‘गांधी अऊ नेहरू ला गम रहिस के वो मन अंबेडकर के बगेर कानून अऊ संविधान नई लिखे सकंय. वो ह येकर बर अकेल्ला काबिल मइनखे रहिस. वो ह ये भूमका सेती चिरोरी नई करे रहिस.’
शोभाराम गेहरवार, जादूगर बस्ती, अजमेर, राजस्थान

‘अंगरेज मन तऊन जगा ला घेर ले रहिन जिहां हमन बम बनावत रहेन.’ ये ह अजमेर के तीर जंगल मं एक ठन डोंगरी ऊपर रहिस. ये ह एक ठन झरना के तीर घलो रहिस जिहां बघवा पानी पिये ला आवत रहिस. वो बघवा आही अऊ चले जाही येकर सेती हमन कभू-कभू पिस्तौल ले हवा मं गोली चलावन. येकर ले के बघवा ह जान जावय अऊ अपन रद्दा मं आवय अऊ पानी पीके चले जावय. नई त हमन ओकर ऊपर गोली चला दे रइतेन.

‘फेर वो दिन अंगरेज मन ला ठिकाना के पता च गे रहिस अऊ वो मन भीतरी मं घुसत रहिन. आख़िरकार वो मन के राज रहिस येकरे सेती हमन कुछेक बारूदी धमाका करेन –मंय नईं, मंय बनेच नान रहेंव, मोर जुन्ना संगवारी मन उहाँ रहिन – उही बखत बघवा पानी पिये बर आइस.’

‘बघवा ह पानी नईं पीस अऊ अंगरेज पुलिस के ठीक पाछू ले भागे लगिस. वो सब्बो भागे लगिन बघवा के पाछू. कुछेक डोंगरी ले तरी गिर गीन, कुछु सड़क मं गिर गीन. ये आपाधापी मं दू झिन पुलिस वाला के परान गीस. पुलिस के उहाँ लहूंटे के हिम्मत नई होईस. वो हमन ले डेर्रावत रहेंय. वो तौबा करते थे (वो मन आय ले मना करत रहिन).’

बघवा वो मन के हाथ ले बगेर कुछु नुकसान के बहिर निकर गे अऊ आन दिन पानी पिये सेती जींयत रहिगे.

ये आंय तजुरबा वाले स्वतंत्रता सेनानी शोभाराम गेहरवार, जऊन ह अब 96 बछर के हवंय, 14 अप्रैल 2022 के दिन अजमेर के अपन घर मं हमर ले गोठ बात करत हवंय.  वो ह उहिच दलित बस्ती मं रइथें, जिहां ओकर जनम सदी भर पहिली होय रहिस. वो ह कभू घलो एसो आराम वाले खोली सेती ये ला छोड़े नई चहिस. दू बेर नगर पार्षद रहे ये मइनखे ह आसानी ले अइसने करे सकत रहिस. वो ह अंगरेज राज के खिलाफ 1930 अऊ 1940 के दसक के लड़ई के सब्बो नजारा ला दिखावत हवय.

Shobharam Gehervar, the last Dalit freedom fighter in Rajasthan, talking to PARI at his home in Ajmer in 2022
PHOTO • P. Sainath

राजस्थान के आखिरी दलित स्वतंत्रता सेनानी शोभाराम गेहरवार 2022 मं अजमेर मं अपन घर मं पारी ले गोठ-बात करत

Shobharam lives with his sister Shanti in Jadugar Basti of Ajmer town . Shanti is 21 years younger
PHOTO • Urja

शोभाराम अपन बहिनी शांति के संग अजमेर शहर के जादूगर बस्ती मं रइथें. शांति ओकर ले 21 बछर छोटे आंय

काय वो ह कऊनो किसिम के लुकाय बम फ़ैक्टरी के बात करत हवय?

‘अरे, वो त जंगल रहिस. कऊनो फ़ैक्टरी नई... फ़ैक्टरी में तो कैंची बनती है [ फ़ैक्टरी मं त कैंची बनथे]. इहाँ हमन (लुकाय जगा मं) बम बनायेन.’

वो ह कहिथें, “एक बेर, चंद्रशेखर आज़ाद हमन ले भेंट करे आय रहिन.’ वो ह साल 1930 के बाद धन 1931 के सुरु के बखत होय होही. तारीख तय करके बताय नई सकिन. शोभाराम कहिथें, ‘मोला सटीक तारीख के बारे मं झन पूछव. मोर करा एक बखत मं सब्बो कुछू रहिस, मोर सब्बो दस्तावेज, मोर जम्मो लिख के रखाय, इहीच घर मं रहिस. साल 1975 मं इहाँ पुर आय रहिस अऊ मोर सब्बो कुछु गंवा गे.’

चन्द्रशेखर आजाद तऊन लोगन मन ले एक रहिन, जऊन ह भगत सिंह के संग मिलके 1928 मं हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ला फिर ले बनाय रहिन. साल 1931 मं, 27 फरवरी के दिन आजाद ह इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क मं अंगरेज पुलिस के संग होय आमना-सामना बखत अपन तीर एक ठन गोली होय ले अपन आप ला गोली मार लीन. अपन बंदूख संग कभू घलो जींयत नई धराय अऊ हमेसा ‘आजाद’ धन स्वतंत्र रहे के अपन प्रन ला पूरा करे, अइसने करे रहिन. अपन परान देय बखत ओकर उमर 24 बछर के रहिस.

अजादी के बाद अल्फ्रेड पार्क के नांव बदल के चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क कर दे गीस.

98 बछर के ये स्वतंत्रता सेनानी अपन आप ला गाँधी अऊ अंबेडकर दूनों के अनुयायी मानथें. वो ह कहिथें, ‘मंय सिरिफ तऊन आदर्श ला मानेंव जेकर ले मंय सहमत रहेंव’

ये वीडियो देखव : राजस्थान के 98 बछर के स्वतंत्रता सेनानी | काय मोला गांधी अऊ अंबेडकर ले कऊनो एक  ला चुने ला चाही?

अजमेर मं गोठ बात करत शोभाराम कहिथें, ‘आजाद आईन अऊ तऊन जगा (बम बनाय के ठीहा) गे रहिन’ वो ह हमन ला बताइन के हमन अपन बम मन ला कइसने अऊ बढ़िया मार वाले बनाय सकथन. वो ह हमन ला येकर बढ़िया तरीका बताइन. वो ह तऊन जगा घलो तिलक लगाइन जिहां स्वतंत्रता सेनानी मं काम करे रहिन. ओकर बाद वो ह हमन ले कहे रहिन के बो ह बघवा देखे ला चाहत हवंय. हमन ओकर ले रतिहा गुजारे ला कहेन जेकर ले वो एक झलक देखें सकें.

‘त बघवा आइस अऊ चले गे, अऊ हमन हवा मं गोली चलायेन. चन्द्रशेखर जी ह हमन ले पूछिन के हमन गोली काबर चलाथन? हमन ओकर ले कहेन के बघवा जानथे के हमन ओकर नुकसान करे सकथन, येकरे सेती वो ह चले जाथे.’ एक ठन अइसने बेवस्था जेन मं बघवा ला अपन पानी अऊ लड़ाका मन ला सुरच्छा मिलत रहिस.

‘फेर मंय तऊन दिन के बारे मं तुमन ला बतावत हवंव, अंगरेज पुलिस उहाँ सबले पहिली हबरे रहिस. अऊ जइसने के मंय कहेंव, उहाँ तबाही अऊ आपा-धापी मचे रहिस.’

शोभाराम के दावा आय के तऊन अलग किसिम के लड़ई धन झड़प मं ओकर कऊनो निजी भूमका नई ये. वइसने, वो ह ये सब के गवाह रहिस. वो ह कहिथें, जब आजाद आय रहिन त ओकर उमर 5 बछर ले जियादा नई रहे होही. “वो भेस बदले रहिस. हमर काम बस वो ला जंगल अऊ डोंगरी के तऊन जगा तक ले ले जाय रहिस जिहां बम बनाय गे रहिस. हमर ले दू झिन टूरा वोला अऊ ओकर संग के एक झिन ला ठीहा तक ले गेन.’

असल मं, ये ह भारी चाल रहिस. कका-भतीजा के भाव भरे दिखेइय्या नजारा.

‘आजाद ह काम करे के जगा देखिस – ये कऊनो फेक्टरी नई रहिस – अऊ हमन ला साबासी दीस. हम लइका मन ले कहिस: “आप तो शेर के बच्चे हैं [तुमन त शेर के लइका अव].” तुमन बहादुर अव अऊ मऊत ले नई डेर्रावत हवय. इहाँ तक ले हमर घर के लोगन मन घलो कहिन, “तुम्हर परान घलो जावय त ठीक. वइसने घलो तुमन ये सब्बो अजादी सेती करत हवव.”

‘Don’t ask me about exact dates,’ says Shobharam. ‘I once had everything, all my documents, all my notes and records, right in this house. There was a flood here in 1975 and I lost everything'
PHOTO • Urja

शोभाराम कहिथें, ‘मोला सटीक तारीख झन पूछव. मोर करा एक बखत मं सब्बो कुछू रहिस, मोर सब्बो दस्तावेज, मोर जम्मो लिख के रखाय, इहीच घर मं रहिस. साल 1975 मं इहाँ पुर आय रहिस अऊ मोर सब्बो कुछु गंवा गे’

*****

गोली मोर परान नई लीस धन अपंग नई करिस. वो ह मोर गोड़ मं लगिस अऊ आगू निकर गे? देखव?’ अऊ वो ह हमन ला अपन वो जगा ला दिखाथें जिहां ओकर जउनि गोड़ मं, माड़ी ले थोकन तरी, जखम लगे रहिस. ये ह ओकर गोड़ मं नई अरझिस. फेर ये ये पीरा ले भरे रहिस. वो ह कहिथें, ‘मंय अचेत हो गें अऊ वो मन मोला अस्पताल ले गीन.’

वो ह करीबन 1942 के बात आय, जब वो ह ‘बनेच बड़े’ रहिन - मतलब करीबन 16 बछर के - अऊ सीधा हमला मं भाग लेवत रहिन. आज 96 बछर के उमर मं शोभाराम गेहरवार बनेच कद काठी मं दिखथें - छह फीट से जियादा लंबा, चंगा, बिन झुके अऊ चलत फिरत. राजस्थान के अजमेर मं अपन घर मं हमर ले गोठियावत हवंय. हमन ला अपन 90 बछर के जिनगी के बारे मं बतावत हवंय. ये बखत, वो ह तऊन बखत के बात करत हवंय जब वोला गोली लगे रहिस.

‘उहाँ एक ठन बइठका रहिस,अऊ कऊनो ह अंगरेज राज के खिलाफ “थोकन जियादा” बोल दीस. येकरे सेती पुलिस ह कुछेक स्वतंत्रता सेनानी मन ला उठा लीस. वो मन घलो जुवाब मं पुलिस ला पीटे सुरु कर दीन. ये ह स्वतंत्रता सेनानी भवन[स्वतंत्रता सेनानी मं के दफ्तर] मं रहिस. वइसे ये मं कऊनो शक नई ये के, ये नांव हमन अजादी के बाद दे रहेन. तब ये ला खास करके कुछू घलो नई कहे जावत रहिस.’

‘उहाँ बइठका मन मं, स्वतंत्रता सेनानी मन हरेक दिन लोगन मन ला भारत छोड़ो आंदोलन के बारे मं बतावत रहेंय. वो मन अंगरेज राज के पर्दाफाश करेंव. हरेक दिन मंझनिया तीन बजे पूरा अजमेर ले लोगन मन उहाँ हबर जावत रहिन. हमन ला कभू कऊनो ला बलाय नई परिस – वो मन आ जावंय. इहींचे कड़ा भासन दे गे रहिस अऊ गोली चले रहिस.

‘जब मोला अस्पताल मं चेत आइस त पुलिस वाले मन मोर ले मिले ला आइन. वो मन अपन काम करिन; वो मन कुछु लिखिन, फेर मोला गिरफ्तार नई करिन. वो मन कहिन, “वो ला गोली लगे हवय. ओकर बर अतेकच सजा बनेच आय.”

The freedom fighter shows us the spot in his leg where a bullet wounded him in 1942. Hit just below the knee, the bullet did not get lodged in his leg, but the blow was painful nonetheless
PHOTO • P. Sainath
The freedom fighter shows us the spot in his leg where a bullet wounded him in 1942. Hit just below the knee, the bullet did not get lodged in his leg, but the blow was painful nonetheless
PHOTO • P. Sainath

अजादी के ये लड़ाका ह हमन ला अपन गोड़ के वो जगा ला दिखाइस जिहां 1942 मं लगे एक ठन गोली ह वो ला जख्मी कर दे रहिस. माड़ी के ठीक तरी मं गोली लगे रहिस, गोली ओकर गोड़ ला खराब नई करे रहिस फेर जखम ह पीरा ले भरे रहिस

ओकर कहना आय के पुलिस ह कऊनो दया नई करे रहिस. गर पुलिस ह ओकर खिलाफ मामला दर्ज करे रतिस त वोला ये माने ला परे रतिस के वो मन शोभाराम ऊपर गोली चलाय रहिन. अऊ वो ह खुदेच कऊनो भड़काऊ भासन नई दे रहिस. न वो ह कऊनो दीगर के खिलाफ अतियाचार करे रहिस.

वो ह कहिथें, ‘अंगरेज अपन चेहरा ला बिगाड़े नई चाहत रहिन’ ‘गर हमन मर घलो जाय रइतेन त वो मन ला असल मं कऊनो दिक्कत नई होय रइतिस. ये बछर मन मं लाखों लोगन मन मर गीन अऊ तब जाके ये देश ला अजादी मिलिस. कुरूक्षेत्र जइसने  सूर्य कुंड घलो लड़ाका मन के लहू ले भर गे रहिस. तुमन ला ये बात चेत करके सुरता रखे ला होही. हमन ला अजादी अतक असानी ले नई मिलिस. हमन येकर बर अपन लहू बोहाय हवन. कुरूक्षेत्र ले घलो जियादा लहू. अऊ सब्बो आंदोलन सिरा गे. सिरिफ अजमेर मं नईंच. लड़ई हर जगा रहिस. मुंबई मं, कलकत्ता [अब कोलकाता] मं . . .

वो ह कहिथें, “वो गोली लगे के बाद मंय बिहाव नई करे के फइसला करेंव. कऊन जानत रहिस के मंय लड़ई मं बांच जाहूँ? अऊ अपन आप ला सेवा (समाज सेवा) मं लगाय नई सके रइतेंव अऊ परिवार नई चलाय सकतें.” शोभाराम अपन बहन शांति अऊ ओकर लइका मन अऊ पोता-पोती के संग मं रइथें. 75 बछर के उमर मं वो ह ओकर ले 21 बछर छोटे हवंय.

‘काय मंय तुमन ला कुछु बतावंव?’ शांति हमन ले पूछथें. फेर वो ह धीर धरे कहिथें, ‘ये ह मोर सेती आय के ये ह मइनखे अभू घलो जींयत हवय.मंय अऊ मोर लइका मन जिनगी भर येकर देखभाल करे हवन. मोर बिहाव 20 बछर के उमर मं होगे रहिस अऊ कुछेक बछर बाद मंय बेवा हो गेंय. मोर घरवाला 45 बछर के रहिस जब वो ह गुजर गे रहिस. मंय हमेसा शोभाराम ले देखभाल करे हवंव अऊ मोला ये ला लेके गरब हवय. अब मोर पोता-पोती मन अऊ ओकर घरवाली मं घलो ओकर देखभाल करथें.

‘कुछु बखत पहिली वो ह बनेच बीमार पर गे रहिस. करीबन मरे के हालत. ये ह साल 2020 के बखत रहिस. मंय वोला अपन बाहां ले रपोट के धर लेंव अऊ ओकर जिनगी सेती भगवान के सुमिरन करेंव. अब तुमन वोला जींयत अऊ भला-चंगा देखत हव.’

Shobharam with his family outside their home in Ajmer. In his nineties, the over six feet tall gentleman still stands ramrod straight
PHOTO • P. Sainath

शोभाराम अपन परिवार के संग अजमेर मं अपन घर के बहिर. 90 बछर पार करे के बाद घलो, छे फुट ले जियादा लंबा ये सियान मनखे अब तक ले तने ठाढ़े हवंय

*****

त वो लुकाय ठीहा मं बने बम मन के काय होइस?

‘जिहां-जिहां मांग करे जाय, हमन उहाँ लेके जावत रहेन. अऊ ये ह बनेच अकन रहिस. मोला लगथे के मंय तऊन बम मन ला लेके देश के हरेक कोनहा मं गे रहेंव. हमन जियादा करके रेल मं जावत रहेन. टेसन ले जाय के दीगर साधन ले. इहाँ तक के अंगरेज पुलिस घलो हमन ले डेर्रावत रहिस.’

ये बम कइसने दिखत रहिस?

‘अइसने [वो अपन हाथ ले नान-नान गोल अकार बनाथे]. ये अकार – हथगोला जइसने आय. येकर धमाका करे मं लगेइय्या बखत के मुताबिक ये कतको किसिम के होवत रहिस. कुछु तुरते फोरे के रहेव, कुछु ला चार दिन लगेय. हमर नेता मन सब्बो कुछु समझाय रहिन, येला कइसने लगाय जाही, अऊ ओकर बाद हमन ला भेजेंव.

‘वो बखत हमर बनेच मांग रहय! मंय कर्नाटक गे रहेंव. मैसूर, बेंगलुरु, हरेक किसिम के जगा. देखव, अजमेर भारत छोड़ो आंदोलन के, लड़ई के एक ठन माई जगा रहिस, बनारस [वाराणसी] घलो अइसनेच रहिस. गुजरात मं बड़ौदा अऊ मध्य प्रदेश मं दमोह जइसने दीगर जगा घलो रहिस. लोगन मन अजमेर डहर देखिन अऊ कहिन के ये शहर मं आन्दोलन मजबूत हवय अऊ वो मन इहाँ के स्वतंत्रता सेनानी के चले रद्दा मं जाहीं. बेशक, कतको दीगर लोगन मन घलो रहिन.’

फेर वो मन अपन रेल मं जाय के बेवस्था कइसने करेंव? अऊ वो मन के हाथ नई आवंय? अंगरेज मन ला ओकर मन ऊपर डाक सेंसरशिप ले बांचे सेती नेता मन के गुपत चिठ्ठी ले जाय के संदेहा रहय. अऊ ये घलो पता रहय के कुछेक जवान लइका बम लेके जावत हवंय.

The nonagenarian tells PARI how he transported bombs to different parts of the country. ‘We travelled to wherever there was a demand. And there was plenty of that. Even the British police were scared of us'
PHOTO • P. Sainath
The nonagenarian tells PARI how he transported bombs to different parts of the country. ‘We travelled to wherever there was a demand. And there was plenty of that. Even the British police were scared of us'
PHOTO • P. Sainath

नब्बे बछर के ये सियान मइनखे ह पारी ला बताइस के कइसने वो ह देश के अलग-अलग जगा मं बम पहुंचाय रहिस. ‘जिहां-जिहां मांग करे जाय, हमन उहाँ लेके जावत रहेन. अऊ ये ह बनेच अकन रहिस अंगरेज पुलिस घलो हमन ले डेर्रावत रहिस’

‘वो बखत डाक ले अवेइय्या चिठ्ठी के जाँच करे जावत रहिस, खोल के पढ़े जावत रहिस. ओकर ले बांचे सेती, हमर नेता मन जवान लइका मन के एक ठन मंडली बनाईन अऊ हमन ला चिठ्ठी मन ला एक ठन खास जगा मं ले जाय ला सिखाय रहिन. “तोला ये चिठ्ठी धरके अऊ येला बड़ौदा मं डॉ. अम्बेडकर ला देय ला होही.” धन कऊनो दीगर मइनखे ला, कऊनो दीगर जगा मं. हमन चिठ्ठी मन ला अपन चड्डी मं, अपन लंगोट मं रखत रहेन.

‘अंगरेज पुलिस हमन ला रोके अऊ सवाल करे. गर वो मन हमन ला रेल मं देख लेंय, त वो मन पूछ सकत रहिस. “वो मन हमन ला जाय बर बताय कुछु जगा रहेंव, फेर हमन कऊनो दीगर जगा जावत रहेन.” फेर हमन अऊ हमर नेता मन जानत रहिन के अइसने हो सकथे. येकरे सेती गर हमन बनारस जावत रहेन त वो शहर के पहिली उतर जावन.

‘हमन ला पहिलीच ले बता देय गे रहिस के डाक (चिठ्ठी) बनारस पहुंचे ला चाही. हमर नेता मन हमन ला सलाह देय रहिन: “वो शहर ले थोकन दूरिहा तुमन चेन खींच लेहू अऊ रेल ले उतर जाहू.” त हमन वइसनेच करेन.

‘वो बखत मं रेल मं भाप के इंजन होवत रहिस. हमन इंजन खोली मं खुसर जावन अऊ रेल के ड्राइवर ला पिस्तौल दिखावन. “हमन तोला मार देबो अऊ ओकर बाद अपन आप ला मार लेबो, हमन वोला चेतावत रहेन. ओकर बाद वो ह हमन ला जगा देवय. सीआईडी, पुलिस सब्बो कभू-कभू आके जाँच करत रहिन. अऊ देखेंव के माई बोगी मं सिरिफ पेसेंजर बइठे हवंय.

‘जइसने के बताय गे रहिस, हमन एक खास जगा मं चेन खिंचेन. रेल ह बनेच बखत तक ले ठाढ़े रहिस. तभे हमन अंधेला होय के बाद कुछेक स्वतंत्रता सेनानी घोड़ा मं आइन. हमन वो मं सवार होके भाग निकरेन. असल बात ये के हमन रेल पहुंचे के पहिलीच बनारस हबर गेन!

Former Prime Minister Indira Gandhi being welcomed at the Swatantrata Senani Bhavan
PHOTO • P. Sainath

स्वतंत्रता सेनानी भवन मं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के स्वागत करे गीस

‘एक घाओ मोर नांव के एक ठन वारंट रहिस. हमन विस्फोटक ले जावत धरे गेन, फेर हमन वोला फेंक के भाग निकरेन. पुलिस ह वोला खोज निकारिस अऊ जाँच करके देखिस के हमन कऊन किसम के विस्फोटक बऊरत रहेन. वो हमर पाछू लगे रहिन. येकरे सेती ये फइसला लेय गीस के हमन ला अजमेर छोड़ देय ला चाही. मोला [तब] बंबई भेजे गे रहिस.’

अऊ वोला मुंबई मं कऊन छिपाय अऊ पनाह दीस?

वो ह गरब ले कहिथें, ‘पृथ्वीराज कपूर.’ ये महान अभिनेता 1941 तक ले सितारा बने रहिस. ये घलो माने जाथे के वो ह 1943 में इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन के संस्थापक रहिस, फेर येकर पुष्टि करे कठिन आय. कपूर अऊ बॉम्बे के थिएटर अऊ फिलिम दुनिया के कुछेक दीगर नामी सितारा र्हिसं जेन मन अजादी के लड़ई ला बनेच सहयोग दीन, इहाँ तक ले वो मन ये मं सामिल घलो रहिन.

‘वो ह हमन ला अपन कऊनो रिश्तेदार त्रिलोक कपूर तीर भेज दीन. मोला लागथे के बाद मं वो ह हर हर महादेव नांव के फिलिम मं काम करे रहिस.’ त्रिलोक, वइसे शोभाराम ला ये पता नई रहिस के, असल मं वो ह पृथ्वीराज के छोटे भाई रहिस. वो ह अपन बखत के सबले नामी अभिनेता मन ले घलो एक झिन रहिस. हर हर महादेव 1950 के सबले बड़े कमई करेइय्या फिलिम रहिस.

‘पृथ्वीराज ह कुछु बखत सेती एक ठन कार दे रहिस, अऊ हमन बंबई मं घूमत रहेन. मंय करीबन दू महिना तक ले वो शहर मं रहेंव. ओकर बाद हमन लहूंट गे रहेन. दीगर बूता सेती हमर जरूरत रहिस. भगवान करतिस के मंय तुमन ला अपन वारंट दिखाय सकतेंव. ये मोर नांव मं रहिस. अऊ दीगर संगवारी मन करा घलो ओकर मन सेती वारंट रहिस.

‘फेर 1975 मं इहाँ आय पुर ह सब्बो ला बरबाद कर दीस,’ वो ह भारी दुख के संग कहिथें. ‘मोर जम्मो कागजात खतम हो गे रहिस. कतको प्रमाणपत्र, जऊन मं कुछु जवाहरलाल नेहरू के घलो सामिल रहिस. गर तुमन तऊन कागजात ला देखे रइतो त तुमन बइहा हो जातेव. फेर सब्बो कुछु बोहा गे.’

*****

Shobharam Gehervar garlands the statue in Ajmer, of one of his two heroes, B. R. Ambedkar, on his birth anniversary (Ambedkar Jayanti), April 14, 2022
PHOTO • P. Sainath
Shobharam Gehervar garlands the statue in Ajmer, of one of his two heroes, B. R. Ambedkar, on his birth anniversary (Ambedkar Jayanti), April 14, 2022
PHOTO • P. Sainath

14 अप्रैल, 2022 मं शोभाराम गहरवार ह अपन दू नेता मन ले एक, बी.आर. अम्बेडकर के जयंती मं अजमेर मं ओकर मूर्ति ला माला पहिराइस

‘मोला गांधी अऊ अम्बेडकर ले कऊनो एक झिन ला काबर चुने ला चाही? मंय दूनों ला चुने सकथों, हय ना?’

हमन अजमेर मं अम्बेडकर के मूर्ति तीर हवन. ये महान मइनखे के 131 वीं जयंती हवय, अऊ हमन शोभाराम गेहरवार ला अपन संग इहाँ लाय हवन. ये सियान गाँधीवादी ह हमर ले बिनती करे रहिन के हमन वोला ये जगा मं ले जावन जेकर ले वो ह ये मूर्ति ला माला पहिराय सकेंव. जब हमन ओकर ले पूछेन के वो ह दूनों मन ले कऊन मेर ठाढ़े हवंय.

वो ह अपन घर मं हमन ला जऊन पहिले बताय रहिस उहिच ला दुहराइस. ‘देखव, अंबेडकर अऊ गांधी, दूनों बनेच. बढ़िया काम करिन. एक ठन कार ला चलाय सेती दूनो डहर ले दू ठन चक्का के जरूरत परथे. विरोधाभास कहाँ हवय? गर मोला महात्मा गाँधी के बात मं दम दिखिस त मंय ओकर पालन करेंव, जिहां मोला अम्बेडकर के सिच्छा मं दम दिखिस, मंय वोला माने ला सुरु करेंव.’

ओकर कहना आय के गांधी अऊ अम्बेडकर दूनों अजमेर आय रहिन. अम्बेडकर के मामला मं, हमन रेल टेसन मं ओकर ले भेंट करेन अऊ वोला माला पहिरायेन. मतलब, जब ओकर कहूँ जवेइय्या रेल ह इहींचे रुके रहिस. शोभाराम के ये दूनों भेंट बनेच कम उमर मं होय रहिस.

‘1934 मं, जब मंय बनेच कम उमर के रहेंव, महात्मा गांधी इहींचे रहिन, जिहां हमन ये बखत बइठे हन. इही जादूगर बस्ती [जादूगर कालोनी] मं.’ शोभाराम तब करीबन 8 बछर के रहे होहीं.

‘अम्बेडकर के मामला मं, मंय एक बेर अपन नेता मन के ओकर सेती कुछेक चिठ्ठी लेके बड़ौदा [अब बड़ोदरा] गे रहेंव. पुलिस हमर चिठ्ठी डाकखाना मं खोलही. येकरे सेती हमन महत्तम कागजात अऊ चिठ्ठी ला निजी ढंग ले ले जावत रहेन. वो बखत वो ह मोर माथा ला सहलावत पूछिस, “काय तंय अजमेर मं रहिथस?”

Postcards from the Swatantrata Senani Sangh to Shobharam inviting him to the organisation’s various meetings and functions
PHOTO • P. Sainath
Postcards from the Swatantrata Senani Sangh to Shobharam inviting him to the organisation’s various meetings and functions
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Postcards from the Swatantrata Senani Sangh to Shobharam inviting him to the organisation’s various meetings and functions
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स्वतंत्रता सेनानी संघ डहर ले शोभाराम ला संगठन के कतको बइठका मं अऊ कार्यक्रम मं नेवते गे पोस्टकार्ड

काय वो मन ला मालूम रहिस के शोभाराम कोली समाज ले रहिन?

‘हव, मंय वोला बताय रहेंव. फेर वो ह ये बेरे मं जियादा बात नई करिस. वो ह तऊन बात मन ला समझत रहिन. वो ह भारी पढ़े-लिखे गुनी मइनखे रहिन. वो ह मोला कहे रहिस के जरूरत पड़े ले मंय वो ला लिखे सकत हवं.’

शोभाराम ला ‘दलित’ अऊ ‘हरिजन’ दूनों नांव ले कऊनो आपत्ति नई ये. ‘गर कऊनो कोली आय, त रहन देव. हमन ला अपन जात काबर लुका के रखे ला चाहीजब हमन हरिजन धन दलित कहिथन त कऊनो फरक नई परे. आखिर मं, तुमन वोला चाहे जऊन घलो कहव, वो सब्बो अनुसूचित जातेच के रइहीं.’

शोभाराम के दाई-ददा रोजी मजूर रहिन. अधिकतर रेलवे के चलेइय्या काम-बूता करत रहिन.

वो ह कहिथें, ‘हर कऊनो दिन मं सिरिफ एक बेर खावत खाथें. ‘अऊ ये परिवार मं कभू दारु नई बनिस.’ वो ह उही समाज ले हवंय, वो ह हमन ला सुरता देवाथें, ‘वो [अब पहिली के] भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आंय. वो ह एक बखत हमर अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रहिन.

शोभाराम के समाज ला शिक्षा ले दूरिहा रखे गे रहिस, हो सकत हे इहीच माई कारन होय के वो मन बनेच बखत बीते स्कूल मं गीन. वो ह कहिथें, 'हिंदुस्तान मं ऊंच जात मन, बाम्हन, जैन अऊ दीगर लोगन मन अंगरेज मन के गुलाम बन गे रहिन. ये वो लोगन मन रहिन जऊन मन हमेशा छुआछुत ला मानत रहिन.

‘मंय तुमन ला बतात हंव, गर वो बखत कांग्रेस पार्टी अऊ आर्य समाज नई होतिस त इहाँ के अधिकतर अनुसूचित जाति के लोगन मन इस्लाम धरम अपनाय लेय रइतिन. गर हमन जुन्ना ढर्रा मं चलत रइतेन त हमन ला अजादी नई मिलतिस.

The Saraswati Balika Vidyalaya was started by the Koli community in response to the discrimination faced by their students in other schools. Shobharam is unhappy to find it has been shut down
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दीगर स्कूल मन मं कोली समाज के लइका के संग होय भेदभाव के जुवाब मं कोली समाज ह सरस्वती बालिका विद्यालय सुरु करे गे रहिस. शोभाराम ये देख के दुखी हवंय के येला बंद कर दे गे हवय

The school, which once awed Mahatma Gandhi, now stands empty and unused
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ये स्कूल, जेन ह कभू महात्मा गांधी ला अचरज मं डार दे रहिस, अब खाली अऊ बेकाम परे हवय

‘देखव, वो बखत कऊनो घलो अछूत के नांव स्कूल मं नई लिखे जावत रहिस. वो मन कहेंव के वो कंजर आय, धन डोम आय, कतको किसिम ले हमन ला बहिर रखे गे रहिस. मंय सिरिफ 11 बछर के उमर मं पहिली क्लास मं पढ़े गे रहेंव. काबर के वो बखत आर्य समाज के लोगन मन ईसाई मन ले जूझत रहिन. लिंक रोड इलाका तीर के कतको मोर जात भाई मन ईसाई धरम अपनाय लेय रहिन. येकरे सेती, कुछेक हिंदू संप्रदाय हमन ला माने सुरू कर दीन, इहाँ तक ले हमन ला दयानंद एंग्लो वैदिक [डीएवी] स्कूल मं भर्ती होय ला घलो प्रोत्साहित करिन.’

फेर भेदभाव खतम नई होइस अऊ कोली समाज ह अपन स्कूल सुरू करिस.

‘ये उही जगा आय जिहां गांधी जी आय रहिस, सरस्वती बालिका विद्यालय मं. ये हमर समाज के सियान लोगन मन के सुरू करे गे एक ठन स्कूल रहिस. ये अभू घलो चलत हवय. गांधीजी हमर काम ले अचरज मं पर गे रहिन. तुमन बनेच बढ़िया काम करे हव. वो ह कहिन, “तुमन मोर आस ले कहूँ बनेच आगू निकर गेव.”

‘वइसे येकर सुरूवात हम कोली मन करे रहेन, फेर दीगर जात के लइका मन घलो ये मं जुर गें. सबले पहिली, ये सब्बो अनुसूचित जाति के रहिस. बाद मं, दीगर समाज के कतको लोगन मन स्कूल मं सामिल होगें. आखिर मं, [ऊंच जात] अग्रवाल मन स्कूल मं कब्जा कर लिन. रजिस्ट्रेशन हमर करा रहिस. फेर वो मन प्रबंधन अपन हाथ मं ले लिन.’  वो अब घलो स्कूल आथें जब तक के कोविड-19 महामरी नई आइस अऊ सब्बो स्कूल बंद नई हो गीस.

‘हव, मंय अभू घलो जाथों. फेर ये वो [ऊँच जात] लोगन आंय जऊन मन अब येला चलाथें. वो मन एक ठन बीएड कॉलेज घलो खोले हवंय.

‘मंय सिरिफ नौवीं क्लास तक ले पढ़ई करेंव. अऊ मोला येकर भारी दुख हवय. मोर कुछु संगवारी मन अजादी के बाद आईएएस अफसर बन गीन. दीगर लोगन मन ऊंच जगा हासिल कर लिन. फेर मंय अपन आप ला सेवा करे सेती निछावर कर दे रहेंव.’

Former President of India, Pranab Mukherjee, honouring Shobharam Gehervar in 2013
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 2013 मं शोभाराम गेहरवार ला सम्मानित करत

शोभाराम दलित अऊ अपन आप ला गांधीवादी मानथें. वो ह डॉ. अम्बेडकर के घलो गहिर ले प्रशंसक आंय. वो ह हमन ला बताथें, मंय गांधीवाद अऊ क्रांतिवाद (गांधीवादी रद्दा अऊ क्रांतिकारी आंदोलन) दूनों के संग रहेंव. दूनों आपस मं गहिर ले जुड़े रहिन.’ येकरे सेती, खास करके गांधीवादी होवत घलो वो तीन राजनीतिक धारा ले जुड़े रहिन.

शोभाराम गांधी ले जतक मया करथें अऊ ओकर गुन गाथें, ओतकेच वो ह ओकर आलोचना ले ऊपर नई रखंय. खास करके अम्बेडकर के बारे मं.

‘गांधी ला जब अम्बेडकर के चुनऊती के सामना करे ला परिस त वो ह डेर्रा गे.’ गांधीजी ला डर रहिस के सब्बो अनुसूचित जात मन बाबा साहेब के संग जावत हवंय. नेहरू घलो अइसने करिस. वो ला चिंता रहिस के येकर ले बड़े आन्दोलन कमजोर पर जाही. येकर बाद घलो, वो दूनों जानत रहिन के वो ह एक भारी ताकतवर मइनखे आय. जब देस अजाद होइस त हर कऊनो ये टकराव ला लेके तनाव मं रहिन.

‘वो मन ला गम होइस के वो मन अम्बेडकर के बगेर कानून अऊ संविधान नई लिख सकें. वो ह एकेच काबिल मइनखे रहिस. वो ह अपन भूमका सेती चिरोरी नई करिस, बाकि सब्बो ओकर ले हमर कानून के रूपरेखा लिखे के बिनती करिन. वो ह ब्रम्हा कस रहिन जेन ह ये संसार के रचना करिस. एक गुनी-ग्यानी मइनखे. येकर बाद घलो, हम  हिंदुस्तानी लोगन मन भारी निरदयी रहेन. 1947 के पहिली अऊ बाद मं हमन ओकर संग भारी खराब बेवहार करेन. वोला अजादी के आन्दोलन के कहिनी ले घलो बहिर कर दे गीस. हव, वो ह आज घलो मोर बर परेरना आंय.’

शोभाराम कहिथें घलो, मंय भीतरी ले पूरा पूरी कांग्रेसी अंव. एक असली कांग्रेसी. येकर ले ओकर मतलब आय के वो ह पार्टी के ये बखत के हालत के आलोचक आंय. ओकर मानना आय के भारत के ये बखत के अगुवई  ‘ये देश ला तानाशाही मं बदल दिही.’ अऊ येकरे सेती ‘कांग्रेस ला अपन आप ला फिर ले जींयाय ला परही, संविधान अऊ देश ला बचाय ला परही.’  वो ह सबले जियादा सराहना राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करथें. ‘वोला लोगन के चिंता हवय. वो ह हम स्वतंत्रता सेनानी मन के ख्याल रखथें.’ ये राज मं स्वतंत्रता सेनानी मन के पेंशन देश मं सबले जियादा हवय. मार्च 2021 मं गहलोत सरकार ह येला बढ़ा के 50,000 रूपिया कर दीस. स्वतंत्रता सेनानी मन के सेती सबले जियादा केंद्रीय पेंशन 30,000 रूपिया हवय.

शोभाराम के कहना आय के वो ह गांधीवादी आंय. इहाँ तक ले जब वो ह अम्बेडकर के मूर्ति ला माला पहिरा के तरी उतरथें.

‘देखव, मंय त बस ओकर पाछू चलेंव जेन ह मोला भावत रहिस. मंय तऊन सब्बो बिचार ला लेके चलेंव जेकर ले मंय सहमत रहेंव. अऊ वो बनेच अकन रहिस. अइसने करे मं मोला कभू कऊनो किसिम के दिक्कत नई आइस.’ धन वो मन ले कऊनो मं.’

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‘This [Swatantrata Senani] bhavan was special. There was no single owner for the place. There were many freedom fighters, and we did many things for our people,’ says Gehervar. Today, he is the only one looking after it
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‘ये (स्वतंत्रता सेनानी) भवन खास रहिस. ये जगा के कऊनो एक मालिक नई रहिस. गेहरवार कहिथें, ‘कतको स्वतंत्रता सेनानी रहिन अऊ हमन अपन लोगन मन के सेती काम करेन’ आज उहिच येकर देखरेख करत हवंय

शोभाराम गेहरवार हमन ला अजमेर मं सियान स्वतंत्रता सेनानी मन के जुरे के जगा स्वतंत्रता सेनानी भवन ले जावत हवंय. ये ह एक ठन भीड़-भड़क्का वाले बजार के बीच मं हवय. मंय तऊन डोकरा सियान मइनखे के संग चले के भारी कोसिस करत हवंव, जेन ह भीड़ भरे ट्रैफिक ला पार करत एक ठन गली मं चले जाथे. वो ह रेंगे बखत कऊनो लाठी के सहारा नई लेवय अऊ बनेच लौउहा- लौउहा आगू बढ़ जाथे.

एके बखत जब हमन वोला थोकन उदास अऊ येकर ले जूझे के कोसिस करत देखबो, वो ह बाद मं आही. जब हमन स्कूल गे रहें त वोला भारी गरब होईस. अऊ सचमुच मं, भिथि मं लिखाय बात ला पढ़त. उहाँ हाथ ले एक ठन नोटिस लिखाय हवय, ‘सरस्वती स्कूल बंद पड़ा है,’ (सरस्वती स्कूल बंद परे हवय). येला अऊ कालेज ला बंद कर दे गे हवय. सब्बो दिन सेती, चौकीदार अऊ तीर तखार के लोगन मन के कहना आय, ये ह जल्दी सिरिफ कीमती मलबा बन सकथे.

फेर स्वतंत्रता सेनानी भवन मं, वो ह जियादा उदास अऊ चिंता ले भरे हवंय.

‘15 अगस्त 1947 मं, जब वो मन लाल किला मं भारत के झंडा फहराइन, त हमं घलो इहाँ तिरंगा फहरायेन. हमन ये भवन ला नवा बहुरिया कस सजाय रहेन. हमन सब्बो स्वतंत्रता सेनानी उहाँ रहेन. हम सब वो बखत जवान रहेन अऊ हम सब के मन मं उछाह भरे रहिस.

‘ये भवन खास रहिस. ये जगा के कऊनो एक मालिक नई रहिस. कतको स्वतंत्रता सेनानी रहिन अऊ हमन अपन लोगन मन के सेती काम करे रहेन. हमन कभू-कभू दिल्ली जावत रहेन अऊ नेहरू ले मिलत रहेन. बाद मं हमर भेंट इंदिरा गांधी ले होईस, अब, वो मन ले कऊनो घलो जींयत नई ये.

‘हमर संग बनेच अकन महान स्वतंत्रता सेनानी रहिन. मंय क्रांति पक्ष मं बनेच अकन लोगन मन के संग काम करेंव. अऊ सेवा करेंव.’ वो ह नांव धरे ला लगथे.

‘डॉ. सारदानन्द, वीर सिंह मेहता, राम नारायण चौधरी. राम नारायण दैनिक नवज्योति के संपादक दुर्गा प्रसाद चौधरी के बड़े भाई रहिन. उहाँ अजमेर के भार्गव परिवार था रहिस. मुकुट बिहारी भार्गव तऊन समिति के सदस्य रहिन, जेन ला अम्बेडकर के अगुवई मं संविधान सभा के मसौदा बनाय गे रहिस. वो सब्बो अब गुजर चुके हवंय. हमर महान स्वतंत्रता सेनानी मन ले एक, गोकुलभाई भट्ट रहिन. वो ह राजस्थान के गांधी जी रहिन.’ भट्ट कुछु बखत सेती सिरोही रियासत के मुख्यमंत्री रहिन, फेर वो ह समाजिक सुधार अऊ अजादी सेती लड़े बर येला छोड़ दीन.

The award presented to Shobharam Gehervar by the Chief Minister of Rajasthan on January 26, 2009, for his contribution to the freedom struggle
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अजादी के लड़ई मं ओकर योगदान सेती शोभाराम गेहरवार ला 26 जनवरी 2009 मं राजस्थान के मुख्यमंत्री डहर ले ये पुरस्कार देय गे रहिस

शोभाराम ये बात मं जोर देथें के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कऊनो घलो मइनखे के अजादी के लड़ई मं कऊनो भूमका नई रहिस.

‘वोह? उन्होंने तो उंगली भी नहीं कटाई’. (‘वो? वो मन त उंगली घलो नई कटाइन’).

एक ठन बात जेन ह वोला भारी चिंता मं डारे हवय वो आय स्वतंत्रता सेनानी भवन के किस्मत.

‘अब मंय डोकरा होगे हवं. अऊ मंय हरेक दिन इहां नई आय सकंव. फेर गर मंय बने रइथों, त कम से कम घंटा भर सेती आके इहाँ बइठे तय करथों. मंय अइसने लोगन मन ले मिल लेथों जेन मन मोर करा आथें अऊ जतक घलो हो सकथे मंय ओकर मन के समस्या के निदान करे के कोसिस करथों.

‘मोर संग कऊनो नईं यें. मंय ये बखत निच्चट अकेल्ला हवं. दीगर अधिकतर स्वतंत्रता सेनानी मं गुजर चुके हवंय. अऊ कुछु जेन मन जींयत हवंय, असकत हवंय अऊ वो मन के सेहत भारी खराब हवय. येकरे सेती मंइच स्वतंत्रता सेनानी भवन के देखरेख करत हवंव. मंय आज घलो येला संभाल के रखे हवंव, बचाय के कोसिस करथों. फेर ये बात ले मोर आंखी मं आंसू आ जाथे. काबर के मोर संग कऊनो अऊ नईं यें.

‘मंय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ला लिखे हवं. ओकर ले अपील करे जावत हे के येकर पहिली ये भवन मं कऊनो कब्जा कर लेय, वो ह ये भवन ला अपन कब्जा मं ले लेव.

‘ये जगा के दाम करोड़ों रूपिया के हवय.’ अऊ ये शहर के ठीक मंझा मं हवय. बनेच अकन लोगन मन मोला लुभाय मं लगे रइथें. वो मन कहिथें, “शोभारामजी, तंय अकेल्ला काय कर सकबे? येला हमन ला दे देवव. हमन तोला करोड़ों रूपिया नगदी देबो.” मंय ओकर मन ले कहिथों के मोर मरे के बाद ये इमारत के संग जो चाहें कर लेवंय. मंय काय कर सकथों? काय, जइसने वो मन कइहीं वइसने कर सकथों? येकर बर, ये अजादी सेती लाखों लोगन मन के परान गीस. मंय तऊन सब्बो पइसा के काय करहूँ?

‘अऊ मंय तुहंर मन के धियान ये डहर लाय ला चाहत हवं. कऊनो ला हमर परवाह नईं ये. स्वतंत्रता सेनानी मन ला लेके कऊनो पूछेइय्या नईं ये. अइसने एके घलो किताब नई ये जऊन ह स्कूली लइका मन ला बतावत होय के हमन अजादी सेती कइसने लड़ई लड़े रहेन अऊ वोला कइसने हासिल करेन. लोगन मन हमर बारे मं काय जानथें?’

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

پی سائی ناتھ ’پیپلز آرکائیو آف رورل انڈیا‘ کے بانی ایڈیٹر ہیں۔ وہ کئی دہائیوں تک دیہی ہندوستان کے رپورٹر رہے اور Everybody Loves a Good Drought اور The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom کے مصنف ہیں۔

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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