गटर करीबन 20 फीट गहिर रहिस. परेश पहिली भीतरी मं गीस. वो ह दू-तीन बाल्टी कचरा निकारिस, ओकर बाद ऊपर आके कुछु घड़ी बइठे रहिस, अऊ फिर ले भीतरी मं गीस. भीतरी मं खुसरतेच सात वो ह जोर ले नरियाइस...

“हमन ला मालूम नई रहिस के काय होय हवय, येकरे सेती  गलसिंग भाई भीतरी मं गीस. फेर ऊहाँ ले कऊनो अवाज नई आइस. तब अनीप भाई ह चले गे. अऊ अब, भीतर ले तीनों झिन ले ककरो के अवाज नई आइस. येकरे सेती, वो मं मोला एक ठन रस्सी मं बांध दीन अऊ मोला भीतरी मं भेज दीन. मोला ककरो के हाथ धरे ला तियार करके भेजे गे रहिस;  मंय कहे नई सकंव वो ह काकर हाथ रहिस. फेर जब मंय वो ला धर लेवेंय, त वो मं मोला ऊपर तीरे लगिन अऊ तभेच मंय अचेत हो गेंव,” भावेश एके साँस मं बोल डारथे.

जऊन बखत भावेश ले हमर भेंट होय रहिस, तब वोला हफ्ता भर घली नई होय रहिस जब वो ह अपन भाई परेश अऊ दू झिन मजूर संगवारी ला अपन आंखी के आगू गंवा दे रहिस. तऊन पीरा भरे घटना ला सुरता करत ओकर दुख झलक परथे. वो ह भारी दुखी मन मं बोलत हवय.

गुजरात के दाहोद जिला के खरसाना गांव के 20 बछर के भावेश कटारा ‘किस्मतवाला’ आय जऊन ह बांच गे. वो ह तऊन दू झिन लोगन मन ले रहिस, जऊन ह ये घटना मं बांच गे. पांच झिन मरद (सब्बो आदिवासी) भरूच जिला के दहेज ग्राम पंचायत मं एक ठन सीवर नाली के सफाई करत रहिन. दीगर बांचे लोगन मं 18 बछर के जिग्नेश परमार आंय,जेन ह दाहोद के बलेंदिया-पेठापुर के आंय.

ओकर संग जिग्नेश के गांवेच के 20 बछर के अनीप परमार काम करत रहिस; 25 बछर के गलसिंग मुनिया दाहोद के दंतगढ़ –चकलिया ले; अऊ 24 बछर के परेश कटारा उही गाँव के अपन भाई भावेश के संग रहिस. ये तोनों झिन के सीवर मं दम घुटे ले परान चले गीस( इहाँ ये मन के उमर वो मन के आधार कार्ड ले ले गे हवय अऊ येला येकर आसपास के मने जाय ला चाही. काबर अक्सर तरी के अफसर मन मनमाना ढंग ले भर देथें).

Bhavesh Katara was working in the same sewer chamber on the day when he watched his elder brother Paresh die in front of his eyes
PHOTO • Umesh Solanki

भावेश कटारा जऊन दिन अपन बड़े भाई परेश ला अपन आंखी के आगू मरत देखत रहिस, तऊन दिन वो ह उहिच सीवर नाली में बूता करत रहिस

Jignesh Parmar is the second lucky survivor, who was working in the adjoining chamber that day in Dahej. It was his first day at work
PHOTO • Umesh Solanki

जिग्नेश परमार बांचे दूसर किस्मतवाला आंय, जऊन ह वो दिन दहेज़ के बगल के सीवर मं बूता करत रहिस. बूता करे के ओकर पहिला दिन रहिस

फेर 325 ले 330 किलोमीटर दूरिहा गाँव के पांच झिन आदिवासी मइनखे मन दहेज मं सीवर के सफाई काबर करत रहिन? वो मन ले दू झिन एक ठन दीगर गर्म पंचइत मं महिना तनखा मं काम करत रहिन, फेर बांचे लोगन मन – ओकर घर परिवार के लोगन मन ला घलो वो मन के ये नऊकरी के बारे मं जियादा जानकारी नई ये. ये सब्बो भील आदिवासी समाज के दुरिहा कोंटा मं परे लोगन मन ले आंय.

4 अप्रैल, 2023 मं ये आपदा आय रहिस. तऊन दिन बगल के चेंबर मं बूता करेइय्या जिग्नेश सुरता करथें, “एक झिन मनखे भीतरी मं रहिस”. वो ह जहरीला गैस के सांस लेय सेती अचेत होगे रहिस. जब दूसर (गलसिंग) वो ला बचे सेती भीतरी मं गीस वो ह घलो येकर चपेटा मं आगे. ये दूनो ला बचाय अनीप भीतरी मं गीस, फेर गैस भारी तेज रहिस. वो ह भीतरी मं गीस. वोला चक्कर आगे अऊ गिर गे.

जिग्नेश कहिथें, “हमन वो ला बचाय सेती मदद के गुहार लगावत रहेन.” गाँव के लोगन मन आ गीन. वो मन  पुलिस अऊ फायर ब्रिगेड ला फोन करिन. जब भावेश ला भीतरी मं भेजे गीस त वो ह घलो गैस के चपेटा मं आके अचेत हो गे. जब वोला बहिर निअकरे गीस त वो मन भावेश ला पहिली थाना ले गीन. होश आइस त पुलिस ह वोला अस्पताल लेके गीस.

वो मन अस्पताल ले जाय सेती वोला चेत आय ला काबर अगोरत रहिन? दूनों मेर ले ककरो करा येकर जुवाब नई ये. फेर भावेश ला बचा ले गीस.

*****

अनीप बिहाव के पहिलीच ले दहेज मं काम करत रहिस. ओकर घरवाली रमिला बेन 2019 मं बिहाव के तुरते बाद ओकर संग बूता करे ला लगिस. वो ह कहिथे, “मंय बिहनिया जल्दी (बूता करे) चले जावत रहेंव. वो ह बिहनिया 11 बजे खाय के बाद अकेल्ला जावत रहिस, अऊ तलाती साहब धन सरपंच जऊन घलो काम करे ला कहत रहिन, वोला करत रहिस.” अनीप के गुजरे बखत वो ह तीर मं काबर नई रहिस येला  रमिला बेन बतावत रहिस.

Ramila Ben Parmar, the wife of late Anip Bhai Parmar feels lost with a six months baby in the womb and no where to go
PHOTO • Umesh Solanki

गुजरे अनीप भाई परमार के घरवाली रमिला बेन परमार छह महीना के लइका संग गुमसुम रहिथे अऊ कहूँ नई जावत हवय

Anip's mother Vasali Ben Parmar.
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Anip's father Jhalu Bhai Parmar. None of the relatives of the workers had any idea about the nature of their work
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डेरी: अनीप के दाई वसाली बेन परमार. जउनि: अनीप के ददा झालू भाई परमार. मजूर मन के कऊनो घलो रिश्तेदार ला वो मन के काम के बारे मं कऊनो जानकारी नई रहिस

वो ह कहिथे, “पहिली हमन संग मं गटर सफ्फा करत रहेन. हमन अपन बिहव के चार महिना बाद तक ले गटर के बूता करेन. ओकर बाद वो मन हमन ला ‘ट्रैक्टर के काम’ करे ला कहिन. हमन ट्रैक्टर लेके गाँव मं जावत रहेन अऊ लोगन मन अपन कचरा ट्रॉली मं डार देवत रहिन. हमन कचरा ला अलग करत रहेन. दहेज मं हमन बड़े बड़े गटर घलो सफ्फा करे हवन.” वो ह कहिथे, “काय तुमन जानथो के बड़े लोगन मन के सीवर चेंबर बड़े होथें? मंय एक बाल्टी मं रस्सी बांधत रहेंव अऊ कचरा ला हेरत रहेंव.”

रमीला बेन कहिथें, “वो मन ला रोजी मं 400 रूपिया मिलत रहिस. मंय घलो वो बखत 400 रूपिया मं करे रहेंव. करीबन चार महिना बीते, वो मं हमन ला महिना मं देय ला सुरु कर दीन. पहिली नो हजार, ओकर बाद बारह हजार, ओकर बाद आखिर मं पन्द्रह हजार रूपिया.” अनीप अऊ गलसिंग बीते कुछु बछर ले दहेज ग्राम पंचइत सेती महिना के अधार ले बूता करत रहिन. पंचइत डहर ले वो मन ला रहे सेती एक ठन खोली घलो देय गे रहिस.

काय काम कराय ले पहिली वो मन कऊनो किसिम के लिखा पढ़ी करे रहिन?

ओकर परिवार के लोगन मन बताय नई सकिन. वो मन ला कऊनो घलो ये बताय नई सकिन के मरेइय्या मजूर मन ला जऊन मन पंचइत के काम मं लगाय रहिन वो मन ला ठेकादार ह बूता मं रखे रहिस धन नई.  न त वो मन जनत हवंय के काय वो मन पंचइत के संग संविदा बेवस्था मं रहिन या फेर अस्थायी धन स्थायी रहिन.

ओकर ददा झालूभई कहिथे, ''लेटरहेड के संग कागज मं कुछु रहे होही, फेर वो ह अनीप के जेब मं होय ला चाही.” अऊ भावेश अऊ जिग्नेश के बारे मं काय, दू झिन बांचे करमचारी, काम मं नवा-नवा? भावेश कहिथे, “कऊनो दसखत वाले कागज धन लिखा पढ़ी नई रहिस. हमन ला बलाय गीस अऊ हमन चले गेन.”

Deceased Paresh's mother Sapna Ben Katara
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Jignesh and his mother Kali Ben Parmar
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डेरी:  गुजरे परेश  के दाई सपना बेन कटारा. जउनि: जिग्नेश अऊ ओकर दाई काली बेन परमार

Weeping relatives of Anip.
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Deceased Anip's father Jhalu Bhai Parmar, 'Panchayat work means we have to lift a pig’s carcass if that is what they ask us to do'
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डेरी: अनीप के रोवत परिवार. जउनि:  गुजरे अनीप के ददा झालू भाई परमार , ‘पंचइत के काम के मतलब आय के गर वो मन हमन ला अइसने करे सेती कहिथें त हमन ला सूरा के लाश ला घलो उठाय ला परथे’

भावेश उहिंचे दस दिन ले बूता करत रहिस, तभे ये अलहन होईस. वो दिन जिग्नेश अऊ परेश ला काम मं बले गे रहिस. ये ओकर काम के पहिली दिन रहिस. अऊ ओकर घर के कऊनो ला ओकर ये बूता करे के बारे मं कऊनो जानकारी नई रहिस.

परेश के दाई, 51 बछर के सपना बेन, ये कहत त रोये ला धरथे: “परेश ये कहिके घर ले निकरे रहिस के पंचइत मं कुछु काम हवय, अऊ वो मन  वोला (दहेज) बलावत हवंय.  ओकर भाई (भावेश) दस दिन पहिली ले उहिंचे रहिस. गलसिंग भाई ह वोला बले रहिस. तोला 500 रूपिया रोजी मिलही, ये भावेश अऊ परेश दूनों कहे रहिन. ये मन ले कऊनो घलो हमन ला नई बताय रहिन के वो ला सीवर साफ करे ला हवय. वो ह पूछथे, हमन ला क इसने पता चलही के वो मन ला कतक दिन लगही? हमन ला कइसने पता चलही के वो मन उहाँ काय बूता करहीं?”

गलसिंग मुनिया के घर मं, 26 बछर के कनिता बेन ला घलो अपन घरवाला के काम के बारे मं कऊनो जानकारी नई रहिस. वो ह कहिथे, “मंय घर ले बहिर नई निकरंव.” वो ह कहत रहय, ‘मंय पंचइत मं बूता करे ला जावत हवंव.’ अऊ चले जावत रहिस. वो ह कभू मोला ये नई बताइस के वो ह काय बूता करथे. वोला ये बूता करत सात बछर होगे होही. वो ह कहिथे, “वो ह कभू मोर ले येकर वारे मं नई गोठियाइस, तब ले घलो जब वो ह बूता करके लहूंटे.”

पांच परिवार के कऊनो घलो लोगन बेटा मन, ककरो घरवाला ला, भाई मन ला धन भतीजा मन ला ओकर बूता के कऊनो गम नई नई रहिस, येकर छोड़ के वो ह पंचइत मं बूता करत रहिस. झालू भाई ला अनीप के मरे के बादेच पता चलिस के ओकर बेटा काय करत रहिस. वो मन ला लगथे के पइसा के सखत जरूरत ह वोला अइसने बूता करवा डारिस. झालू भाई  कहिथें, “पंसयतनु कोम एतल भुंड उठावनु केह तो भुंड उथावु पड़े.( पंचइत के काम के मतलब आय के गर वो मन हमन ला अइसने करे ला कहिथें त हमन ला सूरा के लाश ला घलो उठाय ला परही). गर वो मन हमन ला गटर सफ्फा करे ला कहिथें, त हमन ला येला सफ्फा करे ला परही. धन वो मन के बात ला नई मानहीं त नऊकरी जाही, वो मन घर मं बइठे ला बोल दिहीं...”

काय जऊन मन मर गीन. धन जऊन मन ये बूता मं नवा नवा रहिन, वो मन जानत रहिन के काम मं काय करे ला हवय? भावेश अऊ जिग्नेश कहिथें के वो मन ला मालूम रहिस. भावेश कहिथे, “गलसिंग भाई ह मोला कहे रहिस के वो मन तोला एके दिन के रोजी 500 रूपिया दिहीं. गटर के सफई करे ला परही वो ह कहे रहिस.” जिग्नेश ह ओकर बात के हामी भरत कहिस, “अनीप ह मोला फोन करिस, अऊ वो ह मोला बिहनियाच ले बूता मं लगवा दीस.”

Left: Kanita Ben, wife of Galsing Bhai Munia has five daughters to look after.
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Galsing's sisters sit, grief-stricken, after having sung songs of mourning
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डेरी : गलसिंग भाई मुनिया के घरवाली कनिता बेन ह पांच झिन नोनी मन के पालन पोसन करे ला हवय. जउनि: गलसिंग के बहिनी मन शोक गीत गाय के बाद बइठे हवंय

Left: Galsing's father Varsing Bhai Munia.
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Galsing's mother Badudi Ben Munia
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डेरी: गलसिंग के ददा वरसिंग भाई मुनिया. जउनि: गलसिंग के दाई बादुदी बेन मुनिया

जिग्नेश ला छोड़ के कऊनो घलो मजूर मिडिल स्कूल ले आगू के पढ़ई नई करे रहिन. जिग्नेश गुजराती मं बीए के पहिली बछर मं हवंय – निजी छात्र के रूप मं. फेर वो मन सब्बो जऊन काम ले जूझिन, वो ये रहिस के, अक्सर वो मन ला गटर के भीतरी मं जाय ह वो मन के अधिकतर के गरीबी ले बहिर निकरे के एकेच तरीका रहिस. घर चलाय अऊ लइका मन ला पढ़ाय रहिस.

*****

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) के 2022-23 के सलाना रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात मं 1993 ले 2022 तक ले सीवर के खतरा ले भरे सफई करे बखत 153 लोगन मन के परान गीस. तमिलनाडु के बाद मरे के ये ह दूसर सबले बड़े आंकड़ा आय. इहाँ इही बखत मं 220 लोगन के परान गीस.

वइसे, मरे लोगन के असल आंकड़ा, धन इहाँ तक ले के सेप्टिक टैंक अऊ सीवर के सफाई मं लगे लोगन मन के सरकारी आंकड़ा घलो अब तक ले साफ नई ये. फेर, गुजरात के सामाजिक न्याय अऊ अधिकारिता मंत्री ह 2021 अऊ 2023 के मंझा मं कुल 11 करमचारी के मरे के जानकारी विधानमंडल ला दे रहिस – जनवरी 2021  अऊ जनवरी 2022 के मंझा मं सात अऊ जनवरी 2022 अऊ जनवरी 2023 के मंझा मं चार झिन अऊ.

गर हमन बीते दू महिना मं राज मं आठ सफाई करमचारी के मरे के आंकड़ा ला जोड़ देबो त कुल आंकड़ा बढ़ जाही. ये मं मार्च मं राजकोट मं दू, दहेज मं अप्रैल मं तीन (ये कहिनी मं लिखे गे) सामिल होहीं. अऊ दीगर मं इही महिना मं ढोलका में दू अऊ थराद मं एक झिन आय.

काय वो मन करा सुरच्छा के कऊनो साजो-सामान रहिस?

भरूच पुलिस थाना मं अनीप के 21 बछर के घरवाली रमिला बेन के दरज कराय एफआईआर मं कहे गे हवय : “सरपंच जयदीपसिंह राणा अऊ उप-सरपंच के घरवाला महेश भाई गोहिल ला पता रहिस के गर मोर घरवाला अऊ ओकर संग के दीगर लोगन मन ला ... बगेर कऊनो सुरच्छा साजो-समान के 20 फीट गहिर बस्सावत सीवर के भीतरी मं  वो मन का परान जाय सकत रहिस. येकर बाद घलो कऊनो किसिम के सुरच्छा के साजो-समान नई देय गीस.” (उप-सरपंच एक झिन माईलोगन आय. अऊ जइसने के अक्सर रूढ़िवादी समाज मन मं होथे, ये ओकर घरवाला रहिस जऊन ह ओकर नांव ले अपन उप-सरपंची चलावत रहिस).

Left: 'I have four brothers and six sisters. How do I go back to my parents?' asks Anip's wife, Ramila Ben Parmar.
PHOTO • Umesh Solanki
A photo of deceased Galsing Bhai
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डेरी: मोर चार भाई अऊ छे झिन बहिनी हवंय. मंय अपन दाई-ददा करा लहूंट के कइसने जावं. अनीप के घरवाली रमीला बेन परमार सवाल करथे. जउनि: गुजरे गलसिंग भाई के फोटू

मइनखे के हाथ ले सीवर अऊ सेप्टिक टैंक के सफाई करवाय ऊपर रोक तब ले हवय जब ले मैला ढोवईया मन के रोजगार के निषेध अऊ वो मन के पुनर्वास अधिनियम, 2013 ह पहिली के बने मैला ढोवईया मन के रोजगार अऊ शुष्क शौचालय बनाय(निषेध) अधिनियम,1993 ला आगू ले हाय रहिस. वइसे, ये सब्बो,  अइसने लगथे के सिरिफ लिखे के बात आय. उहिच कानून मं “खतरा ले भरे सफाई” मं लोगन के सुरच्छा के साजो सामान के हक के बात करथे. जिहां काम करवइय्या ह बूता करेइय्या मन के सुरच्छा सेती इसने साजो सामान धन  सफाई के दीगर सामान देय के अपन जिम्मेवारी ला पूरा नई करय, जऊन ह कानून के मुताबिक गैर जमानती अपराध बन जाथे.

रमीला बेन के एफआईआर ऊपर कार्रवाई करत  पुलिस ह दहेज ग्राम पंचइत के सरपंच अऊ  उप-सरपंच के घरवाला ला  गिरफ्तार कर लीस, दूनो जल्दी ले जमानत सेती अरजी दे रहिन. मरे लोगन के परिवार मन ला वो मन के अरजी के बारे मं कुछ घलो नतीजा के बारे मं जानकारी नई ये.

*****

भावना मं बोहाय गलसिंग के घरवाली कनिता बेन के गला ह भर गे, “आगल पाछल कोई नथ,आ पस सोकरा स. कोई नथ पल पोस करनारा मारे, ( मोर कुछु नई बांचिस. ये पांच लइक हवंय. हमर खाय के, लइका मन के पढ़ई के वो ह बेवस्था करेइय्या रहिस”). अपन घरवाला के गुजरे के बाद, वो ह अपन ससुराल मं पांच झिन बेटी के संग रहिथे; सबले बड़े किनल 9 बछर के हे अऊ सबले छोटे सारा मुस्किल ले बछर भर के हे. गलसिंग के 54 बछर के दाई बाबूदी बेन कहिथें, “मोर चार झिन बेटा रहिन. दू झिन सूरत मं हवंय. वो हमर करा कभू नई आवंय. बड़े ह अलग रहिथे. वो ह हमन ला काबर खवाही? हमन अपन सबले छोटे बेटा गलसिंग के संग रहत रहेन. वो अब चले गे. अब हमर बर कऊन हे?”

रमिला बेन, 21 बछर के उमर मं बेवा अऊ कोख मं लइका, वइसनेच गुमसुम हवय. “अब मंय कइसने रहिहूँ? हमर गुजरा के बेबस्था कऊन करही? परिवार मं लोगन मन हवंय फेर हमन कब तक ले वो मन के भरोसा मं रहिबो?” वो ह अपन पांच झिन देवर, एक ननद अऊ अनीप के दाई-ददा के बात करत हवय.

“अब मंय ये लइका के काय करंव?” हमन ला कऊन पालही पोसही ? मंय अकेल्ला महतारी, गुजरात मं कहाँ जावंव. ओकर मायका राजस्थान आय फेर वो ह लहूंट के नई जाय सकय. “मोर ददा घलो कुछु करे के काबिल नई ये डोकरा-सियान होगे हवय. वो ह खेती घलो नई करे सकय. जमीन नही के बरोबर हवय अऊ परिवार ह बनेच बड़े हवय. मोर चार झिन भाई अऊ छे झिन बहिनी हवंय. मंय अपन दाई-ददा करा लहूंट के कइसने जाहूं?” गोठियात बखत ओकर चेत अपन पेट मं लगे रहिथे. वो ह छे महिना के गरभ ले हवय.

“अनीप मोर पढ़े बर किताब लावत रहिस,” ओकर 10 बछर के बहिनी जागृति हमन ला बताय ला लगथे. फेर वो ह जल्दी रोये ला धरे लगीस.

Left: Anip's photo outside his house.
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Right: Family members gathered at Anip's samadhi in the field for his funeral
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डेरी: अनीप के ओकर घर के बहिर के नजारा. जउनि : परिवार के लोगन मन खेत मं अनीप के मठ मं आखिरी क्रियाकर्म  सेती जुरे हवंय

Left: Sapna Ben, Bhavesh's son Dhruvit, and Bhavesh and Paresh's sister Bhavna Ben.
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Right: Sapna Ben Katara lying in the courtyard near the photo of deceased Paresh
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डेरी: सपना बेन , भावेश के बेटा ध्रुवित , अऊ भावेश अऊ परेश के बहिनी भावना बेन. जउनि: गुजरे परेश के फोटू के तीर अंगना मं सुते सपना बेन कटारा

भावेश अऊ परेश जब बनेच नान-नान रहिन तभे ओकर ददा गुजर गे रहिस. परिवार मं तीन झिन अऊ भाई, दू झिन भऊजी, दाई अऊ एक झिन छोटे बहिनी हवंय. ओकर 16 बछर के बहिनी भावना कहिथे, “परेश मोर ले भारी मया दुलार करत रहिस. मोर भैय्या मोला कहत रहय के गर मंय 12वीं पास कर लिहूं त वो ह खुदेच मोला पढ़े ला लेके जाही. वो ह ये घलो कहे रहिस के वो ह मोला एक ठन फोन बिसो के दिही.” वो ह ये बछर अपन 12 वीं बोर्ड के परिच्छा देय हवय.

गलसिंग, परेश अऊ अनीप के परिवार ला राज सरकार डहर ले 10 लाख के मुआवजा मिले हवय. फेर परिवार मन बड़े हवंय – जेकर मन के हालेच मं माई कमेइय्या चले गे हवय. अऊ येती मुआवजा के चेक त बेवा मन के नांव लेच आय  होही-  फेर माइलोगन मन ला पइसा आय के बारे मं कुछु मालूम नई ये. ये सब्बो मरद मन करे होहीं.

आदिवासी समाज ले अवेइय्या, जल-जंगल-जमीन के तीर रहेइय्या लोगन मं ये बूता काबर करिन? काय वो मन करा जमीन नई रहिस? जीविका के दीगर साधन नई रहिस?

अनीप के मोटा बाप (बड़े कका) बताथें, “हमर परिवार मं हमर करा छोटे-छोटे खेत हवंय. मोर परिवार करा दस एकड़ जमीन हो सकथे, फेर येकर उपज ला खाय सेती 300 झिन होहीं. हमन कइसने बेवस्था कर सकथन? हमन ला मजूरी करे जाय ला परही. हमर जमीन ह हमन ला खाय के भरपूर दे सकथे, फेर बेंचे सेती कुछु घलो नई.”

काय वो ह अइसने बूता करके एक ठन कलंक ला नई नेवते ?

परेश के मोटा बापा, बच्चूभाई कटारा कहिथें, “असल मं कऊनो कलंक वाले बूता नई रहिस.” फेर अब जब अइसने कुछु अलहन होगे त हमन ला लागथे के अइसने गंदा बूता नई करे ला चाही.

"फेर कइसने जिबो...?"

लेखक के मूल गुजराती मं लिखे कहिनी ला, अंगरेजी मं प्रतिष्ठा पंड्या ह अनुवाद करे हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Umesh Solanki

उमेश सोलंकी अहमदाबाद स्थित छायाचित्रकार, बोधपटकार आणि लेख आहेत. त्यांनी पत्रकारितेत पदव्युत्तर शिक्षण घेतलं असून मुशाफिरी करायला त्यांना आवडतं.

यांचे इतर लिखाण Umesh Solanki
Editor : Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या पारीमध्ये वरिष्ठ संपादक असून त्या पारीवरील सर्जक लेखन विभागाचं काम पाहतात. त्या पारीभाषासोबत गुजराती भाषेत अनुवाद आणि संपादनाचं कामही करतात. त्या गुजराती आणि इंग्रजी कवयीत्री असून त्यांचं बरंच साहित्य प्रकाशित झालं आहे.

यांचे इतर लिखाण Pratishtha Pandya
Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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