मणिपुर के कांगपोकपी जिला मं दू झिन कुकी- जऊन मन जो आदिवासी परिवार के 40 लोगन के आबादी वाले एक ठन नान कन गांव नाहमुन गुनफाइजांग डहर जावत हवंय. अपन खेत डहर जावत वो मन घन झाड़-झंखाड़ ला काटत डोंगरी मं चढ़थें. साल 2023 मं भादों के ये दिन बदली छाय हवय, अऊ चरों डहर जंगली झाड़-झंखाड़ जामे हवय.
वइसे, कुछेक बछर पहिली, ये डोंगरी मन खसखस के पऊध (पेपेवर सोम्निफेरम) मनभावन धौंरा, बैंगनी अऊ गुलाबी फूल ले तोपाय रहिन.
संग चलत पाओलाल नांव के एक झिन किसान कहिथें, “मंय1990 के दसक के सुरू मं गांजा [कैनेबिस सैटाइवा] लगावत रहेंव, फेर वो मं जियादा पइसा नई मिलत रहिस. साल 2000 के दसक के सुरु मं लोगन मन ये डोंगरी मं कानी [अफ़ीम] के खेती सुरु करिन. मंय घलो लगायेंव, जब तक के कुछु बछर पहिली ये मं रोक नई लगा दे गीस."
पाओलाल साल 2020 के जड़कल्ला के बता करत हवंय, जब नाहमुन गुनफाइजांग के मुखिया एस.टी. थांगबोई किपगेन ह गांव मं अफ़ीम के खेती ला खतम करे अऊ किसान मन ले येकर खेती बंद करे के अपील करिस. ये ह ओकर एके झिन के फइसला नई रहिस, ये ह राज मं भाजपा सरकार के आक्रामक ' नशा के ख़िलाफ़ लड़ई ' अभियान के तहत लेय गेय रहिस.
पोस्त, जेकर ले भारी नशीला जिनिस अफीम बनाय जाथे, के खेती खास करके मणिपुर के पहाड़ी जिला जइसने चुराचांदपुर, उखरुल, कामजोंग, सेनापति, तामेंगलोंग, चंदेल, तेंगनौपाल अऊ कांगपोकपी मं करे जाथे; कांगपोकपी के अधिकतर बासिंदा कुकी-ज़ो जनजाति ले हवंय.
पांच बछर पहिली, साल 2018 के कार्तिक मं, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के अगुवई वाले भाजपा राज सरकार ह नशा के खिलाफ लड़ई सुरु करे रहिस. सिंह ह पहाड़ी जिला मन के गाँव के मुखिया अऊ चर्च ले वो इलाका मं पोस्ता के खेती छोड़े के अपील करिस.
इहां के कुकी-ज़ो जनजाति के लोगन मन के कहना आय के ' ड्रग्स के खिलाफ लड़ई ' अभियान ह वो मन के ऊपर सीधा हमला आय, इहाँ तक ले के साल 2023 के बइसाख मं बहुसंख्यक मैतेई समाज अऊ अल्पसंख्यक कुकी-ज़ो आदिवासी मन के बीच होय ख़ूनी झड़प ला घलो बढ़ावा मिले हवय. वइसे पोस्त नागा अऊ कुकी-जो दूनों पहाड़ी जिला मं उगाय जाथे. इहाँ के लोगन मन के आरोप हवय के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह (भाजपा) ह मणिपुर मं नशीली दवई के कारोबार ला चले सेती कुकी मन ला जिम्मेवार ठहराया हवय.
पाओलाल जइसने नाहमुन गुनफाइजांग के 30 किसान परिवार मन ला पोस्त के खेती छोड़के मटर, गोभी, आलू अऊ केरा जइसने साग-सब्जी अऊ फल लगाय सेती मजबूर करे गीस, जेकर ले वो मन ला अपन बीते कमई के नान कन हिस्सा मिले सकिस. गाँव के सियान मुखिया सैमसन किपगेन कहिथें, “ये वो मन के ढेंठू चपके जइसने बात रहिस,” इहां ज़मीन समाज के मालिकाना हक मं होथे , जेन ह गांव के मुखिया के अधीन रहिथे, अऊ ये काम पुरखौती ले एकेच परिवार करत चलत आवत हवय. वो ह आगू बताथे, फेर वो मन [जेन किसान मन येला छोड़ दीन] समझत रहिन के ये ह गाँव अऊ पर्यावरण के भलाई सेती आय.”
वइसे, 45 बछर के किसान पाओलाल कहिथें के सरकार डहर ले
किसान मन ला गिरफ्तार करके जेल मं डारे के धमकी ह आखिर मं ये खेती ला बंद करा दीस.
अभियान के बखत धमकी दे गे रहिस कि गर गाँव के कऊनो लोगन मन सहयोग नई करहीं त पुलिस
वो मन के पोस्त के खेत ला लू के आगि धरा दिही. हालेच मं घाटी के लोगन मन के एक ठन
मंडली हा ये दावा करे रहिस के केंद्र ह
पोस्त के खेत मन मं हवाई हमला
कराय के सोचत हवय, फेर येकर आधिकारिक पुष्टि नई
होईस.
साल 2018 के बाद ले, राज सरकार ह 18,000 एकड़ ले जियादा पोस्त के खेती ला नास करे अऊ 2,500 किसान मन ला गिरफ्तार करे के दावा करे हवय. वइसे, मणिपुर पुलिस के एक ठन विशेष इकाई, नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ़ बॉर्डर के साल 2018 ले 2022 तक के आंकड़ा ले पता चलथे के कुल 13, 407 एकड़ पोस्त के बारी के नास करे गीस.
मणिपुर के सरहद दुनिया के सबले बड़े पोस्त कमेइय्या म्यांमार ले लगथे, जिहां मॉर्फ़ीन, कोडीन, हेरोइन अऊ ऑक्सीकोडोन जइसने दीगर भारी नशीला जिनिस मन ला बनाय अऊ बेंचे जाथे. लकठा मं होय के सेती ये राज ह नशा के दवई अऊ दीगर ग़ैरक़ानूनी जिनिस के कारोबार सेती भारी चेत धरे रहिथे. साल 2019 के सर्वेक्षण मैग्नीट्यूड ऑफ़ सब्सटेंस अब्यूज़ इन इंडिया के मुताबिक़ (सामाजिक न्याय अऊ अधिकारिता मंत्रालय) पूर्वोत्तर भारत मं मणिपुर मं इंजेक्शन ले नशीली दवई लेवेइय्या लोगन मन के संख्या सबले जियादा हवय.
“काय नवा पीढ़ी ला बचाय सेती नशीली दवई के खिलाफ लड़ई करे गलत रहिस?” मुख्यमंत्री सिंह ह साल 2023 के अग्घन मं इंफाल के भाजपा मुख्यालय मं एक ठन बइठका बखत पार्टी के कार्यकर्ता मन ला समाज मं लड़ई सेती भाजपा ला जिम्मेवार ठहराय के आरोप के जुवाब देवत रहिस.
सोचे के बात आय के ये ह नशा के खिलाफ लड़ईच रहिस जेकर सेती डेम्ज़ा के लइका मन के पढ़ई-लिखई अटक गे.
चार बछर पहिली, डेम्ज़ा अऊ ओकर परिवार नाहमुन गनफाइजांग मं पोस्त के खेती करके आराम के जिनगी गुजारत रहिस. ये मं रोक लगे के बाद, डेम्ज़ा मिश्रित फसल के खेती करे लगिस अऊ ओकर आमदनी गिर गे. पारी ले गोठियावत डेम्ज़ा कहिथे , “जब हमन बछर भर मं दू बेर [साग-सब्जी] लगाथन अऊ बढ़िया उपज होथे त हमन बछर भर मं एक लाख तक कमाय सकथन. फेर सिरिफ एकेच फसल लेके पोस्त ले हमन बछर भर मं कम से कम तीन लाख रूपिया कमा लेवत रहेन.”
आमदनी मं ये भारी गिरती सेती वोला अपन लइका मन ला इम्फाल के स्कूल ले निकारे ला परिस; वो ह वो मन ले एक झिन ला कांगपोकपी जिला मुख्यालय के एक ठन स्कूल मं भरती कराय सकिस.
कांगपोकपी , चुराचांदपुर अऊ तेंगनौपाल के पहाड़ी जिला मन मं साल 2019 के एक ठन अध्ययन मं बताय गे हवय के गरीबी, खाय के चिंता अऊ कतको जरूरत ह मणिपुर मं आदिवासी किसान मन ला अफीम के खेती करे ला उकसाथे. ये अध्ययन के अगुवई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी), गुवाहाटी मं समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर नगमजहाओ किपगेन ह करे रहिस. वो ह 60 परिवार के सर्वे करे रहिस अऊ पाय रहिस के एक हेक्टेयर जमीन मं 5-7 किलो अफीम होथे, जेन ह 70,000 -1,50,000 रूपिया किलो तक ले बिक सकथे.
ये तऊन किसान मन के सेती फायदा के उपज आय जेन मन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) जइसने दीगर काम-बूता नई मिलय.
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कार्तिक महिना अल्पसंख्यक कुकी-ज़ो जनजाति सेती तिहार के बखत होथे, काबर के वो मन सलाना कुट तिहार मनाथें. ये ह पोस्त के फ़सल लुये के बखत होथे. तिहार के बखत समाज मिलजुल के बढ़िया खाथे-पिथे, नाचथे-गाथे इहाँ तक लेसौंदर्य प्रतियोगिता घलो होथे. वइसे, साल 2023 अलग रहिस. मई मं मैतेई समाज अऊ कुकी-ज़ो के बीच मं ख़ूनी रार छिड़ गे, जेन मं मणिपुर के 53 फीसदी आबादी सामिल रहिस.
साल 2023 मं फागुन के आखिर मं मणिपुर हाई कोर्ट ह राज सरकार ला मैतेई समाज ला लंबा बखत ले चले आवत मांग - अनुसूचित जनजाति सूची में सामिल करे –बर बिचार करे ला कहिस, जेकर ले वो मन ला आर्थिक फायदा अऊ सरकारी नऊकरी मं कोटा मिलतिस.येकर छोड़ मैतेई खास करके कुकी जनजाति मन के कब्जा वाले पहाड़ी इलाका मं जमीन बिसोय सकहीं. कोर्ट के सिफारिस ला मणिपुर के सब्बो आदिवासी समाज मन विरोध करिन, वो मन ला लगिस के वो मन के जमीन ऊपर अपन कब्जा खतरा मं पर जाही.
येकर ले जम्मो राज मं एक के बाद एक ख़ूनी हमला सुरु होगे, जेन मं निरदई हत्या, सिर कलम करे, सामूहिक बलात्कार अऊ आगजनी सामिल हवय.
पारी के गांव जाय के दू महिना पहिली, एक ठन भयंकर घटना के वीडियो वायरल होइस: कांगपोकपी के बी फ़ाइनोम गांव के दू झिन माईलोगन ला मैतेई मरद लोगन के भीड़ ह बिन कपड़ा के घुमाइस. ये घटना मई के सुरु मं बी फ़ाइनोम गाँव ऊपर हमला के बखत होय रहिस. जब वोला बरबाद कर दे गीस. वीडियो बनाय के बाद, ओकर मन के घर के मरद लोगन मन के हत्या कर देय गिस अऊ धान के खेत मं माईलोगन मन के संग कथित रूप ले बलात्कार करे गीस.
अब तक, ये लड़ई मं अंदाजन 200 ( गिनती चलत हवय) लोगन मन परान गंवाय हवंय, अऊ 70,000 ले जियादा विस्थापित होय हवंय जेन मं अधिकतर अल्पसंख्यक कुकी हवंय. वो मन सरकार अऊ पुलिस मन के ऊपर ये गृहयुद्ध मं मैतेई उग्रवादी मन ला बढ़ावा देय के आरोप घलो लगाय हवंय.
खूनी गृहयुद्ध के मूल मं पोस्त के पऊध आय. आईआईटी के प्रोफेसर किपगेन कहिथें, “नेता अऊ अफसर ये कड़ी मं सबले पहिली हवंय, संग मं दलाल मं घलो हवंय जेन मं किसान ले बिसोथें अऊ जियादा पइसा कमाथें.” ओकर कहना आय के पोस्ता खेत के नास होय, बड़े पैमाना मं बरामदगी अऊ गिरफ्तारी के बाद घलो सरगना कानून ले बंचे हवंय. किपगेन के कहना आय के अधिकतर किसान मन ला पोस्त के कारोबार मं सबले कम मजूरी मिलत रहिस.
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ह ये लड़ई सेती कुकी-ज़ो जनजाति के गरीब पोस्त कमेइय्या मन ला जिम्मेवार ठहराय हवय , जेन मन ला म्यांमार के संग सरहद पार नशीला जिनिस के कारोबार मं सामिल कुकी नेशनल फ्रंट (केएनएफ) जइसने कुकी-ज़ो हथियाबंद लड़ाका मन के समर्थन हासिल हवय. राज सरकार आरक्षित जंगल मन के भारी बिनास अऊ मैतेई-प्रभुत्व वाले घाटी मं भारी पर्यावरण संकट सेती डोंगरी मन मं पोस्त के खेती ला घलो जिम्मेवार मानथे.
किसान मन के कहना आय के पोस्त के खेती के काम रुख मन ला काटके अऊ जंगल के हिस्सा मन ला आगि लगा के जमीन के बड़े अकन हिस्सा ला साफ करे के संग सुरु होथे, ओकर बाद दवई (कीटनाशक), विटामिन अऊ यूरिया परे लगथे. साल 2021 मं छपे ये शोध मं कहे गे हवय के चुराचांदपुर जिला मं नवा साफ करे गे वृक्षारोपण वाले जगा के बगल के गाँव मं नदिया-नरुवा सूखाय अऊ गाँव मं लइका मन मं पानी ले होवेइय्या बीमारी मन मं इजाफा देखे गे हवय. वइसे प्रोफेसर किपगेन ह कहिस के मणिपुर मं पोस्त के खेती के पर्यावरण ऊपर असर के भरपूर वैज्ञानिक शोध नई ये.
परोसी देश म्यांमार मं अफीम पोस्ता के खेती ऊपर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) के रिपोर्ट मुताबिक गैर-पोस्त लगेइय्या गाँव मन के बनिस्बत पोस्त लगेइय्या गांव मन के जंगल के माटी ह जियादा तेजी ले खराब होथे. वइसे, पोस्त अऊ गैर-पोस्त दूनों जमीन मं बदलत मऊसम के असर साल 2016 ले 2018 तक उपज मं गिरती मं दिखिस. बात ये आय के पोस्त के खेती के पर्यावरन ले जुरे असर ऊपर कऊनो फइसला वाले आंकड़ा नई ये.
किसान पाओलाल येकर विरोध करत कहिथे , " गर पोस्त ह माटी उपर असर करे हवय, त हमन इहां साग-भाजी के खेती नई करे सकतेन.” नगहमुन के दीगर किसान मन के कहना आय के पहिली अपन जमीन मं अफ़ीम के खेती करे के बाद घलो वो मन ला फल धन साग-सब्जी कमाय मं कभू कऊनो दिक्कत नई होईस.
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किसान मन के कहना आय के असल दिक्कत खसखस ले वो मन ला मिलेइय्या भारी आमदनी सेती सरकार के उपाय के कमी आय. गाँव के सब्बो लोगन मन ला आलू बीजा बांटे के मुखिया के दावा के बाद घलो, पाओलाल जइसने पहिली पोस्त कमेइय्या किसान मन के कहना आय के वो मन ला कऊनो फायदा नई होईस. वो ह पारी ला बताथे, “मंय मुस्किल ले बजार ले 100 रूपिया दाम के एक पाकिट बीजा बिसोय सकेंव. अइसने करके मंय अनकाम [सब्जी] लगायेंव.”
नगाहमुन के सरकारी पहल मं सामिल होय के बछर भर बाद, तांगखुल नागा-कब्जा वाले उखरुल जिला मं पेह ग्राम परिषद ह घलो पहाड़ी मं लगे पोस्त के बारी मन ला खतम कर दीन. साल 2021 मं मुख्यमंत्री ह तुरते वो मन बर 10 लाख के इनाम के घोषणा करिस. बागवानी अऊ मृदा संरक्षण विभाग , मणिपुर ऑर्गेनिक मिशन एजेंसी के संग, लाभार्थि मन के पहिचान करे अऊ कीवी अऊ सेब के बगीचा लगाय जइसने दूसर जीविका के साधन देय बर परिषद के संग घलो काम करत हवय.
इनाम के छोड़ पेह गांव के अध्यक्ष मून शिमराह ह पारी ला
बताइस के गाँव ला खेत जोते सेती मसीन अऊ अऊजार के संगे संग 20.3 लाख रूइप्या नगद,
80 पाकिट खातू, प्लास्टिक पाकिट के संग सेब, अदरक अऊ किनोआ के पऊध के उपराहा
अनुदान घलो मिले हवय. शिमराह कहिथें, “असल मं सिरिफ एकेच परिवार ह पोस्त लगाय सुरु
करे रहिस, जब तक ले ग्राम परिषद ह दख़ल नई दीस अऊ येकर बर सरकार ह हमन ला इनाम दीस.”
सरकारी अनुदान ले गांव के सब्बो 703
परिवार
ला फ़ायदा होही. ये गांव उखरुल मं ज़िला मुख्यालय ले 11 कोस दूरिहा हवय. इहाँ
रतालू,
नींबू,
संतरा,
सोयाबीन,
बाजरा, जोंधरा अऊ
धान कमाय जाथे.
वो ह कहिथे, “वइसे,सरकार ले हमर अरज हवय के वो ह हमन ला ये नवा फसल के खेती करे के प्रसिच्छन देवय अऊ सफल होय सेती योजन ला बारीकी ले निगरानी करय. हमन ला रुख लगाय बर बाड़ा बनाय सेती कांटा वाले तार के जरूरत घलो हवय काबर के हमर मवेसी छुट्टा घूमथें अऊ फसल के नुकसान कर सकथें.”
नगाहमुन के कार्यकारी मुखिया किपगेन ह पारी ला बताइस के वइसे, ओकर गाँव ला अनुसंधान सेती राज के विश्वविद्यालय अऊ विधायक डहर ले पोल्ट्री अऊ सब्जी के बीजा जइसने जीविका के उपाय सेती एक बेर मदद मिले हवय, फेर सरकार के पहुंच सही ढंग ले नई हवय. वो ह कहिथे, “हमन ' नशा के ख़िलाफ़ लड़ई ' मं सामिल होवेइय्या पहाड़ के पहिली आदिवासी गाँव रहेन. येकर बाद घलो लगथे के सरकार ह सिरिफ कुछेक आदिवासी समाज ला इनाम देवत हवय अऊ दीगर मन ला नजरंदाज करत हवय.”
वइसे, राज सरकार के सूत्र येकर दोस जीविका के अधूरा उपाय ला नई, ओकर माडल ऊपर मढ़थें. नागा अऊ कुकी-जो अबादी वाले पहाड़ी जिला मं पोस्त किसान मन के सेती जीविका ले पहल के देखरेख करेइय्या मणिपुर सरकार के एक झिन सूत्र ह कहिस, “पहाड़ी आदिवासी किसान मन ला बिजा अऊ कुकरी मिले हवंय, फेर य ह अधिकतर सिरिफ गुजारा भर के आंय.”
वो ह कहिथे के सब्जी कमाय धन कुकरी पाले ले होवेइय्या आमदनी कभू घलो किसान मन ला खसखस ले होवेय्या आमदनी के बराबरी नई करे सकय. जेन ह सलाना 15 लाख के आमदनी के बनिस्बत साग-सब्जी अऊ फल ले 1 लाख रूपिया होथे. कम आमदनी वाले खेती ले पोस्त के खेती खतम नई होवय. नाम उजागर नई करे के सरत मं एक झिन सरकारी करमचारी कहिथे, “नशा के खिलाफ लड़ई अभियान पहाड़ मन मं सफल नई होय हवय, ये ह सिरिफ दिखावा भर आय.”
पोस्त के खेती ला जबरन नास करे तक तक ले काम के नो हे जब तक ले येला थिर जीविका अऊ मनरेगा जइसने बड़े विकास के काम ले बदले नई जावय. प्रोफ़ेसर किपगेन कहिथें, अइसने नई करे ले “समाजिक तनाव बढ़ही अऊ उहाँ के सरकार अऊ किसान समाज मं रार घलो बढ़ही.”
इहाँ तक ले यूएनओडीसी रिपोर्ट के सार बात आय के “पोस्त नास के कोसिस ला बनाय रखे सेती अइसने काम के जरूरत हवय जेन ह किसान मन ला पोस्त के खेती करे ले रोके के बाद वो मन के आमदनी ला बना के रखे मं मदद कर सकय.”
नस्ली लड़ई ह
सिरिफ पहाड़ी आदिवासी किसान मन के मुसीबत ला बढ़ाय हवय, जेन मन अब घाटी मं बेपार नई
कर सकंय.
डेम्ज़ा कहिथे, ”[सलाना] अफीम के खेती खतम होय के बाद हमन घाट ले मैतेई मन ला रेती बेंच के उपराहा कमई कर लेवत रहेन. वो काम घलो अब खतम होगे. गर ये [लड़ई] चलत रइही, त एक बखत अइसने आही, जब हमन अपन लइका मन ला स्कूल भेजे नई सकबो धन रोजी-रोटी के मुस्किल हो जाही.”
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू