छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में, सैला नाचे वाला 15 गो नचैया लोग पहुंचल बा. ऊ लोग इहंवा सरकार ओरी से प्रायोजित हस्तशिल्प उत्सव खातिर आइल बा. कृष्ण कुमार ओहि में से एगो हवन.
ई रंग-बिरंगा नाच होखेला. नचैया लोग खूब चटख रंग के कपड़ा, आउर चमचम करत पगड़ी पहनेला. नाचे घरिया ऊ लोग के हाथ में लाठी होखेला. नाच में बांसुरी, मांदर, माहुरी आउर झाल जइसन बाजा बजावल जाला.
सैल नाच खाली मरद लोग करेला. कवनो-कवनो नचैया आपन कमर में मोर के पंखो खोंसले रहेला, जइसे कि मोर नाचत होखे. एह इलाका में जादे करके लोग खेती-किसानी करेला. इहंवा के नाच आउर संगीत में रउआ एह बात के झलक मिल जाई. खेत में कटनी के बाद, किसान आउर उनकर परिवार लोग गांव में गली-गली जाके नाचेला. मिहनत के रंग खेत से आंगन आउर आंगन से गांव तक में फइलल रहेला.
अनुवाद: स्वर्ण कांता