हावड़ा के जमील जरी (सोना) के कढ़ाई में माहिर रहस. 27 बरिस के ई कारीगर घंटो भूइंया पर गोड़ मोड़ के बइठस आउर मंहग-महंग कपड़ा के आपन कढ़ाई से चमका देवस. बाकिर, बीसे बरिस के उमिर में उनकरा हड्डी के तपेदिक (टीबी) हो गइल. सूइया के काम त्यागे के पड़ल. बेमारी उनकर हड्डी के एतना कमजोर कर देलक कि जादे देर ले गोड़ मोड़ के बइठल पहाड़ हो गइल.

“ई हमार काम करे आउर माई-बाऊजी के आराम करे के बखत रहे. बाकिर एकदम उलटा हो रहल बा. ओह लोग के हमार इलाज खातिर पइसा कमाए के पड़त बा,” हावड़ा के चेंगाइल इलाका में रहे वाला नौजवान कहले. जमील के इलाज खातिर कोलकाता जाए के पड़ेला.

हावड़े में अवीक आउर उनकर परिवार के लोग पिलखाना झुग्गी में रहेला. एह लइका के भी हड्डी के टीबी बा. बेमारी चलते साल 2022 के बीचे में उनकर स्कूल छूट गइल. अइसे त ऊ धीरे-धीरे ठीक हो रहल बाड़न बाकिर अबहियो उनकरा में स्कूल जाए के ताकत नइखे.

हम साल 2022 में जब ई स्टोरी करत रहीं, त पहिल बेर जमील, अवीक आउर टीबी के दोसर मरीज लोग से भेंट भइल रहे. हम अक्सरहां ओह लोग से मिले पिलखाना झुग्गी पहुंच जाईं. उहंवा ओह लोग के फोटो खीचीं, रोज के जिनगी के बारे में बतियाईं.

जमील आउर अवीक प्राइवेट क्लीनिक के खरचा उठावे में सक्षम नइखन. एहि से ऊ लोग सुरु-सुरु में एगो एनजीओ के चलत-फिरत (मोबाइल) टीबी क्लीनिक में जांच खातिर जात रहे. ई एनजीओ दक्षिण 24 परगना आउर हावड़ा के गांव-देहात के मरीज के मदद में लागल बा. बाकिर क्लीनिक में आवे वाला जमील आ अवीक अकेले ना रहे.

Left: When Zamil developed bone tuberculosis, he had to give up his job as a zari embroiderer as he could no longer sit for hours.
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Right: Avik's lost the ability to walk when he got bone TB, but now is better with treatment. In the photo his father is helping him wear a walking brace
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बावां : जमील के जब हड्डी के टीबी भइल त उनकरा जरी के काम छोड़े के पड़ल, अब ऊ जादे देर ले भूइंया पर ना बइठ सकत रहस. दहिना : अवीक हड्डी के टीबी भइला के बाद चले से लाचार हो गइलन. बाकिर इलाज से अब बेहतर बाड़न. फोटो में बाऊजी उनकरा चले खातिर एगो खास तरह के जूता पहनावत बाड़न

An X-ray (left) is the main diagnostic tool for detecting pulmonary tuberculosis. Based on the X-ray reading, a doctor may recommend a sputum test.
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An MRI scan (right) of a 24-year-old patient  shows tuberculosis of the spine (Pott’s disease) presenting as compression fractures
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पल्मोनरी (फुफ्फुसीय) तपेदिक के पता लगावे खातिर एक्स-रे (बावां) सबले उपयोगी तरीका बा. एक्स-रे देखला के बाद डॉक्टर लार के जांच लिखेला. 24 बरिस के मरीज के एमआरआई स्कैन (दहिना) में रीढ़ के हड्डी के टीबी (पॉट्स रोग) कंप्रेशन (संपीड़न) फ्रैक्चर के रूप में देखाई देत बा

हाल में आइल राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 ( एनएफएचएस-5 ) में कहल गइल बा, “गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में टीबी के फेरु से वापसी भइल बा.” बिस्व स्वास्थ्य संगठन के नवंबर, 2023 के टीबी रिपोर्ट के मानल जाव, त दुनिया भर में टीबी के 27 प्रतिशत मामला भारत में बा.

दू ठो डॉक्टर आउर 15 ठो नर्स के मोबाइल टीम एक दिन में मोटा-मोटी 150 किमी चलेला. ऊ लोग चार से पांच अलग-अलग जगहा जाके अइसन मरीज के इलाज करेला जेकरा कोलकाता, चाहे हावड़ा जाके आपन इलाज करावे के ताकत नइखे. मोबाइल क्लीनिक में इलाज खातिर दिहाड़ी मजूर, निर्माण मजूर (पुल, इमारत आदि बनावे वाला), पत्थर मजूर, बीड़ी मजूर, बस-ट्रक चालक लोग आवेला.

हम मोबाइल क्लीनिक के जेतना भी मरीज के फोटो खींचनी, बात कइनी, इहे देखनी कि ऊ लोग जादेतर गांव-देहात आउर शहर के झुग्गी वाला हिस्सा से आवत बा.

मोबाइल क्लीनिक कोविड महामारी के समय कइल गइल एगो अहम पहल रहे. बाकिर अब ई बंद बा. अवीक जइसन टीबी मरीज के अब इलाज खातिर हावड़ा के ब्येंटरासेंट थॉमस होम वेलफेयर सोसायटी जाए के पड़ेला. अइसन छोट उमिर के मरीज जइसने, सोसायटी में आवे वाला दोसर लोग भी हाशिया पर रहे वाला समुदाय से आवेला. ऊ लोग जदि भीड़-भाड़ वाला सरकारी अस्पताल जाई त ओह लोग के एक दिन के कमाई के सत्यानाश हो जाई.

मरीज लोग से बात कइला से पता चलल कि सावधानी, इलाज आउर देखभाल के बात त छोड़ दीहीं, टीबी नाम के बेमारी के बारे में लोग के जादे जानकारी भी नइखी.  टीबी के केतना मरीज के मजबूरी में परिवार संगे एके कमरा में रहे के पड़ेला. संगे काम करे वाला लोग भी रहेला: “हमनी सभ काम करे वाला लोग संगे रहिला. ओह में से एगो के टीबी बा. बाकिर हम अलगे रहे के खरचा ना उठा सकीं. एहि से हमरा साथे रहे के पड़ेला,” रोशन कुमार कहलन. ऊ तेरह बरिस पहिले दक्षिण 24 परगना से जूट कारखाना में काम करे खातिर हावड़ा आ गइल रहस.

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'Tuberculosis has  re-emerged  as  a  major  public  health  problem,' says the recent National Family Health Survey 2019-21(NFHS-5). And India accounts for 27 per cent of all TB cases worldwide. A case of tuberculous meningitis that went untreated (left), but is improving with treatment. A patient with pulmonary TB walks with support of a walker (right). It took four months of steady treatment for the this young patient to resume walking with help
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'Tuberculosis has  re-emerged  as  a  major  public  health  problem,' says the recent National Family Health Survey 2019-21(NFHS-5). And India accounts for 27 per cent of all TB cases worldwide. A case of tuberculous meningitis that went untreated (left), but is improving with treatment. A patient with pulmonary TB walks with support of a walker (right). It took four months of steady treatment for the this young patient to resume walking with help
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नयका नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 (एनएफएचएस-5) के हिसाब से, टीबी फेरु से एगो बड़का स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरल बा. दुनिया भर के 27 प्रतिशत टीबी के मरीज लोग भारत में बा. ट्यूबरकुलस मैनिंजाइटिस के एगो मामला जेकरा इलाज ना मिल सकल (बावां), बाकिर अब उचित इलाज के बाद ठीक होखत बा. पल्मोनरी टीबी के मरीज अब वॉकर (दहिना) के सहारे चल रहल बाड़न. नयका पीढ़ी के नेहा चार महीना के इलाज के बाद, खास मदद से फेरु से चल सकत बाड़ी

Rakhi Sharma (left) battled tuberculosis three times but is determined to return to complete her studies. A mother fixes a leg guard for her son (right) who developed an ulcer on his leg because of bone TB
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Rakhi Sharma (left) battled tuberculosis three times but is determined to return to complete her studies. A mother fixes a leg guard for her son (right) who developed an ulcer on his leg because of bone TB
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राखी शर्मा (बावां) तीन बार टीबी से जूझ चुकल बाड़ी, बाकिर तबहियो आपन पढ़ाई पूरा करे खातिर पूरा लगन से लागल बाड़ी. एगो माई आपन लइका (दहिना) खातिर लेगगार्ड ठीक करत बाड़ी. उनकर बच्चा के हड्डी के टीबी चलते गोड़ में अल्सर हो गइल रहे

टीबी से पीड़ित किशोर लोग पर राष्ट्रीय सेहत मिशन के साल 2021 के रिपोर्ट में कहल गइल बा कि दुनिया भर में टीबी से जूझ रहल 28 प्रतिशत बच्चा लोग भारत में बा.

अवीक के जब टीबी होखे के पता चलल, त उनकरा स्कूल छोड़े के पड़ल. घर से तनिए दूर स्थित स्कूल ऊ चल के ना जा सकत रहस. 16 बरिस के अवीक बतावत बाड़न, “हमार स्कूल आउर स्कूल के दोस्त लोग छूट गइल. ऊ लोग अब हमरा से एक कक्षा सीनियर बा.”

एगो अनुमान के आधार पर, भारत में हर बरिस 0-14 आयु वर्ग के 3.33 लाख लइका लोग के टीबी हो जाला. ई बेमारी लइकी के मुकाबले लइका लोग में जादे पावल जाला. “लइकन में टीबी के पता लगावल बहुते कठिन होखेला. एकर लक्षण दोसर आम बेमारी जइसने बा,” एनएचएम के रिपोर्ट कहेला. एह में कहल गइल बा कि नयका उमिर के टीबी मरीज में दवा के खुराक बढ़ जाला.

सतरह बरिस के राखी शर्मा एह घातक बेमारी से लंबा बखत से जूझला के बाद अब ठीक हो रहल बाड़ी. बाकिर ऊ अबहियो बिना सहारा के जादे देर बइठ, चाहे चल ना सकस. उनकर परिवार के लोग लंबा बखत से पिलखाना झुग्गी में रहत आइल बा. एह बेमारी के चलते उनकर पढ़ाई के पूरा एक साल खराब हो गइल. हावड़ा के एगो होटल में काम करे वाला उनकर बाऊजी, राकेश शर्मा कहले, “हमनी घर में उनकरा खातिर एगो प्राइवेट ट्यूटर लगावे के कोसिस कर रहल बानी. हमनी उनकर हर तरह से मदद करे के चाहत बानी, बाकिर आर्थिक दिक्कत आड़े आवत बा.”

गांव-देहात में टीबी के मामला बहुत जादे देखल गइल बा. एनएफएचएस-5 के हिसाब से जे लोग के घर में लकड़ी चाहे पुआल पर खाना पकावेला, जे लोग के घर में अलग से चौका नइखे आउर बहुते लोग एक साथे एके कमरा में रहेला, ओह लोग में एह बेमार होखे के जादे संभावना रहेला.

आमतौर पर मानल जाला कि टीबी ना सिरिफ गरीबी आउर ओकरा चलते खान-पान आउर पइसा के कमी से होखेला, बलुक ई आपन मरीज के आर्थिक रूप से आउर कमजोर कर देवेला.

Congested living conditions increase the chance of spreading TB among other family members. Isolating is hard on women patients who, when left to convalesce on their own (right), feel abandoned
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Congested living conditions increase the chance of spreading TB among other family members. Isolating is hard on women patients who, when left to convalesce on their own (right), feel abandoned
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एके कमरा में जादे लोग रहे के चलते परिवार के दोसर लोग में भी टीबी फइले के खतरा बढ़ जाला. मेहरारू मरीज लोग के अलग कइल मुस्किल होखेला. इलाज खातिर अपना हाल पर (दहिना) छोड़ देवे चलते ऊ लोग अपना के अलग-थलग महसूस करेला

Left: Monika Naik, secretary of the Bantra St. Thomas Home Welfare Society is a relentless crusader for patients with TB.
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Right: Patients gather at the Bantra Society's charitable tuberculosis hospital in Howrah, near Kolkata
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बावां : ब्येंटरासेंट थॉमस होम वेलफेयर सोसायटी के सचिव मोनिका नाइक टीबी मरीज खातिर लड़े वाला असल लड़ाका बाड़ी. दहिना : हावड़ा के ब्येंटरासोसायटी के चैरिटेबल टीबी अस्पताल में जुटल मरीज लोग

एनएफएचएस-5 के जानकारी के हिसाब से टीबी मरीज के परिवार समाज में कलंक के डर से एह बेमारी के छिपा के रखेला: “हर पांच में से एगो आदमी आपन परिवार में टीबी होखे के बात जाहिर ना करे.” टीबी अस्पताल में मरीज लोग के देखभाल करे वाला कर्मचारी लोग भी जल्दी ना भेंटाए.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साल 2019 के रिपोर्ट में पावल गइल कि भारत में टीबी के एक तिहाई मामला 15 से 49 बरिस के बीच के, बच्चा पैदा करे वाला मेहरारू लोग में बा. अइसे त मरद लोग के बनिस्पत मेहरारू लोग में ई बेमारी कम होखेला. बाकिर होखला के बाद ऊ लोग आपन सेहत से जादे परिवार के चिंता करेला.

“हम जल्दी से जल्दी आपन घरे लउटे के चाहत बानी. कहीं हमार मरद दोसर बियाह ना कर लेवे,” बिहार के रहे वाली एगो टीबी मरीज हनीफा अली कहली. उनकरा आपन बियाह के चिंता बा. हावड़ा के ब्येंटरासेंट थॉमस होम वेलफेयर सोसायटी के डॉक्टर लोग के कहनाम बा कि ऊ शायद आपन दवाई लेवल बंद कर दीहन.

“मेहरारू मरीज लोग आपन बेमारी छिपावेला आउर काम करत रहेला. ऊ लोग एकरा चुपचाप झेलत रहेला. आउर बाद में जबले रोग के पता चलेला, तबले बहुते देर हो गइल रहेला,” सोसायटी के सचिव मोनिका नाइक कहतारी. टीबी के क्षेत्र में ऊ 20 बरिस से काम कर रहल बाड़ी. उनकर कहनाम बा टीबी से मुक्त भइल लमहर प्रक्रिया बा आउर एकर असर पूरा परिवार पर पड़ेला.

ऊ कहेली, “अइसन कइएक मामला बा, जहंवा मरीज ठीक भ गइल बाकिर परिवार अब उनका अपनावे के नइखे चाहत. हमनी परिवार के लोग के समझाई-बुझाइला.” टीबी के खिलाफ लड़ाई में लगातार प्रयास खातिर नाइक के प्रतिष्ठित सम्मान, जर्मन क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट मिल चुकल बा.

आलापी मंडल 40 बरिस के बाड़न आउर टीबी से उबर चुकल बाड़न. उनकर कहनाम बा, “हम घर लउटे खातिर दिन गिनत बानी. एह लंबा लड़ाई में हम अकेला बानी...”

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Left:  Prolonged use of TB drugs has multiple side effects such as chronic depression.
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Right: Dr. Tobias Vogt checking a patient
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बावां : जादे दिन ले टीबी के दवाई खाए से लंबा समय तक अवसाद रहे के खतरा रहेला. दहिना : डॉक्टर टोबियस वोग्ट एगो मरीज के जांचत बाड़न

Left: Rifampin is the most impactful first-line drug. When germs are resistant to Rifampicin, it profoundly affects the treatment.
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Right: I t is very difficult to find staff for a TB hospital as applicants often refuse to work here
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बावां : टीबी से लड़े खातिर रिफैम्पिन सबले असरदार दवाई बा. जब बैक्टीरिया रिफैम्पिसिन के रस्ता में आवेला, त इलाज पर गहरा असर पड़ेला. दहिना : टीबी अस्पताल खातिर कर्मचारी खोजल सबले मुस्किल होखेला, ऊ लोग इहंवा काम करे से अक्सरहा मना कर देवेला

टीबी मरीज के देखभाल करे वाला कर्मचारी लोग में एकर फइले के खतरा रहेला. ओह लोग खातिर मास्क पहिनल अनिवार्य बा. सोसायटी के क्लीनिक में गंभीर रूप से संक्रामक टीबी मरीज के एगो खास वार्ड में रखल जाला. इहंवा हफ्ता में दू दिन रोज 100 से 200 मरीज लोग आवेला. ओह में से 60 प्रतिशत मरीज लोग मेहरारू होखेला.

टीबी के इलाज करे वाला डॉक्टर लोग के कहनाम बा कि कइएक मरीज लोग टीबी के दवाई खाए से अवसाद के शिकार हो जाला. एकर इलाज लंबा आउर जटिल बा. अस्पताल से छुट्टी के बाद मरीज के नियमित रूप से दवाई लेवे आउर अच्छा आउर संतुलित खान-पान के सलाह देवल जाला.

टीबी के अधिकतर मरीज निम्न आय वाला होखे चलते दवाई बीचे में बंद कर देवेला. एकरा से ओह लोग में एमडीआर टीबी (मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस) होखे के खतरा रहेला, अइसन डॉ. टोबियस वोग्ट के कहनाम बा. जर्मनी से आवे वाला डॉक्टर पछिला बीस बरिस से हावड़ा में टीबी पर काम कर रहल बानी.

मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर-टीबी) लोग के सेहत खातिर आजो खतरनाक बा. ड्रग रेजिस्टेंट टीबी वाला पांच में से सिरिफ दू ठो लोग के साल 2022 में इलाज मिल सकल. डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार, “साल 2020 में एचआईवी के 214,000 मरीज सहित 15 लाख लोग टीबी से मर गइल.”

वोग्ट बतावत बानी, “टीबी देह के कवनो हिस्सा के खराब कर सकत बा. चाहे ऊ हड्डी होखे, रीढ़, पेट आउर चाहे माथा. कइएक लरिकन के टीबी हो जाला, आउर ऊ लोग ठीको हो जाला. बाकिर ओह लोग के पढ़ाई खराब हो जाला.”

टीबी के केतना मरीज के कमाई-धमाई खत्म हो जाला. “जब हमरा पल्मोनरी टीबी होखे के पता चलला, हम पूरा तरीका से ठीक भइला के बादो काम पर ना लउट सकलनी. हमार ताकत चल गइल,” कबो रिक्शा चलावे वाला शेख सहाबुद्दीन कहले. हावड़ा में यात्री लोग के मंजिल पर पहुंचावे वाला एगो ताकतवर आदमी अब अपना के असहाय पावत बा. हावड़ा के साहापुर निवासी पूछत बाड़न, “हमार पांच गो लोग के परिवार बा. हमनी के जिनगी के निबाह कइसे होई?”

Left: Doctors suspect that this girl who developed lumps around her throat and shoulders is a case of multi-drug resistant TB caused by her stopping treatment mid way.
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Right: 'I don't have the strength to stand. I used to work in the construction field. I came here to check my chest. Recently I have started coughing up pink phlegm,'  says Panchu Gopal Mandal
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बावां : डॉक्टर के शक बा कि जवन लइकी के गरदन आउर कान्हा लगे गांठ बन गइल बा, ऊ मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के शिकार बाड़ी. इलाज बीच में रोके चलते अइसन होखेला. दहिना : हमरा में ठाड़ो होखे के ताकत नइखे. हम पुल, सड़क बनावे के काम करत रहीं. अबही हम इहंवा छाती के जांच करावे आइल बानी. कुछ दिन से हमरा खांसी संगे खून आवत बा, पांचु गोपाल मंडल कहले

Left: NI-KSHAY-(Ni=end, Kshay=TB) is the web-enabled patient management system for TB control under the National Tuberculosis Elimination Programme (NTEP). It's single-window platform helps digitise TB treatment workflows and anyone can check the details of a patient against their allotted ID.
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Right: A dress sample made by a 16-year-old bone TB patient at  Bantra Society. Here patients are trained in needlework and embroidery to help them become self-sufficient
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बावां : एनआई-केएसएचएवाई- (नी=अंत, क्षय=टीबी) राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत टीबी पर काबू करे वाला एगो वेब प्रबंधन प्रणाली बा. एकर सिंगल-विंडो वाला पोर्टल टीबी इलाज के वर्कफ्लो के डिजिटल बनावेला. एकरा पर केहू भी आईडी डाल के रोगी के विवरण जांच कर सकत बा. दहिना : ब्येंटरासोसायटी में 16 बरिस के हड्डी के टीबी रोगी के बनावल ड्रेस के नमूना. इहंवा मरीज लोग के आत्मनिर्भर बनावे में मदद करे खातिर सूई-धागा के काम आउर कढ़ाई के ट्रेनिंग देवल जाला

मरीज पांचु गोपाल मंडल बुजुर्ग बाड़न. ऊ इलाज खातिर ब्येंटराहोम वेलफयर सोसायटी के क्लीनिक आवेलन. पांचु सड़क, बिल्डिंग बनावे के काम करत रहस. बाकिर, “अब हमरा लगे 200 रुपइया भी नइखे. ठाड़ रहे के ताकतो चल गइल. इहंवा छाती के जांच करावे आइला. हाले में हमरा खांसी में खून आवे लागल बा,” हावड़ा के रहे वाला 70 बरिस के बुजुर्ग बतइलन. उनकर बच्चा लोग रोजी-रोटी खातिर प्रदेस से बाहिर रहेला.

टीबी के रोकथाम खातिर वेब आधारित रोगी सहायता प्रणाली (नी-क्षय) बहुत कारगर बा. एकरा से आसानी से ई समझ में आ जाएला कि इलाज कइसे होखत बा. टीबी रोगी के निगरानी से पक्का हो जाएला कि ऊ लोग के इलाज सही दिशा में चल रहल बा. ई नर्सिंग के एगो जरूरी हिस्सा बा. सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत चटर्जी कहले, “हमनी मरीज के सभ जानकारी वेब पर डाल देवेनी ताकि एकरा पर नजर रखल जा सके.” उनकर इहो कहनाम बा कि प्रदेस के सबले भीड़-भाड़ वाला जगह होखे के चलते पिलखाना झुग्गी में टीबी के मरीज के गिनती सबले जादे बा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ के कहनाम बा, दुनिया भर में टीबी, कोविड-19 के बाद दोसर सबले संक्रामक आउर जानलेवा बेमारी बा. अइसे एकर इलाज आउर रोकथाम संभव बा.

इहे ना, कोविड-19 के बाद से खांसे आउर बेमार देखाई देवे वाला के शंका से देखल जाला. अइसन हालात में टीबी रोगी भी आपन बेमारी छिपावे पर मजबूर हो गइल बा. ऊ लोग एकरा तबले ना बतावे जबले ओह लोग लगे कवनो दोसर विकल्प ना बचे.

हम सेहत से जुड़ल मामला सभ पर नियमित रूप से नजर रखेनी. बाकिर हमरा ना मालूम रहे कि टीबी से अबहियो एतना लोग जूझ रहल बा. टीबी खबर में अबहियो नइखे, काहेकि ई जानलेवा बेमारी नइखे. बाकिर हम देखनी कि भलही ई साफ तौर पर घातक बेमारी ना होखे, बाकिर पूरा परिवार दहशत में आ जाला. परिवार के कमावे वाला जदि एकर चपेट में आ गइल, त घर के ब्यवस्था के भट्ठा बइठ जाला. एकरा अलावे, एकरा से उबरल लंबा प्रक्रिया बा. पहिलहीं से हाशिया पर रह रहल परिवार के कमर टूट जाला.

कहानी में कुछ नाम बदल देहल गइल बा.

कहानी में मदद करे खातिर जयप्रकाश इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल चेंज (जेपीआईएससी) के सदस्यन के आभार रही. जेपीआईएससी टीबी से जूझ रहल लरिकन संगे मिलके काम करेला आउर ओह लोग के पढ़ाई अबाध चलत रहे, एकरा सुनिश्चित करे के प्रयास करेला.

अनुवादक: स्वर्ण कांता

Ritayan Mukherjee

रितायन मुखर्जी, कोलकाता के फ़ोटोग्राफर हैं और पारी के सीनियर फेलो हैं. वह भारत में चरवाहों और ख़ानाबदोश समुदायों के जीवन के दस्तावेज़ीकरण के लिए एक दीर्घकालिक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं.

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Editor : Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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