छत्तीसगढ़ में कई परिवारों द्वारा बोली जाने वाली खड़िया भाषा आज पाटनदादर गांव में केवल एक मां की ज़बान में जीवित है. अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025 के मौक़े पर एक कहानी
जिस राज्य में भारत की 2.3 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन देश के 7.7 फ़ीसदी फ़ौजी यही से आते हैं, वहां अग्निपथ योजना ने ग्रामीण युवाओं के सपनों को रौंद दिया है