ये बछर जेठ (जून) महिना मं ये ह तीसर सुकवार रहिस जब लेबर हेल्पलाइन मं फोन आइस.
“काय तुमन हमर मदद करे सकहू? हमन ला हमर चुकारा मिले नइ ये.”
ये ह कुशलगढ़ के 80 मजूर मन के मंडली रहिस जेन ह राजस्थान के परोसी तहसील मं बूता करे गे रहिस. दू महिना तक वो मन टेलीकॉम फाइबर केबल बिछाय बर दू फीट चाकर अऊ छै फीट गहिर नाली खने रहिन. खनेगे नाली ला मीटर के हिसाब ले रोजी के चुकारा करे जाथे.
दू महिना बाद जब वो मन अपन जम्मो चुकारा मांगिन, त ठेकादार ह घटिया काम करे के बात कहिस, वो मन के हिसाब ला नइ मानिस अऊ ओकर बाद ये कहिके टाले के कोसिस करिस के, “दे दिहूँ, दे दिहूँ.” फेर वो ह नइ दीस, अऊ 7-8 लाख रूपिया के चुकारा बर एक हफ्ता अऊ अगोरे के बाद, वो मन पुलिस तीर गीन, जेन ह लेबर हेल्पलाइन मं फोन करे बर कहिस.
जब मजूर मन फोन करिन, त “हमन ओकर मन ले पूछेन के काय वो मन करा कुछु सबूत हवय. काय वो मन हमन ला ठेकादार के नांव अऊ फोन नंबर अऊ वो मन के हाजरी रजिस्टर के कऊनो फोटू दे सकथें,” जिला मुख्यालय बांसवाड़ा मं एक झिन सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश शर्मा ह कहिस.
किस्मत ले कुछेक मोबाइल रखेइय्या नवा पीढ़ी के मजूर मन ये सब दे दीन, संग मं अपन बात रखे बर मोबाइल ले काम के जगा के फोटू घलो भेजिन.
सोचे के बात ये आय के वो मन जेन नाली खने रहिन, वो देस के सबले बड़े टेलीकाम सुविधा देवेइय्या मालिक मन ले एक बर खने रहिस, जेन ह ‘लोगन मन ला जोड़े’ ला चाहथे.
लेबर मन के समस्या मन ला लेके काम करेइय्या सेवाभावी संस्था आजीविका ब्यूरो के प्रोजेक्ट मैनेजर कमलेश अऊ दीगर लोगन मन वो मन का केस ला बनाय मं मदद करिन. वो मन के दूरिहा ले मदद के काम मं आजीविका हेल्पलाइन 1800 1800 999 अऊ ब्यूरो के अफसर मन के फ़ोन नंबर दूनों हवय.
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बांसवाड़ा के मजूर कमाय खाय बर बहिर दीगर राज मं जावेइय्या लाखों लोगन मन ले हवंय. जिला के चुराडा गाँव के सरपंच जोगा पिट्टा कहिथे, “कुशलगढ़ मं बनेच अकन प्रवासी हवंय. हमन खेती ले अपन गुजारा करे नइ सकत हवन.”
नान-नान खेत के मालिक, अपासी के कमी, काम-बूता के कमी अऊ कुल मिलाके गरीबी ह ये जिला ला भील आदिवासी मन मं बिपत ले भरे प्रवास के ठीहा बना देय हवय, जेन ह इहाँ के 90 फीसदी आबादी के अगुवई करथें. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट के वर्किंग पेपर के मुताबिक अकाल, पुर अऊ लू जइसने मऊसम ह भारी होय के बाद ले बहिर जाय ह भारी बढ़थे.
भीड़-भड़क्का वाले कुशलगढ़ बस टेसन मं बछर भर मं हरेक दिन करीबन 40 ठन सरकारी बस चलथे, जेन मं एक बेर मं 50-100 लोगन मं सवारी करथें. येकर छोड़, अतकेच निजी बस घलो चलथे. सूरत सेती बस के टिकिट के दाम 500 रूपिया हवय अऊ कंडक्टर के कहना आय के वो मन लइका मन के पइसा नइ लेगेव.
सुरेश मैडा जल्दी हबर जाथें जेकर ले जगा खोज के अपन सुवारी अऊ नान-नान लइका मन ला सूरत जवेइय्या बस मं बइठा सकय. वो ह उतरके एक ठन बड़े बोरी मं पांच किलो पिसान, कुछेक बरतन-भाड़ा अऊ कपड़ा-लत्ता भराय हवय, बस के पाछू मं समान रखे के जगा मं अपन समान ला रखथे अऊ ओकर बाद बस मं चढ़ जाथे.
एक झिन भील आदिवासी रोजी मजूर पारी ला बताथे, मंय रोजी करीबन 350 रूपिया कमा लिहूँ, ओकर घरवाली 250-300 रूपिया कमाही. सुरेश ला आस हवय के वो मं लहूँटे के पहिली एक धन दू महिना रइहीं, करीबन 10 दिन घर मं गुजारहीं अऊ ओकर बाद निकर जाहीं. 28 बछर के सुरेश कहिथे, “मंय ये काम 10 बछर ले घलो जियादा बखत ले करत हवं.” सुरेश जइसने कमाय खाय बर निकरे मजूर अक्सर होरी, देवारी अऊ राखी जइसने बड़े तिहार मं घर आथें.
राजस्थान भारी पलायन करेइय्या राज आय – कमाय खाय बर अवेइय्या लोगन मन के बनिस्बत जियादा लोगन मन बहिर जाथें; सिरिफ उत्तर प्रदेश अऊ बिहार मं मजूरी करे बर बनेच अकन लोगन मन बहिर जाथें. कुशलगढ़ तहसील दफ्तर के एक झिन अफसर वी.एस. राठौड़ बताथें, “न सिरिफ खेत के बाद फेर ये ह पानी गिरे के बाद घलो होथे.”
सब्बो मजूर ‘कायम’ काम के आस करत हवंय, जिहां वो मन जम्मो बखत एकेच ठेकादार के काम करथें. ये ह रोजी के बनिस्बत जियादा थिर होथे – हरेक बिहनिया मज़दूर मंडी (चऊड़ी) मं खड़े रहे के.
जोगाजी ह अपन सब्बो लइका मन ला पढ़ाय हवय फेर ओकर बाद घलो “इहाँ बेरोजगारी हवय. पढ़े लिखे लोगन मन बर घलो नऊकरी नइ ये.”
दीगर जगा जाय ह एकेच रद्दा हवय.
राजस्थान भारी पलायन करेइय्या राज आय – कमाय खाय बर अवेइय्या लोगन मन के बनिस्बत जियादा लोगन मन बहिर जाथें; सिरिफ उत्तर प्रदेश अऊ बिहार मं मजूरी करे बर बनेच अकन लोगन मन बहिर जाथें
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मारिया पारू जब घर ले निकरथे, त अपन संग माटी के तवा ला धर लेथे. ये ह अपन संग ले जाय के सबले बड़े जिनिस आय. जोंधरा पिसान के रोटी माटी तवा मं सबले बढ़िया सिंकाथे काबर के लकरी के आंच मं वो ह जरे घलो नइ. वो ह मोला ये घलो बताथे के ये ला कइसने बनाय जाथे.
मारिया अऊ ओकर घरवाला पारू दामोर तउन लाखों भील आदिवासी मन ले आय जेन ह राजस्थान के बांसवाड़ा जिला ले सूरत, अहमदाबाद, वापी अऊ गुजरात के शहर के संग संग दीगर परोसी राज मं कमाय खाय बर अपन घर ले निकर जाथें. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के बारे मं गोठियावत पारू कहिथे, “मनरेगा बनेच बखत बाद मं मिलथे अऊ भरपूर नइ रहय.” ये योजना 100 दिन के काम देथे.
30 बछर के मारिया 10-15 किलो मकई (जोंधरा) के पिसान घलो संग लेके चलथे. वो ह कहिथे, हमन ला ये ह भारी भाथे.” अपन परिवार के खाय के आदत ला बतावत कहिथे, जेन मं बछर भर मं नौ महिना घर ले बहिर रहिथें. डुंगरा छोटा के अपन घर ले दूरिहा रहे बखत अपन जाने-चिन्हे खाय के ह अलग मजा देथे.
ये जोड़ा के छै झिन लइका हवंय, जेकर मन के उमर 3 ले 12 बछर तक ले हवय. ओकर करा दू एकड़ खेत हवय जेन मं वो ह अपन खाय बर गहूँ, चना अऊ जोंधरा कमाथें. पारू अपन खरचा मन ला बतावत कहिथे, “हमन कमाय-खाय बर बहिर निकरे बिना पइसा जोरे नइ सकन. मोला अपन दाई-ददा करा पइसा भेजे ला हवय, पलोय पानी के चुकारा करे ला हवय, मवेसी मन बर चारा बिसोय ला हवय, घर के खाय बर समान बिसोय ला हवय ... येकरे सेती, हमन ला कमाय बर बहिर जाय ला परथे.”
वो ह पहिली बेर आठ बछर के उमर मं बहिर गे रहिस, जब परिवार उपर इलाज के खरचा सेती 80,000 रूपिया के करजा होगे, वो बखत वो ह अपन बड़े भाई अऊ बहिनी के संग गे रहिस. वो ह सुरता करथे, “जड़कल्ला रहिस, मंय अहमदबाद गेंय अऊ 60 रूपिया रोजी कमायेंव.” भाई–बहिनी चार महिना तक ले रहिन अऊ करजा चुका लीन. वो ह बतावत जाथे, “मोला ये बात के खुसी रहिस के मंय मदद करेंव.” दू महिना बाद वो ह एक पईंत अऊ चले गे. पारू के कमाय खाय बर निकरत 25 बछर हो गे हवय, अऊ ओकर उमर तीस बछर चलत हवय.
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प्रवासी मजूर आखिर मं ‘सोन’ के थैली मिले के सपना देखथे, जेकर ले वो ह अपन करजा चुकता करे सकही, लइका मन ला पढ़ाय सकही अऊ भूखन नइ मरय. फेर बात अक्सर उलट हो जाथे. आजीविका के लेबर हेल्पलाइन मं हरेक महिना प्रवासी मजूर मन के 5,000 कॉल आथे, जेन मन आखिरी चुकारा नइ मिले सेती कानूनी मदद मांगथें.
कमलेश कहिथे, “मजूर मन ले कऊनो लिखा-पढ़ी करे नइ जाय, वो ह जुबानी होथे. मजूर मन ला एक ठेकादार ले दूसर ठेकादार करा भेजे जाथे. ओकर अंदाजा हवय के बांसवाड़ा जिला ले बहिर जवेइय्या मजूर मन ला मजूरी नइ दे सेती करोड़ों रूपिया के नुकसान होथे.
वो ह कहिथे, “वो मन ला कभू पता नइ चलय के वो मन के असल ठेकादार कऊन आय, वो मन काकर बूता करत हवंय, येकरे सेती बकाया चुकारा पाय ह निरास करेइय्या लंबा काम आय.” वो मन के काम एक ठन बढ़िया उदाहरन आय के कइसने प्रवासी मजूर लोगन मन के शोषन करे जाथे.
जेठ (जून) 20, 2024 मं 45 बछर के भील आदिवासी राजेश डामोर अऊ दू झिन दीगर मजूर बांसवाड़ा मं वो मन के दफ्तर मं मदद मांगे आइन. राज मं भारी गरमी परत रहिस, फेर सिरिफ इहीच बात नइ रहिस के हलाकान मजूर गरमी अऊ दिक्कत मं रहिन. वो मन ला काम मं रखेइय्या ठेकादार ले सबके बकाया 2 लाख 26 हजार नइ मिले सेती सिकायत करे कुशलगढ़ तहसील के पाटन पुलिस थाना पहुंचिन. पुलिस ह वो मन ला आजीविका के श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र भेज दीन, जेन ह ये इलाका मं प्रवासी मजूर मन बर एक ठन सहारा के ठिकाना आय.
चइत (अप्रैल) मं सुखवाड़ा पंचइत के राजेश अऊ 55 झिन मजूर 180 कोस (600 किमी) दूरिहा गुजरात के मोरबी सेती निकरे रहिन. वो मन उहाँ एक ठन टाइल फैक्ट्री मं रेजा-कुली अऊ मिस्त्री के काम मं रखे गे रहिस. 10 झिन हुनर वाले मजूर मन ला 700 रूपिया रोजी अऊ बाकि सब्बो ला 400 रूपिया रोजी देय के करार करे गे रहिस.
महिना भर तक बूता करे के बाद, “हमन ठेकादार ले कहेन के वो ह हमन ला हमर जम्मो बकाया दे देवय, फेर वो ह बखत ला आगू खींचत रहय ,” राजेश ह पारी ले फोन मं कहिस. गोठ-बात मं सबले तेज राजेश ह मदद करिस, जेन ह पांच ठन भाखा जानथे- भीली, वागड़ी, मेवाड़ी, हिंदी अऊ गुजराती. वो मन के रोजी के करार करेइय्या ठेकादार मध्य प्रदेश के झाबुआ के रहिस अऊ हिंदी बोलय. अक्सर मजूर आखिरी ठेकादार ले गोठ-बात करे नइ सकंय, कभू कभू भाखा के दिक्कत के सेती, फेर अक्सर येकरे सेती काबर के वो मन ला तरी ले ऊपर तक के कतको ठेकादार करा जाय ला परथे. कभू-कभू ठेकादार मारपीट मं घलो उतारू हो जाथें जब मजूर अपन बकाया मांगथें.
56 मजूर मन ला अपन बड़े चुकारा सेती कतको हफ्ता तक ले अगोरे ला परिस. वो मन के रासन पानी सिरोवत रहिस अऊ खुला बजार मं बिसोय ले सेती वो मन के कमई जावत रहिस.
हलाकान राजेश सुरता करथे, “वो ह सरलग दिन ला आगू बढ़ावत जावत रहय -20 मई, ओकर बाद 24 मई, 4 जून”... “हमन ओकर ले पूछेन ‘हमन काय खाबो? हमन घर ले बनेच दूरिहा हवन.’ आखिर मं, हमन 10 दिन तक ले काम करे बंद कर देन, आस करे रहेन के येकर ले वो ह चुकारा करे मजबूर हो जाही.” वो ला 20 जून तक ले देय ला कहे गे रहिस.
कुछु तय नई होय सेती उहाँ ठहरे नइ सकत रहिन, 9 जून के 56 लोगन मन के मंडली बस ले कुशलगढ़ चले गे. 20 जून मं जब राजेश ह वोला फोन करिस,” त वो ह बदतमीजी करे लगिस, भाव-ताव मारिस अऊ हमन ला गारी देय लगिस.” ओकर बाद राजेश अऊ बाकि लोगन मन अपन घर के तीर के एक ठन पुलिस थाना मं चले गीन.
राजेश तीर 10 बीघा खेत हवय जेन मं ओकर घर के मन सोयाबीन, कपसा अऊ गहूँ कमाथें, गहूँ अपन खाय सेती रखथें. ओकर चरों लइका पढ़त हवंय, स्कूल अऊ कालेज मं नांव लिखाय हवंय. ओकर बाद घलो, ये घाम मं वो मन अपन दाई-ददा संग मजूरी करे आगे हवंय. राजेश कहिथे, “छुट्टी चलत रहिस, येकरे सेती मंय कहेंव के संग जाय सकथें अऊ दू पइसा कमाय सकथें.” वो मन ला आस हवय के अब परिवार ला अपन कमई मिलही काबर के ठेकादार ला लेबर कोर्ट मं मामला ले जाय के धमकी देय गे हवय.
लेबर कोर्ट जाय के बात गलत करेइय्या ठेकादार मन ला अपन वादा पूरा करे बर मजबूर कर देथे. फेर उहाँ तक जाय बर, मजूर मन ला मामला दरज कराय मं मदद के जरूरत परथे. ये जिला के परोसी मध्य प्रदेश के अलीराजपुर मं सड़क बूता करे गे 12 रोजी मजूर मन के एक ठन मंडली ला तीन महिना बूता करे के बाद जम्मो चुकारा देय ले मना कर दे गीस. ठेकादार ह खराब काम के बात करिस अऊ वो मन ला 4-5 लाख के बांचे चुकारा चुकता करे ले मना कर दीस.
टीना गरासिया जऊन ला अक्सर अपन निजी फोन मं अइसने फोन आवत रहिथें, सुरता करथे, “हमन ला एक ठन फोन आइस जेन मं कहे गीस के हमन मध्य प्रदेश मं फंस गे हवन अऊ हमन ला चुकारा नइ दे गे हवय.” बांसवाड़ा जिला मं आजीविका के जीविका ब्यूरो के मुखिया बताथें, “हमर नंबर मजूर मन ला बांटे जाथे.”
ये पईंत मजूर मन मुकदमा दरज कराय बर काम के जगा के जम्मो जानकारी, हाजरी रजिस्टर के फोटू, ठेकादार के नांव अऊ मोबाइल नंबर रहिस.
छै महिना बाद ठेकादार ह दू किस्त मं चुकारा करिस. “वो ह इहाँ [कुशलगढ़] पइसा देय आय रहिस,” काम ले निकारे गे मजूर मं कहिन, वो मन ला अपन कमई त मिलिस, फेर अतक बखत बाद देय ले मिलेइय्या बियाज नइ मिलिस.
कमलेश शर्मा कहिथे, “हमन पहिली गोठ-बात के कोसिस करथन. फेरे ये तभेच हो सकथे जब ठेकादार के जानकारी रहय.”
सूरत मं कपड़ा कारखाना मं काम करेइय्या 25 झिन मजूर मन करा कऊनो सबूत नइ रहिस. टीना कहिथे, “ वो मन ला एक ठेकादार ले दूसर ठेकादार करा भेजे गे रहिस अऊ वो मन करा कऊनो फोन नंबर धन नांव नइ ये, जेकर ले पता चल सकय के वो मइनखे कऊन आय. वो मन एक जइसने दिखेइय्या कारखाना मन ले कऊनो कारखाना ला चिन्हे नइ सकिन.”
हलाकान करे जाय अऊ 6 लाख रूपिया के जम्मो मजूरी नइ मिले सेती वो मन बांसवाड़ा के कुशलगढ़ अऊ सज्जनगढ़ के अपन गांव लहूँट आइन.
अइसने मामला मन बर सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश कानून के शिक्षा उपर बनेच भरोसा करथें. बांसवाड़ा जिला राज के सरहद मं बसे हवय अऊ इहाँ ले सेबल जियादा पलायन होथे. आजीविका के सर्वे के आंकड़ा मुताबिक, कुशलगढ़, सज्जनगढ़, अंबापाड़ा, घाटोल अऊ गंगर तलाई के 80 फीसदी परिवार मं कम से कम एक झिन प्रवासी आय धन ओकर ले जियादा घलो हवंय.
कमलेश ला आस हवय के काबर के “नवा पीढ़ी करा फोन हवंय, वो नंबर राख सकथे, फोटू खींचे सकथे, येकरे सेती भविष्य मं दोसी ठेकादार मन ला काबू करे असान हो जाही.”
कल कारखाना के झगरा ला दरज करे बर केंद्र सरकार के समाधान पोर्टल ला 17 सितंबर, 2020 मं जम्मो भारत मं लॉन्च करे गे रहिस, अऊ साल 2022 मं मजूर मन ला दावा दायर करे के इजाजत देय बर येला फिर ले बनाय गीस. फेर बांसवाड़ा मं कऊनो दफ्तर नइ ये, जबकि ये ह साफ रद्दा आय.
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प्रवासी माईलोगन मन मजूरी सेती गोठ-बात बखत अपन बात नइ रख पायेंव. वो मन करा सायदे कभू अपन फोन होथे अऊ काम अऊ रोजी दूनों ला ओकर तीर के मरद लोगन मन के जरिया ले टोरे जाथे. माइलोगन मन ला अपन फोन मिले के भारी विरोध होय हवय. कांग्रेस के अशोक गहलोत के अगुवई वाले राज के बीते सरकार ह राज के माइलोगन मन ला 13 करोड़ ले जियादा मुफत मं फोन बांटे के कार्यक्रम सुरू करे रहिस. गहलोत सरकार के सरकार खतम होय के बाद तक ले 25 लाख फोन गरीब माइलोगन मन ला बांटे गीस. पहिली पईंत मं प्रवासी परिवार के बेवा अऊ 12 वीं क्लास के नोनी मन ला फोन देय गीस.
भारतीय जनता पार्टी के भजन लाल शर्मा के सरकार ह ये कार्यक्रम ला तब तक रोक दे हवय, जब तक के “योजना के फायदा के जाँच नइ हो जावय.” शपथ लेय के मुस्किल ले महिना भर बाद ये ओकर मन के लेगे पहिली फइसला मन ले एक रहिस. इहाँ के लोगन मन के कहना आय के ये योजना ला एक बेर अऊ सुरू करे के संभावना नइ ये.
अधिकतर माइलोगन मन के हाथ मं अपन कमई नइ होय सेती, लिंग, यौन शोषन अऊ छोड़े ह हमेसा के कारन आय. पढ़व: बांसवाड़ा: बिहाव के ओधा मं नोनी मन के खरीदी-बिक्री
ये बखत कुशालगढ़ ब्लॉक के चुराडा मं अपन दाई-ददा संग रहत भील आदिवासी संगीता, सुरता करथे, मंय गहूँ निमारेंव अऊ वो ह वोला 5-6 किलो मकई पिसान के संग धरके लेके चले गीस. वो अपन घरवाला के संग तब गेय रहिस जब वो मन बिहाव के बाद सूरत चले गे रहिन.
वो ह सुरता करथे, “मंय बूता मं मदद करेंव” अऊ ओकर कमई ओकर घरवाला ला दे देय गीस. “मोला उहाँ बने नइ लगिस.” जब जोड़ा के लइका होइन- ओकर तीन झिन टूरा जेन मन के उमर सात, पांच अऊ चार बछर के हवय – त वो ह उहाँ काम करे जाय बंद कर दीस. “मंय लइका मन के अऊ घर के देखरेख करत रहेंव.”
बीते एक बछर ले जियादा बखत ले वो ह अपन घरवाला ला देखे नइ ये, न ओकर ले पइसा लेगे हवय. “मंय अपन मायका आ गें, काबर के उहाँ (अपन ससुराल मं) मोर लइका मन ला खवाय बर कुछु नइ रहिस.”
आखिर ये बछर पूस (जनवरी) 2024 मं वो ह कुशलगढ़ थाना मं मामला दरज कराय बर गीस.राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2020 के रिपोर्ट के मुताबिक, माईलोगन मन के खिलाफ अतियाचार (घरवाला धन रिस्तेदार मन ले) दरज करे जवेइय्या मामला मं राजस्थान देस मं तीसर जगा मं हवय.
कुशलगढ़ पुलिस थाना के अफसर मन मानथें के माइलोगन मन के आंकड़ा सरलग बढ़त हवय. फेर वो मन ये घलो कहिथें के अधिकतर मामला वो मन तीर नइ पहुंचय काबर के बंजाडिया (गाँव के मरद लोगन मन के मंडली जेन ह फइसला करथे) पुलिस के बगैर मामला ला सुलझाय पसंद करथे. एक झिन बासिंदा कहिथे, “बंजाडिया दूनों पक्ष ले पइसा लेथे. नियाव आंखी मं धूर्रा डारे जइसने आय अऊ माइलोगन मन ला कभू वो मन के हक नइ मिलय.”
संगीता के दिक्कत बढ़त जावत हवय काबर के ओकर रिस्तेदार मन वोला बतावत हवंय के ओकर घरवाला कोनो दीगर माईलोगन के संग हवय जेकर ले वो ह बिहाव करे ला चाहत हवय. मोला भारी खराब लागथे के वो मइनखे ह मोर लइका मन के हक ला मारे हवय. बछर भर ले जियादा बखत ले वो मन के खबर लेगे ला नइ आय हवय. वो मन मोला पूछ्थें, “काय वो ह मर गे हवय?” मोर सबले बड़े बेटा वोला गारी देथे अऊ मोला कहिथे, “दाई, जब पुलिस वोला धरथे त तंय घलो वोला मारथस काय!” वो ह कहिथे, ओकर चेहरा ह मुचमुचावत हवय.
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सनिच्चर के मंझनिया खेरपुर के सुन्ना पंचायत आफिस मं 27 बछर के सामाजिक कार्यकर्ता मेनका डामोर कुशलगढ़ ब्लॉक के पांच पंचायत के नवा पीढ़ी के नोनी मन ले गोठियावत रहिस.
वो ह अपन चरों डहर घेर के बइठे 20 झिन नोनी मन ले पूछथे, “तुंहर काय सपना हवय?” वो सब्बो प्रवासी मजूर मन के बेटी आंय, सब्बो अपन दाई-ददा संग बहिर जाय घलो चुके हवंय अऊ अवेइय्या बखत घलो जाहीं. “वो मन मोला कहिथें के गर हमन स्कूल पढ़े घलो चले जाबो, त ले घलो हमन ला आखिर मं बहिर जायच ला परही,” मेनका कहिथे जेन ह नवा पीढ़ी के नोनी मन बर किशोरी श्रमिक कार्यक्रम ला संभालथें.
वो ह चाहत हवंय के वो मन पलायन ले ऊपर उठके अपन भविष्य ला देखंय. बागड़ी अऊ हिंदी दूनों मं गोठियावत, वो ह अलग-अलग कारोबार करेइय्या लोगन मन के बात बताथे – कैमरावाले,वेटलिफ्टर, ड्रेस डिजाइनर, स्केटबोर्डर, टीचर अऊ इंजीनियर.तुमन जऊन चाहो बन सकत हव, येकर बर तुमन ला मिहनत करे ला परही.” वो ह चेहरा मं उछाह झलकत नोनी मन ले कहिथे.
“बहिर दूसर जगा जायेच ह एकेच उपाय नो हे”
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू