पारी के कहानी के बिसाल संग्रह देस के कोना-कोना में मौजूद कक्षा सभ में ‘स्कूल के चलत-फिरत किताब’ जेका इस्तेमाल होखेला. पढ़े-लिखे वाला लरिकन लोग भई एह संग्रह में आपन योगदान करे के चाहेला. एहि से ऊ लोग हमनी संगे इंटर्नशिप करेला. इंटरव्यू, फोटो, दस्तावेजीकरण आउर गांव-देहात के सवाल उठाके ऊ लोग हमनी के संग्रह के आउर मजबूत कर रहल बा
हमनी गांव-देहात आउर हाशिया पर रहे वाला लोग के कहानी के स्कूली पाठ्यक्रम के हिस्सा बनावे खातिर काम कर रहल बानी. हमनी आपन आस पास के सवाल पर लिखे आउर ओकरा दर्ज करे वाला युवा पीढ़ी संगे काम करेनी. ओह लोग के पत्रकारिता के भाषा में कहानी कहे के ढंग सिखावेनी, रस्ता देखावेनी. एह खातिर छोट-छोट पाठ्यक्रम, सत्र आउर कार्यशाला के सहारा लेहल जाला. संगही, अइसन पाठ्यक्रम तइयार कइल जाला जेकरा से छात्रन के आम आदमी के रोज के जिनगी आउर परेसानी के समझे में मदद मिल सको.