बालासाहेब लोंढे ह कभू  सोचे नइ रहिस के 20 बछर पहिली वो ह जेन फइसला करे रहिस, उहिच ह आज ओकर बर झमेला बन जाही. महाराष्ट्र के पुणे जिला के नान कन शहर फुरसुंगी मं भरी गरीब किसान परिवार मं जन्मे लोंढे सुरु लेच किसानी मं लग गे रहिस. वो ह खास करके कपसा कमावत रहिस. वो ह जब 18 बछर के होइस, त उपराहा आमदनी सेती ड्राइवरी करे के फइसला करिस.

48 बछर के ये सियान ह कहिथे, “मोर संगवारी ह मोला एक ठन मुसलमान परिवार ले भेंट कराइस जऊन ह मवेसी दोहारे के कारोबार करत रहिस. वोला ड्राइवर मन के जरूरत रहिस, येकरे सेती मंय येकर बर राजी होगेंव.”

लोंढे ह भारी मिहनती रहिस जऊन ह ये कारोबार ला गहिर ले जाने बूझे रहिस. करीबन 10 बछर बाद, लोंढे ला लगिस के वो ह बनेच कुछु सीख ले हवय अऊ बनेच पूंजी बना ले हवय.

वो ह कहिथे, “मंय 8 लाख रूपिया में एक ठन जुन्ना ट्रक बिसोयेंव अऊ येकर बाद घलो मोर करा 2 लाख के जमा पूंजी बांच गे. 10 बछर मं मंय किसान मन ले अऊ बजार मं बेपारी मन ले जान पहिचान बने ले रहेंव.”

लोंढे के उदिम ह वोला भारी नफा मं रखिस. जब फसल के घटत दाम, महंगाई अऊ बदलत मौसम सेती ओकर पांच एकड़ के खेती घाटा मं चले गिस तब ओकर कारोबार ह वोला ये नुकसान ले निकारिस.

काम सुभीता के रहिस. तऊन किसान मन ले मवेसी बिसोवय जेन मन हफ्ता बजार मं बेंचे ला चाहत हवंय अऊ दलाली के संग वोला कऊनो कतलखाना धन दीगर किसान मन ला बेंच देव जेन मन ला मवेसी के दरकार हवय. साल 2014 मं 10 बछर बाद अपन कारोबार बढ़ाय बर दूसर ट्रक बिसो लिस.

पेट्रोल के दाम, गाड़ी के राख रखाव के खरचा अऊ ड्राइवर के तनखा ला काटके, लोंढे के मुताबिक ओकर करा महिना मं करीबन 1 लाख रूपिया बांच जावत रहिस. येकर ले कऊनो फरक नइ परत रहिस के वो ह मुसलमान समाज के दबदबा वाले कारोबार मं लगे कुछेक हिंदू मन ले एक झिन रहिस. वो ह कहिथे, “वो ह अपन मेल-जोल अऊ बिचार ले बड़े दिल के रहिस. मोला लगिस के मोर कारोबर जम गे हवय.”

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बाबासाहेब लोंढे ह किसानी छोड़ दिस अऊ मवेसी दोहारे के अपन कारोबार सुरु कर दिस. फेर साल 2014 मं भारतीय जनता पार्टी के सरकार बनाय के बाद, महाराष्ट्र मं गौरक्षक मन के दखल बढ़े लगिस अऊ लोंढे के कारोबार ला भारी नुकसान उठाय ला परिस. अब वोला अपन अऊ अपन ड्राइवर मन के सुरच्छा के  चिंता लगे हवय

फेर साल 2014 मं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ह सरकार बनाइस अऊ गौरक्षक मन के अतियाचार बढ़ गे. गौरक्षक मन के अतियाचार भारत भर मं भीड़ धरके जुलुम के उदाहरन आय. ये मं हिंदू राष्ट्रवादी मन गऊ रच्छा के नांव ले गैर हिंदू मन ला, खास करके मुसलमान मन ला निशाना बनाके हमला करत रहिन. हिंदू धरम मं गरूवा सिरिफ मवेसी नो हे, वो ह गऊमाता के रूप मं पूजे जाथे.

साल 2019 मं, न्यूयॉर्क मं बसे मानवाधिकार संगठन, ह्यूमन राइट्स वॉच ह पाइस के मई 2015 अऊ  दिसंबर 2018 के मंझा मं, भारत मं 100 से जियादा गोमांस ले जुरे हमला होइस, जेन मं 280 लोगन मन जख्मी होइन अऊ 44 झिन के परान गीस – ये मं जियादातर मुसलमान मन रहिन.

साल 2017 मं, डेटा वेबसाइट इंडियास्पेंड ह एक ठन रिपोर्ट जारी करिस जेन मं साल 2010 ले गऊ ला लेके होय हिंसा के आंकलन करे गीस. येकर मुताबिक अइसने मामला मं मारे गे 86 फीसदी लोगन मन मुसलमान रहिन, अऊ 97 फीसदी हमला मोदी के सरकार बनाय के बाद होइस. तब ले वेबसाइट ह अपन ट्रैकर हटा ले हवय.

लोंढे कहिथे के अइसने अतियाचार, जेन मं लोगन मन ला जान ले मारे के धमकी देय घलो सामिल हवय, बीते तीन बछर मं बढ़े हवय. एक झिन मइनखे जेन ह कभू एक लाख रूपिया महिना कमावत रहिस, बीते तीन बछर मं लोंढे के नुकसान 30 लाख रूपिया होगे हवय. वो ला अपन अऊ अपन ड्राइवर मन के जान के खतरा के चिंता सतावत रहिथे.

वो ह कहिथे, “ये ह खराब सपना जइसने आय.”

*****

साल 2023 मं 21 सितंबर के दिन लोंढे के दू ठन तर्क, जेन मं 16-16 भंइसा भरे रहिस, पुणे के एक ठन बजार डहर जावत रहिस, तब गौरक्षक मन वोला आधा घंटा दूरिहा के रद्दा, कटराज नांव के नान कं शहर तीर रोक लिन.

महाराष्ट्र मं 1976 ले गऊहत्या मं रोक लगे हवय. फेर साल 2015 मं वो बखत के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ह येला बइला अऊ गोल्लर तक ले बढ़ा दिस . लोंढे के ट्रक मं जऊन भंइसा रहिन, वो मन ये रोक के दायरा मं नइ आवंय.

लोंढे कहिथे, “ओकर बाद घलो, दूनों ड्राइवर के संग मारपीट करे गीस, वो मन ला थपड़ाय गिस वो मन के संग खराब बेवहार करे गिस. एक झिन हिंदू रहिस, दूसर मुसलमान रहिस. मोर करा कानून के मुताबिक सब्बो परमिट रहिस. फेर ओकर बाद घलो मोर ट्रक मन ला जब्त करे गिस अऊ पुलिस थाना ले जाय गिस.”

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‘मवेसी भरे ट्रक चलाय अपन परान बिपत मं डारे जइसने आय. ये भारी तनाव वाले काम आय. ये गुंडा-राज ह गाँव देहात के अर्थव्यवस्था ला बरबाद कर दे हवय. सिरिफ उहिच लोगन मन फरत-फूलत हवंय जेन मन गुंडा गर्दी करत हवंय’

पुणे शहर के पुलिस ह लोंढे अऊ ओकर दू झिन ड्राइवर मन के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत शिकायत दरज करिस, जेन मं दावा करे गे हवय के मवेसी मन ला बिन दाना-पानी के एक ठन नान कन जगा मं बंद कर दे गे रहिस. लोंढे कहिथे, “गौरक्षक आक्रामक होथें अऊ पुलिस कभू ओकर ले नइ भिड़य. ये सिरिफ अतियाचार के रणनीति आय.”

लोंढे के मवेसी मन ला पुणे के मावल तालुका के धामने गांव के ले जाय गिस अऊ वोला कानूनी रद्दा मं जाय  मजबूर होय ला परिस. करीबन  6.5 लाख रूपिया के सवाल रहिस. वो ह हर जगा दऊड़-भाग करिस अऊ एक ठन बने वकील ला धरिस.

दू महिना बाद 24 नवंबर 2023 मं पुणे के शिवाजी नगर सेसन कोर्ट ह अपन फइसला सुनाइस. लोंढे ह थोकन राहत मिलिस जव जज ह गौरक्षक मन ला ओकर मवेसी लहूंटाय के आडर दिस. पुलिस थाना ला आदेस के पालन कराय के जिम्मेवारी देय गिस.

फेर ये राहत ह लोंढे के बदकिस्मती रहिस. अपन पक्ष मं अदालत के आदेस होय के बाद पांच महिना बाद घलो, वोला अपन मवेसी मिले नइ सके हवय.

वो ह कहिथे, “कोर्ट के आडर के दू दिन बाद मोला पुलिस ले अपन ट्रक मिल गे. ट्रक नइ होय सेती मोला वो बखत मं कऊनो काम मिले नइ सकिस. फेर ओकर बाद जेन होइस वो ह अऊ घलो जियादा हालाकान कर के राख दिस.”

लोंढे सुरता करथे, “कोर्ट के आडर के बाद मोला अपन ट्रक वापिस मिल गे, फेर हलाकान होय बखत आ गे.” वो ह अपन मवेसी मन ला लेगे बर संत तुकाराम महाराजा गऊशाला गिस, फेर गऊशाला के प्रभारी रूपेश गराड़े ह वोला दूसर दिन आय ला कहिस.

येकर बाद अलग-अलग दिन मं कतको बहाना बनाय गिस – गराड़े ह डाक्टर नइ होय के हवाला दिस, काबर के मवेसी ला छोड़े के पहिली ओकर जाँच करे के जरूरत रहिस. कुछेक दिन बाद, प्रभारी ह हाई कोर्ट ले स्टे ले आइस – जेन सेशन कोर्ट के फइसला ला नामंजूर कर दिस. लोंढे कहिथे ये साफ दिखत रहिस के गराड़े ह मवेसी मन ला नइ लहूंटाय बर बखत लेवत रहिस. “फेर पुलिस ह ओकर जम्मो बात ला मान लेवय. ये हँसी के बात रहिस.”

पुणे अऊ ओकर तीर-तखार के कुरैशी समाज ले गोठ-बात ले पता चलथे के ये कऊनो बड़े बात नइ ये, फेर गौरक्षक मन के काम के तरीका आय. कतको बेपारी मन ला घलो अइसनेच नुकसान होय हवय. गौरक्षक मन के कहना आय के वो मन ला मवेसी के चिंता रहिथे, फेर कुरैशी समाज संदेहा मं हवय.

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सुरेश कुरैशी सवाल करथें, ‘मोर कतक संगवारी मन देखे हवंय के गौरक्षक मन के जब्त करे के बाद ओकर मवेसी गायब हो गे. काय वो मन वोला बेंचत हवंय? काय ये कऊनो रैकेट चलत हवय?’ साल 2023 मं, ओकर मवेसी ला जब्त करे गे रहिस अऊ कभू वो मन ला नइ लहूंटाय गीस

पुणे के 52 बछर के बेपारी समीर कुरैशी कहिथें, “गर ये गौरक्षक मन मवेसी मन ला लेके अतक संसो करत हवंय, त किसान मन ला काबर निशाना नइ बनाय जावय? उहिच मन येला बेंचथें. हमर बुत्ता ला एक जागा ले दूसर जगा ले जाय आय. असल मकसद त मुसलमान मन ला हलाकान करे आय.”

साल 2023 के सावन महिना (अगस्त) मं समीर ला घलो अइसनेच गम होइस जब ओकर ट्रक ला रोक ले गीस. महिना भर बाद, जब वो ह अपन गाड़ी लेगे कोर्ट के अपन पक्ष मं आडर लेके पुरंधर तालुका के झेंडेवाड़ी गाँव के गऊशाला मं गिस.

समीर कहिथे, “फेर जब मंय उहाँ पहुंचेंव त मोर एको ठन मवेसी नई दिखिस. मोर पांच ठन भंइसा अऊ 11 ठन बछरू रहिन जेन मन के दाम 1.6 लाख रूपिया रहिस.”

संझा 4 ले 11 बजे तक सात घंटा तक समीर ह धीरज धरे अपन गायब मवेसी के बारे मं जाने ला अगोरत रहय.आखिर मं, पुलिस अफसर ह वोला दूसर दिन आय के जोर डारिस. समीर कहिथे, “पुलिस वो मन ले सवाल करे ला डेर्राथे. जब मंय दूसर दिन हबरेंव, तब तक ले गौरक्षक मन स्टे आडर ले आय रहिन.”

समीर ह मुकदमा लड़े ला छोड़ दे हवय काबर के वोला डर हवय के वो ह मवेसी मन के दाम ले जियादा खरचा हो जाही, भलेच मानसिक तनाव होय. “फेर मंय जाने ला चाहत हवं के हमर मवेसी मन ला जब्त करे के बाद वो मन वो मन ला काय करथें,” वो ह पूछथे. “मोर मवेसी मन कहाँ रहिन? मंय अकेल्ला नों हों जेन ह ये सब्बो ले देखे हवय. मोर कतको संगवारी मन देखे हवंय के गौरक्षक मन के जब्त करे जाय के बाद वो मन के मवेसी गायब होगे. काय वो मन वोला बेंचत हवंय? काय ये कऊनो रैकेट चलत हवय?”

बेपारी मन बताथें के अइसने घलो मऊका आथे जब गौरक्षक मवेसी ला छोड़थें, फेर अदालती मामला के बखत मवेसी मन के देखभाल सेती मुआवजा मांगथें. पुणे के एक झिन आन बेपारी 28 बछर के शाहनवाज क़ुरैशी के कहना आय के गौरक्षक हरेक मवेसी सेती रोज के 50 रूपिया मांगथें. वो ह कहिथे, “येकर मतलब ये आय के गर दू महिना 15 ठन मवेसी ला रखथें, त हन ला वोला हासिल करे 45,000 रूपिया देय ला परही. हमन सालों ले ये कारोबार करत हवन. येकर कऊनो तुक नइ ये अऊ जबरन वसूली ले कम नो हे.”

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पुणे के एक झिन बेपारी शाहनवाज कुरैशी कहिथे के गौरक्षक मवेसी ला छोड़थें, फेर अदालती मामला के बखत मवेसी मन के देखभाल सेती मुआवजा मांगथें

पुणे जिला के नान कन कस्बा सासवड़ मं 14 वछर के सुमित गावड़े ह मवेसी ले जावत एक झिन ट्रक चालक के संग मारपीट होवत देखे रहिस. ये ह साल 2014 के बात आय.

गावड़े कहिथे, “मोला सुरता हवय के भारी आतुर रहेंव. मंय सोचेंव मोला घलो अइसने करे ला चाही.”

बुड़ती महाराष्ट्र के ये इलाका जेन मं पुणे जिला आथे, ऊहां 88 बछर के कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी संभाजी भिड़े भारी लोकप्रिय हवय. ओकर जवान लइका मन के ब्रेनवॉश करे अऊ मुसलमान विरोधी बयानबाजी ला बढ़ावा देय बर योद्धा राजा शिवाजी के विरासत के दुरुपयोग करे के इतिहास रहे हवय.

गावड़े कहिथे, “मंय ओकर भासन सुनेंव, जेन मं वो ह बताइस के कइसने शिवाजी ह मुगल मन ला हराइस, जेन मन मुसलमान रहिन. वो ह लोगन मन ला हिंदू धरम अऊ अपन आप के रच्छा करे के बारे मं बताइस.”

आसानी ले बात मं आ जवेइय्या के 14 बछर के किसोर ह भिड़े के भासन ले आतुर होगे. गावड़े कहिथे के गौरक्षक मन ला तीर ले देखे ह रोमांचक रहिस. वो ह शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के नेता पंडित मोड़क ले मिलिस, जऊन ह भिड़े के बनाय संगठन आय.

सासवड़ मं रहेइय्या मोड़क पुणे मं एक ठन मुखिया हिंदू राष्ट्रवादी नेता आय अऊ ये बखत भाजपा ले भारी नाता मं हवंय. सासवड़ अऊ ओकर तीर-तखार के गौरक्षक मोड़क करा जाथें.

गावड़े बीते दस बछर ले मोड़क सेती काम करत हवय अऊ ये काम सेती पूरा प्रतिबद्ध हवय. वो ह कहिथे, “हमर गस्ती रात 10:30 बजे ले सुरु होथे अऊ बिहनिया चार बजे तक ले चलथे. गर हमन ला लगथे के कुछु गड़बड़ हवय त हमन ट्रक ला रोक देथन. हमन ड्राइवर ले पूछताछ करथन अऊ वोला पुलिस थाना ले जाथन. पुलिस हमेशा सहयोग करथे.”

गावड़े दिन मं कन्ट्रकसन के काम करथे, फेर जब ले वो ह “गौरक्षक” बने हवय, वो ह कहिथे के ओकर तीर-तखार के लोगन मन मं मन बढ़े हवय. वो ह साफ कहिथे, “मंय ये काम पइसा के सेती नइ करंव. हमन अपन जान जोखम मं डारथन अऊ हमर तीर तखार के हिंदू मन येला मानथें.”

गावड़े कहिथे के सिरिफ पुरंधर के एकेच तालुका मं करीबन 150 गौरक्षक हवंय, ये मं सासवड़ गांव आथे. वो ह कहिथे, “हमर लोगन मन सब्बो गांव ले जुड़े हवंय. भले वो मन निगरानी करे मं सामिल नइ हो सकंय, फेर वो मन ट्रक ला देख के संदेहा होय ले येकर खबर हमन ला देथें.”

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गौरक्षक हरेक मवेसी सेती रोज के 50 रूपिया मांगथें. शाहनवाज ह कहिथे, ‘येकर मतलब ये आय के गर दू महिना 15 ठन मवेसी ला रखथें, त हन ला वोला हासिल करे 45,000 रूपिया देय ला परही. ये ह जबरन वसूली से कम नो हे’

गाय-गरु गांव-देहात के अर्थव्यवस्था के मूल आय. बछरों बछर ले किसान मन मवेसी मन ला बीमा कस बऊरत आवत हवंय – वो मन बर-बिहाव, दवई -पानी धन खेती के अवेइय्या सीजन सेती पइसा जोरे बर अपन मवेसी मन ला बेंच देथें.

फेर गौरक्षक गोहड़ी के जाल ह येला जम्मो किसिम ले बरबाद कर दे हवय. हरेक अवेइय्या साल वो मन के गतिविधि अऊ बढ़त जावत हवय,वो मन के आंकड़ा बढ़त जावत हवय. ये बखत, शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान ला छोड़ के, कम से कम चार अऊ  हिंदू राष्ट्रवादी मंडली हवंय - बजरंग दल, हिंदू राष्ट्र सेना, समस्त हिंदू अघाड़ी अऊ होय हिंदू सेना- जेकर मन के खून-खराबा करे के इतिहास रहे हवय –ये सब्बो सिरिफ पुणे जिला मं सक्रिय हवंय.

गावड़े कहिथे, “जमीनी स्तर मं सब्बो कार्यकर्ता एक-दूसरे बर काम करथें. संगठन चलत हवय. हमन एक-दूसर के मदद करथन काबर के हमर उद्देश्य एकेच हवय.”

गावड़े कहिथे के सिरिफ पुरंधर मं गौरक्षक हर महिना करीबन पाँच ट्रक ला रोकथें. ये अलग-अलग संगठन के लोगन मन पुणे के कम से कम सात तालुका मन मं सक्रिय हवंय. येकर मतलब ये आय के हर महिना मं 35 ट्रक धन बछर भर मं 400 ट्रक.

हिसाब सही हवय.

पुणे मं कुरैशी समाज के सियान मन के अंदाजा हवय के साल 2023 मं ओकर मन के करीबन 400-450 गाड़ी जब्त करे जा चुके हवय - हरेक गाड़ी मं कम से कम 2 लाख रूपिया दाम के मवेसी रहिन. एक सीधा अंदाजा के मुताबिक घलो, गौरक्षक मन महाराष्ट्र के 36 जिला ले सिरिफ एक ठन मं 8 करोड़ रूपिया के नुकसान करे हवंय, जेकर सेती कुरैशी समाज ला अपन जीविका छोड़े के बिचार करे ला परत हवय.

गावड़े के दावा आय, “हमन कभू घलो कानून ला अपने हाथ मं नइ लेवन. हमन हमेशा नियम के पालन करथन.”

वइसे, अइसने निगरानी के फेर मं आय ट्रक ड्राइवर मन येकर उलट बताथें.

*****

साल 2023 के सुरु मं शब्बीर मौलानी के 25 ठन भरे ट्रक ला सासवड़ मं गौरक्षक मन रोक ले रहिन. वोला आज घनो वो रतिहा के खौफ सुरता हवय.

पुणे ले करीबन दो घंटा के भंडार दिग मं बसे सतारा जिला के भदाले गांव के बासिंदा 43 बछर के मौलानी कहिथें, “मोला लगिस के वो रतिहा मोला पीट-पीट के मार डारे जाही. मोर संग खराब बेवहार करे गीस अऊ भारी पीटे गीस. मंय वो मन ला ये बताय के कोसिस करेंव के मंय सिरिफ ड्राइवर अंव, फेर येकर ले वो मन ला कऊनो फरक नइ परिस.”

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साल 2023 मं शब्बीर मौलानी के ट्रक मन ला रोक ले गीस अऊ वोला पीटे गीस. अब,जब घलो मौलानी घरले बहिर निकरथे, त ओकर घरवाली समीना हर आधा घंटा मं वो ला फोन करके देखत रहिथे के वो ह बने होवय धन नइ. मौलानी कहिथे, 'मंय ये काम ला छोड़े ला चाहत हवं, फेर सरी जिनगी इहीच करे हवंव. मोला घर चलाय सेती पइसा चाही'

जख्मी मौलानी ला पुलिस थाना ले जाय गीस, जिहां ओकर उपर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दरज करे गीस. वोला पीटेइय्या मन ला कोनो सजा नइ मिलिस. वो ह कहिथे, “गौरक्षक मन मोर ट्रक ले  20,000 रूपिया नकदी घलो लूट लिन. मंय पुलिस ला समझाय के कोसिस करेंव. सुरु मं वो मन मोर बात सुनिन. फेर पंडित मोड़क अपन कार मं आ गीस अऊ पुलिस ओकर पूरा असर मं आ गीस.”

15,000 रूपिया महिना कमेइय्या मौलानी महिना भर बाद अपन मालिक के ट्रक ला छुड़ाय सकिस फेर मवेसी अभू घलो गौरक्षक मन करा हवय. वो ह कहिथे, “गर हमन कुछु गैरकानूनी करे हवन, त पुलिस हमन ला सजा देवय. वो मन ला सड़क मं हमन ला पीटे के काय हक हवय?”

मौलानी जब घलो घर ले बहिर जाथे, ओकर 40 बछर के घरवाली समीना ह सुते नइ सकय. वो ह हर आधा घंटा मं वोला फोन करके देखत रहिथे के वो ह बने-बने हवय धन नइ. वो ह कहिथे, “तुमन वोला दोस नइ दे सकव. मंय ये काम छोड़े ला चाहत हवंव, फेर सरी जिनगी इहीच करे हवंव. मोला घर चलाय सेती पइसा चाही.”

सतारा के रहेइय्या वकील सरफराज सैय्यद, जऊन ह मौलानी जइसने कतको मामला ला लड़े हवय, कहिथे के गौरक्षक बखत के बखत ट्रक मन ले नकदी लूटथें अऊ ड्राइवर मन ला निरदयी कस मारथें. वो ह कहिथे, “फेर एकर कऊनो घलो मामला के कभू एफआईआर दरज नइ करे जावय. मवेसी लाय ले जाय एक ठन जुन्ना कारोबार आय, अऊ हमर बुड़ती महाराष्ट्र इलाका के बजार येकर बर जाने जाथे. वो मन बर ड्राइवर मन के पीछा करे अऊ हलाकान करे मुस्किल नो हे काबर के वो सब्बो मन एकेच हाइवे मं चलथें.”

लोंढे कहिथे के ड्राइवर खोजे मुस्किल होवत जावत हे. वो ह कहिथे, “बनेच अकन लोगन मन बनि-भूति करे ला पंसद करत हवंय, भले वो मन ला कम अऊ कभू-कभार के काम काबर नइ होय. मवेसी ले भरे ट्रक चलाय अपन जान जोखम मं डारे जइसने आय. ये ह भारी तनाव वाले आय. ये गुंडा राज ह गाँव-देहात के अर्थव्यवस्था ला बरबाद कर दे हवय.”

वो ह कहिथे, आज किसान मन ला वो मन के बाजिब दाम नइ मिलत हवय. बेपारी मन के नुकसान होवत हवय, अऊ  पहिलीच ले दुवाब मं चलत लेबर बजार ला ड्राइवर मन के कमी अऊ घलो असर मं डारत हवय.

“सिरिफ उहिच मन फरत-फूलत हवंय जऊन मन गुंडागर्दी करत हवंय.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

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पार्थ एम एन, साल 2017 के पारी फ़ेलो हैं और एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर विविध न्यूज़ वेबसाइटों के लिए रिपोर्टिंग करते हैं. उन्हें क्रिकेट खेलना और घूमना पसंद है.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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