सिंह के पंजाब में आपन पिंड (गांव) के ट्रैवल एजेंट के अबहियो डेरावना सपना आवेला.

एजेंट के पइसा चुकावे खातिर सिंह (असली नाम नइखे) के आपन परिवार के एक एकड़ जमीन बेच देवे के पड़ल. बदला में एजेंट जतिंदर उनका सरबिया होखत पुर्तगाल सुरक्षित ले जाए खातिर “एक नंबर (कानूनी)” के वादा कइलक.

बहुत जल्दिए सिंह के बुझा गइल जतिंदर उनका ठग लेलन, आउर अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार उनकरा गैरकानूनी तरीका से भेजल गइल. सदमा चलते ऊ गांव में आपन परिवारो के आपन दुर्दशा के बारे में बतावे के हिम्मत ना जुटा सकलन.

आपन एह खतरनाक यात्रा में उऩका घना जंगल, गंदा नदी-नाला पार करे आउर सउंसे यूरोप में पहाड़ पर चढ़े पड़ल. ऊ आउर उनकर दोसर प्रवासी संगी लोग बरसाती गड्ढा के पानी पीके आपन जान बचवलक. खाए के नाम पर बस ब्रेड के टुकड़ी रहत रहे, जे उनका तनिको ना भावत रहे.

“मेरे फादर साब हार्ट पेशेंट आ. इन्ना टेंशन ओ ले नी सकदे. नाले, घर में जा नहीं सकदा क्यूं के मैं सारा कुछ दाव ते लाके आया सी. (बाऊजी दिल के मरीज बाड़न, ऊ एतना टेंशन ना झेल सकस. हम घरे ना लउट सकीं काहेकि इहंवा आवे खातिर हम सभ कुछ दांव पर लगा देनी),” 25 बरिस के सिंह पंजाबी में कहलन. ऊ पुर्तगाल में आपन दू कमरा के किराया के बारे में बतियावत रहस. इहंवा उनका संगे पांच ठो दोसर लोग भी रहत रहे.

पछिला कुछ साल में पुर्तगाल भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान आउर श्रीलंका जइसन दक्खिन एशियाई देशन के श्रमिकन खातिर एगो मनपंसद ठिकाना के रूप में उभरल बा.

Singh sold his family’s one-acre of farm land to buy 'legal papers' that would ensure his safe passage to Portugal via Serbia
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सिंह सरबिया से होखत पुर्तगाल जाए आउर उहंवा सुरक्षित पहुंचे ला कानूनी कागज कीने खातिर आपन परिवार के एक एकड़ जमीन बेच देलन

सिंह कबो भारतीय सेना में भरती होखे के चाहत रहस. बाकिर कइएक प्रयास नाकाम भ गइल, त ऊ देस से बाहिर जाके काम करे आउर पइसा कमाए के सोचलन. एकरा खातिर ऊ पुर्तगाल के चुनलन. काहेकि इहंवा के आप्रवासन नीति झंझटियाहा ना रहे. उनकर गांव के दोसर लोग के कहानी उनका खातिर प्रेरणा के स्रोत रहे जेकरा बारे में मानल जात रहे कि ऊ लोग यूरोप के एह देस में बसे में सफल रहल. आउर फेरु एक दिन केहू उनका के जतिंदर के बारे में बतइलक. जतिंदर उनकरे गांव से रहस आउर ऊ उनका मदद करे के आश्वासन देलन.

“जतिंदर बतइलन, ‘हम तोहरा से 12 लाख रुपइया (मोटा-मोटी 13,000 यूरोज) लेहम आउर तोहरा कानूनी रूप से पुर्तगाल भेजम.’ हम मान गइनी आउर उनका पूरा पइसा डिलीवर कर देनी. हम जोर देनी कि हमार रस्ता पूरा तरह से कानूनी होखे के चाहीं.”

अइसे, पइसा चुकावे घरिया एजेंट उऩका से बैंक के जगहा, ‘अलग तरीका’ अपनावे के आग्रह कइलक. जब सिंह बिरोध कइलन, त जतिंदर उनका पर दबाव डललन कि सिंह उहे करस जे उनका से कहल गइल बा. कवनो तरह से बिदेस पहुंचे खातिर अकुलाइल सिंह मान गइलन आउर पंजाब के जालंधर में एगो पेट्रोल स्टेशन पर 4 लाख रुपइया (4,383 यूरो) के पहिल किस्त दे देवल गइल. बाकी के 1 लाख रु. (1,095 यूरो) एगो दोकान पर देवल गइल.

सिंह अक्टूबर 2021 में दिल्ली खातिर रवाना भइलन. उहंवा से उनका पहिले बेलग्रेड आउर तब पुतर्गाल खातिर उड़ान भरे के रहे. ऊ पहिल बेर हवाईजहाज चढ़ल रहस. बाकिर एयरलाइन बोर्डिंग खातिर मना कर देलक. कोविड-19 से जुड़ल पाबंदी चलते भारत से सरबिया के उड़ान चालू ना रहे. उनकर एजेंट ई बात छिपा गइल रहे. उनका दुबई के जरिए फेरु से बुकिंग करे के पड़ल, जहंवा से ऊ बेलग्रेड गइलन.

“बेलग्रेड हवाईअड्डा पर हमनी के लेवे आवे वाला एजेंट ई कहत हमनी के पासपोर्ट रख लेलक कि सरबिया के पुलिस ठीक नइखे, ओह लोग के इंडिया के लोग ना भावे. हमनी डेरा गइनी,” सिंह कहलन. ऊ आपन पासपोर्ट एजेंट के दे देलन.

सिंह आप्रवासन खातिर गैरकानूनी तरीका से यात्रा करे के ‘दू नंबर’ कहत रहस. जइसे कि सरबिया के राजधानी बेलग्रेड से ग्रीस के थिवा तक उनकर यात्रा अइसने रहे. उनका संगे आइल डोंकर्स (मानव तस्कर) सिंह के ढाढ़स बंधइलक कि ऊ लोग ग्रीस के रस्ते पुर्तगाल पहुंच जाई.

थिवा पहुंचला पर, एजेंट आपन बात से मुकर गइल. कहलक ऊ वादा के मुताबिक उनका पुर्तगाल ना ले जा पाई.

“जतिंदर हमरा से कहलन, ’हमरा तोहरा से सात लाख रुपइया लेले रहीं. हमार काम पूरा भइल. हम तोहरा ग्रीस से आगू ले जाए के जिम्मेदारी हमार नइखे’,” सिंह कहलन. ओह दिन के लाचारी आउर तकलीफ इयाद करत ऊ रोवे लगलन.

Many young men and women are promised safe passage by agents who pass them on to donkers (human smugglers)
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केतना जवान लइका आ लइकी लोग से एजेंट सुरक्षित बिदेस ले जाए के वादा करेला आउर बाद में ओह लोग के डोंकर्स (मानव तस्कर) लगे भेज देवेला

मार्च 2022 में, ग्रीस पहुंचला के दू महीना बाद, सिंह सरबियाई दलाल के जरिए आपन पासपोर्ट हासिल करे के कोसिस कइलन. पियाज के खेत में संगे काम करे वाला आदमी उनका ग्रीस छोड़ देवे के सलाह देले रहे काहेकि इहंवा उनका खातिर कवनो भविष्य ना रहे. आउर पकड़ल जाए के स्थिति में उनका देस से निकाल देवल जाइत.

एहि से पंजाब के ई मुंडा एक बार फेरु सरहद पार करे खातिर आपन जिनगी जोखिम में डालत अवैध रूप से सीमा पार करे के सोचलक. “हम ग्रीस छोड़े के मने मने तइयारी कइनी. हमरा लागल कि अंतिम बेरा आपन जिनगी दांव पर लगाहीं के पड़ी.”

ग्रीस में ऊ एगो नया एजेंट तकलन जे उनका 800 यूरोज में सरबिया ले जाए के गछलक (वादा). ई पइसा ऊ पियाज के खेत में तीन महीना काम करके बचइले रहस.

अबकी बेर, रवाना होखे से पहिले, सिंह अपना से कुछ जांच-पड़ताल कइलन. ऊ ग्रीस से होके सरबिया वापस जाए के रस्ता चुनलन, जहंवा से ऊ हंगरी, ऑस्ट्रिया आउर पुर्तगाल जाए के योजना बनावत रहस. उनका पता चलल कि रस्ता बहुते दुर्गम बा, काहेकि ग्रीस से सरबिया जाए के रस्ता में, “जदि पकड़ा गइल, त खाली अंडरवियर में टर्की भेज देवल जाई,” ऊ कहलन.

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जून 2022 में सिंह छव दिन छव रात चलके दोबारा सरबिया के राजधानी बेलग्रेड पहुंच गइलन. उहंवा उनका कुछ शरणार्थी लोग के बस्ती, किकिंडा कैंप मिलल. ई कैंप सरबिया-रोमानिया बॉर्डर लगे रहे. एगो आउर सुबोटिका कैंप मिलल जे सरबिया-हंगरी बॉर्डर पर रहे. उनकर कहनाम रहे कि मानव तस्करी खातिर ई कैंप स्वर्ग रहे. इहंवा बिचौलिया सभ अवैध घुसपैठ में मदद करके लोग से मोट कमाई करत रहे.

“उहंवा (किकिंडा कैंप) हर दोसर आदमी तस्कर रह. ऊ लोग रउआ कही, ‘हम तोहरा उहंवा ले जाएम. बाकिर उहंवा जाए में एतना-एतना खरचा लागी’,” सिंह कहलन. उहंवा उनका ऑस्ट्रिया पहुंचे में मदद करे वाला एगो बिचौलिया मिल गइल.

किकिंडा कैंप वाला तस्कर (इंडियन) उनका से जालंधर में “गारंटी” रखे के कहलक. सिंह बतावत बाड़न “गारंटी” प्रवासी ओरी से डोंकर के देवल जाए वाला नकदी बा. ई नकदी बिचौलिया लगे रही आउर आदमी के ओकर सही ठिकाना पर पहुंचावे के बाद चुकावल जाई.

Singh was willing to share his story as he wants the youth of Punjab to know the dangers of illegal migration
PHOTO • Karan Dhiman

पंजाब के नौजवान सभ के अवैध आप्रवासन के खतरा से आगाह करे खातिर सिंह आपन कहानी सभे से बांटे के चाहत रहस

सिंह आपन एगो रिस्तेदार के जरिए 3 लाख रुपइया (3,302 यूरोज) के गारंटी के इंतजाम कइलन आउर डोंकर के बतावल रस्ता के मुताबिक हंगरी बॉर्डर ओरी रवाना हो गइलन. अफगानिस्तान के कुछ दोसर डोंकर लोग उनकर उहंवा स्वागत कइलक. अधिया रात में ऊ लोग 12 फुट ऊंच दू ठो कंटीला बाड़ा पार कइलक. उनका संगे बॉर्डर पार करे वाला डोंकर (आदमी के तस्करी करे वाला) उनका जंगल में चार घंटा ले घुमइलक. एकरा बाद बॉर्डर पुलिस ओह लोग के धर लेलक.

“ऊ लोग (हंगरी पुलिस) हमनी के ठेहुना पर बइठा के, कवन देस से बानी पूछलक. ऊ लोग डोंकर के भी खूब पिटलस. ओकरा बाद हमनी (सभे प्रवासी) के वापस सरबिया भेज देवल गइल,” सिंह इयाद करत बाड़न.

अबकी डोंकर सिंह के सुबोटिका कैंप भेज देलक. उहंवा एगो नया डोंकर सिंह के इंतिजारी ताकत रहे. अगिला दिन दुपहरिया 2 बजे ऊ हंगरी बॉर्डर लउट अइलन. उहंवा 22 ठो आउर लोग पहिले से बॉर्डर पार करे खातिर इंतिजारी ताकत रहे. बाकिर आखिर में सिंह सहित सिरिफ साते लोग बॉर्डर पार करे में सफल भइल.

बॉर्डर पार कइला पर डोंकर संगे जंगल में ऊ तीन घंटा ले पैदल चलत रहलन. “सांझ के कोई 5 बाजल होई. हमनी एगो बहुत बड़ सूखल गड्ढा लगे पहुंचनी. डोंकर हमनी के उहे गड्ढा में जाके लेटे आउर अपना के जंगल के सूखल घास-पत्ता से ढंके के कहलक.” कुछ घंटा बाद, ऊ लोग फेरु से चले लागल. अंत में ओह लोग के एगो वैन मिलल. वैन ऊ लोग के ऑस्ट्रिया बॉर्डर लगे छोड़ देलक आउर बतइलक, “पवन चक्की ओरी चलत जा, ऑस्ट्रिया पहुंच जइब.”

कुछुओ समझ ना आवत रहे हमनी कहंवा बानी. ना त खाए के कुछ रहे, ना पिए के. सिंह आउर दोसर प्रवासी लोग रात भर चलत रहल. अगिला दिन भोर में ऊ लोग के एगो ऑस्ट्रिया सेना के पोस्ट जनाएल (देखाई). जइसहीं सिहं ऑस्ट्रियन सेना के टुकड़ी देखलन, आत्मसमर्पण करे खातिर धउगलन. ऊ कहलन, “काहेकि डोंकर लोग बतइले रहे ई देस शरणार्थी लोग के स्वागत करेला.”

“उहंवा हमनी के कोविड-19 टेस्ट भइल. फेरु हमनी के ऑस्ट्रिया शरणार्थी शिविर ले जाइल गइल. उहंवा हमनी के बयान लेवल गइल आउर फिंगरप्रिंट दरज कइल गइल. एकरा बाद हमनी सभ खातिर रिफ्यूजी कार्ड बना देवल गइल जे छव महीना ले वैध रहे,” सिंह कहले.

पंजाब से आइल प्रवासी छव महीना ले घूम-घूम के अखबार बेचे के काम कइलन आउर मोटा-मोटी 1,000 यूरो बचावे में कामयाब रहलन. जइसहीं उनकर प्रवास खतम भइल, कैंप ऑफिसर उनका से जगह छोड़े के कहलक.

Once in Portugal, Singh makes sure to call his mother in Punjab and reply to her messages and forwards
PHOTO • Karan Dhiman

पुर्तगाल पहुंचला के बाद, सिंह पंजाब में आपन माई के फोन करे, चाहे उनकर मैसेज आ फॉरवर्ड्स के जवाब देवे में कवनो कोताही ना करत रहस

“एकरा बाद हम स्पेन में वेनेशिया के एगो सीधा फ्लाइट बुक कइनी. काहेकि यूरोपीय संघ के देसन में फ्लाइट सभ के जांच ना के बराबर होखेला. उहंवा से ट्रेन से बार्सिलोना पहुंचनी आउर आपन दोस्त के घरे एक रात रुकनी. हमार दोस्त पुर्तगाल जाए खातिर हमरा बस के टिकट बुक कर देलक. काहेकि हमरा लगे ना त पासपोर्ट रहे, आउर ना कवनो दोसर कागजात.” अबकी बेर ऊ अपना मन से आपन पासपोर्ट ग्रीस में एगो दोस्त लगे छोड़ देले रहस. काहेकि ऊ ना चाहत रहस कि पकड़ल गइला पर उनका भारत भेज देवल जाव.

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15 फरवरी, 2023 के सिंह आखिर में बस से आपन सपना के देस, पुर्तगाल पहुंच गइलन. इहंवा पहुंचे में उनका बस 500 से कुछ जादे दिन लागल रहे.

पुर्तगाल में भारतीय उच्चायोग एह सच्चाई के मानेला कि बहुते प्रवासी लोग लगे “पुर्तगाल में रहे के कानूनी दस्तावेज नइखे, एह बात के आधिकारिक आंकड़ा भी मौजूद नइखे.” उच्चायोग के स्रोत एकरो पुष्टि करेला कि हाल के बरसन में सरल आप्रवासन नियम के लाभ उठा के पुर्तगाल आवे वाला भारत के लोग (खासतौर से पंजाब आ हरियाणा के) के गिनती में काफी इजाफा भइल बा.

“यहां डॉक्यूमेंट बन जाते हैं, आदमी पक्का हो जाता है, फिर अपनी फैमिली बुला सकता है, अपनी वाइफ बुला सकता है (इहंवा रउआ डॉक्यूमेंट बना सकत बानी. एकरा बाद केहू भी इहंवा स्थायी रूप से रह सकत बा. बाद में ऊ आपन परिवार, चाहे घरवाली के पुर्तगाल बोला सकेला),” सिंह कहले.

फॉरेन एंड बॉर्डर्स सर्विसेज (एसईएफ) के जुटावल आंकड़ा के हिसाब से साल 2022 में पुर्तगाल में 35,000 भारतीय के स्थायी निवासी के दरजा मिलल. उहे बरिस, कोई 229 आउर भारतीय लोग उहंवा शरण मांगलक.

सिंह जइसन नयका उमिर के लोग पलायन खातिर बेचैन बा काहेकि ओह लोग के आपन देस में आपन कवनो भविष्य ना लउके. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ओरी से लावल गइल भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 कहेला, “उचित तरीका से ऊंच बिकास के बादो, ओह हिसाब से रोजगार के उत्पादक अवसर में बढ़ोत्तरी ना भइल.”

वीडियो देखीं : सिंह आउर उनकर पलायन

भुखासले, पियासले सिंह रात भर चलत रहलन. अगिला दिन भोरमें  उनका ऑस्ट्रियाई सेना के चौकी देखाई पड़ल... ऊ सरेंडर करे खातिर ओह ओरी दउड़लन, काहेकि ‘एह देस में शरणार्थी लोग के स्वागत होखेला’

पुर्तगाल यूरोप के एगो अइसन देस बा जहंवा नागरिकता मिले के अवधि सबले कम बा. वैध तरीका से पांच बरिस रह के इहंवा देस के नागरिकता प्राप्त कइल जा सकेला. भारत के गांव-देहात के लोग जे जादे करके खेती आउर निर्माण क्षेत्र में काम करेला, अइसन प्रवास यात्रा करे के मकसद रहेला. खासकरके पंजाब के मरद लोग, प्रोफेसर भासवती सरकार कहेली. ऊ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में यूरोपीय अध्ययन केंद्र में जीन मोनेट चेयर बाड़ी. ऊ कहेली, “ठीक-ठाक बसल गोअन आउर गुजराती समुदाय के लोग के अलावे, निर्माण आउर कृषि सेक्टर में बहुते पंजाबी लोग बतौर अल्पकुशल कामगार काम करेला.”

पुर्तगाल में रेसिडेंस परमिट (रहे से जुड़ल अनुमति के कागज), जेकरा टेंपररी रेसीडेंसी कार्ड (टीआरसी) के रूप में भी जानल जाला, के एगो बड़ फायदा ई बा कि ई रउआ कवनो वीजा के बिना ही यूरोपीय संघ के 100 देसन में आवे-जाए के इजाजत दीही. अइसे त हालात बदल रहल बा. 3 जून, 2024 के पुर्तगाल के मध्य-दक्खिनपंथी डेमोक्रेटिक एलायंस (एडी) के लुइस मोंटेनेग्रो बिना कागजात वाला प्रवासी लोग खातिर आप्रवासन संबंधी नियम के कड़ा करे के फैसला कइलन.

एह नयका कानून के अनुसार, पुर्तगाल में बसे के इच्छा रखे वाला कवनो बिदेसी निवासी के अब इहंवा आवे से पहिले काम के परमिट खातिर आवेदन करे के होई. एकरा से भारत, खास करके पंजाब आउर हरियाणा से आवे वाला प्रवासियन पर प्रतिकूल असर पड़े के आशंका बा.

यूरोप के दोसर देस सभ भी आप्रवासन पर आपन रुख सखत कर रहल बा. बाकिर प्रोफेसर सरकार के कहनाम बा अइसन नियम-कानून ऊंच सपना देखे वाला प्रवासी लोग के ना रोक पाई. ऊ इहो कहली, “अइसन नयका उमिर के लइका लोग खातिर जरूरी बा कि ओहि लोग के देस में काम के नया अवसर पैदा कइल जाव. ओह लोग के अपने ही देस में सुरक्षा आउर संरक्षण देवल जाव.”

पुर्तगाल के एआईएमए (एजेंसी फॉर इंटीग्रेशन, मारग्रेशन एंड एसाइलन) लगे 4,10,000 मामला लंबित बा. अप्रवासी समुदाय के लंबा बखत से चलल आ रहल मांग के पूरा करे खातिर आप्रवासन संबंधी दस्तावेज आउर वीजा के एक आउर बरिस खातिर- जून, 2025 ले बढ़ा देवल गइल बा. अइसन आप्रवासी समुदाय के बहुत लंबा समय से चलल आ रहल निहोरा के बाद कइल गइल बा.

सन् 2021 में भारत आउर पुर्तगाल “कानूनी रूप से भारत के श्रमिकन के भेजे आउर बोलावे” के के औपचारिक रूप देवे खातिर एगो समझौता पर हस्ताक्षर कइलक. भारत सरकार इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, फिनलैंड जइसन कइएक यूरोपीय देशन संगे प्रवासन आउर आवाजाही समझौता पर हस्ताक्षर कइलक. बाकिर जहंवा जमीनी स्तर पर जवन लोग एह तरह के फैसला ले रहल बा, ओह लोग के जानकारी कम बा, ऊ लोग कम पढ़ल-लिखल बा.

जब ई पत्रकार लोग टिप्पणी खातिर भारत आउर पुर्तगाल दुनो सरकार से संपर्क साधे के कोसिस कइलन, त बेर-बेर सवाल कइला के बादो कुछो जवाब ना मिलल.

Young people like Singh are desperate to migrate because they are unable to find jobs in India
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सिंह जइसन नयका उमिर के लोग भारत में नौकरी ना मिले से दोसरा देस जाए खातिर बेचैन रहेला

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जब सिंह आपन ‘सपना’ के देस में आवे में कामयाब रहलन, त पहिल चीज उनकरा इहे महसूस भइल कि इहंवो काम के मारा-मारी बा. आउर एहि चलते प्रवासी लोग के रेसीडेंसी परमिट (रहे के अनुमति) मिलल एगो चुनौती बा. जब ऊ लोग यूरोप के एह देस में पलायन करे के सोचत रहे, तवन घरिया एह सभ चीज के अंदाजा ना रहे.

ऊ पारी के बतइलन, “पहिल बेर पुर्तगाल पहुंचनी त बहुत मजा आइल. बाकिर बाद में महसूस भइल कि इहंवो नौकरी के किल्लत बा. बलुक कहीं काम मिले के संभावना सोन्ना (शून्य) के बराबर रहे काहेकि उहंवा पहिलहीं से एशिया के बहुते लोग आके रहत रहे.”

सिंह पुर्तगाल के रहे वाली लोग में आप्रवासन-विरोधी भावना ओरी भी इसारा करत बाड़न. “ऊ लोग इहंवा बाहिर से आइल लोग के पसंद ना करे. तबो खेत आउर निर्माण स्थल में ऊ लोग हमनिए के खटवावे के चाहेला.” भारत के लोग इहंवा गदहा मजूरी करेला, जेकरा सरकार “खराब, खतरनाक आउर नीच” काम कहेला आउर स्थानीय लोग अइसन काम ना करे के चाहे. आपन संदिग्ध कानूनी स्थिति चलते ऊ लोग निर्धारित कानूनी तनखाह से भी कम पर काम करे खातिर तइयार रहेला.

एह तरह के काम खोजे में सिंह के कइएक दोसरो बात नजर आइल. स्टील फैक्टरी के सभे पांच ब्रांच में बोर्ड पर निर्देश पहिले पुर्तगाली आउर ओकरा बाद पंजाबी में लिखल रहेला. सिंह कहेलन, “इहंवा ले कि कॉन्ट्रैक्ट लेटर भी पंजाबी अनुवाद संगे आवेला. एकरा बादो, जदि हमनी ओह लोग से सीधा संपर्क करीं, त जवाब मिले, ‘कवनो काम नइखे’. मुंह ठुसुआ जाला.”

Despite the anti-immigrant sentiment in Portugal, Singh says he is fortunate to have found a kind and helpful landlord here
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पुर्तगाल में आप्रवासन-विरोधी भावना के बावजूद, सिंह कहेलन ऊ भाग्यशाली बाड़न कि उनका इहंवा एगो दयालु आउर मददगार मकान मालिक मिलल

बिना कागज-पत्तर वाला प्रवासी के रूप में उनका निर्माण स्थल पर एगो काम हासिल करे में सात महीना लाग गइल.

सिंह कहेलन, “कंपनी कॉन्ट्रैक्ट लेटर के अलावे करमचारी सभ से पहिलहीं त्यागपत्र पर हस्ताक्षर करे के कहेला. भलही ऊ लोग 920 यूरो के न्यूनतम तनखाह देवत होखे, बाकिर कर्मचारी के नइखे पता ओकर पत्ता इहंवा से कब कट जाई.” उहो त्यागपत्र पर हस्ताक्षर करवावल गइल बा. ऊ इहंवा रेसिडेंट वीजा खातिर आवेदन कइले बाड़न. आउर उनका उम्मीद बा कि ई जल्दिए मिल जाई.

“बस हून ता आही सपना आ कि, घर बन जाए, सिस्टर दा व्याह हो जाए, ते फेर इत्थे अपने डॉक्यूमेंट बना के फैमिली नू वी बुला लये (अब हमार सपना पुर्तगाल में एगो घर बनावे के बा, आपन बहिन के बिया करे आउर इहंवा कानूनी दरजा मिले के सपना बा, तब हम आपन परिवार के भी बोला लेहम...),” सिंह नवंबर 2023 में कहले रहस.

सिंह अपना घरे सन् 2024 में पइसा भेजे के सुरु कर देले बाड़न. अब उनकर आपन माई-बाऊजी से बातचीत होखत रहेला. ऊ लोग उहंवा आपन घर बनवा रहल बा. पुर्तगाल में काम करके उनकरा जे कमाई भइल, ओकरा से एह घर के बनावे में खास योगदान कर पइलन.

पुर्तगाल से रिपोर्टिंग में करन धीमान सहजोग कइलन.

मौजूदा जांच भारत आ पुर्तगाल के बीच मॉर्डन स्लेवरी ग्रांट अनविल्ड कार्यक्रम के तहत ‘जर्नलिज्म फंड’ के सहयोग से कइल गइल रहे.

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Pari Saikia

Pari Saikia is an independent journalist and documents human trafficking from Southeast Asia and Europe. She is a Journalismfund Europe fellow for 2023, 2022, and 2021.

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Sona Singh

Sona Singh is an independent journalist and researcher from India. She is a Journalismfund Europe fellow for 2022 and 2021.

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Ana Curic is an independent investigative and data journalist from Serbia. She is currently a fellow of Journalismfund Europe.

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Photographs : Karan Dhiman

Karan Dhiman is a video journalist and social documentarian from Himachal Pradesh, India. He is interested in documenting social issues, environment and communities.

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Editor : Priti David

प्रीती डेव्हिड पारीची वार्ताहर व शिक्षण विभागाची संपादक आहे. ग्रामीण भागांचे प्रश्न शाळा आणि महाविद्यालयांच्या वर्गांमध्ये आणि अभ्यासक्रमांमध्ये यावेत यासाठी ती काम करते.

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Editor : Sarbajaya Bhattacharya

Sarbajaya Bhattacharya is a Senior Assistant Editor at PARI. She is an experienced Bangla translator. Based in Kolkata, she is interested in the history of the city and travel literature.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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