कविता, कडलूर फिशिंग हार्बर पर छोटे व्यापारियों को बर्फ़ बेचती हैं. उन सबके बीच काम करने के बावजूद वह उन सुविधाओं की हक़दार नहीं मानी जाती हैं जो शेष व्यापारियों को मिलती हैं
नित्या राव, यूके के नॉर्विच में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंग्लिया में जेंडर ऐंड डेवेलपमेंट की प्रोफ़ेसर हैं. वह महिलाओं के अधिकारों, रोज़गार, और शिक्षा के क्षेत्र में शोधकर्ता, शिक्षक, और एक्टिविस्ट के तौर पर तीन दशकों से अधिक समय से बड़े पैमाने पर काम करती रही हैं.
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Photographs
M. Palani Kumar
एम. पलनी कुमार पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के स्टाफ़ फोटोग्राफर हैं. वह अपनी फ़ोटोग्राफ़ी के माध्यम से मेहनतकश महिलाओं और शोषित समुदायों के जीवन को रेखांकित करने में दिलचस्पी रखते हैं. पलनी को साल 2021 का एम्प्लीफ़ाई ग्रांट और 2020 का सम्यक दृष्टि तथा फ़ोटो साउथ एशिया ग्रांट मिल चुका है. साल 2022 में उन्हें पहले दयानिता सिंह-पारी डॉक्यूमेंट्री फ़ोटोग्राफी पुरस्कार से नवाज़ा गया था. पलनी फ़िल्म-निर्माता दिव्य भारती की तमिल डॉक्यूमेंट्री ‘ककूस (शौचालय)' के सिनेमेटोग्राफ़र भी थे. यह डॉक्यूमेंट्री तमिलनाडु में हाथ से मैला साफ़ करने की प्रथा को उजागर करने के उद्देश्य से बनाई गई थी.
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Editor
Urvashi Sarkar
उर्वशी सरकार, स्वतंत्र पत्रकार हैं और साल 2016 की पारी फ़ेलो हैं.
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Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.