गलती के कवनो गुंजाइश नइखे
अमन कान साफ करे खातिर ग्राहक के कान में सलाई डालत बाड़ें. उनकर पूरा ध्यान आपन हाथ पर बा. सलाई के नोक पर रुई के एगो छोट टुकड़ा लगावल बा. हाथ खूब आहिस्ता आहिस्ता चलत बा. अंगुरी कहीं तनिको गलत पड़ गइल, त कान से खून निकल आई. ऊ रउआ याद करइहें, “बस कान के मइल निकाले के बा.”
एगो बहुत घना पीपल के गाछ तरे बइठ के ऊ पारी से बतियावत बाड़ें. उनकरा लगे एगो करिया झोला बा. ओह में सलाई (सूई जइसन कवनो यंत्र), चिमटी आउर रुई रखल बा. एकरा अलावा बैग में खास जड़ी बूटी वाला एगो तेल के बोतल भी बा. ई तेल कान साफ करे के ओह लोग के खानदानी आउर गुप्त नुस्खा बा.
“सलाई से मैल बाहर निकालते हैं और चिमटी से खींच लेते हैं (सलाई से मैल बाहिर निकालेनी आउर चिमटी से खींच लेवेनी).” औषधीय गुण से भरल ई तेल तब इस्तेमाल कइल जाला जब कान में गांठ (मैल जमे से बनल ढेला) पड़ जाला. “हमनी कान में कवनो तरह के इंफेक्शन के इलाज ना करिले. हमनी के काम खाली मैल हटावल ह. एकरा अलावा कान में कवनो तरह के खुजली हो जाव त ओकरा दूर कइल बा.” ऊ सावधान करत बाड़ें कि कान के सफाई ठीक ढंग से ना होखे से कान में दरद, चाहे खुजली हो जाला. खुजली के इलाज ठीक से ना भइल त कान के इंफेक्शन पैदा ले लेवेला.
अमन सोहल बरिस के उमिर में कान साफ करे के सीख लेले रहस. बाबूजी, विजय सिंह उनकरा के ई गुर सिखइलें. अजय बतावत बाड़ें कि ई उनकर खानदानी काम बा. ऊ लोग हरियाणा में रेवाड़ी जिला के रामपुर में रहेला. सुरु-सुरु में अमन एह काम में आपन हाथ साफ करे खातिर परिवार के लोग के कान साफ करे लगले. ऊ कहले, “हम पहिल छव महीना सलाई आउर चिमटी से घर के लोग के कान साफ कइनी. जब सही तरीका से करे लगनी, त कवनो दरद चाहे घाव भइल बंद हो गइल. एकरा बादे हम काम खातिर घर से बाहर कदम रखनी.”
अमन कान साफ करे के धंधा करे वाला आपन परिवार के तेसर पीढ़ी हवें. उनकरा से स्कूल के बारे में पूछल गइल, त बतइलें कि ऊ कबहू स्कूल नइखन गइल. ऊ अपना के अंगूठा छाप (अनपढ़) कहेलें. ऊ इहो कहलें, “पैसा कोई बड़ी चीज नहीं है. किसी का कान खराब नहीं होना चाहिए (पइसा कवनो बड़ चीज नइखे. केकरो कान खराब ना होखे के चाहीं).”
हरियाणा में गुड़गांव के लोग उनकर पहिल ग्राहक बनल. ई सभ दिल्ली जाए के पहिले के बात हवे. एगो दिन रहे, अमन इयाद करत बाड़ें, जब ऊ रोज के 500 से 700 रुपइया कमा लेत रहलें. तवन घरिया कान सफाई के मजूरी 50 रुपइया रहे. ऊ कहलें. “अब हमरा रोज के मुस्किल से 200 रुपइया के कमाई होखेला.”
दिल्ली के मुखर्जी नगर में आपन घर से ऊ रोज पइदल भोरे निकलेलन. ग्रैंड ट्रंक रोड पर अंबा सिनेमा आवे खातिर उनकरा भारी ट्रैफिक से निकल के आवे में एक घंटा लाग जाएला. एक बेर पहुंच गइला पर, अमन उहंवा बइठ के आवत-जावत लोग के देखेलन. अंदाज लगावे के कोसिस करेलें कि कवन आदमी ग्राहक हो सकेला. खासकर के मॉर्निंग शो से निकले वाला भीड़ पर नजर रखेलें. उनकर लाल पगड़ी कनमैलिया (कान साफ करे वाला) होखे के पहिचान बा. ऊ कहेलें, “हमनी ई ना पहिनीं, त लोग कइसे जानी, हम कनमैलिया हईं?”
अंबा सिनेमा पर कोई घंटा भर ठहिर के, अमन अब 10 मिनट दूर दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैम्पस चल देत बाड़ें. बाजार में पढ़े वाला लइका लइकी के खूब भीड़ लागल बा. दोकानदार लोग ब्यस्त बा, आउर दिहाड़ी मजूर लोग काम खातिर लाइन लगइले बा. ऊ सामने से गुजरत एक एक आदमी से पूछत बाड़ें, “भइया, कान साफ कराएंगे? बस एक बार देख लेने दीजिए (भइया, कान साफ करवाएम? बस एक बेरा देखे दीहीं.)”
केहू दिलचस्पी नइखे लेत.
ऊ वापिस अंबा सिनेमा जाए के सोचत बाड़ें, काहे कि अब 12.45 हो गइल बा. ई सेकेंड शो के टाइम बा, लोग के जुटे के टाइम बा. उनकरा आखिर में एगो ग्राहक मिल जात बा.
*****
महामारी घरिया जब काम के दिक्कत हो गइल, त अमन लहसून बेचे के काम सुरु कइलन. ऊ बतावत बाड़ें, “हम सबसे नजदीक वाला मंडी (थोक बाजार) में भोरे 7.30 बजे पहुंच जात रहनी. उहंवा से 1,000 रुपइया में 35-40 किलो लहसून खरीदीं आउर हाट में जाके 50 रुपइया किलो के हिसाब से बेच दीहीं. रोज के 250 से 300 रुपइया बचा लेत रहनी.”
बाकिर अब अमन के लहसून बेचे वाला काम से मन ऊबिया गइल बा. उनकरा हिसाब से एकरा में बहुते मिहनत लागेला, “एक त, हमरा रोज भोरे-भोरे मंडी जाए के पड़ेला, फेरु घरे लाके एकरा साफ भी करे के होला. हाट से घर आवे में हमरा रात के 8 बज जात रहे.” कान साफ करे के काम में, ऊ 6 बजे तक घरे पहुंच जाएलन.
पांच बरिस पहिले अमन दिल्ली आ गइलें. ऊ डॉ. मुखर्जी नगर में बंदा बहादुर मार्ग डिपो लगे 3,500 रुपइया के एगो खोली किराया पर लेलन. आपन घरवाली हिना सिंह, 31 बरिस आउर तीन गो लरिकन संगे अबहियो उहंई रहेलें. लइका लोग, नेगी, दक्ष आउर सुहान, सभे 10 बरिस के कम के बा. सबसे बड़ लइका सरकारी स्कूल में पढ़ेलन. बाप के सपना बा कि लरिका लोग पढ़-लिख के सेल्समैन बने, ना कि कान साफ करे वाला. काहेकि ऊ सोचेलें, “इस काम में कोई वैल्यू नहीं है. ना आदमी की, ना काम की. इनकम भी नहीं है. (एह काम में इज्जत नइखे. ना आदमी के, ना काम के. पइसा-कौड़ी भी नइखे).”
“कमला नगर मार्केट के गली में सभे तरह के लोग घूमेला. ओह लोग से जब हम कहिला (कान साफ करवावे के), त जवाब मिलेला कि ओह लोग के कोविड हो जाई. फेरु लोग इहो कहेला कि जरूरत पड़ी, त ऊ लोग डॉक्टर से देखा लीही,” अमन बतइलें.
“अब ओह लोग के का कहल जाव? हम कहिले, ‘ठीक बा, कान मत साफ करवाईं’.”
*****
दिसंबर 2022 में अमन संगे एगो दुर्घटना घट गइल. दिल्ली के आजादपुर में एगो बाइकवाला उनकरा टक्कर मार देलक. उनकरा चेहरा आउर हाथ में चोट लागल. दहिना अंगूठी में त गंभीर चोट आ गइल. अब ओह से कान साफ करल बहुते मुस्किल हो गइल बा.
भाग से, दवाई खाए से चोट में बहुते फर्क आइल. अब ऊ कान साफ करे के काम कबो कबो ही करेलन. ठीक-ठाक आमदनी खातिर अब ऊ ढोल बजावे के काम सुरु कइले बाड़े. दिल्ली में कवनो समारोह, चाहे पार्टी में एक बेर ढोल बजावे खातिर 500 रुपइया मिलेला. अमन आउर हिना के एक महीना पहिले एगो लइकी भी भइली ह. घर चलावे खातिर अब उनकरा जादे काम के दरकार बा.
अनुवाद: स्वर्ण कांता