येड़िल अन्ना ले जुरे कतको सुरता मन मोला पोटार के धर लेथे अऊ कऊनो जादू कस अपन संग बोहावत ले जाथे. ये मोला सुघ्घर छईंया ले भरे रंग बिरंगा जंगल के वो पार ले जाथे. झूमत ऊँचा रुख मन के तरी, जिप्सी (घुमंतू समाज) राज मन के कहिनी मन मं, कउनो डोंगरी के टीपी मं ला के राख देथे. ये जगा ले जम्मो दुनिया एक ठन सपना बरोबर नजर आथे. एकर बाद अचानक, अन्ना मोला रात के सितावत हवा संग सितारा मन के मझा मं फेंक देवय. वो ह मोला धरती डहर तब धकेल देथे जब तक के मंय माटी नई बन जावंव.

वो हा माटी ले बने रहिस, ओकर जिनगी हे जइसने माटी ले बने रहिस, कभू एक ठन जोक्कर, त कभू एक ठन गुरूजी, त कभू एक ठन लईका, एक ठन हीरो बन जाय, माटी के लोंदा कस लुदलुदहा जेन ह कउनो अकार मं ढल जावय. येड़िल अन्ना, वो हा मोला उहीच माटी ले गढ़े हवय.

मंय वो राजा मनके कहिनी ला सुनके बढ़े हवंव जेन ला वो हा लइका मन ला सुनावत रहिस. फेर अब मंय अब वो मनखे के कहिनी, जेन ह एक ठन परछाई कस ओकर अऊ ओकर फोटू मन ला बताय ला चाहत हवंव. वो कहिनी जेन ह मोर भीतरी बीते 5 बछर ले जियादा बखत ले बसत हवय.

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आर. एझिलारासन जोक्कर मन के राजा आय, चारों डहर डेगत एक ठन मुसुआ, एक ठन उतईल रिंगीचिंगी चिरई, एक ठन सिधवा भेड़िया, एक ठन नाचत नखरा करत बघवा... ये सब्बो वो दिन के कहिनी ऊपर रथे. कहिनी मन जेन ला वो हे बीते 30 बछर ले जियादा बखत ले तमिलनाडु के जंगल मन अऊ सहर मन ले होवत अपन पीठ उपर एक ठन बड़े झोला मं लादे चले जावत हवय.

साल 2018 के बखत आय. हमन नागपट्टिनम के एक ठन सरकारी इस्कूल मं हवन. चक्रवात गाजा ले गिरे रुख मन ला काटगे रखाय चारों कोती लकरी के ढेरी, इस्कूल ह बंद परे आराखाना जइसने लागत रहय. फेर तमिलनाडु के सबले भारी प्रभावित जिला के ये इस्कूल के उजाड़ अऊ पस्त रूप ह एक ठन कोंटा मं लइका मन के हँसी ठठोली के उछाह ले भरे रहिस.

“वंददाणए दिन्न पारंग, कट्टीयकारण आमा कट्टियकरण, वारणए दिन्न्न पारंग [देखव, जोक्कर आय हवय, हव, जोक्कर आवत हवय, देखव].”

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एज़िल अन्ना नाटक करे बर लइका मन ला तियार करे सेती ओमन के संग जाके बइठ जाथे, वोकर मन ले वोमन के पसंद के चीज मन ला पूछथे

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साल 2018 मं चक्रवात गाजा के बाद नागपट्टिनम मं आयोजित कला सिविर ह लइका मन के हँसी उछाह ला अपन कच्छा मं लहूँटा दीस

उज्जर अऊ पिंयर रंग ले पोताय चेहरा, नाक मं एक ठन अऊ दू ठन गाल मं बने तीन ठन लाल लाल बड़े बिंदिया, मुड़ी मं पहिरे नीला रंग के प्लास्टिक के मसख़रा टोपी, मजेदार गीत गावत ओकर ताल के ठिकाना नई - हंसी के उप्पदरव जइसने माते रहय. हंसी के हंगामा मचे रहय. अइसने तरीका ले एज़िल अन्ना के कला सिविर सुरु होथे, फेर वो हा जवाधु डोंगरी मन के एक ठन नानअकन सरकारी इस्कूल होय, धन चेन्नई के एक ठन निजी इस्कूल, सत्यमंगलम के जंगल मं आदिवासी लइका मन सेती एक ठन दूरस्थ इलाका [इरोड जिला], धन सरीर ले कऊनो किसिम के कमी ले जुझत लइका मन. अन्ना के एक ठन गीत ले सुरु नाटक ह लइका मन ला अपन संग गावत दऊडत, खेलत, हँसत जम्मो रोका छेंका ला छोर देथे.

एक ठन प्रशिक्षित कलाकार, अन्ना ला कभू इस्कूल मं मिले सुविधा के कऊनो परवाह-संसो नई रहय. वो ह कुछु नई मांगय. कऊनो अलग होटल धन रुके के बेवस्था नई, कउनो खास समान नई. वो ह बिजली, धन पानी धन फैंसी समान के घलो बिना काम करत हवय. ओकर परवाह सिरिफ लइका मन ले मिले के, वो मन के संग गोठीयाय के, वो मन के संग काम करे के रथे. बाकि कऊनो मायने नई रखय. तंय ओकर जिनगी ले लइका मन ला निकले नई सकस. जब लइका मन के बात आथे त वो मनखे ह गजब के हो जाथे .

एक पईंत, सत्यमंगलम के एक ठन गाँव मं, वो ह अइसने लइका मन के संग काम करिस, जेन मन एकर पहिली रंग नई जानत रहिन. वो हा पहिली बेर वोमन ला अपन मन ले रंग ले कुछु बनाय मं मदद करिस, वो हा एक ठन नबा गियान हासिल करिस. जब ले वो हा अपन कला विद्यालय, कालीमन विरलगल [फिंगर्स ऑफ क्ले] सुरू करिस, तब ले बीते 22 बछर ले अपन ये गियान ला लइका मन संग बढ़ावत जावत हवय. मंय वोला कभू बीमारी के आगू हार मानत नई देखेंव. ओकर बीमारी के इलाज लइका मन संग ओकर काम आय, अऊ वो हा लइका मन के संग रहे के सेती हमेसा तियार रथे.

अन्ना ह 1992 मं चेन्नई फाइन आर्ट्स कॉलेज ले ललित कला मं स्नातक की डिग्री हासिल करिस. वो ह सुरता करत कहिथे, "मोर वरिष्ठ, चित्रकार थिरु थमिलसेल्वन, पोशाक डिजाइनर श्री प्रभाकरन अऊ चित्रकार श्री राजमोहन, मोर कॉलेज जिनगी मं भरपूर मददगार रहिन. वो मन मोला डिग्री के पढ़ई पूरा करे मं मदद करिन. टेराकोटा मूर्तिकला में एक ठन कोर्स करे के बाद, मंय कला के संग परयोग करे बर चेन्नई मं ललित कला अकादमी ले जुर गेंय.” वो ह कुछु बखत सेती अपन मूर्तिकला स्टूडियो मं घलो काम करिस.

वो ह कहिथे, “फेर जब मोर काम बेचाय ला धरिस, त मोला गम होईस के ये ह आम जनता तक ले पहुंचे नई सकत हवय. तभेच मंय आम लोगन मन के मंझा मं अपन कला देखाय ला सुरु करेंव, अऊ तय करेंव के तमिलनाडु के ग्रामीन इलाका के पांच जगा (डोंगरी मन, समुंदर, रेगिस्तान, जंगल, खेत) होहीं जेन मेर मंय रहे ला चाहत चाहूँ. मंय लइका मन के संग माटी अऊ हस्तशिल्प ले खिलौना बनाय ला सुरु करेंव.” वो हा लइका मन ला पेपर मुखऊटा, माटी के मुखोटा, माटी के मूर्ति, रेखाचित्र,  चित्रकारी, ग्लास पेंटिंग अऊ ओरिगेमी (कागज मोड़े के जपानी कला) बनाय ला सिखाय सुरु करिस.

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डेरी : इरोड जिला के सत्यमंगलम मं लइका मन ला पहिली बेर रंग के असर ला दिखाय जावत हवय. जउनि : कृष्णागिरी जिला के कावेरीपट्टिनम मं लइका मन गत्ता अऊ अखबार के कागज ले हिरन के मुकुट बनाथें

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डेरी : कावेरीपट्टिनम मं एक ठन कार्यशाला के आखिरी दिन करे जाय नाटक सेती ओकर बनाय डिजाइन अऊ बनाय गे टोपी ला पहिने लइका मन. जउनि : पेरम्बलुर मं लइका मन अपन बनाय माटी के मुखोटा ला देखावत, हरेक के बताय के तरीका गजब हवय

हमन जिहां जाथन, आय जय के कऊनो साधन चाहे बस, वेन धन जेन ह मिल जाय – हमर सबले बड़े समान मं हमेसा लइका मन के जिनिस रथे. एज़िल अन्ना के हरियर झोला ड्राइंग बोर्ड, पेंट ब्रश, रंग, फेविकोल ट्यूब, ब्राउन बोर्ड, ग्लास पेंट, पेपर अऊ कतको दीगर जिनिस मन ले भरे परे रहे होही.वो हमन ला चेन्नई के हरेक मोहल्ला मं ले जाय सकत रहिस, गोड़ पिरवत तक ले - एलिस रोड ले पैरी कॉर्नर तक, ट्रिप्लिकेन ले एग्मोर तक – जेन मेर कला के समान मिलथे. अऊ एकर बर 6,000-7,000 रुपिया खरच हो जावत रहिस.

अन्ना करा भरपूर पइसा कभू नई रहिस. वो ह अपन संगवारी मन ले. छोटे से नउकरी ले, निजी इस्कूल मं अपन काम करके संकेलत रहिस, जेकर ले वो ह आदिवासी अऊ दिव्यांग लइका मन सेती मुफ़त मं कला सिविर लगाय सके. एज़िल अन्ना के संग जावत ये पांच बछर मं, मंय कभू वोला अपन जिनगी के उछाह ला सिरोवत नई देखेंव. वो हा अपन सेती बहंचाके राखे सेती कभू नई सोचिस, अइसे घलो नई के ओकर तीर बहंचाके के राखे सेती कुछु नई रहिस. वो ह जेन कुछु कमावत रहिस, वोला मोर जइसने संगी-कलाकार मन मं बाँट देवत रहिस.

कभू-कभू, अन्ना बिसोय के बदला, लइका मन ला वो सब सिखाय के सेती नवा जिनिस मन ला खोजय, जेन ह वोला लागय के सिच्छा के तरीका ह वो मन ला सिखाय मं नाकाम हवय. वो ह वोमन ला कलाकृति मन ला बनाय सेती इहाँ मिले जिनिस ले बनाय ले घलो कहेय. माटी असानी ले मिल जाय, अऊ वो हा अक्सर येकर इस्तेमाल करय. फेर वोला खुदेच तियार करय, पथरा गोटी ला हेर के साफ सफ्फा ले लोंदा बनाय तक ले, वोला घोले, छाने, सुखोय अऊ सब्बो कुछु. माटी मोला ओकर अऊ ओकर जिनगी के सुरता कराथे. लइका मन के जिनगी के संग जुरे अऊ माटी के लोंदा कस लुदलुदहा. वोला लइका मन ला मुखोटा बनाय ला सिखावत देखे हा मन भा जाये. हरेक मुखोटा अपन अलगेच भावना ला बताही, फेर लइका मन के चेहरा मं खुसी के एकेच भावना होही.

लइका मन जब माटी ला धरें अऊ वो ला मुखोटा के अकार देवंय त वोकर अनमोल खुसी झरक परय. येड़िल अन्ना ह वो मन ला सोचे बर कहय जेन ह वो मन के जिनगी ले जुरे हवय. वो ह लइका मन ले वो मन के पसंद ला पूछत रहय, अऊ वो मन ला उही ला बनाय बर कहय.कुछु लइका मन पानी के टंकी येकर सेती बनायेंव काबर के ओकर मन के घर मं पानी कम धन बिल्कुले नई रहिस. कुछु दीगर मन हाथी ला बनायेंव. जंगल के लइका मन सूंड उठावत हाथी ला बनायेंव, जेन ह मोटा चमड़ी वाला ये जानवर के संग वोमन के सुंदर जिनगी के प्रतीक आय.

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माटी हरदम मोला येड़िल अन्ना अऊ लइका मन संग ओकर जिनगी ला सुरता कराथे. वो ह माटी के लोंदा कस लुदलुदहा हवय. वोला लइका मन संग मुखोटा सिखावत देखबे त रोंवा उठ जाही, जइसने के इहाँ नागपट्टिनम के एक ठन इस्कूल मं सिखावत

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वो हा लईका मन ला अपन देखे सुने गुने ला अपन कलाकृति मन मं बनाय ला कहय. सत्यमंगलम के आदिवासी बस्ती के ये लइका जइसने, जेन ह सूंड उठाय हाथी ला बनाय हवय, वो जानवर ला वो हा वइसने देखे रहय

वो हा कला सिविर मं अपन बऊरे जिनिस सेती भारी बिचार करय. कला मन सबले बढ़िया हासिल करे के ओकर साध, लइका मन ला सही जिनिस देय के ओकर संसो ह वो ला हमर हीरो बना दिस. सिविर के हरेक रात मं येड़िल अन्ना अऊ दीगर मन मिलके दूसर दिन सेती जिनिस तियार करत रहंय. वो हा सिविर ले पहिली अपन आंखी ऊपर पट्टी बांध के अभियास करय जेकर ले नजर ले कमजोर लइका मन संग गोठिया सकय. सुने नई सकय लइका मन सेती सिखाय ले पहिली अपन कान ला बंद करके अभियास करय. जेन तरीका ले वो हा अपन चेला मन के गुने ला समझे के कोसिस करय वो ह मोला अपन फोटू के किरदार मन के संग जुरे के प्रेरना दीस. एकर पहिली के मंय कउनो फोटू खींचों, ओकर ले मोर मन के जुरे ह जरूरी रहिस.

येड़िल अन्ना ला फूग्गा मन के जादू समझ मं आ गे रहिस. फूग्गा मन के संग खेले जाय खेल ह हमेसा नान उमर के टूरा-टूरी मन ला अपन संग जुरे मन मदद करय. वो अपन झोला मं अब्बड़ अकन फूग्गा राखत रहिस - गोल फुल्लैय्या फूग्गा. सांप जइसने लंबा फूग्गा, घुमावदार, सिटी बजावत, पानी ले भरे फूग्गा मन लइका मन के उछाह बनाय मं भारी मददगार रहिस अऊ वो त गीत गावतेच रहिस.

अन्ना कहिथे, “अपन काम के बखत मोला ये गम होईस के लइका मन ला गाये अऊ खेले के सरलग जरूरत परथे. मंय अइसने गीत अऊ खेल तियार करथों जेकर ले समाजिक संदेसा घलो होथे. मंय वो मन ला संग मं गाय ला कहिथों.” अन्ना सिविर मं रंग जमा देवय. आदिवासी गांव के लइका मन वोला सिविर के बाद भारी मुस्किल ले जावन देवंय. वो मन वोला गीत गाय ला कहेंव. अऊ अन्ना सरलग गावत रहय, आजू बाजू मं लइका मन रहेंय, तेकरे सेती गावत रहय.

जेन तरीका ले वो ह अपन चेला मन के गुने ला समझे सेती ओकर ले गोठीयाय के कोसिस करत रहय वो ह मोल अपन फोटू मन के किरदार मन के संग जुरे बर प्रेरना दीस. सुरु मं जब  फ़ोटोग्राफ़ी डहर मोर खास समझ नई रहिस, मंय येड़िल अन्ना ला अपन खींचे फोटू मन ला दिखायेंव. वो ह मोला कहिस के मंय फोटू वो मन ला दिखावोंव जेन मनके मंय खींचे रहेंय. वो ह कहिस, “वो मन (लोगन मन) तोर हुनर ला निखारे मं मदद करहीं.”

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लइका मन नई चाहंय के येड़िल अन्ना ह सिविर के बाद उहाँ ले जाय. लइका मन ला गीत अऊ खेल के सरलग जरूरत परथे.मंय वो मन ला अपन संग गाय ला कहिथों

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सेलम मं, मूक अऊ बधिर लइका मन के एक ठन इस्कूल मं फूग्गा मन के खेल चलत हवय

सिविर मन मं लइका मन हमेसा अपन रचना का कला ला दिखाईन. वो मन के करे चित्रकारी. ओरिगेमी अऊ माटी के पुतरा–पुतरी मन के प्रदर्शनी  लगय. लइका मन अपन दाई–ददा अऊ भाई बहिनी मन ला लेके आवेंय अऊ अपन बनाय चीज ला गरब ले दिखायेंव. येड़िल अन्ना ह वो मन के सिविर ला तिहार मं बदल देय. वो ह लोगन मन ला सपना देखे ला सिखाइस. मोर पहिली फ़ोटोग्राफ़ी प्रदर्सनी एक ठन अइसनेच सपना रिहिस जेन ला वो हा पल पोस के बड़े करिस. ओकर सिविर मन ले मोला अपन फ़ोटोग्राफी प्रदर्सनी लगाय के प्रेरना मिलिस. फेर मोर करा येकर बर पइसा नई रहिस.

अन्ना हमेसा मोला सलाह देवय के जब मोर करा कुछु पइसा आ जाय त वोकर ले कुछु फोटू मन ला प्रिंट करवा के राख ले करंव. वो ह मोला कहिस के भविसत मं बनेच आगू चले जाहूँ. वो ह लोगन मन ला मोर बारे मं बतायेव, मोर काम ला बतायेव. मोला लागथे के येकरे बाद मोर सेती जिनिस मन बने होय ला धरीन. येड़िल अन्ना के मंडली के थिएटर कलाकार अऊ कार्यकर्ता करुणा प्रसाद ह मोला प्रदर्शनी सेती सुरु मन 10,000 रुपिया दीस. मंय पहिली बेर अपन खींचे फोटू मन ला प्रिंट कराय पांय. अन्ना ह मोला अपन फोटू मन सेती, लकड़ी के फ्रेम बनाय ला सिखाइस. वो ह मोर प्रदर्शनी सेती एक ठन योजना बनाय रहिस, जेकर बिना मोर पहली प्रदर्सनी नहीं होय पाय रतिस.

बाद मं, मोर फोटू मन रंजीत अन्ना [पा रंजीत] अऊ ओकर नीलम कल्चरल सेंटर तक पहुंचिस. येकरे संग, ये ह दुनिया भर के दीगर जगा मं घलो पहुंच गे. फेर जेन जगा ले येकर विचार सबले पहिली आंखी उगरत रहिस वो ह अन्ना के सिविरेच ह रहिस. जब मंय पहिली पईंत ओकर संग जाय ला सुरु करेंव, त मोला बहुते अकन जिनिस के पता नई रहिस. ये यात्रा के बखत मंय बहुते कुछु सिखंय. फेर अन्ना हा कभू जानकार अऊ बहुते कम जानकार के मंझा मं कभू फेरफार नई करिस. वो ह हमन ला लोगन मन ला संग लाय सेती हऊसला भरे, भले वो ह कउनो ले कमती गियान रखत रहय. वो ह कहत रहय, हमन वोला नवा जिनिस मन ला बताबो, ओकरे संग यात्रा करे ला जाबो.” वो ह कभू कउनो मइनखे मं खामी नई देखत रहिस. अऊ वो ह ये तरीका ले कतको कलाकार गढ़ दीस.

वो हा कतको लइका मन ला घलो कलाकार अऊ अभिनेता बना देय हवय. अन्ना कहिथे, “हमन सुने नई सकय लइका मन ला कला के कतको रूप ला सिखाथान - हमन वो मन ला चित्रकारी, माटी ले मूर्ति जइसने जियन्ता जिनिस मन ला बनाय ला सिखाथन. देखे नई सकय लइका मन ला हमन संगीत अऊ नाटक करे ला सिखाथन. हमन वो मन ला माटी के तीन आयामी वाले मूर्ति बनाय ला सिखाथन. ये मं देखे नई सकय लइका मन ला कला ला समझे मं मदद मिलथे. हमन येकर ले देखथन के जब ल इ का मन ये तरीका के कला ला सिखथें अऊ वो ला समाज ला समझे के एक ठन हिस्सा के रूप मन सिखथें त वो मन अपन ला अजाद अऊ आत्मनिर्भर पाथें.”

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तंजावुर मं देखे नई सकय लइका मन के एक ठन इस्कूल के लइका मन येड़िल अन्ना के सिविर मं मगन हवंय. वो हा सिविर ले पहिली अपन आँखि उपर पट्टा बांधके अभियास करय, जेकर ले देखे नई सकय लइका मन के संग बात करके के तरीका सिख सकय, सुने नई सकय लइका मन ला सिखाय के पहिली घलो अपन कान बंद करके अभियास करथे

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कावेरीपट्टिनम मं ओयिल अट्टम नांव के लोक नृत्य के अभियास करत लइका मन, येड़िल अन्ना ह लइका मन ला कतको लोक कला मन ला सिखाय हवय

लइका मन संग काम करत वो हा गम पाथे के “गाँव के लइका - खास करके टूरी मन - इस्कूल मन घलो बहुतेच लजावत रहिन. वो मन अपन गुरूजी के आगू कऊनो सवाल धन अपन संदहा पूछे नई सकत रहिन. अन्ना बताथे, मंय वो मन ला थिएटर के जरिया ले बात करे ला सिखाय के फइसला करेंव. अऊ अइसने करे बर मंय थिएटर एक्टिविस्ट करुणा प्रसाद के  थिएटर क्लास करेंव. कलाकार पुरुषोत्तमन के अगुवई संग हमन लइका मन ला थिएटर मं सिखाय ला सुरु करेन.”

वो हा अपन लइका मन ला सिखाय सेती, दूसर देस के कलाकार मन ले सीखे कला के कतको किसिम ला लइका मन के मुताबिक बनाय के कोसिस करथे. वो हा लइका मन ला अपन तीर-तखार के दुनिया डहर जागरूक बनाय के कोसिस करथे. येड़िल अन्ना बताथे, "हमन अपन शिविर मन मं पर्यावरण ले जुरे फिलिम दिखाथन. हमन वो मन ला जीव परानी के अलग अलग रूप ला समझे के कला सिखाथन - फेर वो ह कतके नान अकन जीव होवय, चिरई हो धन कीरा. वो अपन तीर-तखार मं लगे रुख राई मन ला पहिचाने ला सिखथें, ओकर महत्तम ला समझथें, संगे संग धरती के सम्मान अऊ बचाय ला सिखथें. मंय अइसने नाटक तियार करथों जेन ह ऊहाँ के हालत के महत्तम ला जोर देथे. ये तरीका ले लइका मन हमर रुख राई अऊ जीव मन के इतिहास ला जान पहिचान सकथें. जइसने, संगम साहित्य मं 99 फूल मन के जिकर करे गे हवय. हमन लइका मन ला ओकर रेखाचित्र बनाय ला, अऊ जब वोमन हमर पुराना जमाना के बाजा बजावेंव, त ओकर बेरे मं गाय ला कहन.” वो ह नाटक सेती नवा गाना बनावत रहिस. वो हा कीरा अऊ जानवर मन सेती कहिनी गढ़य.

येड़िल अन्ना हा सबले जियादा आदिवासी अऊ समुंदर के तीर के इलाका मं बसे गाँव के लइका मन संग काम करिस. फेर जब वोला सहरी इलाका के लइका मन के संग काम करिस त वोला पता लगिस के सहरी लइका मन ला लोक कथा मन ले अऊ रोजगार ले जुरे गियान नई ये. फेर वो ह सहरी सिविर मन मं लोक कला मन के तकनीकी जानकारी ला घलो सामिल करिस, जइसने पराई मं ढोल के उपयोग करे जाथे, सिलम्बु मं प्रदर्शन के बखत पैजनी जइसने जेवर पहिरे जाथे, अऊ पुली मं बघवा के मुखोटा इस्तेमाल करे जाथे. येड़िल अन्ना कहिथे, मंय कला के ये तरीका मन ला ल इ का मन तीर पहुंचाय अऊ वोला बंचाय मं भरोसा रखथों. मोर मानना आय के ये कला के किसिम किसिम के रूप मन मं हमर लइका मन ला खुस रखे के अऊ अजाद रखे के काबिलियत हवय.

पांच ले छे दिन तक ले चले ये सिविर मन सेती टीम मं हमेसा एक ले जियादा कलाकार होवत रहिन. एक बखत रहिस, जब हमर मंडली मं गायक तमिलारसन, पेंटर राकेश कुमार, मूर्तिकार येड़िल अन्ना, अऊ लोक कलाकार वेलमुरुगन और आनंद सामिल रहिन. अन्ना धीरे ले मोर काम धाम के जिकर करत कहिथे, “अऊ हाँ, हमर टीम मं फ़ोटोग्राफ़र घलो हवंय, जेन ह हमर लइका मन ला फोटू के जरिया ले अपन जिनगी ला राखे ला सिखाथें.”

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तिरुचेंगोडु मं सिविर के आख़िरी दिन, 'प्रदरसनी' के मौका मं पराई अट्टम के तौर ले बनाए गए डफली बजावतत लइका मन

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तंजावुर मं, थोकन देख सकेय्या टूरी मन फोटू खींचत हवंय

वो ला अपन जिनगी के सबले बढ़िया सुग्घर बखत ला संजोय खूब आवत रहय. अइसन बखत जेन मं लइका अऊ सियान हँसी खुसी रहत रहंय. वो हा खुदेच मोला मोर दाई-ददा संग अइसने समे फिर ले गुजारे मं मदद करिस. इंजीनियरिंग के पढ़ई के बाद जब मंय बिना काम धाम के भटकत रहेंव, अऊ मोर मन  फ़ोटोग्राफ़ी डहर लगे ला सुरु होइस, त येड़िल अन्ना ह मोला अपन दाई ददा के संग जाके रहे ला कहिस. वो ह अपन महतारी के संग के गोठ बात मोला बतायेव, कइसने ओकर ददा के मरे का बाद ओकर दाई ह अकेल्ला वोला अऊ ओकर चार झिन बहिनी ला पाले पोसे रहिस. ओकर दाई ले जुरे कतको गोठ बात ले, येड़िल अन्ना ह मोला येला सोचे ला मजबूर कर दीस के मोर दाई-ददा मन मोला पाले पोसे सेती कतक मेहनत करे होहीं. येकर बादेच मंय अपन दाई के मोल ला समझे सकंय, ओकर फोटू खिंचय, ओकर बारे मं लिखंय.

जब मंय येड़िल अन्ना के संग घूमे ला सुरु करेंव, त मंय नाटक खेले ले जुरे बारीकी मन ला सीखे ला लगेंव, रेखाचित्र बनाना अऊ चित्रकारी करना, रंग बनाय ला सीखे ला लगेंव. येकरे संगेच मंय लइका मन ला फ़ोटोग्राफी सिखाय ला सुरु कर देंय. अइनसे करत ये ह लइका अऊ मोर मंझा मं एक ठन नवा दुनिया मं ले आइस. मंय वोमन के कहिनी सुनंव, वो मन के जिनगी ला फोटू मं उतारे ला सुरु करेंव. जब मंय वोमन के संग गोठ बात करे के बाद, वोमन के संग खेले के बाद, वो मन संग नाचे अऊ गाये के बखत फोटू लेय ला सुरु करेंव, त ये हा एक ठन तिहार बरोबर बन गे. मंय वोमन के संग वो मन के घर गेंय, वो मन का संग खांय, वो मन के दाई ददा ले गोठ बात करेंय. मोला गम होइस के जब मंय वो मन के संग गोठ बात करे, वो मन के संग अपन जिनगी ला बताय अऊ वो मन के संग कुछु बखत बिताय के बाद जब मंय फोटू खिंचथों, त जादू असन हो जाथे.

बीते 22 बछर मं, जबले येड़िल अन्ना ह कलिमन विरलगल के सुरुवात करे हवय, ओकर ले जऊन कोनो जुरिस वो सब के जिनगी ला वो ह जादू अऊ उजियार ले भर दे हवय. वो ह कहिथे, “हमन आदिवासी लइका मन ला अकादमिक मार्गदर्शन देथन, वो मन ला सिच्छा के महत्तम ला बताथन. हमन टूरी मन ला आत्मरक्षा करे ला घलो सिखाथन. हमन देखे हवन जब लइका मन ला आत्मरक्षा करे गे गुर बताय जाथे त वो मन के आत्मविस्वास बढ़ जाथे.” ओकर मानना आय: अपन लइका मन उपर बेस्वास करे, वो ला तर्कसंगत सोच ले भरे, अऊ विचार अऊ बोले के अजादी ला बढ़ाय के .

वो ह कहिथे, “हमन मानथन के हरेक मइनखे एके समान होथे, अऊ हमन वो मन ला इही सिखाथन. वो मन के खुसी मेहिच मंय अपन खुसी खोज लेथों.”

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कोयंबटूर के एक ठन इस्कूल मं येड़िल अन्ना एक ठन नाटक 'आईना' के अभियास करवावत हवय, अऊ कमरा सारा लइका मन के हँसी ले भर गे हवय

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नागपट्टिनम मं येड़िल अन्ना अऊ ओकर टीम, चिरई मन के ऊपर बने एक ठन नाटक दिखावत हवय

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तिरुवन्नामलाई मं मुखोटा, पोशाक, अऊ रंगाय पोताय चेहरा के संग, नाटक ‘लायन किंग’ करे सेती तियार टीम

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सत्यमंगलम मं लइका मन के संग येड़िल अन्ना. तंय ल इका मन ला अपन जिनगी ले अलग नई करे सकय. जब बात लइला मन के होय, त वो ह जिंदादिल मइनखे बन जाथे

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जवादु के डोंगरी मं बने परिसर मं, लइका मन ख़ुद के बनाय काग़ज़ के मुखोटा के संग फोटू खिंचवावत

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कांचीपुरम मं, सुने अऊ बोले नई सकय लइका मन के एक ठन इस्कूल मं करे गे ओरिगेमी कार्यशाला के बखत, अपन बनाय काग़ज़ के तितलि मन के मंझा मं एक झिन टूरी

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पेरम्बलुर मं, मंच ला सजाय सेती लइका मन ख़ुदेच पोस्टर बनावत हवंय. मंच ला काग़ज़ अऊ कपड़ा ले तियार करे गे रहिस

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जवादु मं, अपन तीर तखार के रुख राई ले, येड़िल अन्ना अऊ लइका मन एक ठन जानवर के ढांचा बनावत हवंय

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नागपट्टिनम के एक ठन इस्कूल के प्रांगन मं लइका मन के संग बइठे

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कांचीपुरम मं, सुने नई सकय लइका मन के एक ठन इस्कूल के छात्रावास के लइका मन, जुन्ना सीडी ले अलग-अलग किसिम के जिनिस बनावत हवंय

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सेलम के एक ठन इस्कूल मं अपन बनाय कलाकृति मन ला देखावत लइका मन

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सत्यमंगलम के एक ठन सिविर मं बनाय गेय कलाकृति मन के प्रदर्सनी मं, लइका मन के संग मिलके गाँव के लोगन मन के सुवागत करत येड़िल अन्ना

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कावेरीपट्टिनम मं प्रदर्सनी वाले दिन, पोइ काल कुदुरई अट्टम नांव के एक ठन लोक नृत्य ला लोगन मन के आगू सुरू करवावत येड़िल अन्ना. पोइ काल कुदुरई (नकली गोड़ वाले घोड़ा) मन ला गत्ता अऊ कपड़ा ले तियार करे गे हवय

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कावेरीपट्टिनम मं एक ठन सिविर के आख़िरी दिन, येड़िल अन्ना के टीम अऊ लइका मन ज़ोर ले नरियायिन, 'पापरप्पा बाय बाय, बाय बाय पापरप्पा

वीडियो देखव: आर. एझिलारासन: नागपट्टिनम मं लइका मन ला गीत गाये अऊ नाचे ला सिखावत

लेखक ह मूल रूप ले तमिल मं लिखे गे ये निबंध के अनुवाद सेती कविता मुरलीधरन अऊ ये कहिनी मं महत्तम जानकारी देय सेती अपर्णा कार्तिकेयन के अभार जतावत हवय.

आखिर मं: ये निबंध प्रकासन सेती तियार करे जावत रहिस के 23 जुलाई 2022 मं जाँच मं पता चलिस के आर. येड़िलारसन जिलियन बैरे सिन्ड्रोम ले पीड़ित हवंय. ये ह एक ठन तंत्रिका संबंधी गंभीर बीमारी आय, जेन मं सरीर के प्रतिरक्षा प्रनाली ह नस मन मं हमला करथे. ये बीमारी परिधीय तंत्रिका तंत्र ला असर करथे अऊ ये ह मांसपेसी मन के कमज़ोरी अऊ लकवा के कारन बन सकत हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

M. Palani Kumar

M. Palani Kumar is Staff Photographer at People's Archive of Rural India. He is interested in documenting the lives of working-class women and marginalised people. Palani has received the Amplify grant in 2021, and Samyak Drishti and Photo South Asia Grant in 2020. He received the first Dayanita Singh-PARI Documentary Photography Award in 2022. Palani was also the cinematographer of ‘Kakoos' (Toilet), a Tamil-language documentary exposing the practice of manual scavenging in Tamil Nadu.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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