सुरेंद्र नाथ अवस्थी अपन दूनो हाथ ला अकाश डहर कर देथे जऊन ह सिरिफ ओकर सुरता मं बसे रहिथे. “ये सब, अऊ वो सब्बो घलो,” वो ह बड़े नजर अऊ थोकन मुचमुचावत कहिस.

वो ह कहिथे, “हमन ओकर ले मया करत रहेन. ओकरे सेती हमर चुंवा मं सिरिफ 10 फीट मं पिये के पानी आवत रहिस. हरेक बरसात मं, वो ह हमर घर तक ले हबर जावत रहय. वो ह हरेक तीसर बछर बलि लेवय, अधिकतर छोटे मवेसी के. वइसे एक बेर वो ह मोर 16 बछर के चचेरा भाई ला बोहा के अपन संग ले गीस. मंय रिस मं रहेंव अऊ कतको दिन तक ले ओकर डहर नारियावत रहेंव. फेर अब, वो ह बनेच बखत ले रिसाय हवय... हो सकत हे पुल ह अइसने करे हवय,” ओकर अवाज बंद पर जाथे.

अवस्थी 67 मीटर लंबा पुल मं ठाढ़े हवय, जऊन ह सई नांव के मुस्किल ले बोहावत नदिया मं बने हवय. वो ह रिसाय हवय. पुल के तरी खेत हवय. नदिया के पार मं गहूँ के अभिचे लुवाय नरई अऊ पार मन मं पानी मं बूड़े नीलगिरी के रुख हवय.

अवस्थी के मितान अऊ संगवारी जगदीश प्रसाद त्यागी, एक झिन रिटायर्ड गुरूजी, सई ला “एक सुग्घर नदिया” के रूप मं सुरता करथें.

वो ह गहिर पानी मं भंवर आय के बात बताइस, जऊन मं बड़े मछरी मन उछाल मारत रहंय. वो ला अभू घलो एडी मछरी, रोहू, ईल, पफर्स अऊ कतको मछरी सुरता हवंय. वो ह कहिथें, “जब पानी सूखे लगिस, त मछरी मन नंदा गीन.”

अऊ घलो मयारु सुरता हवंय. 74 बछर के मालती अवस्थी, जऊन ह 2007-12 ले गाँव के सरपंच रहिन, सुरता करथें के कइसने सई नदिया के पार ले 100 मीटर दूरिहा अपन घर के अंगना तक आ जावर रहिस. ओकर बड़े अंचरा मं, हरेक बछर तऊन परिवार सेती एक ठन समाजिक आयोजन  ‘अन्न परवत दान’ करत रहिन, जेन मन नदिया के प्रकोप ले अपन फसल गँवा दे रहंय.

वो ह कहिथें, “अब समाज के वो भावना खतम होगे हवय. तऊन अनाज के सुवाद चले गे हवय. चुंवा के पानी चले गे हे. जइसने हमन ला, ओतकेच मवेसी मन ला घलो पीराथे. जिनगी मं कऊनो रस नई हे.”

Left: Surendra Nath Awasthi standing on the bridge with the Sai river running below.
PHOTO • Pawan Kumar
Right: Jagdish Prasad Tyagi in his home in Azad Nagar
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डेरी : पुल ऊपर ठाढ़े सुरेंद्र नाथ अवस्थी अऊ तरी मं बोहावत सई नदिया. जउनि : जगदीश प्रसाद त्यागी आजाद नगर मं अपन घर मं

Left: Jagdish Prasad Tyagi and Surendra Nath Awasthi (in a blue shirt) reminiscing about the struggle for a bridge over the Sai river .
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Right: Malti Awasthi recalls how the Sai rode right up to the courtyard of her home, some 100 metres from the riverbed
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जगदीश प्रसाद त्यागी (डेरी) अऊ सुरेंद्र नाथ अवस्थी (जउनि) सई नदी मं पुल सेती अपन लड़ई  के दिन ला सुरता करत. जउनि : मालती अवस्थी सुरता करथें के कइसने सई नदी के पार ले करीबन 100 मीटर दूरिहा सीधा ओकर घर के अंगना तक ले आ जावत रहिस

सई गोमती नदी के सहायक नदी आय. येकर जिकर भारत के पुराण कथा मन मं सबले पहिली करे जाथे. गोस्वामी तुलसीदास के लिखे रामचरितमानस (16 वीं शताब्दी के महाकाव्य जेकर अरथ भगवान राम के कर्म के सरोवर आय) मं येला आदि गंगा कहे गे हवय -  जऊन ह गंगा ले पहिली आय रहिस.

ये नदिया ह उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला के पिहानी ब्लाक के बिजगवां गांव के एक ठन तरिया ले निकरथे. येकर सुरु के 3 कोस (10 किमी) मं येला झाबर (तरिया) कहे जाथे. येकर पहिली येकर नाम सबले चलन मं रहिस. ये ह लखनऊ अऊ उन्नाव जिला के बीच मं सरहद बनावत करीबन 2 सो कोस (600 किमी) गुजरथे. राज के रजधानी लखनऊ हरदोई ले करीबन 36 कोस (110 किमी) भंडार दिग मं हवय अऊ उन्नाव जिला 40 कोस ले जियादा (122 किमी) दूरिहा हवय.

जौनपुर जिला के राजेपुर गांव मं गोमती (गंगा के सहायक नदी) के संग अपन उद्गम स्थल ले येकर संगम तक, सई करीबन 250 कोस (750 किमी) हवय. किंदरत जाय सेती ये ह बनेच लंबा दूरिहा हवय.

हरदोई जिला ह करीबन 42 कोस (126 किमी) लंबा अऊ 25 कोस (75 किमी) चाकर हवय, अऊ येकर अकार ह एक किसम ले चकोन हवय. इहाँ 41 लाख लोगन के घर हवंय. येकर अधिकतर मजूर बनिहारी करथें, येकर बाद किसान अऊ घरेलू उदिम के मजूर आथें.

1904 मं छपे आगरा अऊ अवध के संयुक्त प्रांत के जिला गजेटियर के हरदोई ए गजेटियर के मुताबिक, सई के कोरा “जिला के बीच हिस्सा मं बगरे हवय.”

राजपत्र नोट कहिथे: हरदोई मं खेत के जमीन धनहा हवय फेर ... कतको छिछला जगा ले कटे हवय, बंजर टिसर के सरलग हिस्सा ... ढाक अऊ झाड़ी वाले जंगल के कतको भाग ... हवय. ये ह सई के घाटी बनाथे.

78 बछर के अवस्थी एक ठन मेडिकल डॉक्टर (एनेस्थेटिस्ट)आंय. ओकर जनम माधोगंज ब्लॉक के कुरसाठ बुज़ुर्ग गाँव के परौली मं होय रहिस. ये ह टोला पुल ले करीबन 500 मीटर दूरिहा मं हवय, जेन ह अब तक ले बसे हवय.

Left: The great length of the Sai river is caused by its meandering nature.
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Right: Surendra Nath Awasthi standing on the bridge with the Sai river running below. The bridge is located between the villages of Parauli and Band
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डेरी: सई नदी ह किंदरत जाय सेती लंबा हवय. जउनि : सुरेंद्र नाथ अवस्थी तरी मं बोहावत सई नदी के पुल मं ठाढ़े हवंय. ये पुल ह परौली अऊ बांद के गांव के बीच मं बसे हवय

साल 2011 के जनगणना मं कुरसठ बुज़ुर्ग के अबादी 1, 919  दरज करे गे हवय. परौली के अबादी 130 हवय जेन मं चमार (अनुसूचित जाति) अऊ विश्वकर्मा (अन्य पिछड़ी जाति) के संग खास करके बाम्हन बगरे हवंय.

अवस्थी जऊन पुल ऊपर ठाढ़े हवय, वो ह परौली अऊ बांद गांव के बीच मं हवय. ये ह बाद मं कछौना ब्लॉक मं बसे हवय. कछौना एक ठन महत्तम बजार रहिस  (हवे घलो) जिहां किसान मन अपन उपज बेंचे ले जाथें अऊ खातू बिसोथें. पुल नई होय बखत कुरसठ बुज़ुर्ग अऊ कछौना 8 कोस (25 किमी) दूरिहा रहिस. ये पुल बने के बाद ये ह 4 कोस होगे हवय.

कुरसठ अऊ कछौना (अब बालामऊ जंक्शन के रूप मं जाने जाथे) के रेल टेसन के मंझा मं एक ठन रेल के पुल रहिस, जऊन मं लोगन मन आवत-जावत रहिन. वो बखत के डोकरा सियान मन लकरी के तख्ता ले बने ये पुल ले कारोबार सेती ऊँट मं ला सुरता करथें. फेर 1960 मं, एक ठन बड़े भयंकर मानसून सेती वो पुल ह बोहा गे – येकर ले ये दू जगा के मंझा के जल्दी जाय के 3 कोस के रद्दा खतम होगे.

नवा पुल के बिचार सबले पहिली त्यागी ला आइस, जऊन ह माधोगंज ब्लॉक के सरदार नगर गांव मं एक ठन प्रायमरी स्कूल मं गुरूजी रहिस. वो ह परौली ले एक कोस ले थोकन जियादा दूरिहा आज के आजाद नगर शहर मं रहत रहिस.

त्यागी 1945 मं जन्मे ये रिटायर गुरूजी के परिवार के उपनाम नो हे. वो नाम सिंह आय. त्यागी नांव –तियाग ले लेय गीस काबर वो ह अपन लोगन मन के बेहतरी सेती कुछु घलो करे ला तियार रहेव. जब वो ह 2008 मं रिटायर होईस, वो बखत वो ह जूनियर हाई स्कूल के हेडमास्टर रहिस, जिहां वो ह पढ़ाय ला सुरु करे रहिस.

त्यागी कहिथें, “मंय एक ठन बनेच गरीब परिवार मं जन्मे रहेंव, फेर ये ह मोर बने काम करे के साध ला कम नई करिस.” उमर के संग वो ह अतक कमजोर होगे हवे के वोला चले मुस्किल होगे हवय. एक बेर ओकर घर के दूनों भैंइसी आजाद नगर के माई रद्दा मं होय खंचवा मं बोजा गें. जोर ले खीच-खांच के वो मन ला बहिर निकारे गीस, त्यागी ह अपन ददा मोहन सिंह के पीरा भरे अवाज ला सुनिस. “का कभू अइसने बखत आही जब ये रद्दा मं चले खतरा ले भरे नई होही?”

त्यागी कहिथे, “ये ह मोर मन मं चुभ गे अऊ मंय खंचवा ला पाटे सुरु कर देंव. ये ह छे फीट गहिर अऊ येकर ले दुगुना लंबा रहिस. हरेक बिहनिया स्कूल जाय के पहिली अऊ लहुंटत मंय तीर के तरिया किछ्द का ताल ले माटी ला लाके पाट देवत रहेंव. येकर बाद एक खंचवा ले दूसर खंचवा. दीगर लोगन मन घलो ये मं जुरे लगिन.”

Left: Jagdish Prasad Tyagi retired as the headmaster of the junior high school where he began his career in 2008.
PHOTO • Rana Tiwari
Right: Surendra Nath Awasthi and Jagdish Prasad Tyagi talking at Tyagi's house in Azad Nagar, Hardoi
PHOTO • Rana Tiwari

डेरी : जगदीश प्रसाद त्यागी जूनियर हाई स्कूल के हेडमास्टर के रूप मं 2008 मं रिटायर होईस जिहां वो ह अपन पढ़ाय के काम सुरु करे रहिस. जउनि : सुरेंद्र नाथ अवस्थी अऊ जगदीश प्रसाद त्यागी हरदोई के आजाद नगर मं त्यागी के घर मं गोठियावत

वो अपन गाँव के संगी-संगवारी मन के सेती कतको दीगर बूता करत रहिस. एक गुरूजी होय के नाते ये ह असान रहिस, वो ह मान-सम्मान वाले मनखे रहिस. ये काम मं बीमारी के जाँच सेती नजीक के सरकारी सकुन ले डॉक्टर मन ला लाय,  ब्लीच पाउडर छिंचे, टीकाकर्ण सेती गाँव के लइका मन ला संकेल के रखे अऊ इहाँ तक ले अपन गांव ला शहरी इलाका मं शामिल करे घलो रहिस. बाद मं वो ह सरकारी निर्मान काम के अचानक जाँच करे के जिम्मा घलो अपन ऊपर ले लीस.

अवस्थी अऊ त्यागी 1994 तक ले एक दूसर ला निजी ढंग ले नई जानत रहिन. वइसे एक दूसर ला जानत रहिन. अपन गांव के पहिली डॉक्टर अवस्थी ह तब तक जियादा करके विदेश मं (नाइजीरिया, यूनाइटेड किंगडम अऊ मलेशिया मं) काम करे रहिस. वो ह अपन भीतर नंदिया के तऊन पीरा ला धरे रहिस जेन ह बड़े स्कूल के पढ़ई ला असंभव बना दे रहिस, खास करके गांव के स्कूल के पढ़ेइय्या नोनी मन के सेती. येकरे सेती वो ह अपन भाई नरेंद्र ले, जऊन ह इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहिस, ले एक झिन डोंगहार खोजे ला कहिस, जेन ह बरसात के बखत पढ़ेइय्या लइका मन ला नदिया के वो पार ले जाय. अवस्थी ह लकरी के डोंगा सेती 4,000 रूपिया दीस.

स्कूल के ड्यूटी करे के बाद डोंगहार, छोटाई ह बाकी दिन भर सेती जियादा भाड़ा लेय सेती अजाद रहिस- फेर करार ये रहिस के वो कभू घलो स्कूल के दिन ला नागा नई करे सके. बाद मं डोंगा अलग होगे, फेर अवस्थी ह 1980 मं अपनेच गांव मं मिडिल स्कूल खोलिस, जेकर नांव ओकर बबा अऊ डोकरी दाई के नांव मं रखे गे रहिस - गंगा सुग्रही स्मृति शिक्षा केंद्र. 1987 मं, स्कूल ला उत्तर प्रदेश राज्य हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड ले मान्यता मिल गीस. येकर बाद घलो ये दिक्कत हलाकान करेइय्या रहिस के दूसर मन पढ़े ला परौली कइसने आहीं.

जब अवस्थी अऊ त्यागी आखिर मं भेंट परिन त वो मन फइसला करिन के नवा पुल बिन येकर निदान  नई होवय. मरद लोगन के रूप मं वो जियादा अलग नई होय सकत रहिन. अवस्थी ह नंदिया मं हाथ गोड़ मारके तइरे ला सीखे रहिस, फेर त्यागी ह कभू अपन गोड़ के अंगूठा ला घलो पानी मं बूड़ोय के हिम्मत नई करे रहिस. अवस्थी अपन सरकारी नऊकरी ला देखत आन्दोलन मं सबले आगू नई रहे सकत रहिस, फेर त्यागी ह सिरिफ आगू ले अगुवई करे ला जानत रहिस. दू असंभावित फेर प्रतिबद्ध मइनखे भेंट होइन अऊ  'क्षेत्रीय विकास जन आंदोलन' (केवीजेए) के जनम होईस.

केवीजेए के सदस्यता ला गिने नई जाय सकिस, फेर बढ़त रहय. त्यागी ह चुनाव लड़े नई सकत रहिस. वो ह अपन दाई ला नगर निगम के चुनाव मं ठाढ़ होय ला मनाइस जेकर ले बढ़िया विकास काम करे जाय सके. भगवती देवी पांच वोट ले हारत दिखत रहिन, फेर उप जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के अदालत मं करे गे अपील ले ओकर पक्ष मं फइसला होईस. 1997 ले 2007 तक, वो ह टाउन एरिया चेयरमैन के रूप मं काम करिन.

सबले पहिली, केवीजेए के पंजीयन होना रहिस. फेर, लखनऊ मं अवस्थी के असरदार हैसियत के बाद घलो नई हो सकिस. येकरे सेती नेता अऊ विधायक मन ला निशाना मं लेवत आन्दोलन ह ‘विकास नई त वोट नई’ अऊ ‘विकास करो धन गद्दी छोड़ो’ के नारा मं बदल गे.

'हमन ओकर ले मया करत रहेन. ओकरे सेती हमर चुंवा मं सिरिफ 10 फीट मं पिये के पानी आवत रहिस. हरेक बरसात मं, वो ह हमर घर तक ले हबर जावत रहय'

देखव वीडियो : नंदावत जावत सई

अभू घलो बिना पंजीयन के ये संगठन के पहिली बैठक मं असर परेइय्या 17 गाँव के करीबन 3,000 लोगन मन भगवती देवी ला सुने परौली पहुँचिन. परचा बांटे गीस. ये पढ़े गीस, अपन देह अऊ मन ले हमन अपन आप ला ये आन्दोलन सेती समर्पित करत हवन. हमन पाछू नई हटन. ये प्रतिज्ञा पत्र ला हमन अपन खून ले दसखत करबो. जब तक बंद अऊ परौली के बीच मं पुल नई बनय तब तक ले कऊनो उपाय नई ये. ये ला 'लाल होगा हमारा झंडा, क्रांति होगा काम' के संग दस्तखत करे गे रहिस.

अइसने 1,000 ले जियादा परचा बांटें गीस अऊ हरेक मं लोगन मन खून ले अपन दसखत करिन धन अपन अंगूठा लगाइन.

येकर बाद पुल के असर वाले सब्बो 17 गाँव के दौरा करे गीस. “लोगन मन अपन सइकिल, सुपेती धरिन अऊ चले लगिन. कऊनो बड़े तैय्यारी के कऊनो जरूरत नई रहिस,” त्यागी सुरता करथें. जऊन गांव मं यात्रा होय ला रहे उहाँ संदेसा भेजे जाही अऊ उहाँ के बासिंदा मन ला बताय डुगडुग्गी (छोटे ढोल) बजाय जाही.

अगला कदम नदिया पार मं धरना देय रहिस – त्यागी के दाई के अगुवई मं, जेकर बड़े मान-सम्मान रहिस. अवस्थी ह नदिया पार के अपन खेत ला धरना सेती दे दीस. धरना स्थल मं बांस के डंडा लगाय गीस. रतिहा बखत धरना देवेइय्या लोगन मन के सेती पैरा छवाय गे रहिस. सात झिन के मंडली चौबीसों घंटा जमे रहे –विद्रोह के गीत गावत. जब माईलोगन मन बइठेंव त वो मन भजन गावत रहिन. ओकर चरों डहर मरद मनखे मन के घेरा बने रहे जेकर ले ये तय करे जा सके के कऊनो खराब घटना झन होय. जिला पुलिस के इहाँ के खुपिया पुलिस ह येकर जाँच पड़ताल करत रहय, फेर कऊनो अफसर धन चुने गे प्रतिनिधि प्रदर्सन करेइय्या मन के बात सुने ला नई आइन.

ये विरोध के बीच मं 1996 के विधानसभा चुनाव आ गीस, गांव के लोगन मन येकर बहिष्कार करिन. वो मन न सिरिफ वोटर मन ला वोट नई डारे के अपील करिन, फेर वोट डारे के बहाना मं मतपेटी मं पानी घलो डारिन. स्कूल के लइका मन बोरी मं भरके राज के राज्यपाल मोतीलाल वोरा ला 11,000 चिठ्ठी लिखिन.

तब अवस्थी अऊ त्यागी ह ये लड़ई ला लखनऊ ले जाय के फइसला करिन. येकर पहिली, त्यागी ह कलेक्टर अऊ एसडीएम ला चिठ्ठी लिख के चेताय रहिस के गर आगू घलो अनदेखी करे जाही त लोगन मं अपन ताकत दिखाय सेती तियार हवंय. लखनऊ जाय के पहिली करीबन 3 कोस (आठ किमी) दूरिहा माधोगंज शहर मं एक ठन सइकिल रैली के जरिया ले आखिरी कोशिश करे गे रहिस. जब करीबन 4,000 साइकिल पोस्टर, बैनर धरके भीड़ के संग दिखीन, त मीडिया ह येकर डहर चेत करिस. इहाँ के कतको रिपोर्ट मं ये मुद्दा ला लिखे गीस. कुछेक आन्दोलन करेइय्या मन के ये दुस्साहस भरे ऐलान के जानकारी घलो मिलिस के गर पुल के मांग नई मने जाही त वो मन डीएम के जीप ला नदी मं धकेल दिहीं.

कुछेक हफ्ता बाद, 51 ट्रेक्टर मं डीएम दफ्तर के बहिर घेराव करे गीस. फेर वो अफसर ह प्रदर्सन करेइय्या मन ले मिले ला बहिर आय ले इंकार कर दीस.

Left: Jagdish Tyagi (white kurta) sitting next to Surendra Awasthi (in glasses) in an old photo dated April 1996. These are scans obtained through Awasthi.
PHOTO • Courtesy: Surendra Nath Awasthi
Right: Villagers standing on top of a makeshift bamboo bridge
PHOTO • Courtesy: Surendra Nath Awasthi

डेरी: जगदीश त्यागी (सफेद कुर्ता) अप्रैल 1996 के एक ठन जुन्ना फोटू मं सुरेंद्र अवस्थी (चश्मा पहिरे) के बगल मं बइठे हवंय. ये ह अवस्थी के करे स्कैन आय. जउनि : बांस के अस्थायी पुल ऊपर ठाढ़े गांव के लोगन मन

Surendra Nath Awasthi standing with villagers next to the Sai river
PHOTO • Rana Tiwari

सई नदी के पार मं गांव के लोगन मन के संग ठाढ़े सुरेंद्र नाथ अवस्थी

अब अगला डेरा लखनऊ मं राज्यपाल के आवास रहिस. मांग पत्र छपवाय गीस, खून ले दसखत करे गीस अऊ हरेक गाँव के लोगन मन ला जाय सेती तैय्यार करे प्रभारी ला सौंपे गीस. माई लोगन मन ला अलग रखे ला रहिस, फेर त्यागी के दाई अइसने कुछु घलो मनेइय्या नई रहिस. वो ह जोर देवत कहिस के वो जिहां घलो जाही ओकर बेटा जाही.

अप्रैल 1995 मं कऊनो बखत परौली ले करीबन 7 कोस दूरिहा संडीला मं 14 बस ठाढ़े रहिस. वो ला राज के रोडवेज निगम के एक ठन अधिकारी डहर ले गुमनाम ढंग ले बेवस्था करे गे रहिस. बिहनिया 5 बजे वो मं लखनऊ हबरिन. फेर कऊनो घलो प्रदर्सनकारी ला शहर के चरों डहर के रद्दा मालूम नई रहिस, बिहनिया करीबन 11 बजे महात्मा गांधी मार्ग मं गवर्नर हाउस पहुंचे के पहिली थोकन यती वोती भटके लगीन.

त्यागी कहिथे,” तबाही मच गे. देखतेच-देखतेच पुलिस के 15 जीप ह हमन ला घेर लीन. कुछेक पुलिसवाला मन घोड़ा मं आय रहिन. वाटर कैनन निकारे गीस. मोला एक झिन पुलिसवाला चरों डहर ले घसीटे लगिस,जब तक ले मोर दाई नरियावत मोर ऊपर गिर गे के वो अपन बेटा ले पहिली जेल जाही.” कुछेक प्रदर्शनकारी भाग गीन. दीगर लोगन मन ला जगा मं पहुंचे हरदोई के राजनीतिक प्रतिनिधि मन बचा लीन. देह ले थके, फेर मन ले जीते, मंडली ह तऊन रतिहा 12 बजे हरदोई लहुंट गे. गेंदा के माला पहिरा के ओकर मन के परघनी करे गीस.

तब करीबन डेढ़ बछर ले पुल के लड़ई चलत रहिस. लखनऊ के घेराबंदी ह हलचल मचा देय रहिस.

सहकारिता मंत्री राम प्रकाश त्रिपाठी येकर तुरते बाद प्रदर्सनकारी तक ले पहुंचेइय्या पहिली मइनखे रहिस.वो ह सुनिस; लोक निर्माण विभाग के मंत्री कलराज मिश्र करा न सिरिफ ओकर मन के मांग लेके गीस, फेर ये बात ले घलो ताकिद कराय ला गीस के गर आन्दोलन चलत रही त ये इलाका मं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन खतम हो जाही.

येकर पहिली के मिश्रा दखल कर पातिस, प्रदर्सनकारी मं घोसना कर दे रहिन के वो मन अपन आप ला आगि लगा लिहीं अऊ मीडिया के आगू मं येकर घसना करे गे रहिस. पुलिस ह कार्रवाई करिस अऊ त्यागी के भाई हृदय नाथ समेत कतको आंदोलनकारी मन ला गिरफ्तार कर लीस.

13 अगस्त, 1997 मं डीएम हरदोई के अगुवई मं एक ठन टीम ह आखिर मं प्रदर्शनकारी मन ले मिले के फइसला करिस. त्यागी ला नेता के रूप मं रखे गीस. लखनऊ मं आंदोलन सेती पइसा के जुगाड़ मं लगे अवस्थी ला थोकन राहत मिलिस. कुछेक महिना बाद, पुल के मंजूरी दे देय गे रहिस. वइसे, बनाय सेती देवेइय्या दू ठन क़िस्त विरोध के एक अऊ बछर बादेच आइस.

Left: Venkatesh Dutta sitting in front of his computer in his laboratory.
PHOTO • Rana Tiwari
Right: A graph showing the average annual rainfall in Hardoi from years 1901-2021

डेरी : वेंकटेश दत्ता अपन प्रयोगशाला मं अपन कंप्यूटर के आगू बइठे हवंय. जउनि : साल 1901-2021 ले हरदोई मं अऊसत सलाना बरसात ला बतावत ग्राफ

14 जुलाई, 1998 मं लोक निर्माण मंत्री के हाथ ले उद्घाटन सेती पुल बनाय गे रहिस. वोला बताय गे रहिस के गाँव के लोगन मन ओकर आभार जतावत सिक्का ले तौलहीं. फेर जब अइसने नई होईस, त वो ह अपन उद्घाटन भासन मं ओकर मजाक उड़ाय बिन नई रहे सकिस.

पुल सेती लड़ेइय्या सब्बो 17 गांव मन मं तिहर के दिन रहिस. अवस्थी ह सुरता करत कहिथे, “देवारी ले कहूँ जियादा अंजोर ले भरे, होली ले जियादा रंगीन.”

करीबन ओकर तुरते बाद सई सिकुड़े लगिस. बरसात के पानी के भरोसा के नदी जेन ह कभू बछर भर ले बहुत बढ़िया ढंग ले बोहावत रहिस अऊ बरसात मं पुर आ जावत रहिस, बछर बीते के संग कमजोर होवत जावत रहिस.

ये ह सई सेती बड़े किस्मत के बात नो हे - वेंकटेश दत्ता , प्रोफेसर, स्कूल फॉर एनवायरनमेंटल साइंसेज, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, कहिथें: “आंतरायिकता का एक ठन वैश्विक चलन आय.  एक बेर बारहमासी नदिया मन के (सई जइसने) के बोहाय ह बरसात के भरोसा अऊ धीरे पर गे हवय. 1984 ले 2016 तक के आंकड़ा ये बात के गवाही देथें के भूजल अऊ बेसफ्लो दूनों घटत हवंय.”

बेसफ्लो भूईंय्या के पानी आय जेन ह बीते बरसात का बाद घलो लंबा बखत तक ले बोहावत रहिथे, फेर भूजल भूईंय्या के भीतरी के पानी आय –वो खजाना जेन ला नदिया के सूखे ले कोड़े के जरूरत परथे. बेसफ्लो आज के नदिया आय, भूजल-अगम के नदिया.1996 ले बीते 20 बछर मं, उत्तर प्रदेश मं बरसात मं 5 फीसदी के कमी आय हवय.

उत्तर प्रदेश मं भूजल के हालत ऊपर जुलाई 2021 मं जारी वाटरएड रिपोर्ट मं लिखे हवय, “...जल स्तर मं तेजी ले गिरावट ह राज के भूजल आश्रित नदिया मन ला गहिर ले असर डारे हवय, प्राकृतिक निर्वहन के रूप मं भूजल तंत्र ले नदिया डहर आधार प्रवाह, अऊ ओद्दा भूईंय्या मं बनेच कमी आय हवय धन करीबन नंदा गे हे.  जल निकाय अऊ ओकर पानी भराव इलाका मं बड़े पैमाना मं होय बेजाकब्जा ह ये दुख ला बढ़ा दे हे .... कम आधार प्रवाह भूजल ऊपर आसरित नदिया मन के अऊ ओकर इकोलाजिकल प्रवाह के संगे-संग सतह के जमाव ला घलो असर डारत हवय. गोमती नदी अऊ ओकर सहायक नदिया मन के संगे संग राज के कतको नदिया भूजल ले बोहाथें, फेर नदी के पानी भराव के इलाका के घटती अऊ बाद मं भूजल स्तर मं गिरावट ह नदिया मन के बोहाय मं महत्तम कमी ला गहिर ले असर डारे हवय.

ये आपदा ला छोड़ के जिला के तीसर समस्या के सामना करे ला परिस. एक ठन अध्ययन ले पता चले हवय के हरदोई ह 19 97 अऊ 2003 के मंझा मं अपन 85 फीसदी ओद्दाभूईंय्या ला गंवा दीस.

Left: Shivram Saxena standing knee-deep in the Sai river.
PHOTO • Rana Tiwari
Right: Boring for farm irrigation right on the banks of the river
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डेरी : शिवराम सक्सेना माड़ी तक ले नदिया मं ठाढ़े हवंय. जउनि: नदी के पार के खेत मं अपासी सेती लगे पंप

परौली मं विज्ञान ला गहिर ले नई जनेइय्या मन ला घलो ये बदलाव दिखत हवय. जइसने के, सिरिफ 20 बछर मं, गांव के सब्बो छे ठन चुंवा सूखा गे हें. चुंवा मन मं होय सब्बो रित-रिवाज ( जइसने के नवा दुल्हिन के पूजा पाठ) ला छोड़ दे गे हे. घाम के महिना मं नदी के धार कम पर जाथे.

47 बछर के शिवराम सक्सेना जइसने किसान, जेन ला घाम मं नदिया मं तइरे भारी भावत रहिस, अब ये मं गोड़ धरे ले हिचकत हवंय, इहाँ के एक ठन फोटू खींचे सेती घलो. “ये ह सुग्घर, साफ नदिया नई ये जेकर संग मंय बड़े होय हवं,” वो ह माड़ी भर पानी मं ठाढ़ होके कहिथें, ओती ओकर पाछू मं मवेसी के  लाश उफलत हवय.

अवस्थी के ददा देवी चरण पत्रौल (सरकार के करमचारी जेन ह सिंचाई विभाग सेती जमीन नापथे)  रहिस. वो ह अपासी सेती परौली के पानी ला ले जाय सेती एक ठन छोटे नहर बनवाय रहिस. वो नहर अब सूखा गे हवय.

येला छोड़ के, नदिया पार खेत मं मं पानी ले जाय सेती डीजल वाले पानी पंप लगाय गे हवंय.

सई तीर लड़ेइय्या मन के अपन अलग मंडली रहिस. ये मं राज्य विधान परिषद के पूर्व सदस्य (1996 -2002) 74 बछर के विंध्यवासनी कुमार हवंय, जऊन ह 2013 मं नदिया पार के 241 कोस (725 किमी) के यात्रा करे रहिस. ओकर चार कोरी दू (82 ठन) जनसभा अऊ ओकर लगाय हजारों रुख के बखत ये संदेशा रहिस के जब तक ले येकर सहायक नदिया मं ला बचाय नई जाही तब तक ले गंगा ला बचाय संभव नई होही.

प्रतापगढ़ जिला मं जन्मे कुमार कहिथें, “मंय अपन जिनगी मं नदिया मन ला धीरे-धीरे मरत देखे हवंव. वो मन सिकुड़ हगे हवंय, पानी के स्रोत सूख गे हवंय, कारखान मं के कचरा अऊ मलबा अंधाधुंध फेंके गे हवय, खेती सेती नदिया के पार मं बेजा कब्जा करे गे हवय, धरती के गरभ के भारी दोहन करे गे हवय ... ये ह एक ठन त्रासदी आय जऊन डहर हमर नीति नियम बनेइय्या मन धियान देय ला नई चाहंय." सई प्रतापगढ़ जिला ले घलो बोहाथे.

वइसे नीति-नियम बनेइय्या मन हमर नंदावत जावत नदिया के पीरा ला चेत नई धरें,फेर वो मन अपन काम करे के दावा जरुर करथें.

Old photos of the protest march obtained via Vindhyavasani Kumar. Kumar undertook a journey of 725 kms on the banks of the river in 2013
PHOTO • Courtesy: Vindhyavasani Kumar
Old photos of the protest march obtained via Vindhyavasani Kumar. Kumar undertook a journey of 725 kms on the banks of the river in 2013
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विंध्यवासनी कुमार ले मिले विरोध रैली जे जुन्ना फोटू. कुमार ह 2013 मं नदिया तीर के  241 कोस (725 किमी) के  यात्रा करे रहिस

'Till children do not study the trees, land and rivers around them, how will they grow up to care for them when adults?' says Vindhyavasani Kumar (right)
PHOTO • Courtesy: Vindhyavasani Kumar
'Till children do not study the trees, land and rivers around them, how will they grow up to care for them when adults?' says Vindhyavasani Kumar (right)
PHOTO • Rana Tiwari

'जब तक बच्चे अपने आसपास के पेड़ों, जमीन और नदियों का अध्ययन नहीं करेंगे, तब तक वे बड़े होकर उनकी देखभाल कैसे करेंगे?' विंध्यवासिनी कुमार (डेरी)

1 नवंबर, 2022 मं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ह भारत जल सप्ताह के मऊका मं बोलत दावा करिस के बीते कुछेक बछर मं राज के तीन कोरी (60) ले जियादा नदिया ला पुनर्जीवित करे गे हवय.

प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता कहिथें के नदिया मन के कायाकल्प कऊनो जादू नई ये जेन ला कुछेक बछर मं हासिल करे जा सकथे. “बड़े बांध, झील, तरिया अऊ झरना ले सिरिफ प्राकृतिक पुनर्भरण ह हमर नदिया मन मं फिर ले पानी लाय सकथे. फसल बदले ला होही. सटीक अपासी के जरिया ले पानी बऊरे ला बनेच अकन कम करे जाय ला चाही. अऊ येकर बाद घलो, एक ठन नदिया ला जियांय मं 15-20 बछर लाग जाही.” वो ह नदिया मन ऊपर राष्ट्रीय नीति की कमी के दुख जताथें.

विंध्यवासनी कुमार के कहना आय के स्कूली स्तर मं उहाँ के भूगोल ला पढ़ाय जरूरी बनाय लंबा बखत के समाधान आय. "जब तक ले लइका मन अपन तीर-तखार के रुख-रई, भूईंय्या अऊ नदिया मन ला नई पढ़हीं, तब वो मं बड़े होके ओकर देखरेक कइसने करहीं?” वो ह सवाल करथें.

राज के भूजल विभाग के पूर्व वरिष्ठ हाइड्रोलॉजिस्ट अऊ ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप के संयोजक रवींद्र स्वरूप सिन्हा कहिथें के नदिया मन ला पुनर्जीवित करे सेती ‘सब्बो नजर’ ले देखे के जरूरत हवय.

"गंगा जइसने बड़े नदिया मन ला तब तक ले पुनर्जीवित नई करे जा सकय जब तक ले ओकर पेट भरेइय्या छोटे नदिया मं ला पुनर्जीवित नई करे जाही. सब्बो नजर ले देखे मं डेटा समेकन, विश्लेषण अऊ प्रबंधन शामिल होही; स्थायी निकासी के सीमा बनाय, मांग ला कम करे, कम निकासी अऊ भूजल पुनर्भरण सेती काम के सब्बो चीज, भूजल अऊ सतह के पानी जरूरत मुताबिक  बऊरे."

सिन्हा कहिथें, “सिरिफ नदी ले गाद निकारे अऊ जलकुंभी ला हेरे अस्थायी उपाय आय, जेकर ले कुछु बखत सेती पानी के बहाव ह बढ़ जाथे.”

वो ह कहिथें, “भूजल, बरसात अऊ नदिया के बीच मं चक्रीय संबंध रहिस जऊन ह टूट गे हवय.”

Left: There is algae, water hyacinth and waste on the river.
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Right: Shivram Saxena touching the water hyacinth in the Sai
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डेरी : नदिया मं शैवाल, जलकुंभी अऊ कचरा हवय. जउनि : शिवराम सक्सेना सई मं जलकुंभी ला छूवत

ये टूटे ह दू कारन – मइनखे के कारोबार के नतीजा अऊ मइनखे के काबू ले बहिर के सेती आय.

सिन्हा कहिथें, “हरित क्रांति ह भूजल ऊपर हमर आसरित होय ला बढ़ा दे हवय. रुख कम होगे हवंय. बरसात के तरीका बदल गे हे – बने दिन तक ले बगर के बरसे के बदले कुछेक दिन के होगे हवय. येकर मतलब आय के बरसात के अधिकतर पानी बोहा जाथे, काबर येकर करा जमीन भीतरी समाय के बखत नई रहय. भूजल दुब्भर हो जाथे अऊ अइसने करके हमर नदिया मन के पेट भरे सेती भरपूर नई ये.”

येकर बाद घलो, विकास के नीति मं सायदेच भूजल ला एक ठन कारक मानथें. सिन्हा दू ठन उदाहरन देथें – एक, मौजूदा सरकार के राज मं बोरिंग के संख्या 10,000 ले बढ़ा के 30,000 करे. अऊ दूसर. हर घर जल योजना जेकर उद्देश्य हर घर पानी पहुंचाय आय.

सिन्हा नदिया मन के नक्सा, भूजल के हालत, आकृति विज्ञान अऊ गोल्लर के डीला जइसने झील मन (उपग्रह ले लेय मानचित्र के जरिया ले) समेत कतको जरूरी काम के सूची बताथें.

अब तक, सब्बो नजर ले जियादा देखत आगू बढ़े के छोड़ सरकार आंकड़ा मं उलझे मं लग गीस. जइसने के, 2015 मं डार्क जोन ( जिहां भूजल के स्तर खतरनाक स्तर तक चले गे हवय) के गणना मं, सरकार ह भूजल निकारे के उपाय ला खतम करे के फइसला करिस. तब ले ये सिरिफ भूईंय्या मं रिसे पानी के अनुमान के भरोसे हवय.

आज़ाद नगर मं, बीमार परे त्यागी खुश हवय के वो ह अब सई तीर नई जाय सकय. वो ह कहिथे, “मंय येकर हालत के बारे मं जऊन सुनथों, वो ला देखे भारी पीरा ले भरे होही.”

अवस्थी के कहना आय के नदिया ला रोके (पुल अऊ नहर समेत) के मइनखे के कोशिश सायदे एक ठन अलहन रहिस. वो ह कहिथे, “हमर करा पुल हे, फेर ओकर तरी कऊनो नदिया नई बोहावय. येकर ले बड़े पीरा अऊ काय हो सकत हवय.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Rana Tiwari

Rana Tiwari is a freelance journalist based in Lucknow.

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Photographs : Rana Tiwari

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P. Sainath is Founder Editor, People's Archive of Rural India. He has been a rural reporter for decades and is the author of 'Everybody Loves a Good Drought' and 'The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom'.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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