पारी में योगदान देने वाले साथियों के लिए दिशा-निर्देश

लेखक, फ़ोटोग्राफ़र, फ़िल्ममेकर, और अन्य साथी

कॉन्टेंट का इंडेक्स

  1. लेख के प्रकार और अन्य कॉन्टेंट

    पारी पर कई अलग-अलग तरह के  लेख पब्लिश होते हैं. उनमें शामिल हैं:

    1. पूर्ण लंबाई का फ़ीचर:

      आदर्श रूप से, ये लेख औसतन 1,000 या उससे कम शब्दों के होंगे. यही मानक फ़ॉलो करना हमारा लक्ष्य है. यदि कोई लेख कॉन्टेंट के साथ-साथ लेखन और तस्वीरों के मामले में बहुत अच्छा है, तो वह 1,200-1,500 शब्दों का भी हो सकता है. यदि वह वास्तव में असाधारण ढंग से लिखा गया है या किसी ज़रूरी विषय पर लिखा गया है, तो हम उस लेख के लिए शब्दों की सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं, और यह 2,000 शब्दों का हो सकता है. लेकिन अगर आपके पास ऐसा कॉन्टेंट है जिसके लिए 2,000 शब्दों की ज़रूरत है, तो उसे दो अलग-अलग स्टोरी में बांटने की कोशिश करें.

      फ़ुल-लेंथ फ़ीचर में फ़ोटो की संख्या 4 से 8 तक होती है (दो या तीन तस्वीरों को जोड़कर बनी तस्वीर, एक तस्वीर के रूप में गिनी जाती है). बहुत सारी तस्वीरें, ख़ास तौर पर बड़ी तस्वीरें, पठनीयता पर असर डाल सकती हैं.

      हमें हर तस्वीर के लिए 1-2 लाइन के संक्षिप्त कैप्शन की ज़रूरत पड़ती है, जिससे तस्वीर में मौजूद व्यक्ति / जगह / गतिविधि / घटना की पहचान हो सके.

      यदि लेखक के पास 4-8 से ज़्यादा बहुत अच्छी तस्वीरें हैं, तो वे अधिकतम 8-15 तस्वीरों का फ़ोटो एल्बम बना सकते हैं. इनमें से भी हर एक तस्वीर को कैप्शन की ज़रूरत होगी.

      उदाहरण के लिए, कुमारटुली की यात्रा

      पारी पर सभी स्लॉट के लिए, तस्वीरों की क्वालिटी के बारे में ज़्यादा जानने के लिए तस्वीरों से जुड़े दिशा-निर्देश देखें.

      आप लेख के साथ एम्बेड किए जाने के लिए बहुत संक्षिप्त वीडियो क्लिप भी सबमिट कर सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए वीडियो से जुड़े दिशा-निर्देश देखें.

      दूसरे शब्दों में, पारी द्वारा पब्लिश की जाने वाली कई स्टोरीज़, पूरी तरह मल्टी-मीडिया होंगी और हम चाहेंगे कि आप किसी भी विषय के लिए उसी रूपरेखा का इस्तेमाल करें.

    2. फ़ोटो स्टोरी:

      पारी पर टेक्स्ट वाले सभी लेखों में, बिना किसी अपवाद के तस्वीरें शामिल होती हैं. लेकिन, फ़ोटो स्टोरी में तस्वीरों की संख्या ज़्यादा हो सकती है और उन्हें एक कहानी के तौर पर क्रम में लगाया जाता है. याद रखें, इस फ़ॉर्मैट का उद्देश्य विज़ुअल तौर पर असरदार स्टोरी तैयार करना है.

      आदर्श रूप से, फ़ोटो स्टोरी में लगभग 10-12 तस्वीरें होनी चाहिए. इससे अधिक तस्वीरों के साथ कोई भी फ़ोटो स्टोरी बोझिल लग सकती है.

      फ़ोटो स्टोरी में परिचय की ज़रूरत होती है, जैसे कि 150 शब्दों तक के कुछ शुरुआती पैराग्राफ़. चूंकि, तस्वीर और टेक्स्ट एक कहानी बताने के लिए एक साथ इस्तेमाल होते हैं, इसलिए इस फ़ॉर्मैट में, कुल शब्दों की संख्या आदर्श रूप से 800 से अधिक नहीं होनी चाहिए.

      देखें: परकीडीह में गायें जब घर आती हैं

      कृपया ऐसी स्टोरीज़ में फ़ोटो के साथ संक्षिप्त कैप्शन भी भेजें. यदि आपके पास 10-12 से अधिक बहुत अच्छी तस्वीरें हैं, तो ऐसी फ़ोटो स्टोरीज़ के साथ एक फ़ोटो एल्बम भी तैयार हो सकता है.

    3. फ़ोटो निबंध:

      इनमें फ़ोटो स्टोरी की तुलना में कम टेक्स्ट शामिल होता है; मुख्य रूप से एक परिचय, कैप्शन, और ज़्यादा से ज़्यादा एक अंतिम पैराग्राफ़. इनमें 12-15 तस्वीरें हो सकती हैं, जिनमें से हर एक के कैप्शन में 50 से अधिक शब्द नहीं होंगे. फ़ोटो निबंध में, कैप्शन स्वयं मुख्य टेक्स्ट होते हैं. कुल शब्दों की संख्या आदर्श रूप से 500 से अधिक नहीं होनी चाहिए.

      देखें: आंगनवाड़ी में दिन गुज़ारती किंजा

    4. फ़ोटो एल्बम:

      फ़ुल-लेंथ वाली फ़ीचर स्टोरी या फ़ोटो स्टोरी में एम्बेड होने के अलावा, यह स्लाइड शो अलग से एक एल्बम भी हो सकता है, जिसमें तस्वीरों की संख्या 3 से 15 तक हो सकती है. प्रत्येक फ़ोटो के लिए एक संक्षिप्त कैप्शन की ज़रूरत होती है.

      अद्भुत मादा मकड़ी स्टोरी में सात तस्वीरें हैं.

    5. यात्रा वृतांत:

      पारी पर 'मुसाफ़िर' श्रेणी का मतलब यात्री से कहीं ज़्यादा है. यह दुनिया भर की चीज़ों को बारीक़ी से देखने की नज़र पैदा करने के लिए प्रेरित करती है. ये सड़क से उठकर आई कहानियां हैं. ये हल्की-फुल्की, मज़ाक़िया हो सकती हैं या इनमें बहुत गंभीर कॉन्टेंट को हल्के अंदाज़ में बयान किया जा सकता है. सीधे तौर पर लोगों को कोट करना वैसे तो इनमें भी ज़रूरी है, लेकिन लेखक अपनी बात अन्य फ़ॉर्मैटों की तुलना में यहां ज़्यादा रख सकता है. मुसाफ़िर की स्टोरी में कम से कम 300 शब्द हो सकते हैं या फिर यह फ़ुल-लेंथ फ़ीचर हो सकता है. फ़ोटो की संख्या लेख की लंबाई के अनुसार अलग-अलग हो सकती है; इसमें एक तस्वीर भी हो सकती है या अधिकतम 8 भी हो सकती हैं.

      देखें: बिस्वास और उनकी साइकिल पर बांस और पोटैटो सॉन्ग

    6. रिपोर्ट:

      यदि आपकी रुचि रिसर्च में है, तो हमारे रिसोर्स सेक्शन पर एक नज़र डालें.

      रिसोर्स सेक्शन, पारी की उस कोशिश का हिस्सा है जिसके तहत दस्तावेज़ों, अध्ययनों, रिपोर्टों और यहां तक कि पुस्तकों की ऑनलाइन लाइब्रेरी बनाने के प्रयास शामिल हैं. लाइब्रेरी के नेविगेशन को आसान बनाने के लिए, हम रिपोर्ट की मुख्य बातों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं. हम ये जानकारी भी देते हैंः रिपोर्ट की उत्पत्ति, इसके लेखक और प्रकाशन का विवरण. हम 5-10 'फ़ैक्टॉइड्स' (तथ्य) लेते हैं, जिससे पाठकों को यह तय करने में आसानी होती है कि वे इस रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ना चाहते हैं या नहीं.

      योगदान करने वाले साथी सिनॉप्सिस और 'फ़ैक्टॉइड' के साथ, रिपोर्ट की पूरी सॉफ़्ट कॉपी (यानी इलेक्ट्रानिक रूप में) भेज सकते हैं या फिर पब्लिक डोमेन में ऐसे कॉन्टेंट की पहचान करने में हमारी मदद कर सकते हैं, ताकि हम उसे पारी के रिसोर्स सेक्शन में शामिल कर सकें. सारांश / फ़ैक्टॉइड के एक उदाहरण के लिए देखें: असंगठित क्षेत्र में कार्य की स्थिति और आजीविका के विकास पर रिपोर्ट

      कृपया ध्यान दें कि हम ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित करते हैं जो आधिकारिक होती हैं या स्वतंत्र और ग़ैर-सरकारी हो सकती हैं, लेकिन विश्वनीय और प्रामाणिक होती हैं. हमारे द्वारा प्रकाशित की जाने वाली अधिकतर रिपोर्टें सरकारी होंगी, क्योंकि सरकारी अधिकारी रिपोर्टों में ही आंकड़े दर्ज करते हैं. जैसे, जनगणना, एनएसएसओ, केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों की रिपोर्ट, आधिकारिक अध्ययन और सर्वे, संयुक्त राष्ट्र और अन्य स्थापित अंतर्राष्ट्रीय निकायों की रिपोर्ट वगैरह. हालांकि, हम उन स्वतंत्र रिपोर्टों को भी प्रकाशित करने की कोशिश करते हैं, जो विश्वसनीय और गंभीर हों, जैसा कि हमने बस्तर में पत्रकारों और मानवाधिकारों पर आसन्न ख़तरे पर आधारित रिपोर्ट के साथ किया.

    7. चेहरे:

      आप चेहरे इकट्ठा करने के पारी के उस प्रयास में योगदान करने के लिए तस्वीरें भेज सकते हैं जो पूरे ग्रामीण भारत में फैले, धरती पर मौजूद सबसे विविध समाजों का चेहरे के आधार पर नक़्शा तैयार करने से जुड़ा है. हमारा उद्देश्य प्रत्येक ज़िले (और हर ज़िले के प्रत्येक ब्लॉक) से कम से कम एक वयस्क पुरुष, एक वयस्क महिला, और एक बच्चे या युवा की तस्वीर इकट्ठा करना है. इसमें कोई भी भाग ले सकता है, बशर्ते कि तस्वीर बहुत अच्छी हो. यह भी बहुत महत्तवपूर्ण है कि आप जो तस्वीर भेज रहे हैं उसका रिज़ॉल्यूशन हाई हो, और आदर्श रूप से पोर्ट्रेट हो, और उसके साथ तस्वीर में मौजूद व्यक्ति की जानकारी भी शामिल हो.

      इसके लिए निम्नलिखित जानकारी की ज़रूरत पड़ती हैः

      नामः कृपया फ़ोटो में मौजूद व्यक्ति का पूरा नाम लिखें; उदाहरण के लिए, अगर उसका नाम रोशन नलबंद है, तो केवल 'रोशन' के बजाय पूरे नाम का इस्तेमाल करें.

      व्यवसायः उदाहरण के लिएः किसान / मज़दूर / शिक्षक / दर्ज़ी

      माता-पिता का व्यवसायः फ़ोटो अगर बच्चे / किशोर की है, तो कृपया उसके माता-पिता का व्यवसाय दर्ज करने की कोशिश करें. उदाहरण के लिए यहां देखें. यदि बच्चा स्कूल जाता है, तो व्यवसाय के आगे 'छात्र' लिखें और उसके माता-पिता का व्यवसाय भी लिखें.

      आयुः जहां संभव हो, व्यक्ति की आयु लिखें. यह शायद कम आयु के लोगों के साथ अच्छा रहेगा, क्योंकि बहुत से बुज़ुर्ग लोग आयु से जुड़े हमारे विचार को समझ नहीं पाएंगे, और इसलिए वे इसके बारे में अनिश्चित हो सकते हैं.

      गांवः जैसा कि फ़ोटो खिंचवाने वाले व्यक्ति ने बताया है. लेकिन, ध्यान देंः अक्सर, गांव का नाम पूछने पर, वह आपको उस गांव के मोहल्ले, बस्ती या कॉलोनी का नाम बता सकता / सकती है, जहां वह रहता / रहती है. मोहल्ला / बस्ती / कॉलोनी का नाम जनगणना या जिले की हैंडबुक में दर्ज नहीं किया जाता है और मानचित्र पर उन्हें ढूंढा नहीं जा सकता. इसलिए हमेशा इसे ज़रूर चेक करें. अगर यह कोई मोहल्ला है, तो उस गांव का नाम लिखें, जिसका वह हिस्सा है. उदाहरण के लिएः साईनगर, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले के कुर्सियांग ब्लॉक के सुकना प्रथम खंडा गांव के एक मोहल्ले का नाम है. इसे कैसे रिकॉर्ड किया गया है, यहां देखें.

      ब्लॉकः या इनमें से कोई एकः तहसील / तालुका / मंडल / राजस्व विभाग

      ज़िलाः

      राज्यः

      वह स्थान जहां तस्वीर खींची गईः अक्सर, रोज़मर्रा के कामों में  जूझने वाले लोग प्रवासी मज़दूर होते हैं. इसलिए, अगर आप जिस व्यक्ति की तस्वीर खींच रहे हैं, वह लखनऊ शहर में एक प्रवासी मज़दूर है, लेकिन वास्तव में वह उत्तर प्रदेश के किसी अन्य ज़िले के किसी गांव का है, तो कृपया दोनों जानकारी को रिकॉर्ड करेंः जहां फ़ोटो खींची गई थी (इस उदाहरण में, लखनऊ में). और व्यक्ति मूल रूप से जहां का है (इसके लिए, ऊपर सूचीबद्ध विवरण देखें).

      तारीख़ः तस्वीर कब खींची गई थी; उदाहरण के लिएः 26 जून, 2016

      फ़ोटोग्राफ़रः आपका नाम

      कैमराः तस्वीर खींचने में इस्तेमाल किए गए कैमरे का मॉडल

      उद्धरणः व्यक्ति से एक संक्षिप्त कोट लेने का प्रयास करें. यह कुछ भी हो सकता है, जिसके बारे में वह बात कर रहा / रही है. इस उदाहरण को देखें. यह केवल वह विषय होना चाहिए जिसके बारे में व्यक्ति दृढ़ता से महसूस करता है. कृपया इसे छोटा रखें.

      पारी पर तस्वीरों की गुणवत्ता के बारे में अधिक जानने के लिए तस्वीरों से जुड़े दिशा-निर्देश को देखें.

    8. वीडियो स्टोरीज़:

      पारी पर वीडियो क्लिप, वीडियो स्टोरीज़, और डॉक्यूमेंट्री पब्लिश की जाती है. अगर हमें छोटे, लेकिन बहुत ही प्रभावी वीडियो क्लिप, टेक्स्ट स्टोरी के साथ मिलते हैं, तो हम उसे टेक्स्ट के भीतर एम्बेड करने का प्रयास करते हैं.

      या उसे छोटे बयान में अलग से शामिल कर देते हैं

      ऐसे वीडियो जो अपने आप में अलग स्टोरी हैं, उनका भी स्वागत है, जैसे कि डॉक्यूमेंट्री.

      इनमें से हमें कुछ भी भेजने के लिए, कृपया अधिक जानकारी के साथ वीडियो से जुड़े दिशा निर्देश देखें.

    9. बोलता एल्बम:

      इस फ़ॉर्मैट में, फ़ोटोग्राफ़र के ऑडियो कैप्शन के साथ 10-14 तस्वीरें जोड़ी जाती हैं. ज़रूरी नहीं है कि फ़ोटोग्राफ़र ने जो लिखित कैप्शन दिया है, ये वैसा ही हो, लेकिन ज़्यादा व्यक्तिगत अनुभव हो सकता है. इस बोलते एल्बम पर नज़र डालें, गोड्डा के कोयले वाले

      इस बात का ध्यान रखें कि कैप्शन के ऑडियो की क्वालिटी अच्छी और साफ़ हो. ध्यान दें कि पहला और आख़िरी ऑडियो कैप्शन थोड़ा लंबा हो सकता है,  क्योंकि वे लोगों को कहानी का परिचय और उसकी समाप्ति से अवगत कराएंगे; हर एक में 40 सेकेंड तक. बाक़ी कैप्शन 20-25 सेकंड से अधिक लंबे नहीं होने चाहिए. कुल मिलाकर, बोलता एल्बम छह मिनट से अधिक का नहीं होना चाहिए, और बहुत छोटा भी हो सकता है.

    10. कई दूसरी श्रेणियों में मौजूद विकल्प:

      शहर में बसा देहात, ग्रामीण खेल, पर्यावरणः आप इन पर या पारी के दूसरे बहुत सारे विषयों के लिए भी तस्वीरें खींच सकते हैं, लगभग किसी भी विषय पर, जिसको लेकर आप योगदान करना चाहते हैं; बशर्ते कि उसकी क्वालिटी अच्छी हो और हमारे मैंडेट के भीतर आती हो. ज़्यादा जानकारी के लिए और इन संभावनाओं के बारे में बेहतर तरीक़े से जानने के लिए, पारी वेबसाइट की श्रेणियों पर जाएं.

  2. लेखन के ज़रूरी मापदंड

    ये सभी फ़ॉर्मैट, लेकिन ख़ास तौर पर टेक्स्ट स्टोरी पर लागू होते हैं. ग्रामीण भारतीयों पर केंद्रित आपके द्वारा भेजी जाने वाली स्टोरीज़ में, हमें निम्नलिखित की ज़रूरत पड़ती हैः

    1. पूरा नाम:

      लोगों का पूरा नाम इस्तेमाल करें, यथासंभव सीमा तक, और विशेष रूप से पहली बार में. उदाहरण के लिएः केवल मीरामनभाई के बजाय, मीरामन चावड़ा.

      हमेशा नए व्यक्ति का नाम और उनका स्थान, आयु (यदि प्रासंगिक हो) और संगठन / पदनाम (यदि कोई हो) को पूरी तरह से लिखें. उदाहरण के लिएः उरुली देवाची के उप सरपंच, महेंद्र शेवाला के पास आठ एकड़ ज़मीन है, जिस पर वह सब्ज़ियां, ज्वार, बाजरा, और अन्य अनाज उगाते हैं.

      इन सभी विवरणों को एक ही पैराग्राफ़ में डालने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि वे आपके लेख में मौजूद होने चाहिए.

      कई बार यह भी हो सकता है कि लेखक ने ऐसी परिस्थितियों में (उदाहरण के लिए, ट्रेन में या लोगों के एक बड़े समूह के साथ) साक्षात्कार किया हो, जहां सभी के पूरे नामों को पूछना और उन्हें नोट करना संभव नहीं था. कभी-कभी, यह भी हो सकता है कि जिस व्यक्ति के बयान को दर्ज किया जा रहा है वह चाहता है कि उसके पूरे नाम का इस्तेमाल न किया जाए. लेकिन, कई मौकों पर लेखक पूरा नाम पूछना भूल जाते हैं. हमारा लक्ष्य, हर समय यही होगा कि पारी पर रिकॉर्ड किए जा रहे लोगों के पूरे नामों का इस्तेमाल किया जाए.

    2. जगह की जानकारी:

      गांव का नाम, ब्लॉक (यदि उपलब्ध हो), ज़िला और राज्य; जहां की स्टोरी है. उदाहरण के लिएः भूरी कल्लू दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले के भरकुर्रा गांव में अकेले रहती हैं.

    3. डायरेक्ट कोट:

      जिस चीज़ को सबसे प्रभावी और सबसे आगे होना चाहिए, वह है आम ग्रामीण लोगों की आवाज़; लेखकों या फ़िल्म निर्माताओं की नहीं. लेखकों या फ़िल्मकारों के विचार परिप्रेक्ष्य, पठनीयता/दृश्यता आदि को बढ़ाते हैं. लेकिन, कहानी ग्रामीण लोगों की आवाज़ें और चेहरे बयान करते हैं. आख़िर यह उनकी स्टोरी है. इसमें कोई चूक न करें. पारी के पत्रकार और लेखक जो कर रहे हैं, वह स्टोरीटेलिंग (किस्सागोई) की कला के अंतर्गत आता है, जिसका चलन पत्रकारिता में तेज़ी से घटा है.

      लेखक एक तरह से दीवार पर बैठी मक्खी जैसा होता है. कई बार वैसा बनना पूरी तरह से संभव नहीं होता है, लेकिन इसके लिए प्रयास करते रहना चाहिए. हम नहीं चाहते कि लोग गांव-देहात का भ्रमण करें और वहां के लोग जो कहानी बयान करना चाहते हैं, उसे छोड़कर ख़ुद अपनी भावनाएं व्यक्त करने लग जाएं.

      स्टोरी की तरह, वीडियो फ़िल्मों में भी हम यही चाहते हैं कि फ़िल्म निर्माता अदृश्य रहे. यदि फ़िल्म निर्माता द्वारा पूछे गए सवाल फ़िल्म में रिकॉर्ड हो गए हैं, तो उन्हें संपादित करके बाहर निकालने का प्रयास करें, ताकि दर्शक केवल उस व्यक्ति को अपनी कहानी बयान करते हुए देख सकें, जिस पर फ़िल्म बनाई गई है. यदि कोई ऐसी चीज़ है जिसके बारे में आपको लगता है कि उसे स्टोरी या फ़िल्म में कहना ज़रूरी है, तो हम आपसे 'ब्लैकबोर्ड' मेथड का इस्तेमाल करने का आग्रह करते हैं. इस पर ज़्यादा जानकारी के लिए वीडियो से जुड़े दिशा-निर्देश देखें.

    4. ग़ैर-सरकारी संगठनों या 'परिवर्तनकारी' होने का दावा करने वाले बाहरी लोगों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करने से बचें:

      हम इस बात पर जितना ज़ोर दें उतना कम है कि हमारी स्टोरीज़ रोज़मर्रा के लोगों पर ही केंद्रित होनी चाहिए. ज़्यादातर 'ग्रामीण' कहानियां उन करिश्माई व्यक्तियों के बारे में लिखी जाती हैं जिन्होंने ग्रामीण इलाक़ों में काम करने के लिए शहर के आकर्षक कैरियर को 'त्याग' दिया है. या उन ग़ैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के बारे में होती हैं जिन्होंने ग्रामीण भारत में कथित तौर पर 'मूक क्रांति' हासिल की है. हम स्वीकार करते हैं कि ऐसे व्यक्ति अवश्य मौजूद हैं और कभी-कभी मूल्यवान योगदान देते हैं. और कुछ एनजीओ भी हैं जो बढ़िया काम कर रहे हैं. वे ग्रामीण परिदृश्य का हिस्सा हैं, वे कहानियों का हिस्सा भी हो सकते हैं, लेकिन वे हमारी स्टोरी के केंद्र में नहीं हो सकते. हमारा ध्यान आम लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर केंद्रित होना चाहिए.

      हम हितों के टकराव से भी बचना चाहते हैं, जो तब हो सकता है जब किसी एनजीओ या वैसे किसी संगठन द्वारा नियोजित कोई कार्यकर्ता उसके वेतन का भुगतान करने वाली संस्था का गुणगान करने वाली स्टोरीज़ भेजता है. हम स्टोरीज़ की तलाश कर रहे हैं, प्रचार करने वाले लेख की नहीं.

    5. कॉन्टेक्स्ट और व्याख्या:

      एक संपूर्ण कहानी बयान करने के लिए ये बेहद ज़रूरी हैं. उदाहरण के लिए, लेखक बताता है कि कहानी का मुख्य पात्र दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ है, लेकिन इसका कोई विवरण प्रदान नहीं करता है, हालांकि ये उसके नोट्स में हो सकते हैं या दूसरे तरीक़ों से प्राप्त किए जा सकते हैं. घर की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के बारे में थोड़ा और जानने की कोशिश करें. पति क्या लेकर आता है? महिला कितना कमाती है? क्या बच्चे स्कूल जाते हैं? वे संयुक्त रूप से कितना कमाते हैं, और इसमें से कितना पैसा किस चीज़ पर ख़र्च किया जाता है?

      एक पैराग्राफ़ भी ठीक होगाः उदाहरण के लिए, लेखक रसोई में क्या देखता है, या कोई महिला दैनिक इस्तेमाल की ऐसी कौन सी चीज़ें बताती है कि जिन्हें वे अपने बच्चों को नहीं दे सकते.

      या उदाहरण के लिए, कहानी एक महिला मछुआरे की हो सकती है, जो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही है. लेख तब बहुत समृद्ध हो जाएगा, यदि उसका व्यक्तिगत अनुभव उस क्षेत्र की महिला मछुआरों की ज़िंदगी और उनकी दुनिया की तरफ़ कोई खिड़की खोल सके. इसमें उसी व्यवसाय के दूसरे लोगों से बात करना शामिल हो सकता है. हालांकि, यह अनिवार्य से अधिक वांछनीय है, कई बार एक अकेली स्टोरी अपना काम कर जाती है.

      कड़ियांः कहानी भले ही एक परिवार या व्यक्ति के बारे में हो, आप उसे एक बड़े कैनवास से जोड़ सकते हैं. उदाहरण के लिए, यदि कोई लेख महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के बारे में है, और उसमें किसी विशेष परिवार या किसान का उल्लेख है, तो उसमें इस बात का उल्लेख किया जा सकता है कि इस राज्य में पिछले दो दशकों में 63,000 किसानों ने आत्महत्या की है.

      इसी तरह, कहानी भले ही किसी व्यक्ति या परिवार पर पूरी तरह से केंद्रित हो, आप दूसरों (पड़ोसियों, अधिकारियों, विषय से जुड़े किसी अन्य व्यक्ति) के कोट का इस्तेमाल कर सकते हैं. या किसी बड़े स्तर के आंकड़ों का इस्तेमाल करें. उदाहरण के लिए, भूख से होने वाली मौत की स्टोरी में कुपोषण के आंकड़े (ज़िला स्तरीय, राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय, जो भी प्रासंगिक हो) लाने की कोशिश करें.

    6. तथ्य की जांच:

      लेख में दर्ज सभी संख्यात्मक आंकड़ों की जांच विश्वसनीय या सरकारी स्रोतों से (जहां तक संभव हो) की जानी चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर किसी लेख में रिपोर्ट के प्रकाशित होने के वर्ष का उल्लेख है, तो लेखक को उस वर्ष की सत्यता की जांच एक बार फिर ऑनलाइन करनी चाहिए.

      उदाहरण के लिएः भारतीय बैंक संघ की 2008 की रिपोर्ट बताती है...

      — यहां, आप उस वर्ष की आईबीए की रिपोर्टों की सत्यता की जांच ऑनलाइन कर सकते हैं.

      हमें दर्ज किए गए सभी मेटा डेटा/आधिकारिक आंकड़ों के ऑनलाइन स्रोतों की ज़रूरत होगी. लेखक वह यूआरएल दे सकते हैं जिस पर हमारे संपादक संख्याओं को पुनः सत्यापित कर सकें. यदि लेखक ने हार्डकॉपी का संदर्भ दिया है, तो उन्हें लेख के साथ आदर्श रूप से संदर्भ (शीर्षक, लेखक, तारीख़, प्रकाशन का स्थान) देना चाहिए.

      पारी पर प्रकाशित लेख में, इन विवरणों को पूर्ण औपचारिक संदर्भों के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, संपादक उन्हें हटा देगा. वे केवल संपादक के द्वारा तथ्यों की जांच के लिए ज़रूरी हैं. लेकिन आंकड़ों का हवाला देते समय, एक सामान्य संदर्भ/ स्रोत टेक्स्ट के भीतर शामिल किया जा सकता है (और करना भी चाहिए).

      हम उम्मीद करते हैं कि लेखक तथ्यों की जांच करने वाले पहले व्यक्ति होंगे. इसका मतलब है कि कहानी में तथ्यों के रूप में वे जिसका उल्लेख कर रहे हैं, उसकी प्रामाणिकता की जांच करना. अक्सर संपादन में बहुत सारा समय इसलिए बर्बाद होता है और प्रकाशन धीमा हो जाता है, क्योंकि लेखक ने अपनी तरफ़ से जांच करने पर ध्यान नहीं दिया होता.

      उदाहरण के लिएः सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, केवल 8 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में, सबसे अधिक कमाई करने वाले सदस्य हर महीने 10,000 रुपए से अधिक कमाते हैं. उदाहरण के लिए, बैंज और बंजारा देखें.

    7. लेखक का संक्षिप्त परिचय:

      हमें लेखक का संक्षिप्त परिचय चाहिए होता है, जो दो लाइनों से ज़्यादा में नहीं होना चाहिए. उदाहरण के लिएः जयदीप हरडीकर, नागपुर में रहने वाले एक पत्रकार हैं, जो टेलीग्राफ़, कोलकाता के लिए काम करते हैं.

    8. फ़ोटो क्रेडिट:

      फ़ोटो लेखक ने खींची या किसी और ने? कृपया सभी फ़ोटोग्राफ़रों के नाम और संक्षिप्त परिचय दें.

    9. स्टोरी पिच करना:

      अगर आप पारी को कोई ऐसी स्टोरी भेजने का प्रस्ताव कर रहे हैं जिसे आपने अन्य पब्लिकेशन/वेबसाइटों को पिच किया है, तो यह ज़रूरी है कि आप हमें इसके बारे में बताएं. अन्यथा, यह ग़ैर-ज़रूरी और मुश्किल परिस्थितियों का कारण बन सकता है.

      प्रस्तावित स्टोरी का पिच स्वीकार कर लेना, पब्लिश होने की गारंटी नहीं है. सीधे शब्दों में कहें, तो हम किसी विचार को पसंद कर सकते हैं और कह सकते हैं कि ठीक है, इस पर काम करें. जहां तक स्टोरी को पब्लिश करने की बात है, तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्टोरी कितनी अच्छी है, न कि विचार कितना अच्छा है.

      इसी तरह, यदि आपने पारी को स्टोरी भेजी है और साथ ही इसे किसी दूसरी वेबसाइट में भी भेजा है, तो हमें बताएं. हम पूरे क्रेडिट के साथ उसे दोबारा प्रकाशित करने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन हमें सूचित किया जाना चाहिए.

  3. लेखन के सुझाव

    1. वाक्य छोटा रखें — लगभग 30-35 या उससे कम शब्दों में — आम तौर पर, मानक के आधार पर, नियम के रूप में नहीं.

    2. जहां तक संभव हो सके, डायरेक्ट कोट और एक्टिव वॉइस (सकर्मक क्रिया) को बनाए रखें. कोट की व्याख्या या शब्दों को न बदलें कि इस प्रक्रिया में मूल आवाज़ या स्वाद खो जाता. लेकिन कोट को भी छोटा रखें, जब तक कि बहुत ज़रूरी न हो.

    3. लीडः 'लीड' यानी लेख के शुरुआती हिस्से के महत्व के बारे में ज़्यादा बताने की ज़रूरत नहीं है — पहला (या पहले दो) पैराग्राफ़, पाठक के लिए आपकी स्टोरी को खोलता है. अच्छा, मनोरंजक/चौंकाने वाला/दिलचस्प लीड ही यह निर्धारित करेगा कि पाठक वास्तव में पूरे लेख को पढ़ता है या नहीं. ख़राब लीड की वजह से वे पूरा लेख पढ़े बिना जा सकते हैं.

    4. सुनिश्चित करें कि लेख में एक ढांचे को फ़ॉलो किया जाता हो और उसमें एक लय हो — इसलिए, एक पॉइंट स्थापित करें, फिर अगले पर जाएं; फैलाने के बजाय इकट्ठा करें. कुछ लेखन में ऐसा होता है कि मुख्य कॉन्टेंट, जो वास्तव में एक अच्छी या बेहतरीन स्टोरी हो सकती थी, वह कहीं दफ़्न हो जाती है और इधर-उधर की बातें ज़्यादा आ जाती हैं.

    5. ब्योरे और रंगः पात्रों के बारे में थोड़े ब्योरे के साथ बयान करें. उदाहरणः

      हम निताई के छोटे और तंग घर में प्रवेश करते हैं, जहां वह फ़र्श पर एल्यूमीनियम के एक बर्तन और डिब्बे में शहद जमा करते हैं.

      बजाय इसकेः हम निताई के घर जाते हैं, जहां वह बर्तनों में शहद का भंडारण करते हैं.

      देखेंः मधुमक्खियों का डंक और बाघों का आतंक

      कुछ अलग रंग जोड़ें. उदाहरण के लिएः उसका हास्य ग़रीबी में गुज़ारे गए बचपन की यादों को हल्का कर देता है. "मेरे पिता ने एक रात हमें जगाया. मैं तब 10 साल की भी नहीं थी. उन्होंने कहा कि चंद्रमा पूरा निकला है और सफ़ेद है, और हम इसकी रोशनी में फ़सल काट सकते हैं."

      देखेंः छोटी किसान, बड़ा दिल, चमत्कारी बाइक

      या फिर यहः लंबी दूरी की धावक, 25 वर्षीय ललिता बाबर ने साल 2005 में पहली बार एक जोड़ी जूते तब ख़रीदे, जब उन्हें राष्ट्रीय दौड़ प्रतियोगिता में नंगे पांव दौड़ने से रोक दिया गया था....चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी, बाबर ने कहा, "क्या ऐसे भी दिन होते थे जब मेरे माता-पिता इसलिए भूखे रहे, ताकि मेरी स्टैमिना कमज़ोर न हो; मैं नहीं जानती थी."

      देखेंः एक ग्रामीण धावक की यात्रा

      ध्यान दें कि कुछ प्रारंभिक शब्द "नंगे पैर दौड़ना" हमें व्यक्ति के बारे में कुछ बताता है, वास्तविक ग़रीबी की पृष्ठभूमि को बयान करता है. उसके माता-पिता का भूखे रहना उसमें गहराई की वृद्धि करता है. वह चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी, हमें उसके परिवार के संदर्भ में उस इंसान की तस्वीर दिखाता है.

  4. फ़ाइलें मेल करना

    आप हमें पारी के कॉन्टेंट अपलोड करने के फ़ॉर्म के माध्यम से कॉन्टेंट भेज सकते हैं

    यदि किसी कारण आप कॉन्टेंट अपलोड करने के फ़ॉर्म का इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं, तो अपने लेख और तस्वीरें मेल द्वारा भेज सकते हैंः [at the rate of] ruralindiaonline [dot] org

    कृपया टेक्स्ट से अलग हाई-रिज़ाल्यूशन फ़ोटो अपलोड करें / भेजें. हमें सभी फ़ोटो केवल Google ड्राइव पर अपलोड करके या उन्हें Wetransfer के माध्यम से भेजें. अपने टेक्स्ट आर्टिकल के भीतर तस्वीरें न पेस्ट  करें, इससे मेल बहुत भारी हो जाता है और मेल-बॉक्स ब्लॉक हो जाते हैं, और वे टेक्स्ट को पढ़ने या संपादित करने में भी अड़चन डालते हैं.

    आप लेख की Word फ़ाइल को बिना किसी फ़ोटो के भेज सकते हैं, केवल उनके प्लेसमेंट और कैप्शन के साथ.

    कृपया अपनी Word फ़ाइलों को शीर्षक दें. लेखक और पारी के संपादकों के बीच अनिवार्य रूप से कई बातों का आदान-प्रदान होता है. चूंकि संशोधन किए जाते हैं और नए ड्राफ़्ट तैयार किए जाते हैं, इसलिए यह भ्रमित कर सकता है. इसलिए बेहतर है कि हर बार निम्नलिखित चीज़ों को शामिल किया जाएः

    (a) आपका नाम

    (b) स्टोरी के विषय के बारे में 2-3 शब्द (उदाहरण के लिएः Odisha migration)

    (c) जिस तारीख़ को फ़ाइल मेल की जा रही है (उदाहरण के लिएः 10Oct16) और

    (d) V1, V2, आदि के रूप में (वर्शन (संस्करण) की संख्याओं के लिए, क्योंकि वे आदान-प्रदान में बदल जाती हैं).

    उदाहरण के लिएः PST_Odisha migration_10Oct16_V1

    लेखन /  संपादन की प्रक्रिया में, ट्रैक मोड में काम करना फ़ायदेमंद हो सकता है.

  5. तस्वीरों से जुड़े दिशा-निर्देश

    पारी विज़ुअल को बहुत महत्व देता है. रिसोर्स को छोड़कर, पारी में कोई भी स्टोरी, फ़ीचर या फ़ॉर्मैट को हाई-क्वालिटी वाली तस्वीरों के बिना पब्लिश नहीं किया जाता है. आप हमें फ़ुल-टेक्स्ट लेखों के लिए या फ़ोटो निबंध, स्लाइड-शो, बोलता एल्बम, वन-ऑफ़, चेहरे के लिए तस्वीरें भेज सकते हैं या फिर ऐसी तस्वीरें भेज सकते हैं जिनमें ग्रामीण जीवन, कार्य, पर्यावरण, संस्कृति के कुछ पहलुओं का दस्तावेज़ीकरण हो. (इन दिशा-निर्देशों के अनुभाग 1 को देखें).

    1. भेजने के लिए तस्वीरों की संख्या:

      पारी पर हर तरह के लेख के साथ, फ़ोटो की सही संख्या अनुभाग 1 में बताई गई है. कृपया हमें प्रत्येक लेख के साथ कम से कम 4-6 हाई-रिज़ॉल्यूशन फ़ोटो भेजें. यह न्यूनतम है. आदर्श रूप से, आपको हमें इस न्यूनतम से कहीं ज़्यादा तस्वीरें भेजनी चाहिए; वास्तव में, आपके पास जो भी तस्वीरें हैं वे सभी भेजनी चाहिए, जिनका स्टोरी के लिए इस्तेमाल हो सकता है. कभी-कभी, हम आपको वे तस्वीरें भी शामिल करने के लिए कह सकते हैं जिन्हें आपने भेजा नहीं है, ताकि हमारे पास चुनने के लिए विकल्प ज़्यादा हों.

    2. ब्योरे:

      साइट पर डालने से पहले हमें तस्वीर के बारे में कुछ बुनियादी ब्योरे (नीचे सूचीबद्ध) चाहिए. यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. भले ही यह लेख के लिए न हो, लेकिन प्रत्येक फ़ोटो के बारे में एक या दो पैराग्राफ़ लिखने का प्रयास करें, ताकि हमें जानकारी और संदर्भ मिल सके. हो सकता है कि इन सभी ब्योरों का इस्तेमाल पारी पर न किया जाए, लेकिन संपादकों को उनके बारे में जानना ज़रूरी है. यह आर्काइव के नज़रिए से भी ज़रूरी हैं.

      (i) गांव, ब्लॉक, जिला और राज्य के नाम जैसे ब्योरों के बिना शानदार तस्वीर प्राप्त करना निराशजनक है. यह तस्वीर को स्वीकार करने और पारी पर उसे पब्लिश करने की संभावना को गंभीर रूप से नुक़्सान पहुंचाता है. हम ऐसा हरगिज़ नहीं चाहते हैं.

      (ii) यदि फ़ोटो के केंद्र में कोई व्यक्ति है, तो उसका पूरा नाम क्या है? कई फ़ोटोग्राफ़र, ग्रामीण भारतीयों की तस्वीरें लेते समय उनका पूरा नाम रिकॉर्ड करने की परवाह नहीं करते. कभी-कभी, वे उनके नाम बिल्कुल भी रिकॉर्ड नहीं करते. लोगों के एक समूह की तस्वीर लेते समय, ज़ाहिर है कि हर किसी का नाम लेना संभव नहीं होगा. लेकिन उस स्टोरी/एल्बम/फ़ोटो के केंद्र में जो व्यक्ति है (हैं) उनका नाम प्राप्त करना संभव है.

      (iii) हमें यह बताने का प्रयास करें कि वे क्या करते हैं. क्या वे खेतिहर मज़दूर हैं, किसान, गृहिणी, बढ़ई, बुनकर हैं? उनका पेशा क्या है?

      (iv) हमें बताएं कि फ़ोटो कब (दिन, महीना, साल), किसके द्वारा और किस मॉडल वाले कैमरे से ली गई थी.

      (v) यदि फ़ोटो में कुछ अनूठा है, जैसे कि टोपी, हार, वाद्ययंत्र, कृषि उपकरण, तो कृपया हमें आइटम का सही नाम बताएं; यदि संभव हो तो स्थानीय भाषा में बताएं, अंग्रेज़ी में अनुवाद के साथ.

    3. सहमति और गरिमा:

      पारी के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम जिन तस्वीरों को प्रकाशित कर रहे हैं, उन तस्वीरों को उनमें मौजूद लोगों की सहमति से खींचा जाए. यह भीड़ के दृश्यों, किसी बाज़ार में या बस या कार से गुज़रते समय खींची गई तस्वीरों पर लागू नहीं हो सकता है, लेकिन हर उस तस्वीर पर सख़्ती से लागू होता है जहां व्यक्तियों को फ़ोटोग्राफ़र के द्वारा जानबूझकर रिकॉर्ड किया जा रहा है.

      पारी ऐसी किसी भी तस्वीर को पब्लिश नहीं करेगा जो उस तस्वीर में मौजूद व्यक्ति या लोगों की गरिमा का उल्लंघन करती हो.

    4. तकनीकी शर्तें:

      पारी पर पब्लिश हुई सभी तस्वीरों को आदर्श रूप से नीचे दी गई तकनीकी शर्तों को पूरा करना होगा

      (i) फ़ॉर्मैट: हमेशा कैमरा के RAW फ़ॉर्मैट में शूट करें, यदि आपका डिवाइस इसकी अनुमति देता है. यह फ़ाइल का बिना कम्प्रेस किया स्वरूप है, जिसमें तस्वीर के सभी डेटा शामिल होते हैं. (यदि आपके कार्ड में RAW फ़ॉर्मैट में शूट करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, तो कृपया उच्चतम क्वालिटी वाले JPG फ़ॉर्मैट में शूट करें.)

      JPG फ़ॉर्मैट एक कम्प्रेस किया हुआ फ़ॉर्मैट है और इसमें RAW छवि या TIFF छवि की तुलना में कम डेटा होता है. JPG फ़ॉर्मैट में शूटिंग करते समय कृपया उच्चतम क्वालिटी चुनें.

      (ii) कलर स्पेसः यदि आपका कैमरा इसकी अनुमति देता है, तो कलर स्पेस को aRGB पर सेट करें. इसमें रंगों की एक बड़ी सीमा होती है, और इसे वेब के लिए sRGB में बदला जा सकता है, जिसमें रेंज छोटा होता है.

      (iii) रिज़ॉल्यूशनः अपने डिवाइस पर सबसे हाई रिज़ॉल्यूशन में शूट करें. न्यूनतम रिज़ॉल्यूशन जिसे हम स्वीकार करेंगे, 72dpi है.

      (iv) आस्पेक्ट रेशियो: सभी आस्पेक्ट रेशियो मंज़ूर हैं.

    5. फ़ोटो एडिटिंग:

      हमारी प्राथमिकता है कि आप हमें पूरी तरह से बिना एडिट किए हुए फ़ोटो भेजें. पब्लिश करने से पहले ज़रूरी एडिटिंग हम करेंगे. यदि आप एडिटिंग के किसी भी स्तर (क्रॉपिंग, डॉजिंग और बर्निंग, लेवल इत्यादि) के साथ तस्वीर भेज रहे हैं, तो स्पष्ट रूप से बताएं कि आपने ऐसा किया है. कृपया एडिट की गई फ़ाइल के साथ मूल फ़ाइल भी भेजें. छवियों पर वॉटरमार्क न जोड़ें.

    6. तस्वीरों को नाम देना:

      यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप मूल फ़ाइल संख्या को बनाए रखें. उदाहरण के लिएः _DSC_2826.jpg / _MG_2826.jpg. कृपया तस्वीर का वर्णन करने वाले कैप्शन के साथ फ़ाइल नंबर को बदलें. उदाहरण के लिएः _MG_2826.jpg को 'बाज़ार में सब्ज़ियां बेचने वाला आदमी' द्वारा नहीं बदला जाना चाहिए.

    7. इमेज पहचानकर्ता या कैप्शन:

      सभी इमेज के लिए ये ज़रूरी हैं. उनका उद्देश्य इमेज की पहचान और ब्योरे देना है. उस फ़ोटो में कौन है? किस स्थान पर? क्या गतिविधि कर रहे हैं? फ़ोटो में मौजूद आइटम का नाम क्या है? ये ब्योरे पब्लिश करने के लिए फ़ोटो चुनते समय और स्टोरी का ख़ाका तैयार करते समय हमारी मदद करते हैं. अंत में पब्लिश की जाने वाली स्टोरी में इन कैप्शन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. कृपया तस्वीरों के साथ उनके कैप्शन Word/टेक्स्ट डॉक्यूमेंट में भेजें.

      उदाहरण के लिएः _MG_2826.jpg — बांस की बुनाई करते हुए जैती गांव के नैन राम बाजेला या _MG_2826.jpg — परसादा गांव में मुला देवी अपने खेत पर

      कॉपीराइट मुद्दों के संदर्भ में भी यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. रिवर्स इमेज सर्च के लिए इमेज संख्या को बनाए रखना महत्तवपूर्ण है, और पारी को इस बात का पता लगाने में मदद करता है कि क्या छवि को किसी भी तरह से अनुमति के बिना, फिर से पब्लिश या प्रिंट किया गया है या उसका दुरुपयोग तो नहीं किया गया है.

    8. सौंदर्य संबंधी शर्तें:

      (i) पारी पर पब्लिश सभी स्टोरीज़ में पृष्ठ के शीर्ष पर एक हॉरिज़ॉन्टल फ़ीचर इमेज या कवर फ़ोटो होता है. तस्वीरें लेते समय इस स्लॉट को ध्यान में रखें, और हमें 3-4 हॉरिज़ॉन्टल विकल्प भेजें. कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैंः

      कश्मीरा बनाने वाले चांगपा

      माको लिंगी की कई टोकरियां

      धनुषकोड़ी के भुलाए दिये गए लोग

      बहुरूपीः कई चेहरों वाला परिवार

      (ii) लोगों की फ़ोटो उनके स्वाभाविक मूड और माहौल में ही खींचें. कई बार आप उन्हें अपने कैमरे के सामने पोज़ देने के लिए भी कह सकते हैं, लेकिन उन्हें असहज महसूस कराए बिना.

      (iii) एक ही दृश्य या व्यक्ति की फ़ोटो अलग-अलग जगह से खींचेंः सुनिश्चित करें कि आपके पास चौड़े, मध्यम, और नज़दीकी रेंज के शॉट हों, ताकि जब हम ख़ाका तैयार करें, तो चुनने के लिए पर्याप्त तस्वीरें हों.

      (iv) लाइनों को सीधा रखने की कोशिश करें. तस्वीरें लेते समय हॉरिज़ॉन्टल और वर्टिकल लाइनों को यथासंभव सीधा रखना ज़रूरी है. आप इसे हॉरिज़ॉन्टल और वर्टिकल संकेतक का इस्तेमाल करके कर सकते हैं, जो आपके द्वारा खींचें जा रहे फ़ोटोग्राफ़ में मौजूद हैं या इस उद्देश्य के लिए आप अपने कैमरे की स्क्रीन या व्यूफ़ाइंडर के किनारों का इस्तेमाल करके कर सकते हैं. आपके कैमरे में आपके द्वारा ली जाने वाली तस्वीर में हॉरिज़ॉन्टल और वर्टिकल रेखाओं को संरेखित करने में मदद करने के लिए ऑनस्क्रीन ग्रिड का इस्तेमाल करने का विकल्प भी हो सकता है. इस विकल्प का इस्तेमाल करने पर भी विचार करें.

      हॉरिज़ॉन्टल और वर्टिकल लाइनों का यह संरेखण इमेज में एक विज़ुअल बैलेन्स बनाता है. तस्वीर लेते समय ऐसा करना बेहतर होता है, ताकि बाद में संरेखण को सही करने की कोशिश करते समय, इमेज के महत्वपूर्ण तत्व क्रॉप न हों.

      हॉरिज़ॉन्टल संकेतको के उदाहरणः किसी परिदृश्य का क्षितिज, दीवार पर बनी अलमारियां, मेज़ आदि. वर्टिकल संकेतकों के उदाहरण: दरवाज़े और चौखट, पेड़, पोल, खंभे आदि.

      फिर भी, कई बार आप एक रोमांचक तस्वीर लेने के लिए हॉरिज़ॉन्टल और वर्टिकल रेखाओं को जानबूझकर झुका सकते हैं. यह भी ठीक है, जब तक कि अच्छी तरह से काम करता है और सौंदर्य की दृश्टि से बेहतर लगता है.

      (v) कैमरा को कम से कम या बिल्कुल भी न हिलाने की कोशिश करें. यह तब होता है, जब फ़ोटो खींचते समय आपका हाथ ग़लती से या अनायास ही हिल जाता है. इसलिए, कैमरे को बिल्कुल स्थिर पकड़े रखना वास्तव में महत्तवपूर्ण है. कैमरा हिलने के अन्य कारणों में शटर की धीमी गति भी शामिल है, और यह उस तस्वीर में बहुत ज़्यादा दिखता है जब आप टेलीफ़ोटो लेंस के साथ क्लोज़-अप में शूटिंग कर रहे होते हैं; हाथ थोड़ा सा हिलने पर भी तस्वीर धुंधली हो सकती है.

      धुंधली तस्वीर हमारी स्टोरी के लिए अनुपयोगी हो जाती हैं. इसलिए, तस्वीरें खींचते समय इस बात की जांच ज़रूर कर लें कि कैमरा हिला तो नहीं है, ताकि आप उन तस्वीरों को वहां दोबारा खींच सकें.

      मोशन ब्लर कैमरा हिलने से अलग होता है. इस तकनीक का इस्तेमाल गति को इंगित करने के लिए किया जाता है और तस्वीर खींचते समय सौंदर्य के लिए जानबूझकर किया जाने वाला चुनाव है; जब गतिशील सब्जेक्ट (विषय) इमेज में एक धब्बा या लकीर के रूप में दर्ज होता है. गति में केवल ऑब्जेक्ट (वस्तु) धुंधला हो जाएगा, जबकि बाक़ी हिस्सा फ़ोकस में रहेगा. आप इस तकनीक का इस्तेमाल अपनी तस्वीर में एक और आयाम जोड़ने के लिए कर सकते हैं.

  6. वीडियो से जुड़े दिशा-निर्देश

    1. पारी पर वीडियो के प्रकार:

      मोटे तौर पर, पारी पांच तरह के वीडियो कॉन्टेंट का आर्काइव तैयार करने की कोशिश कर रहा हैः

      (i) हमारे फ़ेलो ने कुछ बेहतरीन फ़िल्में बनाई हैं. देखेंः

      काली, नर्तकी और उनके सपने

      कुंभार वाड़ा

      पकी हुई मिट्टी

      पुंग

      (ii) अजीब और जिज्ञासु और कभी-कभी मज़ेदार छोटे क्लिप, जो हमें कुछ सिखाते हैं. इन्हें यात्रा के दौरान खींचा जा सकता है.

      उदाहरण के लिए, एक पेशेवर, ढोल पीटने वाले उद्घोषक या दावंडी लोगों को बताता है कि एक निश्चित तारीख़ को पंचायत की बैठक होनी है.

      या गांव के एक स्कूल में गीत गाने वाले बच्चे, उदाहरण के लिए, पोटैटो सॉन्ग

      या कुछ नया, अद्भुत, असामान्य, जैसे एक अलग प्रकार की ढोल की आवाज़ में मृदंग बजाने वाली लड़कियां

      इनमें से कुछ वीडियो पारी की मुसाफ़िर श्रेणी में बहुत अच्छी तरह से फ़िट हो जाएंगे, लेकिन साइट पर कहीं और भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

      (iii) आर्काइव के लिए किया गया दस्तावेज़ीकरण: इसे अच्छे सिनेमा या डॉक्यूमेंट्री की संवेदनशीलता के साथ नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन, एक क्लिप के रूप में कोई अब से 30 साल बाद इस आर्काइव में जाकर देख सकता है और जान सकता हैः वह दूसरे युग की कचरा बीनने वाली एक महिला (उसके शब्दों में) का जीवन था.

      फ़िल्म विरोध इस श्रेणी का एक उदाहरण है कि यह कैसे रोज़मर्रा के लोगों के जीवन को रिकॉर्ड करता है.

      (iv) फिर टेक्स्ट स्टोरी के भीतर एम्बेड किए गए छोटे वीडियो मौजूद हैं.

      जैसे कि छोटी किसान, बड़ा दिल, चमत्कारी बाइक में. इसमें, पाठक/दर्शक टेक्स्ट स्टोरी का केंद्रीय चरित्र को एक जीवित, सांस लेने वाले व्यक्ति के रूप में देख पाते हैं. इस तरह के वीडियो विषय और कहानी के साथ सहानुभूति बनाने में बहुत महत्वपूर्ण हो सकते हैं. यह वीडियो 60 सेकंड से कम का है.

      स्टोरी के भीतर का वीडियो लगभग तीन मिनट का भी हो सकता है. जैसा कि अनिश्चितता के बादल में है.

      और कभी-कभी एम्बेडेड वीडियो थोड़ा लंबा भी हो सकता है, छह मिनट तक का, लेकिन इतनी लंबाई में रहने के लिए वह स्टोरी के लिए बहुत प्रासंगिक होना चाहिए. उदाहरण के लिए, देखें कैप्टन भाऊ’ और तूफ़ान सेना

      (v) यह एक पांचवीं श्रेणी है जिसे पारी बहुत कम पब्लिश करता है, लेकिन एक आर्काइव के नज़रिए से यह बहुत महत्वपूर्ण हैः हम एक संपूर्ण फ़ोटो प्रदर्शनी को डिजिटाइज़ करते हैं और बड़े पैमाने पर मल्टी-मीडिया के साथ प्रयोग करते हैं.

      हमारी ऑनलाइन फ़ोटो प्रदर्शनी काम ही काम, महिलाएं गुमनाम की तरह. यहां, हमने 10 पैनलों की प्रदर्शनी का डिजिटलीकरण किया. प्रत्येक पैनल में पहले से ही मूल टेक्स्ट मौजूद था; हमने हर एक का एक पेज बनाया और उसमें प्रासंगिक, मूल फ़ोटो डाला.

      और हमने हर पैनल में, उसके चारों ओर चलते हुए दर्शक के रूप में, दो मिनट का वीडियो जोड़ा. इसका यूनिक परिणाम सामने आया, जो मल्टी-मीडिया का एक पूरा अनुभव देता है. दो मिनट के वीडियो में, आप दर्शकों को प्रदर्शनी के चारों ओर घूमते हुए देखते हैं, केवल फ़ोटोग्राफ़र की आवाज़ के साथ. वीडियो के नीचे एक पैनल है, जिसमें तस्वीरें लगभग उसी क्रम में रखी गई हैं, जैसे वे भौतिक प्रदर्शनी में दिखाई देती हैं. टेक्स्ट जो भौतिक संस्करण में अलग से रखा हुआ है, डिजिटाइज़ किए गए संस्करण में तस्वीरों के बीच में फैला हुआ है. विजिटर को ऑडियो, वीडियो, स्टिल फ़ोटो, और टेक्स्ट मिलता है, जहां हर आयाम एक-दूसरे के लिए पूरक का काम करता है.

    2. अवधि:

      पारी पर पब्लिश वीडियो कम से कम 10 सेकंड के हो सकते हैं. आमतौर पर, वे 3 से 10 मिनट के बीच होते हैं. कुछ 14-15 मिनट के हैं. कुछ वास्तव में बेहद असरदार हैं और 20 मिनट तक के हैं. हमने अभी तक सबसे लंबा वीडियो 30 मिनट का बनाया है. लेकिन, कृपया हमसे परामर्श किए बिना और ज़्यादा लंबाई का कारण बताए बिना, उससे ज़्यादा लंबा वीडियो बनाने का प्रयास न करें. केवल पूरी डॉक्यूमेंट्री ही 15 मिनट से अधिक की होनी चाहिए.

      बहुत छोटे मज़ेदार या जिज्ञासु क्लिप के लिए (पारी पर वीडियो के प्रकार देखें), 30 सेकंड और तीन मिनट के बीच का समय होना चाहिए. जिन वीडियो को टेक्स्ट स्टोरी में एम्बेड किया जाना है, उनके लिए 60 सेकंड से लेकर तीन मिनट, और अधिकतम पांच मिनट तक का लक्ष्य रखें. ऐसी किसी भी वीडियो के लिए जो 15-20 मिनट से अधिक समय का है, पहले हमसे बात करें. कृपया दो-चार स्टिल फ़ोटो भेजें.

    3. आवाज़ें:

      पारी के लिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आम लोगों की आवाज़ों का ही हमारी फ़िल्मों और लेखों पर असर दिखे. कुल मिलाकर, हम चाहते हैं कि फ़िल्म निर्माता अदृश्य रहे. यदि आप किसी महिला खेतिहर मज़दूर पर फ़िल्म बना रहे हैं, तो स्टोरी के माध्यम से वह देखी और सुनी जानी चाहिए, न कि आप. हम फ़िल्म निर्माता की आवाज़ में लंबी-चौड़ी टिप्पणी सुनना नहीं चाहते हैं. हमें पता है कि साक्षात्कार आपको ही करना होगा, लेकिन इसके बाद अपनी फ़िल्म को इस तरह से बनाने की कोशिश करें कि आप ख़ुद को इससे बाहर कर लें और इसमें पूरी तरह से रोज़मर्रा के लोगों पर फ़ोकस करें. ऐसी फ़िल्म जिसमें सभी आवाज़ें फ़िल्म निर्माताओं की हैं, और लोगों की आवाज़ बहुत कम हैं, वह पारी पर नहीं चलेगी. हां, कभी-कभी आपके द्वारा पूछा गया सवाल सुना जा सकता है. लेकिन उसे कम से कम रखें और सुनिश्चित करें कि आप उसमें दिखाई नहीं दे रहे हैं.

      यदि कोई ऐसी बात है जो आपको किसी स्टोरी या फ़िल्म में कहनी है, तो 'ब्लैकबोर्ड विधि' का इस्तेमाल करें. इसके बारे में ठीक से जानने के लिए, हम आपसे काली, नर्तकी और उसके सपनेड्रम, बैगपाइप और चोलिया नृत्य देखने का आग्रह करते हैं.

    4. संगीत:

      यह उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो अपने वीडियो में संगीत को शामिल करते हैं. उसी संगीत का इस्तेमाल करें जो आपके वीडियो के विषय, स्थान और कॉन्टेंट के लिए पूरी तरह से प्रासंगिक हैं या उसका हिस्सा हैं. यदि फ़िल्म ओडिशा के किसी बुनकर पर आधारित है, तो उस विशेष इलाक़े के संगीत का इस्तेमाल करने का प्रयास करें, शायद स्वयं बुनकर समुदाय का संगीत इस्तेमाल हो सकता है. कृपया इंटरनेट से ऐसी कोई भी चीज़ न चुनें जो आपको आकर्षित तो करती हो, लेकिन वीडियो के विषय और कॉन्टेंट के साथ अच्छी तरह मेल नहीं खाती. राजस्थान के कुम्हारों पर बनाई गई फ़िल्म के बैकग्राउंड में यन्नी का संगीत होना अजीब है!

      महत्वपूर्णः जहां तक संभव हो, कृपया ऐसे संगीत का इस्तेमाल करें जो कॉपीराइट से मुक्त हो. अगर आप किसी भी प्रकार के कॉपीराइट के तहत आने वाले संगीत का इस्तेमाल करते हैं, तो हमें स्पष्ट रूप से सूचित करें. सभी मामलों में, हमें इस्तेमाल किए गए संगीत का स्रोत भेजें, भले ही वह मुफ़्त इंटरनेट डेटाबेस से हो.

    5. क्रेडिट:

      फ़िल्म का श्रेय देने के लिए पारी पर प्रोटोकॉल का एक अलग सेट काम करता है. अगर आप कुम्हार पर फ़िल्म बना रहे हैं, तो पहला (और प्रमुख) श्रेय (कहानी और कथन के लिए) उस फ़िल्म के मुख्य पात्र को जाता है. उदाहरण के लिए पकी हुई मिट्टी में कुम्हार बुधादेब कुंभारकर

      दूसरी और तीसरी पंक्तियों में उनके परिवार या गांव के उन लोगों को श्रेय दिया जा सकता है, जिन्होंने फ़िल्म बनाने में सबसे अधिक मदद की. इसके बाद, फ़िल्म निर्माता/निर्देशक का नाम आता है. संपादन, ध्वनि, संगीत आदि का नंबर इसके बाद आना चाहिए. इसे ठीक से समझने के लिए, आप कभी भी पारी पर मौजूद किसी फ़िल्म के क्रेडिट (श्रेय) को देख सकते हैं. फ़िल्म को अंतिम रूप देते समय भी हमें क्रेडिट भेजें.

    6. सबटाइटल:

      हमें आपके द्वारा भेजे गए प्रत्येक वीडियो के दो संस्करण चाहिए, पहला सबटाइटल के साथ और दूसरा इसके बिना. दोनों ही महत्वपूर्ण हैं. यह भी बहुत महत्तवपूर्ण है कि आप हमें तब भी सबटाइटल भेजें, जब आप फ़िल्म का संपादन कर रहे हैं या पारी के अनुरोध पर उसके ऊपर फिर से काम कर रहे हैं. जब आप फ़िल्म पर काम कर रहे हों, तो हम सबटाइटल्स को एडिट करेंगे. हम समय (मिनटः सेकंड) के साथ तालमेल रखते हुए सबटाइटल तैयार करना चाहते हैं, हर पंक्ति फ़िल्म में दिखनी चाहिए. अनुरोध करने पर हम आपको ऐसी फ़ाइल का एक नमूना भेज सकते हैं.

      कृपया हमें भेजे गए किसी भी टेक्स्ट को वीडियो (बिना सबटाइटल वाले संस्करण) में एम्बेड करने की कोशिश न करें. यह एडिटिंग या सुधार की किसी भी प्रक्रिया को जटिल बनाता है.

      सबटाइटल्स की फ़ाइल जो आप हमें भेज रहे हैं, वह निम्नलिखित फ़ॉर्मैट में होनी चाहिए (नीचे दिया गया टेक्स्ट केवल एक उदाहरण है):

      1

      00:00:15,520 -> 00:00:20,380

      मेरा नाम रामचंद्र श्रीपति लाड है

      2

      00:00:20,380 -> 00:00:25,000

      सभी लोग मुझे 'कैप्टन भाऊ' के नाम से जानते थे

      3

      00:00:28,140 -> 00:00:32,540

      हम 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान [बहुत सक्रिय] थे

    7. ब्लैकबोर्ड:

      हमें कोई भी 'ब्लैकबोर्ड' या टेक्स्ट भेजें, जिसे आप फ़िल्म में डालने का इरादा रखते हैं (ऊपर 6.3 में दिए गए उदाहरण को ज़रूर देखें). हम इन्हें भी संपादित करेंगे. यह बहुत ही अफ़सोस की बात होगी कि कोई अच्छी फ़िल्म ग़लत शब्दों, ग़लत वर्तनी वाले नामों से भरी हो.

    8. विज़ुअल और ऑडियो की स्पष्टता:

      हमारी फ़िल्में कुशल वॉलंटियर एडिटर संपादित करते हैं, लेकिन अगर मूल कॉन्टेंट में विज़ुअल और ऑडियो की स्पष्टता की कमी है, तो यह बेकार साबित हो जाएगा. ऑडियो की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक अच्छे एक्सटर्नल माइक का इस्तेमाल करें. अगर फ़िल्में साधारण संसाधनों के सहारे बनती हैं और डीएससी या सेल फ़ोन पर शूट की जाती हैं, तो आपको बेहतर ध्वनि की ज़रूरत होगी. बाहरी माइक का इस्तेमाल करने का प्रयास करें या एक छोटे डिजिटल ऑडियो रिकॉर्डर को सब्जेक्ट के बहुत क़रीब रखें, लेकिन वह कैमरे में नहीं दिखना चाहिए. यदि कैमरे का ऑडियो ट्रैक संतोषजनक नहीं साबित होता है, तो आप अपने पास मौजूद दो ऑडियो ट्रैक को सिंक कर सकते हैं. हम इसमें आपकी मदद करने की कोशिश कर सकते हैं.

      आपके द्वारा पारी को भेजे जाने वाले वीडियो आदर्श रूप से mp4 फ़ॉर्मैट में होने चाहिए.

    9. वेबसाइट टेक्स्ट:

      हमें फ़िल्मों के बारे में संक्षिप्त संदर्भ और स्पष्टीकरण के साथ कुछ पैराग्राफ़ लिख कर भेजें. यह आपकी फ़िल्म को फ़ीचर करने वाले पारी के पेज पर जाएगा. उदाहरण के लिए, जहांगीर की कहानी देखें.

      कुछ फ़िल्मों में, यह टेक्स्ट 500 शब्दों का हो सकता है, जो आपके पास मौजूद टेक्स्ट कॉन्टेंट पर निर्भर करता है. इसके साथ तस्वीरों (संक्षिप्त कैप्शन के साथ) का इस्तेमाल भी हो सकता है. देखेंः ईमा कीथलहर दिन महिलाओं का दिन

    10. स्टिल फ़ोटो:

      कृपया अपने वीडियो के सब्जेक्ट की स्टिल तस्वीरें भी भेजें. ये आम तौर पर, पारी पर वेबसाइट टेक्स्ट के साथ डाली जाती हैं. अन्यथा हमें स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल करना होगा, जिसमें अक्सर वैसी क्वालिटी नहीं मिल पाती है जैसी हम चाहते हैं. हमें 3-4 स्टिल तस्वीरें भेजें, ताकि चुनने के पर्याप्त विकल्प मौजूद रहें, और सुनिश्चित करें कि उनमें से कम से कम दो हॉरिज़ॉन्टल तस्वीरें हों.

    11. फ़िल्म निर्माता का संक्षिप्त परिचय:

      अंत में, हमें संक्षिप्त परिचय की ज़रूरत पड़ती है, जिसके लिए दो लाइन काफ़ी होते हैं; इसे तीन लाइन से बड़ा न करें.

  7. आचार से जुड़े दिशा-निर्देश

    पारी के लिए लिखने/योगदान करने के इच्छुक सभी लोगों को पता होना चाहिएः

    (i) ऐसी कोई भी रिपोर्ट स्वीकार या पब्लिश नहीं की जाएगी, जिसमें कोई सांप्रदायिक, जातिवादी या लैंगिक पक्षपात हो या जो हिंसा को भड़काती हो.

    (ii) योगदान करने वाले साथी यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके लेख, फ़िल्म या फ़ोटोग्राफ़ में, पहला सिद्धांत यह होगा कि कभी भी उन लोगों को नुक़्सान या कोई झटका न दें, जिनके जीवन को आप रिकॉर्ड कर रहे हैं या रिपोर्ट कर रहे हैं. ग्रामीण भारत के जिन लोगों को आप कवर कर रहे हैं वे ज़्यादातर बेहद आम जीवन जीने वाले आम और वंचित नागरिक हैं. विवादास्पद मुद्दों पर उन्हें कोट करते समय, आपको यह विचार करना चाहिए कि क्या आप जिस कोट का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं उससे उन्हें कोई नुक़सान या हानि तो नहीं हो सकती है. उदाहरण के लिएः अपने गांव के ताक़तवर ज़मींदारों के ख़िलाफ़ शिकायत करने वाले मज़दूर को सीधे कोट करना. यह जानकारी डायरेक्ट कोट के बिना भी दी जा सकती है, जिससे उस व्यक्ति को गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. आप निश्चित रूप से उस मज़दूर के सीधे कोट का इस्तेमाल करें, लेकिन ऐसे बयान का इस्तेमाल न करें जिसके बारे में आपको पता है कि वह उस व्यक्ति को बड़ी परेशानी में डाल सकता है.

    (iii) लोगों के जीवन पर कॉन्टेंट और तस्वीरों को इकट्ठा करने और उनका इस्तेमाल करते समय, उनकी सहमति लेना ज़रूरी है. यह आपका कर्तव्य है कि आप उन्हें समझाएं कि आप कौन हैं, आप वहां क्यों गए हैं, आप उनके जीवन के बारे में जानकारी क्यों पाना चाहते हैं और आप इसका इस्तेमाल कहां और कैसे करना चाहते हैं.

    पारी के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम जो तस्वीरें प्रकाशित करते हैं वे उनमें मौजूद लोगों की सहमति से ली जाएं. यह नियम भीड़ के दृश्य, किसी बाज़ार में या बस या कार से गुज़रते समय ली गई तस्वीरों पर लागू नहीं हो सकता है, लेकिन हर उस तस्वीर पर सख़्ती से लागू होता है, जहां व्यक्तियों को फ़ोटोग्राफ़र द्वारा रिकॉर्ड किया जा रहा है.

    तस्वीर में मौजूद व्यक्ति या लोगों की गरिमा का उल्लंघन करने वाली किसी भी फ़ोटो या इमेज को पारी पब्लिश नहीं करेगा.

    (iv) अपनी रिपोर्ट गुमनाम स्रोतों से न भरें. निश्चित रूप से, गुमनामी उन मामलों में आवश्यक हो सकती है जहां आपके स्रोत की सुरक्षा महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन हम सलाह देते हैं कि (a) इसका कम से कम इस्तेमाल करें और (b) कृपया स्थिति के बारे में पारी के संपादक को समझाएं.

    (v) लैंगिक मुद्दों से जुड़े कॉन्टेंट के प्रति संवेदनशील रहें. उदाहरण के लिए, यौन हिंसा के मामलों में, महिला/लड़की की पहचान ज़ाहिर नहीं की जाएगी, और न ही गांव में उसके घर की लोकेशन जैसी किसी भी जानकारी का इस्तेमाल किया जाएगा. अगर स्टोरी में दर्ज यौन हिंसा के मामले की जांच चल रही है या मामला अदालत में है, तो ब्योरे बिल्कुल तथ्यात्मक होना चाहिए.

    (vi) रूढ़ियों से पूरी तरह बचेंः उदाहरण के लिए, बड़े पैमाने पर इस बारे में पता लगाए बिना, पूरे समुदाय को चूहे खाने वाला बताना.

    (vii) सुनिश्चित करें कि आप कभी भी लिखे हुए की चोरी नहीं करेंगे. किसी के लिखे शब्दों की चोरी एक बहुत ही गंभीर अपराध है. आपके द्वारा अपनी स्टोरी में इस्तेमाल की जाने वाले कॉन्टेंट के स्रोत को हमेशा सही ढंग से प्रस्तुत करें. दूसरों के द्वारा किए गए काम को उठाना और उसे अपना बताकर पेश करना या किसी अन्य रिपोर्ट से कॉपी-पेस्ट करना नैतिक रूप से सही नहीं है.

    जब आप पहले से पब्लिश कॉन्टेंट (समाचार रिपोर्टों, दस्तावेज़ों या इंटरनेट पर मौजूद कॉन्टेंट वगैरह) का इस्तेमाल करते हैं या उसमें से कोट करते हैं, तोः हमेशा (a) सुनिश्चित करें कि स्रोत विश्वसनीय है, (b) सही तरीक़े से और पूरा क्रेडिट दें, और (c) हमें उस कॉन्टेंट का ऐक्सेस दिलाने की कोशिश करें. उदाहरण के लिए, यदि आपने किसी ऑनलाइन स्रोत से जानकारी प्राप्त की है, तो हमें यूआरएल दें. अगर कोई किताब या हार्डकॉपी सोर्स है, तो हमें पूरा कोट (किताब/रिपोर्ट का नाम, लेखक का नाम, तारीख़, पब्लिशर, पब्लिश होने की जगह और पेज संख्या) ज़रूर दें.

    (viii) पारी में योगदान देने वाले साथी बहुत जटिल और अक्सर आसानी से समझ न आने वाले विषयों, मुद्दों, और स्थितियों से निपटते हैं. कृपया जान लें कि हमें आपकी रिपोर्टिंग में संदर्भ की ज़रूरत है. पाठकों और दर्शकों के लिए आपकी स्टोरी को बेहतर ढंग से समझने के लिए यह बहुत ज़रूरी होता है.

    संदर्भ का मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि पारी एक समकालीन जर्नल और आर्काइव दोनों है. आप जो कॉन्टेंट परोस रहे हैं वह आज के पाठकों को समझ में आना चाहिए, और उन लोगों को भी समझ में आना चाहिए जो आज से कई साल बाद इस स्टोरी को देख सकते हैं.