बिहनिया के 9 बजत हवय, अऊ मुंबई के आजाद मैदान क्रिकेट खेलेइय्या जवान लइका मन ले भरे हवय जऊन मन हफ्ता के आखिर दिन मं ये खेल खेलेके तियारी करत हवंय. जइसने-जइसने खेल आगू बढ़े ला लगथे उछाह अऊ निराशा के अवाज आय ला लगथे.

मुस्किल ले 50 मीटर दूरिहा, एक अऊ ‘खेल’ 5,000 गड़ी मन के संग कलेचुप आगू बढ़त हवय. ये ह लंबा बखत ले चलत हवय, भारी खतरा हवय अऊ हजारों मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (मितानिन) के बीते महिना ले मुंबई के आज़ाद मैदान मं चलत विरोध प्रदर्सन खतम होवत नई दिखत हवय. 9 फरवरी ले सुरु आन्दोलन के पहिली हफ्ता मं 50 ले जियादा मितानिन मन ला अस्पताल मं भर्ती कराय ला परिस.

भीड़-भड़क्का वाले सड़क ला देखके, करीबन 30 बछर के एक झिन मितानिन भूंइय्या मं बइठ जाथे. वो ह अपन तीर ले जावत लोगन मन के नजर ले बांचत घबरा के येती-वोती देखथे. जइसनेच वो ह जल्दी ले अपन कपड़ा बदले लगथे, माईलोगन मन के एक ठन मंडली वोला दुपट्टा अऊ चद्दर ले ओढ़ार कर देथे.

कुछेक घंटा बीते, मंझनिया खाय के बखत, भारी घाम मं,मितानिन अपन संगी रीता चावरे करा जुर जाथें, हरेक के हाथ मं खाली टिफिन डब्बा, थारी अऊ ढकना घलो होथे. वो मन धीर धरे अपन पारी ला अगोरत हवंय काबर के 47 बछर के एक झिन मनखे वो मन ला घर ले बना के लाय खाना परोसथे. 17 दीगर मितानिन मन के संग ठाणे जिला के तिसगांव ले आजाद मैदान तक ले रोजके आय मं रीता ला दू घंटा लाग जाथे. रीता ह कहिथे, “मंय इहाँ प्रदर्शन करेइय्या करीबन 80-100 मितानिन मन ला खवाय के बेवस्था  करथों.”

“हमन ये देखत रहिथन के कऊनो मितानिन भूखन झन रहय. फेर अब हमन बीमार परे लगे हवन. अऊ थक गे हवन, वो ह फरवरी 2024 के आखिर मं पारी ले बात करत कहिथे.

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हजारों मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (मितानिन) बीते महिना मं मुंबई के आज़ाद मैदान मं  विरोध प्रदर्सन करत रहिन. रीता चावरे अऊ कल्याण के 17 संगवारी मितानिन मन 21 दिन तक ले रोज के मुंबई के आज़ाद मैदान मं आवत जावत रहिन, जेकर ले जतका होय सकय ओतका लोगन मन के खाय पिये के बेवस्था करे सकय.रीता (जउनि) 2006 मं मितानिन बनिस अऊ महाराष्ट्र के तीसगांव मं 1,500 के जियादा आबादी के  सेवा करथें

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राज के 36 जिला के मितानिन मन विरोध करे सेती एक जगा जुरे रहिन अऊ वो मन इहाँ 21 दिन-रात गुजरे रहिन, कतको झिन ला अस्पताल मं भरती कराय ला परिस

21 दिन बाद, मितानिन मन आखिर 1 मार्च मं मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद घर चले गीन, “आशा ची निराश सरकार करनार नाहीं. [सरकार मितानिन मन ला निरास नई करय ]." मुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे, वो दिन महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के बजट सत्र बखत बोलत रहिस.

मितानिन पूरा रूप ले महतारी ताकत आय जेन ह 70 ले जियादा स्वास्थ्य सेवा देथे. वइसे, वो मन ला एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम (आईसीडीएस) अऊ राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत सिरिफ ‘कार्यकर्ता’ के रूप मं बांटे गे हवय. येकरे सेती, वो मन केस्वास्थ्य सेवा सेती वो मन ला जऊन पइसा मिलथे वोला ‘मानदेय’ कहे जाथे, न कि पगार धन तनखा.

मानदेय के छोड़, वो मन पीबीपी (बढ़िया काम करे मुताबिक – पइसा धन प्रोत्साहन रकम) हासिल करे के हकदार हवंय. एनआरएचएम मं कहे गे हवय के मितानिन मन ला टीकाकरण, जचकी अऊ लइका मन के इलाज (आरसीएच) के सेवा धन दीगर कार्यक्रम मन ला बढ़ावा देय के काम के अधार ले प्रोत्साहन राशि मिलही.

साफ हवय के रकम भरपूर नई ये, जइसने के मितानिन मन ले एक रमा मनतकर कहिथें,”बिन पगारी, फुल अधिकारी [फोकट मं सब्बो जिम्मेवारी]! वो मन के आस रहिथे के हमन अफसर जइसने काम करन, फेर वो मन हमन ला पइसा देय बर तियार नई यें.”

सीएम के हाल के आश्वासन – बीते कुछेक महिना मं सरकारी आश्वासन मन ले एक- ये कहिनी छपे तक ले कऊनो सरकारी प्रस्ताव (जीआर) नई होय हवय. अइसने लगथे के मितानिन मन करा आगू जाय सेती सिरिफ वादाच मन हवंय.

विरोध करेइय्या हजारों मितानिन महाराष्ट्र प्रशासन ऊपर तनखा बढ़ाय ला लागू करे सेती जीआर जारी करे के अपन आश्वासन – पहिली बेर अक्टूबर 2023 मं देय गेय – ला पूरा करवाय बर लगे हवंय.

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डेरी: नागपुर के वनश्रीफुलबंधे 14 बछर ले मितानिन हवंय. जउनि: यवतमाल जिला के मितानिन प्रीति कर्मणकर (सबले डेरी) अऊ अंताकला मोरे (सबले जउनि) के कहना आय के वोला दिसंबर 2023 ले तनखा मिले नई ये

“लोगन मन अपन परिवार ले जियादा मितानिन मन के ऊपर भरोसा करथें! स्वास्थ्य विभाग हमर भरोसा मं हवय,” वनश्रीफुलबंधे कहिथें. वो ह ये घलो बताथें के ओकर काम के बुनियादी हिस्सा कोनहा मं परे समाज सेती इलाज के सुविधा के पहुंच बनाय हवय. “जब घलो नवा डाक्टर मन के तैनाती होते, वो मन पूछथें: मितानिन कहां हवय? काय हमन ला ओकर नंबर मिल सकथे?”

वंशश्री 14 बछर ले मितानिन हवय. वो ह कहिथे, “मंय 150 रूपिया ले सुरु करे रहेंव...के ये ह बनवास जइसने नो हे? 14 बछर बाद जब भगवान श्री राम अयोध्या आइस त ओकर स्वागत होइस ना! हमर स्वागत झन करेंव फेर कम से कम हमन ला एक मानधन (मानदेय) देवंय जेकर ले हमन सम्मान अऊ ईमानदारी ले जिये सकन?”

अऊ दूसर मांग हवय: काय वो मन ला घलो दीगर लोगन मन के जइसने हर महिना मं तनखा मिला सकथे? हर बखत तीन महिना के बाद नईं.

“गर हमन ला तनखा बखत मं नई मिलही, त हमन कइसने चले सकबो?” मितानिन प्रीति कर्मणकर कहिथें जेन ह यवतमल के जिला उपाध्यक्ष आंय. “मितानिन सेवा करथें फेर वो अपन पेट के सेती घलो काम करथें. गर वोला पइसा नई देय जाही त वो मन कइसने गुजर-बसर करहीं?”

इहाँ तक ले स्वास्थ्य विभाग के बलाय जरूरी कार्यशाला मन मं अऊ जिला के बइठका  मं आय जाय के खरचा घलो तीन ले पांच महिना बाद मं मिलथे. यवतमल के कलंब के अंताकला मोरे कहिथें, “हमन ला अभू घलो साल 2022 ले स्वास्थ्य विभाग के देय कार्यक्रम मन के रकम मिले नई ये.” वो ह कहिथे, “दिसंबर 2023 मं हमन हड़ताल मं रहेन. वो मन हमन ला कुष्ठ रोग सर्वे करके हमन ला खतम करे ला कहिन. फेर वो मन अब तक ले हमन ला देय नई यें. प्रीति बतावत जाथें, “हमन ला बीते बछर के पोलियो, हत्ती रोग [हाथी पांव/ लसीका फाइलेरिया] अऊ जंत-नाशक [कृमिनाशक] कार्यक्रम के पइसा घलो मिले नई ये.”

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रीता 2006 मं 500 रूपिया तनखा मं मितानिन के रूप मं काम करे सुरु करिस. “आज, मोला 6,200 रूपिया महिना मिलथे, जेन मं 3, 000 केंद्र सरकार ले अऊ बाकी नगर निगम ले मिलथे.”

2 नवंबर, 2023 मं राज के स्वास्थ्य मंत्री तानाजीराव सावंत ह घोषणा करे रहिस के महाराष्ट्र मं 80,000 मितानिन मन ला अऊ 3,664 गत प्रवर्तक (समूह प्रवर्तक) मन ला ये बढ़े रकम मिलही. हरेक ला 2,000 रूपिया के दिवाली बोनस के संग 7,000 हजार रूपिया अऊ 6,200  रूपिया मिलही.

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महामारी बखत मितानिन मन आपात सेवा मं सबले आगू रहिन. भलेच वो मन ला ' कोरोना योद्धा ' के मान देय गे रहिस, बदलापुर के मितानिन (जउनि डहर बइठे) ममता के कहना आय के वोला भारी कम सुरच्छा के समान मिले रहिस

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डेरी:  विरोध करे बलेइय्या मन ले एक उज्वला पडलवार (नीला रंग मं) ह कहिथे के वइसे विरोध के पहिली हफ्ता मं 50 ले जियादा माइलोगन मन ला अस्पताल मं भरती कराय ला परिस, फेर कतको झिन विरोध जताय सेती आज़ाद मैदान लहूंट के आ गेंय. जउनि: विरोध के दिन-रात गुजरे के बाद, मितानिन मन आखिर1 मार्च, 2024 मं घर चले गीन जब मुख्यमंत्री ह कहिस के वो ह वो मन ला निराश नई करय

बगियाय ममता कहिथे, “दिवाली होउनाता होली आली [देवारी बीत के अब होली के बखत हवय] फेर हमर हाथ मं कुछु नई ये.” वो ह बतावत जाथे, “हमन 7,000 धन 10,000 तनखा बढ़ाय के मांग नई करे रहेन. अक्टूबर मं हमर सुरु के हड़ताल उपराहा ऑनलाइन काम के ख़िलाफ़ रहिस. हमन ला रोज के गाँव के 100 लोगन मन ला प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के पंजीकरन करे ला कहे गे रहिस.”

ये योजना, जइसने के येकर सरकारी वेबसाइट कहिथे, “गरभ धरे महतारी के मजूरी के थोकन मुआवजा भरे सेती नगद प्रोत्साहन देथे.” नवा लांच करे गे यू-विन ऐप सेती एक समान लक्ष्य देय गे रहिस जेकर उद्देश्य गरभ धरे महतारी अऊ लइका मन के टीकाकरण रिकार्ड ला जमा करके रखे आय.

येकर पहिली फरवरी 2024 मं 10,000 ले जियादा मितानिन मन शाहपुर से ठाणे जिला कलेक्टर दफ्तर तक 17 कोस दूरिहा तक रैली निकारे रहिन. “चलुन अलॉय, टांगा टूटत्ल्या [हमन जम्मा रद्दा रेंगत रहेन, हमर गोड़ मं जुवाब दे दय रहिस]. हमन सरी रतिहा ठाणे के सड़क मं गुजारेन,” ममता सुरता करथे.

महीनों तक के विरोध वो मन के उपर भारी परत हवय. “सुरु मं आजाद मैदान मं 5,000 ले जियादा मितानिन मन रहिन. वो मन ले कतको गरभ धरे रहिन अऊ कुछु कोरा मं धरे लइका मन संग आय रहिन. इहाँ खुल्ला मं रहे मुस्किल होवत रहिस अऊ येकरे सेती हमन वो मन ला घर जाय के बिनती करेन,” उज्वला पडलवार कहिथें. वो ह सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के राज्य सचिव अऊ विरोध करे बलेइय्या लोगन मन ले एक आंय. वो ह बताथे के कतको माइलोगन मन के छाती अऊ पेट पिराय लगीस, दीगर मन ला मुड़ पीरा अऊ देह मं पानी के कमी रहिस अऊ वो मन ला अस्पताल मं भरती कराय परिस.

अऊ जब मितानिन मन ला छुट्टी मिल गिस त वो मन फिर मैदान मं आ गीन अऊ विरोध करे लगिन: “आता आमच्या एकच नारा, जीआर काढ़ा! [ हमर सिरिफ एक अवाज हवय! बस जी आर जारी करव!]”

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अक्टूबर 2023 मं, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ह हरेक ला 2,000 रूपिया दिवाली बोनस के घोषणा करे रहिस. ममता के कहना आय, 'देवारी बीत चुके हे अऊ अब होली के बखत हवय फेर हमर हाथ जुच्छा हवय’

कागजात मं, मितानिन के काम सरकारी इलाज के सुविधा सब्बो मन तक पहुंचाय हवय. फेर बछरों तक ले समाज के सेवा करे के बाद वो मन येकर ले जियादा करथें. मितानिन ममता ला देखव, जेन ह सितंबर 2023 मं बदलापुर के सोनिवली गांव के गरभ धरे   आदिवासी महतारी ला घर मं जचकी के बजाय अस्पातल मं जचकी कराय बर मना लीस.

वो ह सुरता करथे: “माईलोगन के घरवाला ह ओकर संग जाय ले मना कर दीस अऊ साफ कहिस, ‘गर मोर घरवाली ला कुछु घलो होईस त तंय जिम्मेवार होबे’.” ममता कहिथे, “जब महतारी ला जचकी के दरद होवत रहिस, त मंय अकेल्लाच बदलापुर ले उल्हासनगर ले गेंव.” जचकी बखत महतारी नई बचिस. लइका घलो गरभ मं मर गे रहिस.

ममता बताथे, “मंय बेवा अंव, मोर बेटा वो बखत 10 वीं क्लास मं पढ़त रहिस. मंय बिहनिया 6 बजे ले घर ले निकरेंव अऊ रतिहा करीबन 8 बजे वो महतारी ह गुजर गे, मोला रतिहा 1.30 बजे तक अस्पताल के परछी मं अगोरे ला कहे गीस. पंचनामा होय के बाद वो मन कहिन, मितानिन दीदी अब तंय जा सकथस.’ डेढ़ बजा मंय एकते जाऊ? [काय मोला रतिहा के डेढ़ बजे अकेल्ला घर जाय ला चाही].”

दूसर दिन जब वो ह रिकॉर्ड अपडेट करे गाँव गीस, त माइलोगन के घरवाला समेत कतको लोगन मं मोर ले खरबा बेवहार करिन अऊ मऊत सेती मोला दोसी ठहराइन. एक महिना बाद, ममता ला जिला समिति ह पूछताछ करे बलाइस. वो मन मोला पूछिन महतारी के म ऊ त कइसने होईस अऊ मितानिन दीदी ह काय गलती करिस? गर आखिर मं सब्बो कुछु हमर मुड़ मं परे ला हवय, त हमर मानधन काबर नई बढ़ाय जाय ला चाही? वो ह पूछथे.

महामारी बखत, सरकार ह मितानिन मन के गुन गाइस अऊ राज भर मं दुरिहा के गाँव मन मं दवई बांटे अऊ बीमार रोगी के पता लगाय सेती वो मन के महत्तम भूमका सेती वो मन ला “कोरोना योद्धा” कहिस. वइसे, वो मन ला वायरस ले अपन आप ला बचाय सेती मुस्किल ले कऊनो सुरच्छा के समान मिले रहिस.

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कागजात मं, मितानिन के काम सरकारी इलाज के सुविधा सब्बो मन तक पहुंचाय हवय.फेर बछरों तक ले समाज के सेवा करे के बाद वो मन येकर ले जियादा करथें. मंदा खातन (डेरी) अऊ श्रद्धा घोगले (जउनि) ह साल 2010 मं मितानिन के काम सुरु करिन, अऊ आज वो मन महाराष्ट्र मं कल्याण के 1,500 आबादी के सेवा करथें

कल्याण के नंदीवली गांव के मितानिन मंदा खातन अऊ श्रद्धा घोगले महामारी बखत के अपन अनुभव ला सुरता करत कहिथे, “एक बेर, एक झिन गरभ धरे महतारी ह जचकी के बाद कोरोना पॉजिटिव निकरिस. जब वोला पता चलिस के वोला कोरोना होगे हवय, त वो ह घबरा गीस अऊ [जन्मे लइका संग] अस्पताल ले भाग गीस.”

श्रद्धा कहिथे, “वो ह सोचिस के वोला (अऊ ओकर लइका ला) धर के मार दे जाही.” वायरस ला लेके अइसने डर अऊ ग़लतफ़हमी रहिस.

“कऊनो हमन ला बताइस के वो ह अपन घर मं लुकाय हवय. हमन ओकर घर मं पहुंचेन फेर वो ह फेरका ला बंद कर देय रहिस,” मंदा कहिथे. येकर ले डेर्रावत के वो कुछु गलत कदम झन उठा लेवय, वो मं डेढ़ बजे रतिहा तक ले ओकर घर के बहिर ठाढ़े रहिन. “हमन ओकर ले पूछेन, ‘काय तंय अपन लइका ले मया नई करस?’ हमन वोला सलाह देन के गर वो ह लइका ला अपन तीर मं रखे रइही, त आखिर मं वोह वोला घलो बीमार कर दिही अऊ लइका के जिनगी बिपत मं पर जाही.”

तीन घंटा समझाय के बाद महतारी ह फेरका खोलिस. “एम्बुलेंस खड़े रहिस.उहाँ कोनो दीगर डाक्टर धन ग्राम सेवक नई रहिन, सिरिफ हमन दूनों रहेन.” आंसू भराय आंखी ले मंदा बताथे, “जाय के पहिली महतारी ह मोर हाथ ला धर लीस अऊ कहिस, ‘मंय अपन लइका ला छोड़ के जावंत हवं काबर के मोला तोर ऊपर भरोसा हवय. बिनती हवय के मोर लइका के चेत रखहू.’ अवेइय्या आठ दिन तक ले हमन नवा जन्मे लइका ला बोतल ले गोरस पियाय सेती रोज के ओकर घर लेके गेन. हमन वोला वीडियो कॉल मं लइका ला दिखावन. आज वो महतारी हमन ला फोन करके हमर आभार जताथे.

मंदा कहिथे, “हमन बछर भर सेती अपन लइका मन ले दूरिहा रहेन, फेर हमन दूसर के लइका मन ला बचायेन.” ओकर लइका 8 वीं क्लास मं रहिस फेर श्रद्धा के लइका मुस्किल ले 5 बछर के रहिस.

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डेरी: मितानिन श्रद्धा ला लॉकडाउन के बखत कोविड रोगी मन ले गोठबात करे ला परिस. वो ह कहिथे के वोला अपन 5 बछर के लइका अऊ परिवार ले दूरिहा रहे ला परिस. जउनि: सुरच्छा के समान अऊ मास्क के कमी सेती, रीता (सबले डेरी) ला अपन आप ला वायरस ले बचाय बर अपन दुपट्टा अपन चेहरा मं बांधे परिस

श्रद्धा ला वो घटना सुरता आथे जब ओकर गाँव के लोगन मन अपन फेरका बंद कर लेवत रहिन. “वो मन हमन ला पीपीई किट मं देख के भाग जावत रहिन के हमन वो मन ला धरे ला आय हवन.” अतकेच नईं, “हमन जम्मो दिन किट पहिरे रहेन. कभू-कभू हमन ला दिनभर मं चार जिनिस बदले ला परत रहिस. घंटों तक ले फिरत रहे ले हमर चेहरा करिया पर गे रहिस. हमन पहिर के घाम मं चलन. येकर ले हमर चमड़ी खजवाय लगे अऊ जलन जइसने लगय.”

मंदा बीच मं टोकत कहिथे, “फेर पीपीई अऊ मास्क बनेच बाद मं आइस. महामारी के अधिकतर बखत हमन घूमत बखत अपन पल्लू अऊ दुपट्टा ला बांधे रहन.”

त, हमर जिनगी के तब [महामारी बखत] कऊनो मोल नई रहिस?” ममता पूछथे, “काय तुमन हमन ला कोरोना ले लड़े सेती अलग ले कऊनो कवच [सुरच्छा] देय रहेव. जब महामारी सुरु होईस त तुमन [सरकार] हमन ला कुछु नई देय रहव. जब महर मितानिन दीदी मन ला कोविड होय ला धरिस, त वो मन ला घलो बाकि दीगर मरीज मन के जइसने अपन किस्मत के भरोसे रहे ला परिस. इहाँ तक ले जब टीका परिच्छन चलत रहिस, तभू घलो मितानिन सेवा करेइय्या पहिली महतारी रहिन.”

अपन जिनगी मं एक बखत अइसने आइस के जब वनश्रीफुलबंधे मितानिन के काम छोड़े के फइसला कर लेय रहिस. वो ह कहिथे, “येकर ले मोर दिमागी अऊ देह के सेहत उपर असर परे लगिस.” 42 बछर के मितानिन नागपुर जिले के वडोडा गांव मं 1,500 ले जियादा आबादी के सेवा करथे. “मोला सुरता हवय के एक बेर मंय गुर्दा के पथरी सेती भारी दरद झेलत रहंय. मंय अपन कनिहा मं कपड़ा बांध के रखे रहेंव अऊ काम करत रहेंव.”

एक मरीज अऊ ओकर घरवाला वनश्री के घर आइन, “ वो ह पहिली गरभ ले रहिस. वो मन घबराय रहिन. मंय वो मन ला समझाय के मंय कुछु घलो करे के हालत मं नई यों फेर वो मन जोर देवत कहिन के मंय जचकी के बखत उहाँ रहंव. ‘मना’ करे मुस्किल रहिस येकरे सेती मंय वो मन के संग चले गेंय. मंय जचकी तक दू दिन तक अस्पताल मं वो मन के संग रहेंव. ओकर रिस्तेदार मन मोर कनिहा मं कपड़ा बंधे देखत रहंय अऊ हँसी ठिठोली करत मोला कहेंव, “काय मरीज के जचकी होय हवय धन तोर!”

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वनश्री (चश्मा पहिरे) अऊ पूर्णिमा ह मुंबई मं विरोध प्रदर्सन मं शामिल होय बर 7 फरवरी, 2024 मं नागपुर के अपन गाँव ले निकरीन. हड़ताल के नौवां दिन वनश्री अपन परिवार ले फोन मं गोठियात हवय

वो ह लॉकडाउन के बखत अपन रोज के जिनगी ला सुरता करथे जब वो ह अपन मितानिन के काम ला करत रहिस अऊ अलग रखे गे मरीज मन ला खाय के समान बांटत रहिस. “आखिर मं येकर मोर सेहत ऊपर खराब असर परिस. कतको दिन ले मोर बीपी भारी बढ़े रहय अऊ मंय सोचेंव के काय मोला ये काम छोड़ दे ला चाही.” फेर वनश्री के काकी ह वोला सुरता कराइस के “मंय जऊन करत हवंव वो ह पुन्य के काम आय. वो ह कहिस के दू जिनगी, [महतारी अऊ लइका] मोर भरोसा मं हवंय. मोला ये नऊकरी कभू छोड़े ला नई चाही.”

अपन कहिनी सुनावत वनश्री ह अपन फोन ला थोकन देकहे लगथे. वो ह कहिथे, “मोर घर के मन पूछत हवंय के के मंय कब लहूंट के आवत हवं. मंय इहाँ 5,000 रूपिया धरके आय रहेंव. मोर तीर अब मुस्किल ले 200 रूपिया हवय.” वोला दिसंबर 2023 ले महिना के तनखा मिले नई ये.

पूर्णिमा वासे नागपुर के पांढुर्णा गांव के मितानिन दीदी आय. 45 बछर के ये मितानिन कहिथे, “मंय एक झिन एचआईवी पॉजिटिव महतारी के जचकी एम्बुलेंस मं कराय रहेंव. जब अस्पताल के लोगन मन ला पता चलिस के वो ह एचआईवी पॉजिटिव हवय. वो मन अइसने करिन जइसने बनेच बड़े बात होगे होय. मंय वो मन ले कहेंव, जब मितानिन होय के नाते, दस्ताना अऊ अपन दुपट्टा के छोड़ कऊनो घलो अऊजार के जचकी होईस, त तुमन ला अइसने बेवहार काबर करे ला चाही?’”

साल 2009 ले मितानिन पूर्णिमा 4,500 ले जियादा के आबादी के सेवा करथे. वो ह कहिथे, “मंय ग्रेजुएट हवं. मोला नऊकरी के बनेच अकन प्रस्ताव मिलथे. फेर, मितानिन बने के फइसला मोर रहिस अऊ मंय जिनगी भर मितानिन बने रइहूँ. चाहे मोला पइसा मिले धन नई मिले, अगर मुझे करनी है सेवा तो मरते दम तक आशा का काम करूंगी [गर मोला सेवा के मऊका मिलही त मंय मरत तक ले मितानिन के काम करत रइहूँ].”

आजाद मैदान मं क्रिकेट के खेल चलत हवय. इही बखत मितानिन मन अपन लड़ाई मैदान ले बहिर लेगे हवंय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Ritu Sharma

ریتو شرما، پاری میں خطرے سے دوچار زبانوں کی کانٹینٹ ایڈیٹر ہیں۔ انہوں نے لسانیات سے ایم اے کیا ہے اور ہندوستان میں بولی جانے والی زبانوں کی حفاظت اور ان کے احیاء کے لیے کام کرنا چاہتی ہیں۔

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Swadesha Sharma

سودیشا شرما، پیپلز آرکائیو آف رورل انڈیا (پاری) میں ریسرچر اور کانٹینٹ ایڈیٹر ہیں۔ وہ رضاکاروں کے ساتھ مل کر پاری کی لائبریری کے لیے بھی کام کرتی ہیں۔

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پی سائی ناتھ ’پیپلز آرکائیو آف رورل انڈیا‘ کے بانی ایڈیٹر ہیں۔ وہ کئی دہائیوں تک دیہی ہندوستان کے رپورٹر رہے اور Everybody Loves a Good Drought اور The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom کے مصنف ہیں۔

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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