सहरिया आदिवासी गुट्टी सामान्य ला जेन बखत मध्य प्रदेश वन विभाग डहर ले ‘चीता मित्र’ (चितवा धन चितरी बघवा के मितान) के रूप मं रखे गे गे रहिस, त वोला कहे गे रहिस के “गर तुमन चितवा मन ला देखहू त रेंजर ला येकर जानकारी दिहू.”

ये भारी महत्तम काम लगत रहिस, भलेच येकर सेती कऊनो पइसा नई नई देगे जावत रहिस. आखिर मं, अफ्रीकी चितवा 8,000 किमी दूरिहा, समंदर अऊ देश ला पर करत कार्गो अऊ सेना के बिमान अऊ हेलीकॉप्टर मन मं कूनो राष्ट्रीय उद्यान मं आवत रहिन. भारत सरकार ह वो मन ला लाय मं बेहिसाब बिदेसी पइसा खरचा करत रहिस, अऊ वो मन ला लाके के रखे बर अपन खजाना खाली करत रहिस.

चीता मित्र के काम वो मन ला सिकारी मन ले बचा के रखे, अऊ गाँव के घर-कोठा मं भटक के नुकसान करे ले बगियाय लोगन मन ले घलो बचाय रहिस. करीबन 400-500 मित्र, सब्बो वनवासी, किसान अऊ बनिहार, कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के सरहद ले लगे नवा बस्ती अऊ गाँव मं रहत हवंय जऊन मन देस के सेवा करे तियार रहिन.

फेर जब ले चितवा आय हवंय, वो मनपिंजरा मं बंद बनेच बखत गुजारे हवंय. कुनो के जंगल मन ला रुंध देय गे हे जेकर ले वो मन भितरीच मं रहंय अऊ लोगन मन बहिर मं रहेंव. हमन ला भीतरी मं जाय के इजाजत नई ये. सेसईपुरा अऊ बागचा मं नवा गेट बनाय गे हे, सिरिनिवास आदिवासी कहिथे जऊन ह चीता मित्र बने सेती दसखत करे रहिस.

Left: The new gate at Peepalbowdi .
PHOTO • Priti David
Right: The Kuno river runs through the national park, and the cheetah establishment where visitors are not allowed, is on the other side of the river
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डेरी: पीपलबौड़ी मं नवा गेट. जउनि: कुनो नदिया राष्ट्रीय उद्यान से होके बोहाथे, अऊ चितवा के ठीहा मं जिहां जाय के इजाजत नई ये, नदिया के दूसर डहर हवय

Gathering firewood (left) and other minor forest produce is now a game of hide and seek with the forest guards as new fences (right) have come up
PHOTO • Priti David
Gathering firewood (left) and other minor forest produce is now a game of hide and seek with the forest guards as new fences (right) have come up
PHOTO • Priti David

जलावन (डेरी) अऊ जंगल के उपज ला संकेले बर अब फारेस्ट गार्ड मन ले लुका के जाय ला परथे काबर के नवा वाड़ा (जउनि) लगा दे गे हवय

गुट्टी अऊ हजारों दीगर सहरिया आदिवासी अऊ दलित, कभू कुनो के जंगल मं बूंदी बघवा (तेंदुआ) अऊ कतको जंगली जानवर मन के संग रहत रहिन. जून 2023 मं वो मन पार्क के बगचा गाँव के आखिरी बासिंदा मन ले रहिन, जेन मन ला हाई-प्रोफाइल चीता परियोजना सेती 13 कोस दूरिहा ले जाय गे रहिस. अब चितवा मन के सेती अपन घर बार खोय के आठ महिना बाद, वो ह ये बात ले थोकन रिसाय हवय के वोला जंगल ले बहिर काबर रखे गे हे. “गर मंय जंगल ले अतका दूरिहा रहिथों त मंय चिता मित्र कइसने बन सकत हों?” वो ह सवाल करथे.

भारी सुरच्छा अऊ गोपन रखे सेती कऊनो घलो आदिवासी बर चितवा ला एक नजर देखे घलो सम्भव नो हे . गुट्टी अऊ  सिरिनिवास दूनों कहिथें;  “हमन सिरिफ एक ठन वीडियो मं चितवा ले देखे हवन.” येला वन विभाग ह दिखाय रहिस.

फरवरी 2024 मं सितंबर 2022 तक आठ चितवा के पहिली खेप आय के 16 महिना होगे हवय, येकर बाद 20 23 मं 12 ठन चितवा के दूसर खेप आइस. लाय गे सात ठन चितवा मर गीन, संग मं इहाँ जन्मे 10 ठन ले तीन ठन मर गीन – अब तक ले 10 ठन चितवा मर चुके हवंय.

कार्य योजना मं कहे गे हवय के चिंता के कऊनो बात नो हे काबर के परियोजना के सफल होय के मापदंड के दर  50 फीसदी के जींयत रहे जरूरी आय. फेर ये ह अजाद रहेइय्या चितवा मन के सेती आय, येती कुनो मं चितवा मन 50 गुना 50 मीटर अऊ 0.5 गुना 1.5 वर्ग किलोमीटर के बोमास (बाड़ा) मं रखे गे हवंय. ये बाड़ा मं अकेल्ला रहत अपन आप ला इहाँ के मऊसम मं ढाले के काबिल बनाना आय. कऊनो बीमारी ले उबरे अऊ शिकार कर सकय घलो आय- ये सब्बो मं अंदाजन लागत 15 करोड़ रुपिया आय हवय. वो मन जंगल मं रहे, गुजारे, जनम करे अऊ सिकार करे मं जियादा बखत नई गुजरे हवंय फेर ये परियोजना के सबले बड़े उद्देश्य इहीच आय.

येकर उलट, चितवा ये बखत बाड़ा मं सिकार करत हवंय. वइसे, “वो मन इलाका बनाय नई सके हवंय अऊ जनम करे सुरु नई करे सके हवंय. दक्षिण अफ़्रीकी माई चितवा करा एंर्रा के संग बखत गुजारे के भरपूर बखत नई ये. कुनो मं जन्मे सात ठन चितवा पिला मन ले छै ठन के एकेच ददा पवन आय,” डॉ. एड्रियन टॉर्डिफ़ कहिथें. वो ह दक्षिण अफ़्रीका के एक झिन माहिर पशुचिकित्सक आंय, जेन ह प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख सदस्य रहिन, मुंह मं बोले सेती वो ह अकेल्ला परगे अऊ आखिर मं प्रोजेक्ट ले हटा देय गीस.

A map of the soft release enclosures (left) for the cheetahs and quarantine bomas (right)
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023
A map of the soft release enclosures (left) for the cheetahs and quarantine bomas (right)
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023

जऊन इलाका मं चितवा मन ला घेरा बनके रखे गे हवय ओकर नक्सा (डेरी) अऊ अलग रखे सेती बनाय गे बाड़ा (जउनि)

कुनो, जेन ह एक बखत 350 वर्ग किमी के नान कन अभयारण्य रहिस, ओकर दायरा ला दुगुना करके राष्ट्रीय उद्यान बना देय गीस जेकर ले ये जंगली जानवर खुल्ला मं सिकार करे सकंय. साल 1999 के बाद ले 16,000 ले जियादा आदिवासी अऊ दलित लोगन मन ला ये चितवा मन सेती इहाँ ले बदखल करे गे हवय.

“हम बाहर हैं. चीता अंदर [हमन बहिर मं हवन. चितवा भीतरी मं हवंय]!” बागचा के सहरिया आदिवासी मांगीलाल आदिवासी कहिथें. 31 बछर के ये नवा विस्थापित जवान श्योपुर तहसील के चकबामूल्या मं अपन नवा खेत अऊ घर ला फिर ले बनाय मं जुटे हवय.

गुट्टी, सिरिनिवास अऊ मांगीलाल सहरिया आदिवासी आंय, जेन मन ला मध्य प्रदेश मं विशेष रूप ले कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के रूप मं रखे गे हवय,  अऊ ये मन राल, जलावन लकरी, कंद-मूल अऊ जड़ी-बूटी ले आमदनी सेती जंगल के भरोसा मं सबले जियादा हवंय.

“बागचा मं [जिहां ले वो मन ला बहिर बसाय गे रहिस] हमन जंगल जावत रहेन. मांगीलाल कहिथे,” मंय अपन 1,500 ले जियादा चिर गोंद [राल] के रुख ला छोड़े हंव जेकर ऊपर पुरखा ले मोर परिवार के हक रहिस.” पढ़व: कूनो मं; चितवा भीतर, आदिवासी बहिर. अब वो अऊ ओकर गांव अपन रुख ले 10-12 कोस दूरिहा हवय; वो अपन जंगल मं जाय घलो नई सकंय. वो मन ला अपन दुनिया ले बहिर खदेड़ दे गे हवय.

मांगीलाल कहिथे, “हमन ला बताय गे रहिस के हमन ला [आज जगा बसे सेती] 15 लाख रूपिया मिलही, फेर हमन ला घर बनाय सेती सिरिफ तीन लाख रूपिया. रासन-पानी बर 75,000, अऊ बीजा–खातू सेती 20,000 रूपिया मिलिस.” वन विभाग के बनाय विस्थापन समिति ह वो मन ला बताय हवय के बांचे रकम 12 लाख ले जियादा –नौ बीघा (करीबन तीन एकड़ ) जमीन, बिजली, सड़क, पानी अऊ साफ-सफाई मं खरचा करे गे हे.

बल्लू आदिवासी नवा बसाय गे बगचा गाँव के पटेल (मुखिया) आय – बसाय के लोगन मन चाहत हवंय के जुन्ना नांव चलत रहय. जड़कल्ला के संझा के धुंधला उजियार मं वो ह बनाय के मलबा, करिया तिरपाल के तंबू अऊ ठंडा हवा मं उड़िहावत प्लास्टिक के पन्नी मन ला देखत हवय. श्योपुर शहर के भीड़ भड़क्का वाले सड़क ले लगे आधा अधूरा ईंटा अऊ सीमेंट के घर बगरे बसे हवंय. वो ह कहिथे, “हमर करा अपन घर मन ला पूरा करके बनाय धन अपन खेत मन मं नहर अऊ उतरोल बनाय बर पइसा नई ये.”

The residents of Bagcha moved to their new home in mid-2023. They say they have not received their full compensation and are struggling to build their homes and farm their new fields
PHOTO • Priti David
The residents of Bagcha moved to their new home in mid-2023. They say they have not received their full compensation and are struggling to build their homes and farm their new fields
PHOTO • Priti David

बागचा के बासिंदा 2023 के मंझा मं अपन नवा घर मं चले गीन. ओकर मनके कहना आय के वो मन ला अपन पूरा मुआवजा मिले नई ये अऊ वो मन अपन घर बनाय अऊ अपन नवा खेत मं खेती करे बर जूझत हवंय

'We don’t have money to complete our homes or establish our fields with channels and slopes,' says headman, Ballu Adivasi
PHOTO • Priti David
'We don’t have money to complete our homes or establish our fields with channels and slopes,' says headman, Ballu Adivasi
PHOTO • Priti David

पटेल, बल्लू आदिवासी कहिथे, ‘हमर करा अपन घर मन ला पूरा करके बनाय धन अपन खेत मन मं नहर अऊ उतरोल बनाय बर पइसा नई ये’

“तुमन जेन ला देखत हव, वो हमर लगाय फसल नो हे. हमन ला इहाँ के लकठा के लोगन मन ला अधिया मं जमीन ला देय ला परिस. वो मन जेन पइसा दे रहिन, हमन वो पइसा ले बोये नई सकेन,” बल्लू कहिथे. वो ह ये घलो बताथे के ओकर मन के जमीन ऊंच जात के लोगन मन के गाँव जइसने बढ़िया जोत अऊ सम जमीन जइसने नई ये.

जब पारी ह साल 2022 मं बल्लू ले भेंट घाट करे रहिस त वो ह बताय रहिस के जऊन लोगन मन ला बसाय गेय रहिन वो मन अभू घलो सरकार के 20 बछर पहिली करे गे वादा ला अगोरत हवंय. हमन तऊन हालत मं नई फंसे ला चाहत हवन. वो ह तब कहे रहिस के बसाय के विरोध करत कहे रहिस. पढ़व : कुनो पार्क – 23 बछर ले जंगल के राजा ला अगोरत

फेर ये बखत वो अऊ दीगर लोगन मन संग इहीच होवत हवय.

“जब वो चाहत रहिन के हमन कुनो ला छोड़ देवन. त फटा फट [ तुरते] वो मन हमर मांग ला मन लेवत रहिन. गर अब हमन ओकर मन ले पूछथन त वो मन मुकर जाथें,” गुट्टी सामान्य कहिथे, भलेच वोला चीता मित्र के दरजा हासिल हवय.

*****

सब्बो आदिवासी मन के चले जाय के बाद 748 वर्ग किमी मं बगरे राष्ट्रीय उद्यान अब सिरिफ चितवा के ठीहा हवय. अइसने दुब्भर सुविधा ला देख के भारत के संरक्षणवादी मन घलो हैरान हवंय. ओकर मन के कहना आय के ये ह गंगा डॉल्फिन, सोन चिरेइय्या, समुद्री कछुवा, एशियाई शेर, तिब्बती हिरन अऊ दीगर कतको देसी जीव –जन्तु जऊन ह “भारी नंदावत जावत हें...अऊ हमर प्राथमिकता में हवंय. वन्यजीव कार्य योजना 2017-2031 मं ये ह साफ लिखे गे हवय. चितवा वो मन के प्राथमिकता मं नई ये.

कुनो मं चितवा लाये सेती सरकार ला कतको कानून अऊ कूटनीतिक बाधा ले गुजरे ला परिस. साल 2013 मं सुप्रीम कोर्ट ह अपन एक ठन आदेश मं नंदाय एशियाई चीते (एसीनोनिक्स जुबेटस वेनाटिकस) के जगा मं अफ्रीकी चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) लाय के योजना ला “रद्द” कर देय रहिस.

फेर जनवरी 2020 मं, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) डहर ले करे गे एक ठन अरजी मं सुप्रीम कोर्ट ह कहिस के चितवा ला प्रायोगिक आधार ले लाये जा सकथे. ये मं ये घलो कहे गे हवय के एनटीसीए अकेल्ला ये योजना के काम ला लेके फइसला नई करे सकय, वोला विशेषज्ञ समिति के बताय मुताबिक चले ला परही.

The cheetahs came in special chartered flights and were moved in to Kuno in Indian Air Force helicopters
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023
The cheetahs came in special chartered flights and were moved in to Kuno in Indian Air Force helicopters
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023

चितवा मन ला खास किसम के चार्टर्ड बिमान ले लाय गीस अऊ वो मन ला सेना के हेलीकॉप्टर ले कुनो लाय गीस

करीबन 10 झिन के उच्च स्तरीय परियोजना चीता संचालन समिति के गठन करे गे रहिस. फेर वैज्ञानिक टॉर्डिफ़ जऊन ह समिति के सदस्य रहिस, कहिथे, “मोला कभू घलो [बइठका मं] बलाय नई गीस.” पारी ह चीता परियोजना मं सामिल कतको विशेषज्ञ मन ले बात करिस, जेन मन कहिन के ओकर मन के सलाह ला सरलग नजरंदाज करे गीस अऊ “सबले ऊपर बइठे लोगन मन ला कऊनो जानकारी नई रहिस, फेर वो मन हमन ला आजादी ले काम घलो करे नई देवत रहिन.” फेर ये बात साफ रहिस के ऊपर मं बइठे कऊनो मइनखे ह ये चाहत रहिस के परियोजना ह कम से कम सफल होवत दिखय येकरे सेती कऊनो घलो “नकारात्मक” खबर ला दबाय के कोसिस करे जावत रहिस.

सुप्रीम कोर्ट के एक ठन फइसला के संग चीता परियोजना के काम ह तेजी ले सुरु होगे. सितंबर 2022 मं, प्रधान मंत्री ह येला संरक्षण के जीत के दावा करिस अऊ लाय गेय चितवा मन ला छोड़े के संग कुनो मं अपन 72 वां जन्मदिन मनाय रहिस.

संरक्षण सेती प्रधान मंत्री के ये उछाह ला येकरे सेती घलो विरोधाभासी समझे गीस काबर के साल 2000 के सुरु के दसक मं जब वो ह हजरत के मुख्यमंत्री रहिस वो ह ‘गुजरात के गौरव ’ कहेइय्या शेर मन ला बहिर ले जाय के इजाजत नई दीस. ये ह सुप्रीम कोर्ट के तऊन आदेस के बाद घलो होईस, जेन मं एशियाई शेर मन ला बिपत मं परे नंदावत जावत प्रजाति (इन्टरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ़ नेचर) आईयूसीएन के रेड लिस्ट मं शामिल करे गे हवय.

दू दसक बाद घलो ये शेर मन भारी खतरा ले जूझत हवंय अऊ वो मन ला बचाय के जरूरत हवय. ये बखत गिनती के  एशियाई शेर (पैंथेरा लिओस्प पर्सिका) बांचे हवंय अऊ ये सब्बो गुजरात के प्रायद्वीप के इलाका सौराष्ट्र मं रहिथें. ये शेर मन ला बचाय सेती कुनो लाय ला रहिस. अऊ ये संरक्षण के योजना राजनीति ले नई विज्ञान ले प्रेरित रहिस.

चितवा ला लेके सरकार के अतक जोर रहिस के भारत ह नामीबिया ला खुश करे बर हाथीदांत के बिक्री के खिलाफ अपन नीति ला नरम कर दीस. कुनो मं चितवा के दूसर खेप नामीबिया ले आय रहिस. हमर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972, धारा 49बी, मं हाथी दांत के कऊनो कारोबार, इहाँ तक ले आयात ऊपर घलो रोक हवय. नामीबिया हाथी दांत निर्यातक देश आय अऊ येकरे सेती भारत ह साल 2022 मं नंदावत जावत वन्य जीव अऊ वनस्पति के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन (सीआईटीइएस) के पनामा सम्मेलन मं होय वोटिंग मं वोट नई डारिस.

Prime Minister Narendra Modi released the first cheetah into Kuno on his birthday on September 17, 2022
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ह 17 सितंबर, 2022 मं अपन जन्मदिन मं कुनो मं पहिला चीता छोड़े रहिस

सब्बो आदिवासी मन के चले जाय के बाद 748 वर्ग किमी मं बगरे राष्ट्रीय उद्यान  अब सिरिफ चितवा के ठीहा हवय. फेर हमर राष्ट्रीय संरक्षण भारी नंदावत जावत गंगा डॉल्फिन, सोन चिरेइय्या, समुद्री कछुवा, एशियाई शेर, तिब्बती हिरन अऊ दीगर कतको देसी जीव -जन्तु सेती होय ला चाही, बहिर ले लाय चितवा सेती नई

येती बगचा मं मांगीलाल कहिथें के चितवा ओकर दिमाग मं नई ये – ओकर चिंता अपन छै परानी के परिवार सेती रासन-पानी अऊ जलावन लकरी हवत. “:हमन सिरिफ खेती के भरोसा मं जिनगी गुजारे नई सकन.” वो ह जोर लगाके कहिथे. कुनो के भीतरी अपन घर मं वो ह बाजरा, जुवार, जोंधरा, दार अऊ साग भाजी कमावत रहिस. “ये जमीन धान सेती बढ़िया हवय, फेर जमीन ला बनाय महंगा हवय अऊ हमर करा पइसा नई ये.”

सिरिनिवास के कहना आय के वोला बूता-काम करे बर जयपुर जाय ला परही. “इहाँ हमर बत कऊनो काम बूता नई ये, अऊ अब कऊनो कमाई नई ये काबर के जंगल बंद होगे हवय,” तीन लइका के ददा कहिथे, जेकर सबले छोटे बेटा सिरिफ आठ महिना के हवय.

पर्यावरण, वन अऊ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के नवंबर 2021 मं जारी भारत मं चीता कार्य योजना मं इहाँ के बासिंदा मन ला नऊकरी दे जाय के जिकर करे गे रहिस. फेर चितवा के चीता देखभाल अऊ पर्यटन ले जुरे कुछेक सौ नौकरी के छोड़, कऊनो घलो इहाँ के बासिंदा ला येकर फायदा नई मिलिस.

*****

पहिली शेर अऊ अब चितवा, राज अऊ देश के राजनीति अऊ नेता मन के चेहरा ला बनाय मं महत्तम भूमका निभावत हवय. संरक्षण के उद्देश्य ह सिरिफ दिखावा भर आय.

चीता एक्शन प्लान 44 पेज के एक ठन दस्तावेज़ आय,जेकर जरिया ले देश के जम्मो संरक्षण नीति ला चितवा के गोड़ तरी मं राख दे हवय. एक्शन प्लान कहिथे के ये परियोजना के जरिया ले कांदी के जंगल ला फिर ले जिनगी मिल जाही...करिया हिरन के जिनगी बांचही...जंगल मं मइनखे के दखल खतम हो जाही...’अऊ पर्यावरन –पर्यटन अऊ देश के वैश्विक नजरिया ला प्रोत्साहन मिलही- चितवा मन ला बचाय के कोसिस सेती दुनिया ह भारत ला ये काम मं अपन योगदान देवेइय्या देश के रूप मं देखही.

ये परियोजना सेती पइसा के जुगाड़ एनटीसीए, एमओईएफसीसी अऊ सार्वजनिक क्षेत्र इंडियनऑयल के कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) डहर ले मिले करीबन 195 करोड़ रूपिया के बजट (2021) ले करे गे हवय. सोचे के बात ये आय के अबत तक ले कऊनो दीगर जीव-जन्तु धन चिरई-चिरगुन सेती अतक बड़े बजट मिले नई ये.

ये कइसने बात आय के केंद्र के सरकार के अतक भारी चेत ह चीता परियोजना ला खतरा मं डार दे हवय. “राज सरकार ऊपर भरोसा करे के छोड़, भारत सरकार के अफसर मन ये परियोजना ला दिल्ली ले चलाय के रद्दा अपनाइन. येकरे सेती कतको समस्या बिन सुलझे जस के तस हवंय,” जे.एस. चौहान कहिथे.

जब चितवा मन आय रहिन वो बखत वो ह मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव संरक्षक रहिस. “मंय वो मन ले बिनती करेंव के हमर करा केएनपी मं 20 ले जियादा चितवा मन बर भरपूर जगा नई ये अऊ हमन ला कूछु जानवर मन ला चितवा एक्शन मं प्लान चिन्हारी करे गे जगा मं भेजे के इजाजत दे जाय.” चौहान मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व [परोसी राजस्थान मं] के डहर आरो करत रहिस जेन मं 759 वर्ग किमी के जंगल हवय.

The hundreds of square kilometres of the national park is now exclusively for the African cheetahs. Radio collars help keep track of the cat's movements
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023
The hundreds of square kilometres of the national park is now exclusively for the African cheetahs. Radio collars help keep track of the cat's movements
PHOTO • Photo courtesy: Adrian Tordiffe

राष्ट्रीय उद्यान के सैकड़ों वर्ग किलोमीटर इलाका अब खास करके अफ्रीकी चितवा मन बर हवय. रेडियो कॉलर ले चितवा ऊपर नजर रखे मं मदद मिलथे

भारतीय वन सेवा के एक झिन रिटायर अफसर चौहान के कहना आय के वो ह कतको चिठ्ठी लिख के एनटीसीए के सदस्य सचिव एस.पी. यादव ले “चितवा मन के जरूरत के मुताबिक उचित फइसला लेगे के” बिनती करिस, फेर कऊनो जुवाब नई मिलिस अऊ जुलाई 2023 मं वोला ओकर पद ले हटा देय गीस. कुछु महिना बाद वो ह रिटायर हो गीस.

परियोजना चलेइय्या मन ला सफ्फा-सफ्फा कहे गे रहिस के ये नोहर चितवा मन ला विपक्षी कांग्रेस सरकार के चले राज (राजस्थान) मं भेजे संभव नई ये. “कम से कम चुनाव होय [नवंबर अऊ दिसंबर 2023] तक त नई.”

चितवा के हित ककरो प्राथमिकता मं नई रहिस.

“हमन अतक सिधवा रहेन के हमन ये समझ लेन के ये ह एक ठन सधारन संरक्षण परियोजना आय,” टॉर्डिफ़ बिना ककरो डहर होय कहिथे. वो ला लगत हवय के अब ये परियोजना ले वोला दूरी बना लेय ला चाही. “हमन येकर राजनीतिक असर के अंदाजा नई लगाय सकेन.” ओकर कहना आय के वो ह चितवा मन ला दीगर जगा ले जाय के कतको परियोजना मं काम करे हवंय, फेर ओकर मंसूबा सिरिफ संरक्षण रहिस. वो परियोजना के नाता-गोता कऊनो राजनीतिक उठा-पटक ले नई रहिस.

दिसंबर मं मध्य प्रदेश मं भारतीय जनता पार्टी के फिर ले सत्ता मं आय के बाद, एक ठन प्रेस विज्ञप्ति जारी करे गीस जेन मं कहे गे हवय के  मध्य प्रदेश मं गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (बघवा अभयारण्य नईं) ला चितवा मन ला लाय सेती बनाय जाही.

फेर चितवा मन के तीसर खेप कहां ले आही ये ह साफ नई ये, काबर के दक्षिण अफ्रीका जियादा जानवर भेजे मं जल्दीबाजी नई करत हवय, काबर के ओकर सरकार ला उहाँ के संरक्षणवादी मन  फटकार लगाय हवंय जेन मन ये पूछत हवंय के चितवा मन ला भारत मं मरे बर काबर पठोय जावत हे. अपन पहिचान उजागर नई करेइय्या एक झिन विशेषज्ञ के कहना आय के, “सुने मं आवत हवय के केन्या ले येकर बर कहे गे रहिस फेर केन्या मं चितवा मन के अबादी घटत हवय.”

*****

“जंगल में मंगल हो गया,” मांगीलाल मजाक करत कहिथे.

एक सफ़ारी पार्क ला जंगली चितवा के जरूरत नई ये, पिंजरा मं बद चितवा मन ले घलो काम चल जाही.

ये चितवा मन के पाछू सरकार के जम्मो महकमा लगे हवय - पशु चिकित्सक मन के मंडली, नवा अस्पताल, 50 ले जियादा खोजी दल, कैंपर वैन के 15 ड्राइवर, 100 झिन फारेस्ट गार्ड, वायरलेस ऑपरेटर, इन्फ्रा-रेड कैमरा ऑपरेटर अऊ इहाँ तक ले खास पहुना मन के सेती एक ले जियादा हेलीपैड घलो. ये सुविधा त पार्क के भीतरी के आय. सरहदी इलाका मं गार्ड अऊ रेंजर मन के बड़े दल अलग ले तैनात हवय.

चितवा मन ला रेडियो कॉलर लगा दे गे हवय, जेकर ले नजर रखे जा सके. जंगल मं होके घलो वो मन जंगल मं नई यें, येकरे सेती लोगन मन ला नजर नई आवत हवंय. चितवा मन के आय ले इहाँ के बासिंदा मन मं कऊनो उछाह नई रहिस. काबर के चितवा मन के आय के कुछेक हफ्ता पहिली बंदूख धरे गार्ड मन, खोजी अल्सेशियन कुकुर धरे केएनपी के सरहद ले लगे वो मन के गांव मं आय रहिन. वर्दी के धौंस अऊ खोजी चबकहा कुकुर के डर दिखावत वो मन लोगन मन ला चेतावत रहंय के गर कऊनो चितवा मन के संग कऊनो उपद्रव करहीं त खोजी कुकुर वो मन ला बास ले खोज निकारहीं अऊ मारे बर वो मन के ऊपर कुकुर ला छोड़ देय जाही.

Kuno was chosen from among many national parks to bring the cheetahs because it had adequate prey like chitals ( Axis axis ) (right)
PHOTO • Priti David
Kuno was chosen from among many national parks to bring the cheetahs because it had adequate prey like chitals ( Axis axis ) (right)
PHOTO • Priti David

चितवा मन ला इहाँ बसाय के पहिली कतको राष्ट्रीय उद्यान मन ले कुनो ला चुने गीस काबर के इहाँ सिकार सेती चीतल जइसने भरपूर जानवर हवंय (जउनि)

इंट्रोडक्शन आफ चीता इन इंडिया के सलाना रिपोर्ट 2023 मं कहेगे हवय के कउनो ला “भरपूर सिकार” सेती छांटे गे रहिस. फेर ये बात ह गलत रहिस धन सरकार ह ये बाबत कऊनो  खतरा मोल नई लेगे ला चाहत रहिस. मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) असीम श्रीवास्तव ह ये रिपोर्टर ला बताइस, हमन ला केएनपी मं सिकार के नवा ठीहा बनाय के जरूरत हवय. वो ह जुलाई 2023 मं ये पद ला संभाले हवंय. वो ह कहिथे के चितरी बघवा के आबादी करीबन 100 होगे हवय, अऊ येकर भार सिकार ऊपर परत हवय.

श्रीवास्तव कहिथें, “हमन चीतल ला बढ़ाय बर 100 हेक्टेयर के एक ठन बाड़ा बनावत हवन काबर के बिपत मं सिकार के कमी झन होवय.” श्रीवास्तव ह भारतीय वन सेवा अधिकारी के रूप मं पेंच, कान्हा अऊ बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य मन के देखरेख मं दू दसक ले जियादा बखत गुजारे हवंय.

ये चितवा मन बर पइसा के कऊनो दिक्कत नई ये – हालेच मं जारी रिपोर्ट मं कहे गे हवय, “चीता इंट्रोडक्शन के पहिली चरन मं 39 करोड़ रूपिया [ 50 लाख अमेरिकी डालर]  के बजट पांच बछर सेती हवय.”

संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. रवि चेल्लम चितवा मन ला बसाय के परियोजना ला लेके कहिथें, “ये ह सबले जियादा चर्चित अऊ महंगा परियोजना मन ले एक ठन आय.” ओकर कहना आय के चितवा मन ला बहिर ले सिकार लाय के देय ह गलत परंपरा के सुरवात आय. ये वन्यजीव जीवविज्ञानी कहिथे, “गर बचाय सेती अइसने करे जावत हे त हमन प्राकृतिक प्रक्रिया ला टोरत हवन अऊ येकर खराब असर के अंदाजा लगाय कठिन आय. हमन ला चितवा मन संग जंगली जानवर जइसने बेवहार करे ला चाही.” डॉ. रवि चेल्लम जेन ह शेर मन के अध्ययन करे हवय, अब चीता परियोजना ला चेत धरके देखत हवंय.

वो ह कहिथे,  वो मन ला लंबा बखत तक ले कैद करके अऊ थोकन नान बाड़ा मं सिकार छोड़ के, हमन असल मं  ओकर मन के चुस्ती –फुर्ती ला कम करत हवन, जेकर दूरिहा तक ले असर परही.” चेल्लम ह साल 2022 मं चेताय रहिस : ये कुछु अऊ नईं, बस अपन आप के शेखी बघारे अऊ महंगा सफारी बनाय के जुगत आय. आज ओकर बात सच होवत दिखत हे, चीता सफारी के सुरुवात 17 दिसंबर, 2023 मं पांच दिन के तिहार के संग होय रहिस अऊ  पहिलीच ले रोज के करीबन 100-150 लोगन मन घूमे ला आवत हवंय अऊ कुनो मं एक जीप सफारी सेती 3,000 ले  9,000  रूपिया तक खरचा करत हवंय.

Kuno was cleared of indigenous people to make way for lions in 1999 as Asiatic lions are on the IUCN  Red List  of threatened species
PHOTO • Photo courtesy: Adrian Tordiffe

साल 1999 मं शेर मन ला बसाय सेती कुनो ले आदिवासी मन ला निकार देय गीस. ये एशियाई शेर बिपदा मं परे प्रजाति मन के आईयूसीएन के रेड लिस्ट मं हवंय

नवा होटल अऊ सफ़ारी संचालक मन येकर भरपूर फायदा उठावत हवंय. चीता सफ़ारी के 'इको'रिज़ॉर्ट' मं एक रात गुजारे के दू झिन के खरचा 10,000 ले 18,000 रूपिया तक ले हवय.

येती बागचा के लोगन मन करा पइसा नई ये अऊ वो मन के भविष्य तय नई ये. बल्लू कहिथे, “चितवा के आय ले हमन ला कऊनो फायदा नई होईस. गर वो मन हमन ला 15 लाख रूपिया जम्मो ला दे देय रइतीन, त हमन अपन खेत ला नहर ले जोड़ लेय रइतेन अऊ सम कर लेय रइतेन, अऊ अपन घर बनाय ले रहितेन.” मांगीलाल चिंता करत कहिथे, “हमन कऊनो काम-बूता नई करत हवन, त हमन काय खाबो?”

सहरिया आदिवासी मन के रोज के जिनगी के दीगर हिस्सा मं घलो येकर असर परे हवय. दीपी आठवीं क्लास मं पढ़त रहिस फेर नवा बस्ती मं आय के बाद ले वो ह पढ़ाई छोड़ दे हवय. वो ह कहिथे, “लकठा मं कऊनो स्कूल नई ये.” तीर के स्कूल बनेच दूरिहा मं हवय. नान-नान लइका मन के किस्मत हवय के एक झिन गुरूजी हरेक बिहनिया खुल्ला अकास तरी पढ़ाय ला आथे. कऊनो इमारत नई ये. “फेर वो सब्बो लइका पढ़े ला जरुर आथें,” मांगीलाल मोला अचरज मं परे देखत मुचमुचावत कहिथे. वो ह मोला सुरता कराथे के जनवरी के सुरु मं छुट्टी परत हवय अऊ गुरूजी आज नई आय हवय.

बासिंदा मन बर बोरिंग खने गे हवय, चरों डहर पानी के कतको बड़े टंकी रखाय हवंय. साफ-सफई नई होय सेती माईलोगन मं ला भारी दिक्कत झेले ला परथे. “मोला बतावव हमन [ माईलोगन] ला काय करे ला चाही?” ओमवती कहिथे. वो ह कहिथे, “कऊनो शौचालय नई ये. इहाँ के जमीन ला अइसने साफ करेगे हवय के कऊनो रुख नई ये जेकर आड़ हमन ला मिले. हमन खुल्ला मं धन खेत मं लगे फसल के बीच मं जाय नई सकन.”

The cheetah action plan noted that 40 per cent of revenue from tourism should be ploughed back, but those displaced say they are yet to receive even their final compensation
PHOTO • Priti David
The cheetah action plan noted that 40 per cent of revenue from tourism should be ploughed back, but those displaced say they are yet to receive even their final compensation
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चीता एक्शन प्लान मं कहे गे हवय के पर्यटन ले होय आमदनी के 40 फीसदी हिस्सा इहाँ के लोगन मन के सेती खरच होय ला चाही, फेर कतको विस्थापित मन के कहना आय के वो मन ला अब तक ले अपन आखिरी मुआवजा घलो मिले नई ये

पांच लइका मन के 35 बछर के महतारी के कहना आय के जऊन कांदी अऊ तिरपाल वाले कुरिया मं वो मन अब रहिथें, ओकर छोड़ कतको दिक्कत हवंय: “हमन ला जलावन लकरी सेती बनेच दूरिहा जाय ला परथे. जंगल अब बनेच दूरिहा हवय. हमन अवेइय्या बखत कइसने करबो?” दीगर मन के कहना आय के जब वो मं इहाँ आय रहिस त अपन संग लाय लकरी अऊ खेत के रुख के जरी ले काम चलावत हवंय फेर यह घलो जल्दीच सिरा जाही.

अतकेच नईं, कुनो के चरों डहर लकरी के छोड़ दीगर वं उपज घलो घटत जावत हवय काबर के चीता परियोजना ह नवा बाड़ा लगा दे हवय. अवेइय्या कहिनी मं येकर बारे मं फोर के बताय जाही.

चीता एक्शन प्लान मं कहे गे रहिस के पर्यटन ले होवेइय्या आमदनी के 40 फीसदी हिस्सा इहाँ के समाज मन मं  “विस्थापित लोगन मन बर चीता संरक्षण फाउंडेशन” बनाय जा सकय. हरेक गांव मं चीता ऊपर नजर रखेइय्या मन ला प्रोत्साहन राशि बांटे जा सकय. तीर-तखार के गांव मं सड़क,साफ-सफई, स्कूल अऊ दीगर पर्यावरण-विकास के परियोजना मन ला चलाय जा सकय. फेर डेढ़ बछर गुजर जाय के बाद घलो ये ह सिरिफ कागज मं लिखाय रहिगे हवय.

अइसने हमन कब तक ले जींयत रहिबो? ओमवती आदिवासी पूछथे.

जिल्द फोटू: एड्रियन टॉर्डिफ़

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Editor : P. Sainath

पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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