ये ह फिलिम के सबले बढ़िया सीन जइसने आय. छे मरद मन के जोर देय के बाद, के कटहर के बेपार माइलोगन के कारोबार नई आय – सब्बो लाय, ले जाय, भारी वजन उठाय अऊ कतको खतरा ले देखत – पांच मिनट बीते लक्ष्मी दुकान मं हबरथे. वो ह पिंयर लुगरा, भुरुवा चुंदी के गोल जूड़ा बांधे अऊ कान-नाक मं सोन के जेवर पहिरे हवंय. एक किसान ह मान देवत कहिथे, “ये बेवसाय मं सबले महत्तम मइनखे आय.”
“इही वो आय जऊन ह हमर उपज के दाम तय करथे.”
65 बछर के ए. लक्ष्मी, पनरुती मं एकेच माइलोगन आय जऊन ह कटहर के बेपारी आय – अऊ कऊनो खेती बेवसाय मं बहुते कम उमर के महतारी बेपारी मन ले हवंय.
तमिलनाडु के कुड्डालोर जिला के पनरुती सहर अपन कटहर सेती जगजाहिर हवय. इहाँ सीजन मं रोजके सैकड़ों टन के खरीदी-बिकरी होथे. हर बछर, लक्ष्मी हजारों किलो के फल के दाम तय करथे जऊन ह कटहर के मंडी जइसने सहर के 22 ठन दुकान मं बेचे जाही. वो ह लेवाल ले नान कन कमीसन – हरेक हजार पाछू 50 रूपिया लेथे. किसान चाहे त वोला थोर कन दे सकथें. ओकर अनुमान हवय के ये सीजन मं ओकर रोज के कमई 1,000 ले 2,000 रुपिया के मंझा मं हवय.
ये कमाय ला वो ह 12 घंटा काम करथे. वो ह रात 1 बजे ले तियार हो जाथे. लक्ष्मी बताथें, “गर बनेच अकन सरक्कू [जिनिस] हवंय, त बेपारी मोला लेगे बर मोर घर जल्दी आ जाथें.” वो ह ऑटोरिक्शा ले रात के 3 बजे हबर जाथे. ओकर ‘काम’ मझंनिया 1 बजे तक ले चलथे, जेकर बाद वो ह घर जाथे अऊ खाके सुस्ताथे. जब तक ले ओकर बजार लहूंटे के टेम नई हो जाय...
वो ह मोला कहिथे, “मंय कटहर के खेती के बारे मं जियादा नई जानंव,” लक्ष्मी विनम्र होके कहिथे, फेर मोला बेचे के तरीका के बारे मं पता हवय. घंटों बात करत अऊ नरियावत ओकर अवाज मोटा हो गे हवय. आखिर वो ह तीस बछर ले बेपार करत हवय, येकर पहिली 20 बछर तक ले वो ह चलत रेल मं फल बेंचय.
कटहर के ओकर सफर तब ले सुरु होइस जब वो ह 12 बछर के रहिस. मुटयारिन लक्ष्मी आधा लुगरा पहिरे अऊ कुछु पला पलाजम धरे, जइसने के तमिल मं कटहर ला कहे जाथे, भाप इंजन वाले रेल गाड़ी कारीवंडी (पेसेंजर रेलगाड़ी) मं बेचय. अब 65 बछर के लक्ष्मी जऊन घर मं रहिथे तेकर मुहटा मं लिखाय हवय – लक्ष्मी विलास.
ये वो घर आय जऊन ला लक्ष्मी ह बनवाय हवय, दुनिया के सबले बड़े फल मन ले एक – कटहर के फल बेंच के, कारोबार करके.
*****
कटहर के सीजन जनवरी धन फरवरी मं सुरु हो जाथे अऊ आम तऊर ले छे महिना तक ले चलत रहिथे. 2021 के पूर्वोत्तर मानसून बखत भारी अऊ बेमऊसम बरसात ह फुले–फरे ला 2 महिना पाछू धकेल दीस. अप्रैल के महिना रहिस जब पनरुती के मंडी मन मं फल पहुंचिस अऊ अगस्त तक ले सीजन सिरा गे रहिस.
'जैक', जइसने के बोलचाल के भाखा मं ये फल ला कहे जाथे, दक्षिण भारत के पश्चिम घाट के मूल निवासी आय. नांव के उत्पत्ति मलयालम शब्द चक्का ले होय हवय. येकर मुंह भर-भर वैज्ञानिक नांव आय: आर्टोकार्पस हेटरोफिलस.
पारी ह पहिली बेर अप्रैल 2022 मं बेपारी अऊ किसान मन ले भेंट होय सेती पनरुती गे रहिस. 40 बछर के किसान अऊ कमीशन एजेंट आर. विजयकुमार ह अपन दूकान मं हमर स्वागत करिस. दूकान ह माटी के अऊ खदर छवाय आय. एकर सलाना भाड़ा 50,000 रूपिया देथे. एक ठन बेंच अऊ कुछेक कुर्सी इहाँ के सम्पत आय.
इहाँ बनेच बखत पहिली मनाय तिहार के झंडा रहिस, ओकर ददा के फोटू मं माला, एक ठन चौकी अऊ कटहर के ढेरी. मुहटा मं पहिली लाट के 100 ठन फल जऊन ह एक ठन नानकन हरियर डोंगरी जइसने दिखत रहय.
विजयकुमार बताथें, “येकर दाम 25,000 रूपिया हवय”. आखिरी के ढेरी – दू झिन ला बेंचे गे हवय, अऊ चेन्नई के अड्यार तक जाथे – ये मं 3 कोरी फल हवंय, अऊ येकर दाम करीबन 18,000 रूपिया हवय.
कटहर ला अख़बार के वैन मं 62 कोस दूरिहा चेन्नई भेजे जाथे. विजयकुमार कहिथें, “गर ये ह आगू उत्तर डहर जाथे, त हमन येला टाटा एस ट्रक मं पठोथन. हमर बूता करे के दिन ह बनेच लंबा होथें. हमन इहाँ सीजन के बखत बिहनिया 3 धन 4 बजे ले रात 10 बजे तक ले रहिथन. फल के बनेच मांग हवय. सब्बो येला खाथें. सक्कर बीमारी वाले घलो चार सोले (फली) खाथें.” वो ह मुचमुचावत कहिथे, “सिरिफ हमन येला खाके थक जाथन.”
पनरुती मं एक कोरी दू थोक दुकान हवंय. ओकर ददा के इहीच जगा मं करीबन 25 बछर ले दुकान रहिस. ओकर गुजर जाय के बाद विजयकुमार बीते 15 बछर ले येला चलावत हवंय. हरेक दुकान रोज के 10 टन के कारोबार करथे. वो ह कहिथें, “सरा तमिलनाडु मं, पनरुती ब्लॉक मं सबले जियादा कटहर होथे.” अऊ ग्राहेक मन ला अगोरत बेंच मं बइठे किसान अपन मुड़ी हलावत, गोठ-बात मं सामिल हो जाथें.
लोगन मन वेशती धन लुंगी अऊ कमीज पहिरथें. वो मन एक दूसर ला जानथें, अऊ करीबन सब्बो ये बेपार मं हवंय. गोठ-बात जोर ले होथे, रिंगटोन ओकर ले घलो जोर ले होथे, अऊ जऊन लारी ह गुजरथे ओकर अवाज ह सबले तेज होथे, ओकर हारन कान ला भेद देथे.
47 बछर के के. पट्टूसामी ह कटहर के खेती के अपन गम पाय ला बताथें. वो ह पनरुती तालुक के कट्टंडिकुप्पम गांव के हवंय अऊ 50 रुख के मालिक आंय. वो ह दीगर 600 ला घलो लीज मं देथे. अभी के दाम हरेक 100 रुख के 1.25 लाख रुपिया चलत हवय. वो ह कहिथे, “मंय 25 बछर ले ये कारोबार मं हवंव अऊ मंय बताय सकत हवंव के बनेच अकन जिनिस के ठिकाना नई ये.”
इहाँ तक के गर बनेच अकन फल हवंय, पट्टू सामी के तर्क देथें, “10 ठन सर जाही, 10 ठन ओदर जाही, 10 ठन गिरही, अऊ 10 ठन दीगर जानवर मन खा जाहीं.”
बनेच जियादा पाके फल मन ला फेंक देय जाथे अऊ मवेशी मन के चारा बन जाथे. अऊसत 5 ले 10 फीसदी फल बेकार हो जाथे. ये ह मोटा मोटी, बढ़िया सीजन मं हरेक दिन हरेक दुकान मं आधा ले एक टन होथे. किसान मन के कहना आय के सिरिफ मवेसी मन के खाय के बन सकथे.
अऊ मवेसी मन के जइसने, रुख घलो लागत आंय. गाँव के लोगन मन येला जमा पूंजी जइसने मानथें – आम तऊर ले बढ़िया दाम मिलथे, अऊ ये ला सुद्ध नफा सेती बेचे जा सकत हवय. विजयकुमार अऊ ओकर मितान बताथें के एक ठन कटहर रुख के तना 8 हाथ ओसर अऊ 7 धन 9 फीट लंबा होथे, “सिरिफ लकरी लेइच 50,000 रूपिया मिलथे.”
पट्टूसामी कहिथें के किसान जिहां तक ले हो सकथे रुख ला नई काटय. “हमन [रुख ला] संख्या बढ़ाय के कोसिस करथन. फेर जब पइसा के जरूरत होथे – जरूरी इलाज के हालत मं धन परिवार मं बिहाव सेती – हमन बड़े अकन रुख ला छांटथन अऊ वोला लकरी सेती बेंचथन.” येकर ले किसान ला दू लाख रूपिया मिल जाथे. बिपत्ति ले निपटे सेती ये ह बनेच आय, धन कल्याणम (बिहाव) के खरचा सेती...
“इहाँ आवव,” पट्टूसामी ह मोला दुकान के पाछू चलत फोन करिस. वो ह बताथें के कभू उहाँ कतको दरजन कटहर के बड़े रुख रहिन. फेर, हम सब देख सकत हवन, अरेपाला कन्नू (कटहर के नान-नान रुख). बड़े-बड़े रुख ये जमीन के मालिक ह खरचा चलाय सेती बेंच दे रहिस. बाद मं, वो हा फेर येकर पऊध लगाय हवय. नान, पातर रुख मन डहर आरो करत पट्टूसामी कहिथे, “ये सिरिफ दू बछर जुन्ना हवंय. जब कटहर के रुख कुछु बछर जुन्ना हो जाथे तभेच फरथे.”
हरेक बछर सीजन के पहिली फसल ला जानवर खा जाथें. “बेंदरा येला अपन मुंह ले फोर देथें, अऊ फिर येला हाथ मं धरके खाथें. अऊ गिलहरी मन घलो ओकर ले मया करथें.”
पट्टूसामी कहिथें, रुख मन ला लीज मं देय, सबले बढ़िया काम आय. “देखव, रुख के मालिक मन ला हर साल एकमुश्त मिला जाथे, येती-वोती फल टोरे ला नई परय, अऊ बखत मं बजार मं ले जाय होथे. फेर मोर जइसने कऊनो – फेर मंय बनेच अकन रुख के देखरेख करथों – मंय एक बार मं 100 धन 200 काट सकथों अऊ मंडी लाय सकथों.” ये एक जीत आय, जब तक रुख के बेवहार रहय, मऊसम के बेवहार रहय, फर ह बढ़िया तरीका ले फरथे ...
दुख के बात आय के गर ये सब्बो हो घलो जाथे, तब ले घलो किसान दाम तय नई कर पायेव.गर वो मन कर सकतिन, त दाम मं भारी, तीन गुना अंतर नई होही. जइसने 2022 मं जब एक टन कटहर 10, 000 ले 30,000 रूपिया के मंझा मं राख देय गेय रहिस .
विजयकुमार लकरी के अपन टेबल के दराज डहर आरो करत कहिथे, “जब रेट जियादा होथे, त अइसने लागथे के बजार मं बनेच अकन पइसा हवय.” वो ला दूनो पार्टी ले पांच फीसदी कमीशन मिलथे. वो दराज ला बंद करत अपन खांध उचकाय ला धरथे. “फेर गर ग्राहेक तोला धोखा देथे त भारी झटका लागथे, अपन जेब ले चुकारा करे ला परथे. ये ह हमर नैतिक जिम्मेवारी आय, है ना ?”
कटहर किसान अऊ कमेइय्या मन अप्रैल 2022 के सुरु मं संगम नांव के एक ठन समिति बनाइन. विजयकुमार सचिव हवंय. वो ह कहिथे, “ये सिरिफ 10 दिन जुन्ना आय. हमन अभू तक येला पंजीकृत नई करे हवन.” वो ला अपन कमेटी ले बनेच आस हवंय. हमन दाम तय करे ला चाहथन. हमन कलेक्टर ले मिले ला चाहत हवन अऊ ओकर ले किसान अऊ ये उद्योग के मदद करे बर कहे ला चाहत हवन. हमन कमेइय्या मन के सेती कुछु प्रोत्साहन चाहथन, कुछु सुविधा - खासकरके फल ला रखे के कोल्ड स्टोरेज. गर हमन संगठित हवन तभेच जाय सकथन अऊ पूछ सकथन, है ना?”
ये बखत, वो मन जियादा से जियादा पांच दिन रख सकथें. लक्ष्मी ह आस धरे कहिथे, “हमन ला ये ला कइसने करके बढ़ाय के जरूरत हवय.” वो ह सोचथे के छे महिना बढ़िया होही. विजयकुमार तऊन ले कम से कम आधा चाहथें. अभी, वो मन कुछेक दिन बिन बेंचाय फल ला जमा करके रखे ला मजबूर हवंय, धन येला कोचिया मन ला दे देथें – जऊन मन येला काट के सड़क किनारा मं बेंचथें.
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श्री पाद्रे, पत्रकार अऊ यूनिक कन्नड़ फार्म पत्रिका एडिके पत्रिका (एरेका पत्रिका) के संपादक कहिथें, “कटहर सेती कोल्ड स्टोरेज अभी सिरिफ सोचे भर के बात आय. आलू धन सेब ला लंबा बखत तक ले रखे जा सकथे. फेर कटहर ऊपर कऊनो प्रयोग नई होय हवय. इहां तक के कटहर के चिप्स घला सीजन के बाद सिरिफ दू महिना तक ले मिलथे.”
वो ह कहिथें, “ये समे ला बदले जइसने होही, गर हमन बछर भर मं कटहर ले बने एक दरजन जिनिस बजार मं लाय सकेन.”
पारी के संग फोन मं होय गोठ-बात मं, पाद्रे ह कटहर के खेती ऊपर कतको महत्तम अऊ असरदार बिंदु मं बात करिन. सबले पहिली, वो ह कहिथें, हमर करा कटहर के आंकड़ा नई ये. “बिपत्ति मं कमी करे मुस्किल आयय अऊ ये ह भरम करेइय्या आय. करीबन 10 बछर पहिली तक ले येकर डहर चेत नई रहिस, फेंकाय कस फसल रहिस. पनरुति एक ठन भारी अपवाद आय.”
पाद्रे बताथें के भारत कटहर उपजाय मं दुनिया मं नंबर एक हवय. “कटहर के रुख हर जगा हवय, फेर हमन दुनिया के दाम के नक्सा मं बस नई अन. देश के भीतरी, केरल, कर्नाटक अऊ महाराष्ट्र कुछेक दाम बढ़ाथें, फेर ये ह तमिलनाडू मं एक नवा उदिम आय.
पाद्रे कहिथें, अऊ ये बड़े दुख के बात आय, काबर ये फल भारी उपयोग वाला आय. “कटहर ऊपर बनेच शोध करे जावत हवय. कऊनो जगा मं एक ठन बड़े रुख एक टन ले तीन टन उपज देय सकत हवय.” येकर छोड़, हरेक रुख मं पांच तरीका के कच्चा माल मिलथे: पहिली कसही कटहर होथे. येकर बाद ये सब्जी के रूप मं आथे. फेर पापड़ अऊ चिप्स मं बऊरे जाय कच्चा फल आय. चऊथा लोगनमन मन के पसंद पाके कटहर हवय. अऊ आखिर मं, बीजा हवय.
वो हा कहिथें, “कऊनो अचरज के बात नई ये के येला ‘सुपरफ़ूड’ कहे जाथे. अऊ येकर बाद घलो, कऊनो शोध केंद्र नई ये, कऊनो प्रसिच्छन केंद्र नई ये. न त केरा धन आलू सेती जइसने कटहर वैज्ञानिक अऊ सलाहकार हवंय.”
एक कटहर कार्यकर्ता जइसने, पाद्रे तऊन खामी मन ला भरे के कोसिस करत हवंय. “मंय बीते 15 बछर ले कटहर के बारे मं लिखत हवंव, जानकारी देवत हवंव अऊ लोगन मन ला प्रेरित करत हवंव. ये करीबन आधा बखत आय जब हमर पत्रिका एडिके पैट्रिके (34 बछर) चलत हवय. हमन सिरफ़ कटहर ऊपर 34 ले जियादा कवर स्टोरी करे हवन!”
फेर पाद्रे कटहर ऊपर अच्छाई वाला (सकारात्मक) कहिनी मन ला उजागर करे के मन रखथें – अऊ वो ह गोठ-बात बखत कतको जिनिस मन ला बताथें, जऊन मं भारत मं गुरतुर कटहर के आइसक्रीम घलो सामिल हवय – वो दिक्कत मन के बात नई करंय. सुफल होय के रद्दा कोल्ड स्टोरेज के पता लगाय ला हवय. सबले पहली पाके कटहर ला बछर भर फ्रोजन करके लोगन मन तीर पहुंचाना हवय. ये कऊनो रॉकेट साइंस नई ये, फेर हमन ये रद्दा मं थोकन पांव घलो धरे नई हवन.”
ये फल सेती अनोखा दिक्कत हवय – तुमन सिरिफ बहिर ले गुनवत्ता नई बताय सकव. पनरुति के उलट, जिहां कटहर के कटई भारी चेत धरके करे जाथे – अऊ जिहां फल मन सेती तय बजार हवय – बाकी जगा, कटहर के सब्बो उपज वाला इलाका मं कऊनो बजार बने नई ये. कऊनो किसान के सुविधा के भेजे के जरिया घलो नई ये. अऊ येकर सेती बनेच अकन बरबाद हो जाथें.
ये बरबादी ले निपटे सेती हमन काय करे हवन. पाद्रे पूछथे, “काय ये ह घलो खाय के नई ये? हमन सिरिफ चऊर अऊ गहूँ ला अतक महत्तम काबर देथन?”
विजयकुमार कहिथें, बेपार ला बढ़ाय सेती, पनरुती ले कटहर ला हरेक जगा ले जाय ला होही – हरेक राज, हरेक देस मं. वो ह कहिथें, “जियादा परचार होय ला चाही, तभेच हमन ला बढ़िया दाम मिलही.”
अन्ना फ्रूट मार्केट मं, चेन्नई के बड़े भारी कोयम्बेडु थोक बजार मं, कटहर बेपारी मन के एके सवाल हवय: कोल्ड स्टोरेज अऊ रखे के बढ़िया गोदाम. इहाँ के बेपारी मन के अगुवा सी. आर. कुमारवेल कहिथें के एक फल के दाम 100 ले 400 रूपिया चढ़त-उतरत रहिथे.
“कोयम्बेडु मं, हमन फल के नीलामी करथन. जब बनेच जियादा आ जाथे, त सुभाविक आय दाम ह गिरही. अऊ बनेच अकन बरबादी घलो – 5 धन 10 फीसदी. गर हमन फल ला रखे सकबो अऊ बेंचबो, त किसान ला बढ़िया दाम के नफा मिलही.” कुमारवेल के अनुमान हवय के हरेक 10 दुकान सेती रोज के कम से कम 50,000 रूपिया के बेपार होही. “फेर ये ह सिरिफ सीजन मं होथे – बछर भर मं पांच महिना.”
तमिलनाडु कृषि अऊ किसान कल्याण विभाग के 2022-23 के नीति नोट मं कटहर किसान अऊ बेपारी मन के सेती कुछु वादा करे गे हवय. नीति नोट मं लिखे गे हवय के कटहर सेती कुड्डालोर जिला के पनरुती ब्लॉक के पणिकनकुप्पम गांव मं कटहर के खेती अऊ प्रसंस्करण सेती 5 करोड़ रूपिया के विशेष केंद्र घलो बनाय जाही.
नोट मं कहे गे हवय के “वैश्विक बजार मं जियादा दाम लाय” सेती, पनरुति कटहर बर भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल करे के कोसिस करे जावत हवय.
लक्ष्मी, अचरज मं हवय के “बनेच अकन लोगन मन ये घलो नई जानंय के पनरुति कऊन मेर हवय.” वो ह बताथें के 2002 के तमिल फिलिम सोला मरांधा कढ़ाई (एफॉरगॉटन स्टोरी) ह ओकर सहर ला जगजाहिर बना देय रहिस. वो ह धीर धरे गरब ले कहिथे, “निर्देशक थंकर बच्चन इहीच इलाका ले हवंय. मंय घलो फिलिम मं दिखथों, शूटिंग बखत भारी घाम रहिस, फेर ये ह मनभावन रहिस.”
*****
सीजन के बखत लक्ष्मी के भारी मांग रथे. कटहर पसंद करेइय्या मन करा स्पीड डायल मं ओकर फोन नंबर हवय. वो मन जानथें के वो ह वो मन ला सबले बढ़िया फल दिही.
अऊ सिरतोन लक्ष्मी अइसने कर सकथे. वो ह न सिरिफ पनरुती के एक कोरी ले जियादा मंडी ले जुरे हवय, वो ह कतको किसान मन ला जानथें जऊन मन ओकर करा पठोथें. अक्सर, वो ह ये घलो जानथे के वो मन के फसल कब तियार हो जाही.
वो ह ये सब्बो ला कइसे नजर मं रखे रथे? लक्ष्मी जुवाब नई देवय. ये साफ हवय – वो हा कतको दसक ले एकर चरों डहर हवय, ये जाने के कारोबार ओकर आय, अऊ वो ह करथे.
मरद वाले काम मं वो ह कइसने आइस? ये बेरा वो ह मोला जुवाब देथे. “तुमन जइसने लोगन मन मोला फल बिसोय ला कहिथें. अऊ मंय वो मन के सेती बढ़िया दाम हासिल करथों.” वो हा फोर के कहिथे, वो ह बेपारी घलो खोजथे. ये सफ्फा हवय के बेपारी अऊ किसान ओकर फइसला के मान रखथें. वो मन ओला सम्मान देथें अऊ ओकर भारी गुन गाथें.
वो ह जऊन इलाका मं रहिथे, उहाँ हरेक तुमन ला बता दिहीं के ओकर घर कऊन मेर हवय. वो ह कहिथे, “फेर मोर त सिरिफ सिलाराई व्यापम (नानकन बेवसाय) हवय, मोला बस सब के सेती बढ़िया दाम मिलथे.”
जइसनेच कटहर के लोड मंडी मं आथे, लक्ष्मी फल के दाम तय करे के पहिली ओकर किसिम ला परखथे. येकर बर वोला बस चाकू के जरूरत परथे. छेदा करके वो हा बता सकथे के ये ह पाके हवय धन कच्चा, धन दूसर दिन खाय सेती तियार हो जाही. गर वो ला अपन फइसला मं कुछु संदेहा होथे त वो ह नानकन चिरा लगाके अऊ फली ला बहिर निकार के फिर ले परखथे. फेर ये ह सोन कस जाँच आय,जऊन ला सायदे कभू करे जाथे काबर ये मं फल ला फोरे ला परथे.
“बीते बछर, एकेच अकार के 120 रूपिया वाले पला के दाम अब 250 रूपिया हवय. ये बरसात के पानी अऊ फसल के नुकसान सेती दाम भारी हवय.” वो ह बिचारथे, के कुछेक महिना मं (जून), हरेक दुकान मन मं 15 टन फल होही.अऊ दाम ह तेजी ले गिरही.
लक्ष्मी कहिथे के जब ले वो ह ये बेवसाय मं आय हवंय, कटहर के कारोबार बनेच बाढ़गे हवय. जियादा रुख हवंय, जियादा फल हवंय अऊ बनेच जियादा बेपारी हवंय. किसान, फेर, अपन उपज एक खास कमीशन एजेंट तीर ले जाथें. येकर पाछू एक कारन त वो करजा आय जऊन ला खास एजेंट ह वो मन ला देय हवय. लक्ष्मी बताथें के वो मन सलाना फसल के एवज मं 10,000 रूपिया ले लेके एक लाख रूपिया तक ले कहूँ घलो उधार ले लेथें. अऊ येला बिक्री मं ‘चुकता’ करथें.
ओकर बेटा रघुनाथ एक अऊ बात बतातें. वो ह कहिथें, “जऊन किसान करा बनेच अकन पला मारम हवंय, वो मन न सिरिफ फल बेंचथें – वो मन दाम बढ़ाके अऊ नफा लेय ला चाहथें.” वो मन कटहर ले चिप्स अऊ जैम बनाथें. येकर छोड़, कच्चा फल ला रांधे जाथे, मटन के जगा मं बऊरे जाथे.
रघुनाथ कहिथें, “अइसने कारखाना हवंय जिहां फली ला सुखाय जाथे अऊ पाउडर बनाय जाथे.” ये ला दलिया मं चुरो के खाय जाथे. फल के बनिस्बत ये जिनिस ह चलन मं नई आय हवय – फेर कारखाना के मालिक मन के मानना हवय के समे संग ये हो जाही.”
लक्ष्मी ह जऊन घर बनाइस वो ह पूरा पूरी कटहर के आमदनी ले बने हवय.
वो ह अपन ऊँगली ले भूईंय्या ला छुवत कहिथे, “ये ला बने 20 बछर हो गे हवय,” फेर घर आय ले पहिली ओकर घरवाला गुजर गे. वो मन रेल मं कुड्डालोर ले पनरुती कटहर बेंचत जावत मिले रहिन, जिहां ओकर चाहा के दुकान रहिस.
वो मन के प्रेम बिहाव रहिस. वो मया अभू घलो पनरुती के एक झिन कलाकार के बनाय सुंदर चित्र मं झलकथे. वो ह अपन घरवाला के एक ठन फोटू बर 7,000 रूपिया अऊ दूसर बर 6,000 रुपिया खरचा करिस जऊन मं दूनो रहिन. वो ह मोला कतको कहिनी सुनाथे, ओकर आवाज मोठ हवय फेर ताकत ले भरपूर हवय. मोला ओकर कुकुर के कहिनी बनेच भाइस, अतका वफादार, अतका चतुर अऊ अतक गुनेवाला.”
मझंनिया के करीबन 2 बजत हवंय, फेर लक्ष्मी ह अब तक ले खाय नई ये. मंय, जल्देच, वो ह कहिथे, अऊ गोठियावत रहिथे. सीजन के बखत, ओकर करा घर के बूता करे के बस टेम नई रहय. ओकर बहू कायलविझी घर के देखरेख करथे.
दूनो मोला बताथें के कटहर के संग वो मन काय रांधथें. बीजा ले हमन उपमा बनाथन. कच्चा फली के संग, हम येकर छिलका ला हटाथन, येला पिसे हरदी डार के संग चुरोथन, फेर मोर्टार ले कुचरथन, ओकर बाद थोकन उलुथम परुप्पु [उरीद] के छौंक लगाथन अऊ किसे नरियर के संग परोसथन. गर फली फूले हवय, त येला थोकन तेल के संग सेंक के अऊ पिसे मिर्चा संग खाय जाय सकत हवय. सांभर मं बीजा डालथन, बिरयानी मं कच्चा फली डारे जाथे. लक्ष्मी पला ले बने खाय के जिनिस मन ला “अरुमाई” (जोरदार) अऊ “मीठ” कहिथें.
अधिकतर, लक्ष्मी अपन खाय के बारे मं खास चिंता नई करय. वो ह चाहा पिथे, धन तीर के कऊनो होटल मं खा लेथे. वो ला “प्रेसर अऊ सुगर”, यानि ब्लड प्रेशर अऊ सक्कर के बीमारी हवय. “मोला टेम मं खाय ला हवय, नई त मोला चक्कर आय ला धरथे.” तऊन बिहनिया वो ला चक्कर अइस अऊ वो ह जल्दी ले विजयकुमार के दुकान ले निकर गे. भलेच वोला ओकर काम मं लंबा अऊ देर तक ले बूता करे ला परथे, फेर लक्ष्मी ला ये खतरा नई लगय. “कऊनो दिक्कत नई ये.”
करीबन 30 बछर पहिली, रेल मं बेंचे के दिन मं, कटहर 10 रूपिया मं बेंचे जावत रहिस. (अब येकर दाम 20 ले 30 गुना के मंझा मं होही.) लक्ष्मी सुरता करथें के रेल के डिब्बा म पेटी (बक्सा) जइसने रहिस. कऊनो गलियारा नई रहिस. बिन बोले समझऊता जइसने एक डब्बा मं एकेच बेचेइय्या रहय. ओकर उतरे के बादेच कऊनो दूसर भीतर जावय. तब टिकिट चेक करेइय्या मन भाड़ा अऊ टिकिट के जोर नई देवत रहिन. हमन फोकट मं आवत-जावत रहेन. फेर, वो ह अपन अवाज ला कम करत मोला कहिथे, “ हमन वोला कुछु देवत रहेन ...”
वो ह पेसेंजर ट्रेन रहिन, धीरे-धीरे आगू बढ़यं अऊ सब्बो टेसन मं रुकेंव. अवेईय्या-जवेइय्या कतको लोगन मन फल बिसोयं. फेर कमई कमती रहिस.वो ह एक दिन मं कतक कमावत रहिस, ये साफ नई ये, फेर वो ह कहिथे, “वो बखत 100 रूपिया बहुते जियादा रकम रहिस.”
“मंय इस्कूल नई गेंय. जब मंय नानकन रहंय तब मोर दाई-ददा गुजर गे रहिन.” जिनगी चलाय ला कतको रेल मं फल बेंचत आना-जाना करिस: चिदंबरम, कुड्डालोर, चेंगलपुट, विल्लुपुरम. अपन खाय बर, मंय टेसन के कैंटीन ले अमली धन दही-भात बिसोंव. जब मोला जरूरत परय, मंय अपन कटहर के ट्रे ला लगेज वाला जगा मं रखे के बाद, डिब्बा के पखानाखोली मं जावंव. अतके मिहनत रहिस. फेर मोर करा अऊ काय चारा रहिस?”
अब ओकर तीर सब्बो सुविधा हवय – वो ह घर मं रहिथे अऊ कटहर के सीजन सिरोय के बाद सुस्तावत रहिथें. वो ह कहिथे, “मंय चेन्नई जाथों अऊ अपन रिस्तेदार मन के संग इहाँ-उहाँ दू हफ्ता बिताथों. बाकी बखत, मंय इहाँ अपन पोता सर्वेश के संग हवंव.” तीर मं खेलत नानकन लइका ला देखत वो ह मुचमुचावत हवय.
कायलविझी ये मं कुछु अऊ जोरथे. “वो ह अपन सब्बो रिस्तेदार के मदद करथें; वो मन ला जेवर घलो दिलवाथें. गर कऊनो मदद मांगथे, त वो ह कभू नईं, नई कहंय...”
लक्ष्मी अपन काम के सुरु मं ‘नईं’ कतको बेर सुने होहीं. इहाँ कऊनो हवय जऊन ह अपन "सोंधा उज़ैप्पु" (अपन उदिम) के संग अपन जिनगी ला बदल दीस. ओकर कहिनी सुने ह एक फांक कटहर खाय जइसने आय – अतक गुरतुर के येकर आस नई होय होही. येला सुनथो, त ये ह भारी सुरता बन जाथे .
ये शोध अध्ययन अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय डहर ले अपन अनुसंधान अनुदान कार्यक्रम 2020 के अनुदान के तहत करेगे हवय.
जिल्द फोटू: एम पलानी कुमार
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू