मध्य प्रदेस वन विभाग जब एगो सहरिया आदिवासी, गुट्टी समन्या के ‘चीता मित्र’ बनइलक, त उनकरा इहे कहल गइल, “चीता देखते,  वन रेंजर के बतावे के होई.”

काम त बहुते जरूरी लागत रहे, भले एकरा खातिर एको पइसा ना मिले के रहे. आखिर अफ्रीका के चीता सभ कइएक देस आउर समुंदर पार करके, 8,000 किमी से दूर मालवाहक विमान, सेना के हवाई जहाज आउर हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क लावल गइल रहे. भारत सरकार ओह लोग के यात्रा पर अफरात बिदेसी पइसा बहइलक. चीता सभ के प्रवास खातिर सरकारी खजाना खाली कइल गइल. अइसे खरचा केतना भइल, एकरा बारे में कबो साफ ना बतावल गइल.

चीता मित्र पर ओह लोग के अवैध शिकारी आउर गांव के गुस्साएल लोग से बचावे के जिम्मेदारी देहल गइल, जेकर घर में चीता कबो भूले-भटके घुस सकत रहे. एहि से, मोटा-मोटी 400-500 चीता मित्र लोग नियुक्त कइल गइल. कूनो-पालपुर नेशनल पार्क (केएनपी) के सीमा से लागल छोट बस्ती आउर गांव में रहे वाला किसान, दिहाड़ी मजूर लोग में से मोटा-मोटी 400 से 500 लोग के देस सेवा खातिर ‘चीता मित्र’ बनावल गइल.

बाकिर जब से चीता सभ देस आइल, कूनो के जंगल में बाड़ लगा देहल गइल. बाड़ लगा के चीता के अंदर रहे आउर बाहिर के लोग भीतरी ना घुसे, एकर पूरा इंतजाम कइल गइल. चीता मित्र श्रीनिवास आदिवासी के कहनाम बा, “हमनी के भीतरी जाए के मनाही बा. सेसईपुर आउर बागचा में एह खातिर नया गेट लगावल गइल बा.”

Left: The new gate at Peepalbowdi .
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Right: The Kuno river runs through the national park, and the cheetah establishment where visitors are not allowed, is on the other side of the river
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बावां: पीपलबावड़ी में बनल नयका गेट. दहिना: इहंवा कूनो नदी नेशनल पार्क से गुजरेली आउर नदी के दोसरा ओरी चीता के बसावट बा, जहंवा बाहरी लोग के आवे के मनाही बा

Gathering firewood (left) and other minor forest produce is now a game of hide and seek with the forest guards as new fences (right) have come up
PHOTO • Priti David
Gathering firewood (left) and other minor forest produce is now a game of hide and seek with the forest guards as new fences (right) have come up
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नयका बाड़ा लगला के बाद गांव के लोग वन रक्षक से लुका-छिपा के जंगल से जलावन (बावां) खातिर लकड़ी आउर दोसर छोट-मोट चीज सभ ले जाला

एगो बखत रहे जब गुट्टी सहित हजारन के तादाद में सहरिया आदिवासी आउर दलित लोग कूनो के जंगल में तेंदुआ आउर दोसर जंगली जनावर संगे शांति से रहत रहे. बाकिर साल 2023 के जून में बागचा गांव के लोग के सुर्खी बटोरे वाला चीता प्रोजेक्ट खातिर इहंवा से बेदखल होके, 40 किलोमीटर दूर जाए के पड़ल. अब बागचा गांव पूरा तरह से खाली हो गइल रहे. गुट्टी एहि रहवासी में से बाड़न. अब चीता चलते आपन घर से दर-बदर भइल गुट्टी के आठ महीना हो गइल होई. ऊ खिसियाइल बाड़न कि उनकरा जंगल में जाए से काहे रोकल जात बा. ऊ पूछत बाड़न, “जदि हम जंगल से एतना दूर रहम, त चीता मित्र कइसे बनम?”

कूनो नेशनल पार्क में चीता सभ के एतना कड़ा सुरक्षा आउर गुप्त तरीका से रखल गइल बा कि कवनो आदिवासी ओह लोग के एक झलक ना देख सके. गुट्टी आउर श्रीनिवास दुनो लोग एक सुर में कहेला, “हमनी के त चीता अब सिरिफ वन विभाग ओरी से जारी वीडियो में ही देखाई देवेला.”

फरवरी 2024 में भारत आइल 8 चीता के पहिल खेप के 16 महीना पूरा हो गइल. सितंबर 2022 में पहिल बेर ऊ लोग के लावल गइल रहे. एकरा बाद साल 2023 में 12 चीता के दोसर खेप आइल रहे. एह में से सात के मौत हो गइल. एकरा अलावे भारत के धरती पर 10 गो नयका शावक में से तीन गो- यानी अबले 10 गो चीता मर गइल.

फिकिर के कवनो बात नइखे, कहनाम बा चीता इंट्रोडक्शन (चीता परिचय) खातिर बनल कार्य योजना के. एकरा अनुसार जदि 50 प्रतिशत चीता सभ भी जिंदा रहल, तबो प्रोजेक्ट सफल कहाई. बाकिर ई पूरा तरीका से खुला में घूमे वाला चीता सभ के हिसाब से बनावल बा, कूनो के चीता सभ के हिसाब से नइखे बनावल गइल. काहेकि कूनो के चीता के 50 x 50 मीटर आउर 0.5 x 1.5 वर्ग किमी के आकार के बोमास (बाड़ा) में रखल गइल बा. ओह लोग के एहि बाड़ा के भीतरी अलग रह के अपना के नया जलवायु के हिसाब से अनुकूल बनावे, बेमारी से लड़े आउर संभवत: शिकार करे खातिर रखल गइल. एह खातिर 15 करोड़ के अनुमानित लागत वाला परियोजना तइयार कइल गइल. परियोजना के असल मकसद चीता सभ के जंगल में निफिकिर घूमे-फिरे, बसे, बच्चा पैदा करे आउर शिकार करे के मौका देवे के रहे. बाकिर अफसोस कि कूनो के चीता इहे सभ से वंचित रह गइल.

एकरा उलट, चीता सभ मौजूदा ठिकाना के सीमित सीमा में शिकार करे खातिर मजबूर बा. अइसे त, “एह तरह से लगभग एक जगह कैद कर देवल गइल चीता आपन इलाका बनावे आउर प्रजनन करे से वंचित हो गइल. अबले कवनो दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता के नर चीता संगे संसर्ग करे के पर्याप्त समय नइखे मिलल. कूनो में जन्मल सात में से छव गो के बाप एके चीता (पवन) बा,” डॉ. एड्रियन टॉर्डिफ के कहनाम बा. दक्षिण अफ्रीका के पशुचिकित्सक चीता प्रोजेक्ट के अहम हिस्सा रह चुकल बाड़न. बाद में आपन बिना लाग-लपेट के बोले के आदत चलते प्रोजेक्ट में किनारे कर देहल गइलन. आखिर में उनकरा प्रोजेक्टे से अलग कर देहल गइल.

A map of the soft release enclosures (left) for the cheetahs and quarantine bomas (right)
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023
A map of the soft release enclosures (left) for the cheetahs and quarantine bomas (right)
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023

चीता के घेराबंदी में रखल गइल जगह के नक्शा (बावां), आउर अलग-थलग करे खातिर बनावल गइल बाड़ा के फोटो (दहिना)

कूनो कबो एगो छोट अभयारण्य होखत रहे. बाद में नेशनल पार्क बनावे खातिर 350 वर्ग किमी वाला एह इलाका के आकार दोगुना कर देहल गइल ताकि जंगली जनावर सभ आराम से खुला में शिकार कर सको. चीता इहंवा खुलाआम घूम सको एह खातिर, साल 1999 के बाद से अबले इहंवा से 16,000 से जादे आदिवासी आउर दलित के जंगल से विस्थापित कइल जा चुकल बा.

“हमनी बाहिर बानी, आउर चीता सभ अंदर,” बागचा से आवे वाला सहरिया आदिवासी, मांगीलाल कहेलन. हाले में विस्थापित भइल 31 बरिस के मांगीलाल श्योपुर तहसील के चकबमूल्या में आपन नयका खेत आउर घर के पूरा तरीका से तइयार करे में जी-जान से लागल बाड़न.

गुट्टी, श्रीनिवास आउर मांगीलाल लोग सहरिया आदिवासी बा. ओह लोग के मध्य प्रदेस में बिशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के दरजा प्राप्त बा. एह समुदाय के लोग आमदनी खातिर लगभग पूरा तरीका से जंगल से मिले वाला राल (गाछ के छाल से निकले वाला गोंद), जलावन के लकड़ी, फल, कंदमूल आउर जड़ी-बूटी पर निर्भर बा.

मांगीलाल बतवलन, “बागचा में (जहंवा से ऊ लोग विस्थापित भइल) हमनी के जंगल में बराबर आन-जान रहे. उहंवा हमार 1,500 से जादे चिर के गाछ छूट गइल जेकरा से गोंद (राल) निकालल जाला. ई हमनी के परिवार के आमदनी के बड़का जरिया रहे. एह गाछ सभ पर पीढ़ियन से हमनी के खानदान के दावा रहे.” पढ़ीं: कूनो: आदिवासी के विस्थापन के कीमत पर चीतन के बसावट . आदिवासी के विस्थापन के कीमत पर चीतन के बसावट. अब त ऊ आउर उनकर नया गांव आपन गाछ सभ से 30 से 35 किमी दूर बा. अब त बाड़ा लगा देवे के चलते ऊ लोग आपन जंगल में घुसियो ऩइखे सकत.

“हमनी के 15 लाख रुपइया (विस्थापन खातिर) मुआवजा देवे के वादा कइल गइल रहे. बाकिर अबले घर बनावे खातिर खाली तीन लाख मिलल, आउर खाद्य़ान्न खातिर 75,000, बिया आउर खाद खातिर 20,000 रुपइया ही मिलल,” मांगीलाल खोल के बतइलन. वन विभाग के बनावल विस्थापन समिति के लोग के हिसाब से, बाकी के बचल 12 लाख रुपइया, नौ बीघा (कोई तीन एकड़) जमीन, बिजली, सड़क, पानी आउर साफ-सफाई पर खरचा खातिर रख लेवल गइल.

बल्लू आदिवासी नयका बनल बागचा गांव के पटेल (मुखिया) बाड़न. विस्थापित लोग के मन रहे कि पुरनके नाम रखल जाव. सरदी के सांझ में उतर रहल रउद (धूप) के बीच उनकर नजर आधा-अधूरा बनल मकान आउर उहंई सीमेंट-बालू के ढेरी, करियर तिरपाल से बनल तंबू आउर ठंडा हवा में फरफरात पिलास्टिक के टुकड़ा सभ पर बा. श्योपुर शहर से गुजरत ब्यस्त हाईवे के संगे-संगे ईंट आउर सीमेंट से आधा बनल घर दूर ले नजर आवत बा. ऊ बतइले, “आपन आधा बनल मकान पूरा करे आउर खेत के समतल करे आउर सिंचाई ला नहर से जोड़े खातिर हमनी लगे पइसा नइखे.”

The residents of Bagcha moved to their new home in mid-2023. They say they have not received their full compensation and are struggling to build their homes and farm their new fields
PHOTO • Priti David
The residents of Bagcha moved to their new home in mid-2023. They say they have not received their full compensation and are struggling to build their homes and farm their new fields
PHOTO • Priti David

बागचा के रहवासी लोग साल 2023 के मध्य में नया बस्ती चल गइल रहे. ओह लोग के शिकायत बा कि मुआवजा अबले पूरा नइखे मिलल. एहि चलते नयका खेत में खेती करे आउर घर बनावे के काम पूरा करे खातिर संघर्ष करे के पड़त बा

'We don’t have money to complete our homes or establish our fields with channels and slopes,' says headman, Ballu Adivasi
PHOTO • Priti David
'We don’t have money to complete our homes or establish our fields with channels and slopes,' says headman, Ballu Adivasi
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बागचा मुखिया बल्लू आदिवासी के कहनाम बा, आपन घर पूरा बनावे, खेत के बराबर करे आउर सिंचाई खातिर नहर से जोड़ेला हमनी लगे पइसा नइखे

बल्लू कहले, “रउआ जे देख रहल बानी, ऊ हमनी के बोवल फसल नइखे. इहंवा लगे के लोग के बटइया (पट्टा) पर खेत देवे के पड़ेला. काहेकि खेती करे खातिर हमनी के जे पइसा मिलल बा, ओह में हमनी फसल बो भी ना सकेनी.” ऊ इहो बतइलन कि ओह लोग के जमीन, गांव (जहंवा ऊ लोग विस्थापन के बाद आके बसल) के बरियार जात के लोग के नीमन से कोड़ल आउर बराबर कइल जमीन के तुलना में कहूं ना ठहरे.

पारी जब बल्लू से साल 2022 में बातचीत कइले रहे, तबे ऊ बतइले रहस कि विस्थापित लोग अबहियो राज्य सरकार के 20 बरिस पहिले कइल गइल वादा पूरा होखे के बाट जोहत बा. “हमनी अइसन स्थिति में नइखी फंसे के चाहत,” ओह घरिया ऊ विस्थापन के विरोध में बोलत रहस. पढ़ीं: 23 बरिस से शेर के बाट जोहत कूनो पार्क

आउर अब उनकरा आउर दोसर लोग संगे उहे हो रहल बा.

चीता मित्र के दरजा मिलला के बावजूद गुट्टी समन्या कहले, “जब ऊ लोग हमनी के कूनो से हटावे के चाहत रहे, ओह घरिया त हमनी जे भी मंगनी, फटाफट मान लेवल गइल. बाकिर अब रउआ कुछो कहीं, ऊ लोग कान नइखे देवत.”

*****

कूनो से अंतिम आदिवासी के निकलला के बाद एकर 748 वर्ग किमी के नेशनल पार्क अब पूरा तरीका से चीता के नाम हो गइल बा. एकरा एगो दुलर्भ विशेषाधिकार कहल जा सकेला. एह पर भारत के संरक्षणवादी लोग हैरान बा. ओह लोग के कहनाम बा कि भारत के वन्यजीव कार्य योजना 2017-2031 के हिसाब से इहंवा गंगा में पाइल जाए वाला डॉल्फिन, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, समुंदरी कछुआ, एशियाई शेर, तिब्बती हिरण आउर दोसर देसी प्रजाति अइसन बा, “जेकरा पर खत्म होखे के जादे खतरा बा... आउर ई सभ बहुते जरूरी प्रजाति सभ बा.”

भारत सरकार के चीता सभ के कूनो लावे के बाद से कइएक कानूनी आउर कूटनीतिक परेशानी झेले के पड़ल. साल 2013 के सुप्रीम कोर्ट के एगो फैसला में भारत से लुप्त हो रहल एशियाई चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस वेनाटिक्स) के जगह पर अफ्रीकी चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) लावे के योजना “रद्द” कर देवल गइल.

बाकिर बाद में, जनवरी 2020 में, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) जब याचिका दायर कइलक, त जवाब में सुप्रीम कोर्ट कहलक कि प्रयोग करे के शर्त पर चीता भारत लावल जा सकेला. सुप्रीम कोर्ट इहो कहलक कि अकेले एनटीसीए एह योजना के संभावना पर फैसला ना करी, बलुक ओकरा विशेषज्ञ समिति के देख-रेख में काम करे के पड़ी.

The cheetahs came in special chartered flights and were moved in to Kuno in Indian Air Force helicopters
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023
The cheetahs came in special chartered flights and were moved in to Kuno in Indian Air Force helicopters
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023

चीता सभ के बिसेष चार्टर्ड उड़ान से भारत लावल गइल रहे. भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर ओह लोग के कूनो उतरलक

मोटा-मोटी 10 सदस्य वाला एगो उच्च स्तरीय ‘प्रोजेक्ट चीता स्टीयरिंग कमिटी’ बनावल गइल. बाकिर वैज्ञानिक टॉर्डिफ, जे ओह कमिटी में रहस, बतइले, “हमरा कबो ना बोलावल (बैठक में) गइल.” पारी चीता प्रोजेक्ट में शामिल कइएक जानकार लोग से बात कइलक. ऊ लोग भी इहे कहलक कि ओह लोग के सलाह लगातार नजरअंदाज कइल गइल. आउर, “शीर्ष पर बइठल लोग के एह सभ के तनिको जानकारी ना रहे, बाकिर हमनी के स्वतंत्र रूप से काम करे भी ना देवल गइल.” अइसन में साफ हो गइल कि कोई ऊपर बइठल आदमी चाहत बा कि ई प्रोजेक्ट सफल होखत दिखे आउर एकरा बारे में कवनो तरहे के उल्टा-सीधा खबर बाहिर ना आवे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसला आवते मौका मिल गइल, आउर चीता प्रोजेक्ट उड़ान भरे लागल. सितंबर 2022 में, प्रधानमंत्री एकरा चीता के संरक्षण के जीत बतइलन. एह खुसी में उनकर 72वां सालगिरह कूनो में मनावल गइल आउर एह मौका पर बिदेस से लावल गइल पहिल चीता कूनो नेशनल पार्क में छोड़ल गइल.

प्रधानमंत्री चीता सभ के बचावे के अभियान के प्रति त बहुते उत्साहित रहलन. बाकिर एकर उलट जब उहां के 2000 के दसक के सुरु में गुजरात के मुख्य मंत्री रहीं, तवन घरिया ‘गुजरात के गौरव ’ कहे जाए वाला गिर के शेर सभ के राज्य से बाहर भेजे से मना कर देले रहीं. जबकि सुप्रीम कोर्ट आपन फैसला में साफ तौर पर कहले रहे कि एशियाई शेर विलुप्त होखे वाला संकटग्रस्त प्रजाति आईयूसीएन (प्रकृति संरक्षण खातिर अंतरराष्ट्रीय संघ) के जारी रेड लिस्ट (खतरा वाला सूची) में शामिल बा.

आज दू दसक बादो शेर सभ गंभीर संकट से गुजर रहल बा. ओह लोग के बचावे आउर संरक्षण करे खातिर दोसर घर के जरूरत बा.  भारत में एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पर्सिका) बस गिनती के बचल बा.  आउर ऊ सभे एके जगह, गुजरात के सौराष्ट्र प्रायद्वीप पर रहेला. ई उहे शेर सभ रहे, जेकरा संरक्षण खातिर कूनो लावल जाए के रहे. आउर ई संरक्षण योजना राजनीति ना, बलुक विज्ञान से प्रेरित रहे.

चीता खातिर सरकार हर तरह के जोर लगइले रहे. भारत, नामीबिया के खुस करे खातिर हाथी दांत के बिक्री के खिलाफ आपन कड़ा रुख छोड़े के तइयार हो गइल. चीता सभ के दोसर खेप नामीबिया से ही आइल रहे. हमनी के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 , धारा 49बी, हाथी दांत के कवनो तरह के ब्यापार, इहंवा ले कि आयात पर भी रोक लगावेला. नामीबिया हाथी दांत के निर्यातक बा. आउर इहे वजह रहे कि भारत पनामी सम्मेलन में हाथी दांत के ब्यावसायिक बिक्री पर रोक लगावे खातिर होखे वाला मतदान से दूर रहल. पनामा सम्मेलन साल 2022 में वन्य जीव आउर वनस्पति सभ के लुप्तप्राय प्रजाति पर भइल अंतरराष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन (सीआईटीईएस) में भइल रहे. एक तरह से ई नामीबिया से आइल एह चीतन सभ के प्रतिदाने रहे.

Prime Minister Narendra Modi released the first cheetah into Kuno on his birthday on September 17, 2022
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 17 सितंबर, 2022 के जन्मदिन के मौका पर पहिल चीता कूनो में छोड़ल गइल रहे

कूनो से अंतिम आदिवासी के निकलला के बाद एकर 748 वर्ग किमी के नेशनल पार्क अब पूरा तरीका से चीता के घर बन गइल बा. बाकिर हमनी के प्राथमिकता गंगा नदी में पाइल जाए वाला डॉल्फिन, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, समुंदरी कछुआ, एशियाई शेर, तिब्बती हिरण आउर दोसर देसी प्रजाति होखे के चाहीं, जे जादे संकट में बा, ना कि बाहिर से लावल गइल चीता

एने बागचा में मांगीलाल के कहनाम बा कि उनकर ध्यान चीता पर नइखे. उनका त एह बात के चिंता लागल बा कि आपन छव लोग के परिवार खातिर ऊ खाना कहंवा से लइहन, जलावन खातिर लकड़ी कहंवा से जुटइहन. ऊ जोर देके कहले, “खाली खेती से हमनी के पेट नइखे भरे वाला.” कूनो में ऊ लोग अपना घरे बाजरा, ज्वार, मकई, दाल आउर तरकारी उगावत रहे. “ई माटी धान के खेती खातिर ठीक बा. बाकिर जमीन के खेती करे लायक बनावल बहुते महंगा बा. हमनी लगे ओतना पइसा नइखे.”

श्रीनिवास के हिसाब से उनकरा अब काम खातिर मजबूरी में जयपुर जाए के पड़ी. तीन गो लइकन के बाप कहले, “इहंवा हमनी खातिर कवनो काम नइखे. जंगल में जाए से रोक लाग जाए चलते अब आमदनी के भी कवनो ठिकाना नइखे रह गइल.” उनकर सबले छोट बच्चा आठ महीना के बा.

पर्यावरण, वन आउर जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) नवंबर 2021 में जब भारत में एक्शन प्लान फॉर चीता इंट्रोडक्शन (चीता परिचय कार्यक्रम) शुरू कइलक, तवन घरिया एह योजना में गांव के लोग के रोजगार के भी जिकिर कइल गइल रहे. बाकिर चीता के देखभाल आउर पर्यटन से जुड़ल कुछ सैंकड़न नौकरी के अलावे, कवनो स्थानीय लोग के एकर फायदा ना मिलल .

*****

प्रदेस आउर देस के राजनीति आउर राजनेता लोग के छवि बनाए में पहिले शेर, आउर अब चीता के भूमिका निभावे के पड़त बा. संरक्षण त बस एगो दिखावा बा.

चीता कार्य योजना एगो 44 पन्ना के दस्तावेज बा. एह में देस के समूचा संरक्षण एजेंडा के चीता के गोड़ पर धर देहल गइल बा. कार्य योजना के हिसाब से एह परियोजना से ‘घास के मैदान फेरु से जिंदा होई... करियर हिरण के रक्षा होई... जंगल इंसानी दखल से दूर रही...’ आउर इको-टूरिज्म (पर्यावरण-पर्यटन यानी प्राकृतिक क्षेत्रन के नुकसान पहुंचाए बिना वहां के यात्रा) आउर इहंवा ले कि हमनी के वैश्विक छवि के बढ़ावा मिली- ‘चीता के संरक्षण से जुड़ल प्रयास चलते भारत दुनिया भर में एह काम में सहयोग करे वाला देस के रूप में देखाई दीही.’

एह प्रोजेक्ट खातिर पइसा एनटीसीए, एमओईएफसीसी, आउर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इंडियन ऑयल के कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के साझा तरीका से देवल गइल मोटा-मोटी 195 करोड़ रुपइया के बजट से आइल रहे. ध्यान रहे कि चीता के अलावे कवनो दोसर जनावर, चाहे चिरई तक खातिर दिल्ली से एतना पइसा, जनबल आउर इंतजाम बात पहिले कबो ना कइल गइल रहे.

अफसोस कि केंद्र ओरी से जरूरत से जादे ध्यान देवे के चलते ही चीता प्रोजेक्ट संकट में पड़ गइल बा. “प्रदेस सरकार पर भरोसा करे के बजाय, केंद्र सरकार के अधिकारी लोग दिल्ली से प्रोजेक्ट के चलावे लागल. एकरा से कइएक तरह के दिक्कत आइल, जे अबले ना सुलझल,” जे.एस. चौहान के कहनाम बा.

चीता सभ जब भारत आइल रहे, चौहान मध्य प्रदेस के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन रहस. “हमनी ओह लोग से निहोरा कइनी कि हमनी लगे केएनपी में 20 से जादे चीता रखे खातिर जगह नइखे. आउर कहनी कि हमनी के कुछ चीता सभ के, एह कार्य योजना में निशानदेही कइल गइल दोसरो जगह पर भेजे के अनुमति देवल जाए,” चौहान मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (पड़ोसी राजस्थान में) के बात करत बाड़न. इहंवा के जंगल 759 वर्ग किमी के इलाका में फइलल बा.

The hundreds of square kilometres of the national park is now exclusively for the African cheetahs. Radio collars help keep track of the cat's movements
PHOTO • Photo courtesy: Project Cheetah Annual Report 2022-2023
The hundreds of square kilometres of the national park is now exclusively for the African cheetahs. Radio collars help keep track of the cat's movements
PHOTO • Photo courtesy: Adrian Tordiffe

सैंकड़न वर्ग किमी के नेशनल पार्क अब खास तौर से अफ्रीकी चीता के घर बा. रेडियो वाला कॉलर के मदद से चीता के गतिविधि पर नजर रखल जाला

भारतीय वन सेवा के पुरान आ अनुभवी अधिकारी, चौहान के कहनाम बा कि उहां के एनटीसीए के सदस्य, सचिव एस. पी यादव के कइएक चिट्ठी लिखनी. एह चिट्ठी में “चीता के जरूरत के ध्यान में रख के उचित निर्णय लेवे” के बेर-बेर अनुरोध कइल गइल रहे. बाकिर चिट्ठी के कवनो जवाब ना आइल. आउर अंत में जुलाई 2023 में उनकरा उनकर पद से मुक्त कर देवल गइल. एकरा कुछ महीना बाद ऊ रिटायरो हो गइलन.

चीता के देख-रेख करे वाला लोग के साफ-साफ बता देवल गइल कि एह कीमती चीता सभ के अइसन जगह (राजस्थान) भेजल संभव नइखे, जहंवा विपक्षी कांग्रेस के सरकार रहे. “कम से कम चुनाव (नवंबर आ दिसंबर 2023 में होखे वाला) तक ले त ना.”

चीता के हित अब केहू के प्राथमिकता ना रहे.

“हमनी नादान रहीं कि सोचत रहीं, ई प्रोजेक्ट एगो साधारण संरक्षण प्रोजेक्ट बा.” टॉर्डिफ पूरा तटस्थ भाव से कहलन. उनकरा लागेला कि अब उनकरा एह प्रोजेक्ट से अपना के दूर कर लेवे के चाहीं. “हमनी एह से जुड़ल राजनीतिक परिणाम के अनुमान ना लगा पइनी.” उनकर कहनाम बा कि ऊ एह से पहिले कइएक चीता के दोसरा जगह भेजले बाड़न. ऊ सभ के मकसद भी संरक्षणे रहे. बाकिर एह काम के दौरान उनकरा कवनो तरह के राजनीतिक उठा-पटक ना झेले के पड़ल.

दिसंबर में मध्य प्रदेस में भारतीय जनता पार्टी के फेरु से सत्ता में आवे के बाद एगो प्रेस कांफ्रेंस कइल गइल. एह में कहल गइल कि मध्य प्रदेस में ही मौजूद गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (बाघ अभयारण्य ना) के चीता सभ के अगिला ठिकाना बनावे खातिर तइयार कइल जाई.

बाकिर सवाल बा कि चीता के तेसर खेप कहंवा से आवे वाला बा. काहेकि अब दक्षिण अफ्रीका आपन चीता भेजे के हड़बड़ी में नइखे. दरअसल उहंवा के संरक्षणवादी लोग से सरकार के फटकार मिल रहल बा. सरकार से पूछल जा रहल बा कि चीता सभ मरे खातिर भारत काहे भेजात बा. “हां, सुने में आइल रहे कि केन्या से एकर आग्रह कइल जा सकेला. बाकिर उहंवो चीता के गिनती घट रहल बा,” नाम ना लिखे के शर्त पर एह मामला के एगो जानकार कहले.

*****

“जंगल में मंगल भइल बा,” मांगीलाल मजाकिया लहजा में कहले.

सफारी पार्क के काम पिंजरा में बंद चीता से भी चल जाई. एकरा खातिर जंगली चीता के कवनो दरकार नइखे.

चीता के पाछू भारत सरकार के लाव-लश्कर लागल बा- पशु चिकित्सक सभ के एगो टोली, एगो नया अस्पताल, 50 से जादे खोजी दल, 15 गो कैम्पर वैन चालक, 100 गो वन रक्षक, वायरलेस ऑपरेटर, इंफ्रा-रेड कैमरा चलावे वाला आउर इहंवा ले कि खास मेहमान खातिर एगो से जादे हेलीपैड के भी इंतजाम बा. ई सभ सुविधा त पार्क के भीतरी बा, जबकि बफर जोन में अलगे से बड़ा संख्या में गार्ड आउर रेंजर्स स्टाफ लोग तैनात बा.

चीता सभ पर निगरानी खातिर ओह लोग के रेडियो वाला कॉलर लगावल गइल बा. एहि से ऊ लोग आम इंसान के संपर्क में ना आवे. चीता सभ जब बिदेस से आइल, त इहंवा के लोग में कवनो उत्साह ना रहे. बंदूकधारी गार्ड लोग जासूसी करे वाला एल्सेशियन कुकुर सभ के लेके केएनपी के सीमा से लागल ओह लोग के बस्ती में कबो आ धमकत रहे. गार्ड के वरदी आउर कुकुर सभ के नुकीला दांत देख ले गांव के लोग डेरा जात रहे. ई सभ गांव के लोग के चेतावे खातिर रहे कि जदि केहू चीता के संपर्क में आइल, त एल्सेशियन कुकुर गंध से खोज लीही. आउर ओकरा जान से मारे के खतरा रही.

Kuno was chosen from among many national parks to bring the cheetahs because it had adequate prey like chitals ( Axis axis ) (right)
PHOTO • Priti David
Kuno was chosen from among many national parks to bring the cheetahs because it had adequate prey like chitals ( Axis axis ) (right)
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चीता सभ के बसावे वाला कइएक नेशनल पार्क बा, एह में कूनो भी एगो बा. इंहवा शिकार खातर चीतल हिरण (दहिना) जइसन जानवर मौजूद होखला चलते कूनो के चुनल गइल बा

कूनो के चीता के ठिकाना बनावे खातिर एह से चुनल गइल काहे कि इहंवा ‘पर्याप्त शिकार’ मौजूद बा. ई बात इंट्रोडक्शन ऑफ चीता इन इंडिया के सलाना रिपोर्ट 2023 में सामने आइल. बाकिर या त ई बात गलत रहे, चाहे सरकार एह मामला में कवनो चांस ना लेवे के चाहत रहे. “कूनो में हमनी के शिकार के पर्याप्त साधन जुटावे के जरूरत बा,” ई बात मध्य प्रदेस के एगो अहम मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) असीम श्रीवास्तव एह रिपोर्टर से बतइलन. जुलाई में आपन पदभार संभारे वाला असीम के कहनाम बा तेंदुआ सभ के गिनती बढ़के मोटा-मोटी 100 हो गइल बा. आउर एह हिसाब से ओह लोग खातिर शिकार उपलब्ध नइखे.

श्रीवास्तव कहले, “शिकार के लिहाज से चीतल (चित्तीदार हिरण) के प्रजनन के बढ़ावा देवे खातिर 100 हेक्टेयर के एगो घेरा बनावल जा रहल बा. ताकि संकट के स्थिति में चीता सभ के भोजन कम ना पड़ो.” श्रीवास्तव, भारतीय वन सेवा अधिकारी के तौर पर, दू दसक से भी जादे समय से पेंच, कान्हा आ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कार्यभार संभार चुकल बाड़न.

चीता सभ खातिर पइसा जुटावल कवनो समस्या नइखे. हाल में आइल रिपोर्ट में कहल गइल बा, “चीता इंट्रोडक्शन के पहिल चरण पांच बरिस खातिर बा. आउर एकरा खातिर बजट में 39 करोड़ (50 लाख अमेरिकी डॉलर) के प्रावधान कइल गइल बा.”

“अब तक के सबले जादे चर्चित आउर सबले जादे महंगा संरक्षण प्रोजेक्ट,” संरक्षण विज्ञानी डॉ. रवि चेल्लम चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट के बारे में कुछ एह तरह से आपन राय जाहिर करत बाड़न. उनकर कहनाम बा कि बाहिर से शिकार लाके चीता सभ के पेट भरे से एगो गलत मिसाल कायम होई. “जदि अइसन ओह लोग के बचावे खातिर कइल जात बा, त हमनी एकरा से कुदरती काम-धाम के बीच रोड़ा अटकावत बानी. एकर दुष्परिणाम के अनुमान भी नइखे लगावल जा सकत. हमनी के एह चीता सभ संगे आम जंगली जनावर जइसन व्यवहार करे के होई,” वन्यजीव विज्ञानी के कहनाम बा. उहां के शेर के अध्ययन कइले बानी आउर अब ऊ चीता प्रोजेक्ट देख रहल बाड़न.

“चीता के जादे देर ले आउर बनिस्पत छोट बाड़ा में बंद रखे, आउर भोजन खातिर आराम से शिकार उपलब्ध करवा के हमनी असल में ओह लोग के देह के ताकत आउर फुरती कम कर रहल बानी. एकर दीर्घकालिक परिणाम हो सकत बा,” चेल्लम कहले. साल 2022 में ही चेल्लम चेतइले रहस, “चीता सफारी एगो बहुते महिमामंडित आउर खर्चीला पार्क साबित होई.” उनकर कहल बात अब सच हो रहल बा. 17 दिसंबर, 2023 के पांच दिन के उत्सव के साथ चीता सफारी के उद्घाटन कइल गइल. कूनो में अब रोज कोई 100 से 150 लोग घूमे आवेला आउर जीप सफारी के नाम पर 3,000 से 9,000 रुपइया खरचा करेला.

Kuno was cleared of indigenous people to make way for lions in 1999 as Asiatic lions are on the IUCN  Red List  of threatened species
PHOTO • Photo courtesy: Adrian Tordiffe

एशियाई शेर सभ के बसावे खातिर साल 1999 में कूनो के बस्ती उजाड़ देहल गइल रहे. काहेकि एशियाई शेर आईयूसीएन के खतरा में आइल प्रजाति सभ के लिस्ट में रहे

सफारी चालक आउर नया बन रहल होटल सभ एह मौका के भुना रहल बा. इहंवा घूमे आवे वाला लोग से चीता सफारी के साथ ‘इको रिजॉर्ट’ में दू लोग के एक रात ठहरे खातिर 10,000 से 18,000 रुपइया वसूलल जा रहल बा.

एने बागचा में एक त पइसा के किल्लत बा आउर गांव के लोग के भविष्यो अऩिश्चित बा. बल्लू कहले, “चीता के आवे से हमनी के कवनो फायदा ना भइल. जदि सरकार हमनी के पूरा 15 लाख रुपइया दे देले रहित, त हमनी के मकान पूरा बन जाइत. आउर खेत के भी समतल कर दियाइत. संगे-संगे सिंचाई खातिर खेत के नहर से भी जोड़े के काम पूरा हो जाइत.” ऊ चिंतित होखत कहे लगले, “अबही हमनी लगे कवनो रोजगार नइखे. हमनी खाएम का?”

सहरिया समुदाय के लोग के रोज के जिनगी के दोसरो हिस्सा पर एह सभ के असर पड़ल बा. दीपी पुरान स्कूल में अठमा में पढ़त रहस. अब नया जगह आके बसे चलते उनकर स्कूल छूट गइल बा. ऊ कहलन, “इहंवा लगे एको स्कूल नइखे.” सबले नजदीक स्कूल भी बहुते दूर पड़ेला. छोट लइकन के भाग एह मामला में जादे नीमन बा. ओह लोग के पढ़ावे खातिर एगो मास्टर रोज भोरे आवेलन. ऊ खुलल आसमान के नीचे बच्चा लोग के बइठा के पढ़ावेलन. पढ़ाई खातिर कवनो मकान के इंतजाम नइखे. हमरा अचरज में पड़ल देख मांगीलाल मुस्कइलन, “बाकिर सभे बच्चा सभ पढ़े जरूर आवेला.” मांगीलाल हमरा इयाद दिलइन कि जनवरी के सुरु में ठंड़ा चलते छुट्टी रहेला, एहि से आज मास्टर साहब नइखन आइल.

नया गांव में एगो बोरवेल खोदल गइल बा. लगही पानी के बड़-बड़ उज्जर टंकी सभ रखल बा. साफ-सफाई के घोर अभाव चलते इहंवा रहे वाला मेहरारू लोग के बहुते परेसानी झेले के पड़ बा. ओमवती कहली, “रउए बताईं, हमनी (मेहरारू) का करीं? कहूं कवनो शौचालय के इंतजाम नइखे. जमीन एह तरह से साफ कइल गइल बा कि कहूं एगो गाछ नइखे, कि हमनी ओकरा पाछू छिपा के हल्का हो सकीं. हमनी ना त खुला में जा सकिले, ना लगे लागल फसलन के बीच.”

The cheetah action plan noted that 40 per cent of revenue from tourism should be ploughed back, but those displaced say they are yet to receive even their final compensation
PHOTO • Priti David
The cheetah action plan noted that 40 per cent of revenue from tourism should be ploughed back, but those displaced say they are yet to receive even their final compensation
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चीता से जुड़ल कार्य योजना में कहल गइल कि पर्यटन से जे आमदनी होई, ओकर 40 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर पर खरचा होखे के चाहीं. बाकिर विस्थापित लोग के कहनाम बा कि ओह लोग के अबले समूचा मुआवजा नइखे मिलल

पांच गो लरिकन के माई, 35 बरिस के ओमवती घास-फूस आउर तिरपाल से बनावल तंबू में रहेली. ऊ कहत बाड़ी कि अइसे रहे के अलावे हमनी आउर भी कइएक मुसीबत झेलत बानी. ऊ बतइली, “जलावन के लकड़ी खातिर अब बहुते दूर जाए के पड़ेला. जंगल हमनी से बहुते दूर हो गइल बा. भविष्य में हमनी के काम कइसे चली?” दोसर मेहरारू लोग बतावत बा कि ऊ लोग अबले उहे लकड़ी सभ से काम चलावत बा, जे ऊ लोग आपन गांव से विस्थापित होखे घरिया लेके आइल रहे. एकरा अलावे ऊ लोग जमीन में माटी खोद के पुरान पेड़ सभ के जड़ निकालेला आउर ओकरा चूल्हा में जरावे खातिर काम में लावेला. बाकिर इहो एक न एक दिन खत्म हो जाई.

कूनो के लगे के इलाका में लकड़ी के अलावे दोसरो वन उपज में भारी कमी आ गइल बा. काहेकि चीता प्रोजेक्ट चलते नया-नया घेराबंदी कइल गइल बा. एह बारे में अगला स्टोरी में बिस्तार से जानल जा सकेला.

चीता से जुड़ल कार्य योजना में कहल गइल बा कि पर्यटन से जे राजस्व आई, ओकर 40 फीसदी हिस्सा लगे बसल समुदाय सभ पर खरचा होखे के चाहीं.  ताकि ‘विस्थापित समुदाय खातिर एगो चीता संरक्षण फाउंडेशन बनावल जा सके. हर गांव में चीता पर नजर रखे वाला चीता मित्र के भत्ता मिले, आस पास के गांव में सड़क बनावे, साफ-सफाई रखे आउर स्कूल जइसन बिकास के परियोजना चलावल जा सके.’ बाकिर डेढ़ बरिस गुजरला के बादो ई सभ योजना खाली कागज पर सिमट के रह गइल बा.

ओमवती पूछत बाड़ी, “एह तरहा से हमनी केतना दिन ले जियम?”

कवर फोटो : एड्रियन टॉर्डिफ

अनुवादक: स्वर्ण कांता

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Editor : P. Sainath

पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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