“देखीं! हमनी के मोटर माटी में दब गइल बा.” देवेंद्र रावत तनी खिसियाइल लागत बाड़न. ऊ माटी में धंसल आपन पंपिंग सेट निकाले के कोशिश करत हवन. देवेंद्र मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिला के सूंढ़ गांव में रहेलें. एगो 48 बरिस के किसान के कहनाम बा, “बाढ़ के चलते हमार खेत बरबाद हो गइल. मोटर तीन महीना से जमीन में दबल पड़ल बा. एगो कुंआ भी रहे, जे धंस गइल. बताईं, हम का करीं?”

मध्यप्रदेश में शिवपुरी के नरवर तहसील में आवे वाला सूंढ़, सिंध नदी के दू गो धारा के बीच बसल बा. सिंध नदी में साल 2021 में बाढ़ आइल रहे. ओह घरिया इहंवा के आबादी 635 (2011 के जनगणना के हिसाब से) रहे. बाढ़ अइला के बाद त इहंवा भारी तबाही मच गइल. देवेंद्र बतावत बाड़न, “अइसन बाढ़ हमनी के कबो ना देखले रहनी. हमनी के गांव पानी में डूब गइल. बाढ़ से हमनी के धान के 30 बीघा (इहे कोई 18 एकड़) खेत जियान हो गइल. हमार घर के छव बीघा (इहे कोई 3.7 एकड़) खेत त नदी के कटाव में हरमेसा खातिर बिला गइल.”

काली पहाड़ी पंचायत के सूंढ़ गांव, चारों ओरी से बाढ़ के पानी से घिरल बा. एहि से ई एगो द्वीप जइसन लागेला. जब जादे बरसात होखेला त इहंवा के लोग के आम दिनन में भी तैर के, ना त पानी हेल के एह पार से ओह पार जाए के पड़ेला.

देवेंद्र बतवलें, “बाढ़ आइल त, हमनी के गांव तीन दिन तक डूबल रह गइल.” ओह घरिया सरकारी नाव से लोग के बहिरा निकालल गइल रहे. वइसे 10-12 लोग गांव में ही रुक गइल रहे. देवेंद्र बतावत बाड़न कि बाढ़ में बिजली भी कट गइल, जे एक महीना बाद आइल.

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सूंढ़ गांव के देवेंद्र रावत नदी के कटाव के कारण जमीन में धंसल आपन मोटर निकाले के कोशिश करत बाड़न

भारतीय मौसम विभाग के जुटावल जानकारी के हिसाब से, साल 2021 में 14 मई से 21 जुलाई के बीच मध्यप्रदेश में पश्चिमी इलाका में 20 से 59 प्रतिशत तक कम बरसात भइल रहे.

बाकिर एके हफ्ता बाद, 28 जुलाई से 4 अगस्त के बीच औसत से 60 प्रतिशत या ओकरो से अधिका बरसात भइल. एहि वजह रहे कि सिंध के दू गो बड़हन बांध- मड़ीखेड़ा के अटल सागर बांध आउर नरवर के मोहिनी बांध, के फाटक खोले के पड़ल. एकरा बाद गांव में बाढ़ आ गइल. अटल सागर बांध के एसडीओ जीएल बैरागी बतइलन, “बांध खोले के अलावा हमनी लगे कवनो दोसर चारा ना रहे. बांध के बचावे के बा, त पानी के निकालल जरूरी रहे. अइसन 2 चाहे 3 अगस्त के बहुत जादे बरसात भइला के कारण भइल.”

मध्यप्रदेश में बहुत जादे पानी बरसेला त ओकर असर सीधा सिंध नदी पर पड़ेला. मध्य प्रदेश के भोपाल जिला के बरकतुल्ला विश्वविद्यालय में विपिन व्यास बायो साइंस विभाग में प्रोफेसर बाड़न. उनकरा नदी के बारे में भी नीमन जानकारी बा. विपिन व्यास के कहनाम बा, “सिंध, गंगा बेसिन के हिस्सा बा. ऊ दक्षिण ओरी से उत्तर ओरी बहेला. सिंध नदी हिमालय से ना निकलेला. एहि सभ कारण से ऊ बरसात के पानी के आसरे रहेला.”

बाढ़ से इहंवा के फसल चक्र पर भी खराब असर पड़ल ह. देवेंद्र के मानल जाव त, “धान आउर तिली (तिल) के फसल बरबाद हो गइल. हमनी गेहूं के खेती भी अबकी बेर नीमन से ना कर पइनी.” सिंध के तटीय इलाका में सरसों के खेती खूब होखेला. बाढ़ के बाद जादे किसान लोग सरसों के खेती कइल पसंद करेला.

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बावां: देवेंद्र आउर उनकर भतीजा रामनिवास (बीच में) बाढ़ में बरबाद भइल आपन खेत के सोझा ठाड़ बाड़न. दहिना: रामनिवास (उज्जर बुश्शर्ट में) कहले, 'मौसम बदलला के कारण भारी बरखा आउर बाढ़ से हमनी के फसल जियान होखत बा'

मौसम में उतार-चढ़ाव आवे से खेती में भारी नुकसान होखेला. एहि पर देवेंद्र के भतीजा रामनिवास कहले, “मौसम बदले से भारी बरखा आउर बाढ़ आवेला. हमनी के फसल तबाह होखत रहेला. एकरा अलावा, जादे गरमी पड़े से भी पौधा सभ के नुकसान होखे के खतरा रहेला.”

ऊ बतावत बाड़ें कि बाढ़ के बाद पटवारी आउर गांव के सरपंच, गांव वाला के हालचाल पूछे आइल रहे. ऊ लोग आस बंधवले रहे कि हमनी के मुआवजा जरूर दिलवावल जाई.

देवेंद्र कहलें, “हमनी के धान के फसल बाढ़ के कारण पूरा बरबाद हो गइल रहे. हमरा 2,000 रुपइया प्रति बीघा के हिसाब से मुआवजा मिलल रहे.” लगही ठाड़ रामनिवास बतइलन, “बाढ़ से हमनी के धान के फसल बरबाद ना होखित, त एकरा बेच के कमो ना त, तीन से चार लाख रुपइया के मुनाफा जरूर मिल जाइत.”

देवेंद्र के परिवार पूरा तरह से खेतिए पर टिकल बा. लॉकडाउन के कारण फसल के बाजार भाव गिर गइल बा. महामारी के बाद से परिवार खातिर हालात बद से बदतर हो गइल. देवेंद्र के लइकी आउर भतीजा दूनो के 2021 में बियाह भइल रहे. देवेंद्र समझावत बाड़ें, “कोरोना के बाद हर चीज के दाम आसमान छूअत बा. बाकिर शादी पहिले से तय रहे. एहि से हमनी लगे आगे बढ़े के इलावा कवनो उपाय ना रहे.”

अगस्त, 2021 के शुरुआत में अचानक आइल बाढ़ से परिवार के मुश्किल बहुत जादे बढ़ गइल.

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बावां: जब 2021 में बाढ़ आइल त सिंध के तट पर लागल बहुते पेड़ गिर गइल. दहिना: भारी बरखा के बाद नरवर तहसील में मोहनी बांध के फोटक खोल देहल गइल, जेकरा से गांव में बाढ़ आ गइल

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किसान साहब सिंह रावत, सिंध नदी के तीरे आपन खेत के दुखी होके देखत बाड़न. ऊ दतिया जिला के इंदरगढ़ तहील में तिलैथा गांव के रहेवाला बाड़न. किसान सिंह हमनी से कहलन, “बेमौसम बरसात के कारण ऊंख के साढ़े 12 बीघा (मोटा मोटी 7.7 एकड़) फसल तबाह हो गइल.” उनकर कहनाम बा कि साल 2021 में ठंडा में खूब बारिश हो गइल रहे. एहि से किसानन के अच्छा-खासा नुकसान झेले के पड़ल.

सूंढ़ में बसल घर सभ ऊंचाई पर बा. एहि से उहंवा बाढ़ से जानमाल के कवनो नुकसान ना भइल. बाकिर, बाकी गांवन के भाग एतना नीमन ना रहे. काली पहाड़ी ग्राम पंचायत के निवासी सुमित्रा सेन बतइली कि उनकर गांव के लोग पानी के स्तर नापत रहत रहे. ऊ लोग झोला में पांच किलो अनाज लेके हरमेसा पहाड़ी पर चढ़े के तइयार रहत रहे.

सुमित्रा सेन लगे के एगो स्कूल में खाना बनावे के काम करेली. मोटा मोटी 45 बरिस के सुमित्रा सेन मजदूरी भी करेली. उनकर घरवाला, धनपाल सेन प्राइवेट कंपनी में नौकरी करेलन. धनपाल, 50 बरिस, पछिला 8-9 बरिस से अहमदाबाद में पाउच बनावे वाला कंपनी खातिर काम करत बाड़न. उनकर 16 बरिस के छोट लइका, अतिंद्र सेन भी उहंई काम करेलन. सुमित्रा नाई समाज से बाड़ी. उनकरा सरकार से बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड भी मिलल बा.

मदनपुरा गांव के रहेवाला विद्याराम बघेल बतइलें कि उनकर तीन बीघा (मोटा-मोटी दू एकड़) के खेत कट गइल. “हमनी के पूरा फसल बरबाद हो गइल, आउर खेत में रेत भर गइल रहे.” मदनपुरा गांव दतिया जिला के सेवढ़ा ब्लॉक में पड़ेला.

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बावां: बिन मौसम बरसात से तिलैथा के किसान साहब सिंह रावत के ऊंख के करीब 7.7 एकड़ फसल बरबाद हो गइल. दहिना: कालीपहाड़ी के सुमित्रा सेन के गांव में सभे कोई बाढ़ के डरे झोला में हरमेसा पांच किलो अनाज लेले, पहाड़ी पर चढ़े खातिर तइयार रहत रहे. नीचे: विद्याराम बघेल के खेत रेत से भर गइल रहे

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सूंढ़ के लोग के शिकायत बा कि सरकार नदी पर पुल नइखे बनावे के चाहत. ऊ लोग के दावा बा कि पुल बनावे के लागत बहुत जादे होखे के कारण अइसन कइल जात बा. एह गांव में खेती करे लायक मोटा-मोटी 700 बीघा (करीब 433 एकड़) जमीन बा. एह सभ जमीन गांव वाला के हवे. इहंवा रहे वाला रामनिवास कहले, “हमनी बसे खातिर कहीं दोसरो जगह चल जाई, बाकिर खेती खातिर त इहंई आवे के पड़ी.”

देवेंद्र आउर उनकर परिवार हर हाल में आपन गांव में डटल बा. भले इहंवा मौसल बदले के कारण बेमौसम-बेहिसाब बरसात होखे, भले नदियन पर बांध बनत जाए आउर ओकर नीमन रख-रखाव ना होखे से डूब आउर बाढ़ के खतरा बढ़त होखे. देवेंद्र के घरवाला लोग आपन जमीन ना छोड़े के संकल्प लेले बा. देवेंद्र कहले, “हमनी गांव ना छोड़म. इहंवा से तबे जाएम, जब सरकार हमनी के जमीन के बदला में दोसरा जगह एतने जमीन दीही.”

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Rahul

راہل سنگھ، جھارکھنڈ میں مقیم ایک آزاد صحافی ہیں۔ وہ جھارکھنڈ، بہار اور مغربی بنگال جیسی مشرقی ریاستوں سے ماحولیات سے متعلق موضوعات پر لکھتے ہیں۔

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ایشانی گوسوامی، احمد آباد میں مقیم واٹر پریکٹشنر اور آرکٹیکٹ ہیں۔ انہوں نے واٹر رسورس انجینئرنگ اینڈ مینجمنٹ میں ایم ٹیک کیا ہے، اور ندی، باندھ، سیلاب اور پانی کے بارے میں مطالعہ کرنے میں دلچسپی رکھتی ہیں۔

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دیویش ایک شاعر صحافی، فلم ساز اور ترجمہ نگار ہیں۔ وہ پیپلز آرکائیو آف رورل انڈیا کے لیے ہندی کے ٹرانسلیشنز ایڈیٹر کے طور پر کام کرتے ہیں۔

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سورن کانتا ایک صحافی، ایڈیٹر، ٹیک بلاگر، کنٹینٹ رائٹر، ماہر لسانیات اور کارکن ہیں۔

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