साल 2023 पारी की फ़िल्म्स डिवीज़न के लिए सबसे अच्छा साल रहा. इस साल ग्रामीण भारत पर आधारित बहुत से वीडियो, डॉक्यूमेंट्री, छोटी क्लिप और फ़ीचर फ़िल्में तैयार की गईं.

ऑनलाइन पत्रिका के बतौर, हम उन फ़िल्मों को बढ़ावा देते हैं जो हमारे आसपास की ख़बरों और घटनाओं पर पैनी नज़र रखती हैं. बिहार के मदरसा अज़ीज़िया पर हमारी फ़िल्म ने बिहारशरीफ़ शहर में 113 साल पुराने पुस्तकालय को सांप्रदायिक उन्माद में जलाने के कारणों की पड़ताल की. नवीकरणीय ऊर्जा पर बनी हमारी फ़िल्म ने जैसलमेर ज़िले के पवित्र ओरणों की ज़मीन को 'बंजर भूमि' के रूप में दिखाकर उसे सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों को सौंपने का मामला उठाया.

हमारे साल की शुरुआत असम में ब्रह्मपुत्र के द्वीपों से एक आदिवासी चरवाहे के मधुर प्रेम गीत के साथ हुई. साल भर हम देश के विभिन्न हिस्सों जैसे पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान और अन्य जगहों से गीतों और नृत्य के वीडियो प्रकाशित करते रहे.

साल का अंत हम पारी के ग्राइंडमिल सॉन्ग्स प्रोजेक्ट पर बनी एक फ़िल्म से कर रहे हैं, जो दशकों से जारी इस अभूतपूर्व यात्रा का दस्तावेज़ीकरण करती है.

इस साल हमने एक अहम फ़िल्म मोल प्रकाशित की, जो पुणे में कचरा बीनने वाली महिलाओं की मुश्किलें उजागर करती है. ये महिलाएं सवाल पूछती हैं, "अगर कचरा आप पैदा कर रहे हैं, तो हम 'कचरेवाली' कैसे हुईं?" और बदलती हुई जलवायु के असर को लेकर हमने अल्फ़ांसो आम पर फ़िल्म तैयार की, जिसके उत्पादक मौसम की बेरुखी से परेशान थे.

पूरे साल हमने अपनी आर्काइव में अलग-अलग समुदायों पर बनी फिल्में जोड़ीं. मडिगा समुदाय के लोगों द्वारा मेडापुरम में उगादी त्योहार पर बनी इस फ़िल्म ने इस नई दलित परंपरा को जीवंत कर दिया. मालाबार क्षेत्र में कई जातियों-समुदायों की कला तोल्पावकूतु के संघर्ष पर बनी यह लंबी फ़िल्म कठपुतली कला के ज़रिए बहुसांस्कृतिक कथाएं सामने रखती है. पड़ोसी राज्य कर्नाटक के एक नादस्वरम वादक के जीवन को इस फ़िल्म ने ख़ूबसूरती से उकेरा, जो तुलुनाडु में भूत पूजा का एक अहम हिस्सा हैं. धातु की आकृतियां बनाने की तक़रीबन लुप्त हो चुकी मोम-कास्टिंग की तकनीक डोकरा को पश्चिम बंगाल की इस फ़िल्म में दर्शाया गया.

हमारी गुज़ारिश है कि इन फ़िल्मों को ज़रूर देखें!

मदरसा अज़ीज़िया की याद में

बिहारशरीफ़ में 113 साल पुराने एक मदरसे और उसकी 4,000 से ज़्यादा किताबों वाले पुस्तकालय में दंगाइयों ने आग लगा दी.

12 मई 2023 | श्रेया कात्यायिनी

ओरण बचाने की लड़ाई

सौर और पवन ऊर्जा संगठन राजस्थान के ओरण (घास के मैदानों) पर लगातार अतिक्रमण कर रहे हैं, जिन्हें सरकारी रिकॉर्ड में 'बंजर भूमि' के रूप में ग़लत ढंग से वर्गीकृत किया गया है. इन संगठनों की तेज़ी से बढ़ती मौजूदगी से पारिस्थितिकी और आजीविका में भारी बदलाव आ रहे हैं.

25 जुलाई 2023 | ऊर्जा


ज़िंदगी और मोहब्बत के गीत गाता चरवाहा

सत्यजीत मोरांग असम की मिसिंग जनजाति से हैं. इस वीडियो में वह ओइनिटोम शैली में एक प्रेम गीत गा रहे हैं और ब्रह्मपुत्र नदी में बने द्वीपों पर भैंस चराने की बात कर रहे हैं.

2 जनवरी 2023 | हिमांशु चुटिया सैकिया


ग्रामीण भारत की रसोई के गीत

सैकड़ों गांवों में फैले एक लाख से अधिक गीत और 3,000 से अधिक कलाकारों के साथ ग्राइंडमिल सॉन्ग्स प्रोजेक्ट (जीएसपी) सामान्य महिलाओं, किसानों, मज़दूरों, मछुआरों की ही नहीं, बल्कि बेटियों, पत्नियों, मांओं-बहनों के स्वरों के दस्तावेज़ीकरण का एक अभूतपूर्व प्रयास है, जब वो पत्थर की चक्की 'जात्यवर्च्या ओव्या' के गीत गाती हैं. इस प्रोजेक्ट में शामिल गीतों की विरासत और इसकी शुरुआत की कहानी पेश करती पारी की डॉक्यूमेंट्री.

7 दिसम्बर 2023 | पारी टीम


वर्थ | मोल

दो अक्टूबर को स्वच्छ भारत दिवस पर पुणे में कचरा इकट्ठा करने वाली महिलाओं पर एक फ़िल्म.

2 अक्टूबर 2023 | कविता कार्नाइरो

अल्फ़ांसो का राज ख़त्म

महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में किसान अल्फ़ांसो आम की फ़सल में भारी गिरावट से परेशान हैं

13 अक्टूबर 2023 | जयसिंग चव्हाण

उगादी उत्सव: वर्चस्व और पहचान की कथा

आंध्र प्रदेश के मेडापुरम में सालाना उगादी उत्सव का भव्य आयोजन मडिगा समुदाय द्वारा किया जाता है, जो देवता की मूर्ति को अपने गांव में लेकर आए थे.

27 अक्टूबर 2023 | नागा चरण

परछाइयों की कहानी: मालाबार की तोल्पावकूतु शैली की कठपुतली कला

केरल के मालाबार क्षेत्र के गांवों की शैडो पपेट थिएटर की कला पर आधारित एक फ़िल्म.

29 मई 2023 | संगीत शंकर

तुलुनाडु के भूत

अरब सागर के किनारे स्थित, कर्नाटक के इस क्षेत्र में विभिन्न समुदायों के लोग मिलकर भूत पूजा करते हैं. सैयद नासिर और उनकी संगीत मंडली इन अनुष्ठानों में संगीत प्रदर्शन करते हैं. यह फ़िल्म इस संगीत मंडली की विरासत पर आधारित है.

26 अप्रैल 2023 | फ़ैसल अहमद

डोकरा: बदलाव की कला

पीयूष मंडल लॉस्ट-वैक्स कास्टिंग तकनीक का इस्तेमाल कर धातु की आकृतियां बनाते हैं. कुशल डोकरा शिल्पकारों की मुख्य चिंताएं कच्चे माल और मौसम से जुड़ी हैं, जो इसकी निर्माण-प्रक्रिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण शर्ते हैं.

26 अगस्त 2023 | श्रेयशी पॉल


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अनुवाद: देवेश

Shreya Katyayini

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سنچیتا ماجی، پیپلز آرکائیو آف رورل انڈیا کی سینئر ویڈیو ایڈیٹر ہیں۔ وہ ایک فری لانس فوٹوگرافر اور دستاویزی فلم ساز بھی ہیں۔

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دیویش ایک شاعر صحافی، فلم ساز اور ترجمہ نگار ہیں۔ وہ پیپلز آرکائیو آف رورل انڈیا کے لیے ہندی کے ٹرانسلیشنز ایڈیٹر کے طور پر کام کرتے ہیں۔

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