দেশের কৃষি সংকট ও সংশ্লিষ্ট বিষয় নিয়ে আলোচনার জন্য ২১ দিনের একটি বিশেষ সংসদীয় অধিবেশন আশু প্রয়োজন। ২৯ ও ৩০শে নভেম্বর, ২০১৮ তারিখে সারা দেশ থেকে কৃষকরা নতুন দিল্লির বিশাল জনসমাবেশে নিজেদের দাবিদাওয়া নিয়ে হাজির হবেন। অখিল ভারত কিষান সংঘর্ষ সমন্বয় কমিটির আহ্বানে ২৯শে নভেম্বর তাঁদের অনেকেই দিল্লির উপকণ্ঠ থেকে প্রায় ১৫-২০ কিলোমিটার পথ পায়ে হেঁটে রামলীলা ময়দানে সমবেত হবেন এবং তারপর ৩০শে নভেম্বর তাঁরা মিছিল করে এগোবেন সংসদের দিকে। এই তিন সপ্তাহ ব্যাপী বিশেষ সংসদীয় অধিবেশন কেনই বা দরকার? কারণটা জানা যাক….

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বাংলা অনুবাদ : স্মিতা খাটোর

पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.

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Translator : Smita Khator

स्मिता खटोर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए 'ट्रांसलेशंस एडिटर' के तौर पर काम करती हैं. वह अनुवादक (बांग्ला) भी हैं, और भाषा व आर्काइव की दुनिया में लंबे समय से सक्रिय हैं. वह मूलतः पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले से ताल्लुक़ रखती हैं और फ़िलहाल कोलकाता में रहती हैं, और महिलाओं की समस्याओं व श्रम से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं.

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