पावरी, गुजरात के डांग जिले में रहने वाले आदिवासी समुदायों का एक पारंपरिक वाद्ययंत्र है, जिसे वे उत्सव और त्योहारों में निरंतर बजाते हैं। इस वाद्ययंत्र को स्थानीय स्तर पर उगने वाले वृक्षों से प्राप्त लकड़ी से बनाया जाता है, जिसमें सींग जैसी संरचना जुड़ी होती है और उसे चमकीले नीले-चांदी के रंग से पेंट किया जाता है। पावरी महाराष्ट्र के धुले जिले में भी बजाया जाता है, मुख्यतः शादियों में। लेकिन डांग में, इसका उपयोग अक्सर किया जाता है, विशेष रूप से डांग दरबार में, जो कि होली के सप्ताह के दौरान एक शानदार वार्षिक तीन दिवसीय उत्सव है। हालांकि अब, बहुत कम लोग ही पावरी बजाते हैं।
हिंदी अनुवाद: मोहम्मद क़मर तबरेज़