कोचरे गांव में रहे वाला संतोष हलदणकर के हापुस (अल्फांसो) आम के 500 गाछ वाला बगइचा बंजर हो गइल. कबो इहंवा फल आउर वनस्पति खूब फलत-फूलत रहे.

बेमौसम बरसात आउर तापमान में अचानक हेर-फेर होखे से महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिला में अल्फांसो के बहुते नुकसान पहुंचल बा. कोल्हापुर आउर सांगली हाट में आम के आमद तेजी से घट रहल बा.

संतोष पछिला दस बरिस से अल्फांसो के खेती करत बाड़न. ऊ बतइले, “पछिला तीन बरिस हमनी खातिर बहुते चुनौती वाला रहे. पहिले गांव से 10-12 गाड़ी आम के, भर के हाट जात रहे. बाकिर आज हालत ई बा कि एके गो गाड़ी जा पावत बा.”

अल्फांसो के गिनती महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग के वेंगुर्ला ब्लॉक में होखे वाला तीन गो महत्वपूर्ण उत्पाद में होखेला. संतोष के हिसाब से एह ब्लॉक में अल्फांसो के बगइचा पर मौसम के अइसन मार पड़ल कि सभ बरबाद हो गइल. एह साल आम के पैदावर, औसत पैदावार के तुलना में दसो प्रतिशत ना भइल.

स्वरा हलदणकर किसान बाड़ी. उनकर कहनाम बा, “पछिला 2-3 बरिस में जलवायु में परिवर्तन चलते बहुते नुकसान भइल बा.” उनकर इशारा मौसम के नयका कीट के बढ़ रहल हमला ओरी बा. थ्रिप्स आउर जैसिड (मैंगो हार्पर) आम के फसल बरबाद कर देले बा.

किसान नीलेश परब एग्रीकल्चर में स्नातक कइले बाड़न. ऊ आम पर थ्रिप्स के असर के जाने के कोसिस कर रहल बाड़न. आपन शोध में उनकरा पता चलल कि “एकरा पर कवनो तरह के कीटनाशक असर नइखे करत.”

आम के खेती में अब नफा कम, नुकसान जादे हो गइल बा. पैदावार में भारी कमी देख के संतोष आउर स्वरा जइसन किसान लोग के माथ पर बल पड़ल बा. ऊ लोग नइखे चाहत कि उनकर लरिका लोग भी इहे काम करो. स्वरा कहली, “बाजार में आम के दाम नइखे. दलाल हमनी के धोखा देवेला. आउर एकरा बाद कमरतोड़ मिहनत के बाद जे मुट्ठी भर कमाई हाथ में आवेला, ऊ कीटनाशक आउर मजूरी लील जाला.”

फिलिम देखीं: का आम खत्म हो जाई?

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Jaysing Chavan

জয়সিং চভন কোলাপুর-কেন্দ্রিক ফ্রিলান্স ফটোগ্রাফার ও চিত্রনির্মাতা।

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Text Editor : Siddhita Sonavane

সিদ্ধিতা সোনাভানে একজন সাংবাদিক ও পিপলস আর্কাইভ অফ রুরাল ইন্ডিয়ার কন্টেন্ট সম্পাদক। তিনি ২০২২ সালে মুম্বইয়ের এসএনডিটি উইমেনস্ ইউনিভার্সিটি থেকে স্নাতকোত্তর হওয়ার পর সেখানেই ইংরেজি বিভাগে ভিজিটিং ফ্যাকাল্টি হিসেবে যুক্ত আছেন।

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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