we-will-save-our-ports-chh

Kachchh, Gujarat

Nov 03, 2024

चलो संगी, हमन अपन बंदरगाह ला बचाबो रे भाई

कच्छ के एक झिन मछुआरा अपन संगवारी मन ला आगू बढ़े सेती एक ठन उछाह ले भरे गीत गाथे, वो मन सब्बो समंदर मं जाय के तियारी करत हवंय. कच्छ के लोकगीत मन के कड़ी मन ले एक ठन गीत

Series Curator

Pratishtha Pandya

Illustration

Jigyasa Mishra

Want to republish this article? Please write to zahra@ruralindiaonline.org with a cc to namita@ruralindiaonline.org

Series Curator

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पंड्या पारी मं वरिष्ठ संपादक हवंय, वो ह पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग के अगुवई करथें. वो ह वह पारी भाषा टीम के सदस्य घलो आंय अऊ गुजराती मं कहिनी मन के अनुवाद अऊ संपादन करथें. प्रतिष्ठा गुजराती अऊ अंगरेजी के कवयित्री आंय.

Illustration

Jigyasa Mishra

जिज्ञासा मिश्रा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट मं बसे एक स्वतंत्र पत्रकार आंय.

Translator

Nirmal Kumar Sahu

निर्मल कुमार साहू पारी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद संपादक आंय. पत्रकार अऊ अनुवादक के रूप मं वो ह छत्तीसगढ़ी अऊ हिंदी दूनों भाखा मं काम करत हवंय. निर्मल ला छत्तीसगढ़ के प्रमुख समाचार पत्र मन मं तीन दसक के अनुभव हवय अऊ वो ह ये बखत देशडिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक हवंय.