शेरिंग दोरजी भूटिया, जिनकी उम्र 83 साल से ज़्यादा हो चुकी है, पांच दशकों से हाथ से धनुष बना रहे हैं. पेशे से बढ़ई रहे दोरजी ने अपना जीवनयापन फ़र्नीचरों की मरम्मत करके किया, लेकिन उन्हें प्रेरणा तीरंदाज़ी से मिली. तीरंदाज़ी उनके राज्य सिक्किम की संस्कृति में बहुत गहराई तक शामिल रही है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सिक्किम के पाकयोंग ज़िले के कार्थोक गांव में पहले धनुष बनाने वाले और भी लोग थे, लेकिन अब शेरिंग इकलौते धनुष-निर्माता बचे हैं. वह बांस का इस्तेमाल करके धनुष बनाते हैं, और लोसांग के बौद्ध त्योहार में उन्हें बेचा जाता है.

शेरिंग भूटिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लिंक पर जाएं: शेरिंग: पाकयोंग में धनुष व तीर बनाने वाला शिल्पकार

वीडियो देखें: सिक्किम के शिल्पकार शेरिंग भूटिया और उनका धनुष-प्रेम

अनुवाद: अमित कुमार झा

Jigyasa Mishra

Jigyasa Mishra is an independent journalist based in Chitrakoot, Uttar Pradesh.

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ऊर्जा (जी आपलं पहिलं नाव वापरणंच पसंत करते) बनस्थळी विद्यापीठ, टोंक, राजस्थान येथे पत्रकारिता व जनसंवाद विषयात बी.ए. पदवीचं शिक्षण घेत आहे. पारी मधील प्रशिक्षणाचा भाग म्हणून तिने हा लेख लिहिला आहे.

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विशाखा जॉर्ज बंगळुरुस्थित पत्रकार आहे, तिने रॉयटर्ससोबत व्यापार प्रतिनिधी म्हणून काम केलं आहे. तिने एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिझममधून पदवी प्राप्त केली आहे. ग्रामीण भारताचं, त्यातही स्त्रिया आणि मुलांवर केंद्रित वार्तांकन करण्याची तिची इच्छा आहे.

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Translator : Amit Kumar Jha

Amit Kumar Jha is a professional translator. He has done his graduation from Delhi University.

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