मोला बनेच दूरिहा जाना हे, मोला जाना हे परदेस
ओ मयारू कुंज चिरई, ये रद्दा हवय भारी दूरिहा. मोला जाना हे भारी दूरिहा

ये गीत मं एक झिन नवा बियाहे नोनी ह कुंज चिरई (डेमोइसेल क्रेन) ले अपन मन के बात कहत हवय. बिहाव के बाद नोनी ह अपन मायका ला छोड़ के ससुराल जावत हवय अऊ अपन ला तऊन चिरई कस बतावत हवय.

हरेक बछर हजारों तादाद मं ये कोंवर, मटमैला पांख वाले ये चिरई मन मध्य एशिया (जऊन ह ये मन के मूल ठीहा आय) ले उड़ के बुड़ती भारत के सुक्खा इलाका, खासकर के गुजरात अऊ राजस्थान मं आथें. वो मन 5,000 किमी ले घलो जियादा दूरिहा रद्दा उड़ के आथें अऊ लहूँटे के पहिली, नवंबर ले मार्च तक इहींचे रहिथें.

एंड्रयू मिलहम अपन किताब ‘सिंगिंग लाइक लार्क्स’ मं कहिथें, आज के विज्ञान के दुनिया मं विदेसी चिरई मन के आय उपर लोकगीत के महत्ता घटत जावत हवय.” वो ह कहिथे के चिरई अऊ लोकगीत मं एक बात समान हवय, वो ह ये आय के दूनोंच मन हमर तीर-तखार के दुनिया ले अलग दूरिहा देस मं ले जाथें.

हमन अइसने बखत मं रहत हवन, जब लोकगीत के परंपरा नंदावत जावत हवय. एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी मं जाय के संभावना कमती होवत जावत हे, येकर गवेइय्या घलो कम होवत जावत हें. फेर जेन लोगन मं ये गीत ला लिकहे हवंय, सीखे अऊ गाय हवंय, वो मन अपन मनोरंजन, रचके अपन बात बताय अऊ जिनगी ले जुड़े सबक सेती अकास, अपन तीर तखार के दुनिया अऊ लोगन मन ला देखथें.

ये ह कऊनो अचरज के बात नो हे के कच्छ के लोकगीत अऊ कहिनी मन मं ये चिरई मन के खास जगा हवय. इहाँ ये लोकगीत ला मुंद्रा तालुका के भद्रेसर गांव के बासिंदा जुमा बाघेर ह अपन सुग्घर-असरदार अवाज मं प्रस्तुत करे हवय.

भद्रेसर के जुमा वाघेर के आवाज मं ये लोकगीत ला सुनव:

કરછી

ડૂર તી વિના પરડેસ તી વિના, ડૂર તી વિના પરડેસ તી વિના.
લમી સફર કૂંજ  મિઠા ડૂર તી વિના,(૨)
કડલા ગડાય ડયો ,વલા મૂંજા ડાડા મિલણ ડયો.
ડાડી મૂંજી મૂકે હોરાય, ડાડી મૂંજી મૂકે હોરાય
વલા ડૂર તી વિના.
લમી સફર કૂંજ વલા ડૂર તી વિના (૨)
મુઠીયા ઘડાઈ ડયો વલા મૂંજા બાવા મિલણ ડયો.
માડી મૂંજી મૂકે હોરાઈધી, જીજલ મૂંજી મૂકે હોરાઈધી
વલા ડૂર તી વિના.
લમી સફર કૂંજ વલા ડૂર તી વિના (૨)
હારલો ઘડાય ડયો વલા મૂંજા કાકા મિલણ ડયો,
કાકી મૂંજી મૂકે હોરાઈધી, કાકી મૂંજી મૂકે હોરાઈધી
વલા ડૂર તી વિના.
લમી સફર કૂંજ વલા ડૂર તી વિના (૨)
નથડી ઘડાય ડયો વલા મૂંજા મામા મિલણ ડયો.
મામી મૂંજી મૂકે હોરાઈધી, મામી મૂંજી મૂકે હોરાઈધી
વલા ડૂર તી વિના.

छत्तीसगढ़ी

मोला दूरिहा बनेच दूरिहा जाना हे
अपन देस ले दूरिहा
मोला परदेस जाना हे
ओ मोर मयारू कुंज चिरई,
ये रद्दा भारी दूरिहा हे
मोला ये मं रेंगत जाना हे
मोला दूरिहा बनेच दूरिहा जाना हे.
मोर बर कडाला (सांटी) लावव
मोर गोड़ ला सजावव
मोर दादी बिदा करे ला आही
मयारू, मंय इहाँ ले भारी दूरिहा जाहूँ
ओ मोर मयारू कुंज चिरई,
ये रद्दा भारी दूरिहा हे
मोला ये मं रेंगत जाना हे
मोला दूरिहा बनेच दूरिहा जाना हे.
मोर बर बंगड़ी (चूरी) लावव
मोर जुच्छा हाथ ला सजावव
मोला ददा ले मिले ला देवव
ददा ले मिलके मोला जाना हे
मोर दाई मोला बिदा करे ला आही
मयारू, मंय इहाँ ले भारी दूरिहा जाहूँ
ओ मोर मयारू कुंज चिरई,
ये रद्दा भारी दूरिहा हे
मोला ये मं रेंगत जाना हे
मोला दूरिहा बनेच दूरिहा जाना हे.
मोर बर हालरो (हंसुली) लावव
मोर घेंच ला सजावव
मोला कका ले मिले ला देवव
कका ले मिलके मोला जा हे
मोर काकी मोला बिदा करे ला आही
मयारू, मंय इहाँ ले भारी दूरिहा जाहूँ
ओ मोर मयारू कुंज चिरई,
ये रद्दा भारी दूरिहा हे
मोला ये मं रेंगत जाना हे
मोला दूरिहा बनेच दूरिहा जाना हे.
मोर बर नथनी लावव
मोर चेहरा ला सजावव
मोला मोमा ले मिले ला देवव
मोमा ले मिलके मोला जाना हे
मोर मामी मोला बिदा करे ला आही
मयारू, मंय इहाँ ले भारी दूरिहा जाहूँ
ओ मोर मयारू कुंज चिरई,
ये रद्दा भारी दूरिहा हे
मोला ये मं रेंगत जाना हे
मोला दूरिहा बनेच दूरिहा जाना हे.

गीत के किसिम : पारंपरिक लोकगीत

समूह : बिहाव गीत

गीत : 9

गीत के नांव : दूर ती विना, परदेस ती विना

धुन : देवल मेहता

गायक : जुमा बाघेर, मुंद्रा तालुका के भद्रेसर गांव के बासिंदा

बाजा : ड्रम, हारमोनियम, बेंजो

रिकार्डिंग बछर : 2012, केएमवीएस स्टूडियो


ये गीत, सामुदायिक रेडियो सूरवानी के रिकॉर्ड करे गे 341 गीत ले, कच्छ महिला विकास संगठन (केएमवीएस) के जरिया ले पारी मं आय हवंय. अऊ गीत सुने बर ये पेज मं जावव : रण के गीत: कच्छी लोक गीत के खजाना

प्रीति सोनी , केएमवीएस के सचिव अरुणा ढोलकिया अऊ केएमवीएस के परियोजना समन्वयक अमद समेजा ला ओकर मदद सेती खास आभार. अऊ बेशकीमती मदद करे सेती भारतीबेन गोर के बहुत आभार

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या पारीमध्ये वरिष्ठ संपादक असून त्या पारीवरील सर्जक लेखन विभागाचं काम पाहतात. त्या पारीभाषासोबत गुजराती भाषेत अनुवाद आणि संपादनाचं कामही करतात. त्या गुजराती आणि इंग्रजी कवयीत्री असून त्यांचं बरंच साहित्य प्रकाशित झालं आहे.

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Illustration : Atharva Vankundre

Atharva Vankundre is a storyteller and illustrator from Mumbai. He has been an intern with PARI from July to August 2023.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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