दो जून की रोटी की ख़ातिर लद्दाख में भटकते झारखंड के मज़दूर
मूलतः झारखंड और अन्य प्रदेशों के रहने वाले प्रवासी मज़दूर, कोविड-19 की दूसरी लहर के कमज़ोर पड़ने के बाद आख़िरकार लद्दाख पहुंच गए, जहां वे बेहद मुश्किल परिस्थितियों में समुद्रतल से 10,000 फुट से भी ज़्यादा की ऊंचाई पर सड़क बनाने का काम करते रहे हैं
रितायन मुखर्जी, कोलकाता के फ़ोटोग्राफर हैं और पारी के सीनियर फेलो हैं. वह भारत में चरवाहों और ख़ानाबदोश समुदायों के जीवन के दस्तावेज़ीकरण के लिए एक दीर्घकालिक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं.
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Surya Prakash
सूर्य प्रकाश एक कवि और अनुवादक हैं. वह दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में पीएचडी लिख रहे हैं.