बिहार राज्यातले शेकडो शेतकरी – गडी, बाया आणि लेकरं – १३२५७ जन साधारण एक्सप्रेस गाडीने १६ तासांचा, ९९० किलोमीटरचा प्रवास करून २९ नोव्हेंबर २०१८ रोजी दुपारी २ वाजता पूर्व दिल्लीच्या आनंद विहार टर्मिनल स्थानकात पोचले.

इतरांची वाट बघत असतानाच, बिलकुल वेळ न दवडता गाडीतून उतरलेल्या पहिल्या काही जणांनी तिथे फलाटावरच त्यांच्या रामलीला मैदानापर्यंतच्या मोर्चाला सुरुवात केली, घोषणा दुमदुमू लागल्याः “आम्हाला पेन्शन मिळालंच पाहिजे! स्वामिनाथन आयोगाच्या शिफारसी लागू करा! उत्पादन खर्चाच्या दीडपट हमीभाव द्या...”

त्याच दिवशी सकाळी इतरही अनेक शेतकरी वेगवेगळ्या रेल्वेगाड्यांनी दिल्लीत पोचले होते. त्यांनी आम्हाला त्यांच्या मागण्या आणि समस्या सांगितल्या, पावसावरच्या शेतीच्या समस्यांचं भिजत घोंगडं आणि दुष्काळ, डिझेल आणि खतांच्या वाढत चाललेल्या किंमती – पण बाजारात त्यांच्या मालाला मिळणारा भावात फारशी वाढ नाही. पोरांना चांगलं शिक्षण देणं किंवा घरच्यांना चांगले वैद्यकीय उपचार पुरवणं किती मुश्किल होत चाललं आहे हेही त्यांनी आम्हाला सांगितलं.

सोबतच्या चित्रफितीतले शेतकरी बिहारच्या मधेपुरा, सीतामढी आणि सिवान जिल्ह्यातून आले आहेत.

अनुवादः मेधा काळे

নমিতা ওয়াইকার লেখক, অনুবাদক এবং পিপলস আর্কাইভ অফ রুরাল ইন্ডিয়া, পারির নির্বাহী সম্পাদক। ২০১৮ সালে তাঁর ‘দ্য লং মার্চ’ উপন্যাসটি প্রকাশিত হয়েছে।

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Samyukta Shastri

সময়ুক্তা শাস্ত্রী পারির পরিচালনার দ্বায়িত্বে থাকা কাউন্টার মিডিয়া ট্রাস্টের অছি সদস্য হওয়ার পাশাপাশি একজন স্বতন্ত্র সাংবাদিক, ডিজাইনার ও কর্মদ্যোগী। ২০১৯ সালের জুন মাস অবধি তিনি পারির কন্টেন্ট কোওর্ডিনেটর ছিলেন।

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Translator : Medha Kale

পুণে নিবাসী মেধা কালে নারী এবং স্বাস্থ্য - এই বিষয়গুলির উপর কাজ করেন। তিনি পারির মারাঠি অনুবাদ সম্পাদক।

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