वो ह मंच मं ईनाम ले सेती ठाढ़े रहिस, ईनाम मं वोला चमचमावत एक पइसा के सिक्का मिलेइय्या रहिस, मुंसी ह ईनाम देवेईय्या रहिस, जेकर अधिकार मं ये इलाका के बनेच अकन इस्कूल मन घलो रहिन. ये किस्सा सन 1939 के पंजाब के आय, वो ह 11 बछर के रहिस अऊ तीसरी कच्छा मं पढ़त रहिस अऊ अव्वल आय रहिस. मुंसी ह साबासी देवत ओकर मुड़ी ला थपकी देवत वोला ‘ब्रिटानिया ज़िंदाबाद, हिटलर मुर्दाबाद’ के नारा लगाय ला कहिस. ये भगत सिंह जेन ला ओकरे नांव के अऊ मसहुर क्रांतिकारी समझे मं भूल होही, ये सभा मं आय लोगन मन डहर देखत जोरदार तरीका ले नारा लगाइस “ब्रिटानिया मुर्दाबाद, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद”.
ओकर ये करनी के खामियाजा वोला तुरते भुगते ला परिस. आंखी झपकाय जतकी ढेरियाय बिना खुदेच मुंसी बाबू ह वो ला बहुतेच पिटीस अऊ तुरते गवर्नमेंट एलीमेंट्री स्कूल, समुंद्र ले निकार दे गीस. उहाँ रहय्य जम्मो लइका मन अकबका गे रहिन जेन मन ये घटना के साखी बनीन अऊ वो ह ढेरियाय बिना इस्कूल ले चले गे. इहाँ के इस्कूल के अफसर जेन ला आज हमन जिला शिक्षा अधिकारी कहे सकथन, तऊन ह बिना ढेरियाय एक ठन आधिकारिक चिठ्ठी जारी करिस जेन ला वो इलाका के वो बखत के डिप्टी कमिश्नर के घलो अनुमोदन मिले रहिस, ये इलाका ह अभी पंजाब के होशियारपुर ज़िला के नांव ले जाने जाथे. ये आधिकारिक चिठ्ठी वोला इस्कूल ले निकाले के सेती रहिस अऊ ये मं वो 11 बछर के भगत सिंह ला ‘ख़तरनाक’ अऊ ‘क्रांतिकारी विचार रखे वाला’ क़रार देय गेय रहिस.
एकर सीधा मतलब ये रहिस के कालीसूची मं राखे गे भगत सिंह झुग्गियां बर जम्मो इस्कूल के फेरका सदा दिन सेती बंद हो गे. अऊ वो बखत जियादा इस्कूल घलो नई रहत रहिस. ओकर दाई ददा के संगे संग कतको झिन अफसर ले ये फइसला वापिस ले के गुहार करिन. एक झिन रसूखदार ज़मींदार, ग़ुलाम मुस्तफ़ा ह घलो अपन तरफ ले पूरा ताकत लगा दे रहिस. फेर अंगरेज राज के नुमाइंदा मन ला ये बात बहुते अखरे रहिस के नान अकन लइका ह वो मन के बेइज्जती कर दे रहिस. भगत सिंह झुग्गियां ह ये अनोखा रंग मं रंगे के बाद जिनगी मं कभू इस्कूल नई जाय सकिस.
फेर वो जिनगी के इस्कूल के पहिला पढ़ेइय्या लइका आगू ले रहिस अऊ अब 93 बछर के उमर मं घलो हवंय.
होशियारपुर ज़िला के रामगढ़ गांव के अपन घर मं हमन ले गोठियावत वो नाटक बरोबर होय घटना ला सुरता करत मुचमुचावत रहिस. का वोला ये सब्बो भयानक नई लगिस? ये ला लेके वो ह खुदेच कहिथे, “मोर जुवाब कुछु अइसने रहिस – अब मोला अंगरेज राज के खिलाफ अजादी के लड़ई मं सामिल होय ले कऊनो नई रोक सकय.”
वो हा अइसने करे बर आजाद रहिस ते पाय के ओकर ऊपर बरोबर नजर रखे जावत रहिस. पहिले-पहिले वो हा अपन खेत मन मं बूता करे ला धर ले रहिस फेर ओकर नांव जगजाहिर हो गेय रहिस. पंजाब के भूमिगत क्रांतिकारी मन ओकर ले भेंट घाट होय ला सुरु कर दे रहिन. वो ह कीर्ति पार्टी’नांव के एक ठन मंडली ला घलो जुरे रहिस,जेन ह 1914-15 मं गदर विद्रोह करेइय्या ग़दर पार्टी केहिच एक ठन सखा रहिस.
ये मंडली मं बनेच अकन अइसने लोगन मन रहिन जेन मन क्रांतिकारी विचारधारा के रूस से मिलिट्री अऊ सिद्धांत ला सीख के आय रहिन. ग़दर विद्रोह के दमन के बाद पंजाब लहूँटे के बाद वो मन एकर नांव ‘कीर्ति’ के एक ठन छापाखाना खोलिन. ये मं बनेच अकन नामी पत्रकार संगवारी मन मं नामी भगत सिंह घलो रहिस. वो ह 27 मई, 1927 मं गिरफ्तार होय के पहिली 3 महिना तक ले प्रकाशन के जिम्मा संभाले रहिस, जब ‘कीर्ति’ मं कऊनो संपादक नहीं रहिस. मई, 1942 मं कीर्ति पार्टी, ह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया मं सामिल होगे रहिस.
अऊ इहाँ धियान देय के चीज आय के झुग्गियां के नांव महान भगत सिंह के नांव ले नई रखे गे रहिस. वो ह कहिथे, “जब मोर उमर बढ़त गीस त लोगन मन ला ओकर बारे मं गावत सुने रहेंव, अइसे बनेच गीत रहिस.” वो हा वो बखत का महान क्रांतिकारी ऊपर बने एक ठन गीत के एक दू पांत गुनगुनावत सुनावत रहिस. भगत सिंह ले अंगरेज सासन ह 1931 मं फांसी दे दे रहिस तउन बखत ये हमनांव ह सिरिफ 3 बछर के रहिस.
इस्कूल ले निकारे जाय के बाद के बाद किसोर भगत सिंह झुग्गियां ह भूमिगत क्रांतिकारी मन के संदेसा लाय, ले जाय के काम करत रहिस. वो ह कहिथे, “घर के पांच एकड़ खेती ला करे के संगे संग, वो मन मोला जऊन करे ला कहेंव, मंय करत रहेंव.” वो मन ले एक ठन बूता, जेन ह ओकर किसोर उमर मं रहिस अंधियार मं 7 कोस दूरिहा पइदल छापा खाना के मसीन के अलग करके रखे छोटे अऊ बनेच वजनी कलपुर्जा मन ला बोरा मन भरके, क्रांतिकरी मनके गुपत ठिकाना मं पहुंचाय ला रहय. कहे ला परही के वो ह सिरतोन मं अजादी के लड़ई के पइदल लड़ाका रहिस.
वो हा आगू बताथे, “लहुंटत बेरा वो मन खाय धन रसद ले भरे दीगर वजनदार झोला मन ला देंय, जेन ला ओतकी दुरिहा रेंगत आवत अऊ अपन मंडली के कामरेड तीर पहुंचाय ला रहय.” ओकर परिवार ह घलो गुप्न लड़का मन ला खाय पिये के जिनिस देवत रहिस अऊ सरन घलो दिस.
जेन मसीन ला वो हा बोहके लेगे रहिस तऊन ला ‘उदारा प्रेस’ कहे जावत रहिस (ये सब्द के अरथ उड़ेइय्या छापाखाना आय, फेर ओकर मतलब येकर नानकन होय ले हवय). ये साफ नई के वो ह ये नान छापाखाना के अलग करे कलपुरजा रहिस धन कउनो मसीन के एक ठन बड़े जरूरी हिस्सा रहिस धन हाथ ले लिखेइय्या छापा वाला मसीन रहिस. वो ला बस अतके सुरता हवय के वो मं कच्चा लोहा के बड़े अऊ वजन वाला हिस्स होवत रहिस.” वो ह लाय पहुंचाय के ये खतरा उठावत, फेर सही सलामत ओकर जगा तक ले हबर जाय. वो ला ये बात के गरब हवय के समे बीते के संगे संग “पुलिस ला लेके ओकर भीतर के डर के बनिस्बत पुलिस वाला मन ला ओकर जियादा खौफ रहिस.”
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अऊ ओकर बाद बंटवारा हो गे.
तऊन बखत के बात करत भगत सिंह झुग्गियां हा सबले जियादा भावना मं आगे रहिस. ये सियान मइनखे बंटवारा ले होय भयंकर मारकाट अऊ जनसंहार ला बतावत मुस्किल ले अपन आंसू रोके ला सकिस. वो हा कहिथे, “सरहद पार जाय के कोसिस मं लगे सैकड़ों-हज़ारों लोगन मन के काफिला मं सरलग हमला होवत रहिस, लोगन मन ला मार दे गीस, इहाँ हरेक कोती जइसे सरे आम कत्ल होवत रहिस.”
इस्कूल के गुरूजी, लेखक अऊ इहाँ के इतिहासकार अजमेर सिद्धू कहिथे, “एक कोस ले जियादा दुरिहा मं बसे सिंबली गांव मं करीबन 250 लोगन मन रहिन, सब्बो के सब्बो मुसलमान रहिन, दू रात अऊ एक दिन मं वो सब मन के निर्दयता ले हतिया कर दे गे रहिस. फेर गढ़शंकर पुलिस थाना के थानेदार ह हतिया ले मरे लोगन मन के सूची मं सिरिफ 101 मऊत दरज करे रहिस.” अजमेर सिद्धू घलो तऊन बखत हमर संग रहिस, जब हमन भगत सिंह झुग्गियां ले इंटरव्यू लेगत रहेन.
भगत सिंह कहिथे, “अगस्त 1947 मं इहाँ लोगन मन के दू किसिम के मंडली रहिस, पहिला जेन ह मुसलमान के कतल करत रहिस, दूसर जेन ह वो मन ला कऊनो तरीका ले बचाय के कोसिस करत रहिस.”
वो हा बताथे, “मोर खेत तीर कऊनो जवान लइका के गोली मार के हतिया कर दे गे रहिस. हमन ओकर भाई ला किरिया करम करे सेती मदद बर आगू आयेन, फेर वो हा अतके जियादा डेराय रहय के वो हा काफिला मन के संग चले गे. फेर हमनेच लास ला दफनायेन. वो ह अगस्त महिना के 15 तारिख के भयंकर बखत रहिस.”
जेन मन जान बचाके सरहद पार जाय सकीन वो मन मं ग़ुलाम मुस्तफ़ा घलो एक झिन रहिस. ग़ुलाम मुस्तफ़ा यानि तऊन जमींदार जेन ह ये कोसिस करे रहिस के भगत सिंह के इस्कूल जाय ह बंद झन हो पाय.
भगत सिंह कहिथे, “फेर मुस्तफ़ा के बेटा, अब्दुल रहमान, कुछु बखत तक ले रुके रहिस अऊ ओकर उपर मऊत के खतरा मंडरावत रहय. मोर घर के मन एक रतिहा चोरी छिपे रहमान ला लेके आ गीन. ओकर संग एक ठन घोड़ा घलो रहिस.”
फेर मुसलमान ला खोजत रहय हत्या करेईय्या भीड़ ला ये बात के भनक लग गे. “एकरे सेती एक ठन रतिहा मं लोगन मन के नजर ले बचावत हमन वोला बहिर लेय गेन, संगवारी अऊ कॉमरेड मन के सहारा ले वो ह परान बचावत सरहद पार कर लीस.” बाद मं वोमन कतको कोसिस करके घोड़ा ला घलो सरहद पार भेज दीन. मुस्तफ़ा ह गांव के अपन संगवारी मन ला लिखे एक ठन चिठ्ठी मं भगत सिंह के अभार जताय हवय अऊ वो मन ले कभू आके मिले के वायदा घलो करथे. “फेर वो ह कभू लहूँट के नई आ सकिस.”
बंटवारा ऊपर बात करत भगत सिंह थोकन तकलीफ मं आ जाथे अऊ रुंवासा हो जाथे. वो ह येकर बाद कुछु कहे के पहिली कलेचुप रह जाथे. वो ला एक बेर 17 दिन के जेल होय रहिस, वो भी तब जब पुलिस ह होशियारपुर ज़िला के बीरमपुर गांव मं अजादी के लड़ई बर करे गे सभा ला खतम करे के कोसिस करे रहिस.
1948 मं वो ह ‘लाल कम्युनिस्ट पार्टी हिंद यूनियन’ के सदस्य बं गीस, जेन ह सीपीआई से अलग होके अऊ पहिली ‘कीर्ति पार्टी’ ले जुरे लोगन मन के एक ठन मंडली ह बनाय रहिस.
फेर ये ह तब के बखत रहिस, जब सब्बो कम्युनिस्ट संगठन मन के ऊ पर रोक लगे रहिस. 1948 अऊ 1951 के मंझा अऊ ओकर बाद तेलंगाना अऊ दीगर जगा मन मं ये संगठन हा मुड़ी उठावत देखे गीस. भगत सिंह झुग्गियां दिन मं खेती किसानी करय अऊ रतिहा गुपत हरकारा के काम करे ला लगीस अऊ भीतरे भीतरे अपन काम मं लगे भूमिगत लड़ाका मन के मेजबानी करे लगिस. अपन जिनगी के वो बखत खुदेच साल भर के आसपास भूमिगत रहिस.
बाद मं साल 1952 मं लाल पार्टी के कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया मं विलय हो गे. एकर बाद वो ह फिर 1964 मं पार्टी के टूटे के बाद बने नवा पार्टी सीपीआई-एम ले जुर गीस, जेकर संग वो ह हमेसा रहिस.
वो बखत वो ह किसान मन के हक मन जमीं अऊ दीगर चीज मन ले जुरे आन्दोलन मं घलो सामिल होवत रहिस. भगत सिंह 1959 के बछर मं ख़ुश हसियती टैक्स मार्च (एंटी-बेटरमेंट टैक्स स्ट्रगल) के समे गिरफ्तार करे गीस. ओकर अपराध रहिस: कांदी इलाका के किसान मन ला एकजुट करे सेती. ये घटना ले गुस्सा मं आय प्रताप सिंह कैरो सरकार हा वोला सजा देवत ओकर भईंस अऊ चारा काटे के मसीन ला जपत करके नीलाम कर दे रहिस. फेर दूनो चीज ला गाँव के कऊनो संगवारी बिसो लीस, जेन ला बाद मं ओकर परिवार ला लहूँटा दीस.
ये आन्दोलन के बखत भगत सिंह तीन महिना लुधियाना के जेल मं घलो रहिस, अऊ बाद मं उहिच बछर एक पईंत अऊ पटियाला जेल मं तीन महिना बंद रहिस.
जेन गाँव मं वो ह जिनगी भर रहिस तेन मेर पहिली सिरिफ झुग्गी मनेच रहिन तेकरे सेती ओकर नांव झुग्गियां परगे. ओकर नांव भगत सिंह झुग्गियां पर गे. अब ये ह गढ़शंकर तसिल के रामगढ़ गांव मं आथे.
1975 मं आपातकाल के खिलाफ प्रदर्सन मं सामिल होय के बाद वो ह फिर ले बछर भर तक ले भूमिगत हो गे रहिस. ये बखत घलो वो हा लोगन मन ला एकजुट करत रहिस. मऊका मऊका चीज बस पहुँचावत रहेय अऊ अपातकाल विरोधी साहित्य ला बाँटत रहय.
ये जम्मो बछर मन मं वो हा अपन गाँव अऊ इलाका के लोगन मन ले जुरे रहिस, जेन मइनखे के नसीब मं तीसरी कच्छा ले आगू के पढ़ई नई होय सकिस, वो हा अपन तीर तखार के सिच्छा अऊ रोजगार के सवाल ले जूझत जवान लइका मन के समस्या ला समझीस, वो ह जेन मन के मदद करिस, तऊन मन ले कतको आगू बढ़ गीन. कुछेक मन ला सरकारी नऊकरी घलो मिलिस.
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1990: भगत सिंह के परिवार होसियार होके रहत रहय ओकर ले गोठ बात चिठ्ठी पतरी ले होवत रहिस. हथियार बंद खालिस्तानी गोहड़ी मन ओकर घर ले 400 मीटर दुरिहा ओकर ट्यूबवेल मं ओकर नांव देख के ओकरे खेत मं जमे रहिन. वो मन जेन झाड़ी मन मं सुते लुके रहिन टेकर उपर लोगन मन के नजर पर गे रहिस.
1984 ले 1993 तक ले पंजाब मं दहसत मचे रहय. सैकड़ों लोगन मन ला गोली मारके धन दूसर तरीका ले हतिया करे गे रहिस. वो मन के निसाना मं भारी तदाद मं सीपीआई, सीपीआई-एम, और सीपीआई-एमएल के कार्यकर्त्ता मन रहिन, काबर ये पार्टी मन खालिस्तानी मन के खिलाफ जोरदार ढंग ले लड़े रहिन. वो बखत भगत सिंह हमेसा हिट लिस्ट मं रहिस.
फेर वो ला 1990 मं ये बात के गम होईस के हिट लिस्ट मं होय के मतलब का होथे. ओकर तीनों जवान बेटा पुलिस डहर ले मिले बंदूख धर के घर के छत मं रहेंव. वो बखत सरकार ह खुदेच न सिरिफ एकर इजाजत देय रहिस, वो ह ये बात ला घलो जोर दे य रहिस के जेन मन ला अपन जान के खतरा बने हवय तऊन मन अपन सुरच्छा सेती हथियार अपन तीर रखेंव.
वो बखत ला सुरता करत भगत सिंह बताथे, “वो मन जेन बंदूख हमन ला देय रहिन, वो खराब किसिम के रहिन. येकरे सेती मंय कइसने करके 12-बोर के एक ठन शॉटगन के इंतजाम करेंव अऊ बाद मं एक ठन जुन्ना बंदूख खुदेच बीसोंय.”
ओकर 50 बछर के बेटा परमजीत बताथे, “एक पईंत मोला आतंकी मन के लिखे मोर ददा ला जान से मारे के धमकी भरे चिठ्ठी मिले रहिस. ‘अपन क्रियाकलाप ला रोक ले, नई त तोर पूरा परिवार के नामोनिसान मेटा देबो.’ मंय चिठ्ठी ला उइसनेच लिफाफा मं राख देंय अऊ अइसने दिखावा करें के जइसने कोनो कुछु नई देखे रहेंय. मंय ये बात ला सपना मं घलो सोचे नई सकत रहेंव के मोर ददा हा ये ला पढके कइसने कही. वो हा धीरज धर के चिट्ठी ला पढ़ीस, वो ला मोड़ के अपन खिसा मं राख लीस. कुछेक बेरा वो हा हमन तीनों ला छत मं लेग गीस अऊ होसियार रहे के हिदायत दीस .फेर चिठ्ठी के बारे मन कुछु नई कहिस.”
1990 के वो बखत डर अइसने रहिस के रोंवा काँप जवय. ये बात मन कऊनो सक-सुबहा नई रहिस के ये हिम्मती परिवार के लोगन मन आखिरी तक ले अपन हिस्सा के लड़ई लड़े होहीं. फेर सक ये बात मं घलो आय के हाथ मं एके-47 अऊ दीगर हथियार लेय प्रशिक्षित दस्ता के दमखम के आंच ये मन के हंऊसला ऊपर परे होही.
तब कुछु अइसने हालत रहे रहिस जब आतंकवादी मन ले कऊनो ह ट्यूबवेल ऊपर ओकर नांव पढके पहिचान लेय रहिस. सियान स्वतंत्रता सेनानी बताथे, “वो हा दूसर मन डहर देखके कहिस. ‘गर हमर निसाना भगत सिंह झुग्गियां हवय, त मोला ये मामला मं अब कुछु नई करना हे.’ “वो दस्ता ह परान लेय के अपन योजना ला रद्द कर दीस अऊ खेत ले पाछू हट के गायब हो गीन.
बाद मं ये खबर लगिस के आतंकवादी के छोटे भाई तऊन लोगन मन ले एक झिन रहिस जेन ला भगत सिंह ह अपन गाँव मं मदद करे रहिस. ओकर पटवारी के सरकारी नऊकरी घलो लाग गे रहिस. भगत सिंह मुचमुचावत कहिथे. जान ले मारे के योजना ले पीछे हटे के दू साल बाद ओकर “बड़े भाई मोला चेतावत रहय के कब अऊ किहाँ नई जाना हवय.” येकर ले मोला अवैय्या हमला ले बांचे सेती मदद मिलत रहिस.
जेन तरीका ले परिवार के लोगन मन वो जम्मो घटना के कहिनी ला बताथें त, वो ह घलो अपन आप मं करेजा कंपा देथे. ये मं भगत सिंह हा डक्टर जइसने फोर के बता थे, बंटवारा के बारे मं गोठियावत वो ह दूसर मन ले जियादा भवना मं भर जाथे. अऊ ओकर घरवाली के का होय होही का वो ह सदमा मं नई आय होही? 78 बछर के गुरदेव कौर जेन ह सबले सांत रहिस कहिथे, “मोला पक्का भरोसा रहिस के हमन हमला के जवाब देय सकबो.” एक जमाना मं आल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन के कार्यकर्त्ता रहय, वो ह कहिथे, “मोर बेटा मन अपन सरीर अऊ इरादा ले मजबूत रहिन अऊ गांववाला मन हमर सहयोग करे रहिन.”
भगत सिंह के संग गुरदेव कौर के बिहाव 1961 मं होय रहिस, जेन ह ओकर दूसर बिहाव रहिस. ओकर पहिली घरवाली के फऊत बिहान के कुछेक बछर बाद 1944 मेहिंच हो गे रहिस अऊ ओकर दूनो बेटी मन विदेस मन बस गे हवंय. गुरदेव कौर अऊ भगत सिंह के तीन झिन बेटा हवंय. बड़े बेटा जसवीर के 47 बछर के उमर मन मऊत हो गे. दूसर बेटा बेटे 55 वर्षीय कुलदीप सिंह अम्रीका मन जाके बसगे हवय अऊ परमजीत ओकर संग मन रहिथे.
का ओकर करा अभू तक ले 12-बोर के बंदूख रखाय हवय? जुवाब देवत वो ह हंसत कहिथे, “नई, मोला ओकर ले छुटकारा मिल गे हवय. अब वो ह कऊन काम के. कऊनो लइका मोर हाथ ले छीन लिही.”
1992 के विधानसभा के विधानसभा चुनाव के बखत मुसीबत फिर ले ओकर मुहटा मं आके ठाढ़ होगे. केंद्र सरकार ह पंजाब मं चुनाव करवा य के फइसला करे रहिस. खालिस्तानी मन चुनाव ठप करवाय बर तियार होके ठाढ़ रहंय, वो मन म्मीदवार मन के हतिया करे ला धरीन. भारतीय चुनाव संहिता के तहत चुनाव परचार के बखत कऊनो बड़े पार्टी के उम्मीदवार के मऊत के बाद, वो इलाका मं चुनाव रद्द धन स्थगित हो जावत रहिस. अब हरेक उम्मीदवार बर जान के खतरा बन गे रहय.
अइसने मारकाट कभू नई मचे रहिस तेकरे सेती चुनाव के तारीख ला जून 1991 तक ले बढ़ा दे गेय रहिस. ‘एशियन सर्वे’ जर्नल मं छपे गुहरपाल सिंह के लेख के लेख के मुताबिक ऊ बछर मार्च ले लेके जून महिना के मंझा मं “राज अऊ संसदीय 24 झिन उम्मीदवार मन के हतिया होय रहिस, दू ठन रेल मं जावत 76 लोगन मन के सरे आम कतल होय रहिस अऊ चुनाव ले सिरिफ हप्ता भर पहिली पंजाब ला असांत इलाका घोसित कर दे गे रहिस.”
आतंकवादी मन के मंसूबा साफ रहिस, चुनाव रद्द कराय सेती भरपूर उम्मीदवार मन के हतिया. सरकार ह एकर सेती भारी बंदोबस्त करिस अऊ जम्मो उम्मीदवार मन के सुरच्छा बेवस्था ला बढ़ा दीस. वो मं भगत सिंह झुग्गियां घलो रहिस जेन ह गढ़शंकर विधानसभा ले अपन दावेदारी करत रहिस. अकाली दल ले जुरे जम्मो धड़ा मन चुनाव के बहिस्कार करे रहिन. “ हरेक उम्मीदवार ला 32 सुरच्छाकरमी दे गेय रहिस अऊ नामी उम्मीदवार मन ला 50 धन ओकर ले जियादा घलो दे गे रहिस.” फेर ये तय रहिस के ये सरा इंतजाम चुनाव बखत तक ले रहिस.
भगत सिंह ह 32 सुरच्छाकरमी मन के का करत रहिन? वो ह बताथे, 18 सुरच्छाकरमी मोर पार्टी के दफ्तर मं तइनात रहिन. 12 झिन मोर संग रहेंव, मं य जिहाँ चुनाव परचार करे बर जावंव वो मोर संग जावत रहिन. बचे 2 झिन हमेसा मोर घर, परिवार के सुरच्छा मं लगे रहंय.” चुनाव के पहिली कतको बछर तक ले आतंकवादी मन के हिट लिस्ट मं रहे के बाद ओकर बर जान के खतरा जियादा रहिस, फेर वो ह सही सलामत बंचे रहिस. सेना, पैरामिलिटरी, अऊ पुलिस के जवान मन आंतकी मन ले मुठभेड़ करिन अऊ बिना जियादा जान माल के नुकसान होय चुनाव निपट गे.
परमजीत कहिथे, वो ह ये मानके चुनाव लड़े रहिस के अपन ला सबले जियादा महत्तम के निसाना बना देय ले खालिस्तानी मन के जम्मो धियान ओकर तीर हो जाही अऊ जवान कामरेड मन अपन जिनगी बचाय सकहीं.”
भगत सिंह ह कांग्रेस के उम्मीदवार ले चुनाव हार गे. फेर वो ह कुछु चुनाव जीते घलो रहिस. 1957 मं वो ह रामगढ़ अऊ चाक गुज्जरन, नांव के दू ठन गाँव के सरपंच बनाय गे रहिस. वो ह चार पईंत सरपंच बनिस, ओकर सरपंची के आखिरी बछर 1998 रहिस.
वो ह 1978 मं नवांशहर (अब जेकर नांव शहीद भगत सिंह नगर हवय) के सहकारी सक्कर मिल के निदेशक चुने गे रहिस, वो घलो अकाली दल के समर्थन हासिल करे रसूखदार ज़मींदार संसार सिंह ला हराके. 1998 मं वो हा एक घाओ अऊ ये पद सेती निर्विरोध चुने गीस.
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ये 80 बछर मन जब ले वो ह इस्कूल ले निकार दे गेय रहिस. भगत सिंह झुग्गियां हमेसा राजनीतिक रूप ले जागरूक अऊ सक्रिय रहिस. वो ला किसान आन्दोलन ले जुरे बारीक़ ले बारीक़ बात ला घलो जाने के ललक बने रहय. वो अपन पार्टी के स्टेट कंट्रोल कमीशन मं रहिथे. अऊ वो ह तऊन संस्था के ट्रस्टी घलो हवय जेन ह जालंधर मं 'देश भगत यादगार हॉल' चलाथे. डीबीवाईएच ह कउनो दीगर संस्था से कहीं जियादा मुस्तैदी ले पंजाब मं चलत क्रांतिकारी आंदोलन ला न सिरिफ दरज करथे, फेर दर्ज करे के संग ओकर दस्तावेज़ संभाल के घलो रखथे. ये ट्रस्ट ला ख़ुद ग़दर मूवमेंट के क्रांतिकारी मन बनाय रहिन.
ओकर संगवारी दर्शन सिंह मट्टू बताथे, अब तक ले घलो जब वो इलाका मं कऊनो जत्था किसान मन के समस्या ला लेके अवाज उठावत निकरथे, सायद दिल्ली सीमा मं प्रदर्सन मं जुरे सेती, त वोमन सबले पहिली कॉमरेड भगत सिंह के घर जाके भेंट करके ओकर आसीस लेथें. सीपीआई-एम की पंजाब कमेटी के सदस्य मट्टू ह आरो करत कहिथे, “तबियत सेती अब ओकर आय जाय ह पहिली ले बनेच कमती हो गे हवय. फेर ओकर जोस अऊ लगन पहिले जइसने हवय. इहाँ तक ले के आभू घोल वो ह रामगढ़ अऊ गढ़शंकर मं वो मुहीम के हिस्सा हवय जेन मन चऊर, दार, तेल अऊ दीगर जिनिस मन अऊ पइसा संकेल के शाहजहांपुर मं प्रदर्सन करेईय्या किसान मन के केम्प तीर पहुंचाय जवेइय्या हवय. ये मं घलो वो हा अपन सहयोग देय हवय.”
जब हमन निकरे के तियारी करे लगथन, वो हा अपन चले के मदद ले फुर्ती ले चलत कुछु दुरिहा चलके हमन ला बिदा करे बर जोर देथे. भगत सिंह के ससाध आय के हमन ये बात ला जान लेवन के जेन देस सेती वो ह अजादी के लड़ई लड़ीस ऊ देस के चलेइय्या मन वोला बहुते नापसंद हवंय. ये ह जनता के सरकार बिलकुल नई ये. वो ह कहिथे, “अजादी के लड़ई के विरासत ला थोकन त सम्भालो. जऊन तरीका के राजनितिक ताकत के वो मन मुखयई करथें, अजादी के लड़ई मं वो मन कहूँ नई रहिन, वो मन ले कउनो एक झिन मऊजूद नई रहिन. अभी सम्भाले नई गीस त देस ला बरबाद कर दिहीं.” आखिर तक आवत आवत ओकर माथा मं चिंता के लकीर सफ्फा झलके ला लागथे.
अऊ आखर मं वो ह कहिथे “फेर यक़ीन करव, ये हुकूमत के सुरुज घलो बूड़ जाही.”
लेखक के डहर ले: द ट्रिब्यून, चंडीगढ़ के विश्व भारती अऊ महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के भतीजा प्रो जगमोहन सिंह ला अपन कीमती जानकारी अऊ मदद सेती दिल ले आभार. संगे संग अजमेर सिद्धू ला घलो ओकर मदद अऊ जानकारी सेती बहुत अभार.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू