सिरिफ एक ठन चीज जेन ला वो हा पढ़ धन लिख सकते वो ह आय ओकर नांव. वो ये ला बड़े गरब ले हिंदी मं बड़े धियान देके दबा दबा के लिखथे: गो-पु-ली. फेर ओकर बाद हँसी के फोव्वारा छूट परथे. वो हांसी जेन मं आत्मविस्वास बगरत रहय.

38  बछर के अऊ चार लइका के महतारी गोपली गमेती कहिथे के माईलोगन मन अपन मन लगाके सब्बो कुछु घलो कर सकत हवंय.

उदयपुर जिला के गोगुंडा ब्लॉक के करदा गांव के बाहरी इलाका मं बसे 30 ठन घर के ये बस्ती मं गोपली ह अपन चारों लइका ला अपन घर मं जन्म देय रहिस, समाज के बस्ती के माई लोगन मन मदद करे रहिन. अपन चऊथा लइका अऊ तीसर नोनी ला जनम करे के कुछेक महिना बाद, पहिली बेर वो ह नसबंदी कराय ला अस्पताल पहुंचे रहिस.

वो ह कहिथे, अब ये माने के समे रहिस के अब हमर परिवार पूरा हो गे हवय. गोगुंडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के एक झिन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ह वोला "ऑपरेशन" के बारे में बताइस जेन ह अब गरभ ठहरे नई देय. ये ह मुफत रहिस, वो ला बस अतके करना रहिस के वो ह सरकारी अस्पताल मं पहुंच जाय, जेन ह ओकर घर ले 10 कोस दूरिहा रहिस. ये अस्पताल ह चार ठन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के देखरेख करत रहिस.

घर मं कतको बेर येकर सेती बात करिस फेर ओकर घरवाला धियान नई दीस. कुछेक महिना धीरज धरे अपन ला मजबूत करिस, जब वोकर सबले छोटे लइका ओकरेच दूध ऊपर आसरित रहिस त वो ह अपन ये फइसला लेय सेती सोचे मं भारी बखत लगाइस.

Gameti women in Karda village, in Udaipur district’s Gogunda block. Settled on the outskirts of the village, their families belong to a single clan.
PHOTO • Kavitha Iyer
Gopli Gameti (wearing the orange head covering) decided to stop having children after her fourth child was born
PHOTO • Kavitha Iyer

डेरी : उदयपुर जिला  के गोगुंडा ब्लाक के करदा गांव मं गमेती माइलोगन मन. गाँव के बहिर के इलाका मं  बसे, ओकर परिवार एकेच समाज के आंय. जउनि : गोपली गमेती (मुड़ी मं नारंगी रंग के फरिया) ह अपन चौथा लइका के जनम देय के बाद अऊ लइका नई जन्माय के फइसला करिस

“एक दिन मंय ये कहिके निकर परेंय के मंय नसबंदी कराय ला दवाखाना जावत हवंव.” वो ह सुरता करत हँसत, टूटे फूटे हिंदी अऊ भीली भासा मन बोलत रहिस. “मोर घरवाला अऊ सास मोर पाछू दऊड़त आ गे” सड़क मं सिरिफ थोकन कहा सुनी होईस फेर वो मन साफ समझ गे रहिन के गोपली ह अटल हवय. एकर बाद वो सब एके संग एक ठन बस मं बइठके गोगुन्दा सीएचसी सेती निकर गीन, जिहां गोपली के आपरेसन होइस.

अस्पताल (सीएचसी) मं उहिच दिन दीगर महतारी मन घलो नसबंदी करवावत रहिन, फेर वो मन ला ये पता नई रहिस के ये ह नसबंदी सिविर रहिस, अऊ न त वो मन ला सुरता हवय के वो दिन अस्पताल मं कतक दीगर माइलोगन मन रहिन. नान नान सहर मन मं नसबंदी सिविर, जिहां तीर तखार के गाँव के माइलोगन मन करवा सकत रहिन, गाँव के सरकारी अस्पताल के हालत मन ला देखत. फेर ये सिविर मन मं साफ सफाई के हालत अऊ नसबंदी के आंकड़ा बछरों बछर ले भारी चर्चा के मुद्दा बने हवय.

नसबंदी ह एक ठन स्थायी गरभ रोके के तरीका आय जेन मं माईलोगन के फैलोपियन ट्यूब ला बांध दे जाथे, 30 मिनट के ये आपरेशन ला 'ट्यूबल नसबंदी' धन 'महिला नसबंदी' घलो कहे जाथे. संयुक्त राष्ट्र के 2015 के एक ठन रिपोर्ट मं महिला नसबंदी ला दुनिया भर मं सबले लोकप्रिय गर्भनिरोधक विधि के रूप मं पाय गेय हवय, जेन मं 19 फीसदी बिहाये धन संग रहत माई लोगन मन चुनिन.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के मुताबिक, भारत मं 15 ले 49 बछर के उमर के 37.9 फीसदी बिहाय माइलोगन मन नसबंदी ला अपनाथें.

नारंगी रंग के घुंघट ले अपन आंखी तक ले माथा ला तोपे गोपली के ये बागी फइसला जइसने रहिस. बढ़िया तन्दुरुस्त होय के बाद घलो वो हा चऊथा लइका के जनम के बाद ले टूट गे रहिस. नसबंदी के फइसला के पाछू ओकर घर के माली हालत रहिस जेन ह बहुत बढ़िया नई रहिस.

ओकर घरवाला, सोहनराम, हा सूरत मं जाके रोजी मजूरी करथे, अऊ साल के जियादा बखत घर ले दूरिहा मं रथे, होली अऊ देवरी तिहार बखत एक–एक महिना बर लहुंट के आथे. जब वो ह अपन चौथा लइका के जनम के कुछेक महिना बाद घर आइस, त गोपली ह फिर ले गरभ नई धरे के फइसला करिस.

Seated on the cool floor of her brick home, Gopli is checking the corn (maize) kernels spread out to dry.
PHOTO • Kavitha Iyer
Gopli with Pushpa Gameti. Like most of the men of their village, Gopli's husband, Sohanram, is a migrant worker. Pushpa's husband, Naturam, is the only male of working age in Karda currently
PHOTO • Kavitha Iyer

डेरी : अपन ईंटा के घर के ठंडा भूईंया मं बइठे गोपली सुखोय सेती बगरे जोंधरा के के दाना ला देखत हवय. जऊनि : पुष्पा गमेती के संग गोपली. अपन गांव के बनेच अकन मरद मन जइसने, गोपली के घरवाला  सोहनराम एक झिन प्रवासी मजूर आय. पुष्पा के घरवाला नटुराम, अभी करदा मं कामकाजी उमर के एकेच मरद हवय

गोपली कहिथे, “लइका मन के लालन पालन मं कउनो कसिम के मदद सेती मरद मन कभू घलो तीर मं नई रहेंय”, गोपली जेन ह अभी अपन ईंटा के फूस छानी के घर के ठंडा भूईंया मं बइठे हवय. जोंधरा के दाना मन ला सूखाय सेती भूईंया मं बगराय हवय. जतके पईंत गरभ ले रहिस ओकर घरवाला सोहनराम नई रहत रहिस, फेर वोला अपन आधा बीघा (करीबन 0.3 एकड़) खेत अऊ दीगर लोगन मन के खेत मं बूता करय अऊ घर के देखभाल करत रहय. “अक्सर हमर करा अपन लइका मन ला खवाय सेती भरपूर पइसा नई रहय, त जियादा लइका जन्माय के का मतलब ? “

ये पूछे ले के का वो हा कउनो दीगर गर्भनिरोधक अजमाय हवय, वो ह लजावत मुचमुचावत रहिथे. वो अपन घरवाला के बारे मं कुछु बात करे ला नई चाहय,फेर वो ह कहिथे के समाज के माईलोगन मन ला लागथे के मरद मन ला कउनो किसिम के गर्भनिरोधक सेती मजबूर करना बेकार आय.

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रोयडा पंचइत के करदा गांव, अरावली के तलहटी मं बसे हवय, जेन ह परोसी राजसमंद जिला के पर्यटक कुंभलगढ़ किला ले करीबन 12 कोस दुरिहा हवय. करदा मं 15-20 परिवार के बड़े अकन कुनबा आय जेन मं भील समाज, एक ठन आदिवासी समाज आय. गाँव के बहिर इलाका मं बसे हरेक परिवार करा एक बीघा ले घलो कमती खेत हवय. ये समाज मं करीबन कउनो माईलोगन मन इस्कूल पूरा नई करिन, मरद मन के हालत घलो खास नई ये.

जून महिना का आखिरी ले सितंबर के बरसात के महिना ला छोड़ के, जब वो मन गहूँ के खेती करथें, मरद मन सायदेच कभू महिना भर ले जियादा बखत अपन घर मं रहिथें. खास करके कोविड-19 लॉकडाउन के मुस्किल महिना के बाद जियादा करके सुरत मं रहे ला लगे हवंय, जेन मन साड़ी काटे के कारखाना मं बूता करथें - इहाँ कपड़ा के लम्बा रिम ला हाथ ले छे मीटर लम्बा काटे जाथे, धरी मन ला सजाय जाथे. ये सब्बो बूता अकुशल मजूर मं आथे, जेकर रोजी 350-400 रुपिया मिलय.

गोपली के घरवाला, सोहनराम, अऊ दीगर गमेती मरद रकसहूँ राजस्थान के तउन लाखों मरद मजूर मन ले हवय, जेन मन दसों बछर ले सूरत, अहमदाबाद, मुंबई, जयपुर अऊ नई दिल्ली मं रोजी मजूरी करे सेती पलायन करे हवंय, जियादा करके माइलोगन मन ला अपन अबाद गाँव मं छोड़के.

वो मन के नई रहय ले, पूरा पूरी निरक्षर अऊ हाल के बछर मं थोकन आखर गियान राखत माइलोगन मन अपन जिनगी अऊ सेहत के देखभाल सेती फइसला खुदेच लेय ला सीख गे हवंय.

Pushpa’s teenage son was brought back from Surat by anti-child-labour activists before the pandemic.
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Karda is located in the foothills of the Aravalli mountain range, a lush green part of Udaipur district in southern Rajasthan
PHOTO • Kavitha Iyer

डेरी : पुष्पा के किशोर बेटे ला महामारी ले पहिली बाल-श्रम विरोधी कार्यकर्ता मन सूरत ले लहूँटा लाय रहिन. जउनि : करदा रकसहूँ राजस्थान मं उदयपुर जिला के हरा भरा इलाका अरावली पर्वत श्रृंखला के तलहटी मं बसे हवय

पुष्पा गमेती, अपन शुरुआत के 30 बछर मं तीन लइका के महतारी, जेन मं ओकर किसोर उमर के लइका घलो सामिल हवय, जेन ला बाल-श्रम विरोधी कार्यकर्ता मन महामारी ले ठीक पहिले सूरत ले लहूँटा लाय रहिन, के कहना आय के माइलोगन सेती घलो सोचना रहिस.

पहिले जब कउनो जरूरी इलाज के जरूरत परय त माई लोगन मन घबरा जावत रहिन. वो ह अपन संग गुजरे बात ला बतावत रहिस के जब कउनो लइका के जर ह कत को हफ्ता तक ले नई उतरय, धन खेत मं बूता करत घाव ले खून बोहाव बंद नई होवत रहय. पुष्पा कहिथे, “हमर संग कउनो मरद नई, इलाज सेती पइसा नई रहय अऊ ये घलो पता नई रहय के दवाखाना जाय सेती सवारी के कइ से इंतजाम करे जाय.” “धीरे-धीरे, हमन सब्बो कुछु सीख लेय हवन."

पुष्पा के सबले बड़े बेटा, किशन, फिर ले बूता सुरु कर दे हवय, ये दरी एक ठन परोसी गाँव मं माटी खने के मसीन के ड्राइवर के सहायक के रूप मं. अपन दूनो छोटे लइका मंजू अऊ मनोहर जेन मन 5 अऊ 6 बछर के हवंय, पुष्पा ह वो मन ला लेके डेढ़ कोस दूरिहा रोयडा गांव के आंगनवाड़ी जाथे.

वो हा कहिथे, “हमर बड़े बेटा सेती हमन ला आंगनवाड़ी ले कुछू नई मिलिस.” फेर हाल के बछर मं, करदा के जवान महतारी मन घुमावदार राजमार्ग के संगे-संग रोयडा तक ले संभलके चले ला सुरु कर दे हवंय, जिहां आंगनवाड़ी ह जचकी होय महतारी मन अऊ छोटे लइका मन ला ताते तात खाय ला परोसे. वो ह मंजू ला अपन पीठ मं धरके ले जावत रहेय. कभू-कभू वो मन ला मुफत सवारी घलो मिल जावत रहिस.

पुष्पा कहिथे, “ये हा कोरोना ले पहिली के बात रहिस.” लॉकडाउन गुजरे, मई 2021 तक ले, माईलोगन मन ला ये बात के जानकारी नई मिले रहिस के आंगनवाड़ी केंद्र मन फिर ले सुरु होगे हवंय धन नई.

जब किशन कच्छा पांच के बाद इस्कूल जाय ला छोर दीस अऊ अचानक एक ठन संगवारी संग काम करे सूरत निकल गे, त पुष्पा ला लगिस अब येकर ले कइसे निपटा जाए, येकर ऊपर परिवार के फइसला के कऊनो काबू नई रहिस. वो ह कहिथे, “फेर मंय छोटे मन बर फइसला लेके अपन काबू मं रखे के कोसिस करत हवंव.”

Gopli and Pushpa. ‘The men are never around for any assistance with child rearing.
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Gopli with two of her four children and her mother-in-law
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डेरी : गोपली अऊ पुष्पा. 'मरद मन लइका मन के पाले पोसे मं कउनो मदद सेती तीर मं कभू नई रहंय.’ जउनि : गोपली अपन चार लइका मन ले दू अऊ अपन सास के संग

ओकर घरवाला, नातुराम, अभी करदा मं अकेल्ला मरद मजूर हवय. 2020 के धूप कल्ला मं जब लॉकडाउन मं प्रवासी मजूर मन सूरत पुलिस ले भिड़ गे रहिन, वो ला देख के डरे नातुराम ह करदा के तीर तखार मं काम बूता खोजत हवय. फेर आभू तक ले ओकर किस्मत जियादा साथ नई दे हवय.

गोपली ह पुष्पा ला नसबंदी करवाय के फायदा बताय हवय. माइलोगन मन ला आपरेसन के बाद देखभाल के कमी (घाव धन संक्रमन, आंत मं रुकावट धन आंत के दिगर नुकसान अऊ पेसब थैली ला नुकसान) धन ये पद्धति मं गरभ निरोध फेल मारे के सम्भावना ले होय बीमारी अऊ दिक्कत के बारे मं सुने नई ये. गोपली ये नई माने के नसबंदी आपरेसन हा सिरिफ जनसंख्या ला काबू करे के एक ठन रणनीति आय. तसल्ली ले वो ह कहिथे, ”ये ह जम्मो चिंता के अंत आय.”

पुष्पा के तीनों लइका घर मं जन्मे रहिन; रिस्ता के एक झिन जेठानी धन बड़े उमर के महतारी ह नाल काटे रहिस अऊ आखिर मं 'लच्छा धागा' बांध देय रहिस, जेन ह हाथ मं बांधे के कलावा रहिस.

गोपली के कहना आय, आज के कम उमर के गमेती माइलोगन मन ला घर मं जचकी के जोखिम लेय ला नई परही. ओकर इकलौती बेटा बहू गरभ ले हवय. “हमन ओकर धन हमर अवैय्या लइका के सेहत संग कउनो खतरा नई उठावन.”

होवय्या महतारी जेन ह 18 बछर के हवय, अभी अरावली के एक ठन ऊँचा जगा मन बसे गाँव मं अपन मायका मं हवय. जिहां मुस्किल बखत मं तुरते इलाज सेती ले जाय मुस्किल हवय. “जब जचकी के बेरा आही त हमन वोला इहींचे लाबो, अऊ दू धन तीन झिन माइलोगन मन वोला टेम्पो ले दवाखाना ले जाबो.” टेम्पो मतलब इहाँ लोगन मन बर चलेइय्या बड़े तिपहिया गाड़ी ले हवय.

“वइसे घलो आज के टूरी मन दरद नई सहे सकंय,” गोपली ठट्ठा मार के हंसथे, दूसर माईलोगन मन जेन मन उहाँ संकलाय रहिन, ओकर परोसी अऊ रिस्तेदार रहिन, मुड़ी हलावत हांसे ला धरिन.

Bamribai Kalusingh, from the Rajput caste, lives in Karda. ‘The women from Karda go in groups, sometimes as far as Gogunda CHC’
PHOTO • Kavitha Iyer

बमरीबाई कालूसिंघ जेन ह राजपूत जाति के आय करदा मं रहिथे. कभू जरूरत परे ले 'करदा के माईलोगन मन दल बना के जाथें गोगुंडा सीएचसी'

बस्ती के दू धन तीन माई लोगन मन नसबंदी कराय हवंय, फेर माई लोगन मन येकर चर्चा करे ला नई चाहें. गोपली के मुताबिक, नवा जमाना के गरभ ले बचाय के दीगर तरीका ला आमतौर ले उपयोग नई करे जाय, 'फेर जवान माईलोगन मन सायेद जियादा हुसियार हवंय’

इहाँ के तीर के सरकारी अस्पताल (पीएचसी) करीबन 3 कोस दूरिहा नंदेशमा गांव मं हवय. करदा के जवान माइलोगन के गरभ होय के पुष्टि के बाद पीएचसी में पंजीकरन करे जाथे. वो मन ऊहाँ जाँच सेती जाथें अऊ गाँव मं अवेइय्या स्वास्थ्य कर्मी डहर ले बांटे कैल्शियम अऊ आयरन के खुराक ला झोंकथें.

राजपूत जात के अऊ गांव के बासिन्दा बमरीबाई कालूसिंघ कहिथे, ''करदा के माईलोगन मन दल बना के गोगुंडा सीएचसी तक जाथें.” वो ह कहिथे, अपन सेहत के बारे मं फइसला करे के जरूरत ह गमेती माइलोगन मन के जिनगी ला बदल दे हवय, जेन मन कभू गाँव ले बहिर जाय मरद बिना पांव नई राखत रहिन .

कल्पना जोशी, आजीविका ब्यूरो के उदयपुर इकाई के संग सामुदायिक आयोजक आय, जेन ह गमेती मरद समेत प्रवासी मजूर मन के संग काम करथे, के कहना आय के लंबा बखत ले अपन गाँव छोड़ के जाय मरद मन के माइलोगन मन मं फइसला  लेय के काबिलियत धीरे-धीरे बने हवय. वो हा कहिथे, “वो अब खुदेच जाने ला लगे हवंय के एम्बुलेंस सेती कइसने फोन करना हे. कतको खुदेच अस्पताल जाथें अऊ वो मन स्वास्थ्य कार्यकर्ता मन ले अऊ एनजीओ के प्रतिनिधि मन ले सफ्फा सफ्फा गोथियाथें.” वो ह कहिथे, “करीबन 10 बछर पहिली बात दूसर रहिस.” पहिली इलाज पानी ला मरद मन के सुरत ले लहूँटे तक ले टाल देवत रहिन.

बस्ती के दू धन तीन माई लोगन मन नसबंदी कराय हवंय, फेर माई लोगन मन येकर चर्चा करे ला नई चाहें. गोपली के मुताबिक, नवा जमाना के गरभ ले बचाय के दीगर तरीका ला आमतौर ले उपयोग नई करे जाय, "फेर जवान माईलोगन मन सायेद जियादा हुसियार हवंय" ओकर बेटा बहू ह बिहाव के करीबन बछर भर बाद गरभ ले हवय.

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करदा ले 5 कोस ले कमती दूरिहा मं बसे एक ठन गाँव मं पार्वती मेघवाल (बदले नांव) कहिथे के घरवाला के बहिर रहे ले घरवाली होय सेती हमेसा संसो लगे रहय. ओकर घरवाला गुजरात के मेहसाणा मं जीरा पैकेजिंग फेक्टरी मं बूता करत रहिस. कुछु बखत वो हा मेहसाणा मं चाहा के दुकान चला के ओकर संग रहे के कोसिस करिस, फेर वोला अपन तीन झिन लइका के पढ़ई सेती उदयपुर लहूँटे ला परिस.

2018 मं, जब ओकर घरवाला बहिर मं रहिस, तब येकर संग सड़क हादसा होगे. गिरते सात एक ठन खिला ओकर माथा मं लाग गे. वो ह बताथे, लगे हा ठीक होय के बाद अस्पताल ले वोला छुट्टी दे देय गीस. फिर वो ह दू बछर ले जियादा बखत तक ले वो ला कोन जनी का मानसिक बीमारी हो गे रहिस.

Parvati Meghwal (name changed) has struggled with poor mental health. She stopped her husband from migrating for work and now runs a little store in her village. ‘I don’t want to remain the left-behind wife of a migrant labourer’
PHOTO • Kavitha Iyer
Parvati Meghwal (name changed) has struggled with poor mental health. She stopped her husband from migrating for work and now runs a little store in her village. ‘I don’t want to remain the left-behind wife of a migrant labourer’
PHOTO • Kavitha Iyer

पार्वती मेघवाल (बदले नांव) मानसिक बीमारी ले जूझत हवय. वो हा अपन घरवाला ला बूता करे बहिर जाय ले रोक दीस अऊ अब वो ह अपन गाँव मं छोट अकन दुकान चलाथे. ‘मंय एक ठन प्रवासी मजूर के घरवाली होक रहे ला नई चाहंव’

वो ह कहिथे, “मंय हमेसा अपन घरवाला के बारे मं, लइका मन के बारे मं, पइसा के बारे मं संसो फिकर करत रहेंव, अऊ फिर ये हादसा हो गेय.” वो ह भारी अवसाद के समे रहिस. “मोर नरियाय अऊ करे गे काम ले हरेक कउनो डर गे रहिस; गाँव भर मं कउनो मोर ले नई मिलय. मंय अपन इलाज के सब्बो कागजात ला चीर देय रहेंय, नोट मन ला चीर देंय मंय अपन कपड़ा मन ला चीर देंय...” वोला ये सब बाद मं पता चलिस के वो ह अइसने काम करे रहिस अऊ अब वो अपन मानसिक बीमारी के बारे मं बताय ला सरमाथे.

वो ह कहिथे, "फिर लॉकडाउन हो गे, अऊ सब्बो कुछु फिर ले अंधेला हो गे. मंय एक ठन अऊ मानसिक रूप ले टूट गे रहेंव.” ओकर घरवाला ला 92 कोस (275 किलोमीटर) दुरिहा ले जियादा मेहसाणा ले रेंगत घर आय ला परिस. संसो ह पार्वती ला कोंटा मं राख दीस. ओकर सबले छोटे बेटा घलो उदयपुर मं रहिस, जिहां वो ह एक ठन होटल मं रोटी बनाय के बूता करत रहिस.

मेघवाल एक ठन दलित समाज आय, अऊ पार्वती के कहना आय के बहिर कमाय खाय जवेइय्या दलित मजूर मन के माईलोगन मन ला गाँव मं रोजी मजूरी भारी मुस्किल ले मिलथे. “एक ठन मानसिक बीमारी धन मानसिक बीमारी ले गुजरे दलित माईलोगन सेती, का तंय सोचे सकबे के वो ह कइसने रहिस?”

पार्वती ह एक ठन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अऊ एक ठन सरकारी दफ्तर मं चपरासिन रहिस. हादसा अऊ ओकर मानसिक बीमारी के बाद, वोला नौकरी बचा के रखे मुस्किल साबित होईस.

सन 2020 मं देवारी के लगालगी, जइसनेच लॉकडाउन हटिस, वो हा अपन घरवाला ले कहिस के अब वो हा वोला काम बूता करे सेती बहिर जाय ला नई देय. अपन परिवार अऊ सहकारी समिति ले करजा लेके, पार्वती ह अपन गाँव मन एक ठन नानकन किराना दुकान खोल लीस. ओकर घरवाला गाँव मं अऊ तीर तखार मं रोजी मजूरी पाय के कोसिस करथे. वो हा कहिथे, "प्रवासी मजदूर की बीवी नहीं रहना है. ये बहुते जियादा मानसिक चोट आय.”

येती करदा के माई लोगन मन मं ये धारना बन गे हवय के मरद के बिना रोजी रोटी भारी मुस्किल आय. गमेती के माईलोगन सेती रोजी रोटी के एकेच जरिया महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) हवय, करदा के बाहरी इलाका के बासिन्दा माईलोगन मन 2021 के आवत तक ले अपन-अपन हिस्सा के काम के 100 दिन पूरा कर ले हवंय.

गोपली कहिथे, ''हमन ला बछर भर मं 200 दिन के काम की जरूरत परथे.” वो ह कहिथे, फिलहाल माई लोगन मन साग-सब्जी के खेती करेके कोसिस करत हवंय जेन ला तीर के बजार मं बेंच सकें, वो हा कहिथे, ये ह एक ठन अऊ फइसला आय जेन ला वो मन अपन मरद ले पूछे बिना ले हवंय. “वइसे घलो, हमन ला अपन खाय मं कुछु पौष्टिक चाही, हय ना?”

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे जाने वाले ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट 'पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय, जेकर ले आम मनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम लेकिन किनारा मं रख दे गे समाज के हालत के पता लग सकय

ये लेख ला फेर ले प्रकाशित करे ला चाहत हवव? त किरिपा करके [email protected] मं एक cc के संग [email protected] ला लिखव

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Kavitha Iyer

Kavitha Iyer has been a journalist for 20 years. She is the author of ‘Landscapes Of Loss: The Story Of An Indian Drought’ (HarperCollins, 2021).

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Illustration : Antara Raman

Antara Raman is an illustrator and website designer with an interest in social processes and mythological imagery. A graduate of the Srishti Institute of Art, Design and Technology, Bengaluru, she believes that the world of storytelling and illustration are symbiotic.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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