अपन खेत मं पांव धरतेच सात नामदेव तराले ह ठहर जाथे. 48 बछर के ये किसान चना के हरियर फसल ला तीर ले देखे सेती झुकथे, जऊन ह खुंदे अऊ चरे जइसने लगत रहिस. ये साल 2022 के फरवरी महिना के सोन बिहान आय, ऊपर अकास मं उबत सुरुज देंवता के कोंवर उजेल्ला हवय.

वो ह एक ठन बात कहिथे, “हा एक प्रकारचा दुष्कलच आहे (ये ह नवा किसिम के अकाल आय).”

ये बात ह तराले के हतास अऊ डर ला बताथे. एक किसान जेकर करा पांच एकड़ जमीन हवय, वो ला अपन खड़े तुर अऊ मूंग फसल के बरबाद होय के डर हवय, जऊन ह तीन महिना के हाड़तोड़ मिहनत के बाद लुये के लइक होगे हवय.अपन 25 बछर ले जियादा के खेती किसानी मं, वो ह कतको किसिम के अकाल देखे हवय –मऊसम के, जब बखत मं पानी नई गिरय धन भारी गिरथे, भूंइय्या के जब पानी रसातल मं चले जाथे; धन खेत मं पानी कमती परे ले फसल बरबाद हो जाथे.

कलबलावत तराले कहिथे, जब लगथे के ये बछर बढ़िया फसल मिल जाही, त ये बिपत ह चार गोड़ मं आ जाथे धन खेत ले होवत गुजर जाथे अऊ थोर-थोर करके फसल ला बरबाद करत जाथे.

“दिन मं पनबुड़ी, बेंदरा, खरहा, रतिहा मं हिरन, नीलगाय, सांभर, बरहा, बघुआ,” वो ह खतरा मन के नांव लेवत कहिथे.

“आम्हाले पेरता येते साहेब, पण  वाचवता येत नाही (हमन जानथन के कइसने बोय ला हवय, न के अपन फसल ला कइसने बचाय के)” वो ह हार माने जइसने अवाज मं कहिथे. वो ह अक्सर नगदी फसल कपसा धन सोयाबीन जइसने ला छोड़ के चना, जोंधरा, जुवार अऊ राहेर के खेती करथे.

Namdeo Tarale of Dhamani village in Chandrapur district likens the wild animal menace to a new kind of drought, one that arrives on four legs and flattens his crop
PHOTO • Jaideep Hardikar
Namdeo Tarale of Dhamani village in Chandrapur district likens the wild animal menace to a new kind of drought, one that arrives on four legs and flattens his crop
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चंद्रपुर जिला के धामणी गांव के नामदेव तराले जंगली जानवर के खतरा के तुलना ला नवा किसिम के अकाल ले करथे, जऊन ह चार ठन गोड़ मं आथे अऊ फसल ला बरबाद कर देथे

Farmer Gopal Bonde in Chaprala village says, ''When I go to bed at night, I worry I may not see my crop the next morning.'
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Bonde inspecting his farm which is ready for winter sowing
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डेरी : चपराला गाँव के किसान गोपाल बोंडे कहिथें, ‘जब मंय रतिहा सुते ला जाथों, त मोला चिंता रहिथे के बिहनिया मोर फसल दिखही धन नई.’ जउनि : बोंडे अपन खेत के जाँच करत हवय जऊन ह जड़कल्ला मं बोय सेती तियार हवय

महाराष्ट्र के भारी जंगल अऊ खनिज वाले चंद्रपुर जिला के धामणी गांव मं सिरिफ तराले अइसने एकेच किसान नो हे. अइसने हतासा ये जिला मं अऊ संग मं महाराष्ट्र के दीगर जगा ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) के तीर-तखार के गाँव मन के किसान मं भर गे हवय.

चपराला  गाँव (2011 के जनगणना के मुताबिक चिपराला) मं तराले के खेत ले करीबन 8 कोस (25 किमी) दूरिहा, 40 बछर के गोपाल बोंडे घलो ओतकेच कलबलावत हवंय. 2022 के ये बखत ह फरवरी महिना के मंझा के हवय अऊ कऊनो घलो ओकर 10 एकड़ के खेत मं चुपेचाप होय तबाही ला देख सकथे, जऊन मं आधा हिस्सा हरियर चना के हवय. थोर-थोर करके फसल ला चऊपट कर दे गे हवय- जइसने कऊनो रिस-रार मं वोला गिरा देय होय, फसल ला उखाड़ देय होय, फर ला खा लेय होय अऊ खेत ला उजार देय होय.

जब मंय रतिहा सुते ला जाथों, त मोला चिंता रहिथे के बिहनिया मोर फसल दिखही धन नई,” बोंडे कहिथें, जनवरी 2023 मं हमर पहिली भेंट होय के बछर भर बाद. येकरे सेती वो ह जाड़ अऊ बरसात मं रतिहा मं कम से कम दू बेर फटफटी ले अपन खेत मं जाथें. बनेच बखत तक ले नई सुते अऊ जाड़ के सेती अक्सर बीमार पर जाथें. घाम मं जब कऊनो फसल नई लगे रहय तब ये ह बंद परथे. फेर बाकी बखत मं वो ला हरेक रतिहा चक्कर लगाय ला परथे, खासकरके फसल के बखत. जड़कल्ला के बिहनिया अपन घर के आगू के परछी मं एक ठन कुर्सी मं बइठे वो ह बतावत रहिस.

जंगली जानवर बछर भर खेत मं चरत रहिथें: जड़कल्ला मं जब खेत हरियर होथे अऊ बरसात मं नवा जामे ला चरथें. घाम मं, पानी समेत खेत के हरेक चीज ला खोजत रहिथें.

येकरे सेती बोंडे के मानना आय लुकाय जंगली जानवर ले चेत होके रहे जरूरी आय, “खास करके रतिहा मं जब वो मन शिकार बर जियादा लगे रहिथें.” गर जानवर फसल ला बरबाद कर देथें त वोला हरेक दिन हजारों रूपिया के नुकसान उठाय ला परथे. खेत मं लुकाय बघवा मवेसी मन ला मारके खा जाथें. 10 बछर मं, ओकर  करीबन दू दरजन मवेसी ला बघवा खा गीस. ओकर कहना हवय के हेरक बछर ओकर गाँव के करीबन एक कोरी (20) मवेसी बघवा खा जाथे. जंगली जानवर के हमला मं गाँव के लोगन मन घलो परान गंवाथें.

The thickly forested road along the northern fringes of the Tadoba Andhari Tiger Reseve has plenty of wild boars that are a menace for farmers in the area
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ताडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व के उत्तर दिग के घना जंगल वाले सड़क किनारा मं बनेच अकन बरहा हवंय जऊन ह किसान मंन बर खतरा आंय

महाराष्ट्र के सबले जुन्ना अऊ सबले बड़े राष्ट्रीय उद्यान अऊ वन्यजीव अभयारण्य मेर ले,  टीएटीआर ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान अऊ लकठा के अंधारी वन्यजीव अभयारण्य ला जोड़थे, जऊन ह चंद्रपुर जिला के तीन ठन तहसील मं 1,727 वर्ग किलोमीटर मं बगरे हवय. ये इलाका हा मइनखे-जानवर मं लड़ई के बड़े इलाका मन ले एक के रूप मं जाने जाथे. टीएटीआर भारत के सेंट्रल हाइलैंड्स क्षेत्र मं आथे. एनटीसीए 2022 के रिपोर्ट के मुताबिक, ये इलाका मं बघवा के अनुमानित अबादी 2018 मं 1,033 ले बढ़के 1,161 हो गे हवय.

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के 2018 के रपट के मुताबिक, राज के 315 ले जियादा बघुआ मन ले करीबन 82 ताडोबा के हवंय.

ये हिस्सा के दसों गाँव मं, विदर्भ तक ले, तराले धन बोंडे जइसने किसान –जेकर करा खेती ला छोड़ के कऊनो दीगर जीविका के उपाय नई ये,  जंगली जानवर ला भगाय सेती बिचित्र तरीका अजमाथें. वो मन सौर बिजली ले चलेइय्या बाड़ा लगाथें जऊन ह झटका देथे, अपन खेत ला सस्ता अऊ रिंगी चिंगी नाइलोन के लुगरा ले लगा देथें, इहाँ तक के जंगल के सरहद मं घलो; पटखा फोड़े, कुकुर गोहड़ी अऊ कतको जानवर के अवाज वाले नवा  चीनी गैजेट ला चलाथें.

फेर ये ह कऊनो काम नई आवय.

बोंडे के चपराला अऊ तराले के धामणी गांव टीएटीआर के संरक्षित वन के बफर जोन मं आथे. टीएटीआर एक ठन सदाबहार जंगल आय, जेन ज भारत के महत्तम संरक्षित बघुवा अभयारण्य मन ले एक अऊ सैलानी मन के देखे के जगा आय. संरक्षित जंगल माई इलाका ले लगे होय सेती, किसान अक्सर जंगली जानवर के धमक ले हलाकान रहिथें. बफर ज़ोन मं लोगन मन के बस्ती हवय अऊ येकर ले लगे जगा ला संरक्षित हिस्सा माने जाथे.येकरे सेती इहाँ आवाजाही मं रोक लगे हवय अऊ येकर देखरेख राज के  वन विभाग करथे.

In Dhamani village, fields where jowar and green gram crops were devoured by wild animals.
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Here in Kholdoda village,  small farmer Vithoba Kannaka has used sarees to mark his boundary with the forest
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डेरी : धामणी गांव के एक ठन अइसने खेत जिहां कतको जंगली जानवर जुवार अऊ मूंग के फसल ला चर लीन. जऊनि: इहाँ खोलोदा गांव मं, छोटे किसान विठोबा काननाका ह जंगल ले लगे अपन खेत के सरहद के चिन्हारी करे लुगरा ला टांगे हवंय

Mahadev Umre, 37, is standing next to a battery-powered alarm which emits human and animal sounds to frighten raiding wild animals.
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Dami is a trained dog and can fight wild boars
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डेरी:  37 बछर के महादेव उमरे, बैटरी ले चलेइय्या अलार्म के बगल मं ठाढ़े हवंय, जेन ह कतको जंगली जानवर ला डेर्राय सेती मइनखे अऊ जानवर के अवाज निकारथे. जउनि : दामी सिखाय कुकुर आय, वो ह बरहा मन ले भीड़ जाथे

उदती महाराष्ट्र के विदर्भ इलाका मं हालत खास करके खतरनाक हवय, जऊन मं चंद्रपुर समेत 11 जिला शामिल हवंय. विदर्भ भारत के कुछु आखिरी बांचे संरक्षित जंगल के ठिकाना आय, जेन ह बघुआ अऊ जंगली जानवर के अबादी ले भरे हवय. ये इलाका देहात के लोगन मन के भारी करजा मं बूड़े अऊ किसान आत्महत्या ले घलो जूझत हवय.

महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के एक ठन बयान के मुताबिक, अकेल्ला 2022 मं, चंद्रपुर जिला मं बघवा अऊ चितरी बघवा ले 53 लोगन मन के  परान गीस. बीते 20 बछर मं, करीबन 2,000 मइनखे- अधिकतर टीएटीआर इलाका मं – राज मं जंगली जानवर के हमला मं परान गंवाय हवंय. हमला खास करके बघवा, भलवा, बरहा अऊ दीगर जानवर करथें. कम से कम 15-20 ‘बघवा समस्या’- बघवा अऊ लोगन मन के संग लड़ई मं रोक जरूरी रहिस.  येकर ले ये साबित होथे के  चंद्रपुर बघवा-मनखे लड़ई के प्रमुख केंद्र आय. जानवर मन के हमला मं जख्मी लोगन मन के कऊनो सरकारी गिनती नई ये.

अकेल्ले मरद मन जंगली जानवर मन ले जूझत नई यें, माइलोगन मन घलो ओकर सामना करत हवंय.

“हमन डेर्रावत बूता करत रहिथन,” नागपुर जिला के बेलारपार गांव के 50 बछर ले जियादा उमर के आदिवासी किसान अर्चनाबाई गायकवाड़ कहिथें. वो ह कतको बेर अपन खेत मं बघवा देखे हवय. वो ह कहिथे, “अक्सर हमन खेत ले भाग जाथन, गर हमन ला लगथे के तीर-तखार मं कऊनो बघवा धन चितरी बघवा हवय.”

*****

“गर हमन अपन खेत ला नई कमाबो त वो (जंगली जानवर) मन प्लास्टिक खाहीं!”

गोंदिया, बुलढाणा, भंडारा, नागपुर, वर्धा, वाशिम अऊ यवतमाल जिला मं किसान मन के संग एक नजर के गोठ बात मं उभर आथे.  विदर्भ इलाका ले अवेइय्या मन ये रिपोर्टर ला बताईन के ये बखत जंगली जानवर  हरियर कपसा के कली ला खावत हवंय.

Madhukar Dhotare, Gulab Randhayee, and Prakash Gaikwad (seated from left to right) are small and marginal farmers from the Mana tribe in Bellarpar village of Nagpur district. This is how they must spend their nights to keep vigil against wild boars, monkeys, and other animals.
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Vasudev Narayan Bhogekar, 50, of Chandrapur district is reeling under crop losses caused by wild animals
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डेरी : मधुकर धोतरे, गुलाब  रणधायी, अऊ प्रकाश गायकवाड़ (डेरी ले जउनि बइठे ) नागपुर जिला के बेलारपार गांव मं माना जनजाति के छोटे अऊ सीमांत किसान आंय. बरहा, बेंदरा अऊ दीगर जानवर ले बचाय सेती वो मन ला रतिहा अइसने गुजारे ला परथे. जउनि: चंद्रपुर जिला के 50 बछर के वासुदेव नारायण भोगेकर जंगली जानवर ले होय फसल के नुकसान ले जूझत हवंय

“ लुवई  के बखत, हमन फसल ला बचाय दिन-रात खेत मं परे रहे के छोड़ कुछु नई करन, भलेच हमर जान जाय के खतरा रहे,” बेल्लारपार के माना समाज के 50 बछर के किसान प्रकाश गायकवाड़ कहिथें. ये ह नागपुर जिला के टीएटीआर के गांव आय.

“भलेच हमन बीमार पर जावन, हमन ला अपन खेत मं रहे ला चाही, अपन फसल के रखवारी करे ला चाही, नई त हमन कुछु घलो लुये नई सकबो,” चपराला गांव, जिहां गोपाल बोंडे रहिथें, उहाँ के 77 बछर के दत्तूजी   ताजणे कहिथें. एक बखत रहिस जब मंय अपन खेत मं बगेर कऊनो डर के सुते सकत रहेंव: अऊ अब नईं, हरेक डहर जंगली जानवर हवंय.

बीते दस बछर मं तराले अऊ बोंडे ह अपन गाँव मं नहर, चूंवा अऊ बोर के रूप मं अपासी सुविधा ला बढ़त देखे हवय. येकर ले वो ह कपसा धन सोयाबीन ला छोड़ के बछर भर मं दू धन तीन फसल लगाय अऊ खेती करे सकत हवंय.

येकर नकारात्मक बात साफ हवय : हरियर फसल ले भरे खेत के मतलब आय हिरन, नीला-बइला अऊ सांभर जइसने चरेइय्या जीव-जन्तु बर भरपूर चरों डहर चाराच चारा. ये जीव-जन्तु के शिकार करेइय्या जानवर खेत मं दुबके रहिथें.

“एक दिन के बात आय” तराले सुरता करथें, मंय एक डहर बेंदरा अऊ दूसर डहर बरहा ले हलाकान रहेंव, ये ह अइसने रहिस जइसने वो मं मोर परिच्छा लेय के फइसला करे होंय- जनी मनि वो मन मोला चिढ़ावत होंय.

सितंबर 2022 मं बदरी ले भरे दिन मं, बांस के एक ठन लऊठी धरे, बोंडे हमन ला अपन खेत मं ले जाथे जिहां सोयाबीन, कपसा अऊ दीगर फसल लगे हवंय. खेत ह ओकर घर ले 15 मिनट के रेंगे के रद्दा मं, कोस भर तक के दूरिहा मं हवय. ओकर खेत के सरहद मं एक ठन नानकन नरुवा हवय जऊन ह खेत ला घन अऊ भयंकर जंगल ले अलग करथे.

Gopal Bonde’s farms bear tell-tale pug marks of wild animals that have wandered in – rabbits, wild boar and deer
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Gopal Bonde’s farms bear tell-tale pug marks of wild animals that have wandered in – rabbits, wild boar and deer
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गोपाल बोंडे के खेत मं अवेइय्या जंगली जानवर – खरहा, बरहा अऊ हिरन के खुर के चिन्हा हवंय

खेत के चरों डहर किंदरत, वो ह हमन ला ओद्दा भूंइय्या मं खरहा समेत करीबन एक दरजन जंगली जानवर मन के गोड़ के चिन्हा ला दिखाथे. वो मन फसल ला चर ले हवय, सोयाबीन ला छितिर-भीतिर कर दे हवंय अऊ हरियर डारा-पाना ला टोर दे हवंय.

“आता का करता, सांगा? (अब मोला बतावव, काय करना हवय!),” बोंडे ह संसो करत कहिस.

*****

भलेच केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट टाइगर कार्यक्रम के एक ठन हिस्सा के रूप मं ताडोबा के जंगल बघवा ला बचा के रखे सेती पहिली धियान आंय, ये इलाक मं सड़क, अपासी नहर अऊ नवा खदान बनत देखे गे हवय. ये ह संरक्षित वन इलाका, उजरे लोगन मन के अऊ हलाकान जंगल के पर्यावरण तंत्र मं कटौती करे हवय.

खदान वो इलाका ला कब्जा करत जावत हवय जऊन ह पहिली बघवा के इलाका रहिस. बीते 20 बछर मं चंद्रपुर जिला मं 30 ले जियादा सरकारी अऊ निजी कोयला खदान मन ले करीबन दू दरजन दक्खन अऊ पश्चिम हिस्सा मं चलत हवंय.

“कोयला खदान के लकठा धन चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (सीएसटीपीएस) के अहाता मं बघवा देखे गे हवंय. ये इलका मइनखे-जानवर लड़ई के सबले नवा जागा आंय. पर्यावरण कार्यकर्ता अऊ संरक्षणवादी, बंडू धोत्रे कहिथें, हमन ओकर ठीहा ला कब्जा कर ले हवय.” बघवा अनुमान ऊपर एनटीसीए 2022 के रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य भारतीय उच्चभूमि मं खदान के भारी कारोबार, संरक्षण सेती एक ठन महत्तम चुनौती आय.

टीएटीआर एक ठन बड़े मध्य भारतीय वन क्षेत्र आय जेन ह परोसी यवतमाल, नागपुर अऊ भंडारा जिला के    वन प्रभाग ले लगे हवय. एनटीसीए के 2018 रिपोर्ट कहिथे, " ये इलाका मं मइनखे अऊ बघवा के संग लड़ई सबले जियादा होथे."

Namdeo Tarale with Meghraj Ladke, a farmer from Dhamani village. Ladke, 41, stopped nightly vigils after confronting a wild boar on his farm.
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Farmers in Morwa village inspect their fields and discuss widespread losses caused by tigers, black bears, wild boars, deer, nilgai and sambar
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धामणी गांव के किसान मेघराज लडके के संग नामदेव ताराले (डेरी). 41 बछर के लडके ह अपन खेत मं एक ठन बरहा ले सामना होय के बाद रतिहा के चऊकीदारी बंद कर दीस. जउनि: मोरवा गांव के किसान अपन खेत  मन के जांच करत रहिथें अऊ बघवा, भलवा, बरहा, हिरन, नीलगाय अऊ सांभर ले होय भारी नुकसान के चर्चा करथें

वन्यजीव जीवविज्ञानी अऊ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर), पुणे के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मिलिंद वाटवे कहिथें, " ये मुद्दा ला किसान मन समेत राज के संरक्षण जरूरत सेती एक ठन बड़े आर्थिक झटका के रूप मं देखे जाथे.”

वइसे कानून आरक्षित वन इलाका ला बंचाथे अऊ जंगल के जीव-जन्तु ला संरक्षित करथे, किसान मन फसल अऊ मवेसी के नुकसान ला उठावत हवंय. वाटवे कहिथें के जानवर मन के हमला ले होय नुकसान ले किसान मन बगियाय हवंय, येकर ले संरक्षण के काम मं उल्टा असर परे हवय. कानून अवांछित जानवर जऊन ह जनम करे के लइक नो हे, वो ला ओकर गोहड़ी ले खतम के रिवाज ला घलो रोकथे.

वाटवे ह टीएटीआर के तीर के पांच गांव मं करीबन 75 किसान मन के संग 2015 ले 2018 तक ले एक ठन अध्ययन करिस. विदर्भ विकास बोर्ड डहर ले मिले आर्थिक मदद के जरिया ले, वो ह किसान मन बर सामूहिक रूप ले जानवर ले बछर भर होय नुकसान के रिपोर्ट करे सेती एक ठन तरीका बनाईस. वो ह अनुमान लगाइस के फसल के नुकसान अऊ पइसा के नुकसान 50- 100 फीसदी के बीच मं कहूँ घलो रहिस- धन फसल के अधार ले हरेक बछर 25,000 रूपिया ले 1,00,000 रूपिया एकड़ पाछू नुकसान.

मुआवजा नई मिले ले, कतको किसान कुछेक फसल कमावत रहिथें धन अपन खेत ला उजार परे छोड़ देथें.

राज के वन विभाग किसान मन के फसल के नुकसान धन जंगली जानवर ले मारे गे मवेसी सेती बछर भर मं 80 करोड़ रूपिया बाँटथे. इही बात वन विभाग के वो बखत के प्रमुख, महाराष्ट्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सुनील लिमये ह मार्च 2022 मं पारी ला बताय रहिस.

Badkhal says that farmers usually don’t claim compensation because the process is cumbersome
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Gopal Bonde (right) with Vitthal Badkhal (middle) who has been trying to mobilise farmers on the issue. Bonde filed compensation claims about 25 times in 2022 after wild animals damaged his farm.
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गोपाल बोंडे (जउनि)के संग विठ्ठल बदखल (मंझा मं), जऊन ह ये मुद्दा ला लेके किसान मन ला एकजुट करे मं लगे हवंय. जंगली जानवर ले खेती मं होय नुकसान के बाद बोंडे ह 2022 मं करीबन 25 बेर मुआवजा के दावा दायर करिस. बदखल कहिथें के अक्सर किसान मुआवजा के दावा नई करय काबर के येकर प्रक्रिया भारी पिचकाट वाले आय

भद्रावती तालुका के सत्तर बछर के किसान नेता विठ्ठल बदखल कहिथें, “ये बखत मं नगदी मुआवजा मूंगफली आय.” वो ह बताथें, “किसान अक्सर मुआवजा के दावा नई करय काबर के येकर प्रक्रिया भारी पिचकाट वाले आय अऊ तकनीकी रूप ले समझे मुस्किल आय.”

कुछेक महिना पहिली बोंडे के एक ठन गाय अऊ मवेसी जंगली जानवर के हमला मं मारे गीन. 2022 मं वो ह करीबन 25 बेर मुआवजा दावा दाखिल करिस. हरेक बेर वोला एक ठन फार्म भरे ला पड़त रहिस, इहाँ के वन अऊ राजस्व विभाग के अफसर मन ला जानकारी देय ला परय, इहाँ के अफसर मन ला जरूरी पंचनामा (धन जाँच) सेती राजी करे ला परय, अपन खरचा के लेखा जोखा बना के रखे ला परत रहिस, अऊ अपन दावा दाखिल करे ला परत रहिस. वो ह कहिथे के वोला कऊनो मुआवजा मिले मं महिनों लाग जाही. “अऊ ये ह मोर सब्बो नुकसान के भरपाई नई करय.”

दिसंबर 2022 के जाड़ के बिहनिया, बोंडे हमन ला एक घाओ अऊ अपन खेत मं ले जाथें, जिहां मूंग लगे हवय. बरहा मन डारा-पाना ला खा चुके हवंय अऊ बोंडे फसल होय के बारे मं तय नई करे सकत हवंय.

येकर कुछु महिना बाद वो कुछेक हिस्सा ला छोड़ के सायेद जऊन ला हिरन गोहड़ी मन चर ले रहिन, अधिकतर फसल ला कइसने करके बचा लीस.

जानवर मन ला दाना-पानी के जरूरत होथे. अऊ अपन दाना-पानी सेती बोंडे, तराले जइसने दीगर किसान मन घलो अइसने करत हवंय. ये वो मन के खेत आय जिहां दूनो के जरूरत टकरावत हवंय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Jaideep Hardikar

Jaideep Hardikar is a Nagpur-based journalist and writer, and a PARI core team member.

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Editor : Urvashi Sarkar

Urvashi Sarkar is an independent journalist and a 2016 PARI Fellow.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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