ग्रामीण-महिलाएं-मील-के-पत्थर-चक्की-के-पाट-और-करोड़पति

Sambalpur, Odisha

Aug 30, 2017

ग्रामीण महिलाएं: मील के पत्थर, चक्की के पाट और करोड़पति

ग्रामीण भारत की महिलाएं अपने जागृत जीवन का एक तिहाई हिस्सा पानी लाने, ईंधन और चारा इकट्ठा करने में खर्च कर सकती हैं

Want to republish this article? Please write to zahra@ruralindiaonline.org with a cc to namita@ruralindiaonline.org

Author

P. Sainath & Ananya Mukherjee

पी. साईनाथ People's Archive of Rural India के फाउंडर-एडिटर हैं। वह दशकों से ग्रामीण भारत के पत्रकार रहे हैं और वह 'Everybody Loves a Good Drought' के लेखक भी हैं। अनन्या मुखर्जी यॉर्क विश्वविद्यालय, टोरंटो में राजनीतिक विज्ञान की प्रोफेसर हैं। अनन्या सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद कनाडा (एसएसएचआरसी) और शास्त्री इंडो-कनाडियन इंस्टीट्यूट की आभारी हैं कि उन्होंने इस लेख में मौजूद सूचनाओं के रिसर्च में मदद की। वह इस बात को भी स्वीकार करती हैं कि इस शोध के एक भाग को दूसरे रूप में पहले द हिंदू में प्रकाशित किया जा चुका है।

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।