আজ ১লা মে, আন্তর্জাতিক শ্রমিক দিবস, ভারতের শ্রমচিত্রের নিরিখে অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ চারটি রিপোর্টের উপর আলোকপাত করছে পারি। যে বৈষম্যের বিরুদ্ধে মেহনতি মানুষ প্রতিনিয়ত সংগ্রাম করছেন, এবং এই চলমান সংগ্রামের আবহে যে সংহতি তাঁরা গড়ে তুলছেন, তারই কথা গ্রাফিক্সের মাধ্যমে উপস্থাপিত এই রিপোর্টগুলিতে উঠে এসেছে
दीपांजलि सिंह, स्वदेशा शर्मा और सिद्धिता सोनावने की भागीदारी वाली पारी लाइब्रेरी टीम, आम अवाम के रोज़मर्रा के जीवन पर केंद्रित पारी के आर्काइव से जुड़े प्रासंगिक दस्तावेज़ों और रपटों को प्रकाशित करती है.
जोशुआ बोधिनेत्र ने कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी से तुलनात्मक साहित्य में एमफ़िल किया है. वह एक कवि, कला-समीक्षक व लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता हैं और पारी के लिए बतौर अनुवादक काम करते हैं.