क़र्ज़ का फंदा, पलायन की त्रासदी, और एक युवा महिला की मौत
तुलसा सबर की अचानक हुई मौत, उनके परिवार पर बढ़ता हुआ क़र्ज़ और ईंट भट्ठों पर काम करने के लिए पलायन करना, ये सभी घटनाएं भारत के सबसे पिछड़े ज़िलों की चरमराई हुई व्यवस्था की कलई खोलती हैं
पुरुषोत्तम ठाकुर, साल 2015 के पारी फ़ेलो रह चुके हैं. वह एक पत्रकार व डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर हैं और फ़िलहाल अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के लिए काम करते हैं और सामाजिक बदलावों से जुड़ी स्टोरी लिखते हैं.
Author
Ajit Panda
अजीत पांडा, ओडिशा के खरियार शहर में रहते हैं. वह 'द पायनियर' के भुवनेश्वर संस्करण के लिए नुआपाड़ा ज़िले के संवाददाता के तौर पर कार्यरत हैं. इसके अलावा, वह तमाम अन्य प्रकाशनों के लिए स्थाई कृषि, आदिवासियों के भूमि व वन अधिकारों, लोक गीतों और त्योहारों के विषय पर लगातार लिखते रहे हैं.
Translator
Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.