हम जब तारपा बजाइला त हमनी वारली लोग के देह में हवा घुस (जे जरूरी होखेला) जाला. घंटा-घंटा ले ओह लोग के देह हवा संगे झूले वाला गाछ जइसन हिलत रहेला.
हम जब एकरा बजाइला, त सावरी देवी आउर उनकर टोली के नाम पुकारिला. आउर जब देवी पुकार सुन लेवेली, त अइसन लागेला आपन भक्त के देह में प्रवेश कर गइली.
ई सभ आस्था के बात बा. ‘मानल त्याचा देव, नाही त्याचा नाही’. (मान त देवता, ना त पत्थर.) हमरा खातिर तारपा हमार देवता बाड़न. एहि से हम उनका सामने हाथ जोड़ीं आउर माथा टेकिला.
हमार परदादा नवश्या तारपा बजावत रहस.
उनकर लइका, ढाकल्या. उहो एकरा बजावत रहस.
ढाकल्या के लइका लाडक्या भी एकरा बजावेला.
लाडक्या हमार बाऊजी रहस.
अंगरेजन के शासन रहे. आजादी ना मिलल रहे. हमनी के गांव वालवांडे में “बड़का” लोग (अगड़ा जात) के लरिकन के पढ़े खातिर एगो स्कूल रहे. गरीबन के बच्चा खातिर कवनो स्कूल ना रहे. ओह घरिया हम कोई 10-12 बरिस के होखम. हम गाय-भइंस चरावत रहीं. माई-बाऊजी लोग कहे ‘गेइमेज गेला तार रोटी मिलल. शैलेट गेला तार उपशी रहल (जदि हम मवेशी चराए जाम, त हमरा खाए के मिली. जदि हम स्कूल जाएम, त हमरा भूखले रहे के पड़ी).’ माई के माथा पर सात गो लरिकन सभ के जिम्मेदारी रहे.
बाऊजी कहस, ‘गाय-भइंस चरावे घरिया त तोहरा कुछुओ ना करे के रहेला. काहे न तू खाली समय में तारपा बजावेल? एकरा से तोहार देह (सेहत) ठीक रही आउर मनो लागी.’ एकर आवाज से गाय-भइंस से कवनो तरह के कीड़ा-मकोड़ा दूर रहत रहे.
जंगल, चाहे मैदान में जब मवेसी चरावे जाईं, त हम एकरा बजावे के सुरु कर दीहीं. लोग ओरहन (शिकायत) देवे, ‘ढिंड्या के लइका पूरा दिन हल्ला मचावत रहेला- काव काव.’ बाऊजी एक दिन कहले, ‘हम जबले जिंदा बानी, तोहरा ला तारपा बनावएम. बाकि हमरा मरला के बाद, के बनाई?’ त हम ई बाजा बनावे के सीखनी.
तारपा बनावे खातिर तीन गो चीज जरूरी बा. ‘आवाज’ (गूंजे वाला सींग जइसन हिस्सा) निकाले खातिर माड (ताड़ के गाछ) के पत्ता. बांस के दू ठो टुकड़ा, एगो नर आउर दोसर मादा. नर खातिर एगो आउर छोट टुकड़ा रहेला जेकरा पर थाप देवल आउर धुन निकालल जाला. तेसर चीज जे चाहीं, ऊ दूधी (लउकी) हवे. एकरा से हवा निकाले वाला हिस्सा बनावल जाला. हम जब छेद में फूंक मारिला, त नर आ मादा सट जाला. एकरा सटे से बहुते मीठ आउर अद्भुत संगीत पैदा होखेला.
तारपा एगो परिवार जेका बा. एह में एगो मरद आउर एगो मेहरारू होखेली. फूंक मरला पर ऊ लोग एक हो जाला. फेरु एकरा से अलौकिक धुन निकलेला. जइसे एगो पत्थर होखेला, बेजान. बाकिर हमरा फूंके से एकरा में जान आ जाला. फेरु एह में से एकदम मीठ आउर बेसुध कर देवे वाला धुन निकलेला. रउआ बस एकरा में फूंक मारे के बा. रउआ इहो ध्यान रखे के होई कि एह में फूंके खातिर राउर देह में भरपूर हवा मौजूद होखे. तारपा भगवान के आशीर्वाद बा. उनकरे महिमा बा कि हमनी अइसन बाजा बना सकत बानी.
हमार बाऊजी कहस, ‘गाय-भइंस चरावे घरिया कुछुओ त करे के ना होखे. तू काहे ना तारपा बजावेल? एकरा से तोहर देह (सेहत) ठीक रही आउर मनो लागी’
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माई-बाऊजी आउर पुरान लोग के मुंह से बहुते तरह के किस्सा सुनले बानी. जदि आज ऊ सभ सुना दीहीं, त लोग हमार नाम रखे लागी. बाकिर ई कहानी हमनी के पुरखा लोग के बतावल बा.
भगवान ब्रह्मांड (विश्व) के रचना कइलन आउर चल गइलन.
त वारली लोग कहंवा से आइल?
कंदराम देहल्या से.
भगवान कंदराम देहल्या खातिर उनकर माई लगे तनी दही रख देलन. ऊ दही खइलन आउर भइंस भी खा गइलन. उनकर माई बमक (गोस्सा) गइली आउर उनकरा घर से बाहिर कर देली.
हमनी के पुरखा लोग बतावेला कि पहिल वारली, कंदराम देहल्या लोग अइसे इहंवा पहुंचल.
कंदराम देहल्यालहून
पलसोंड्याला परसंग झाला
नटवचोंडीला नटलं
खरवंड्याला खरं झालं
शिणगारपाड्याला शिणगारलं
आडखडकाला आड झालं
काटा खोचाय कासटवाडी झालं
कसेलीला येऊन हसलं
आन् वालवंड्याला येऊन बसलं.
गोऱ्याला जान खरं जालं
गोऱ्याला रहला गोंद्या
चांद्या आलं, गंभीरगडा आलं.
Kandram Dehlyalahun
Palsondyala parsang jhala
Natavchondila Natala
Kharvandyala khara jhala
Shingarpadyala shingarala
Aadkhadakala aad jhala
Kata khochay Kasatwadi jhala
Kaselila yeun hasala
Aan Walwandyala yeun basala.
Goryala jaan khara jaala
Goryala rahala Gondya
Chandya aala, Gambhirgada aala
ई कविता पालघर के जव्हार ब्लॉक में गांव आउर टोला के नाम संगे एगो तुकबंदी बा.
वारली जइसहीं, कइएक समुदाय लोग इहंवा रहत आइल बा. जइसे कि राजकोली, कोकणा, कटकरी, ठाकुर, म्हार, चम्हार... हमरा इयाद बा हम महाराजा (जव्हार के राजा) के दरबार में काम करत रहीं. ऊ आपन दरबार में सभे लोग संगे करवल के पत्ता पर खाना खात रहस. हम उहंवा काम करत रहीं. जूठ पत्ता के हम फेंक देनी. हर तरह के समुदाय उहंवा जुटल आउर सभे लोग एके साथे, कतार में बइठ के खइलक. उहंवा केहू बड़, चाहे केहू छोट ना रहे. सभ के बराबर मान देवल गइल. हमरा उहंवा बहुते बड़ा सीख मिलल. अब हम कतकारी, चाहे मुसलमान के हाथ से पानी पिए के सुरु कइनी. राजकोली लोग वारली लोग के छुअल पानी ना पिए. हमनी के लोग कतकारी, चाहे चम्हार के, चाहे धोर कोली के हाथ के छुअल पानी ना पिए. ऊ लोग आजो ई सभ कुप्रथा के पालन करेला. बाकिर हम अइसन भेदभाव में कबो बिस्वास ना कइनी.
देखीं, हिरवा देवी आउर तारपा के जे भी पूजेला उहे वारली आदिवासी कहाला.
हमनी सभे लोग मिलके तीज-त्योहार मनाइला. जब नयका धान कट के आवेला, हमनी ओकरा आपन परिवार, आउर पड़ोसी संगे बांटिला. नयका चाउर के सबले पहिले गांव के देवी, गांवदेवी के भोग लागेला. देवी के पहिलका निवाला खियइला के बादे हमनी के घरे चाउर पाकेला. रउआ एकरा हमनी के अंध श्रद्धा कह सकेनी. बाकिर अइसन कुछुओ नइखे. इहे हमनी के श्रद्धा बा, इहे हमनी के भक्ति बा.
नयका फसल लेके हमनी गांवदेवी, आपन गांव के देवी के मंदिर जाइला. उनकर मंदिर काहे बनल आउर उनका इहंवा काहे लावल गइल? हमनी उनकरा से प्रार्थना करिले, ‘हमनी के बाल-बच्चा, घर के लोग, मवेशी आ मजूर के खूब स्वस्थ, प्रसन्न रखीं. हमनी के खेत आउर बगीचा खूब फलो-फुलो. नौकरी करे वाला सफलता के आउर सीढ़ी चढ़ो. परिवार आउर हमनी, जिनगी में अच्छा दिन देखीं.’ हमनी आदिवासी लोग मंदिर जाएनी आउर देवी से प्रार्थना करेनी. उनकर नाम लेके आपन मन के इच्छा कहेनी.
तारपा हमनी के जिनगी के अटूट हिस्सा बाड़न.
वाघबारस के मौका पर, हमनी सावरी देवी के त्योहार मनाइले. रउआ उनका शबरी के नाम से जानत होखम. उहे शबरी जे राम जी के आपन जूठ बेर खियइले रहस. हमनी इहंवा दोसर कहानी प्रसिद्ध बा. सावरी देवी जंगल में राम जी के इंतजारी में व्याकुल रहस. राम जी, उहंवा सीता संगे अइलन. सावरी उनकरा देख के प्रसन्न भइली आउर कहली ना जाने केतना बरिस के इंतजारी के फल अब मिलल ह, आउर हमार सौभाग्य कि राम जी के दर्शन भइल. अब जिनगी में दोसर कवनो सुख ना चाहीं. अइसन कहत ऊ आपन जीवदा (दिल) निकाल के रामजी के हथेली पर धर देली आउर चल गइली, कबो ना लउटे खातिर.
उनकर भक्ति आउर प्रेम हमनी खातिर आदर्श बा. हमनी एकरे जश्न मनावे खातिर तारपा लेके पहाड़ी आउर जंगल जाइला. उहंवा जंगल में कइएक देवता लोग बसेला. टंगड़ा सावरी, गोहरा सावरी, पोपटा सावरी, तुंबा सावरी आउर घुंगा सावरी. इ सभे सावरी देवी के टोली बा. ऊ लोग प्रकृति के देवता बा. ऊ लोग आजो मौजूद बा. हमनी ओह लोग के पूजा करे के सुरु कर देनी. हम तारपा बजावेनी आउर ओह लोग के नेवता देवेनी. जइसे केकरो नाम पुकारल जाला, हम हर सावरी देवी खातिर अलग तरह के धुन बजाइला.
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साल 2022 के दिन रहे. हम नंदुरबार, धुले, बड़ोदरा जइसन जगह से आइल आदिवासी लोग संगे मंच पर रहीं. सामने दर्शक लोग बइठल रहे. ऊ लोग हमरा साबित करे के कहलक कि हम आदिवासी बानी.
हम बतइनी कि एह संसार में जे पहिल आदमी गोड़ धइलक आउर एह माटी के माथा से लगइलक, ऊ आदिवासी रहे. आउर उहे लोग हमार पुरखा लोग रहे. हम कहनी, आपन सांस से संगीत निकालल हमनी के परंपरा ब. हमनी जे बाजा आपन हाथ से बजाइला, ऊ रउआ लोगनी पेंटिंग में देखले होखम. पेंटिंग बाद में आइल. बाकिर सांस आउर संगीत शाश्वत बा. संगीत त ब्रह्मांड बने घरिया से मौजूद बा.
हम ई कहत आपन बात खत्म कइनी कि ई तारपा के मतलब जोड़ा, मादा के साथ देवे वाला नर आउर नर के साथ देवे वाला मादा बा. तारपा भी उहे लेखा काम करेला. सांस ओह लोग के एक करेला आउर बहुते मीठ आउर अलौकिक धुन निकालेला.
हमार जवाब सुनके ऊ लोग चकित रह गइल. हमरा प्रथम स्थान मिलल. हमार प्रदेस के प्रथम स्थान मिलल! हम तारपा से हाथ जोड़ के बिनती करिले, ‘हे देवता, हम रउआ पूजेनी, राउर सेवा करेनी. रउआ हमनी के रक्षा करीं. हम उड़े के चाहत बानी. हमरा हवाई जहाज पर घूमे के बा’ आउर रउआ यकीन ना होई कि तारपा के महिमा चलते हमरा कइएक जगह के हवाई यात्रा करे के मौका भेंटाइल. हम आलंदी, जेजुरी, बारामती, सान्या (शनि) शिंगणापुर गइनी. दूर-दूर ले यात्रा कइनी. इहंवा से केहू ‘गोमा’ (गोवा) के राजधानी पणजी नइखे गइल. बाकिर हम उहंवा भी गइल बानी. हमरा उहंवा से एगो सर्टिफिकेट भी मिलल बा.
हमरा लगे कहे के बहुते कुछ बा, बाकिर हम ना कहम. हम 89 के बानी. हम जेतना पुरान बानी, हमरा लगे कहानियो ओतने बा. बाकिर हम कबो ना कहम. हम सभे के आपन ह्रदय में रखले बानी. केतना रिपोर्टर आउर पत्रकार लोग आवेला आउर हमर कहानी लिखेला. ऊ लोग किताब छापेला आउर दुनिया के बतावेला कि ओह लोग चलते दुनिया में हमार नाम भइल, हम मशहूर भइनी. केतना संगीतकार लोग आइल, हमार संगीत चोरावे के कोसिस कइलक. एहि से हम सभे से भेंट ना करीं. राउर भाग नीमन बा हमरा से भेंट भइल.
हमरा संगीत नाटक अकादमी सम्मान मिलल. पुरस्कार समारोह दिल्ली में रहे. जब हमरा ई सम्मान मिलल, हमार आंख भर आइल. बाऊजी हमरा कबो स्कूल ना भेजलन. ऊ सोचलन कि का पता पढ़े से हमरा नौकरी मिली कि ना मिली. बाकिर ऊ हमरा ई जरूर कहले रहस, ‘ई बाजा हमनी के देवता बा.’ आउर वास्तव में ऊ हमरा खातिर देवता साबित भइलन. हमार सभ मनोकामना पूरा कइलन. एकरे चलते हम इंसानियत सिखनी. दुनिया में लोग हमार नाम जान गइल. हमार तारपा त डाक लिफाफा (डाक टिकट) पर भी छपल बाड़न. रउआ आपन फोन में हमार नाम लिखम, त हमार वीडियो देखाई दीही... आउर का चाहीं? पहिले हम कुंआ के मेंढ़क रहीं, कुंआ के बाहर का बा, ना जानत रहीं. जब ओह कुइंया से बाहिर निकलनी, त दुनिया देखनी.
आज नयका पीढ़ी तारपा के धुन पर नाचे के ना चाहे. ओह लोग के डीजे चाहीं. ओह लोग के नाचे दीहीं. बाकिर हमरा एगो बात बताईं, जे आदमी खेत में आपन फसल काटी, गांवदेवी के नयका चाऊर के भोग लगाई, देवी के धुन बजाई, उनकरा से प्रार्थना करी, का ऊ डीजे बजाई? ओकरा त सिरिफ तारपा चाहीं, आउर कुछुओ ना चाहीं.
पारी एह दस्तावेजीकरण में मदद खातिर एआरओईएचएएन के माधुरी मुकाने के बहुत बहुत धन्यबाद करे के चाहत बा
बातचीत,
ट्रांसक्रिप्शन आउर अंगरेजी अनुवाद
:
मेधा काले
फोटो वीडिया: सिद्धिता सोनावणे
कहानी पारी के एंडेजर्ड लैंग्वेज प्रोजेक्ट (लुप्तप्राय भाषा प्रोजेक्ट) के हिस्सा बा. देस भर के कमजोर आउर लुप्त हो रहल भाषा के दर्ज कइल एह प्रोजेक्ट के मकसद बा.
वारली एगो इंडो-आर्यन (भारतीय-आर्य) भाषा बा. गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, दमन आ दीव, दादरा आ नगर हवेली में रहे वाला वारली, चाहे वरली आदिवासी लोग लोग एकरा बोलेला. खतरा में बिस्व के भाषा के यूनेस्को एटलस में वारली भारत के संभावित रूप से कमजोर भाषा के सूची में शामिल बा.
हमनी के मकसद महाराष्ट्र में बोलल जाए वाला वारली भाषा के दस्तावेजीकरण बा.
अनुवादक: स्वर्ण कांता