ऊ कविते बा जेह में हमनी कस के जिनगी जिएनी, ऊ छंदे बा जे हमनी के ओह बंटवारा के बेसंभार दरद सहे के ताकत देवेला, जेकरा हमनिए इंसान आउर समाज के बीच पैदा कइले बानी. इहंई दुख, तकलीफ, सवाल, निंदा, तुलना, इयाद, सपना, उम्मीद के स्थान मिलेला. आपन मन के भीतर आउर बाहिर तक पहुंचे के रस्ता इहंई से होके जाला. इहे कारण बा जवन घरिया हमनी कविता सुनल बंद कर देविले, एगो इंसान आउर समाज दुनो रूप में हमनी करुणा से दूर हो जाइले.

हमनी इहंवा जितेंद्र वसावा के कविता, जे मूल रूप से देहवली भीली में लिखल बा, देवनागरी लिपि के मदद से रउआ लोगनी खातिर लेके आइल बानी.

देहवली भीली कविता जितेंद्र वसावा के आवाज में सुनीं

प्रतिष्ठा पंड्या के आवाज में कविता के अंगरेजी अनुवाद सुनीं

कविता उनायां बोंद की देदोहो

मां पावुहूं! तुमुहुं सोवता पोंगा
बाठे बांअणे बोंद की लेदेहें
खोबोर नाहा काहा?
तुमां बारे हेरां मोन नाहां का
बारे ने केड़ाल माज आवां नाह द्याआ
मान लागेहे तुमुहूं कविता उनायां बोंद की देदोहो
मांय उनायोहो
दुखू पाहाड़, मयाल्या खाड़्या
इयूज वाटे रीईन निग्त्याहा
पेन मां पावुहूं! तुमुहुं सोवता पोंगा
बाठे बांअणे बोंद की लेदेहें
खोबोर नाहा काहा?
तुमां बारे हेरां मोन नाहां का
बारे ने केड़ाल माज आवां नाह द्याआ मोन
मान लागेहे तुमुहूं कविता उनायां बोंद की देदोहो

पेन मां पावुहू!
तुमुहू सौवता डोआं खुल्ला राखजा मासां होच
बास तुमुहू सोवताल ता ही सेका
जेहकी हेअतेहे वागलें लोटकीन सौवताल
तुमुहू ही सेका तुमां माजर्या दोर्याले
जो पुनवू चादू की उथलपुथल वेएत्लो
तुमुहू ही सेका का
तुमां डोआं तालाय हुकाय रियिही
मां पावुहू! तुमनेह डोगडा बी केहेकी आखूं
आगीफूंगा दोबी रेताहा तिहमे
तुमुहू कोलाहा से कोम नाहाँ
हाचो गोग्यो ना माये
किही ने बी आगीफूंगो सिलगावी सेकेह तुमनेह
पेन मां पावुहूं! तुमुहुं सोवता पोंगा
बाठे बांअणे बोंद की लेदेहें
खोबोर नाहा काहा?
तुमां बारे हेरां मोन नाहां का
बारे ने केड़ाल माज आवां नाह द्याआ मोन
मान लागेहे तुमुहूं कविता उनायां बोंद की देदोहो

तुमुहू जुगु आंदारो हेरा
चोमकुता ताराहान हेरा
चुलाते नाहां आंदारारी
सोवताला बालतेहे
तिया आह्लीपाहली दून्या खातोर
खूब ताकत वालो हाय दिही
तियाआ ताकात जोडिन राखेहे
तियाआ दुन्याल
मां डायी आजलिही जोडती रेहे
तियू डायि नोजरी की
टुटला मोतिई मोनकाहाने
आन मां याहकी खूब सितरें जोडीन
गोदड़ी बोनावेहे, पोंगा बाठा लोकू खातोर
तुमुहू आवाहा हेरां खातोर???
ओह माफ केअजा, माय विहराय गेयलो
तुमुहुं सोवता पोंगा
बाठे बांअणे बोंद की लेदेहें
खोबोर नाहा काहा?
तुमां बारे हेरां मोन नाहां का
बारे ने केड़ाल माज आवां नाह द्याआ मोन
मान लागेहे तुमुहूं कविता उनायां बोंद की देदोहो

काहेकि कविता सुनल छोड़ देहल गइल बा

भइया हो! तू आपन कोठरी के
सभे दरवाजा पर कुंडी मार देल
मालूम ना काहे.
तू बाहिर देखे के नइख चाहत
कि बाहिर से केहू के भीतरी आवे देवे नइख चाहत?
हमरा त लागत बा तू कविता सुनल छोड़ देले बाड़.
सुननी ह,
दुख के पहाड़ उहंवा बा,
प्रेम के नदी उहे रस्ता से जाला
बाकिर भइया! तू आपन कोठरी के
सभे दरवाजा पर कुंडी मार देल
मालूम ना काहे.
तू बाहिर देखे के नइख चाहत
कि बाहिर से केहू के भीतरी आवे देवे नइख चाहत?
हमरा त लागत बा तू कविता सुनल छोड़ देले बाड़.

बाकिर सुन भइया!
आपन आंख मछरी जेका खुलल रखिह,
जेसे तू अपना भीतरी देख सक,
जइसे देखेला उल्लू अपना के लटक के
जेसे देख पाव आपन भीतर के दरिया
जे कबो पूरनमासी के चांद देखके हिलोर मारत रहे
जेसे देख पाव कि
तोहरा आंख के तलाब सूख रहल बा.
भइया हो! तोहरा पत्थर कइसे कहीं,
ओहू में चिंगारी लुकाइल रहेला
तू कोयला से कम नइख
सांच कहनी नू हम?
कहूं से कवनो चिंगारी आके जला सकेला तोहरा
पर भइया हो!
तू बाहिर देखे नइख चाहत
चाहे बाहिर से केहू के भीतरी आवे देवे के नइख चाहत?
हमरा त लागत बा तू कविता सुनल छोड़ देले बाड़.

तू देख असमान में टांकल अन्हार
देख टिमटिम करत तारा
ऊ सभ ना लड़े अन्हार से
अपने के जरावेला
आपन चारों ओरी के दुनिया अंजोर करे खातिर.
सूरुज भगवान सबले बलशाली
उनकरे ताकत जोड़ के रखले बा
एह संसार के.
हमार बूढ़ दादी अक्सरहा जोड़त रहेली
आपन कमजोर नजर से
मोतियन के टूटल माला सभ.
आउर माई बहुते चिथड़ा सभ जोड़के
गुदरी बनावेली, हमनी सभ खातिर.
तू अइब देखे?
अरे, माफ करिह, हम भुला गइल रहीं.
तू त अपने घर के
सभे दरवाजा पर कुंडी मार देले बाड़.
मालूम ना काहे.
तू बाहिर देखे के नइख चाहत
चाहे बाहिर से केहू के भीतरी आवे देवे के नइख चाहत?
हमरा त लागत बा तू कविता सुनल छोड़ देले बाड़.

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Jitendra Vasava

گجرات کے نرمدا ضلع کے مہوپاڑہ کے رہنے والے جتیندر وساوا ایک شاعر ہیں، جو دیہوَلی بھیلی میں لکھتے ہیں۔ وہ آدیواسی ساہتیہ اکادمی (۲۰۱۴) کے بانی صدر، اور آدیواسی آوازوں کو جگہ دینے والے شاعری پر مرکوز ایک رسالہ ’لکھارا‘ کے ایڈیٹر ہیں۔ انہوں نے آدیواسی زبانی ادب پر چار کتابیں بھی شائع کی ہیں۔ وہ نرمدا ضلع کے بھیلوں کی زبانی مقامی کہانیوں کے ثقافتی اور تاریخی پہلوؤں پر تحقیق کر رہے ہیں۔ پاری پر شائع نظمیں ان کے آنے والے پہلے شعری مجموعہ کا حصہ ہیں۔

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Illustration : Manita Kumari Oraon

منیتا اوراؤں، جھارکھنڈ کی فنکار ہیں اور آدیواسی برادریوں سے متعلق سماجی و ثقافتی اہمیت کے موضوع پر مورتیاں اور پینٹنگ بناتی ہیں۔

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Editor : Pratishtha Pandya

پرتشٹھا پانڈیہ، پاری میں بطور سینئر ایڈیٹر کام کرتی ہیں، اور پاری کے تخلیقی تحریر والے شعبہ کی سربراہ ہیں۔ وہ پاری بھاشا ٹیم کی رکن ہیں اور گجراتی میں اسٹوریز کا ترجمہ اور ایڈیٹنگ کرتی ہیں۔ پرتشٹھا گجراتی اور انگریزی زبان کی شاعرہ بھی ہیں۔

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Translator : Swarn Kanta

سورن کانتا ایک صحافی، ایڈیٹر، ٹیک بلاگر، کنٹینٹ رائٹر، ماہر لسانیات اور کارکن ہیں۔

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