पहिली बखत त दीया करीबन बांच गे रहिस.
वो ह हड़बड़ाय बस मं बइठे सवारी भरे ला अगोरत रहिस. वो ह सूरत ले झालोद तक के टिकिट बिसोय रहिस. वो ह जानत रहिस के उहाँ ले गुजरात के सरहद पार के राजस्थान मं कुशलगढ़ के अपन घर तक हबरे मं घंटा भर लाग जाही.
वो ह खिड़की ले बहिर देखत रहिस तभेच रवि अचानक पाछू डहर ले आइस. येकर पहिली के वो ह कुछु करे सकतिस, वो ह ओकर हाथ ला धरके बस ले उतार दीस.
तीर-तखार के लोगन मन अपन बोचका-लइका मन ला संभाले मं लगे रहिन. बगियाय जवान टूरा अऊ डेर्राय किसोर उमर के नोनी कोती ककरो नजर नई रहिस. दीया कहिथे, “मंय नरियाय बर डेर्रावत रहंय.” रवि के सुभाव ला देखत अपन बीते दिन ला देखत वो ह कलेचुप रहे ला अपन भलाई समझिस.
तऊन रतिहा, काम वाले जगा के अपन घर अऊ बीते छै महिना ले जेल कस, वो जगा मं दीया सुते नई सकिस. जम्मो देह मं चोट लगे रहय. रवि के पिटाई ले ओकर चमड़ी जागा जगा ला फट गे अऊ जखम होगे. वोला सुरता हवय, वो ह मुक्का मारिस अऊ लतियावत रहय. जब वो ह पीटे ला लगिस त कऊनो घलो बचाय नई सकिस. बीच-बचाव करेइय्या मरद मन ला वो ह दीया ऊपर नजर रखे के आरोप लगाय. जेन माइलोगन मन ओकर ये बेवहार ला देखे रहिन वो मन दूरिहा रहेंव. गर कऊनो हिम्मत करके दखल देवय, त रवि कहय, 'मेरी घरवाली है, तुम क्यों बीच में आ रहो [वो ह मोर घरवाली आय, तुमन काबर दखल देवत हो]?’
दीया कहिथे,” हरेक बेर जब मोला पीटे जावत रहिस, त मोला मल्लम पट्टी कराय सेती अस्पताल जाये ला परय अऊ 500 रूपिया खरचा करे ला परय. दीया कहिथे, रवि के भाई कभू-कभू पइसा देवत रहिस, इहाँ तक ले मोर संग अस्पताल घलो जावत रहिस अऊ कहय, “तुम घर पे चलेजा [तंय अपन मायका चले जा].” फेर दूनों ये नई जानत रहिन के वो ह येला कइसने करही.
दीया अऊ रवि राजस्थान के बांसवाड़ा जिला के भील आदिवासी आंय, जऊन ह 2023 के बहुआयामी गरीबी रिपोर्ट के मुताबिक, राज मं गरीब लोगन मन के दूसर सबले बड़े संख्या आय. कम जमीन, अपासी के कमी, काम बूता नई रहय अऊ भारी गरीबी कुशलगढ़ तहसील ला भील आदिवासी मन के पलायन के बड़े जगा बनाथे जऊन ह अबादी के 90 फीसदी हवय.
कतको आन लोगन मन के जइसने, दीया अऊ रवि पलायन करेइय्या एक ठन अऊ जोड़ा नजर आहीं, जेन मन गुजरात के काम वाले जगा मं बूता खोजे ला जाथें. फेर दीया के पलायन ह जबरदस्ती रहिस.
16 बछर के नोनी परोस के सज्जनगढ़ के एक ठन स्कूल मं 10 वीं क्लास मं पढ़त रहिस, तब ओकर पहिली भेंट रवि ले बजार मं होय रहिस. गाँव के एक झिन डोकरी सियान माइलोगन ह वोला एक ठन कागज मं ओकर नंबर देय रहिस अऊ कहे रहिस के वो ह ओकर ले भेंट कर लेवय काबर के वो ह सिरिफ ओकर ले मिले ला चाहत रहिस.
दीया ह वोला फोन नई करिस. अवेइय्या हफ्ता जब वो ह बजार आइस त वो ह थोकन गोठ-बात करिस. “हमको घूमाने ले जायेगा बोला, बागीदौरा. बाइक पे. [वो ह कहिस के हमन फटफटी मं बागीदौरा घूमे ला जाबो]. मोला स्कूल ले घंटा भर पहिली, मंझनिया 2 बजे बहिर आय बर कहे गे रहिस,” वो ह सुरता करथे. दूसर दिन अपन एक झिन संगवारी संग ओकर स्कूल के बहिर अगोरत रहय.
“हमन बागीदौरा नई गेन. हमन बस टेसन गेन, वो मन मोला अहमदाबाद जवेइय्या बस मं बइठा दीन,” वो ह कहिथे, दूसर राज मं 166 कोस (500 किमी) दूरिहा.
हड़बड़ाय दीया ह कइसने करके अपन दाई-ददा करा फोन करिस. “मोर मोमा मोला लेगे बर अहमदाबाद आय रहिस. फेर रवि ह पहिलीच ले अपन संगवारी मन ले ये खबर सुन ले रहिस, येकरे सेती वो ह मोला जबरदस्ती सूरत ले आइस.”
येकर बाद वो ह ककरो ले गोठियाय ले बइहा जाय अऊ मारपीट सुरु करे. बात करे बर फोन मांगे ले जियादा मारपीट करय. दीया ला वो दिन सुरता हवय जब वोला अपन घर के लोगन मन ले बात करे के भारी मन रहिस, वो ह रोवत रहिस अऊ ओकर ले फोन मांगत रहिस, “तभेच वो ह मोला काम वाले जगा के पहिली मंजिल ले धकेल दीस. किस्मत ले मंय मलबा उपर गिरंय, मोर जम्मो देह मं जखम के चिन्हा रहिस,” वो ह अपन पीठ ला देखावत सुरता करते जेन ह अभू घलो पिराथे.
*****
जब वो मन ला पहिली बेर दीया ला भगा ले जाय के बारे मं पता चलिस, त ओकर 35 बछर के बनिहारिन दाई कमला ह वोला लहूंट आय के कोसिस करिस. बांसवाड़ा जिला के एक ठन बस्ती मं एक खोली के कुरिया मं वो महतारी ह सुरता करत भारी रोये लगथे. “बेटी तो है मेरी, अपने को दिल नहीं होता क्या[ आखिर वो मोर बेटी आय. काय मोर हिरदे वोला लाय ला नई चाही]?” रवि के दीया ला ले जाय के कुछेक दिन बाद कमला ह ओकर खिलाफ पुलिस मं सिकायत करिस.
माइलोगन मन के उपर अपराध के मामला मं राजस्थान ह तीसर जगा मं हवय. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के छपे भारत मं अपराध 2020 रिपोर्ट के मुताबिक, ये अपराध के आरोप पत्र दाखिल करे मं येकर रिकार्ड सबले कम 55 फीसदी हवय. अगवा करे अऊ अतियाचार के तीन ठन ले दू ठन शिकायत पुलिस ह दर्ज नई करय. दीया के मामला घलो येकर ले अलग नई रहिस.
कुशलगढ़ के डिप्टी एसपी रूप सिंह सुरता करथें, “वो मन मामला ला वापस ले लीन”. कमला कहिथे के बंजड़िया - गांव के मरद मन के एक ठन मंडली जेन ह नियाव के काम करथे- ये मं लग गे रहिस. वो मन कमला अऊ ओकर घरवाला किशन, दीया के दाई-ददा ला ‘दुल्हिन के कीमत’ मांग के पुलिस करा जाए बिन मामला ला निपटाय बर राजी कर लीन – भील मन के रिवाज जेन मं टूरा के परिवार मं ओकर घरवाली सेती पइसा देथें (गर अकस्मात, जब मरद मन बिहाव टोर देथें, त वो पइसा ला मांगथें जेकर ले वो मन फिर ले बिहाव कर सकंय.)
परिवार के कहना रहिस के ओकर ले 1-2 लाख रूपिया लेगे ला कहे गीस अऊ अगवा करे के पुलिस के मामला ला छोड़े ला कहे गीस. ‘बिहाव’ ला अब समाज के इजाजत मिल गे रहिस, दीया के कम उमर अऊ ओकर राजी होय ला देखे नई गीस. नवा एनएफएचएस-5 के मुताबिक, राजस्थान मं 20-24 बछर के एक चौथाई माईलोगन के बिहाव 18 बछर ले पहिली हो जाथे.
टीना गरासिया कुशलगढ़ मं सामाजिक कार्यकर्ता हवंय. वो ह खुदेच भील आदिवासी आंय अऊ दीया जइसने मामला मन ला सिरिफ घर ले भाग के बने दुल्हिन के रूप मं नई मानंय. वो ह कहिथें, हमर करा अवेइय्या अधिकतर मामला मं मोला कभू ये गम नई होवय के नोनी मन अपन मरजी ले भागे रहिन. धन वो मन रिस्ता मं कऊनो फायदा, इहाँ तक ले मया के बारे मं सोचत हवंय, बांसवाड़ा जिला मं आजीविका लाइवली हुड के ब्यूरो के मुखिया कहिथें; वो ह 10 बछर ले जियादा बखत ले पलायन करके आय माइलोगन मन के बीच मं काम करत हवंय.
“मंय वो मन के भाग के जाय ला एक ठन साजिस, तस्करी के तरीका के रूप मं देखथों. ओकरेच मन के भितरिच के लोगन आंय जेन मन नोनी मन ला ये रिस्ता मं लाथें,” टीना आगू बतावत जाथे, ओकर दावा आय के नोनी मन ला मिलाय सेती पइसा घलो लेगे जाथे. “गर कऊनो नोनी 14-15 बछर के हवय, त वोला रिस्ता के काय समझ होही? जिनगी के काय समझ होही?”
पूस के बिहनिया, कुशलगढ़ मं टीना के दफ्तर मं, तीन परिवार अपन बेटी मन के संग आय हवंय. वो मन के कहिनी ह दीया जइसने आय.
सीमा के बिहाव 16 बछर के उमर मं होगे रहिस अऊ वो ह अपन घरवाला के संग काम करे बर गुजरात चले गे रहिस. वो ह कहिथे, “गर मंय कऊनो ले गोठियायंव त वोला भारी जलन होवत रहिस. एन बेर ओ ह मोला अतक जोर ले मारिस के मंय अब ले घलो वो कान ले बने करके सुने नई सकत हवं.”
“भारी मारत-पीटत रहिस. मोला अतक दरद होवय के मंय भूंइय्या ले उठे नई सकत रहेंव. फेर वो ह ये कइही के मंय कामचोर अंव. येकरे सेती मंय चोट के बाद घलो बूता करेंव,” वो ह आगू बताथे. ओकर कमई सीधा ओकर करा जावत रहिस, “वो ह पिसान घलो नई बिसोवत रहिस, जम्मो पइसा दारू पीये मं उड़ा देवत रहिस.”
अपन मरे के धमकी देके वो ह आखिर मं ओकर ले पीछा छुड़ा लीस. तब ले वो ह दूसर माईलोगन के संग रहत हवय. वो ह कहिथे, “मंय गरभ ले हवं, फेर वो ह हमर बिहाव ला टोरे धन मोला जिनगी गुजारे के खरचा देय बर तियार नई ये.” येकरे सेती ओकर परिवार ह वोला छोड़े बर एफआईआर दर्ज कराय हवय . घरेलू अतियाचार ले माईलोगन मन ला संरक्षण अधिनियम , 2005 के धारा 20.1 (डी) कहिथे के गुजारा खरचा देय ला चाही, अऊ ये ह आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के धारा 125 के मुताबिक आय.
19 बछर के रानी तीन बछर के लइका के महतारी आय अऊ गरभ मं दूसर लइका हवय. वोला घलो ओकर घरवाला ह छोड़ देय रहिस, फेर येकर पहिली वो ह गारी-मार खाके दिन गुजारे हवय.वो ह कहिथे, “वो ह हरेक दिन दारू पीयत रहिस अऊ गंदी औरत, रंडी है ( गंदी औरत, बेसवा) कहिके लड़े-झगरे ला सुरु कर देवत रहिस.”
वइसने वो ह पुलिस मं शिकायत करिस, फेर येला तब वापिस ले ले गीस जब बंजड़िया मन 50 रूपिया के स्टाम्प मं ओकर परिवार के घर ले लोगन मन ले लिखवा लीन के वो ह अब बढ़िया बेवहार करही. महिना भर बाद जब अतियाचार फिर ले सुरु होगे त बंजड़िया मन आंखी मूंद लीन. रानी कहिथे, मंय पुलिस करा गे रहेंव फेर काबर के मंय बीते शिकायत ला वापिस ले ले रहेंव, येकरे सेती सब्बो सबूत गंवा गे हवय. वो ह कभू स्कूल नई गीस फेर कानून के दांव पेंच सीखत हवय. अनुसूचित जनजाति मन के सांख्यिकीय प्रोफ़ाइल, 2013 के मुताबिक, भील माईलोगन मन मं साक्षरता दर भारी कम 31 फीसदी हवय.
आजीविका ब्यूरो दफ्तर मं, टीम के सदस्य दीया, सीमा अऊ रानी जइसने माईलोगन मन ला कानूनी अऊ दीगर कतको मदद करथें. वो मन एक ठन नानकन पुस्तिका 'श्रमिक महिलाओं का सुरक्षित प्रवास’ घलो छपे हवंय, जेन ह माइलोगन मन ला हेल्पलाइन, अस्पतालों, लेबर कार्ड अऊ बनेच कुछु के बारे मं बताय सेती फोटू अऊ ग्राफिक्स काम मं लाथें. फेर लोगन मन के जिये सेती ये ह बड़े लंबा रद्दा आय जेन मं पुलिस थाना, अदालत के अनगिनत चक्कर अऊ कऊनो साफ ढंग ले निपटारा होवत नई दिखय. नान-नान लइका मन के उपराहा जिम्मेवारी सेती कतको लोगन मन फिर ले काम-बूता सेती पलायन नई कर सकंय.
टीना ये मामला मन ला लैंगिक अतियाचार के संगे संग नवा पीढ़ी के नोनी मन के तस्करी के मामला के रूप मं घलो देखथें. “हमन अइसने कतको मामला देखे हवन जिहां नोनी मन ला छोड़े बर मना लेय गीस. फेर वो मन एक मरद ले दूसर मरद करा चले गीन. मोला लगथे के तस्करी के नजरिया इहीच आय. अगर हमन सीधा सीधा देखबो त ये ह नोनी मन के तस्करी के छोड़ अऊ कुछु नो हे,” वो ह येकर आगू कहिथे: “अऊ ये ह बढ़त जावत हवय.”
*****
जबरदस्ती ले जाय के तुरते बाद अहमदाबाद अऊ ओकर बाद सूरत मं दीया ला काम मं लगा देय गीस. वो ह रवि के संग रहिके रोकड़ी बनाईस- जेन ला मजूर ठेकादार मन चउड़ी ले 350 ले 400 रूपिया रोजी मं लेगेंव. वो मन फुटपाथ मं तिरपाल के कुरिया बना के रहत रहंय. बाद मं रवि ला कायम मिलिस जेकर मतलब रहिस के वोला महिना के तनखा देय जाही अऊ वो मन काम वाले जगा मं रहत रहिन.
“[फेर] मंय कभू अपन कमई ला नई देखेंव. वो ह येला रखय,” दीया कहिथे. दिन भर के देह तोड़ मिहनत के बाद, रांधे, साफ-सफई करे, कपड़ा लत्ता धोवय अऊ घर के जम्मो काम करय. कभू-कभू संग के काम करेइय्या माई महतारी गोठियाय ला आवंय, फेर रवि वो मन के ऊपर नजर धरे रहय.
दीया कहिथे, “तीन बेर मोर ददा मोला आय सेती ककरो जरिया ले पइसा भेजिस. फेर जइसनेच मंय बहिर निकरे लगतेंव, कऊनो देख लेतिस अऊ बता देतिस (रवि ला), अऊ वो ह मोला जाय नई देवय. जेन बखत मंय बस मं चढेंव, वो ह अइसने करके मोर पाछू हबर गे.”
ओकर मजूरी रवि के मजूरी मं जुड़ गे रहिस अऊ वो ह इहाँ के भाखा बोले नई सकत रहिस, काबर के दीया सिरिफ वांगडी बोली बोलय अऊ थोर बहुत हिंदी समझत रहिस. ओकर करा रवि अऊ ओकर अतियाचार ले बांचे सेती गुजरात मं सरकारी धन ककरो दीगर के मदद लेगे धन जाने-गुने के कऊनो रद्दा नई रहिस.
करीबन चार महिना बाद रवि ह दीया ला बस ले उतार के ले आइस, ओकर गरभ ठहर गे. ये ह ओकर इच्छा ले नई होय रहिस.
फेर मारपीट कम होगे, बंद नई होईस.
आठवां महिना मं रवि वोला ओकर दाई-ददा के घर मं छोड़ दीस. जचकी सेती वोला जलोद के एक ठन अस्पताल मं भर्ती कराय गीस जिहां ओकर बेटा के जनम होईस. वो ह अपन लइका ला दुदु नई पियाय सकिस काबर के वो ह 12 दिन तक ले आईसीयू मं भर्ती रहिस अऊ वो ह वोला पियाय ला बंद कर दीस.
वो बखत ओकर परिवार के कऊनो ला घलो रवि के ये अतियाचारी रवेइय्या के बारे मं पता नई रहिस. ओकर कुछु बखत रुके के बाद दाई-ददा ओकर जाय के सेती आतुर रहिन – बहिर काम मं जवेइय्या महतारी मन अपन बनेच नान-नान लइका मन ला अपन संग ले जाथें. कमला ह समझाइस, “अऊरत जात के सहारा ओकर मरद आय जेकर ले वो ह बिहाव करे हवय. वो मन संग मं रइहीं, संग मं काम करहीं.” अपन दाई-ददा के संग रहिके, महतारी अऊ लइका परिवार के माली हालत ऊपर बोझा बनत रहय.
इही बीच मं अब फोन मं गाली-गलौज सुरु होगे. रवि लइका के इलाज सेती पइसा देय ले मना कर देवत रहिस. दीया जेन ह ये बखत घर मं रहत रहिस, वो मं थोकन साहस आगे रहिस अऊ वो ह कभू-कभू अपन भरोसा दिखावत बोल देवत रहिस. “ठीक हे मंय अपन ददा ले पूछ्हूँ.” कमला सुरता करथे, “बहुत झगड़ा करते थे [वो मन भारी झगरा करत रहंय].”
अइसने गोठ-बात मं वो ह ओकर ले कहिस के वो ह कऊनो आन माईलोगन के संग चले जाही. वो ह जुवाब दीस, “गर तंय जाय सकथस, त मंय घलो जाय सकथों.” ओकर बाद वो ह फोन ला काट दीस.
कुछेक घंटा बीते, रवि जेन ह परोस के तहसील के अपन घर मं रहिस, तीन ठन फटफटी मं पांच झिन दीगर लोगन के संग ओकर मायका आईन. वो ह वोला ये कहत अपन संग जाय ले मना लीस के वो ह बढ़िया बेवहार करही अऊ वो मन फिर ले सूरत जाहीं.
वो ह सुरता करथे, “वो ह मोला अपन घर ले गीस. वो मन मोर लइका ला खटिया मं सुता दीन. मोर घरवाला ह मोला थपरा मारिस अऊ चुंदी ला धरके घसीट के, एक ठन खोली मं ले जाके फेरका ला बंद कर दीस. ओकर भाई अऊ संगवारी मन घलो भीतरी मं आ गेंय. गला दबाया [ वो ह मोर घेंच ला दबाइस] अऊ बाकि लोगन मन मोला धरे सेती मोर हाथ ला धर के रखे रहंय. वो ह दूसर हाथ ले मोर मुड़ ला मुड़ दीस.”
ये घटना दीया के मन मं भारी पीरा वाले रूप मं बसे हवय. “मोला एक ठन थंभा [लकरी के खंभा] के दूसर डहर दबाय गे रहिस. मंय जतका हो सकय ओतके नारियायेंव, फेर कऊनो नई आइस.” तभे बाकि लोगन मन खोली ले बहिर चले गीन अऊ फेरका ला बंद कर दीन. “वो ह मोर कपड़ा ला निकार दीस अऊ मोर संग बलात्कार करिस. वो ह चले गे, अऊ तीन दीगर लोगन मन आईन अऊ एक-एक करके मोर संग बलात्कार करिन. मोला बस अतकेच सुरता हवय काबर के मंय बेहोश होगे रहेंव.”
खोली के बहिर ओकर नवा जन्मे बेटा रोय ला धरिस. “मंय अपन घरवाला ला मोर दाई ले फोन मं ये कहत सुनेंव, ‘वो ह नई आवत हे. हमन आबो अऊ लइका ला छोड़ देबो.’ मोर दाई ह मना कर दीस अऊ कहिस के वो ह खुदेच आवत हे.
कमला ला सुरता हवय के जब वो ह हबरिस त रवि ह ओकर ले लइका ला ले जाय ला कहिस. “मंय कहेंव नईं’. मंय अपन बेटी ला देखे ला चाहत रहेंव”. काँपत दीया, अपन मुड़ी मुड़ाय, “जइसने ककरो किरियाकरम करके” आगू आइस. कमला सुरता करथे, “मंय अपन घरवाला, गाँव के सरपंच अऊ मुखिया ला फोन करेंव अऊ वो मन पुलिस बला लीन.”
जब पुलिस आइस तब तक ले वो लोगन मन गायब हो चुके रहिन. दीया ला अस्पताल ले जाय गीस. वो ह सुरता करथे, “मोर देह मं काटे के चिन्हा रहिस. बलात्कार के कऊनो जाँच नई करे गीस. मोर जखम मन के फोटू नई ले गीस.”
घरेलू अतियाचार ले माइलोगन मन के संरक्षण अधिनियम , 2005 के धारा (9जी) मं साफ कहे गे हवय के गर शारीरिक अतियाचार होय हवय त पुलिस ला शारीरिक जाँच के आदेश देय ला चाही, वइसे ओकर परिवार के कहना आय के वो मन पुलिस ला सब्बो कुछु बता देय हवंय, जब ये रिपोर्टर ह डिप्टी एसपी से पूछिस त ओकर दावा रहिस के दीया ह अपन बयान बदल दे हवय, बलात्कार के जिकर नई करे हवय अऊ अइसने लगत हवय के वोला सिखाय-पढ़ाय गे रहिस.
दीया के परिवार ये बात ले साफ इनकार करथे. “आधा लिखा और आधा छोड़ दिया [वो मन आधा लिखीन अऊ आधा छोड़दीन]” दीया कहिथे. मंय 2-3 दिन के बाद अदालत मं फ़ाइल पढ़ेंव. मंय देखेंव के वो मन ये नईं लिखे रहिन के चार लोगन मन मोर संग बलात्कार करिन. न त वो मन नामेच ला लिखे रहिन, वइसे मंय देय रहेंव.”
घरेलू अतियाचार झेलत ये माईलोगन मन ला दुहरा नुकसान होथे – ठेकदार सिरिफ ओकर घरवाला के जरिया ले वो मन ले निपटथें, अऊ जेन माइलोगन मन उहाँ के भाखा नई बोलंय, वो मन ला मदद नई मिले सकय
रवि अऊ जेन तीन झिन लोगन के वो ह पुलिस के आगू अपन बलात्कारी के रूप मं दर्ज कराय रहिस, वो मन ला गिरफ्तार कर लेय गीस. ओकर परिवार के दीगर लोगन घलो अइसनेच रहिन, सब्बो जमानत मं हवंय. दीया ला रवि के संगवारी अऊ परिवार डहर ले जान के खतरा होय के बारे मं पता चले हवय.
साल 2024 के सुरु मं, जब ये रिपोर्टर ह ओकर ले मिलिस, त वो ह कहिथे के ओकर रोज के काम पुलिस थाना, अदालत के कतको चक्कर लगावत अऊ अपन दस महिना के लइका के देखभाल मं गुजर जाथे, जऊन ला मिर्गी होय के पता चले हवय.
दीया के ददा, किशन कहिथे, “हरेक बखत जब हमन कुशलगढ़ आथन त बस के हरेक के भाड़ा 40 रूपिया लगथे.” कभू-कभू परिवार ला तुरते बलाय जाथे त हमन ला अपन घर ले 15 कोस दूरिहा जाय बर निजी गाड़ी भाड़ा करे ला परथे जेन मं 2,000 रूपिया लगथे.
खरचा बढ़त हवय फेर किशन ह बहिर कमाय खाय जाय ला छोड़ दे हवय, “जब ये मामला आखिर नईं निपटही, मंय बहिर कइसने जाय सकत हवं? फेर काम बूता नई करहूँ त घर कइसने चलही?” वो ह पूछथे. “बंजडिया ह हमन ला केस छोड़े सेती 5 लाख रूपिया देय के प्रस्ताव रखिस. मोर सरपंच ह मोला कहिस, ‘ले लो’. मंय कहेंव नईं! वोला कानून के मुताबिक सजा भुगते ला दो.’
अपन घर के भूंइय्या मं बइठे दीया, जेन ह अब 19 बछर के हो चुके हवय, वोला आस हवय के आरोपी मन ला सजा मिलही. ओकर चुंदी एक इंच बढ़ गे हवय. वो मन मोर संग उहिच करिन जऊन ला वो मन चाहत रहिन. ये मं डेर्राय के काय बात आय? मंय लड़हूँ. वोला पता होय ला चाही के गर वो ह अइसने कुछु करही त काय होही. वो ह फिर ले दुबारा ककरो संग अइसने करे नई सकही.”
ओकर अवाज ह बढ़त जाथे, अऊ वो ह कहिथे, “वोला सजा मिले ला चाही.”
ये कहिनी भारत मं यौन अऊ लिंग आधारित अतियाचार (एसजीबीवी) ले बांचे लोगन मन के देखभाल सेती समाजिक, संस्थागत अऊ संरचनात्मक बाधा मन के ऊपर बने एक ठन राष्ट्रव्यापी रिपोर्टिंग परियोजना के हिस्सा आय. ये ह डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स भारत के समर्थित पहल के हिस्सा आय.
अतियाचार ले बांचे लोगन के अऊ ओकर परिवार ला उजागर करे ले बचाय सेती ओकर मन के नांव बदल दे गे हवय.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू