 100 मीटर दूरिहा मं एक ठन सोलर बिजली घर हवय, जेकर बिजली के लाइन ऊपर ले गे हवय, फेर ओकर गाँव मं बिजली आय-जाय के कऊनो ठिकाना नई ये.

केंद्रीय नवीन अऊ नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के दावा हवय के बीते साढ़े सात बछर मं भारत के आरई क्षमता 286 फीसदी बढ़े हवय. अऊ बीते 10 बछर मं, फेर बीते 3-4 बछर मं, हजारों नवीकरणीय बिजली घर - सौर अऊ पवन दूनों - ये राज मं सुरु करे गे हवंय. येकर छोड़, अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (एआरईपीआरएल) भादला, जोधपुर मं 500 मेगावाट क्षमता के अऊ फतेहगढ़, जैसलमेर मं 1,500 मेगावाट क्षमता के सोलर बिजली घर बनावत हवय. कंपनी ला वेबसाइट के जरिया ले पूछे गे हवय के काय वो ह कऊनो घलो बिजली लाईन ला भूमिगत करत हवय,ये कहिनी छपे बखत तक ले येकर जुवाब नई देय गे हवय.

राज मं सौर अऊ पवन ले बने बिजली ला बड़े बिजली लाइन के मदद ले राष्ट्रीय ग्रिड मं भेजे जाथे जऊन ह सोन चिरेइय्या, चील, गिधवा अऊ दीगर प्रवासी प्रजाति के चिरेइय्या मन के उड़े के रद्दा मं बाधा बन जाथे. आरई परियोजना ले एक हरित गलियारा बनही जऊन ह पोखरण अऊ रामगढ़-जैसलमेर के सोन चिरेइय्या मन के ठीहा ले होके जाही.

Solar and wind energy  projects are taking up grasslands and commons here in Jaisalmer district of Rajasthan. For the local people, there is anger and despair at the lack of agency over their surroundings and the subsequent loss of pastoral lives and livelihoods
PHOTO • Radheshyam Bishnoi

राजस्थान के जैसलमेर जिला मं सौर अऊ पवन ऊर्जा परियोजना मन इहाँ के चरी चरागान अऊ निस्तारी के जगा ला कब्जा करत जावत हवंय. अपन आसपास के इलाका मं काबू के कमी अऊ येकर ले जीविका के  नुकसानमन अऊ चरवाहा मन के मऊत ला लेके इहाँ के बासिंदा मन मं भारी नाराजगी अऊ हतासा हवय

जैसलमेर मध्य एशियाई फ्लाईवे (सीएएफ) मं बसे हवय- सलाना मध्य यूरोप अऊ एशिया ले होवत आर्कटिक ले हिंद महासागर मं प्रवासी चिरेइय्या मन के रद्दा आय. जंगली जानवर मन के प्रवासी प्रजाति मन के संरक्षण  कन्वेंशन के कहना आय के 182 प्रवासी जलपक्षी प्रजाति के अनुमानित 279 ये रद्दा ले आथे जाथे. दीगर चिरेइय्या मन मं कुछेक नंदावत जावत उज्जर पांख वाले गिधवा (जिप्स बेंगालेंसिस), लॉन्ग-बिल्ड (जिप्स इंडिकस), स्टोलिक्ज़का बुशचैट (सैक्सिकोला मैक्रोरहिन्चा), ग्रीन मुनिया (अमांडवा फॉर्मोसा) अऊ मैकक्वीन धन हाउबारा बस्टर्ड (क्लैमाइडोटिस माक्वेनी) हवंय.

राधेश्याम  शौकिया फोटोग्राफर घलो आंय अऊ ओकर लंबा फोकस वाले टेली लेंस ह हैरान करेइय्या फोटू ले हवय. “मंय पेलिकन ला रतिहा मं सौर पैनल लगे इलाका मं उतरत देखे हवंव काबर वो मन ला लगथे के ये ह एक ठन झील आय. ये बेबस चिरई कांच ऊपर फिसल जाथे अऊ ओकर कोंवर गोड़ भारी घायल हो जाथे.”

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के 2018 के एक ठन अध्ययन मं कहे गे हवय के बिजली के तार न सिरिफ सोन चिरेइय्या ला मारत हवय, फेर जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क मं अऊ ओकर तीर-तखार के 4,200 वर्ग किलोमीटर इलाक मं साल भर मं करीबन 84,000 चिरई मरे जावत हवंय. “अइसने ढंग ले भारी मृत्यु दर (सोन चिरेइय्या) प्रजाति सेती अस्थिर होय अऊ खतम होय के तय कारन आय.

खतरा सिरिफ अकास ले नई भूंईय्या मं घलो हवय- चरी-चरागान के बड़े इलाका, छोटे जंगल धन ओरान, अब जइसने के इहाँ  बताय गे हवय, 500 मीटर के अंतर मं 200 मीटर ऊँच पनचक्की ले घिरे हवय, हजारों हेक्टेयर मं बाड़ा बने हवय. छोटे जंगल मं नवीकरणीय बिलजी के घुसपैठ होगे हवय, जिहां सब्बो समाज के कहना आय के एको डारा ला घलो कटे नई जाय सकय, चरई ह सांप अऊ सीढ़ी के खेल बन गे हवय – चरवाहा मन अब सीधा रद्दा मं जाय नई सकंय, वो मन ला बाड़ा के चक्कर लगाय ला परथे अऊ  पवनचक्की के रखवार मन ला चकमा देय ला परथे.

Left: The remains of a dead griffon vulture in Bhadariya near a microgrid and windmill.
PHOTO • Urja
Left: The remains of a dead griffon vulture in Bhadariya near a microgrid and windmill.
PHOTO • Vikram Darji

डेरी: भदरिया मं एक ठन माइक्रोग्रिड अऊ पवनचक्की के तीर मरे ग्रिफ़ॉन गिधवा के बचे देह. जउनि: राधेश्याम गोडावन ला बचाय रखे सेती ओकर ऊपर नजर रखे रथे

“गर मंय बिहनिया निकरथों, त संझा तक ले घर लहूंटथों,” धनी कहिथे  (वो ह सिरिफ इही नांव ला बऊरथे). 25 बछर के ये महतारी ला अपन चार ठन गाय अऊ पांच ठन छेरी सेती चारा लाया ला जंगल जाय ला परथे. “जब मंय अपन मवेसी मन ला जंगल ले के जाथों त मोला कबू कभू तार ले झटका लगथे.” धनी के घरवाला बाड़मेर शहर मं पढ़त  हवय, अऊ वो ह ओकर छे बीघा (करीबन एक एकड़) खेत, अऊ वो मन के 8, 5 अऊ 4 बछर के तीन लइका ला संभाले ला परथे.

जैसलमेर के सम ब्लॉक के रासला गांव के देगरे के मुखिया मुरीद खान कहिथें, ‘हमन अपन विधायक अऊ जिला आयुक्त (डीसी) ले ये सवाल ला उठाय के कोसिस करे रहेन, फेर कुछु नई होईस.’

वो ह बताथें, “हमर पंचइत मं हाई-टेंशन केबल के छे ले सात लाइन लगाय गे हवंय. ये ह हमर ओरान (छोटे जंगल) मं हवय. जब हमन वो मन ले पूछथन, भाई तुमन ला कऊन इजाजत दे हवय, त वो मन कहिथें, ‘हमन ला तुम्हर मन के इजाजत लेगे के जरूरत नई ये’.”

27 मार्च, 2023 मं, घटना के कुछेक दिन बाद, लोकसभा मं पूछे गे एक सवाल के जुवाब मं, पर्यावरण, वन अऊ जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, श्री अश्विनी कुमार चौबे ह कहिस के महत्तम  सोन चिरेइय्या (जीआईबी) के ठीहा मन ला  राष्ट्रीय उद्यान मन मं (एनपी) नामित करे जाही.

दू ठन ठीहा ले एक ठन पहिली ले एनपी नामित हवय अऊ दूसर रक्षा भूमि आय, फेर सोन चिरेइय्या सुरक्षित नईं ये.

*****

19 अप्रैल, 2021 मं, एक ठन रिट याचिका के सुनवाई करत, सुप्रीम कोर्ट ह फइसला सुनाइस के, “प्राथमिकता अऊ संभावित सोन चिरेइय्या इलाका मं, जिहां ओवरहेड केबल मन ला भूमिगत लाइन मं बदले जाय सकत हवय वोला बछर भर के भीतर पूरा करे जाय अऊ उही बखत मं डायवर्टर ( प्लास्टिक के डिस्क जेन ह रोशनी  ला लहूँटाथे अ ऊ चिरई ला चेताथे) ला बिजली लाइन मं लगा दे जाय.”

सुप्रीम कोर्ट के फइसला मं राजस्थान मं 104 किमी लाइन ला भूमिगत करे अऊ 1,238 किमी लाइन ला डायवर्टर लगाय सेती सूचीबद्ध करे गे हवय.

'Why is the government allowing such big-sized renewable energy parks in GIB habitat when transmission lines are killing birds,' asks wildlife biologist, Sumit Dookia
PHOTO • Urja
'Why is the government allowing such big-sized renewable energy parks in GIB habitat when transmission lines are killing birds,' asks wildlife biologist, Sumit Dookia
PHOTO • Urja

वन्यजीव जीवविज्ञानी, सुमित डूकिया पूछथें, ‘सरकार जीआइबी ठीहा मं अतक बड़े अकार के नवीकरणीय बिजली घर बनाय के इजाजत काबर देवत हवय, जब बिजली लाइन ह चिरई मन के जान लेवत हवय’

दू बछर बाद -अप्रैल 2023- भूमिगत लाइन बिछाय के सुप्रीम कोर्ट के फइसला ला पूरा तरीका ले नजरंदाज करे दे गीस अऊ प्लास्टिक डायवर्टर ला सिरिफ कुछेक किलोमीटर मं लगाय गीस –जऊन इलाका मं सड़क हवय जिहां लोगन मन के अऊ मीडिया के धिय्याँ जाथे. वन्यजीव जीवविज्ञानी डूकिया कहिथें, “मिले शोध के मुताबिक, बर्ड डायवर्टर ह चिरई के टकराय ला बनेच कम कर देथे. त सैद्धांतिक रूप ले ये मऊत ला टारे जाय  सकत रहिस.”

येती ये ग्रह मं अपन एकेच घर मं ये देशी सोन चिरेइय्या खतरा मं हवय. वोती, इही बखत हमन एक विदेसी प्रजाति सेती घर बनाय ला दऊड़त फिरत हवन- हमर करा अफ्रीकी चीता ला भारत लाय सेती 224 करोड़ रूपिया खरचा करे के भारी बड़े पंचवर्षीय योजना हवय. ये मं खास ढंग के विमान मं चीता मन ला भारत लाय, ओकर बर सुरच्छित अभयारण्य बनाय, भारी ऊँच किसिम के कैमरा मं ला लगवाय अऊ येकर मन ऊपर नजर रखे बर टावर बनाय के खरचा सामिल हवय. येकर बाद बघवा आते जेकर अबादी बढ़त हवय अऊ 2022 मं येकर बर बजट समान्य ले खून जियादा 300 करोड़ रूपिया रखे गे हवय.

*****

चिरई कुल के ये राजसी ठाठवाले, सोन चिरेइय्या एक मीटर लंबा अऊ करीबन 5 ले 10 किलो के होथे. ये ह बछर मं सिरिफ एकेच अंडा देथे, खुल्ला जगा मं. इलाका मं जंगली कुकुर के बढ़त अबादी ह सोन चिरेइय्या के अंडा ला खतरा मं डार देय हवय. ये इलाका मं एक ठन परियोजना चलेइय्या बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के कार्यक्रम अधिकारी नीलकंठ बोध कहिथें,  “बिकट हालत हवय. हमन ला ये अबादी ला बंचा के रखे के तरीका खोजे अऊ ये जीव सेती कुछु जरूरी जगा बनाय के जरूरत हवय.”

जमीन मं रहेइय्या ये प्रजाति, चले ला पसंद करथे. जब ये ह उड़थे त येकर राजसी ठाठ के झलक दिखे ला लगथे- येकर करीबन 4.4 फीट के पांख भारी देह ला संभाली रथे काबर ये ह रेगिस्तानी अकास मं गुजरत  रहिथे.

'The godawan doesn’t harm anyone. In fact, it eats small snakes, scorpions, small lizards and is beneficial for farmers,”' says Radheshyam
PHOTO • Radheshyam Bishnoi

राधेश्याम कहिथें, ‘गोडावन ककरो नुकसान नहीं पहुंचायेव. असल मं ये ह नान-नान सांप, बिच्छू, छिपकली मन ला खाथे अऊ किसान मन के सेती फायदेमंद आय’

Not only is the Great Indian Bustard at risk, but so are the scores of other birds that come through Jaisalmer which lies on the critical Central Asian Flyway (CAF) – the annual route taken by birds migrating from the Arctic to Indian Ocean
PHOTO • Radheshyam Bishnoi

न सिरिफ सोन चिरेइय्या (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) खतरा मं हवंय, फेर जैसलमेर के रद्दा ले अवेइय्या दीगर चिरई मन घलो हवंय. ये ह मध्य एशियाई फ्लाईवे (सीएएफ) मं हवय जेन ह हरेक बछर आर्कटिक से हिंद महासागर मं अवेइय्या चिरई मन के रद्दा आय

भारी भरकम सोन चिरेइय्या के आंखी ओकर मुड़ी के किनारा मं होथे, जेकर ले ये ह  ये ह आगू आवत मऊत ला देखे नई सकय. ओकर मुड़ी ह सीधा जाके हाईटेंशन तार ले टकरा जाथे धन आखिरी बखत मं वो ह अचानक मुड़े के कोसिस करथे. फेर एक ट्राला ट्रक जइसने तेजि ले मुड़े नई सकय, ये चिरई ला अचानक अपन दिशा बदले मं देरी हो जाथे, अऊ ओकर पांख धन मुड़ी के हिस्सा 30 मीटर धन ओकर ले जियादा तार ले टकराथे. राधेश्याम कहिथें, “भलेच तार के बिजली के झटका ले ओकर मऊत झन होय, फेर अतका ऊपर ले भूंइय्या मं गिरे ले सोन चिरेइय्या के मरे के आशंका जियादा हवय.”

राधेश्याम सुरता करथें, “2022 मं जव होद्दा-होद्दा फाफा कीरा राजस्थान के डहर ले भारत मं खुसरे रहिन, ये गोडावन (सोन चिरेइय्या) रहिस जऊन ह कुछु खेती ला बंचा दीस काबर के वो मन हजारों हजार फाफा कीरा ला खा लीन. गोडावन ककरो नुकसान नहीं पहुंचायेव. असल मं ये ह नान-नान सांप, बिच्छू,  छिपकली मन ला खाथे अऊ किसान मन के सेती फायदेमंद आय.”

ओकर अऊ ओकर परिवार करा 80 बीघा (करीबन 8 एकड़) जमीन हवय, जऊन मं वो मं गुवार अऊ बाजरा कमाथें अऊ कभू-कभू जड़कल्ला मं बरसात होय ले तीसर फसल घलो लगाथें. “सोचव गर 150 ले जियादा सोन चिरेइय्या होय रतिन त फाफा कीरा मन के हमला जइसने बिपति कुछु कम होय सके रतिस.”

बड़े के बनिस्बत छोटे इलाक मं सोन चिरेइय्या ला बचाय के जरूरत हवय अऊ तय करे जात जाय के वो मन के ठीहा मं कऊनो दखल झं होबय. राठौर कहिथें, “हमन कोसिस ज्रुज करे सकत हन. ये कऊनो बड़े बात नो हे. अऊ अदालत के आदेश हवय के ये लाइन ला जमीन भीतरी मं रखे जाय अऊ जियादा लाइन के इजाजत झन दे जाय. अब बनेच होगे. अब सरकार ला येला असल मं रोके ला चाही अऊ सब्बो कुछु बरबाद होय के पहिली कुछु सोचे ला चाही.”

रिपोर्टर ह ये कहिनी लिखे मं मदद सेती जैव विविधता सहयोगी डॉ. रवि चेलम के आभार जतावत हवय

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

Other stories by Priti David
Photographs : Urja

Urja is Senior Assistant Editor - Video at the People’s Archive of Rural India. A documentary filmmaker, she is interested in covering crafts, livelihoods and the environment. Urja also works with PARI's social media team.

Other stories by Urja
Photographs : Radheshyam Bishnoi

Radheshyam Bishnoi is a wildlife photographer and naturalist based in Dholiya, Pokaran tehsil of Rajasthan. He is involved in conservation efforts around tracking and anti-poaching for the Great Indian Bustard and other birds and animals found in the region.

Other stories by Radheshyam Bishnoi

P. Sainath is Founder Editor, People's Archive of Rural India. He has been a rural reporter for decades and is the author of 'Everybody Loves a Good Drought' and 'The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom'.

Other stories by P. Sainath
Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

Other stories by Nirmal Kumar Sahu