खास जुगाड़ वाले महिंद्रा माल गाड़ी- MH34AB6880 - एक ठन गाँव के भरे चौरा मं रुकथे जेन ह चंद्रपुर के 2920 मेगावाट के सुपर थर्मल पावर स्टेशन , कोयला वॉशरी के एक ठन बैराज, राख के बांध अऊ टीला अऊ बहिर के इलाका मं घन झाड़ीवाले जंगल मं बसे हवय.

गाड़ी के दूनों तरफ रंग-बिरंगा फोटू अऊ नारा लिखे पोस्टर चिपकाय हवय. ये ह हाल के अक्टूबर 2023 के सुरु के इतवार के बिहनिया रहिस. गाँव के लइका, सियान अऊ माईलोगन मन देखे ला कूद परथें के कऊन आय हवय.

विट्ठल बदखल गाड़ी ले बहिर निकरथे –ओकर बगल मं ड्राइवर अऊ हेल्पर हवंय. 70 बछर के ये सियान के जउनि हाथ मं एक ठन माइक अऊ डेरी हाथ मं भुरुवा रंग के डायरी हवय. उज्जर धोती-कुरता, नेहरू टोपी पहिरे, वो ह गाड़ी के आगू डहर लगे पोंगा के माइक धरे बात सुरु करे लगथे.

वो ह इहाँ काबर आय हवय एकर कारन ला बताथे. ओकर आवाज 5,000 के आबादी वाले ये गाँव के कोनहा कोनहा मं गूँजत हवय. इहां के अधिकतर लोगन मन किसान आंय अऊ कुछेक दीगर लोगन मन तीर के कोयला खदान धन छोटे-मोटे कारखाना मं रोजी मजूरी करथें. वो ह 5 मिनट तक ले भासन देवत रइथे अऊ जिसने सिराथे, गाँव के दू झिन सियान हंसत ओकर जय-जोहार करथें.

“अरे मामा, नमस्कार, या बसा ( मोमा जोहार! आवव, इहाँ बइठव),” गाँव के माई चऊरा मं एक ठन नान कन किराना के दुकान चलेइय्या 65 बछर के किसान हेमराज महादेव दिवसे कहिथे.

“जोहार,” बदखल मामा हाथ जोड़त कहिथे.

Vitthal Badkhal on a campaign trail in Chandrapur in October 2023. He is fondly known as ‘Dukkarwale mama ’ – ran-dukkar in Marathi means wild-boar. He has started a relentless crusade against the widespread menace on farms of wild animals, particularly wild boars. His mission is to make the government acknowledge the problem, compensate and resolve it.
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Hemraj Mahadev Diwase is a farmer who also runs a grocery shop in Tadali village. He says the menace of the wild animals on farms in the area is causing losses
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डेरी: विट्ठल बदखल अक्टूबर 2023 मं चंद्रपुर मं एक ठन अभियान मं रहिस. वोला मया-दुलार ले ‘डुक्करवाले मामा’ नांव ले बलाय जाथे – मराठी मं रण- डुक्कर के मतलब बरहा ले होथे. वो ह जंगली जानवर, खासकरके बरहा के खेत के नुकसान ला लेके सरलग अभियान सुरु करे हवय. ओकर मिशन सरकार ला समस्या ले जाने सुने, मुआवजा देय अऊ समस्या के निदान कराना हे. जउनि: हेमराज महादेव दिवसे एक झिन किसान आंय जेन ह एक ठन दुकान घलो चलाथे. ओकर कहना आय के ये इलाका के खेत मन मं जंगली जानवर मन भारी नुकसान करत हवंय

गाँव के लोगन मन ले घिरे, वो ह कलेचुप किराना दुकान डहर जाथे अऊ गाँव के चौरा डहर मुंह करके प्लास्टिक के एक ठन करसी मं बइठ जाथे, ओकर पीठ दुकान डहर होथे जिहां दिवासे ह बइठे हवय.

नरम सूती पंछा ले अपन माथा के पछीना ला पोंछत, ‘मामा’ जइसने के वोला इहाँ मया-दुलार ले बलाय जाथे, लोगन मन ला बइठे धन ठाढ़ होके ओकर बात ला सुने ला कहिथे. असल मं ये ह करीबन आधा घंटा के कार्यशाला जइसने होही.

जंगली जानवर मन के हमला, सांप काटे के बढ़त घटना अऊ बघवा के हमला ले मइनखे मन के मरे ले, अपन खेत के होय नुकसान ला लेके किसान मन कइसने मुआवजा दावा कर सकत हें, ये ला लेके एक के बाद एक जानकारी देय गे हवय. भारी लंबा हलाकान करेइय्या तरीका ला कइसने सुभीता के बनाय गे हवय अऊ गाँव के लोगन मन ला समझाय गे हे. वो ह बरसात बखत खेत मं बूता करे बखत बिजली गिरे ले बचे के उपाय ला घलो बताथें.

“हमन जंगली जानवर, बघवा, सांप, बिजली ले हलाकान हवन – हमन सरकार तक अपन बात कइसने पहुंचाबो?” बदखल शुद्ध मराठी मं कहिथे, ओकर जोर के आवाज लोगन मन ला बांध के रखथे. “जब तक हमन सरकार के फेरका मं आवाज नई देबो, वो ह  कइसने चेतही?”

वो ह अपन सवाल के जुवाब देय बर, जागरूकता बढ़ाय बर चंद्रपुर के तीर-तखार के गाँव मन मं जाथे अऊ किसान मन ला समझाथे के जंगली जानवर के हमला सेती फसल के नुकसान के मुआवजा हासिल कइसने करे जाय.

वो ह वो मन ला बताथे के भद्रावती शहर मं जल्दीच किसान मन के रैली निकारे जाही. दीगर गाँव जाय बर अपन गाड़ी मं बइठे के पहिली वो ह गाँव के लोगन मन ले बिनती करथे, “तुमन सब्बो ला उहाँ जरूर जाय ला चाही.”

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नवा पीढ़ी के पढ़ेईय्या लइका मन वोला ‘गुरूजी’ कहिथें. ओकर समर्थक मन वोला ‘मोमा’ कहिथें. किसान मन के अपन जात-बिरादरी मं विट्ठल बदखल ला मया-दुलार ले ' डुक्करवाले मामा ' के नांव ले जाने जाथे – मराठी मं रण-दुक्कर के मतलब बरहा होथे – खेती मं जंगली जानवर, खास करके बरहा ले भारी नुकसान ला लेके अपन अभियान बर. ओकर मिशन सरकार ला समस्या ला जाने सुने माने अऊ समस्या ले निजात दिलाना हवय.

Women farmers from Tadali village speak about their fear while working on farms which are frequented by wild animals including tigers.
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Vitthal Badkhal listens intently to farmers
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डेरी: तदाली गांव मं खेत मं बूता करत माइलोगन मन अपन डर ला बतावत हवंय, जिहां अक्सर बघवा के संगे संग जंगली जानवर आथें. जउनि: बिठ्ठल किसान मन के बात ला धीरज धरके सुनथे

बदखल एक झिन मइनखे के स्वैच्छिक मिशन आय, जऊन ह किसान ला फसल के नुकसान के मुआवजा मांगे ला प्रेरित करथे, वो मन ला मौका मुआयना ले लेके फार्म जमा करे के कठिन तरीका ला धियान मं रखत दावा दायर करे के बारे मं सिखाथे.

ओकर इलाका : ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) के तीर-तखार के, जम्मो चंद्रपुर जिला.

ये मुद्दा उपर सरकार के चेत धराय बर कतको लोगन हवंय, फेर ये बनेच हद तक ले ये सियान के आन्दोलन के नतीजा आय के महाराष्ट्र सरकार ह सबले पहिली ये समस्या ला मानिस; वो ह साल 2003 मं एक ठन प्रस्ताव पारित करिस जेन मं जंगली जानवर मन के करे फसल के नुकसान सेती किसान मन ला नगदी मुआवजा देय के मंजूरी देय गीस, जेन ला लोगन मं “एक किसिम के अकाल” मानथें. बदखल कहिथे, पांच-छै बछर बीते वो ह किसान मन ले सिच्छित अऊ संगठित करे शुरू करिस अऊ सरलग विरोध प्रदर्शन करिस.

1996 मं, जब भद्रावती के तीर-तखार मं कोयला अऊ लौह अयस्क के खदान बढ़िस त वो ह सार्वजनिक क्षेत्र , कोल इंडिया लिमिटेड के सहायक कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के खोले गे एक ठन खुल्ला खदान मं ओकर जम्मो खेत चले गे. तेलवासा-धोरवासा , जुड़वाँ गाँव के बासिंदा बदख़ल ह खदान सेती अपन जमीन गंवा दीस.

तब तक ले, खेत मं जंगली जानवर मन के उत्पात चिंता के कारन बन गे रहिस. ओकर कहना आय के 20 धन 30 बछर मं जंगल ह धीरे-धीरे नंदावत जावत हे, जिला भर मं नवा खदान मन के बढ़े अऊ थर्मल पावर प्लांट मन के बढ़े सेती जंगली जानवर अऊ मइनखे मं रार बढ़गे हवय.

बदखल ह साल 2002 के आसपास अपन घरवाली मंदताई के संग भद्रावती चले गीस अऊ पूरा पूरी समाजिक कार्यकर्ता बन गीस. वो ह नशा अऊ भ्रष्टाचार के विरोध करेइय्या लड़ाका घलो आय. ओकर दू झिन बेटा अऊ एक बेटी के बिहाव होगे हवय अऊ अपन ददा के ऊलट सधारन जिनगी गुजारत हवंय.

अपन गुजर बसर करे बर, मोमा करा नान कन कारोबार हवय – वो ह मिरचा अऊ हल्दी पाऊडर, जैविक गुड़ अऊ मसाला बेंचथे.

Badkhal with farmers in the TATR. He says, gradual changes over two or three decades in the quality of forests, an explosion of new mining projects all over the district and expansion of thermal power plants have cumulatively led to the aggravation of the wild-animal and human conflict
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टीएटीआर मं किसान मन के संग बदखल. ओकर कहना हवय, 20 धन 30 बछर मं जंगल ह धीरे-धीरे नंदावत जावत हे, जिला भर मं नवा खदान मन के बढ़े अऊ थर्मल पावर प्लांट के बढ़े ले जंगली जानवर अऊ मइनखे मं रार बढ़गे हवय

कतको बछर ले साहस धरे मामा ह चन्द्र पुर अऊ परोसी जिला के किसान मन ला संकेल के एक करे हवय. ओकर मानना हवय के  शाकाहारी जानवर अऊ मवेशी मन के फसल के नुकसान के संगे संग शिकारी जानवर मन के हमला मं मऊत के मुआवजा ला सरकार ला बढ़ाय ला चाही.

जब साल 2003 मं पहिली सरकारी प्रस्ताव पास करे गे रहिस, त मुआवजा सिरिफ कुछु सौ रूपिया रहिस. अब ये ह एक परिवार मं बछर भर मं जियादा ले जियाद 2 हेक्टेयर जमीन सेती 25,000 रूपिया हेक्टेयर पाछू हवय. बदखल मामा कहिथे, ये ह भरपूर नई ये, फेर राज सरकार ह मुआवजा ला बढ़ा दे हवय येकर ले ये तय हो जाथे के सरकार ह समस्या ला मानत हवय. वो ह कहिथे, “दिक्कत ये आय के राज भर के बनेच अकन किसान मुआवजा दावा नई करंय.” आज ओकर मांग हवय के मुआवजा ला बढ़ा के 70,000 रूपिया सलाना हरेक परिवार हेक्टर पाछू करे जाय “ये मुआवजा ह भरपूर होही.”

महाराष्ट्र मं, वन विभाग ह सलाना 80- ले 100 करोड़ रूपिया मवेसी, फसल अऊ शिकारी जानवर के हमला ले मइनखे मन के जान गंवाय के मुआवजा के रूप मं खरचा करथे. ये बात मार्च 2022 मं वो बखत के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील लिमये ह पारी ले एक ठन भेंट चरचा मं बताय रहिस.

मामा कहिथे, “ये पइसा बनेच कमती हवय. अकेल्ले भद्रावती (ओकर गाँव के तहसील ) मं फसल नुकसान के कमोबेसी 2 करोड़ रूपिया मिलथे. इहाँ के किसान जानकार अऊ जागरूक हवंय.” वो ह आगू बताथे “बाकि जगा मं येला ले के कऊनो चेत नई ये.”

चंद्रपुर जिला के भद्रावती शहर के अपन घर मं देहाती हँसी अऊ लहजा वाले ये सियान ह कहिथे, “मंय येला 25 बछर ले करत आवत हवंव अऊ जिनगी भर करत रइहूँ.”

आज जम्मो महाराष्ट्र मं बदखल मामा के मांग हवय.

Badkhal mama is in demand all over Maharashtra. 'I’ve been doing it for 25 years... I will do it for the rest of my life,' says the crusader from Bhadravati town in Chandrapur district
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बदखल मामा के जम्मो महाराष्ट्र मं मांग हवय. चंद्रपुर जिला के भद्रावती शहर के ये लड़ाका कहिथे, ‘मंय येला 25 बछर ले करत आवत हवंव अऊ जिनगी भर करत रइहूँ’

महाराष्ट्र सरकार ह मुआवजा रकम बढ़ा दे हवय. बदख़ल कहिथे, सरकार ये समस्या ला मानत हवय. फेर, राज भर मं बनेच अकन किसान दावा नई करंय. वो ह मुआवजा बढ़ाय के मांग करत हवय

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फरवरी 2023 मं जाड़ अऊ भारी हवा चलत रहिस वो दिन टीएटीआर के बड़ति भद्रावती तहसील के तीर-तखार के गाँव मं जाय के बखत पारी घलो संग हो लीस. अधिकतर किसान उन्हारी फसल लुवत रहिन.

चार धन पाँच गाँव जाय के बाद पता चलथे के सब्बो जात अऊ छोटे-बड़े किसान मन हतास हवंय, जेन मन बर शिकारी जानवर के हमला मुड़पीरा बने हवय.

“ये देखव,” अपन हरियर चना के खेत मं ठाढ़े एक झिन किसान कहिथे.”ये मं मोर बोर काय बांचे हवय?” बीते रतिहा ये खेत ला बरहा मन चर लेय रहिन. आज रतिहा अऊ आ जाहीं त कुछु नई बांचही. “मंय काय करंव, दाई?” वो ह चिंता जतावत कहिथे.

बदखल जइसनेच ओकर खेत मं होय के नुकसान के अंदाजा लगाथे, वो ह अचरज मं परे मुड़ी हलावत जुवाब देथे, “मंय कैमरा धरे एक झिन मइनखे ला पठोहूँ, वोला फोटू अऊ वीडियो लेगही, अऊ वो ह तुमन ले फारम भरवाही अऊ दसखत करवाही. हमन ला इहाँ के रेंज अफसर करा दावा करे ला परही.”

Manjula helps farmers with the paperwork necessary to file claims. Through the year, and mostly during winters, she travels on her Scooty (gearless bike) from her village Gaurala covering about 150 villages to help farmers with documentation to apply for and claim compensation.
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Vitthal Badkhal visiting a farm
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डेरी: मंजुला दावा करे सेती जरूरी कागजात भरे मं किसान मन के मदद करथे. बछर भर अऊ अधिकतर जाड़ के बखत, वो अपन गाँव गौराला ले अपन स्कूटी मं आथे-जाथे. वो ह करीबन 150 गाँव मं जाथे जेकर ले किसान मन ला मुआवजा सेती अरजी देय अऊ दावा करे सेती कागजात दिलवाय मं मदद मिल सके. जउनि: विट्ठल बदखल एक ठन खेत मं जावत

ये काम करेइय्या गौराला गाँव के भूमिहीन महतारी 35 बछर के मंजुला बदखल आंय. वो ह कपड़ा के नान कन कारोबार करथें अऊ किसान मन के सेवा करथें.

बछर भर, अऊ अधिकतर जाड़ के बखत, वो अपन स्कूटी मं करीबन 150 गाँव मं जाथे जेकर ले किसान मन ला मुआवजा सेती अरजी देय अऊ दावा करे सेती कागजात दिलवाय मं मदद मिल सके.

मंजुला ह पारी ला बताइस, “मंय फोटू खिंचथों, वो मन के फारम भरथों, गर जरूरी होथे त हलफनामा भरथों अऊ खेती मं गर दीगर सदस्य मन होथें त ओकर मन के राजीनामा लेथों.”

बछर भर मं कतक किसान ले भेंट हो जाथे ?

वो ह कहिथे, “गर एक गाँव मं 10 झिन किसान घलो लेवव त ये ह करीबन 1,500 झिन हो जाथें.” वो ह अपन काम करे के किसान पाछू 300 रूपिया लेथे जेन मं 200 रूपिया ओकर आय-जाय के खरचा, फोटोकापी अऊ दीगर खरचा मं करथे. वो ह अपन मेहनताना 100 रूपिया लेगथे.वो ह बताथे, कऊनो घलो किसान राजी खुसी दे देथे.

The 72-year-old activist resting at Gopal Bonde’s home in Chiprala, talking to him (left) and his family about filing claims
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चिपराला मं गोपाल बोंडे के घर मं सुस्तावत 72 बछर के सियान कार्यकर्ता, दावा करे के बारे मं ओकर (डेरी) अऊ ओकर परिवार के लोगन मन ले बात करत हवय

इहीच बखत, मामा ह किसान मन ला सलाह देवत हवय. वो ह वो मन ले कहिथे के किसान दावा ला सत्यापित करे बर अफसर मन के टीम के पंचनामा धन मऊका जाँच सेती आय ला अगोरेंव. वो ह कहिथे, ये टीम मं एक झिन तलाथी, फारेस्ट गार्ड अऊ कृषि सहायक आहीं अऊ खेत के जाँच करहीं. “तलाथी जमीन नापही, कृषि सहायक फसल के नुकसान ला लिखही अऊ वन विभाग के मनखे ह ये पता लगाही के ये फसल ला कऊन जंगली जानवर नुकसान करे हवय.” इही नियम आय वो ह बताथे.

“तुमन ला अपन हक मिलही, गर नई मिलही त हमन येकर बर लड़बो,” वो ह भारी जोस मं वो मन ला आश्वासन दीस. ओकर बात ले उहाँ जुटे किसान मन के हिम्मत बाढ़ गे अऊ ताकत घलो मिल गे.

“काय होही गर अफसर मौका मुआयना करे नई आहीं?” किसान चिंता जतावत पूछथे.

बदखल धीरज धरके समझाथे. दावा घटना के 48 घंटा के भीतर करे ला चाही, जेकर बाद शिकायत करे ला चाही. टीम ला सात दिन के भीतर नुकसान वाले खेत मं जाय ला परही अऊ मुआयना करके 10 दिन के भीतर अपन रिपोर्ट जमा करे ला परही. ओकर कहना आय के किसान ला 30 दिन के भीतर मुआवजा मिल जाय ला चाही.

बदखल ह वो मन ला समझाथे, “गर वो मन तुंहर अरजी के 30 दिन के भीतर नई आयेंव त नियम के मुताबिक हमर मौका जांच अऊ फोटू मन ला विभाग ह सबूत मानही.”

“मामा, मयि भिस्त तुमच्यवर हाय [देखव मोमा, मोर किस्मत तुंहर हाथ मं हवय],” किसान हाथ जोड़के बिनती करथे. मामा ह ओकर खांध ला थपथपाथे अऊ सांत्वना देथे: " तंय चिंता झन कर.”

ओकर कहना आय के ओकर टीम येला एक घाओ करही ओकर बाद वोला (किसान ला) येला खुदेच करे ला सीखे ला परही.

Vitthal Badkhal inspecting the farm of one of his close volunteers, Gopal Bonde in Chiprala village of Bhadravati tehsil , close to the buffer area of the TATR. The farm is set for rabi or winter crop, and already wild animals have announced their arrival on his farm
PHOTO • Jaideep Hardikar

विट्ठल बदखल टीएटीआर बफर इलाका के तीर के भद्रावती तहसील के चिपराला गांव मं अपन करीबी स्वयंसेवक मन ले एक गोपाल बोंडे के खेत के मुआयना करत हवय. खेत उन्हारी फसल लेगे सेती तियार हवय, अऊ पहिलीच ले जंगली जानवर मं ओकर खेत मं हबरे ला सुरु कर देय हवंय

मोमा सिरिफ मौका मुआयना नई करय, वो ह अपन अभियान के बखत कार्यशाला बलाथे, वो ह गाँव के लोगन मन ला मुआवजा दावा के फारम के नमूना बाँटथे.

अक्टूबर 2023 मं अपन अभियान के बखत वो ह तडाली मं जुटे लोगन मन ला कहिथे, “ ये मोर फारम नमूना ला चेत धरके पढ़व,

“अब मोला पूछव, गर कऊनो संदेहा हवय त मंय फोर के बताहूँ.” ओकर फारम मराठी मं पढ़े मं असान हवय. ये मं निजी जानकारी, खेत के रकबा, फसल के तरीका अऊ कतको के जानकरी देय के कालम हवय.

बदखल कहिथे, “ये फारम के संग, तुमन ला अपन 7 /12 अर्क [सात बारा जमीन के रिकार्ड] के कापी, आधार कार्ड, बैंक के जानकारी अऊ खेत के फोटू नत्थी करे ला होही, जेन मं फसल के नुकसान दिखत होय.” वो ह जोर देवत कहिथे, तुमन ला शिकायत के संग दावा सही सही जमा करे ला परही अऊ गर तुमन ला एके सीजन मं जतको बेर करे के जरूरत हवय, अइसनेच करव. वो ह मजा लेवत कहिथे, “तकलीफ उठाये बिना कुछु नई मिलय.”

सरकार ला पइसा जारी करे मं बछर भर लाग जाथे, जबकि कानून कहिथे के येला 30 दिन के भीतर जमा करे ला चाही. वो ह कहिथे, पहिली वन अफसर ये काम ला करे बर घूस मांगत रहिन, अब हमन सीधा बैंक खाता मं डारे के जोर देथन.

Badkhal at his home in Bhadravati tehsil of Chandrapur district
PHOTO • Jaideep Hardikar

बदखल चंद्रपुर जिला के भद्रावती तहसील के अपन घर मं

काबर के खेत मं जंगली जानवर के हमला ला रोके के कऊनो बड़े उपाय नई ये अऊ न हो सकथे, नुकसान के भरपाई ह एकेच रद्दा बांचथे. फसल के नुकसान के आंके अऊ तय नियम-कानून मुताबिक मुआवजा बर दावा करे ह लंबा पचड़ा के काम आय, जेन ह अधिकतर किसान मन हलाकान होके ये झमेला मं नई परंय.

फेर बदखल कहिथे, “गर हमन ला ये करे ला हवय त हमन ला ये करे ला परही.” अऊ ओकर मानना हवय के येकर बर सबले बढ़िया तरीका अज्ञान ला दूर करे अऊ लोगन मन ला नियम-कानून के जानकारी देय ला परही.

मोमा के फोन बजे कभू बंद नई परय. जम्मो विदर्भ ले लोगन मन वोल मदद सेती बलावत हवंय. वो ह कहिथे, कभू-कभू वोला महाराष्ट्र के दीगर इलाकाच ले नई, इहाँ तक ले दीगर राज ले घलो फोन आथें.

असल नुकसान ला आंके मं दिक्कत होथे, काबर के कभू-कभू जाँच ले सही चीज नजर नई आवय. जइसने के, गर जंगली जानवर कपसा के बीजा धन सोयाबीन खाथें फेर रुख मन ला नुकसान नई करेंव त नुकसान ला कइसने आंके जाही? वन अफसर मन जाँच करे ला आथें, हरियर ठाढ़े फसल ला देखथें अऊ अपन आफिस मं रिपोर्ट जमा करके लहूंट जाथें, फेर असल मं किसान ला भारी नुकसान होय रइथे.

बदखल के मांग हवय, “मुआवजा नियम मं किसान मन के हक मं सुधार के जरूरत हवय.”

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फरवरी 2022 ले, ये रिपोर्टर टीएटीआर जंगल के तीर-तखार के इलाका के धुर्रा भरे गाँव मं जाय के कतको बखत बदखल संग रहिस.

ओकर दिन बिहनिया 7 बजे ले सुरु होक संझा 7 बजे सिराथे. ओकर दिन ह दान करेइय्या, किसान अऊ शुभचिंतक मन के बीच मं गुजरथे. वो ह एक दिन मं 5 ले 10 गाँव चले जाथे.

Alongwith Badkhal on the campaign trail is a Mahindra vehicle in which he travels to the villages
PHOTO • Sudarshan Sakharkar

प्रचार अभियान मं बदखल के संग एक ठन महिंद्रा गाड़ी घलो हवय, जेन मं वो ह गाँव मन मं आथे जाथे

बदखल हरेक बछर मराठी मं 5,000 खास किसम के कैलेंडर छपवाथे, जेन मं सरकारी प्रस्ताव, योजना, फसल मुआवजा के तरीका अऊ तऊन जिनिस के बारे मं जानकारी होते जेन ला किसान आसानी ले देख सकथे. ये सब्बो दान के पइसा ले होथे. किसान-कार्यकर्ता मन के ओकर टीम सूचना बगराय अऊ लोगन मन ले जानकारी जुटाय सोशल मीडिया के सहारा लेथे.

करीबन 10 बछर पहिली, वो ह चंद्रपुर जिला अऊ ओकर तीर-तखार मं आन्दोलन चलाय सेती ‘शेतकारी संरक्षण समिति’ बनाईस. अब ये मं 100 झिन किसान कार्यकर्ता हवंय जेन मन ओकर मदद करथें.

दावा मुआवजा के फारम अऊ दीगर कागजात जिला के कृषि केंद्र मं मिल जाथे. हरेक किसान कृषि केंद्र मं आथें अऊ कृषि केंद्र किसान मन के भरोसा मं रहिथें, येकरे सेती आन्दोलन ला बगराय मं ओकर मन के मदद लेथे अऊ वो मन अपन मन ले अइसने करथें.

बदखल करा दिनभर बिपत मं परे दुखी किसान मन के फोन आवत रहिथे. कभू-कभू मदद मांगे के रहिथे. कभू-कभू बगियाय वाले होथे. अक्सर, फोन ओकर ले सलाह लेगे सेती होथे.

“उहाँ किसान हवंय. उहाँ वन्य जीव हवंय.किसान नेता हवंय, वन्य जीव प्रेमी हवंय. अऊ येती सरकार हवय, वन, कृषि अऊ राजस्व अफसर आगू निपटाय मं लगे हवंय, धन समस्या ला हमेशा टारत हवंय.” बदखल अपन काम मं जुटे हवय, वो ह कहिथे,”ककरो करा कऊनो समाधान नई ये.”

Pamphlets and handbills that Badkhal prints for distribution among farmers.
PHOTO • Jaideep Hardikar
He is showing calendars that he prints to raise awareness and educate farmers about the procedure to claim compensation
PHOTO • Jaideep Hardikar

बाएं: पाम्पलेट अऊ हैंडबिल जेन ला बदखल ह किसान मन ला बांटे बर छापथे. वो ह (जउनि) कैलेंडर दिखावत हवंय, येला वो ह जागरूकता बढ़ाय अऊ किसान मन ला मुआवजा के दावा करे के तरीका के बारे मं सिखाय बर छापथें

ओकर कहना आय के सबले बढ़िया त मुआवज़ाच हासिल करे आय, काबर के इहीच अकेल्ला उपाय हवय.

अऊ येकरे सेती मोमा अपन गाड़ी मं, बस मं, फटफटी मं ककरो संग गांव-गांव जावत रइथे. किसान मन ले भेंट करथे, वो मन ला लड़े सेती एक होय बर मनाय के कोसिस करथे.

वो ह कहिथे, “जइसने-जइसने साधन मिलथे. मंय गांव मन मं जाय के योजना बनाथों.”

ये अभियान जुलाई ले अक्टूबर 2023 तक चलिस अऊ अकेल्ला चंद्रपुर जिला के करीबन हजार गाँव मं गीस.

वो ह कहिथे, “गर हरेक गाँव के पांच झिन किसान घलो वन विभाग करा मुआवजा दावा जमा कर देवंय, त ले घलो ये अभियान अपन उद्देश्य ला पूरा कर लिही.”

बदखल कहिथे, किसान मन ला एक जगा लाय मुस्किल आय. वो मन के रोये के आदत हवय, लड़े के नई. वो ह कहिथे, रोना असान आय अऊ सरकार ला दोस दे घलो आसान आय. फेर हक के सेती लड़े, नियाव मांगे अऊ समान्य उद्देश्य हासिल करे अपन मतभेद ला मिटाय कठिन आय.

'Even if five farmers in every village submit a compensation claim to the forest department, this campaign would have accomplished its objective,' he says
PHOTO • Jaideep Hardikar
'Even if five farmers in every village submit a compensation claim to the forest department, this campaign would have accomplished its objective,' he says
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वो ह कहिथे, ‘गर हरेक गाँव के पांच झिन किसान घलो वन विभाग करा मुआवजा दावा जमा कर देवंय, त ले घलो ये अभियान अपन उद्देश्य ला पूरा कर लिही’

संरक्षणवादी, पशु प्रेमी, विशेषज्ञ मन अऊ बघवा प्रेमी मन के एक ठन मंडली टीएटीआर मं अऊ ओकर तीर तखार मं वन्यजीव के हित ला आगू बढ़ाय मं लगे हवय, फेर वो मन के नजरिया समाज के कतको चिंता अऊ समस्या के परवाह करे बगैर बढ़त जावत हवय, बदखल दुख जतावत कहिथे.

ओकर आन्दोलन एकठन रद्दा बन गे हवय –अऊ बीते 20 बछर ले वो ह किसान मन के हक के आवाज बर जगा बन गे हवय.

बदखल जोर देवत कहिथे, “हमार बिचार वन्यजीव संरक्षण सेती काम करेइय्या मन ला नई भाय सकत हवय, फेर ये समझे महत्तम आय के ये ह इहाँ समाज के जिनगी अऊ मऊत के सवाल आय.”

अऊ अपन खेत मं, वो मन येला हरेक दिन, हरेक बछर सामना करत हवंय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Jaideep Hardikar

Jaideep Hardikar is a Nagpur-based journalist and writer, and a PARI core team member.

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Photographs : Sudarshan Sakharkar

Sudarshan Sakharkar is a Nagpur-based independent photojournalist.

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Editor : Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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