एल्लप्पन ह अकचकाय अऊ थोकन बगियाय घलो हवंय.

हमन समुंदर पार के कऊनो मछुवारा समाज के नो हन. येकरे बाद घलो काबर हमन ला सेंबानंद मारावर धन गोसांगी के रूप मं चिन्हारी करे गे हवय?

“हमन शोलगा अन,” करीबन 82 बछर के डोकरा सियान दावा करत कहिथें, “सरकार हमन ले सबूत चाहथे. हमन इहींचे रहत आय हवन, काय ये ह भरपूर सबूत नो हे? आधार अंटे आधार, येल्लिंडा तरली आधार? (सबूत, सबूत! बस इहीच रट लगाय हवंय)”

तमिलनाडु के मदुरई जिला के सक्कीमंगलम गांव के बासिंदा एल्लप्पन समाज के लोगन मन सड़क मं घूमत फिरत कोड़ा मारे के तमाशा दिखाथें, अऊ इहाँ वो ह चातई समाज के रूप मं जाने जाथें. फेर जनगणना मं वो मन ला सेंबानंद मारावर के सूची मं रखे गे हवय, अऊ अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) मं रखे गे हवय.

वो ह कहिथे. “जनगणना कर्मचारी आथें, हमन ले कुछु सवाल करथें अऊ ओकर बाद अपन मन मुताबिक हमन ला सूची मं राख देथें.”

एल्लप्पन तऊन अनुमानित 15 करोड़ भारतीय ले एक आय जेन ला गैर वाजिब तरीका ले चिन्हारी अऊ बांटे गे हवय. येकर कतको समाज ला अंगरेज शासन बखत लागू आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत ‘वंशानुगत अपराधी’ घोषित कर दे गे रहिस. ये कानून ला बाद मं 1952 मं रद्द कर दे गीस अऊ ये समाज ला डी-नोटिफ़ाइड ट्राइब्स (डीएनटी’ज) धन घूमंतु जनजाति  (एनटी’ज) के रूप मं बताय गीस.

नेशनल कमीशन फ़ॉर डिनोटिफाईड नोमैडिक एंड सेमी नोमैडिक ट्राइब्स डहर ले 2017 मं जारी एक ठन सरकारी रिपोर्ट कहिथे,  “अधिकतर मामला मं सबले अधूरा अऊ सबले खराब – वो मन के समाजिक हालत ले इही भाखा मं परिभाषित करे जा सकथे. वो मन समाजिक बेवस्था मं सबले तरी मं रखे गे हवंय अऊ आज घलो बीते दिन के बात ले जूझत हवंय जऊन ह वो मन के खिलाफ अंगरेज शासन बखत बना देय  गे रहिस.”

Yellappan, part of the Sholaga community
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lives in Sakkimangalam village in Madurai district of Tamil Nadu
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एल्लप्पन (डेरी) शोलगा समाज ले हवंय , अऊ तमिलनाडु के मदुरई जिला के सक्कीमंगलम (जउनि) गांव मं रहिथें

बाद मं ये मन ले कुछेक समाज ला अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी) अऊ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जइसने वर्ग मं सूचिबद्ध कर दे गीस. फेर 269 समाज ला आज तक ले कऊनो घलो सूची मं नई रखे जाय सके हवय. येकर खुलासा घलो 2017 के रिपोर्ट मं होय हवय. येकर डहर चेत नई होय सेती ये समाज मन ला सिच्छा अऊ रोजगार, जमीन मिले, राजनीति अऊ सरकारी नऊकरी मं हिस्सेदारी अऊ आरक्षण जइसने कतको हक मिलत नई ये.

ये समाज मन मं एल्लप्पन के शोलगा समाज ला छोड़, सर्कस के कलाकार, हाथ देखेईय्या, संपेरा, सस्ता जेवर, ताबीज अऊ रतन बेचेइय्या, पारंपरिक जड़ी-बूटियां बेचेइय्या, डंगचघा अऊ गोल्लर के सिंग धरेइय्या लोगन मन सामिल हवंय. ये मन के घूमंतू जिनगी जीथें अऊ रोजगार के कऊनो थिर जरिया नई ये. वो मन अभू घलो पेट सेती भटकत रहिथें अऊ लोगन के दया के भरोसा मं हवंय. फरे अपन लइका मन ला पढ़ाय सेती वो मन अपन ठीया जरुर बना ले हवंय, जिहां वो मं बखत-बखत मं जावत रहिथें.

जनगणना के मुताबिक, तमिलनाडु मं पेरुमल मट्टुकरन, डोम्मारा, गुडुगुडुपांडी अऊ शोलगा समाज ला एससी, एसटी अऊ एमबीसी वर्ग मं रखे गे हवय. ओकर खास पहिचान के अनदेखी करके वो मन ला आदियन, कट्टुनायकन अऊ सेम्बानंद मारावर समाज मं रखे गे हवय. कतको दीगर राज मं घलो कतको समाज मन ला अइसने गलत रूप मं सूचीबद्ध करेगे हवय.

पांडी कहिथें, “गर पढ़ई अऊ नऊकरी मं आरक्षण नई मिलही, त हमर लइका मन दूसर मन के मुकाबला मं खून टिके नई सकंय. हमन ले ये आस करे के बिन सहयोग के हमन दूसर समाज मन (ग़ैर-डीएनटी’ज अऊ एनटी’ज) के संग आगू बढ़े सकबो, कउनो तरीका ले सही नई आय.” वो ह पेरुमल मट्टुकरन समाज ले आय. ओकर समाज के लोगन मं बइला ला सजा के घूमत रहिथें, अऊ लोगन मन के घर-घर जा के मिले भीख ले अपन गुजर-बसर करथें. ये समाज ला बूम बूम मट्टुकरन के नांव ले घलो जाने जाथे अऊ लोगन मन भीख के बदला मं लोगन मन के भाग ला बताथें, अऊ भजन सुनाथें. साल 2016 मं अनुसूचित जनजाति के दरजा मिले के बाद ले वो मन  आदियन समाज मं सामिल कर ले गे हवंय. वो मन ये बात ले खुश नईं यें अऊ ये चाहत हवंय के लोगन मन वो मन ला पेरुमल मट्टुकरन के नांव ले पहिचानेंव.

पांडी जब हमन ले गोठियावत रहिथें, तभेच ओकर बेटा धर्मादोरई घर लहूंटथे. वो ह अपन एक हाथ मं सुंदर ढंग ले सजे बइला के रस्सी ला धरे हवय. खांध मं ओकर झोला लटके हवय जऊन मं भीख मं मिले जिनिस ला रखे हवय अऊ कुहनी मं मोट अकन किताब ला दबा के धरे हवय, ओकर जिल्द मं लिखाय हवय – ‘प्रैक्टिकल रिकॉर्ड बुक.’

His father, Pandi, with the decorated bull
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Dharmadorai is a student of Class 10 in akkimangalam Government High School in Madurai.
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धर्मादोरई जउनि मदुरई के सक्कीमंगलम राजकीय उच्च विद्यालय मं 10 वीं कच्छा मं पढ़थे. सजाय बइला के संग  ओकर ददा पांडी (डेरी)

धर्मादोरई, मदुरई के सक्कीमंगलम राजकीय उच्च विद्यालय मं 10वीं कच्छा मं पढ़थे. बड़े होके वो ह जिला कलेक्टर बने ला चाहत हवय, अऊ येला हासिल करे वो ला स्कूल मं पढ़े जरूरी आय, येकरे सेती, जब वोला अपन स्कूल के सात किताब बिसोय के जरूरत परिस, ओकर ददा डहर ले मिले 500 रूपिया ओकर सातवीं के किताब बिसोय सेती कम पर गे, तब धर्मादोरई  ह खुदेच ये पइसा के इंतजाम करे के फइसला करिस.

“मंय ये सजे बइला ला लेके निकर गेंव. करीबन 5 किलोमीटर तक घूमत रहे के बाद 200 रूपिया जुटा लेंव, ओकरे पइसा ले मंय ये किताब बिसोय हवंव.” वो ह बताथे. अपन मकसद ला हासिल करे सेती करे गे ये मिहनत के उछाह ओकर चेहरा मं झलकत रहय.

तमिलनाडु मं डीएनटी समाज के आंकड़ा (68) सबले जियादा हवय, अऊ एनटी समाज के नजर ले ये ह दूसरा (60) नंबर मं आथे, अऊ येकरे सेती, पांडी ला अइसने नई लगय के धर्मादोरई ला इहाँ बढ़िया ढंग ले पढ़ई-लिखई मिले सकही. “हमर मुकाबला बनेच अकन दूसर समाज के लोगन मन के संग हवय.” वो ह तऊन समाज डहर आरो करत रहिस, जऊन ला बनेच पहिली ले अनुसूचित जनजाति का दरजा मिले हवय. तमिलनाडु के स्कूल-कालेज मन मं अऊ नऊकरी मं 69 फीसदी जगा पिछड़ा वर्ग (बीसी), भारी पिछड़ा वर्ग (एमबीसी),  वन्नियार, डीएनटी, एससी अऊ एसटी समाज मन के सेती आरक्षित हवंय.

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हमन जऊन गाँव ले होके जाय रहिथन, गर ऊहाँ कुछु जिनिस गँवा जाय, त सबले पहिली हमर ऊपर दोस जाथे. कुकरी होय, गहना-जेवर होय धन कपड़ा लत्ता होय – कऊनो घलो चीज के चोरी सेती हमन ला कसूरवार माने जाथे. हमन ला सजा देय जाथे अऊ हमन ले मारपीट अऊ अपमानित करे जाथे,” करीबन 30 बछर के महाराजा कहिथें.

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His wife, Gouri performing stunts with fire
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डेरी : सड़क मं करतब दिखेइय्या डोम्मार समाज के कलाकार महाराजा अपन बंडी (डेरा) समेटत हवंय. जउनि: ओकर घरवाली गौरी आगि के संग करतब दिखावत हवंय

30 बछर के आर महाराजा डोम्मार समाज के आंय अऊ सड़क मं तमाशा दिखाथें. शिवगंगा जिला के मनमदुरई मं अपन परिवार के संग एक ठन बंडी (चलत कारवां) मं रहिथें. ओकर डेरा मं एक कोरी चार (24) परिवार रहिथें अऊ महाराजा के घर एक तीन चकिया गाड़ी आय. ये गाड़ी मं धरके परिवार के अऊ तमाशा-करतब के समान संग सवारी गाड़ी जइसने बन जाथे. ओकर जम्मो गृहस्थी अऊ करतब दिखाय के समान – जइसने सरकी, तकिया अऊ माटी तेल वाले स्टोब के संगे संग लाऊड स्पीकर, ऑडियो कैसेट प्लेयर, राड अऊ रिंग (जेकर ले वो ह करतब दिखाथे)- घलो ओकर संग चलत रहिथें.

“मंय अऊ मोर घरवाली गौरी बिहनिया-बिहनिया अपन बंडी ले निकर जाथन. हमन तिरुपत्तूर पहुंचथन, जेन ह इहाँ ले निकरे के बाद अवेइय्या पहिली गाँव आय, अऊ तलैवर (गाँव के मुखिया) ले गाँव के बहिर के इलाका मं डेरा डारे अऊ गाँव मं अपन तमाशा-करतब दिखाय के इजाजत लेथन, हमन वो ला अपन लाउडस्पीकर अऊ माइक सेती बिजली देय के बिनती घलो करथन.”

अऊ, ओकर बाद संझा करीबन 4 बजे ओकर खेल तमाशा शुरू होथे. सबले पहिली घंटा भर तक ले करतब दिखाय जाथे, अऊ ओकर बाद घंटा भर तक ले गाना के रिकॉर्डिंग मं नाचा के कार्यक्रम होथे, खेल खतम होय के बाद वो ह घूम घूम के देखेइय्या मन ले पइसा देय के बिनती करथें.

अंगरेज जमाना मं डोम्मार मन ला अपराधी जनजाति (क्रिमिनल ट्राइब) के रूप मं चिन्हारी करे गे रहिस.  वइसे,अब ये ला हटा दे गे हवय, “वो मन अभू घलो डेर्रावत रहिथें. आये दिन पुलिस के जुलुम अऊ भीड़ के हमला के निशाना बने के खबर सुने ला मिलथे,”  ये कहना आय समाज के हक के सेती काम करेइय्या मदुरई के एनजीओ ‘टेंट’ (द एमपॉवरमेंट सेंटर ऑफ़ नोमैड्स एंड ट्राइब्स) सोसाइटी के सचिव आर माहेश्वरी के.

वो ह कहिथें के अनुसूचित जाति अऊ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम ह भलेच अनुसूचित जाति अऊ जनजाति मन ऊपर भेदभाव अऊ हिंसा के खिलाफ क़ानूनी सुरच्छा दे हवय, फेर कतको आयोग अऊ वो मन के रपट मं देय सुझाव के बाद घलो डीएनटी अऊ एनटी जइसने कमजोर समाज के सेती कऊनो तरीका के संवैधानिक अऊ कानूनन सुरच्छा के प्रावधान नई ये.

Kili Josyam uses a parrot to tell fortunes.
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People from Narikuruvar community selling trinkets near the Meenakshi Amman temple in Madurai
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डेरी: किलि जोसयम एक ठन सुवा के मदद ले लोगन के अगम ला बताथें. जउनि : मदुरई के मीनाक्षी अम्मां मंदिर के तीर नारिकुरुवर समाज के लोगन मन सस्ता रतन , ताबीज़ अऊ जेवर-गहन बेंचत हवंय

महाराजा बताथें के डोम्मार कलाकार अपन घर लहूंटे के पहिली बछर भर घूमत रहिथें. “जऊन दिन पानी गिरथे धन पुलिस ह हमर खेल तमाशा ला रोक देथे, तऊन दिन हमन कुछु घलो कमाय नई सकन,”  गौरी बताथे. दूसर दिन वो अपन बंडी ला कऊनो दीगर गाँव ले जाथे. अपन आय जाय बखत वेओ मन एकेच गाँव अऊ रद्दा ले होक कतको घाओ गुजरत रहिथें.

ओकर सात बछर के बेटा मनिमारण के स्कूल के पढ़ई सेती समाज के लोगन मन मिलके उठाथें. वो ह कहिथें, “बछर भर लइका मन के देखभाल करे सेती मोर भाई के परिवार घर मं रहिस. कभू-कभार मोर कका लइका मन के देखरेख करथें.”

*****

अपन बखत मं रुक्मिणी के करतब देखेइय्या मन अचरज मं पर जावंय, वो अपन चुंदी ले बांध के भारी वजनी पखना ला उठा सकत रहिन, अऊ राड ला मोड़ सकत रहिन. आज घलो वोकर आगि के खतरा ले भरे करतब मं अच्छा खासा भीड़ रहिथे. ये खेल मं लऊठी चलाय, घुमाय अऊ कतको दीगर तमाशा शामिल हवंय.

सड़क मं करतब दिखेइय्या 37 बछर के कलाकार रुक्मिणी डोम्मार समाज के आंय अऊ तमिलनाडु के शिवगंगा जिला के मनमदुरई मं रहिथें.

रुक्मिणी कहिथे वो ला गलत बात करके घेरी बेरी हलाकान करे जाथे. “ हमन भारी सजथन अऊ रिंगी चिंगी कपड़ा पहिरथन, जेकर ले मरद मन गलत मतलब निकारथें. हमर देह ला गलत नीयत ले छुये के कोशिश करथें. हमन ला गारी देथें, अऊ अपन ‘दाम’ बताय ला घलो कहिथें.”

पुलिस घलो हमर कऊनो मदद नई करय. जऊन मरद मन के खिलाफ वो ह शिकायत करथे, लहूँटे वो मन हमन ला अपमानित करथें. रुक्मिणी के मुताबिक़, “वो हमरेच खिलाफ चोरी के मामला दरज करा देथें अऊ पुलिस ह येकर ऊपर कार्रवाई करत हमन ला बाद कर देथे अऊ पीटथे.”

साल 2022 मं ये एनटी समाज, जऊन ला इहाँ के लोगन मन कलईकूटाडिगल कहिथें, वो ला अनुसूचित जाति के रूप मं सूचीबद्ध करे गीस.

Rukmini, from the Dommara settlement in Manamadurai, draws the crowds with her fire stunts, baton twirling, spinning and more
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मनमदुरई मं डोम्मार बस्ती के रुक्मिणी आगि के करतब , लऊठी चलाय अऊ घूमाय के कलाबाज़ी ले अपन डहर भीड़ खींचत हवंय

रुक्मिणी के अनुभव ह पहिली के डीएनटी अऊ एनटी के बनिस्बत अलग नई ये. वइसे, अपराधी जनजाति अधिनियम ला निरस्त कर दे गीस, फेर कुछेक राज मं ओकर जगा आदतन अपराधी अधिनियम बनाय गीस, जऊन ह वइसनेच पंजीकरन अऊ निगरानी तरीका ऊपर हवय. दूनो मं एकेच अंतर इहीच आय के पहिली के जइसने जम्मो समाज ला नई, खास मइनखे ला निशान बनाय जाथे.

रुक्मिणी के समाज ह ये गाँव मं तंबू, ईंटा -माटी वाले झोपड़पट्टी के बिन सुबिधा के खोली अऊ कारवां मं रहिथे. रुक्मिणी के परोसी, 66 बछर के सेल्वी बताथे के वो ला यौन अतियाचार झेले ला परे हवय. सड़क मं करतब दिखेइय्या सेल्वी कहिथे, “गाँव के मरद मन रत मं हमर डेरा मं खुसर जाथें अऊ हमर बगल मं आके सुत जाथें. हमन येकरे सेती साफ सफ्फा नई रहन, जेकर ले वो मन हमर ले दूरिहा रहेंव. हमन अपन बाल नई कोरन, न नहावन अऊ न साफ कपड़ा पहिरन. येकर बाद घलो बदमास मन अपन करस्तानी नई छोड़ेंव.” सेल्वी दू बेटा अऊ दू बेटी के महतारी आय.

“जब हमन आवत जावत रहिथन, तब अतक असकट दिखथन के तुमन हमन ला पहिचाने नई सकहू,” सेल्वी के घरवाला रत्तिनम येकर आगू कहत जाथे.

समाज के 19 बछर के नोनी तयम्मा, सन्नतिपुडुकुलम के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मं 12वीं मं पढ्त हवय. वो अपन जनजाति मं स्कूल के पढ़ई पूरा करेइय्या पहिली नोनी होही.

फेर, आगू कालेज मं कंप्यूटर के पढ़ई करे के ओकर सपना ला शायदे ओकर दाई-ददा मानेंव.

“हमर जइसने समाज मं नोनी मं के सेती कालेज ह सुरच्छित जगा नो हे. स्कूल मं ‘सर्कस पोदर्वा इवा’ (सर्कस कलाकार) कहिके खिल्ली उड़ाय जाथे अऊ वो मन के संग भेदभाव करे जाथे. कालेज मं ओकर संग अऊ घलो खराब होय सकत हवय.” ओकर दाई लक्ष्मी येकर बारे मं आगू सोचत कहिथे, “अऊ वोला दाखिला घलो कऊन दिही? गर भरती मिल गे घलो त हमन ओकर फीस कइसने भरे सकबो?”

Families in the Sannathipudukulam settlement
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take turns fetching drinking water in a wheel barrow (right) every morning
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सन्नतिपुडुकुलम बस्ती मं रहेइय्या परिवार (डेरी) हरेक बिहनिया ठेला गाड़ी (जउनि) ले अपन पीये के पानी लाथें

‘टेंट’ के माहेश्वरी बताथें येकरे सेती ये समाज के नोनी मन के कम उमर मं बिहाव कर दे जाथे. “गर यौन शोषण, बलात्कार अऊ अवैध गर्भ ठहर जाय जइसने गलत घटना हो जाथे, त समाज ह वोला जात बहिर करे देथे अऊ ओकर बिहाव होय के आस सिरा जाथे,” सेल्वी बताथे.

अइसने करके समाज के माई लोगन ला दुहरा मार झेले ला परथे – न सिरिफ अपन समाज के भेदभाव ला झेले ला परथे, फेर औरत होय के सेती वो ला लैंगिक भेदभाव के घलो सामना करे ला परथे.

*****

तीन लइका के महतारी 28 बछर के हमसावल्ली कहिथे, “जब मंय 16 बछर के रहेंव, तब मोर बिहाव कर दे गे रहिस. मंय पढ़े-लिखे नई अंव, येकरे सेती मोला अगम बताय के पेशा ला धरे ला परिस. फेर मंय ये नई चाहंव के अवेइय्या पीढ़ी मन ला घलो ये बूता करे परे. इही कारन आय के मंय अपन सब्बो लइका ला स्कूल भेजथों.”

वो ह गुडुगुडुपांडी समाज के आंय अऊ मदुरई जिला के  गांव मन मं जाके लोगन मन के किस्मत ला बतावत घूमत रहिथें. दिन भर मं करीबन 55 घर मं जाथें. ये काम ला करत वो ह मध्य तमिलनाडु के 40 डिग्री वाले घाम मं करीबन 3 कोस (10 किलोमीटर) हरेक दिन रेंगत जाथें. साल 2009 मं ओकर बस्ती के रहेइय्या लोगन मन ला कट्टुनायकन, मतलब अनुसूचित जनजाति के रूप मं वर्गीकृत कर दे गीस.

मदुरई शहर के बस्ती जेजे नगर के अपन घर मं वो ह बताथे, “ये घर मं रहत हमन ला कुछु खाय के अऊ कभू रासन मिला जाथे. कभू-कभार कऊनो हमन ला एक धन दू रूपिया घलो दे देथे.”  जेजे नगर, मदुरई जिला के तिरुपरनकुंद्रम शहर मं करीबन 60 घर के एक बस्ती आय.

Hamsavalli with her son
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in the Gugudupandi settlement
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गुडुगुडुपांडी बस्ती (जउनि) मं अपने बेटा के संग बइठे हमसावल्ली (डेरी)

गुडुगुडुपांडी समाज के ये बस्ती मं न त बिजली हवय अऊ न सफाई के सुविधा. लोगन मन बस्ती के तीर के घन झाड़ी मं फारिग होय ला जाथें, येकरे सेती सांप काटे के घटना आम बात आय. हमसावल्ली बताथें, “इहाँ अतक लंबा सांप होथें के गुर्री मारे बइठे के बाद घलो मोर कनिहा तक ले पहुंच सकथें.” जब बरसात मं हमर तंबू टपके ला धरते, तब अधिकतर परिवार ‘स्टडी सेंटर’ के बड़े हाल मं रात गुजारथें, जेन ला एक ठन एनजीओ बनवाय रहिस.

फेर, ओकर आमदनी अतक नई ये के वो ह 11, 9 अऊ 5 बछर के अपन तीन झिन लइका के पेट भर सके. “मोर लइका मन हमेशा बीमार रहिथें. डॉक्टर कहिथे के ‘बढ़िया खाओ, लइका मन ला बीमारी ले लड़े के ताकत सेती पोसन के जरूरत हवय.’ फेर मंय अधिक से अधिक वो मन ला राशन मं मिले चऊर ले बने दलिया अऊ रसम खवाय सकथों.”

हो सकत हवय येकरे सेती वो ह पूरा जोर लगाके कहिथे, “मोर पीढ़ी के संग ये पेशा ह नंदा जाय ला चाही.”

ये समाज के अनुभव के अधार ले बी. आरी बाबू कहिथें, सामुदायिक प्रमाणपत्र सिरिफ वर्ग बतेइय्या पहिचान पत्र नो हे, वो ह मानवाधिकार ला हासिल करे के जरिया घलो आय.” बाबू मदुरई के अमेरिकन कॉलेज मं सहायक प्राध्यापक हवंय.

वो ह कहत जाथें, “ये प्रमाणपत्र ये समाज मन बर समाजिक नियाव के संगे संग राजनीतिक, समाजिक अऊ आर्थिक समावेश ला तय करे के एक ठन ताकतवर जरिया आय, जेकर ले बछरों बछर ले चले आवत प्रशासनिक गलती ला सुधारे जा सके.” वो ह बफून के संस्थापक घलो आंय जऊन ह अव्यावसायिक यूट्यूब चैनल आय. ये चैनल ह महामारी अऊ लॉकडाउन के बखत तमिलनाडु मं कोनहा मं परे अऊ अभाव के जिनगी गुजारत समाज मन के झेले गे दिक्कत अऊ समस्या ला दरज करे के काम करे हवय.

*****

सन्नतिपुडुकुलम के अपन घर मं आर. सुप्रमणि गरब ले अपन वोटर कार्ड दिखावत कहिथें, “60 बछर मं पहिली बेर मंय ये चुनाव मं (साल 2021 मं तमिलनाडु विधानसभा चुनाव मं) वोट डारे हवंव.” एनजीओ मन के मदद ले आधार कार्ड जइसने दूसर सरकारी कागजात घलो वो मन ला सुभीता ले मिलत हवय.

वो ह कहिथे, “मंय पढ़े-लिखे नई अंव, येकरे सेती दूसर बूता करके रोजी रोटी नई कमाय सकंव. सरकार ला हमन ला कऊनो बेवसाय के प्रसिच्छ्न अऊ करजा देय के बात सोचे ला चाही. येकर ले अपन रोजगार करे ला बढ़ावा मिलही.”

बीते बछर, 15 फरवरी मं सामाजिक न्याय अऊ अधिकारिता मंत्रालय ह डीएनटी सेती आर्थिक सशक्तिकरण योजना (एसईईडी) ला सुरु करे हवय. ये योजना ला तऊन परिवार ऊपर केन्द्रित रखे गे हवय “जेकर बछर भर के आमदनी 2.50 लाख रूपिया धन ओकर ले कमती हवय, अऊ वो परिवार जऊन ला केंद्र धन राज सरकार डहर ले अइसने कऊनो दीगर योजना के लाभ मिलत नई ये.”

A palm-reader in front of the Murugan temple in Madurai .
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A group of people from the Chaatai or whip-lashing community performing in front of the Tirupparankundram Murugan temple in Madurai
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डेरी: मदुरई मं मुरुगन मंदिर के आगू हाथ देख के अगम बतावत एक झिन माइलोगन. जउनि: मदुरई मं तिरुपरनकुंद्रम मुरुगन मंदिर के आगू चातई धन अपन आप ला कोड़ा मारेइय्या समाज के लोगन मन प्रदर्सन करत

प्रेस विज्ञप्ति मं घलो ये समाज के संग होवत भेदभाव के बात कहे गे हवय, अऊ “ वित्तीय वर्ष 2021-22 ले लेके  2025-26 के बीच के पांच बछर मन मं करीबन 200 करोड़ के रकम खरचा करे के योजना ऊपर जोर देय गे हवय.” फेर अब तक ले कऊनो समाज ला एको रूपिया मिले नई ये, काबर अब तक ले येकर आकलन के काम नई होय सके हवय.

सुप्रमणि कहिथें, “हमन ला संविधान मं एससी अऊ एसटी जइसने अलग अऊ साफ-साफ मान्यता मिले ला चाही.ये ह राज सरकार डहर ले ये बात ला तय करे के दिशा मं पहिली कदम होही के हमर संग पक्षपात के बेबहार नई करे जावत हवय.” ओकर मुताबिक उचित अऊ बिन गलती के गिने के बादेच ये समाज मन ला अऊ येकर लोगन मन के बने करके पहिचान होय सकही.

येलेख ला 2021-22 के एशिया पैसिफ़िक फोरम ऑन वीमेन , लॉ एंड डेवलपमेंट (एपीडब्ल्यूएलडी) मीडिया फ़ेलोशिप के तहत लिखे गे हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Pragati K.B.

Pragati K.B. is an independent journalist. She is pursuing a master’s in Social Anthropology at the University of Oxford, UK.

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Editor : Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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