वो ह अपन मयारू ले दूरिहा हवय, फेर दिल ले, ओकर बर समंदर पार करे बर तियार हवय, वो ह ओकर संग चाहत हवय. ये गीत एक ठन बिनती आय:

કુંજલ ન માર વીરા કુંજલ ન માર , હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર
कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार

वो नई चाहत हवय के वो ह वोला बिसोर देय. ये ह कुंजल ला मारे बरोबर होही, कुंज सारस (डेमोइसेल क्रेन) इहाँ के नांव आय, जेन ह हरेक जड़कल्ला मं भारी दूरिहा साइबेरिया ले कच्छ के सुक्खा कांदी के भूंइय्या मं उड़ के आथे. वो ह जेन कुंज चिरई के चिन्हारी करथे, वो ह कच्छी लोक संस्कृति में जाने पहिचाने, भारी मयारू अऊ पूजे जवेइय्या चिरई आय. ये ह सहजता ले माइलोगन मन के दुनिया मं मितान, भरोसा के संगी अऊ सलाह देवेइय्या के रूप मं, इहाँ तक ले ओकर पहिचान अऊ मन के चाह के रूपक के रूप घलो समाय रहिथे.

वो ह कहिथे, येकर छोड़ वो जऊन कर सकथे, वो ये आय के वोला कुछु जेवर दिलवाय: एक ठन नथनी, एक ठन हार, पायल के जोड़ी, मंगटीका अऊ मुंदरी. अऊ वो मन ले हरेक मं मिले के मया करत कुंजल चिरई के जोड़ा के चित्र जड़वावय. मुंद्रा तालुका के जुमा वाघेर के सुग्घर अवाज मं ये गीत ह, ये कड़ी मं मिलेइय्या कतको ‘पक्षी-वैज्ञानिक लोकगीत’ मन ले एक ठन अऊ सुग्घर आय.

भद्रेसर के जुमा वाघेर के आवाज मं ये लोकगीत ला सुनव

કરછી

કુંજલ ન માર વીરા કુંજલ ન માર, હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર
કડલાર રે ઘડાય દે વીરા કડલા ઘડાય દે, કાભીયે જે જોડ તે કુંજ કે વીરાય
કુંજલ ન માર વીરા કુંજલ ન માર, હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર
મુઠીયા રે ઘડાય દે વીરા મુઠીયા રે ઘડાય, બગલીયે જે જોડ તે કુંજ કે વીરાય
કુંજલ ન માર વીરા કુંજલ ન માર, હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર
હારલો ઘડાય દે વીરા હારલો ઘડાય, દાણીએ જે જોડ તે કુંજ કે વીરાય
ન માર વીરા કુંજલ ન માર, હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર
નથડી ઘડાય દે વીરા નથડી ઘડાય, ટીલડી જી જોડ તે કુંજ કે વીરાય
કુંજલ ન માર વીરા કુંજલ ન માર, હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર
કુંજલ ન માર વીરા કુંજલ ન માર, હી કુંજલ વેધી દરિયા પાર

छत्तीसगढ़ी

कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार
बनवा दे एक जोड़ा कडला मोर बर, गोड़ बर पायल के जोड़ी दे बनवा
अऊ हरेक मं जड़वा दे कुंज के जोड़ा
कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार
बनवा दे एक मुठिया ला मोर बर, उंगरी सेती बनवा दे मुठिया
अऊ हरेक चूड़ी मं जड़वा दे कुंज के जोड़ा
कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार
बनवा दे मोर गला के शोभा बढ़ेइय्या एक ठन हार
अऊ वो मं जड़वा दे कुंज के जोड़ा
कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार
बनवा दे नथनी मोर बर, नाक के शोभा बढ़ेइय्या बनवा दे नथनी
अऊ मोर माथा सेती तिलणि, जऊन मं जड़े रहे कुंज के जोड़ा
कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार
कुंजल ला झन मारो, बिनती हे झन मारो! कुंजल जाही समंदर पार

PHOTO • Priyanka Borar

गीत के किसिम : लोकगीत

समूह : मया अऊ चिरोरी के गीत

गीत : 12

गीत के नांव : कुंजल ना मार वीर कुंजल ना मार

धुन : देवल मेहता

गायक : जुमा वाघेर, भद्रेसर गांव, मुंद्रा तालुका

बाजा : ड्रम, हारमोनियम, बैंजो

रिकॉर्डिंग बछर : 2012, केएमवीएस स्टूडियो

ये गीत , सामुदायिक रेडियो सूरवानी के रिकॉर्ड करे गे 341 गीत ले , कच्छ महिला विकास संगठन (केएमवीएस) के जरिया ले पारी मं आय हवंय. अऊ गीत सुने बर ये पेज मं जावव : रण के गीत: कच्छी लोक गीत के खजाना

प्रीति सोनी , केएमवीएस के सचिव अरुणा ढोलकिया अऊ केएमवीएस के परियोजना समन्वयक अमद समेजा ला ओकर मदद सेती खास आभार. अऊ बेशकीमती मदद करे सेती भारतीबेन गोर के बहुत आभार

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Series Curator : Pratishtha Pandya

ಪ್ರತಿಷ್ಠಾ ಪಾಂಡ್ಯ ಅವರು ಪರಿಯ ಹಿರಿಯ ಸಂಪಾದಕರು, ಇಲ್ಲಿ ಅವರು ಪರಿಯ ಸೃಜನಶೀಲ ಬರವಣಿಗೆ ವಿಭಾಗವನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸುತ್ತಾರೆ. ಅವರು ಪರಿಭಾಷಾ ತಂಡದ ಸದಸ್ಯರೂ ಹೌದು ಮತ್ತು ಗುಜರಾತಿ ಭಾಷೆಯಲ್ಲಿ ಲೇಖನಗಳನ್ನು ಅನುವಾದಿಸುತ್ತಾರೆ ಮತ್ತು ಸಂಪಾದಿಸುತ್ತಾರೆ. ಪ್ರತಿಷ್ಠಾ ಗುಜರಾತಿ ಮತ್ತು ಇಂಗ್ಲಿಷ್ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುವ ಕವಿಯಾಗಿಯೂ ಗುರುತಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದು ಅವರ ಹಲವು ಕವಿತೆಗಳು ಮಾಧ್ಯಮಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಕಟವಾಗಿವೆ.

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Illustration : Priyanka Borar

ಕವರ್ ಇಲ್ಲಸ್ಟ್ರೇಷನ್: ಪ್ರಿಯಾಂಕಾ ಬೋರಾರ್ ಹೊಸ ಮಾಧ್ಯಮ ಕಲಾವಿದೆ. ಹೊಸ ಪ್ರಕಾರದ ಅರ್ಥ ಮತ್ತು ಅಭಿವ್ಯಕ್ತಿಯನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿಯಲು ತಂತ್ರಜ್ಞಾನವನ್ನು ಪ್ರಯೋಗಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಅವರು ಕಲಿಕೆ ಮತ್ತು ಆಟಕ್ಕೆ ಎಕ್ಸ್‌ಪಿರಿಯೆನ್ಸ್ ವಿನ್ಯಾಸ‌ ಮಾಡುತ್ತಾರೆ. ಸಂವಾದಾತ್ಮಕ ಮಾಧ್ಯಮ ಇವರ ಮೆಚ್ಚಿನ ಕ್ಷೇತ್ರ. ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ ಪೆನ್ ಮತ್ತು ಕಾಗದ ಇವರಿಗೆ ಹೆಚ್ಚು ಆಪ್ತವಾದ ಕಲಾ ಮಾಧ್ಯಮ.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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