पंजाब में समाजशास्त्र के विद्यार्थी देविंदर सिंह भंगू 13 फरवरी के किसानन के आन्दोलन में शामिल होखे खातिर अपनी दोस्तन संघे शम्भू बॉर्डर पर पहुंचलें. जब उ करीब 2 बजे दुपहर में ओइजा पहुंचलें त रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) हरियाणा के तरफ वाला सीमा पर पहिलहीं से कार्रवाई करत रहे.

देविंदर के दोस्त तरनवीर सिंह बतवलें, “हमनी के समूह में शांति से खड़ा रहनी जा तबले एगो रबड़ के गोली उनकी बायां आंख में लाग गईल. देविंदर तुरंते गिर गउवन. हमनी के उनके उठावे के कोशिश कईनी जा तबले पुलिस हमनी पर तीन या चार आंसू गैस के गोला दाग दिहलस.” इ कुल प्रदर्शन स्थल पर पहुंचला के एक घंटा के भीतर दुपहरिया में 3 बजे के लगभग भईल.

किसान लोग दिल्ली तक के आपन शांतिपूर्ण मार्च 13 फरवरी के शुरू कईले. एह में अन्य मुद्द्न के संघे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के कानूनी गारंटी के मांग शामिल रहे. ओ लोगन के पंजाब आ हरियाणा के बीच शम्भू बॉर्डर पर पुलिस आ आरएएफ के लोग दिहल. आगे मार्च करे से रोके खातिर बैरिकेड लगा दिहल गईल. जब किसान लोग आगे बढ़े के कोशिश कईलें त उनकी पर आंसू गैस के गोला आ रबड़ के गोली से हमला कईल गईल (इहो पढ़ीं: ‘शम्भू बॉर्डर पर हम कैद बानी’ ).

आंसू गैस के गोला के तीखा धुआं के सामना करत देविंदर के दोस्त लोग हरकत में आईल. उनके बहुत खून बहत रहे आ उ लोग उनके तुरंत उठा लिहलें. उ लोग 22 बरिस के ए लईका के एम्बुलेंस में बनूड़ के सरकारी अस्पताल ले के गईल जवन स्थल से करीब 20 किलोमीटर दूर रहे. डॉक्टर लोग ओके चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज में रेफर क दिहल जहाँ 15 फरवरी के उनकी आंख के ऑपरेशन भईल. डॉक्टरन के कहनाम बा कि अब उनकी बायां आंख में रोशनी अईला के सम्भावना बहुत कम बा.

देविंदर के किसान पिता मंजीत सिंह मीडिया के बतवलें कि उनकर बेटा विदेश ना जा के एइजे रहि के पुलिस फोर्स ज्वाइन करे के फैसला कईले बा.

Left: Davinder Singh Bhangu went to the Shambhu border with his friends to join the farmers’ protest. Within an hour of their arrival, he was struck in his left eye by a pellet fired by the forces and had to be rushed to the hospital.
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Right: His father, Manjit Singh, said that Davinder had chosen not to go abroad so that he could prepare to join the police force
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बायें: देविंदर सिंह भंगू किसानन के विरोध में शामिल होखे खातिर अपनी दोस्तन संघे शम्भू बॉर्डर गईलें. पहुंचला के एक घंटा के भीतर ही अधिकारियन के चलावल रबड़ के गोली से उनकी बायां आंख में चोट लाग गईल आ उनके अस्पताल ले जाईल गईल. दायां: उनकर पिता मंजीत सिंह के कहनाम बा कि देविंदर विदेश ना जाये के फैसला कईले बाड़ें ताकि पुलिस फोर्स ज्वाइन करे के तैयारी कर सकें

Left: Farmers moving towards the make-shift stage set up on a tractor at Shambhu .
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Right: A poster put up by the protesting farmers says – 'We are farmers, not terrorists'
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बायां: किसान लोग शम्भू पर एगो ट्रेक्टर पर बनल अस्थायी मंच की ओर बढ़ता. दायां: विरोध कर रहल किसानन के लगावल पोस्टर जेपर लिखल बा – ‘हमनी के किसान हईं जा, आतंकवादी ना’

परिवार के लगे पटियाला जिला के शेखूपुर के गांव में आठ एकड़ जमीन बा आ इ लोग 2020-21 में दिल्ली के बॉर्डरन पर तीन कृषि कानूनन के खिलाफ किसानन के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेले रहे. आन्दोलन पारी के कहानी पढ़ीं: कृषि कानूनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन: पूरा कवरेज

विरोध स्थल पर किसान लोग इ जानल चाहता कि हरियाणा पुलिस पंजाब के अधिकार क्षेत्र में छर्रा आ आंसू गैस के गोला कईसे दाग सकेले. “अगर हमनी के अपनी राज्य में सुरक्षित नईखी जा त कहां होखब जा?” उ पूछेलन आ कहेलन कि पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियन के निशाना बनावत बिया. “पंजाब सरकार के कुछ करे के चाहीं,” उ लोग के कहनाम बा.

एगो किसान नेता गुरमनीत सिंह पारी के बतवलें कि इ मुद्दा उ लोग पंजाब पुलिस इहां तक कि उपायुक्त के सामने भी उठवले बाड़ें. उनके बतावल गईल बा पुलिस अम्बाला में अपनी समकक्षन से बात कईले बिया. बाकिर आंसू गैस के गोलाबारी अभियो बंद नईखे भईल.

पानी के बौछार, आंसू गैस के गोला आ पैलेट गन के इस्तेमाल से 100 से अधिक प्रदर्शनकारी किसान लोग घायल हो गईल बा. तीन जाने के आंख चल गईल बा. स्वास्थ्य मंत्री भी किसानन पर ‘अकारण’ कार्रवाई खातिर हरियाणा पुलिस के निंदा कईले बाड़ें.

तरन तारन जिला के धारीवाल गांव के किसान जरनैल सिंह के 13 फरवरी के लाठीचार्ज के दौरान कपार में चोट लागल रहे. उनकी कपार में पांच गो टांका लागल बाकिर 44 साल के ई किसान घरे नईखे जाईल चाहत. “हर केहू एइजा विरोध करता, हम घरे काहें जईब,” उ कहेलन.

विरोध स्थल पर चिकित्सा शिविर चला रहल डॉक्टर मनदीप सिंह के बतावल बा कि विरोध शुरू भईला के बाद से उ चोट आ बीम्रारी से पीड़ित कम से कम 400 मरीजन के देक्भाल कईले बाड़ें.

Left: Farmers have come to the protest prepared with their trolley houses.
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Right: Dr Mandeep Singh attending to Jarnail Singh who was hit in the head during  a lathi charge and had to get five stitches
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बायां: किसान लोग अपनी ट्राली घरन के संघे तैयार होके विरोध प्रदर्शन में आईल बा. दायां: डॉक्टर मनदीप सिंह जरनैल सिंह के देखभाल करत बाड़ें जिनके लाठीचार्ज के दौरान कपार में चोट लागल आ उनके पांच टांका लगवावे के पड़ल

Left: Farmer unions have started providing signed IDs to journalists after several were attacked by miscreants. Farmer leader Ranjit Singh Raju (centre) notes down details of journalists and informs them about the volunteers to help them in any situation.
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Right: A ppointed volunteers act as guards or Pehredars of the farmer unions keep a check on miscreants
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बायां: कई गो उपद्रवियन के हमला कईला के बाद किसान यूनियन कुल पत्रकारन के हस्ताक्षरित आईडी कार्ड देवे शुरू कर देले बाड़ें. किसान नेता रणजीत सिंह राजू (बीच में) पत्रकारन के ब्यौरा नोट करेलन आ उनके स्वयंसेवकन के बारे में बतावेलन जवन कवनो स्थिति में उनकर सहायता कर सकेलन सन. दायां: नियुक्त स्वयंसेवक लोग किसान संघन एक रक्षक भा पहरेदार के रूप में काम करेलन आ उपद्रवियन पर नजर राखेलन

पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर बलबीर सिंह, जे खुदे एगो प्रेक्टिसिंग नेत्र सर्जन हवें, विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल भईल किसानन से बात करत बाड़ें. इहां के 14 फरवरी के घोषणा कईलें कि विरोध के दौरान घायल किसानन के इलाज के कुल खर्चा पंजाब सरकार वहन करी.

विरोध स्थल पर उपद्रवी लोग कई गो मीडियाकर्मियन पर भी हमला आ मारपीट कईले बाड़ें. प्रेस के सहायता आ अइसन उपद्रवियन के रोके के उद्देश्य से किसान यूनियन कुल मिल के निगरानी राखे खातिर स्वयंसेवकन के पहरेदार भा गार्ड के रूप में नियुक्त कईले बा.

यूनियन कुल विरोध प्रदर्शन कवर करे खातिर आवे वाला पत्रकारन के अपने द्वारा अधिकृत मीडिया कार्ड भी जारी करतिया. किसान नेता रणजीत सिंघ राजू बतावेलन कि इ कुल पत्रकारन के सुरक्षा खातिर कईल गईल ह. कार्ड पर पत्रकार के विवरण लिखल बा आ ओपर ओ नेता के हस्ताक्षर बा जे रजिस्टर में ओ लोगन के विवरण लिख रहल बा.

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शम्भू बॉर्डर के विरोध स्थल पर देविंदर निहर बहुत लोग बाड़ें जे 2020-2021 में भी शामिल रहलें.

कार सेवा टीम के सदस्य बाबा लाभ सिंह दिल्ली बॉर्डर पर भईल विरोध में अपना चचेरा भाई के खो दिहलें. “हमार चचेरा भाई अजैब सिंह विरोध स्थल पर निमोनिया से मर गईलें. उनकर पत्नी एक निधन पहिलहीं हो गईल रहे. उनकर दू गो बच्चा अनाथ हो गईल बाड़ें सन,” शम्भू बॉर्डर पर 18 फरवरी के एगो सभा के सम्बोधित करत के 62 बरिस के लाभ सिंह कहलें.

“चुनाव के दौरान इ लोग हमनी के सामने हाथ जोड़ के आवेला बाकिर हमनी के आपन मांग ले के जायेनी जा त उ हमनी के बात न सुनेला लोग,” उ कहेलन आ आगे बतावेलन कि सरकार आवत जात रहेले बाकिर लोगन के हमेशा अपनी खातिर लड़े के पड़ेला.

Left: Baba Labh Singh, who lost his cousin brother in the 2020-21 agitation addresses farmers at Shambu.
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Right: Harbhajan Kaur (right) has travelled for two days to reach Shambhu. 'My son did not want to bring me here but I persisted,' she says
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बायां: बाबा लाभ सिंह जे अपनी चचेरा भाई के 2020-21 के आन्दोलन में खो दिहलें, शम्भू में किसानन के संबोधित करताने. दायां: हरभजन कौर (दायें) शम्भू पहुंचे खातिर दू दिन के यात्रा कर के आईल बाड़ी. ‘हमार बेटा हमके एइजा ना लेआईल चाहत रहे बाकी हम जिद कईनी , ’ उ कहेली

Left: Protesting farmers want to know how the Haryana police are able to shoot pellets and tear gas shells in the jurisdiction of Punjab. 'If we are not safe in our state, where will we be?' they ask and add that the police have targeted peaceful protesters.
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Right: Like many of the protestors, the vehicles at Shambhu border were also a part of the 2020-21 protests. The quote on this tractor reads: 'Haar paawange, haar puaawange...Sun Dilliye, par haar ke nahi jawange' [Will honour you and will be honoured...Listen Delhi, but we will not return defeated/dishonoured]
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बायां: प्रदर्शनकारी किसान लोग जानल चाहता कि हरियाणा पुलिस पंजाब के अधिकार क्षेत्र में छर्रा आ आंसू गैस के गोला कईसे दाग सकेले. ‘अगर हमनी के अपनी राज्य में सुरक्षित नईखी जा त कहाँ होखब जा ? ’ उ पूछेलन आ कहेलन कि पुलिस शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहल लोगन के निशाना बनावतिया. दायां: विरोध करे वाला लोगन निहर शम्भू बॉर्डर पर वाहन भी 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के हिस्सा रहे. ए ट्रक पर लिखल बा: ‘हार पावांगे हार पुआवावांगे... सुन दिल्लिये, पर हार के नहीं जावांगे’ (सम्मान देब जा आ सम्मान ले के जाईब जा... सुन दिल्ली, बाकिर हार/अपमान लेके ना जाईब जा)

हरभजन सिंह ओ महिला किसानन के समूह के हिस्सा हई जे गुरदासपुर के डुगरी से यात्रा क के आईल बा लोग. शम्भू बॉर्डर पहुंचे में ओ लोगन के दू दिन के समय लागल. “हमार बेटा हमके ना आवे दिहल चाहत रहुवे,” 78 बरिस के कौर बतावेली. “हम कहनी कि हम अकेले गांव में का करब? अइसन नौबत आई त हम सबसे पहिले मर जाईब.”

अपनी गांव के अउर महिला लोगन के संघे उ 2020-21 में दिल्ली सीमा पर रहली.

खाली आदमिये औरत ना, एइजा अइसन वाहन भी बाटे जवन पिछला प्रदर्शनन के हिस्सा रहे. शम्भू बॉर्डर पर एगो ट्रेक्टर पर एगो लाइन लिखल रहे जवन तीन साल पहिले लिखवावल गईल रहे: ‘हार पावांगे हार पुआवावांगे...सुन दिल्लिये, पर हार के नहीं जावांगे’ (सम्मान देब जा आ सम्मान ले के जाईब जा...सुन दिल्ली, बाकिर हार/अपमान लेके ना जाईब जा)

एगो कार पर एगो उद्धरण लिखल बा: “जदों पता होवे सीनेया च छेक होंगे, ओदों जंग जान वाले बन्दे आम नहियों होंदे (जब पता रहेला कि सीना में छेद (गोली से) होखी, थे युद्ध पर जाए वाला लोग साधारण ना होला).”


केन्द्रीय मंत्रियन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के प्रस्ताव रखला के बाद किसान नेता लोग रविवार सांझ के दिल्ली चलो मार्च के अस्थायी रूप से रोक देले रहलन. एकर समीक्षा कईला के बाद किसान लोग प्रस्ताव के अस्वीकार कर दिहले बा. मार्च 21 फरवरी से फिर से शुरू होखी.

Protesters sit on the concrete barricades, facing Haryana
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हरियाणा की ओर मुंह कर के कंक्रीट के बैरिकेड पर बैठल प्रदर्शनकारी लोग

A protesting farmer reciting Gurbani (Sikh hymns), 100 metres from the barricades
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बैरिकेड से 100 मीटर के दूरी पर गुरबानी (सिख भजन) पे पाठ करत एगो प्रदर्शनकारी किसान

Protesters reciting satnam waheguru in front of the barricades
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बैरिकेड्स के सामने सतनाम वाहेगुरु का जाप करते प्रदर्शनकारी

An elderly farmer sits with his union's flag
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अपने यूनियन के झंडा संघे एगो बुजुर्ग किसान

Elderly farmers using the flag poles as support while listening to the speakers at the protest site
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विरोध स्थल पर वक्ता लोगन के सुनत के बुजुर्ग किसान लोग झंडा के डंडा के सहारा के रूप में भी उपयोग करेला

On the other side of the road, protesters and the forces sit facing each other across the Ghaggar river
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सड़क के दूसरा ओर प्रदर्शनकारी आ सेना घग्घर नदी के पार एक दूसरा के सामने बईठल बा

Farmers facing the Haryana police and RAF at the Shambhu border
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शम्भू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस आ आरएएफ के सामना करत किसान

The debris in front of the barricades
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बैरिकेड के सामने मलबा

अनुवाद : विमल चन्द्र पाण्डेय

Arshdeep Arshi

अर्शदीप अर्शी, चंडीगढ़ की स्वतंत्र पत्रकार व अनुवादक हैं, और न्यूज़ 18 व हिन्दुस्तान टाइम्स के लिए काम कर चुकी हैं. उन्होंने पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.फ़िल किया है.

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Editor : Sarbajaya Bhattacharya

सर्वजया भट्टाचार्य, पारी के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम करती हैं. वह एक अनुभवी बांग्ला अनुवादक हैं. कोलकाता की रहने वाली सर्वजया शहर के इतिहास और यात्रा साहित्य में दिलचस्पी रखती हैं.

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Translator : Vimal Chandra Pandey

विमल चन्द्र पाण्डेय राष्ट्रीय समाचार एजेंसी से पत्रकारिता की शुरुआत से ही केन्द्रीय सूचना का अधिकार आन्दोलन से जुड़े रहे और पांच साल की पत्रकारिता के बाद नौकरी से इस्तीफा देकर फिल्मों से जुड़े. फ़िलहाल कथा पटकथा लेखन के साथ फिल्मों के निर्देशन और निर्माण से जुड़े हैं. हिंदी अख़बार नवभारत टाइम्स, मुंबई में भोजपुरी स्तम्भ ‘माटी की पाती’ लिखते हैं.

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