जब ओकर कनिहा ऊपर भारी दरद अऊ अकड़न सहन ले बहिर होगे त तनुजा एक झिन होम्योपैथी डॉक्टर करा गे रहिन. “वो हा मोला कहिस के मोला कैल्शियम अऊ आयरन के दिक्कत [कमी] हवय अऊ मोला कभू घलो भूईंय्या मं बइठे नई चाही.”

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिला के एक बीड़ी मजूर आठ घंटा भूईंय्या मं बइठे, बीड़ी बनावत रहिथे. करीबन 40 बछर ऊमर के ये मजूर ह कहिथे, “मोला जर धरे कस अऊ कमजोर होय जइसने लागथे, अऊ मोर पीठ मं भारी दरद होथे. फेर मंय अपन सेती एक ठन टेबल कुर्सी बिसोय सकतें.”

नवंबर के महिना सिरोय ला हवय अऊ हरेकनगर मुहल्ला मं ओकर घर के सीमेंट वाले फर्स मं तिपत घाम परत हवय. ताड़ पान ले बने मदुर (सरकी) मं बइठे तनुजा एक के बाद एक बीड़ी बनावत हवय. ओकर ऊँगली मन जइसने वो केंदू पान ला मोड़थे, कुहनी ठहर जाथे, खांध ऊपर डहर उठ जाथे अऊ मुड़ी एक कोती ओरम जाथे. वो ह मजाक जइसने करत कहिथे, “मोर ऊँगली अतक सुन्न पर जाथे के मोला अचरज होथे के काय ये ह मोर आय.”

ओकर चरों डहर बीड़ी बनाय के जिनिस परे हवंय: केंदू के पान, पिसे माखुर अऊ सुत के बंडल. एक नानकन तेज चाकू अऊ एक जोड़ा कैंची ओकर कारोबार के अऊजार आंय.

तनुजा ह घर ले किराना समान लाय, रांधे सेती, पानी लाय, घर अऊ बहिर के सफाई करे अऊ घर के दीगर बूता सेती कुछु बखत बर बहिर निकरही. फेर ये बखत घलो वो ह ये बात ला जानत हवय के जब तक ले रोज के 500-700 बीड़ी नई बना लिही, ओकर महिना के 3,000 रूपिया के मजूरी कम हो जाही.

Tanuja Bibi has been rolling beedis since she was a young girl in Beldanga. Even today she spends all her waking hours making beedis while managing her home
PHOTO • Smita Khator
Tanuja Bibi has been rolling beedis since she was a young girl in Beldanga. Even today she spends all her waking hours making beedis while managing her home
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बेलडांगा मं तनुजा बीबी बालपन ले बीड़ी बनावत हवंय. अपन घर सम्भालत आज घलो वो ह जम्मो बखत बीड़ी बनाय मं खपा देथे

वो ह बिहनिया ले आधा रात तक ले ये बूता करत रहिथे. बीड़ी बनाय ले नजर हटाय बगेर तनुजा कहिथे, “जब पहिली अजान होथे त मंय जाग जाथों. फज्र के नमाज के बाद ले मंय अपन बूता सुरु करथों.” बास्तव मं, ओकर काम के दिन ह नमाज ले नापे जा सकत हवय काबर वो ह घड़ी के टेम ला पढ़े नई जानय. मग़रिब (संझा के चऊथा नमाज) अऊ ईशा (रात के पांचवां आखिरी नमाज) के मंझा, वो ह रात मं रांधथे अऊ आधा रात सुते के पहिली कम से कम दू घंटा बीड़ी बनाय धन पान ला काटे के कोसिस करथे.

वो ह कहिथे, “ये हाड़तोड़ बूता ले मोला सिरिफ नमाज बखत छुट्टी मिलथे त मोला कुछु आराम अऊ सकुन मिलथे.” तनुजा सवाल करत कहिथे, “लोगन मन कहिथें के बीड़ी पिये ले मनखे बीमार पर जाथे. काय वो मन जानथें के येकर बनेइय्या मन के काय हाल होवत होही?”

2020 मं,आखिर जब तनुजा ह जिला अस्पताल मं एक झिन डॉक्टर करा जाय के फइसला करिस, तब तालाबंदी हो गे अऊ कोरोना होय के डर ह वोला जाय ले रोक दीस. ये ला छोड़ वो ह एक झिन होमियोपैथी डॉक्टर ला देखाय गीस. अक्सर बेलडांगा-I ब्लॉक मं गरीब बीड़ी मजूर परिवार मन के पहिली आस झोलाछाप डॉक्टर होथें. ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2020-21 के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) मन मं 578 डॉक्टर के कमी हवय. देहात इलाका मं 58 फीसदी पीएचसी के घलो कमी हवय. सरकारी अस्पताल जाय मं सस्ता होथे फेर एकर बाद के जाँच अऊ स्केन सेती भारी लंबा लाइन लगके अगोरे ला परथे. येकर ले वो मन के रोजी मजूरी मारे जाथे, जइसने के तनुजा कहिथे, “हमर करा अइसने करवाय सेती बखत नई ये.”

जब होम्योपैथी डॉक्टर के दवई काम नई करिस, तनुजा ह अपन घरवाला ले 300 रूपिया लीस, अपन कमई के 300 रूपिया मिलाइस अऊ आखिर मं इहाँ के एलोपैथिक डॉक्टर करा गीस. वो ह कहिथे, “वो ह मोला कुछु गोली दीस अऊ छाती के एक्स-रा अऊ स्कैन करवाय ले कहिस. मंय येला नई करवांय.” तनुजा फोर के बताथे के वो ह ये जाँच के खरचा उठाय नई सकत रहिस.

पश्चिम बंगाल मं, तनुजा जइसने माई मजूर राज के 20 लाख बीड़ी मजूर मन के 70 फीसदी हवंय. वो मन के खराब हालत मं काम करे के कारन अकड़न, देह अऊ नस मं दरद के संगे संग फेफड़ा मं दिक्कत अऊ इहाँ तक ले के टीबी जइसने बीमारी होथें. ये मन कम आमदनी वाले परिवार के होथें अऊ पोसन के कमी ह बूता ले जुरे बीमारी मन ला अऊ बढ़ा देथें अऊ ये ह वो मन के सेहत अऊ जनम करे के ताकत ऊपर असर करथे.

In many parts of Murshidabad district, young girls start rolling to help their mothers
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Rahima Bibi and her husband, Ismail Sheikh rolled beedis for many decades before Ismail contracted TB and Rahima's spinal issues made it impossible for them to continue
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डेरी: मुर्शिदाबाद के कतको मुहल्ला मन मं नान-नान नोनी मन अपन महतारी के मदद करत बीड़ी बनाय लागथें. जउनि: रहीमा बीबी अऊ ओकर घरवाला, इस्माइल शेख ह टीबी होय ले पहिली कतको बछर तक ले बीड़ी बनाय रहिस अऊ रहीमा के रीढ़ के हड्डी के समस्या सेती ये बूता करत रहे संभव नई होइस

मुर्शिदाबाद मं 15-49 उमर के माइलोगन मं खून के कमी (एनीमिया) खतरनाक रूप ले 77.6 फीसदी हवय, जऊन ह चार बछर पहिली के बनिस्बद बनेच जियादा 58 फीसदी हवय. जऊन महतारी ला खून के कमी हवय ओकर लइका मन मं घलो खून के कमी होय के संभावना जियादा होथे. वास्तव मं, हालेच मं होय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( एनएफएचएस-5 ) जिला के सब्बो माईलोगन अऊ लइका मन मं बढ़त एनीमिया के हालत ला बताथे. संगे संग, ये जिला मं, 5 बछर ले कम उमर के 40 फीसदी लइका अविकसित हवंय अऊ चिंता के बात ये आय के चार बछर पहिली 2015-16 मं करे गेय बीते एनएफएचएस के बाद के ये आंकड़ा मं कऊनो बदलाव नई होय हवय.

ये इलाका के जाना पहिचाना मइनखे अहसान अली माठपाड़ा मुहल्ला के बासिंदा आय अऊ इहाँ एक ठन नानकन दवा दुकान चलाथे. फेर वो ह इलाज ला लेके ये समाज के भरोसेमंद सलाहकार आय, काबर वो हा बीड़ी बनेइय्या परिवार ले आथे. 30 बछर के ये झोलाछाप डॉक्टर के कहना आय के दरद ले निजात पाय बीड़ी मजूर ओकर करा गोली अऊ मलहम लेगे ला आथें. वो ह कहिथें, “जब तक वो मन 25-26 बछर के हो जाथें, तब तक वो मन मं अकड़न, कमजोरी, नस ले जुरे दरद अऊ भारी मुड़ी पीरा जइसने कतको समस्या हो जाथे.”

बचपना ले माखुर के गर्दा संग अपन महतारी के मदद करत होय जवान नोनी मन ला भारी खतरा होथे. माझपाड़ा मुहल्ला मं तनुजा ह 10 बछर के उमर के पहिली ले नानकन के समे ले येला सुरु करे रहिस. वो ह कहिथें, “मंय अपन दाई के मदद बीड़ी के मुहटा ला मोड़े अऊ बांधे मं मदद करथों. हमर समाज मं वो मन कहिथें के ‘जऊन नोनी मन बीड़ी बनाय नई जानंय, वो ला घरवाला कइसने मिलही’.”

ओकर बिहाव 12 बछर के उमर मं रफीकुल इस्लाम ला कर दे गीस अऊ वो ह चार झिन नोनी अऊ एक झिन बाबू ला जनम दीस. एनएफएचएस-5 के मुताबिक, जिला मं 55 फीसदी माइलोगन मन के बिहाव 18 बछर के उमर ले पहिली कर दे जाथे. यूनिसेफ नोट कहिथे के कम पोसन के हालत के संगे संग कम उमर मं बिहाव अऊ लइका जन्माय ले येकर असर अवेइय्या पीढ़ी ऊपर परही.

स्वास्थ्य पर्यवेक्षक हाशी चटर्जी कहिथें, “माइलोगन मन के प्रजनन अऊ यौन के सेहत तन अऊ मन दूनो ले भीतरी तक ले समान्य सेहत ले जुरे हवय, येला एक दूसर ले अलग नई करे सकन.” वो ह बेलडांगा-I ब्लॉक मं मिर्जापुर पंचइत के प्रभारी हवंय अऊ ये देखथें के जरुरतमन्द लोगन तक स्वास्थ्य योजना मन पहुंच सकेंय.

Julekha Khatun is in Class 9 and rolls beedis to support her studies.
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Ahsan Ali is a trusted medical advisor to women workers in Mathpara
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डेरी : जुलेखा खातून कच्छा 9वीं मं हवय अऊ अपन पढ़ई सेती बीड़ी बनाथे. जउनि: अहसान अली माठपाड़ा मं माई मजूर मन बर इलाज सेती भरोसेमंद सलाह देवेइय्या आय

तनुजा के दाई करीबन सरी जिनगी बीड़ी बनाय हवय. ओकर बेटी कहिथे के अब 60 बछर के उमर मं ओकर दाई के सेहत अतक खराब हवय के वो ह अब बने करके चले-फिरे घलो नई सकय. “ओकर पीठ खराब हो गे हवय अऊ वो ह खटिया धर ले हवय.” बेबस-लचार होय जइसने कहिथे, “ये ह मोर बर घलो रखाय हवय.”

ये कारोबार मं करीबन सब्बो मजूर मन कम आमदनी वाले परिवार मन ले हवंय अऊ वो मन करा कऊनो दीगर बूता के काबिलियत नई ये. गर माइलोगन मन बीड़ी नई बनाहीं त वो अऊ ओकर परिवार भूखन मर जाहीं. जब तनुजा के घरवाला बनेच बीमार पर गे अऊ बूता सेती बहिर जाय नई सकिस, त बीड़ी बनाय ले छे लोगन के परिवार के गुजारा होईस. वो हा अपन नवा जन्मे लइका (अपन चऊथा बेटी) ला नरम कथरी मं अपन गोदी मं धरे बीड़ी बनावत रहिस. नवा जन्मे लइका ला माखुर के गर्दा मं राखे के ये परिवार के दुरगति झलकत हवय.

तनुजा कहिथे, “एक बखत रहिस जब मंय दिन भर मं 1,000-1,200 बीड़ी बनावत रहेंव.” अब वो ह  अपन ये कमजोर हालत मं दिन भर मं सिरिफ 500-700 तक ले बनाय सकथे. येकर ले करीबन 3,000 रूपिया महिना हासिल करे सेती वोला अपन सेहत के बड़े भारी दाम चुकता करे ला परही.

मुर्शिदा खातून देबकुंडा एसएआरएम गर्ल्स हाई मदरसा के हेडमस्टरिन आंय. वो ह कहिथें के ओकर बेलडांगा-आई ब्लॉक के मदरसा मं 80 फीसदी ले जियादा नोनी मन अइसने घर ले आथें अऊ अपन महतारी के बीड़ी बनाय के रोज के बनाय मं मदद करथें.वो ह कहिथें अक्सर इस्कूल मं मध्यान्ह भोजन–भात, दार अऊ साग – जवान नोनी मन के दिन के पहिली खाय के रहिथे. आगू वो ह कहिथे, “घर मं मरद मन के नई होय ले, आमतऊर ले बिहनिया कुछु घलो रांधे नई जाय.”

मुर्शिदाबाद जिला करीबन पूरा पूरी देहात आय – येकर 80 फीसदी अबादी जिला के 2,166 गांव मं रहिथे अऊ साछरता 66 फीसदी हवय, जऊन ह राज के अऊसत 76 फीसदी ले कम हवय (जनगणना 2011). राष्ट्रीय महिला आयोग के एक ठन रपट मं कहे गे हवय के कारोबार मं माइलोगन मन ला पहिली मऊका देय जाथे काबर वो मन घर ले बूता कर सकत हवंय अऊ ये काम मं वो मन के ऊँगली के जरूरत परथे.

*****

मिनट भर गंवाय बगेर शाहीनूर बीबी गोंदली मिरचा काटत चना (घुघनी) सेती मसाला बनावत घलो बोलत रहिथें. बेलडांगा-I के हरेकनगर इलाका के पहिली बीड़ी मजूर रहय शाहीनूर ह अपन आमदनी सेती संझा मं घर ले मटर चना ले बने ये मनभावन कलेवा ला बेंचे सुरु कर दे हवय.

Shahinur Bibi holds up her X-ray showing her lung ailments.
PHOTO • Smita Khator
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डेरी: शाहीनूर बीबी ह फेफड़ा के बीमारी के एक्स-रा ला देखावत. जउनि: बेलडांगा ग्रामीण अस्पताल के टीबी यूनिट मं, लोगन मन जानकारी अऊ इलाज के सलाह लेगे बर आथें

45 बछर के ये माइलोगन ह कहिथे, “बीमार परे बीड़ी मजूर के भाग मं बदे हवय.” कुछेक महिना पहिली बइठे अऊ साँस ले जुरे बीमारी ले जूझत वो ह जाँच सेती बेलडांगा ग्रामीण अस्पताल गीस अऊ इहाँ तक ले के एक निजी क्लिनिक मं छाती के एक्सरा करवाइस. फेर अपन घरवाला के तबियत खराब होय सेती अस्पताल नई जाय सकिस. वो ह घुघनी काबर बेंचत हवय ये ला बतावत कहिथे, “मोर दूनो बहू मन मोला बीड़ी बनाय ला नई देवंय. वो मन ये बूता ला पूरा पूरी अपन हाथ मं ले ले हवंय, फेर हमन मुस्किल ले वो आमदनी ले चले सकथन.”

डॉ. सोलमन मंडल ह देखथें के ब्लॉक के जऊन अस्पताल मं वो ह काम करथें, उहाँ हरेक महिना 20-25 टीबी के पुष्ट रोगी मन सरलग आथें. बेलडांगा-I के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) मंडल कहिथें, “बीड़ी बनाय के बूता मं सरलग जहरीला गर्दा के संग मं रहे ले टीबी होय के भारी खतरा होथे. येकर ले घेरी-बेरी सर्दी होथे अऊ फेफड़ा धीरे-धीरे कमजोर होवत जाथे.”

सड़क के तरी दर्जीपारा मुहल्ला के सायरा बेवा सरलग खांसी अऊ सर्दी ले जूझत हवय. 60 बछर के ये मजूर ला बीते 15 बछर ले ब्लड शुगर अऊ ब्लड प्रेशर ले जुरे दिक्कत अलग ले हवंय. करीबन 50 बछर ले बीड़ी बनावत ओकर हाथ अऊ नाख़ून माखुर के गर्दा ले सनाय हवंय.

डॉ. सोलमन मंडल कहिथें, “मोसला (बारीक़ पिसे माखुर) एक आम एलर्जेन आय अऊ बीड़ी बनाय बखत येकर कन मन साँस के संग भीतर जाथें अऊ संग मं माखुर के धुंआ घलो.” पश्चिम बंगाल मं अस्थमा वाले माइलोगन के संख्या मरद मन के बनिसब्द दुगुना - 10.000 पाछू 4,386 हवय (एनएफएचएस -5).

बीएमओ ये घलो बताथें के “माखुर के गर्दा अऊ टीबी के मंझा मं मजबूत संबंध के बाद घलो हमर तीर टीबी सेती खास बेवसाय के जाँच नई ये.” ये कमी तऊन जिला मं खास करके साफ हवय जिहां बीड़ी मजूर मन के संख्या सबले जियादा हवय. सायरा ला खून के खांसी होवत हवय – टीबी लावत दूत जइसने. वो ह कहिथे, “मंय बेलडांगा ग्रामीण अस्पताल गे रहेंव. वो मन कुछु जाँच करिन अऊ मोला गोली दीन.” वो मन वो ला अपन थूक के जाँच कराय अऊ माखुर के गर्दा ले दूर रहे के सलाह घलो दे रहिन. फेर सुरच्छा सेती कऊनो समान नई देय रहिन.

पारी ह जतका बीड़ी मजूर मन ले भेंट-घाट करिस, वो मन ले कऊनो घलो मास्क धन दस्ताना नई बऊरे रहिन. वो मन करा रोजगार ले जुरे कऊनो कागजात, समाजिक सुरच्छा के लाभ, सरकार डहर ले तय मजूरी, कल्यान, सुरच्छा धन सेहत ले जुरे कऊनो प्रावधान घलो नई रहिस. बीड़ी कंपनी मन महाजन मन ला (दलाल) काम देथें अऊ कऊनो देनदारी ले हाथ खड़ा कर देथें. महाजन बदला मं बीड़ी बिसोथे फेर येकर ऊपर ककरो धियान नई जावय.

Saira Bewa and her daughter-in-law Rehana Bibi (in pink) rolling beedis. After five decades spent rolling, Saira suffers from many occupation-related health issues
PHOTO • Smita Khator
Saira Bewa and her daughter-in-law Rehana Bibi (in pink) rolling beedis. After five decades spent rolling, Saira suffers from many occupation-related health issues
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सायरा बेवा अऊ ओकर बहू रेहाना बीबी (गुलाबी रंग मं) बीड़ी बनावत हवंय. पचास बछर तक ले बीड़ी बनाय के बाद, सायरा बेवसाय ले जुरे सेहत के कतको समस्या ले जूझत हवंय

Selina Khatun with her mother Tanjila Bibi rolling beedis in their home in Darjipara. Tanjila's husband abandoned the family; her son is a migrant labourer in Odisha. The 18-year-old Selina had to drop out of school during lockdown because of kidney complications. She is holding up the scans (right)
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Selina Khatun with her mother Tanjila Bibi rolling beedis in their home in Darjipara. Tanjila's husband abandoned the family; her son is a migrant labourer in Odisha. The 18-year-old Selina had to drop out of school during lockdown because of kidney complications. She is holding up the scans (right)
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सेलिना खातून अपन दाई तंजिला बीबी के संग अपन घर दर्जीपारा मं बीड़ी बनाथें. तंजिला के घरवाला परिवार ला छोड़ देय हवय अऊ ओकर बेटा ओडिशा मं मजूरी करथे. 18 बछर के सेलिना ला किडनी के दिक्कत सेती लॉकडाउन के बखत इस्कूल छोड़े ला परिस अऊ वो ह स्कैन ला धरे हवय (जउनि)

मुर्शिदाबाद के करीबन दू तिहाई अबादी मुस्लिम आय अऊ करीबन सब्बो बीड़ी मजूर मुस्लिम माईलोगन मन आंय. रफीकुल हसन बीड़ी मजूर मन के संग तीस बछर ले घलो जियादा बखत ले काम करत हवंय. बेलडांगा मं सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के ब्लॉक सचिव कहिथें, “बीड़ी कारखाना हमेसा सबले सस्ता मजूर मन के सोसन ले फलत-फूलत हवय, जऊन ह खास करके आदिवासी अऊ मुस्लिम नोनी अऊ माइलोगन मन आंय.”

पश्चिम बंगाल के श्रम विभाग के रिकॉर्ड मानथे के, बीड़ी मजूर अनौपचारिक क्षेत्र मं सबले कमजोर मजूर मन ले एक आंय. बीड़ी मजूर मन ला विभाग डहर ले तय न्यूनतम मजदूरी 267.44 रूपिया मिलत नई ये, वो मन हजार बीड़ी पाछू 150 रूपिया कमाथें. जऊन ह राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन संहिता , 2019 मं तय 178 रूपिया ले घलो कमती हवय.

सीटू ले जुरे मुर्शिदाबाद जिला बीड़ी मजदूर अऊ पैकर्स यूनियन के संग काम करेइय्या सईदा बेवा कहिथें, “हर कऊनो जनत हवय के माइलोगन मन ला समान काम मं मरद मन के बनिसब्द बनेच कम मिलथे. महाजन (दलाल) ह हमन ला धमकी देथे के गर ‘तोला ये पसंद नई ये, त फिर हमर संग काम झन कर’.” 55 बछर के सईदा बेवा चाहथे के राज मं बीड़ी मजूर मन के सेती खास योजना बनय.

न सिरिफ वो मन के मजूरी बनेच कमती हवय, फेर महाजन वो मन ला खराब किसिम के कच्चा समान घलो देथे अऊ आखिरी जाँच बखत बनाय कुछेक ला नामंजूर कर देथें. वो ह ये अनियाव डहर आरो करत कहिथे, “महाजन ह नामंजूर करे बीड़ी ला राख लेथें, फेर ओकर मिहनताना नई देवय.”

तनुजा जइसने रोजी मजूर सबले कम मजूरी अऊ सुरच्छा के कऊनो उपाय नई होय सेती आर्थिक रूप ले अचिंता के जिनगी नई जिये सकेंव. ये जोड़ा ऊपर अपन तीसर बेटी के बिहाव सेती लेय 35,000 रूपिया के करजा हवय. “हमर जिनगी करजा लेय अऊ चुकाय के चक्कर मं फंस गे हवय” वो ह हवाला देवत कहिथे के हरेक बिहाव सेती वोला कतको करजा लेय ला परथे अऊ बाद मं चुकता करे सेती बूता करथन.

A mahajan settling accounts in Tanuja Bibi’s yard; Tanuja (in a yellow saree) waits in the queue.
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Saida Bewa at the door of the home of  beedi workers in Majhpara mohalla, Beldanga where she is speaking to them about their health
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डेरी: एक महाजन तनुजा बीबी के अंगना मं हिसाब करत हवय फेर तनुजा (पिंयर लुगरा मं) कतार मं लगे अगोरत हवय. जउनि: बेलडांगा के माझपाड़ा मुहल्ला मं बीड़ी मजूर मन के घर के मुहटा मं सईदा बेवा जिहां वो ह वो मन के सेहत के हालचाल जानत हवय

जवान जोड़ा तनुजा अऊ रफीकुल अपन दाई-ददा संग रहत रहिन, फेर जब लइका मन होइन, त ये जोड़ा ह करजा करके जमीन बिसोईस अऊ एक खोली के खदर के कुरिया बनवाइस. “जब हमन जवान रहेन तब हमन सोचेन के अपन मिहनत ले वो करजा ला चुकता कर देबो, फेर अइसने कभू नई होइस.हमन एक के बाद एक जिनिस मन सेती करजा लेते रहेन अऊ अब हमन इहाँ हवन, अभू घलो ये घर ला पूरा बनावय मं अच्छम हवन.” फेर पीएम आवास योजना के तहत घर सेती काबिल ये भूमिहीन जोड़ा ला अब तक ले एक घर मिले नई ये.

रफीकुल ये बखत डेंगू उन्मूलन कार्यक्रम सेती ग्राम पंचइत मं संविदा सफाई करमचारी हवय. हमेसा ओकर महिना के तनखा टेम मं नई मिलय: वो ह कहिथे, “टेम मं तनखा नई आय ले मोला टेंसन हो जाथे. एक बखत रहिस जब वोला छे महिना तक ले एको पइसा नई मिले रहिस,” तब ये परिवार ह इहाँ के दुकानदार ला 15,000 रूपिया के उधारी जमा करे रहिस.

बीड़ी बनेइय्या माई मजूर मन जचकी धन बीमारी मं छुट्टी नई लेवंय; गरभ बखत अऊ जचकी दूनो मं ये बूता मं रोक हवय फेर वो मन बनावत रहिथें. जननी सुरक्षा योजना, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) अऊ मुफत के मध्यान्ह भोजन जइसने कार्यक्रम मन जवान माईलोगन मन के मदद करे हवय. उषा कार्यकर्ता सबीना यास्मीन बताथें, “फेर डोकरी सियान माई मजूर मन के सेहत के होय नुकसान के गिनती नई करे गे हवय.” महवारी तियागे के उमर तक ले पहुँचे के बाद वो मन के सेहत खराब हो जाथे. कैल्शियम अऊ आयरन माईलोगन मन के सेती दू सबले महतम चीज के भारी कमी हवय अऊ वो मन के हड्डी खराब अऊ खून के कमी हवय.” बेलडांगा सहर के नगर पालिका मं 14 वार्ड मन ले एक के प्रभारी, यास्मीन ला ये बात के पछतावा हवय के वो ह बहुते कम करे सकत हवय काबर ओकर भुमका अऊ जिम्मेवारी अधिकतर महतारी अऊ लइका के देखभाल तक ले सिमटे हवय.

कारोबारी अऊ सरकार दूनो डहर ले कोंटा मं फेंके गे, बीड़ी बनेइय्या माई मजूर मन करा आगू देखे सेती बहुते कम हवय.असल मं तनुजा ह कऊनो बूता के फायदा पूछे जाय ले बगियागे. वो ह सुरता करथे, “कऊनो बाबू (ठेकदार) कभू हमर हालचाल पूछे ला नई आवय. बनेच बखत पहिली बीडीओ दफ्तर वाले मन कहे रहिन के डॉक्टर हमर जांच करही. हमन गेय रहेन अऊ वो ह हमन ला बेकार के बड़े-बड़े गोली मन ला धरा दीस, जेकर ले कुछु नई होइस.” माईलोगन मन के जाँच करे सेती कऊनो नई आइन.

तनुजा ला संदेहा होथे के काय वो गोली ह मइनखे मन सेती बने हवंय: "मोला लागथे के वो ह गाय मन के सेती रहिस."

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के ग्रामीण भारत मं किशोर अऊ जवान टुरी ऊपर राष्ट्रव्यापी रिपोर्टिंग परियोजना , आम लोगन मन के अवाज़ अऊ अनुभव ले ये महत्तम फेर कोंटा मं रहत  लोगन मन के हालत के पता लगाय सेती भारत समर्थित जनसंख्या फाउंडेशन के पहल के हिस्सा आय .
ये लेख ला फिर प्रकासित करना चाहत हवब ? किरिपा करके [email protected] मं अऊ cc के संग [email protected] ला लिखव.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Smita Khator

Smita Khator is the Translations Editor at People's Archive of Rural India (PARI). A Bangla translator herself, she has been working in the area of language and archives for a while. Originally from Murshidabad, she now lives in Kolkata and also writes on women's issues and labour.

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Illustration : Labani Jangi

Labani Jangi is a 2020 PARI Fellow, and a self-taught painter based in West Bengal's Nadia district. She is working towards a PhD on labour migrations at the Centre for Studies in Social Sciences, Kolkata.

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Editor : Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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