सरुंगबम खोमेई ने पांच साल की उम्र में पुंग (ढोल) सीखना शुरू कर दिया था. क़रीब 35 साल की उम्र में, वह उस्ताद पुंग वादक बन गए. अब उनकी उम्र 76 साल हो चुकी है और वह मणिपुर की राजधानी इंफाल के हौरेईबी अवांग लेईकाई में रहते हैं, जहां वह हमें पुंग की परंपरा और संकीर्तन की संस्कृति के बारे में बताते हैं.
पुंग में दो सिरे होते हैं और मेईतेई समुदाय में इसे संगीत वाद्ययंत्रों का राजा माना जाता है. इसके बिना कुछ भी पूरा नहीं होता; न गीत और न ही मार्शल आर्ट की परंपराओं से व्युत्पन्न हुआ अद्वितीय नृत्य पुंग चोलोम.
अनुवाद: मोहम्मद क़मर तबरेज़