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Alipurduar, West Bengal

Apr 19, 2024

बांस की डुली बनाने वाले बिहारी कारीगर

बबन महतो डुली बनाने की कारीगरी में सिद्धहस्त हैं. यह बांस की बनी एक बड़ी और ऊंची टोकरी होती है जो पश्चिम बंगाल में सामान्यतः धान रखने में काम आती है. अपने काम के बारे में बातचीत करते हुए वे माप बताने के लिए अपने ‘हाथ’ और वज़न बताने के लिए पारंपरिक बटखरों का इस्तेमाल करते हैं. इस काम के लिए उनकी तरह बड़ी संख्या में कारीगर बिहार से पड़ोस के राज्यों में जाते हैं और सैंकड़ों सालों से वहां बांस की टोकरियां बनाने का काम करते हैं

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Author

Shreya Kanoi

श्रेया कनोई एक डिज़ाइन रिसर्चर हैं, जो शिल्पकला के साथ जुड़े आजीविका के सवालों पर काम करती हैं. वह साल 2023 की पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.

Photographs

Gagan Narhe

गगन नर्हे, कम्युनिकेशन डिज़ाइन के प्रोफ़ेसर हैं. उन्होंने बीबीसी दक्षिण एशिया के लिए विज़ुअल जर्नलिस्ट के रूप में भी काम किया है.

Photographs

Shreya Kanoi

श्रेया कनोई एक डिज़ाइन रिसर्चर हैं, जो शिल्पकला के साथ जुड़े आजीविका के सवालों पर काम करती हैं. वह साल 2023 की पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.