अशोक तांगड़े मोबाइल स्क्रॉल कर रहल बाड़न. तबहिए उनकर स्क्रीन पर एगो व्हाट्सऐप नोटिफिकेशन लउकल. ऊ बियाह के एगो डिजिटल कार्ड रहे. एकरा पर कांच उमिर के दुल्हा-दुल्हिन एक दोसरा के अजबे तरीका से देखत रहे. कार्ड पर बियाह के बखत, तारीख आउर स्थान लिखल रहे.

बाकिर तांगड़े के मिलल ई कार्ड बियाह के नेवता ना रहे.

कार्ड तांगड़े के कवनो खबरी भेजले रहे. संगे लइकी के जन्म प्रमाणपत्र भी रहे. लइकी नाबालिग रहस, उनकर उमिर 17 बरिस रहे.

कार्ड से 58 बरिस के तांगड़े के पता चलल कि बियाह एके घंटा के भीतर होखे वाला बा. ऊ हाली-हाली आपन सहकर्मी आउर संगी तत्वशील कांबले के फोन कइलन. तनिए देर में दुनो लोग कार में बइठल आउर आपन गंतव्य खातिर निकल गइल.

तांगड़े बतावत बाड़न, “हमनी बीड शहर में जहंवा रहिले, उहंवा से ऊ जगह आधा घंटा के दूरी पर रहे.” ऊ जून 2023 के ओह घटना के इयाद करे लगले. “हमनी बिना तनिको समय गंववले रस्ते से स्थानीय पुलिस स्टेशन आउर ग्राम सेवक के फोटो व्हाट्सऐप कर देनी.”

तांगड़े आ कांबले बाल अधिकार कार्यकर्ता बाड़न. दुनो प्राणी महाराष्ट्र के बीड जिला में व्हिस्ल ब्लोअर (बाल-बियाह जइसन सामाजिक बुराई के खिलाफ बिगुल बजावे वाला) के भूमिका निभावत बाड़न. ओह लोग के एह मकसद के पूर्ति करे खातिर खबरी लोग के एगो बड़ टोली सक्रिय बा. एह में लइकी से प्रेम करे वाला गांव के छोकरा से लेके स्कूल के मास्टर आउर इंहवा ले कि कवनो सामाजिक कार्यकर्ता, चाहे कवनो अइसन आदमी जे बाल विवाह के अपराध मानेला, शामिल हो सकत बा. हाल के बरिसन में दुनो कार्यकर्ता लोग जिला भर में 2,000 से जादे खबरी के नेटवर्क तइयार कर लेले बा. ऊ लोग बाल-बियाह पर नजर रखे आउर एकर पर्दाफाश करे में मदद करेला.

Tatwasheel Kamble (left) and Ashok Tangde (right) are child rights activists working in Beed, Maharashtra. In the past decade, they have together prevented over 4,000 child marriages
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तत्वशील कांबले (बावां) आ अशोक तांगड़े (दहिना) महाराष्ट्र के बीड जिला में बाल अधिकार कार्यकर्ता बाड़न. दुनो प्राणी मिलके पछिला एक दसक में 4,000 से जादे बाल बियाह पर लगाम लगइले बा

“पछिला एक दसक में खबरी सभ के अइसन नेटवर्क तइयार हो गइल बा लोग-बाग अब हमनी लगे पहुंचे लागल बा. अब त रोजे फोन पर कवनो ना कवनो बियाह के कार्ड आवत रहेला. बाकिर मजा के बात ई बा, कि ओह में से एको बियाह में बोलावे खातिर नेवता ना होखे,” ऊ हंसत कहले.

कांबले के कहनाम बा कि व्हाट्सऐप से कवनो खबरी के जरूरी कागजात के फोटो भेजल आसान हो गइल बा. कबो हाथ में कागज ना होखे, त ऊ लोग आयु प्रमाणपत्र खातिर लइकी के स्कूल से बात करेला. ऊ कहले, “एह तरीका से काम कइला से खबरी के बा, पता ना चले. व्हाट्सऐप जब ना रहे, खबरी लोग के अपने से फिल्ड में जाके सबूत जुटावे के पड़त रहे. आउर एह में खतरा रहत रहे. ऊपर से आफत ई कि गांव में केहू के खबरी के पहचान पता चल गइल, त ओकर जियल हराम हो जात रहे.”

बयालीस बरिस के कार्यकर्ता के कहनाम बा कि व्हाट्सऐप आवे से फटाफट सबूत इकट्ठा करे आउर अंतिम समय में लोग के जुटावे में बहुते मदद मिलल ह.

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( आईएएमएआई ) के 2022 के रिपोर्ट मानीं, त देस के सक्रिय 75.9 करोड़ इंटरनेट यूजर में से गांव के 39.9 करोड़ लोग शामिल बा. एह में से अधिकांश लोग व्हाट्सऐप पर लागल रहेला.

“समय पर पुलिस के पहुंचल आउर जरूरी कानूनी मदद मिलल सबले बड़ चुनौती होखेला. एकरा अलावे इहो देखे के पड़ेला कि हमनी के मंडप पर पहुंचे के बात केहू के पता ना चले,” कांबले कहले. “व्हाट्सऐप आवे से पहिले, ई सभ काम बहुते चुनौती वाला रहे.”

मंडप (बियाह के जगह) पर कइएक बेरा स्थिति बहुते दिलचस्प बन जाला, तांगड़े मुस्कात कहले. “खबरी लोग के सामान्य रहे के कहल जाला. ऊ लोग हमनी से कवनो तरह के पहचान ना होखे के नाटक करेला,” ऊ कहले. “बाकिर सभे कोई एक्टिंग में माहिर ना होखे. कइएक बेरा त हमनी जानबूझ के सभे के सामने खबरी से खराब ब्यवहार करे के देखावा करिले. ताकि जब बियाह भंडोल हो जाव, त बाद में ओह लोग पर शक ना होखे.”

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 ( एनएफएचएस 5 ) के नयका रिपोर्ट के हिसाब से, भारत में 20 से 24 बरिस के बीच के 23.3 प्रतिशत मेहरारू के बियाह 18, देस में बियाह के कानूनी उमिर, से पहिले कर देवल जाला. कोई 30 लाख के आबादी वाला बीड में ई गिनती, देस भर के औसत गिनती से दोगुना, यानी 43.7 प्रतिशत बा. कम उमिर में बियाह होखे से मेहरारू लोग के सेहत पर खराब असर पड़ेला. अट्ठारह से पहिले गर्भधारण करे से जच्चा (होखे वाला माई) के मरे आउर कुपोषित होखे के आशंका बढ़ जाला.

WhatsApp has greatly helped their cause by allowing them to quickly gather evidence and mobilise people at the last minute. O ver the years, the two activists have cultivated a network of over 2,000 informants
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व्हाट्सऐप जल्दी से जल्दी सबूत इकट्ठा करे आउर अंतिम समय में लोग के जुटावे में मदद करके एह लड़ाई में बहुत बड़ा मददगार साबित भइल बा. कुछे साल में दुनो कार्यकर्ता लोग 2,000 से जादे खबरी के नेटवर्क तइयार कर लेले बा

बीड में कम उमिर में बियाह के, प्रदेस में फल-फूल रहल चीनी उद्योग से गहिर संबंध बा. दरअसल ई जिला महाराष्ट्र में ऊंख कटनी के केंद्र बा. मजूर लोग हर बरिस सैंकड़न किलोमीटर से, प्रदेस के पस्चिमी इलाका में ऊंख के खेत में मजूरी खातिर इहंवा आवेला. एह में से कइएक मजूर हाशिया पर मौजूद अनुसूचित जाति आउर अनुसूचित जनजाति समुदाय से बा.

बीड के किसान आउर मजूर लोग खातिर खेती अब कमाई के एकमात्र साधन नइखे रह गइल. जलवायु बदले, लागत बढ़े आउर फसल के दाम गिरे से खेती अब नफा वाला धंधा नइखे रह गइल. ऊंख मजूर लोग छव महीना आपन घर-गांव से दूर हाड़-तोड़ मिहनत करेला आउर तब 25,000 से 30,000 (पढ़ीं: ऊंख मजूर के ना खत्म होखे वाला यात्रा ) के कमाई होखेला.

ऊंख मजूर भरती करे वाला ठिकेदार खातिर बियाहल जोड़ा पहिल पसंद होखेला. काहेकि ऊंख काटे के काम दू लोग मिल के करेला- एगो प्राणी ऊंख काटेला, त दोसरका ओकर बंडल बनावे आउर ट्रैक्टर पर लोड करे के काम करेला. जोड़ा के एगो इकाई मानल जाला. आउर एह तरह से ओह लोग के भुगतान कइल आसान हो जाला. ना त दू गो अलग-अलग मजूर के बीच टकराव जादे होखे के आशंका रहेला.

“जादे करके परिवार (ऊंख के खेत में मजूरी करे वाला) आपन आर्थिक हालात से चलते बाल बियाह करे पर मजबूर हो जाला,” तांगड़े कहलन. ऊ बाल बियाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत एह गैरकानूनी प्रथा आउर कुरीति के जिकिर करत बाड़न. ऊ बतइलन, “दूल्हा के घरे बाल-बियाह के आमदनी बढ़ावे वाला मानल जाला. उहंई कनिया के घर के लोग, अकाट्य गरीबी चलते सोचेला कि अब परिवार में खाए वाला एगो आदमी कम हो गइल.”

बाकिर एकर इहो मतलब भइल कि तांगड़े आउर कांबले जइसन कार्यकर्ता लोग के ब्यस्त रहे के मुद्दा मिल गइल.

बीड जिला में, तांगड़े किशोर न्यायालय अधिनियम, 2015 के तहत बनल स्वायत्त संस्थान, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के पांच सदस्यीय टीम के मुखिया हवन. समाज के एह कुरीति से लड़े में उनकर कंधा से कंधा मिला के चले वाला कांबले भी कबो एह जिला के पुरान सीडब्ल्यूसी सदस्य रह चुकल बाड़न. बाकिर आजकल ऊ बाल अधिकार खातिर काम कर रहल एगो एनजीओ संगे जुड़ल बाड़न. तांगड़े बतइलन, “पांच बरिस से हमनी में से एगो आदमी फिल्ड में रहे, त दोसरका अधिकारी रहे. अब हमनी के एगो बरियार टीम बन गइल बा.”

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Early marriages in Beed are closely linked to the state's sugar industry. Contractors prefer to hire married couples as the job requires two people to work in tandem; the couple is treated as one unit, which makes it easier to pay them and also avoids conflict
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बीड में कम उमिर के बियाह के सीधा तार प्रदेस के चीनी उद्योग से जुड़ल बा. ठिकेदार लोग अपना इहंवा बियाहल जोड़ा के रखल पसंद करेला, काहेकि ऊंख काटे के काम दू लोग के मिलके करे के पड़ेला. आउर एहि से ओह लोग के भुगतान कइल आसान हो जाला. एह में टकराव से भी बचाव हो जाला

पूजा बीड में आपन चाचा संजय आउर चाची राजश्री संगे रहेली. दुनो लोग ऊंख के खेत में कटनी करेला. एह काम खातिर ऊ लोग के 15 बरिस से हर साल पलायन करे के पड़ेला. जून 2023 में तांगड़े आउर कांबले के चलते पूजा के बाल-बियाह ना हो सकल रहे.

दूनो कार्यकर्ता लोग मंडप पहुंचल, त ग्राम सेवक आउर पुलिस लोग पहिलहीं से उहंवा मौजूद रहे. चारो ओरी अफरा-तफरी मचल रहे. बियाह के जश्न मातम में बदल गइल रहे. बर-कनिया के घरवाला सभ के आभास हो गइल कि ओह लोग के खिलाफ पुलिस में मामला दरज कइल जाई. कांबले कहले, “सैंकड़न के तादाद में आइल बरियाती-सरियाती लोग उहंवा से निकले लागल. बर-बधू के परिवार पुलिस के गोड़ पर गिर के माफी मांगे लागल.”

बियाह करावे वाला 35 बरिस के संजय के बुझा गइल कि उनकरा से गलती भइल बा. ऊ कहले, “हमनी गरीब ऊंख मजूर हईं. हमरा कुछ आउर ना लउकल.”

पूजा आउर उनकर बड़ बहिन ऊर्जा लोग छोट रहे, तबहिए उनकर बाऊजी कवनो दुर्घटना में ना रहले. माई दोसर बियाह कइली. नयका परिवार लइकी लोग के स्वीकार ना कइलक. दुनो लइकी के संजय आउर राजश्री लोग अपना घरे ले गइल. प्राथमिक स्कूल के पढ़ाई पूरा भइल, त संजय आपन भतीजी के नाम बीड से 250 किमी दूर, पुणे शहर के बोर्डिंग स्कूल में लिखवा देलन.

ऊर्जा के ग्रेजुएशन हो गइल, त स्कूल के लइका लोग पूजा के चिढ़ावे लागल. पूजी कहेली, “ऊ लोग हमार मजाक उड़ावे कि हम ‘देहाती जइसन बतियाइला’. जबले हमार दीदी उहंवा रहली, हमरा खातिर लड़ली. उनकरा गइला के बाद हम ई सभ आउर ना झेल पइनी आउर घरे घूर (लउट) अइनी.”

'Most of the [sugarcane-cutting] families are forced into it [child marriage] out of desperation. It isn’t black or white...it opens up an extra source of income. For the bride’s family, there is one less stomach to feed,'  says Tangde
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ऊंख कटनी करे वाला जादे करके परिवार में खराब आर्थिक हालात चलते बाल बियाह मजबूरी में होखेला. एकरा से ओह लोग के अतिरिक्त कमाई हो जाला. आउर कनिया के परिवार में खाए वाला एक आदमी कम हो जाला

नवंबर 2022 में जब ऊ घरे लउटली, संजय आउर राजश्री उनकरा के 500 किमी दूर पश्चिमी महाराष्ट्र में सतारा ले गइल. उहंवा ऊ सभे संगे छव महीना ले ऊंख कटनी के काम कइली. मरद-मेहरारू लोग पूजा के घर पर अकेला छोड़े के ना चाहत रहे. ओह लोग के कहनाम रहे कि काम के जगह पर रहे के स्थिति बहुते दयनीय रहे.

संजय कहले, “उहंवा हमनी फूस के झोपड़ी में रहे के पड़ेला. शौच खातिर कवनो टॉयलेट ना होखे. हमनी के खेत जाए के पड़ेला. 18-18 घंटा कमरतोड़ मिहनत कइला के बाद खुलल आसमान के नीचे चूल्हा जोड़ के खाना पकेला. हमनी के त अब एह सभ के आदत हो गइल बा. बाकिर पूजा खातिर ई सब झेलल मुस्किल रहे.”

सतारा से लउटला के बाद संजय पूजा खातिर लइका खोजे लगलन. नाता-रिस्तेदार लोग के मदद से लइका मिलल, त पूजा के नाबालिग होखला के बावजूद, उनकर हाथ पीला करे के योजना बने लागल. दुनो प्राणी लोग के घरे रहल आउर लगे कहूं काम खोजल दूभर हो गइल रहे.

संजय के कहनाम रहे, “अब मौसम के कवनो ठिकाना नइखे रह गइल कि आदमी खेती करो. हमनी लगे दू एकड़ जमीन त बा. बाकिर उहंवा हमनी खाली अपना खाए खातिर अनाज उगाइले. पूजा खातिर जे हमरा सही लागल, उहे कइनी. हमनी अगिला बेर काम पर जाए घरिया उनकरा संगे ना ले जा सकत रहीं. आउर उनकरा पाछू घर पर अकेला भी ना छोड़ सकत रहीं.”

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अशोक तांगड़े के 15 बरिस पहिले बाल-बियाह के पहिल मामला देखे के मिलल रहे. उनकर घरवाली, नामी सामाजिक कार्यकर्ता, मनीषा टोकले ऊंख के खेतन में काम करे वाला महिला मजूर लोग खातिर सक्रिय रहस. जब तांगड़े उनकरा संगे जिला भर में घूमत रहस, त उनकरा बीड में ऊंख कटनी करे वाला परिवार लोग के बीच एह बियाह के भनक मिलल रहे.

ऊ बतइले, “मनीषा संगे जब हमरा ओह से से कुछ लइकी से भेंट करे के मौका मिलल, त समझ में आइल कि ऊ सभे नाबालिग, चाहे ओकरो से छोट रहे. तबे हमरा लागल कि एह मामला में ठीक से काम करे के जरूरत बा.”

ऊ कांबले से मिललन. कांबले भी बीड के बिकास विभाग में काम करत रहस. दुनो लोग मिलके समाज के एह कुरीति के खिलाफ काम करे के फइसला कइलक.

पहिल बेर ऊ लोग कोई 10 से 12 बरिस पहिले जब बाल बियाह रोकले रहे, बीड में ई केकरो नजर में ना आइल रहे.

According to the latest report of National Family Health Survey 2019-21, a fifth of women between the age of 20-24 were married before they turned 18. In Beed, a district with a population of roughly 3 million, the number is almost double the national average
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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 के नयका रिपोर्ट के हिसाब से 20-24 बरिस के मेहरारू में से हर पंचमा के बियाह 18 बरिस के पहिले कर देहल गइल. मोटा-मोटी 30 लाख के आबादी वाली बीड जिला में ई आंकड़ा दुगुना बा

तांगड़े कहत बाड़न, “लोग हैरान-परेशान रहे. ऊ लोग हमनी पर सवाल खड़ा करे लागल. बाल-बियाह में शामिल लोग के बिस्वासे ना होखत रहे कि ई काम गलत भी हो सकेला. समाज में बाल-बियाह के पूरा तरीका मान्यता मिलल बा. केतना बेरा त खुद ठिकेदार बियाह के खरचा उठावेला आउर बर-कनिया के ऊंख के खेत पर काम खातिर ले जाला.”

अब दुनो प्राणी नेटवर्क बनावे खातिर बस आउर दुपहिया से बीड के गांव-गांव घूमे लागल. बहुते लोग एह कुरीति के खिलाफ आगू आइल आउर ओह लोग के खबरी बने के तइयार हो गइल. कांबली के मानना बा कि इलाका में छपे वाला अखबार भी लोग के जागरूक करे में जरूरी भूमिका निभइलक, आउर ओह लोग के जिला में पहचान देलक.

पछिला 10 बरिस में ऊ लोग जिला के 4,500 से जादे बाल बियाह के भंडोल कर चुकल बा. बाल बियाह रुकला के बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत बियाह में शामिल वयस्क लोग के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज कइल जाला. जदि बियाह हो गइल, त बालिग पर, यौन अपराध से लरिकन के संरक्षण ( पोस्को ) के तहत मामला दर्ज कइल जाला. उहंई सीडब्ल्यूसी कच्चा उमिर के लइकी के आपन संरक्षण में ले लेवेला.

“हमनी लइकी के समझाए-बुझाएनी (काउंसिलिंग), लइकी के परिवार के भी समझावल जाला. ओह लोग के बाल बियाह के कानूनी नतीजा बतावल जाला,” तांगड़े कहले. “एकरा बाद सीडब्ल्यूसी हर महीना परिवार से बात करके देखेला कि कहूं ऊ लोग लइकी के दोबारा बियाह करे के कोसिस त नइखे करत. एह मामला में शामिल परिवार जादे करके ऊंख के खेत में खटे वाला मजूर लोग रहेला.”

*****

जून 2023 के पहिल हफ्ता में तागड़े के एगो आउर बाल-बियाह के भनक मिलल. मामला ओह लोग के घर से दू घंटा के दूरी पर, बीड के अंदरूनी पहाड़ी इलाका के रहे. ऊ कहले, “उहंवा पहुंचे में टाइम लागत रहे. एहि से हमनी ओह तालुका के आपन लोग के सब कागज फॉरवर्ड कर देनी. जरूरत के हिसाब से सभ कार्रवाई भइल. हमार आदमी लोग काम करे के तरीका सीख गइल बा.”

अधिकारी लोग मौका पर पहुंचल आउर बियाह रोक देहल गइल. पता चलल कि लइकी के ई तेसर बियाह बा. पछिला दुनो बियाह कोविड-19 के दू बरिस में भइल रहे. लइकी लक्ष्मी सिरिफ 17 बरिस के रहस.

मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी फइले से तांगड़े आउर कांबले के बरिसन के मिहनत पर पानी फिर गइल. लॉकडाउन चलते स्कूल आ कॉलेज लंबा बखत ला बंद हो गइल, बच्चा लोग घरे में कैद हो गइल. मार्च 2021 के यूनिसेफ के एगो रिपोर्ट कहेला कि स्कूल बंद होखे, गरीबी बेतहाशा बढ़े, माई-बाऊजी के मरे आउर कोविड-19 से जुड़ल दोसर कइएक तरह के समस्या चलते “लाखन लइकी लोग के जिनगी बद से बदतर हो गइल.”

तांगड़े ई बात आपन बीड जिला में बहुते करीब से महसूस कइलन. उहंवा कोविड-19 के दौरान नाबालिग लइकी लोग के धड़ाधड़ बियाह होखे लागल रहे. (पढ़ीं: बाल बियाह के अन्हार में डूब रहल बा बुचियन के भविष्य )

An underage Lakshmi had already been married twice before Tangde and Kamble prevented her third marriage from taking place in June 2023
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नाबालिग लक्ष्मी के पहिले दू बेर बियाह हो चुकल रहे, जून 2023 में उनकर तेसर बियाह करे के कोसस कइल जात रहे

साल 2021 के बात बा. महाराष्ट्र में जब दोसरा बेरा लॉकडाउन लागल, त लक्ष्मी के माई विजयमाला के बीड में लइकी के बियाह खातिर एगो लइका भेंटाइल. लक्ष्मी ओह घरिया 15 बरिस के रहस.

विजयमाला, 30 बरिस, कहतारी, “हमार मरद त पियक्कड़ रहस. ऊंख कटनी खातिर जब हमनी छव महीना काम पर जाइला, ओतने दिन ऊ काम करेलन. बाकी दिन ऊ देह ना चलावस. घरे पी के टुन्न अइहन आउर हमरा पीटे लगिहन. लइकी जब बीच-बचाव करी, त ओकरो के मार-कुटाई करिहन. हम बस एतने चाहत रहीं कि हमार लइकी के ई सभ झेले का ना पड़े.”

बाकिर लक्ष्मी के ससुराल भी नीमन ना निकलल. बियाह के एके महीना भइल होई, ऊ मरद आउर ससुराल के जुलुम से बचे खातिर अपना देह पर किरासन के तेल उझिल लेली. ओह दिन के बाद ससुराल के लोग उनका माई-बाऊजी लगे छोड़ आइल आउर फेरु कबो ना लउटल.

छव महीना बाद, नवंबर में विजयमाला आउर उनकर 33 बरिस के घरवाला, पुरुषोत्तम ऊंख कटनी खातिर पस्चिमी महाराष्ट्र ओरी निकल गइल. ऊ लोग लक्ष्मियो के संगे ले गइल ताकि उहंवा काम में हाथ बंटा सकस. लक्ष्मी के उहंवा काम के जगह पर रहे-सहे के खराब हालत के बारे में भनक रहे. बाकिर उहंवा उनका संगे का होखे वाला रहे, एकर तनिको भान ना रहे.

ऊंख के खेत में पुरुषोत्तम के एगो आदमी मिलल जे बियाह करे के चाहत रहे. ऊ उनकरा से आपन लइकी के बारे बात कइलन, त ऊ आदमी राजी भ गइल. ऊ 45 बरिस के रहे. लक्ष्मी आउर विजयमाला के इच्छा के खिलाफ जाके बाप तीन गुना बड़ आदमी से लइकी के बियाह देलन.

विजयमाला कहली, “हम उनकर हाथ-गोड़ पड़नी. बाकिर हमार एको ना सुनलन. हमरा मुंह बंद रखे के कहल गइल. हम आपन लइकी खातिर कुछ ना कर पावत रहीं. ओह दिन के बाद हम घरवाला से बोलचाल बंद कर देनी.” बाकिर एक महीना बाद लक्ष्मी फेरु से घर आ गइली. उहो बियाह उनकरा खातिर खराब साबित भइल. ऊ कहली, “फेरु से उहे कहानी दोहराइल गइल. उनका घरवाली ना, कामवाली चाहत रहे.”

Laxmi's mother Vijaymala says, 'my husband is a drunkard [...] I just wanted her to be away from him.' But Laxmi's husband and in-laws turned out to be abusive and she returned home. Six months later, her father found another groom, three times her age, who was also abusive
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Laxmi's mother Vijaymala says, 'my husband is a drunkard [...] I just wanted her to be away from him.' But Laxmi's husband and in-laws turned out to be abusive and she returned home. Six months later, her father found another groom, three times her age, who was also abusive
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लक्ष्मी के माई विजयमाला के कहनाम बा, ‘हमार मरद पियक्कड़ बा. हम बस आपन लइकी के ओकरा से दूर रखे के चाहत रहीं.’ बाकिर लक्ष्मी के घरवाला आउर ससुराल वाला लोग बहुते अत्याचारी निकलल. ऊ कुछे दिन में घर लउट अइली. छव महीना बाद, उनकर बाऊजी लक्ष्मी से तीन गुना बड़ आदमी से उनकर बियाह कर देलन. इहो बियाह हिंसक साबित भइल

लक्ष्मी अब माई-बाऊजी संगे रहे लगली. विजयमाला जब परिवार के छोट खेत पर, जहंवा ऊ लोग अपना खाए खातिर बाजरा उगावेला, काम करे जास, त ऊ घर के काम-धंधा संभारस. विजयमाला कहेली, “अलग से कमाए खातिर हम दोसर लोग के खेत पर भी मजूरी करिला.” ओह लोग के महीना के कमाई कोई 2,500 होई. लक्ष्मी के माई कहेली, “हमनी के गरीबिए हमनी के काल बा. एकरा से निपटे के पड़ी.”

मई 2023 में परिवार के कोई आदमी विजयमाला लगे बियाह खातिर एगो आउर प्रस्ताव लेके आइल. ऊ बतइली, “लइका खात-पियत घर के रहे. आर्थिक रूप से ऊ लोग हमनी से बहुते अच्छा रहे. हमरा लागल ई प्रस्ताव लक्ष्मी खातिर नीमन रही. हम अनपढ़ बानी. बाकिर खूब सोच-समझ के जे सही लागल, निर्णय लेनी.” इहे बियाह के बारे में तांगड़े आउर कांबले के गुप्त जानकारी मिलल रहे.

आज, विजयमाला के कहनाम बा, अइसन ना करे के चाहत रहे. “हमार बाऊजी भी दारू पियत रहस. ऊ हमरा 12 बरिस में बियाह देलन,” ऊ कहली. “ओह घरिया से हम आपन मरद संगे ऊंख कटनी खातिर एने-ओने छिछियात (भटकत) बानी. अठारहो के ना भइल रहीं कि हमरा लक्ष्मी पैदा भइली. दिक्कत ई बा कि हमरा सही-गलत समझावे वाला केहू नइखे. हम अकदम अकेला रहनी.”

लक्ष्मी पछिला तीन बरिस से स्कूल के मुंह नइखे देखले. अब ऊ पढ़े जाए के नइखी चाहत. ऊ कहली, “हम हरमेसा घर देखनी आउर घर के कामकाज संभारनी. पता ना अब स्कूल जा पाएम कि ना. हमरा तनिको भरोसा नइखे.”

*****

तांगड़े के शक बा कि लक्ष्मी के 18 बरिस के होखते माई फेरु से उनकर बियाह कर दीहन. बाकिर ई सायद अब ओतना आसान ना होई.

तांगड़े कहले, “हमनी के समाज के इहे खराबी बा जदि लइकी के दू बेरा बियाह भइल आउर कवनो ना चलल, आउर एगो बियाह होते-होते रह गइल, त लोग लड़किए में ऐब निकालेला. केहू मरद पर सवाल ना करे. हमनी के त अब बियाह खराब करे आउर लइकी के नाम बदनाम करे वाला मानल जाए लागल बा.”

While Tangde and Kamble have cultivated a network of informants across the district and work closely with locals, their help is not always appreciated. 'We have been assaulted, insulted and threatened,' says Kamble
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तांगड़े आउर कांबले के जिला भर में खबरी लोग के मजबूत नेटवर्क बा. ऊ लोग गांव के लोग संगे मिलके काम करेला. एकरा बावजूद ओह लोग के काम के कोई ना सराहे. कांबले कहले, ‘हमनी पर हमला हो चुकल बा. हमनी के धमकावल आउर अपमानित भी कइल गइल बा’

संजय आउर राजश्री भी पूजा के बियाह ना होखे देवे चलते  दुनो कार्यकर्ता के से नाराज बा. 33 बरिस के राजश्री कहे लगली, “ओह लोग के ई बियाह ना रोके के चाहत रहे. लइका के परिवार नीमन रहे. ऊ लोग हमार लइकी के अच्छा से रखित. ओकरा 18 बरिस पूरा होखे में एक बरिस बाकी रहे. आउर ऊ लोग तबले इंतजारी ना करे के चाहत रहे. हमनी बियाह खातिर 2 लाख रुपइया के करजो लेले रहीं. हमनी के त भारी नुकसान हो गइल.”

तांगड़े के हिसाब से संजय आ राजश्री के जगह पर गांव के कोई पहुंच वाला परिवार होखित, त हमनी के दुस्मनी बढ़ जाइत. ऊ कहले, “एह काम चलते हमनी के कइएक लोग  दुस्मन बन गइल बा. जबो भनक मिलेला, हमनी एह में शामिल परिवार के अगला-पछिला खंगालिला.” जदि परिवार के कवनो नेता से संबंध बा, त दुनो लोग पहिले प्रशासन के फोन करेला. आउर एह हालात में स्थानीय पुलिस स्टेसन से अतिरिक्त सहायता के भी इंतजाम रखल जाला.

“हमनी के धमकावल गइल, बेइज्जत कइल गइल. इहंवा ले कि हमनी पर हमलो कइल गइल. आपन गलती मानल सभे के बूता के बात नइखे,” कांबले कहलन.

तांगड़े इयाद करत बाड़न. एक बेर के बात बा. बर के महतारी बियाह रुकला से एतना कुपित हो गइली कि आपन माथा देवाल पर मारे लगली. उनकर लिलार खूने-खून हो गइल रहे. ई सभ अधिकारी लोग पर दबाव डाले खातिर रहे. तागड़े हंसत कहले, “कुछ बरियतिया त चुपचाप खाना खात रह गइल. बाकिर ओह परिवार के काबू कइल बड़ा मुस्किल रहे.” कबो-कबो त बाल-बियाह रोके खातिर हमनी संगे लोग अपराधी जेका ब्यवहार करेला. रउरा कुछो ना कर सकीं. बाकिर कबो इहो महसूस होखेला कि एतना सहला के कुछो फायदो बा?”

In May 2023, three years after they stopped the wedding of a 17-year-old girl, her father walked into the duo's office with a box of sweets. Tangde and Kamble were finally invited to a wedding
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मई 2023 में, एगो 17 बरिस के लइकी के बियाह रोकला के तीन बरिस बाद, ओकर बाप दुनो लोग के दफ्तर में मिठाई लेके आइल रहस. तांगड़े आउर कांबले आखिरकार कवनो बियाह में त नेवतल गइलन

बाकिर एह सभ के बीच कुछ नीमन अनुभव भी मिलल  जेकरा बाद लागेला कि ई काम कइल जरूरी बा. साल 2020 के सुरु में तांगड़े आउर कांबले एगो 17 बरिस के लइकी के बियाह रोकले रहस. लइकी 12वां के बोर्ड देले रही. ओकर माई-बाऊजी लोग ऊंख कटनी करे वाला गरीब मजूर रहे. ऊ लोग एक दिन तय कइलक कि आपन बेटी के हाथ पियर करे के चाहीं. बाकिर दुनो कार्यकर्ता लोग के एकर भनक लाग गइल. बियाह के बीचे में रोक देहल गइल. कोविड-19 के बाद रोकल गइल कुछ बियाह में से इहो एगो रहे.

तांगड़े इयाद करे लगलन, “हमनी सभे कार्रवाई पूरा कइनी जे आमतौर पर करिले. पुलिस केस फाइल कइल गइल, सगरे कागजी कार्रवाई भइल आउर लइकी के बाऊजी के समझावे के भी कोसिस भइल. बाकिर एह सभ के बीच, लइकी के बियाह दोबारा होखे के खतरा हरमेसा बनल रहेला.”

मई 2023 में, लइकी के बाऊजी बीड में तागड़े के दफ्तर पहुंचलन. पहिल पांच मिनट त तांगड़े उनकरा पहचान ना सकलन. दुनो लोग के भेंट भइला बहुते बखत हो गइल रहे. लइकी के बाऊजी फेरु से आपन परिचय देलन. तांगड़े के बतइलन कि बियाह करे से पहिले ऊ आपन बेटी के ग्रेजुएट होखे के इंतजारी कइलन. लइकी के राजी भइला के बादे लइका तय भइल. तांगड़े के उनकर काम खातिर बहुते धन्यबाद कइलन आउर उनकरा के एगो भेंट देहलन.

आज पहिल बेर, तांगड़े के बियाह के नेवता मिलल रहे.

कहानी में पहचान छुपावे खातिर लरिकन आउर उनकर रिस्तेदार लोग के नाम बदल देहल गइल बा.

थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन के मदद से कहानी तइयार कइल गइल बा. सामग्री के पूरा जिम्मेवारी लेखक आउर प्रकाशक के हवे.

अनुवादक: स्वर्ण कांता

Parth M.N.

पार्थ एम एन, साल 2017 के पारी फ़ेलो हैं और एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर विविध न्यूज़ वेबसाइटों के लिए रिपोर्टिंग करते हैं. उन्हें क्रिकेट खेलना और घूमना पसंद है.

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Editor : Sarbajaya Bhattacharya

सर्वजया भट्टाचार्य, पारी के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम करती हैं. वह एक अनुभवी बांग्ला अनुवादक हैं. कोलकाता की रहने वाली सर्वजया शहर के इतिहास और यात्रा साहित्य में दिलचस्पी रखती हैं.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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