जयशिंता बांदा, किल्लाबंदर गांव में अपने ओसारे पर बैठकर मछली पकड़ने का जाल बुन रही हैं। यह गांव मुंबई शहर के उत्तर में 16वीं शताब्दी में निर्मित वसई किले की सीमा पर स्थित है। इनका संबंध मछुआरों के परिवार से है, जो अपना जाल खुद बनाते हैं। “इसे बनाने में एक महीने का समय लगता है,” वह बताती हैं। जयशिंता के पति और दो बेटे नाव से मछली पकड़ने निकल जाते हैं, उनकी दो बेटियां अपनी नौकरी के लिए मुंबई चली जाती हैं, और वह अपने सभी घरेलू कामों को पूरा करने के बाद जाल बुनती हैं।

हिंदी अनुवाद: मोहम्मद क़मर तबरेज़

Samyukta Shastri

संयुक्ता शास्त्री पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (पारी) की सामग्री समन्वयक हैं. उनके पास सिंबायोसिस सेंटर फॉर मीडिया ऐंड कम्युनिकेशन, पुणे से मीडिया स्टडीज में स्नातक, तथा मुंबई के एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री है.

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Translator : Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।

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