बालासाहेब लोंढे कबो ना सोचले रहस कि 20 बरिस पहिले लिहल फैसला आज उनका खातिर आफत हो जाई. महाराष्ट्र के पुणा जिला के एगो छोट शहर फुरसुंगी में एगो मामूली किसान परिवार में जनमल लोंढे बहुत कम उमिर में खेत पर खटे के सुरु कर देलन. उहंवा ऊ खास करके कपास उगावस. अठारह के भइलन त ऊपरी आमदनी खातिर ड्राइवरी करे के फैसला कइलन.

“एगो दोस्त हमार भेंट एगो मुस्लिम परिवार से करइलक. ऊ लोग मवेसी ढोवे के काम करत रहे.” 48 बरिस के लोंढे कहत बाड़न, “ओह लोग के ड्राइवर के जरूरत रहे. हम एह काम खातिर हामी भर देनी.”

लोंढे नया उमिर के मिहनती लइका रहस. ऊ एह काम के सभ बारीकी सीख लेलन. एक दसक बाद लोंढे के लागल कि ऊ अब बहुते कुछ सीख लेले बाड़न आउर बचत भी काफी कर लेले बाड़न.

“हम 8 लाख रुपइया में सेकेंड हैंड ट्रक कीन लइनी. एकरा बादो हमरा लगे 2 लाख रुपइया धइल रहे. दस बरिस में हम बजार के ब्यापारी आउर किसान लोग से भी जान-पहचान बना लेले रहीं.”

लोंढे के मिहनत रंग देखावे लागल. उनकर पेशा ही रहे जे उनकरा तब बचइलक जब उऩकर पांच एकड़ के खेत फसल के दाम घटे, मुद्रस्फीति आउर जलवायु में बदलाव आवे से घाटा में चल गइल रहे.

काम एकदम सीधा-सादा रहे. ऊ अइसन किसान लोग से मवेसी लेवत रहस, जे एकरा गांव के हाट में बेचे के चाहत रहे. फेरु कमीशन संगे मवेसी के बूचड़खाना, चाहे किसानन के दोसर गुट के बेच देत रहस, जे पशुधन कीने के चाहत रहे. साल 2014 में, आपन कारोबार में कोई एक दशक बितइला के बाद, ऊ एकरा बढ़ावे खातिर दोसर ट्रक कीन लइलन.

पेट्रोल के खरचा, गाड़ी के रखरखाव आउर ड्राइवर के पगार जोड़ला के बाद, लोंढे के कहनाम बा कि ओह घरिया उनकर औसत मासिक कमाई कोई 1 लाख रुपइया रहे. उनकरा एह बात से कवनो फरक ना पड़त रहे कि ऊ मुस्लिम कुरैशी समुदाय के वर्चस्व वाला कारोबार में लागल  कुछ हिंदुअन में से रहस. ऊ कहेलन, “ऊ लोग आपन संपर्क आउर सुझाव में उदार रहे. हमरा लागल हमार काम जम गइल.”

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बाबासाहेब लोंढे खेती छोड़ के मवेसी ले आवे, ले जाए के चोखा कारोबार करे लागल रहस. बाकिर 2014 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आवे के बाद, महाराष्ट्र में गौरक्षक के गिनती बढ़े लागल, त लोंढे के कारोबार के करारा झटका लागल. अब उनकरा आपन आउर आपन ड्राइवर के सुरक्षा के चिंता सतावत रहेला

बाकिर साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सरकार आवते गौरक्षक लोग के उत्पात बढ़े लागल. गौ रक्षा के नाम पर निगरानी करे वाला झुंड उग्र भीड़ के रूप ले लेले रहे. एह में हिंदू राष्ट्रवादी गैर-हिंदू, खास करके मुसलमान लोग के, गोरक्षा के नाम पर निसाना बनावे लागल. गौ यानी गाय, अइसन जानवर जेकर हिंदू धरम में पवित्र स्थान बा, माता के दरजा प्राप्त बा.

साल 2019 में, न्यूयॉर्क के मानवाधिकार समूह ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ आपन एगो अध्ययन में पइलक कि मई 2015 से दिसंबर 2018 के बीच भारत में गोमांस (गाय के मांस) से जुड़ल 100 से जादे हमला भइल रहे. एह हमला में 280 लोग हताहत आउर 44 लोग मारल गइल रहे, आउर एह में जादे तादाद मुसलमानन के रहे.

साल 2017 में, इंडियास्पेंड नाम के एगो डेटा वेबसाइटो के रिपोर्ट आइल. एह में साल 2010 से गाय से जुड़ल लिंचिंग (हमला) के मामला सभ के पड़ताल कइल गइल रहे. एह में पावल गइल कि अइसन मामला में मारल गइल 86 प्रतिशत लोग मुसलमान रहे, जबकि 97 प्रतिशत हमला मोदी के सत्ता में अइला के बाद भइल रहे. वेबसाइट ओकरा बाद से आपन ट्रैकर हटा लेले बा.

लोंढे के कहनाम बा लोग के जान से मारे के धमकी जइसन हिंसा पछिला तीन साल में जादे बढ़ गइल बा. एगो अइसन आदमी जे कबो एक लाख रुपइया दरमाहा कमात रहे, पछिला तीन साल में 30 लाख के घाटा झेल रहल बा. उनकरा आपन जान के त डर रहबे करेला, आपन ड्राइवर लोग खातिर भी चिंता सतावत रहेला.

“ई एगो दु:स्वपन बा,” ऊ कहले.

*****

साल 2023 के 21 सितंबर के तारीख रहे. लोंढे के दू ठो ट्रक में 16 गो भइंस लदा के पुणा के बजार जात रहे. गौरक्षक लोग कोई आधा घंटा दूर पड़े वाला छोट शहर कटराज लगे ट्रक रोक लेलक.

महाराष्ट्र में 1976 से गोहत्या पर रोक बा. बाकिर साल 2015 में, ओह घरिया के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस बैल आउर सांड के हत्या पर भी पाबंदी लगा देलन. लोंढे के ट्रक में भइंस रहे, आउर ऊ एह पाबंदी में ना आवत रहे.

“एकरा बावजूद दुनो ड्राइवर संगे मार-पीट आउर गाली-गलौज कइल गइल,” लोंढे कहलन. “एगो ड्राइवर हिंदू, त दोसरका मुसलमान रहे. कानून के हिसाब से हमरा लगे सभे परमिट रहे. बाकिर हमार ट्रक जब्त कर लेहल गइल आउर पुलिस स्टेशन ले जाइल गइल.”

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‘मवेसी के ट्रक में ढोवे के काम, प्राण संकट में डलला जइसन बा. माथा घूम जाला. ई गुंडा-राज गांव के अर्थव्यवस्था चौपट कर देले बा. आज कानून के आपन जेब में रखे वाला लोगे फल-फूला रहल बा’

पुणा पुलिस लोंढे आउर उनकर दू ठो ड्राइवर के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत शिकायत ठोक देलक. आरोप लगावल गइल कि मवेसी सभ के बिना चारा आउर पानी के बहुते छोट जगह में बंद करके ले जाइल जात रहे. लोंढे कहले, “गौरक्षक लोग हरमेसा लड़े के तइयार रहेला आउर पुलिस हरमेसा पीछा छोड़ावत रहेला. ई सभ बस हमनी के परेशान करे के तरीका बा.”

लोंढे के मवेसी सभ के पुणा मावल तालुका के धामने गांव में एगो गौशाला में ले जाके रख देवल गइल. मजबूरी में उनकरा कानूनी रस्ता अपनावे के पड़ल. करीब साढ़े छव लाख रुपइया दांव पर लागल रहे. ऊ आपन मवेसी छोड़ावे खातिर मारल-मारल फिरलन. एगो नीमन वकील भी कइलन.

दू महीना बाद, 24 नवंबर, 2023 के शिवाजी नगर में पुणे के सेशन कोर्ट आपन फैसला सुनइलक. लोंढे राहत के सांस लेलन जब न्यायाधीश गौरक्षक लोग के उनकर मवेसी लौटावे के आदेश देलन. पुलिस स्टेशन के एह आदेश के हिसाब से तुरंत कार्रवाई करे के जिम्मेदारी देहल गइल.

दुर्भाग्य से लोंढे के मिलल ई राहत जादे दिन ना टिकल. अदालत के आदेश के पांच महीना बादो, उनकरा उनकर मवेसी सभ वापस नइखे मिलल.

“अदालत के फैसला आवे के दू दिन बाद, पुलिस हमरा ट्रक वापस कर देले रहे,” ऊ कहलन. “ट्रक ना रहित, त ओह दौरान हमरा कवनो काम ना मिलित. बाकिर ओकरा बाद जे भइल ऊ जादे निरास कर देवे वाला रहे.”

“अदालत के आदेश अइला के बाद हमरा आपन ट्रक त मिल गइल. बाकिर एकरा बाद के मामला बहुते निरास करे वाला रहे,” लोंढे इयाद करत बाड़न. ऊ आपन मवेसी छोड़ावे संत तुकाराम महाराज गौशाला पहुंचलन. बाकिर उहंवा के इनचार्ज रूपेश गराडे उनकरा अगिला दिन आवे के कहलन.

एकरा बादो अलग-अलग दिन दोसरा कई तरह के बहाना बना के उनका टरकावल गइल. गराडे हवाला देलन कि मवेसी सभ के लउटावे के पहिले एकर डॉक्टरी परीक्षण करे के बा. आउर फेरु कुछ दिन में इनचार्ज उच्च न्यायालय के स्टे-ऑर्डर ले आइल. सेशन कोर्ट के फैसला अब लागू ना हो सकत रहे. लोंढे कहलन कि साफ रहे कि गराडे मवेसी सभ के वापस ना करे खातिर समय लेवत रहे. “बाकिर हंसे वाला बात त ई रहे कि पुलिस उनकर हां में हां मिलावत रहे.”

पुणे आउर एकरा लगे के इलाका में रहे वाला कुरैशी समुदाय संगे बातचीत से पता चलल कि ई सभ बात अजीब ना रहे. गौरक्षक लोग के काम करे के इहे तरीका रहे. एह सभ में केतना ब्यापारी लोग के नुकसान हो चुकल बा. गौरक्षक लोग के तर्क बा कि ऊ लोग के मवेसी के चिंता बा, एहि से ऊ लोग रोक-टोक करेला जबकि कुरैशी समुदाय के ई बात ना पचे.

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‘हमरा संगे काम करे वाला कइएक लोग देखले बा कि गौरक्षक ओरी से जब्त कइला के बाद मवेसी सभ गायब हो गइल. का ऊ लोग एकरा बेच देवेला? का ई कवनो रैकेट चल रहल बा?’ सुरेश कुरैशी सवाल उठावत बाड़न. साल 2023 में, उनकर जब्त मवेसी सभ, आज ले ना लउटल

पुणे के एगो ब्यापारी, 52 बरिस के समीर कुरैशी पूछत बाड़न, “जदि एह गौरक्षक लोग के मवेसी सभ के एतने चिंता लागल बा, त ऊ लोग किसान लोग के निसाना काहे ना बनावे? ऊ लोग त एकरा बेचेला. हमनी त मवेसी सभ के खाली एक जगह से दोसरा जगह ढो के ले जाइला. असल बात बा त ई बा कि कवनो बहाना से मुसलमान के तंग करे के बा.”

अगस्त 2023 में, समीर संगे भी इहे तरह के मामला भइल. उनकरो ट्रक रोकल गइल. एक महीना बाद, ऊ अदालती आदेश लेके पुरंधर तालुका के जेंडेवाड़ी गांव के गौशाला में आपन ट्रक छोड़ावे गइलन.

समीर कहत बाड़न, “बाकिर उहंवा पहुंचनी, त हमरा आपन मवेसी सभ नजर ना आइल. हमरा 1.6 लाख के पांच ठो भैंस आउर 11 ठो बछड़ा रहे.”

समीर 4 बजे से 11 बजे ले, सात घंटा चुपचाप केहू के आवे आउर मवेसी उहंवा ना होखे के बारे में समझावे के बाट जोहत रहलन. आखिर में पुलिस अधिकारी उनकरा पर अगिला दिन आवे के दबाव डाललक. समीर बतावत बाड़न, “पुलिस ओह लोग से सवाल करे से डेराला. अगिला दिन हम जबले लउटतीं, गौरक्षक गुट स्टे-ऑर्डर ले आइल रहे.”

समीर अब अदालत में केस लड़े से हार मान लेले बाड़न. उनकरा डर बा कि एह में जेतना खरचा होई ऊ मवेसी के दामो से जादे पड़ी. “बाकिर हम जाने के चाहत बानीं कि हमनी के मवेसी सभ के जब्त कइला के बाद ओकरा संगे का कइल जाला? हमनी के मवेसी सभ कहंवा बा? ई सभ खाली हमरे संगे नइखे भइल. हमरा संगे काम करे वाला कइएक दोसर लोग भी देखले बा कि कइसे गौरक्षक लोग ओरी से जब्त कइला के बाद मवेसी सभ बिला जाला. का ऊ लोग मवेसी सभ के बेच देवेला? का ई कवनो रैकेट बा?”

ब्यापारी लोग के कहनाम बा कि कबो-कबो जब गौरक्षक लोग मवेसी सभ के छोड़ देवेला, त ऊ लोग जेतना दिन अदालत में मामला चलेला, ओतना दिन जनावर सभ के देखभाल खातिर पइसा मांगेला. पुणा के एगो दोसर ब्यापारी 28 बरिस के शहनवाज कुरैशी के कहनाम बा कि गौरक्षक लोग एक जनावर खातिर रोज के 50 रुपइया चार्ज करेला. ऊ कहलन, “मतलब, जदि ऊ लोग कुछ महीना खातिर 15 ठो मवेसी के देखभाल कइलक, त ओह सभ के वापस लावे खातिर हमनी के 45,000 रुपइया देवे के पड़ी. हमनी एह पेशा में बरिसन से बानी. ई त एकदम बेतुका बात बा. ई जबरन वसूली बा.”

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शहनवाज कुरैशी, पुणा के एगो ब्यापारी, के कहनाम बा कि कवनो अपवाद मामला में मवेसी सभ के छोड़लो जाला, त गौरक्षक लोग अदालती कार्रवाई के दौरान मवेसी के देखभाल करे खातिर मुआवजा मांगेला

पुणा के एगो छोट शहर सासवड में 14 बरिस के सुमित गावडे मवेसी के ला जा रहल एगो ट्रक के चालक संगे मारपीट होखत देखलन. ई साल 2014 के बात रहे.

गावड़े कहलन, “हमरा इयाद बा, हमार रोवां खड़ा हो गइल रहे. हम सोचनी हमरो अइसन करे के चाहीं.”

पुणा जिला के पस्चिमी महाराष्ट्र इलाका में 88 बरिस के कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी संभाजी भिड़े बाड़न. उनकर बहुते नाम बा. नयका उमिर के लइका सभ के ब्रेनवॉश करे, महान योद्धा आउर राजा शिवा जी के विरासत के दुरुपयोग करे आउर मुसलमान बिरोधी बयानबाजी करे के उनकर इतिहास रहल बा.

“हम उनकर भाषण सुनने बानी. ऊ बतावेलन कि कइसे शिवाजी मुगलन के हरइलन, जे मुसलमान रहस,” गावड़े कहले. “ऊ लोग के हिंदू धरम सिखइलन आउर आपन रक्षा करे के बारे में बतइलन.”

भिड़े के भाषण से एगो 14 बरिस के लइका के मन बदल जात बा. गावड़े कहत बाड़न गौरक्षक लोग के काम लगे से देखल रोमांचक रहे. ऊ भिड़े के सुरु कइल गइल संगठन, शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के नेता पंडित मोदक से भेंट कइलन.

सासवड में रहे वाला मोदक पुणा में एगो प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी नेता बाड़न आउर फिलहाल भाजपा से नजदीकी रखेलन. सासवड आउर ओकरा लगे के गौरक्षक लोग मोदक के रिपोर्ट करेला.

गावड़े पछिला एक दसक से मोदक खातिर काम कर रहल बाड़न. अब ऊ आपन जिनगी इहे खातिर समर्पित कर देले बाड़न. ऊ कहेलन, “हमनी के अभियान रात साढ़े दस बजे से भोरे चार बजे ले चलेला. हमनी के जब कबो कवनो गतिविधि संदेहास्पद लागेला, ट्रक रोक दिहिला. ड्राइवर से पूछताछ करिला आउर ओकरा पुलिस स्टेसन ले जाइला. पुलिस हरमेसा हमनी के सहयोग करेला.”

गावड़े दिन में रस्ता, भवन, पुल आदि बनावे के काम करेलन. बाकिर ऊ जवना घड़ी से “गौ रक्षक” बनल बाड़न, उनकर कहनाम बा कि उनकर समाज में इज्जत बढ़ गइल बा. “हम ई काम पइसा खातिर ना करीं,” ऊ साफ कइलन. “हमनी आपन जान दांव पर लगा दीहिला, हमनी के लगे के हिंदू लोग ई बात मानेला.”

गावड़े बतावत बाड़न कि पुरंधर के सिरिफ एक तालुका में ही कोई 150 गो गौरक्षक लोग बा. इहंई सासवड गांव पड़ेला. ऊ कहले, “हमनी के आदमी लोग सभे गांव में फइलल बा. ऊ लोग भलही निगरानी ना कर पाए, बाकिर जब कबो कवनो संदिग्ध ट्रक देखाई देवेला, ओकर खबर देके आपन योगदान करेला.”

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गौरक्षक लोग एगो जनावर खातिर रोज के 50 रुपइया मांगेला. शहनवाज कहलन, ‘मतलब जदि ऊ लोग कुछ महीना ले 15 ठो जनावर के देखभाल कइलक, त हमनी के एकरा छुड़ावे खातिर 45,000 रुपइया भरे के पड़ी. ई त सरासर वसूली बा’

गाय गांव-देहात के अर्थव्यवस्ता के धुरी होखेला. दसकन ले किसान लोग जनावर के बीमा के तौर पर इस्तेमाल कइलक. ऊ लोग बियाह-सादी, दवाई, चाहे आवे वाला फसल के सीजन खातिर पइसा जुटावे खातिर मवेसी के ब्यापार करेला.

बाकिर गौरक्षक लोग के उत्पात चलते ई पूरा ब्यवस्था हिल गइल. जइसे-जइसे साल बीतत बा, एह लोग के खुराफात बढ़ल जात बा, एह लोग के गिनती बढ़ल जात बा. वर्तमान में शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के अलावे, कमो ना त चार गो आउर हिंदू राष्ट्रवादी गुट बा. बजरंग दल, हिंदू राष्ट्र सेना, समस्त हिंदू अघाढ़ी आउर होय हिंदू सेना. एह सभ के इतिहास हिंसक रहल बा. ई सभ संगठन सिरिफ पुणा जिला में चल रहल बा.

गावड़े के कहनाम बा, “सभे कार्यकर्ता लोग एक दोसरा खातिर काम करेला. संगठन अबही मजबूत नइखे. हमनी एक-दोसरा के मदद करिला काहेकि हमनी के मकसद एक बा.”

सिरिफ पुरंधर में गौरक्षक लोग हर महीना कोई पांच गो ट्रक रोकेला, गावड़े बतइलन. एह अलग-अलग तरह के समूह के सदस्य लोग कमो ना त पुणा के सात ठो तालुका में सक्रिय बा. एकर मतलब भइल महीना में 35 ट्रक, चाहे साल में 400.

हिसाब जारी बा.

पुणा के कुरैशी समुदाय के वरिष्ठ सदस्य के अनुमान के हिसाब से साल 2023 में कोई 400 से 450 वाहन जब्त भइल. एह में से हरेक वाहन में कमो ना त 2 लाख रुपइया के मवेसी सभ रहे. जदि मोटा-मोटी हिसाब भी कइल जाव त गौरक्षक लोग के गतिविधि से महाराष्ट के 36 जिला में से सिरिफ एक में 8 करोड़ रुपइया के नुकसान भइल. नतीजा ई भइल कि मजबूरी में कुरैशी समुदाय ई काम छोड़े पर विचार करे लागल.

गावड़े के कहनाम बा, “हमनी कबो कानून ब्यवस्था अपना हाथ में ना लीहीं. हमनी हरमेसा नियम के पालन करिला.”

हालांकि ट्रक ड्राइवर लोग के अनुभव एकरा से उलट बा.

*****

साल 2023 के सुरु में शब्बीर मौलानी के 25 भैंस वाला ट्रक के सासवड में गौरक्षक लोग रोक लेलक. मौलानी आजो ऊ खौफनाक रात याद करेलन.

“हमरा त लागल हम ओह दिन लिंचिंग के शिकार हो जाएम,” पुणा से कोई दू घंटा उत्तर में सतारा जिला के भदाले गांव के रहे वाला, 43 बरिस के मौलानी कहलन. “हमार संगे बदतमीजी कइल गइल आउर बहुत खराब तरीका से मारपीट कइल गइल. हम बतावे के कोसिस करत रहीं कि हम सिरिफ ड्राइवर बानी, बाकिर एह बात से कवनो फरक ना पड़ल.”

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साल 2023 में शब्बीर मौलानी के ट्रक रोकल गइल आउर उनकरा संगे मारपीट कइल गइल. अब मौलानी जब कबो घर से निकलेलन, उनकर घरवाली समीना हर आधा घंटा पर उनकरा फोन करत रहेली कि ऊ जिंदा त बाड़न. मौलानी कहले, ‘हम ई काम छोड़े के चाहत बानी, बाकिर हम आपन पूरा जिनगी इहे काम कइनी. घर चलावे खातिर हमरो पइसा चाहीं’

घायल मौलानी के थाना ले जाइल गइल. उहंवा उनका पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दरज भइल. जे लोग मारपीट कइलक, ओह लोग के कवनो सजा ना मिलल. ऊ कहेलन, “गौरक्षक लोग हमार ट्रक से 20,000 के नकदी भी लूट लेलक. हम पुलिस के स्थिति समझावे के कोसिस कइनी. सुरु में त ऊ लोग हमार बात सुनलक. बाकिर जइसहीं पंडित मोदक आपन कार में उहंवा पधरलन, पुलिस पूरा तरीका से उनकर प्रभाव में आ गइल.”

महीना के 15,000 रुपइया कमाए वाला मौलानी एक महीना बादे आपन मालिक के ट्रक वापस लावे में सफल भइलन. बाकिर मवेसी सभ अबहियो गौरक्षके लगे बा. ऊ कहत बाड़न, “जदि हमनी गलत कइले बानी, त पुलिस हमनी के सजा देवे. एह तरीका से रस्ता पर हमनी संगे मारे-पीटे के ओह लोग के का अधिकार बा?”

मौलानी जब कबो घर से निकलेलन, उनकर घरवाली 40 बरिस के समीना सुत ना पावेली. ऊ हर आधा घंटा पर फोन करेली कि ऊ जिंदा त बाड़न. ऊ कहलन, “रउआ उनकरा दोष ना दे सकीं. हम ई काम छोड़ देवे के चाहत बानी. बाकिर इहे काम हम पूरा जिनगी कइनी. हमार दू ठो लइका, आउर एगो बेमार माई बाड़ी. घर चलावे खातिर हमरा पइसा चाहीं.”

सतारा में रहे वाला आउर मौलानी के कइएक मामला संभारे वाला वकील सरफराज सैयद के कहनाम बा कि गौरक्षक लोग लगातार ट्रक से नकदी लूटेला आउर ड्राइवर लोग के बेरहमी से पीटेला. ऊ कहत बाड़न, “बाकिर अइसन कवनो मामला पर एफआईआर दरज ना होखे. मवेसी के ढोवे के काम एगो पुरान ब्यवसाय बा. हमनी के पस्चिमी महाराष्ट्र इलाका के बजार एकरा अच्छा से जानेला. ड्राइवर लोग के ट्रैक कइल आउर ओह लोग के परेसान कइल मुस्किल नइखे. काहेकि सभे एके राजमार्ग से आन-जान करेला.”

लोंढे कहलन अब ड्राइवर लोग मिलल मुस्किल भइल जात बा. ऊ बतइलन, “अब लोग मजूरी के काम कइल जादे पसंद करेला, भलही एह में कम पइसा होखे आउर काम कबो-कबो मिले. मवेसी वाला ट्रक चलावल जान आफत में डालल जइसन बा. ई बहुते परेसान करे वाला काम बा. एह गुंडा-राज से गांव के अर्थब्यवस्था चौपट हो गइल बा.”

आज किसान लोग के आपन मवेसी खातिर कम दाम मिल रहल बा, ऊ कहलन. ब्यापारी लोग के नुकसान हो रहल बा, पहिलहीं से भरल श्रम बाजार में ड्राइवर आउर कम भइल जा रहल बा.

“इहंवा उहे लोग फल-फूल रहल बा जे कानून-ब्यवस्था के अपना पाकिट में रखेला.”

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Parth M.N.

ପାର୍ଥ ଏମ୍.ଏନ୍. ୨୦୧୭ର ଜଣେ PARI ଫେଲୋ ଏବଂ ବିଭିନ୍ନ ୱେବ୍ସାଇଟ୍ପାଇଁ ଖବର ଦେଉଥିବା ଜଣେ ସ୍ୱାଧୀନ ସାମ୍ବାଦିକ। ସେ କ୍ରିକେଟ୍ ଏବଂ ଭ୍ରମଣକୁ ଭଲ ପାଆନ୍ତି ।

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Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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